यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन स्पोर्ट’ योजना की शुरुआत की

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उत्तर प्रदेश (UP) में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अगुवाई वाली सरकार ने ओडीओपी (ODOP) यानी ‘एक जिला, एक उत्पाद’ की तर्ज पर अब ‘वन डिस्ट्रिक, वन स्पोर्ट्स’ (ODOS) योजना शुरू की है। अब यूपी के हर जिले का अपना अलग खेल होगा और उसकी अलग पहचान भी सुनिश्चित होगी। योगी आदित्यनाथ सरकार को उम्मीद है कि ओडीओएस कार्यक्रम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को तैयार करने का एक मंच बनेगा। अधिकारियों के अनुसार, यूपी के 75 जिलों में से प्रत्येक में एक खेल की पहचान की जाएगी। जिलेवार खेल-विशिष्ट प्रतिभाओं को ढूंढ़कर उन्हें तराशने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

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ODOS के तहत, यूपी के 75 जिलों में से प्रत्येक में एक खेल की पहचान की जाएगी और जिलेवार खेल-विशिष्ट प्रतिभाओं को खोजने और उनके कौशल को जिला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इन सभी जिलों के खेलो इंडिया सेंटर में इन खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने का काम कुशल प्रशिक्षकों की देखरेख में जारी है।

 

ओडीओएस कार्यक्रम एक नजर में

 

  • एथलेटिक्स – मैनपुरी, फिरोजाबाद, जौनपुर, भदोही, सम्भल, सीतापुर, कासगंज, उन्नाव, अयोध्या, कौशाम्बी, एटा, अमेठी, रामपुर, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, चित्रकूट, बस्ती, हमीरपुर, हापुड़, मेरठ, गाजीपुर, शामली, बलिया और मुजफ्फरनगर.
  • हॉकी – प्रतापगढ़, मऊ, बरेली,लखनऊ. रायबरेली, हरदोई, फरुर्खाबाद, मुरादाबाद. बलरामपुर, इटावा और गाजियाबाद
  • टेबिल टेनिस – आगरा, कानपुर
  • बैडमिंटन – अलीगढ़ और गौतमबुद्ध नगर
  • भारोत्तोलन – मिजार्पुर और बिजनौर
  • बॉक्सिंग – बुलन्दशहर और कुशीनगर
  • तीरंदाजी – सोनभद्र और ललितपुर
  • फुटबॉल – हाथरस
  • तैराकी – पीलीभीत
  • शूटिंग – बांदा
  • कबड्डी – कन्नौज
  • लॉन टेनिस – प्रयागराज

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लोंगेवाला युद्ध की 51वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजस्थान में पराक्रम दिवस मनाया गया

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1971 के युद्ध के दौरान लोंगेवाला युद्ध में भारत की जीत की 51वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए 5 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर सैन्य स्टेशन और लोंगेवाला युद्ध स्मारक में पराक्रम दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सगत सिंह स्टेडियम में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें एक बैंड डिस्प्ले, डेयरडेविल्स मोटरसाइकिल स्टंट, मिश्रित मार्शल आर्ट, मल्लखंब, शो जंपिंग, संगीत प्रदर्शन, पैराशूट फ्री फॉल आदि शामिल था।

 

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भारत और पाकिस्तान के बीच लोंगेवाला का युद्ध

  • भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लोंगेवाला का युद्ध सबसे बड़ी और सबसे निर्णायक लड़ाइयों में से एक थी।
  • 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 3 दिसंबर को शुरू हुआ था, जिसमें भारतीय सेना का मुख्य जोर पूर्वी पाकिस्तान (तत्कालीन बांग्लादेश) पर केंद्रित था।
  • लड़ाई 120 भारतीय सैनिकों और 4 हॉकर विमानों और लगभग 2000 से 3000 पाकिस्तानी सैन्य बलों और 30-40 टैंकों के बीच लड़ी गई थी।
  • यह युद्ध भारत की थर्मोपाइले की लड़ाई के रूप में प्रसिद्ध है, जो एक बहुत बड़े सैन्य बल के खिलाफ एक छोटी सेना की जीत का वर्णन करती है।
  • इस युद्ध ने पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया, जहां लगभग 200 सैनिक मारे गए।
  • पाकिस्तानी कमांडरों ने कई संदिग्ध निर्णय लिए जिससे उन्हें युद्ध में आत्मसमर्पण करना पड़ा और लड़ाई हारनी पड़ी।
  • लोंगेवाला की लड़ाई में राजस्थान का थार रेगिस्तान भारतीय सशस्त्र बलों और पाकिस्तानी सेना के बीच युद्ध का मैदान बन गया था।
  • लोंगेवाला की लड़ाई 3 दिसंबर को भड़की थी और 4 से 7 दिसंबर 1971 के बीच लड़ी गई।

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सिटी ऑफ जॉय के लेखक डॉमिनिक लैपिएर का 91 वर्ष में निधन

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भारत पर आधारित “फ्रीडम एट मिडनाइट” और “सिटी ऑफ़ जॉय” जैसे प्रसिद्ध पुस्तकों के सह लेखक डॉमिनिक लैपिएरे का 04 दिसंबर 2022 को निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। दरअसल डोमिनिक लैपिएरे अपनी ‘रॉयल्टी’ दान देकर इस संस्थान की मदद कर रहे थे।

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फ्रांसीसी लेखक डोमिनिक लैपिएरे (Dominique Lapierre) को भारत सरकार ने साल 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। लैपिएरे का जन्म 30 जुलाई 1931 में फ्रांस के चैटेलैलॉन में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर पत्रकार की थी। डोमिनिक लैपिएरे ने उपन्यास ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ लिखा था, जिसको लेकर काफी सराहना मिली थी। इसके साथ ही ‘इज़ पेरिस बर्निग?’, ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ उपन्यास के लिए भी उन्हें काफी तारीफ मिली।

 

लैपिएरे को कोलकाता के वंचित पर वर्ग पर लिखे उनके उपन्यास ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ के लिए काफी सराहना मिली। इस पर साल 1992 में एक फिल्म भी बनाई गई। लैपिएरे ने अपने उपन्यास की सफलता के बाद कोलकाता में कई मानवीय कार्यक्रमों का समर्थन किया, जिसमें पोलियो से प्रभावित बच्चों के लिए आश्रय केंद्र, स्कूल, गैर सरकारी संगठन और पुनर्वास कार्यशालाएं शामिल हैं। आशा भवन सेंटर भी इनमें से एक है।

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लद्दाख में जल्द ही भारत का पहला डार्क नाइट स्काई रिजर्व होगा

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लद्दाख चांगथांग क्षेत्र के हनले गांव में भारत का पहला डार्क नाइट स्काई रिजर्व बनाने के लिए तैयार है। हैनली में लगभग अठारह स्थानों पर तारों को देखने के लिए शक्तिशाली दूरबीनें स्थापित की जाएंगी।

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इस विकास के बारे में अधिक:

 

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन ने हैनले गांव के प्रशिक्षित युवाओं को अठारह टेलीस्कोप बांटे हैं।

 

जगह के बारे में:

 

4,500 मीटर की ऊंचाई पर, हैनली भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान द्वारा 2001 में स्थापित दुनिया के दूसरे सबसे ऊंचे ऑप्टिकल टेलीस्कोप का घर है।

 

इसकी क्षमता के बारे में:

 

हेनले की अपनी पहली यात्रा पर, लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर क्षेत्र में एस्ट्रो पर्यटन के लिए अद्वितीय क्षमता से आश्वस्त थे।

 

अन्य योजना के बारे में:

 

यूटी प्रशासन इस क्षेत्र में मोबाइल और स्थिर तारामंडल की भी योजना बना रहा है। हेनले के तीन गांवों के 24 युवाओं को भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान द्वारा इंजीनियरिंग प्रमुख दोर्जे अंगचुक के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्रदान किया गया। पुंगुक गांव में एक बड़े टेलीस्कोप सहित दूरबीनों की स्थापना के लिए स्थानों की पहचान की गई है।

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भारत 100 अरब डॉलर की प्रेषण प्राप्त करने वाला दुनिया का पहला देश

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विश्व बैंक की रिपोर्ट “माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ’ के अनुसार, भारत को 2022 में प्रेषण (रेमिटेंस ) के रूप में 2021 की तुलना में 12% की वृद्धि के साथ 100 बिलियन डॉलर प्राप्त होने की उम्मीद है। 2021 में भारत को प्रेषण में 89.4 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए थे। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसे विदेशों में प्रवासी कामगारों से 100 अरब डॉलर का प्रेषण प्राप्त हुआ है।

 

प्रेषण का अर्थ है धन का हस्तांतरण। प्रेषण दो प्रकार के होते हैं, आवक और बहिर्गामी। यदि कोई व्यक्ति विदेश से भारत में पैसा भेजता है तो यह आवक प्रेषण है। यदि भारत का कोई व्यक्ति विदेश में किसी व्यक्ति को पैसा भेजता है तो इसे बहिर्गामी प्रेषण कहा जाता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट आवक प्रेषण के बारे में बात करती है। इस प्रकार यहां प्रेषण का अर्थ है वह धन जो देश के बाहर कार्यरत अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) द्वारा भारतीयों को भारत में रहने वाले अपने परिवार, दोस्तों या रिश्तेदारों को हस्तांतरित किया गया है।

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मुख्य बिंदु

 

  • विश्व बैंक के अनुसार भारत को भेजी जाने वाली रकम के पैटर्नऔर भारतीय प्रवासियों के गंतव्य में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।
  • पहले भारत के प्रवासी कम कौशल वाले वाले मजदूर होते थे और वे मुख्यतः 5 जीसीसी देशों (सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और कतर) में जाते थे जहाँ मजदूरी ज्यादा नहीं था। इस कारण वे भारत कम पैसा भेज पाते थे ।
  • अब भारत से अधिकतर प्रवासी भारतीय संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में पलायन कर रहे हैं और जो अत्यधिक कुशल मजदूर हैं ।
  • आरबीआई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए विश्व बैंक का कहना है कि “2016-17 और 2020-21 के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर से प्रेषण का हिस्सा 26 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत से अधिक हो गया है ।
  • इसी समय अवधि में 5 जीसीसी देशों (सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और कतर) की हिस्सेदारी 54 से घटकर 28 प्रतिशत हो गई।
  • भारत के लगभग 20 प्रतिशत प्रवासी संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में रहते हैं।

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“जे सी बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक” पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया

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केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने महान भारतीय वैज्ञानिक आचार्य जगदीश चंद्र बोस की 164वीं जयंती के अवसर पर 3 दिसंबर 2022 को इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर, नई दिल्ली में “जे सी बोस: एक सत्याग्रही वैज्ञानिक के योगदान पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन” का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्देश्य आचार्य जगदीश चंद्र बोस के योगदान को स्वीकार करना और लोकप्रिय बनाना था।

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जगदीश चंद्र बोस: एक नजर में

जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवंबर 1858 को मैमनसिंह (बांग्लादेश) में हुआ था और उनकी मृत्यु 23 नवंबर 1937 को झारखंड के गिरिडीह में हुई थी। वह एक प्लांट फिजियोलॉजिस्ट और भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया था, जो पौधों की वृद्धि को मापने के लिए एक उपकरण है। उन्होंने पहली बार यह प्रदर्शित किया कि पौधों में भावनाएँ होती हैं।

 

उन्होंने बेतार संचार की खोज की और इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा उन्हें रेडियो विज्ञान का जनक नामित किया गया। उनके सम्मान में चंद्रमा पर एक गड्ढे का नाम रखा गया है। उन्होंने 1917 में कोलकाता में बोस इंस्टीट्यूट की स्थापना की जो एशिया का पहला अंतःविषय अनुसंधान केंद्र है।

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Bharat Bond ETF की चौथी किस्त हुई लॉन्‍च

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भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) की चौथी किस्त 2 दिसंबर को जारी की गई है। आपके पास 2 दिसंबर से 8 दिसंबर तक इसमें निवेश का मौका है। भारत बॉन्ड ईटीएफ एडलवाइस म्यूचुअल फंड (Edelweiss Mutual Fund) द्वारा मैनेज किया जाता है। ये बॉन्ड ऐसी सरकारी कंपनियों में निवेश करता है, जिन्हें AAA की रेटिंग हासिल है। ये स्कीम समयसीमा के साथ बंधी होती है, यानी स्कीम एक तय समय के बाद मैच्योर हो जाएगी और आपका पैसा मिल जाएगा। बॉन्ड के इस किस्त की मैच्योरिटी अप्रैल 2033 में होगी।

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पिछले तीन किस्तों में भारत बॉन्ड के निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिला है। यही वजह है कि निवेशक इसके खुलने का इंतजार करते हैं। साल 2019 में सबसे पहले ईटीएफ बॉन्ड को लॉन्च किया गया था। जिसमें 12400 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। दूसरी किस्त जुलाई 2020 में जारी की गई थी, जिसमें तीन गुना से अधिक का सब्सक्रिप्शन मिला था। इसमें 11000 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।

 

तीसरा किस्त, पिछले साल दिसंबर में सरकार ने पेश किया था, जिसमें 6200 करोड़ रुपये जुटाए थे। पिछले तीन किस्तों से इस बॉन्ड से 29600 करोड़ रुपये जुटाए जा गए हैं। अब बॉन्ड का चौथा किस्त पेश किया गया है। इस सरकार में 1000 करोड़ रुपये के बेस के साथ 4000 करोड़ रुपये के ग्रीन शो ऑप्शन के जरिए पैसे जुटाए जा रहे हैं। भारत बॉन्ड आपका पैसा एक फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में इंवेस्ट करता है।

 

 

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ईटीएफ के जरिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम को 15 फीसदी सरप्लस फंड इक्विटी में निवेश करने की अनुमति

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भारत सरकार ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) को एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) के माध्यम से अपने अधिशेष फंड के 15 प्रतिशत तक इक्विटी में निवेश करने की अनुमति दी है। 04 दिसंबर 2022 को नई दिल्ली में निगम के मुख्यालय में केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में कर्मचारी राज्य बीमा निगम की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

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श्रम मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि अधिशेष धन को इक्विटी में निवेश करने का निर्णय ऋण उपकरणों पर कम रिटर्न और निगम के पोर्टफोलियो में विविधता लाने की आवश्यकता के कारण लिया गया था। प्रारंभिक निवेश 5% से शुरू होगा और दो तिमाहियों की समीक्षा के बाद धीरे-धीरे 15% तक बढ़ जाएगा। निवेश एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स यानी निफ्टी50 और सेंसेक्स तक सीमित रहेगा। इसका प्रबंधन एएमसी के फंड मैनेजरों द्वारा किया जाएगा।

 

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि अस्पतालों और डिस्पेंसरियों के बुनियादी ढांचे को चरणबद्ध तरीके से मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए ‘निर्माण से शक्ति’ पहल शुरू की गई है। कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) योजना दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक है जो केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के अंतर्गत आती है।

 

ईएसआईसी की स्थापना 1952 में ईएसआई अधिनियम 1948 के तहत की गई थी। इस योजना के तहत बीमित कर्मचारियों और उनके आश्रितों को चिकित्सा लाभ प्रदान किया जाताहै। इसमें चिकित्सा खर्च की कोई सीमा नहीं होती है।

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भारत, जर्मनी ने प्रवासन और गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर किए

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विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के बीच नई दिल्ली में बैठक हुई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और कई महत्वपूर्ण क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर अपने विचारों का आदान प्रदान किया। दोनों देशों ने प्रवासन और गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे के देश में अध्ययन, अनुसंधान और काम करने के लिए आसान पहुंच की सुविधा मिल सकेगी।

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डॉ. एस जयशंकर ने बैठक के बाद संयुक्त सम्मेलन में कहा कि दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन, यूक्रेन में संघर्ष, हिंद-प्रशांत रणनीतिक स्थिति और अफगानिस्तान, ईरान तथा सीरिया के हालात पर चर्चा की। उन्होंने बताया दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार सहित विभिन्न बहुपक्षीय सुधारों पर चर्चा की। जयशंकर ने हिंद-प्रशांत महासागर पहल में शामिल होने के जर्मनी के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अधिक विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने और मौजूदा चुनौतीपूर्ण स्थिति में वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करने पर भी चर्चा की। बर्लिन स्थित जर्मनी के संघीय कार्यालय के अनुसार बेयरबॉक के पहले भारत दौरे पर तेल, कोयला और गैस से इतर ईंधन के लेन-देन के सहयोग पर चर्चा हुई।

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श्रीलंका में दूध उत्पादन बढ़ाने हेतु तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे एनडीडीबी, अमूल

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भारत की ओर से श्रीलंका को डेयरी उद्योग और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। इससे नकदी की कमी से जूझ रहे इस देश की आयातित दुग्ध उत्पादों पर निर्भरता को कम किया जा सके। श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय ने यह जानकारी दी। श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ ने एक बयान में कहा कि अमूल ब्रांड के तहत दूध का विपणन करने वाले राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के अधिकारियों ने श्रीलंका में दूध के उत्पादन के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं।

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बयान में कहा गया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने एनडीडीबी की टीम के साथ काम करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से मिलाकर एक समिति नियुक्त की है ताकि आयातित दूध पाउडर पर निर्भरता को कम करने के मकसद से देश में स्थानीय दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एक लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार की जा सके। श्रीलंका सरकार के इस कदम का उद्देश्य ऐसे समय में लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना भी है जब देश में बच्चों में कुपोषण के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है।

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