ICMR के नए महानिदेशक बने डॉ. राजीव बहल

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डॉ. राजीव बहल को तीन साल की अवधि के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) का महानिदेशक नियुक्त किया गया है। इसके साथ उन्हें स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग का सचिव भी बनाया गया है। बहल वर्तमान में जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में मातृ, नवजात शिशु पर शोध प्रमुख एवं किशोर स्वास्थ्य सह-नवजात इकाई के प्रमुख हैं।

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कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने डॉ. राजीव बहल को आईसीएमआर के महानिदेशक-सह-स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव के पद पर तीन साल की अवधि के लिए पदभार ग्रहण करने की तारीख से नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।

 

बहल से पूर्व डॉ. बलराम भार्गव का आईसीएमआर के महानिदेशक और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव के रूप में विस्तारित कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो गया। भार्गव को इस पद पर 16 अप्रैल 2018 को चार साल के लिए नियुक्त किया गया था।

 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

  • आईसीएमआर मुख्यालय: नई दिल्ली;
  • ICMR संस्थापक: भारत सरकार;
  • आईसीएमआर की स्थापना: 1911।

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World Pharmacists Day 2022: विश्व फार्मासिस्ट दिवस क्यों मनाया जाता है?

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हर साल 25 सितंबर को दुनियाभर में विश्व फार्मासिस्ट दिवस (World Pharmacists Day) मनाया जाता है। बता दें जब भी कोई व्यक्ति बीमार होता है तो वह डॉक्टर के पास जाता है और डॉक्टर उसे कुछ दवाईयां लिख कर देता हैं, जिन्हें लेने के लिए आपको फार्मासिस्ट के पास जाना पड़ता है। इन्ही फार्मेसियों पर ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई।

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विश्व फार्मासिस्ट दिवस की थीम

 

हर साल इस दिन का आयोजन एक थीम के साथ किया जाता है। उसी के तहत इस साल भी विश्व फार्मासिस्ट दिवस की एक थीम तय की गई गई है। इस साल इसकी थीम स्वस्थ विश्व के लिए फार्मासिस्ट यूनाइटेड इन एक्शन तय की गई है।

 

इस दिन को मनाने की शुरुआत

इस दिन को मनाने की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (FIP) के द्वारा इस्तांबुल तुर्की में की गई थी। साल 1912 में 25 सितंबर को ही अंतरराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल्स की स्थापना की गई थी, जिसकी वजह से हर साल 25 सितंबर को विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाया जाता है।

 

यह दिवस 25 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं?

अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (FIP) के सदस्यों ने इस तारीख का सुझाव इसलिए दिया क्योंकि इसी तारीख पर एफआईपी (FIP) की 1912 में स्थापना हुई थी।

 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

 

  • इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन के सीईओ: डॉ कैथरीन दुग्गन;
  • इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन की स्थापना: 25 सितंबर 1912;
  • इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल फेडरेशन मुख्यालय: हेग, नीदरलैंड;
  • इंटरनेशनल फ़ार्मास्युटिकल फ़ेडरेशन का आदर्श वाक्य: दुनिया भर में फ़ार्मेसी को आगे बढ़ाना।

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Nation Observes Antyodaya Divas 2022: 25 September_90.1

World Contraception Day 2022: जानें विश्व गर्भनिरोधक दिवस के बारे में

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हर साल 26 सितंबर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस (World Contraception Day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को गर्भनिरोधक के बारे में जागरूक करना होता है। भारत के अलावा कई देशों में गर्भनिरोधक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर विशेष जानकारी दी जाती है। विश्व गर्भ निरोधक दिवस मनाने का उद्देश्य वर्तमान में युवा पीढ़ी को यौन जागरूक बनाने के लिए किया जाता है। लोगों को समय-समय पर कार्यक्रम का आयोजन कर इस विषय में जानकारी दी जाती है। युवा पीढ़ी को गर्भनिरोधक के उपाय के बारे में बताना और इस कार्यक्रम में लोगों को गर्भधारण के बचाव के बारे में बताया जाता है।

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इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2007 में 26 सितंबर को हुई थी। गर्भनिरोधक साधनों को अपनाकर महिला के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर में रहने वाली महिलाओं की बात करें तो पहले 95 परसेंट और 83 परसेंट महिलाओं को इसके बारे में जानकारी है।

 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:

 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड;
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना: 7 अप्रैल 1948;
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक: टेड्रोस एडनॉम।

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Nation Observes Antyodaya Divas 2022: 25 September_90.1

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार उन्मूलन दिवस: 26 सितंबर

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संयुक्त राष्ट्र हर साल 26 सितंबर को परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day for the Total Elimination of Nuclear Weapons) के रूप में मनाता है। इस दिन का उद्देश्य परमाणु हथियारों से मानवता के लिए उत्पन्न खतरे और उनके पूर्ण उन्मूलन की आवश्यकता के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है। यह जनता और उनके नेताओं को ऐसे हथियारों को खत्म करने के वास्तविक लाभों और उन्हें बनाए रखने की सामाजिक एवं आर्थिक लागतों के बारे में शिक्षित करने का अवसर प्रदान करता है।

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इस दिन का इतिहास:

 

26 सितंबर 2013 को न्यूयॉर्क में आयोजित परमाणु निरस्त्रीकरण पर महासभा की उच्च स्तरीय बैठक के अनुवर्ती के रूप में महासभा ने दिसंबर 2013 में अपने संकल्प 68/32 में अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया। जन जागरूकता बढ़ाने और परमाणु निरस्त्रीकरण मामलों पर गहन भागीदारी की तलाश करने के लिए महासभा द्वारा किए गए प्रयासों की एक श्रृंखला में यह नवीनतम था।

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Antyodaya Divas 2022: जानें इस दिवस के बारे में

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भारत में, पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyaya) की जयंती को चिह्नित करने के लिए हर साल 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) मनाया जाता है। अंत्योदय का अर्थ “गरीब से गरीब व्यक्ति का उत्थान” या “अंतिम व्यक्ति का उत्थान” है। यह दिन मोदी सरकार द्वारा 25 सितंबर 2014 को घोषित किया गया था और आधिकारिक तौर पर 2015 से मनाया जा रहा है।

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भारत सरकार द्वारा 25 सितंबर, 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 98 वीं जयंती के अवसर पर ‘अंत्योदय दिवस’ की घोषणा की गई थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही अंत्योदय का नारा दिया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय कहते थे कि कोई भी देश अपनी जड़ों से कटकर कभी भी विकास नहीं कर सका है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी में संगठन का अद्वितीय और अद्भुत कौशल था।

 

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बारे में:

 

  • साल 1916 में मथुरा में पैदा हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिनसे बाद में भाजपा का उदय हुआ। वे साल 1953 से साल 1968 तक भारतीय जनसंघ के नेता रहे।
  • दीनदयाल उपाध्याय एक मानवतावादी, अर्थशास्त्री, पत्रकार, दार्शनिक और सक्षम राजनेता थे।
  • दीनदयाल उपाध्याय ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की थी। हालाँकि, वह सेवा में शामिल नहीं हुए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक बन गए।
  • साल 1940 के दशक में, दीनदयाल उपाध्याय ने हिंदुत्व राष्ट्रवाद की विचारधारा के प्रसार के लिए उत्तर प्रदेश के लखनऊ से
  • एक मासिक पत्रिका ‘राष्ट्र धर्म (Rashtra Dharma)’ का शुभारंभ किया। बाद में, उन्होंने ‘पांचजन्य’, एक साप्ताहिक पत्रिका और एक दैनिक, ‘स्वदेश’ शुरू किया।
  • दीनदयाल उपाध्याय 11 फरवरी, 1968 की तड़के उत्तर प्रदेश के मुग़लसराय रेलवे स्टेशन के पास रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। बाद में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पाया कि उन्हें लुटेरों ने मार दिया था।

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यूपी में महिलाओं को समर्पित रही विधानमंडल की कार्यवाही

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उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों में एक इतिहास रचा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर दोनों सदनों में पूरा एक दिन महिला सदस्यों को समर्पित किया गया था, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष की महिला सदस्यों ने भागीदारी की और महिला हितों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। मानसून सत्र के चौथे दिन विधानसभा और विधान परिषद में केवल महिलाओं से जुड़े मुद्दों की गूंज रही। देश की किसी विधानसभा में यह पहला मौका था, जबकि महिला सदस्यों के लिए पूरा दिन समर्पित किया गया। आमतौर पर सरकार की पहल का विरोध करने वाला विपक्ष भी मुख्यमंत्री की इस सोच को लेकर सकारात्मक रहा।

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ऐतिहासिक कार्यवाही में चर्चा की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने वैदिक उद्धरणों और आख्यानों का उल्लेख करते हुए भारतीय संस्कृति में महिलाओं की महत्ता को रेखांकित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि आज सदन में आज सभी लोग नारी शक्ति को देख रहे हैं। आज सदन का दिन महिलाओं के नाम है। सीएम ने कहा कि भारत में महिला-पुरुष दोनों को समान अधिकार है। हम सभी को पता है कि मातृ शक्ति से सब कुछ संभव है।

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भारत का पहला सफल पूर्ण-हाथ प्रत्यारोपण केरल के अस्पताल में किया गया

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देश में पहली बार दो मरीजों के पूरे हाथ (फुल आर्म) का ट्रांसप्लांट हुआ है। केरल के कोच्चि में अमृता हॉस्पिटल ने यह इतिहास रचा है। जिन मरीजों में आर्म ट्रांसप्लांट किया गया है, उनमें एक- इराकी नागरिक यूसुफ हसन सईद अल जुवैनी हैं। दूसरे- कर्नाटक के अमरेश हैं। इन दोनों ने बिजली के करंट से अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे। डॉ. सुब्रमण्यन अय्यर और डॉ. मोहित शर्मा की अगुआई में 20 सर्जन और 10 एनेस्थेटिस्ट्स की टीम ने ये सर्जरी कीं।

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दोनों मरीजों को 3 हफ्ते बाद अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई। डॉ. अय्यर ने बताया कि दोनों हाथों को कंधे से जोड़ा जाना था। कुछ ब्लड वेसेल्स को जोड़ना कठिन था, लेकिन इसे ठीक कर लिया गया। दुनिया में केवल तीन कंधे के स्तर के फुल आर्म ट्रांसप्लांटेशन हुए हैं। यह भारत में पहला है।

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भारत में पांच वर्ष तक के बच्चों की शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट: रिपोर्ट

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नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) सांख्यिकीय रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत की 5 वर्ष से कम आयु में मृत्यु दर 2019 में 35 प्रति 1,000 जीवित जन्मों से घटकर 2020 में 32 प्रति 1,000 जीवित जन्म हो गई है। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। भारत के महापंजीयक द्वारा गुरुवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2014 से शिशु मृत्यु दर (IMR), 5 साल से कम आयु में मृत्यु दर (U5MR) और नव-मृत्यु दर (NMR) में उत्तरोत्तर कमी देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि साल 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) का लक्ष्य है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि एसआरएस 2020 ने 2014 से शिशु मृत्यु दर में लगातार गिरावट दिखाई है। भारत केन्द्रित कार्यक्रमों, मजबूत केंद्र-राज्य साझेदारी तथा सभी स्वास्थ्यकर्मियों के समर्पण से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शिशु मृत्यु दर के 2030 एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तैयार है। देश में पांच वर्ष से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु दर (यू5एमआर) में 2019 से तीन अंकों की (वार्षिक कमी दर 8.6 प्रतिशत) देखी गई है।

 

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पांच वर्ष से कम आयु में मृत्यु दर 2019 में प्रति 1,000 जीवित शिशुओं में से 35 के मुकाबले 2020 में घटकर 32 रह गई है। रिपोर्ट के अनुसार शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में भी 2019 में प्रति 1000 जीवित शिशुओं में से 30 के मुकाबले 2020 में प्रति 1000 जीवित शिशुओं में से 28 के साथ दो अंकों की गिरावट दर्ज की गई है और वार्षिक गिरावट दर 6.7 प्रतिशत रही।

 

रिपोर्ट के अनुसार अधिकतम आईएमआर मध्य प्रदेश (43) और न्यूनतम केरल (6) में देखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में आईएमआर 2020 में घटकर 28 हो गया है, जो 2015 में 37 था। पिछले पांच वर्षों में नौ अंकों की गिरावट और लगभग 1.8 अंकों की वार्षिक औसत गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार देश में जन्म के समय लिंग अनुपात 2017-19 में 904 के मुकाबले 2018-20 में तीन अंक बढ़कर 907 हो गया है। केरल में जन्म के समय उच्चतम लिंगानुपात (974) है जबकि उत्तराखंड में सबसे कम (844) है।

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जी-4 ने अफ्रीकी देशों को भी प्रतिनिधित्व देने का समर्थन किया

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जी-4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए नए सिरे से प्रयास करने और इसे अधिक कुशल और आज की दुनिया का प्रतिनिधि बनाने का आह्वान किया। इन देशों ने अंतर-सरकारी वार्ता में सार्थक प्रगति में आने वाली निरंतर कमी पर चिंता व्यक्त की। जी-4 मंत्रियों ने दोहराया कि सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थाई और गैर-स्थाई दोनो श्रेणियों में विस्तार निकाय को अधिक प्रतिनिधि,वैध और प्रभावी बनाना अत्यंत आवश्यक है।

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विदेश मंत्री जयशंकर ने भी जापान के विदेश मंत्री योशिमाशा, जर्मनी की एनालिना बाएरबॉख, ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस फ्रांका से मुलाकात के बाद ट्वीट किया, हमने साझा बयान में बहुस्तरीय सुधारों के लिए वार्ताओं को गति देने का इरादा जताया। इस उद्देश्य को हासिल करने तक हम कोशिशें जारी रखेंगे। भारत सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और उसका कार्यकाल इस साल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है। जी-4 ने अफ्रीकी देशों को भी प्रतिनिधित्व देने का समर्थन किया। जी4 ने कहा, यूएन की निर्णय लेने वाली संस्थाओं में तत्काल सुधार की जरूरत है। वैश्विक मुद्दे जटिल होते जा रहे हैं और एक-दूसरे से जुड़े हैं। इनसे निपटने के लिए यूएनएससी की अक्षमता से सुधार की तत्काल जरूरत दिखती है।

 

क्या है जी-4?

सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग के लिये जापान, जर्मनी, भारत और ब्राज़ील ने G-4 के नाम से एक गुट बनाया जो स्थायी सदस्यता के मामले में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। G-4 देश लगातार बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के साथ ही UNSC की संरचना में सुधार की मांग कर रहे हैं। G-4 देश 21वीं शताब्दी की समकालीन ज़रूरतों के लिये संयुक्त राष्ट्र की स्वीकार्यता हेतु सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हैं।

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महाराजा हरि सिंह की जयंती पर जम्मू-कश्मीर में वार्षिक अवकाश घोषित किया गया

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महाराजा हरि सिंह की जयंती पर 23 सितंबर को जम्मू-कश्मीर में सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में अवकाश का आदेश जारी हो गया। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 (1881 का केंद्रीय अधिनियम 26) के तहत सामान्य प्रशासनिक विभाग के सचिव डॉ. पीयूष सिंगला ने यह आदेश जारी किया है। आदेश के तहत प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को महाराजा हरि सिंह के जन्मदिवस पर जम्मू-कश्मीर में सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में राजकीय अवकाश रहेगा।

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उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह की जयंती को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाने के निर्णय की घोषणा की थी। महाराजा हरि सिंह की जयंती पर सरकार अवकाश घोषित होने के बाद प्रदेशवासियों में खुशी का माहौल है। सरकार ने महाराजा हरि सिंह जी के जन्मदिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने का निर्णय लिया है।

 

कौन हैं महाराजा हरि सिंह?

 

23 सितंबर 1895 को महाराजा हरि सिंह का जन्म जम्मू में हुआ था। महाराजा हरि सिंह के पिता का नाम अमर सिंह और माता का नाम भोटियाली छिब था। अपने चाचा की मृत्यु के बाद, 23 सितंबर 1923 को हरि सिंह जम्मू और कश्मीर के नए महाराजा बने थे। बता दें कि 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद, महाराजा हरि सिंह चाहते थे कि जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हो। उन्होंने अपने राज्य को पाकिस्तानी सेना के आक्रमण से बचाने के लिए भारत सरकार से मदद मांगी थी। जिसके बाद उन्हें भारतीय सैनिकों का समर्थन प्राप्त हुआ।

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