भारत ने स्विट्जरलैंड को हराकर 2026 डेविस कप के लिए क्वालीफाई किया

भारत ने टेनिस इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है, जब उसने स्विट्ज़रलैंड (नौवीं वरीयता प्राप्त टीम) को डेविस कप 2025 वर्ल्ड ग्रुप I टाई में 3–1 से हराया। यह मुकाबला स्विस टेनिस एरीना, बिएल में खेला गया। इस जीत से भारत ने न केवल डेविस कप 2026 क्वालिफ़ायर में जगह बनाई, बल्कि यूरोपीय देश के खिलाफ़ यूरोप में 32 साल बाद पहली जीत दर्ज की।

सुमित नागल ने दिलाई निर्णायक जीत

भारत के शीर्ष एकल खिलाड़ी सुमित नागल ने रिवर्स सिंगल्स मैच में हेनरी बर्नेट को सीधे सेटों में 6–1, 6–3 से हराकर भारत की जीत पक्की की। दबाव में उनका संतुलित और आक्रामक खेल भारतीय टीम के आत्मविश्वास को दर्शाता है।

टीम पहले ही एकल और युगल मुकाबलों में मजबूत स्थिति बना चुकी थी और नागल की जीत ने कुल 3–1 के स्कोर के साथ टाई भारत के नाम कर दी।

यूरोप की धरती पर ऐतिहासिक जीत

  • यह जीत भारत की 1993 के बाद पहली यूरोपीय देश के खिलाफ़ यूरोप में डेविस कप जीत है।

  • 1993 में अंतिम बार भारत ने लेअंडर पेस और रमेश कृष्णन की अगुवाई में फ्रांस को 3–2 से हराया था।

  • तीन दशक बाद यह जीत भारतीय टेनिस की नई प्रतिस्पर्धात्मकता और अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती का संकेत है।

डेविस कप प्रारूप और भारत का सफर

  • डेविस कप दुनिया की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय टीम टेनिस प्रतियोगिता है।

  • 2019 में इसमें नए वर्ल्ड ग्रुप चरण और क्वालिफिकेशन दौर जोड़े गए।

  • भारत ने 2019 के बाद से अब तक कोई वर्ल्ड ग्रुप I टाई नहीं जीता था।

  • भारत अब तक तीन बार डेविस कप फाइनल में पहुँचा है:

    • 1966

    • 1974 (फ़ाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ बहिष्कार)

    • 1987

आगे का रास्ता

  • भारत अब 2026 डेविस कप क्वालिफ़ायर में अन्य 12 वर्ल्ड ग्रुप I विजेताओं के साथ खेलेगा।

  • हारी हुई टीमें (जिनमें स्विट्ज़रलैंड भी शामिल है) 2026 वर्ल्ड ग्रुप I प्ले-ऑफ़्स खेलेंगी।

  • भारत का अगला लक्ष्य डेविस कप फ़ाइनल्स के लिए क्वालिफ़ाई करना होगा, जहाँ दुनिया की शीर्ष 16 राष्ट्रीय टीमें खिताब के लिए मुकाबला करती हैं।

मुख्य बिंदु

  • इवेंट: डेविस कप 2025, वर्ल्ड ग्रुप I टाई

  • परिणाम: भारत ने स्विट्ज़रलैंड को 3–1 से हराया (बिएल में)

  • निर्णायक मैच: सुमित नागल ने हेनरी बर्नेट को 6–1, 6–3 से हराया

  • ऐतिहासिक उपलब्धि: 1993 के बाद पहली बार यूरोप में जीत (फ्रांस के खिलाफ़)

  • भारत की पिछली डेविस कप फ़ाइनल उपस्थिति: 1966, 1974 (बहिष्कार), 1987

  • 2026 दृष्टिकोण: भारत क्वालिफ़ायर में पहुँचा, स्विट्ज़रलैंड प्ले-ऑफ़्स में गया

रबी अभियान 2025 सम्मेलन नई दिल्ली में शुरू हुआ

भारत की आगामी रबी फसल सीज़न (2025–26) के लिए कृषि रोडमैप राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2025 में तय किया जा रहा है। यह सम्मेलन सोमवार, 15 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में शुरू हुआ। दो दिवसीय इस आयोजन की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं। यह कार्यक्रम विकसित कृषि संकल्प अभियान (चरण–2) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य तकनीक, नीतिगत सुधार और किसान-केंद्रित रणनीतियों के माध्यम से भारतीय कृषि का आधुनिकीकरण करना है।

सम्मेलन का मुख्य फोकस

इस सम्मेलन में एक राष्ट्रीय गठबंधन शामिल हुआ है, जिसमें—

  • कृषि वैज्ञानिक और शोधकर्ता

  • नीति निर्माता और प्रशासक

  • राज्य कृषि विभाग के अधिकारी

  • विस्तार कार्यकर्ता और किसान प्रतिनिधि

ये सभी मिलकर रबी फसलों की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, क्षेत्रवार योजनाएँ बनाएँगे और बदलते कृषि-जलवायु हालातों से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रणनीति तैयार करेंगे।

रबी अभियान 2025 के उद्देश्य

  • गेहूँ, जौ, सरसों, चना और मसूर जैसी प्रमुख रबी फसलों के लिए कार्य योजना बनाना।

  • जलवायु-लचीली और जल-संरक्षणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।

  • उर्वरक, सिंचाई और बीज में दक्षता लाना।

  • किसान सलाह प्रणाली और डिजिटल आउटरीच को मजबूत करना।

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा लक्ष्यों के अनुरूप कृषि योजनाओं को लागू करना।

इस अभियान का लक्ष्य अधिक पैदावार, सतत संसाधन प्रबंधन और किसानों की आय में वृद्धि करना है, ताकि विकसित भारत के दीर्घकालिक विज़न को साकार किया जा सके।

विकसित कृषि संकल्प अभियान – चरण 2

इस चरण के अंतर्गत—

  • राज्य और जिला स्तर पर कृषि योजना को बेहतर बनाया जाएगा।

  • सफल कृषि पद्धतियों को बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा।

  • तकनीक और नवाचार को खेतों तक पहुँचाया जाएगा।

  • कृषि-इनपुट्स और लॉजिस्टिक्स में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा।

रबी 2025–26 पर ध्यान केंद्रित करके यह चरण खरीफ सीज़न में हासिल सफलताओं को मजबूत करेगा और जलवायु परिवर्तन तथा बाज़ार-आधारित खेती के लिए बेहतर तैयारी सुनिश्चित करेगा।

मुख्य बिंदु

  • कार्यक्रम: राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2025

  • तिथि: 15–16 सितंबर 2025

  • स्थान: नई दिल्ली

  • अध्यक्षता: शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि मंत्री

  • संबंधित अभियान: विकसित कृषि संकल्प अभियान (चरण–2)

अगस्त में भारत की थोक कीमतें 0.52% तक बढ़ीं

भारत की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त 2025 में सकारात्मक हो गई और वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 0.52% तक पहुँच गई। यह पिछले वर्ष के इसी महीने (अगस्त 2024) में दर्ज -0.58% से एक उल्लेखनीय सुधार है। वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, इस वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य उत्पादों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और विनिर्मित धातुओं की कीमतों में बढ़ोतरी है।

डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति

  • वर्तमान दर (अगस्त 2025): 0.52%

  • पिछला वर्ष (अगस्त 2024): -0.58%

  • बाज़ार अनुमान: रॉयटर्स सर्वेक्षण में 0.30% का अनुमान था।

यह सकारात्मक दर कई महीनों की सुस्त या नकारात्मक मुद्रास्फीति के बाद थोक कीमतों में ऊपर की ओर गति का संकेत देती है।

वृद्धि में योगदान देने वाले कारक

  • खाद्य उत्पाद: खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई के -2.15% से बढ़कर अगस्त में 0.21% हो गई।

  • खनिज तेल एवं कच्चा पेट्रोलियम: कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में थोक मुद्रास्फीति -9.87% रही, जबकि पिछले वर्ष अगस्त 2024 में यह 1.77% थी।

  • विनिर्मित उत्पाद: कीमतें 2.55% बढ़ीं, जबकि पिछले महीने (जुलाई) में इनमें 2.05% की गिरावट आई थी।

  • अन्य श्रेणियाँ: गैर-खाद्य लेख, गैर-धात्विक खनिज उत्पाद और परिवहन उपकरणों ने भी सकारात्मक योगदान दिया।

प्रमुख क्षेत्रों का प्रदर्शन

  • प्राथमिक लेख (Primary Articles): मुद्रास्फीति जुलाई के -4.95% से सुधरकर अगस्त में -2.10% रही।

  • ईंधन और ऊर्जा (Fuel & Power): अगस्त में कीमतें -3.17% गिरीं, जबकि जुलाई में -2.43% की गिरावट दर्ज हुई थी।

  • खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation): जुलाई के 1.55% से बढ़कर अगस्त में 2.07% रही।

भारत 2027 में 5वें तटरक्षक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा

भारत वर्ष 2027 में चेन्नई में 5वें कोस्ट गार्ड ग्लोबल समिट (CGGS) की मेज़बानी करेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुद्री सहयोग में उसका नेतृत्व और सशक्त होगा। इस संबंध में घोषणा 11–12 सितम्बर 2025 को इटली की राजधानी रोम में आयोजित 4वें CGGS के दौरान हुई, जहाँ 115 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भारत के प्रस्ताव का सर्वसम्मति से समर्थन किया। वर्ष 2027 का यह शिखर सम्मेलन भारतीय तटरक्षक बल (ICG) की स्वर्ण जयंती समारोह के साथ आयोजित होगा, जिससे यह आयोजन राष्ट्रीय महत्व के साथ-साथ वैश्विक दृष्टि से भी अत्यंत प्रासंगिक बन जाएगा।

कोस्ट गार्ड ग्लोबल समिट (CGGS) क्या है?

CGGS एक अंतरराष्ट्रीय मंच है, जो दुनिया भर के तटरक्षक बलों, समुद्री सुरक्षा एजेंसियों और संबंधित संस्थाओं को एक साथ लाता है। इसका उद्देश्य है:

  • उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करना

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना

  • परस्पर कार्यसक्षमता (interoperability) और सूचना आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना

  • खोज एवं बचाव (SAR), समुद्री पर्यावरण संरक्षण और समुद्र में कानून प्रवर्तन को मजबूत करना

आज के समय में जब समुद्री अपराध, समुद्री डकैती और जलवायु संबंधी खतरे बढ़ रहे हैं, CGGS वैश्विक रणनीतियाँ बनाने का महत्वपूर्ण मंच है।

CGGS 2027 की मुख्य झलकियाँ

1. मेज़बान शहर – चेन्नई
भारत 2027 में 5वाँ CGGS तीन दिनों तक चेन्नई में आयोजित करेगा। यह शहर भारतीय तटरक्षक बल के पूर्वी क्षेत्रीय मुख्यालय और कई नौसैनिक ठिकानों का केंद्र है।

2. भारतीय तटरक्षक बल की स्वर्ण जयंती
1977 में स्थापित भारतीय तटरक्षक बल 2027 में 50 वर्ष पूरे करेगा। इस अवसर पर आयोजित CGGS भारत की यात्रा को प्रदर्शित करेगा, जिसमें यह एक छोटे तटीय बल से दुनिया की अग्रणी समुद्री एजेंसियों में से एक बना।

3. विशेष कार्यक्रम

  • अंतरराष्ट्रीय कोस्ट गार्ड फ्लीट रिव्यू – विभिन्न देशों के तटरक्षक जहाज़ों की समुद्र पर परेड, जो समुद्री एकता का प्रतीक होगी।

  • विश्व कोस्ट गार्ड संगोष्ठी – उच्चस्तरीय सम्मेलन, जिसमें समुद्री मुद्दों, नवाचार और सहयोग पर चर्चा होगी।

4वें CGGS (रोम 2025) में भारत की भूमिका

रोम सम्मेलन में भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक (DG) परमेेश शिवमणि ने कहा कि कोई भी देश अकेले सभी समुद्री चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता। उन्होंने जोर दिया:

  • वैश्विक तटरक्षक बलों के बीच विश्वास और परस्पर कार्यसक्षमता की आवश्यकता है।

  • संवाद और सहयोग के लिए समावेशी मंच चाहिए।

  • सामूहिक समुद्री क्षेत्र जागरूकता (Maritime Domain Awareness) ज़रूरी है।

भारत ने इस सम्मेलन में इटली से CGGS अध्यक्षता भी ग्रहण की और जापान को CGGS सचिवालय की भूमिका निभाने के लिए सराहा।

भारत–इटली द्विपक्षीय सहयोग

सम्मेलन के दौरान DG ICG ने इटली के तटरक्षक बल प्रमुख से मुलाकात की। चर्चा भारत–इटली संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025–2029 के रक्षा सहयोग प्रावधानों के अंतर्गत हुई। मुख्य बिंदु थे:

  • समुद्री खोज एवं बचाव (M-SAR)

  • समुद्री प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण

  • अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों से निपटना

  • प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग

  • समुद्री सूचना और श्रेष्ठ अभ्यासों का आदान-प्रदान

रणनीतिक महत्व

समुद्री सुरक्षा में नेतृत्व
CGGS 2027 की मेज़बानी भारत की वैश्विक समुद्री सुरक्षा और सुरक्षित समुद्री व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

क्षेत्रीय सहयोग
भारत पहले से ही IORA, QUAD और IONS जैसी पहल में सक्रिय भूमिका निभाता है। CGGS इन प्रयासों को पूरक बनाता है।

रक्षा कूटनीति को बढ़ावा
यह आयोजन भारत की समुद्री कूटनीति और सॉफ्ट पावर को मज़बूती देगा और वैश्विक मानक तय करने का अवसर प्रदान करेगा।

मुख्य तथ्य संक्षेप में

  • भारत 2027 में चेन्नई में 5वाँ CGGS आयोजित करेगा।

  • यह घोषणा 11–12 सितम्बर 2025 को रोम (इटली) में हुई।

  • इसमें 115 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

  • आयोजन भारतीय तटरक्षक बल की 50वीं वर्षगांठ के साथ होगा।

  • इसमें अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू और विश्व संगोष्ठी का आयोजन होगा।

  • भारत ने CGGS की अध्यक्षता इटली से संभाली।

नौसेना को मिला दूसरा पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत ‘अंद्रोथ’

भारतीय नौसेना को दूसरा पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत ‘अंद्रोथ’ मिल गया है। रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक उपक्रम कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड ने  पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत ‘अंद्रोथ’ भारतीय नौसेना को सौंपा दिया है। पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत ‘अंद्रोथ’  मिलने के बाद नौसेना की शक्ति काफी इजाफा होगा।

इस पोत का नाम लक्षद्वीप द्वीपसमूह के अंद्रोथ द्वीप पर रखा गया है। यह इस शृंखला का दूसरा पोत है। इससे पहले 8 मई को पहला पोत ‘अर्नाला’ नौसेना को सौंपा गया था। जिसे 18 जून को नौसेना में शामिल कर लिया गया। जीआरएसई के अधिकारी ने बताया कि इस श्रेणी के पोत पर स्वदेशी 30 मिमी नेवल सरफेस गन (एनएसजी) लगाई गई है। जिसे खुद जीआरएसई ने ही तैयार किया है।

भारत को ASW SWC की आवश्यकता क्यों?

भारत की लंबी समुद्री तटरेखा और कई सामरिक द्वीप हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में पनडुब्बी गतिविधियों की बढ़ोतरी को देखते हुए, पुराने अभय-श्रेणी (Abhay-class) कॉर्वेट्स को बदलने के लिए यह परियोजना शुरू की गई।
ASW SWC का उद्देश्य है —

  • तटीय (लिटोरल) क्षेत्रों में पनडुब्बियों का पता लगाना व नष्ट करना

  • माइंस बिछाने के अभियान

  • तटीय निगरानी (Coastal Surveillance)

  • नौसैनिक ठिकानों व बंदरगाहों की सुरक्षा

रक्षा मंत्रालय ने कुल 16 ASW SWC निर्माण को मंजूरी दी है — 8 GRSE द्वारा और 8 कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा। ‘अंद्रोथ’ इस परियोजना का दूसरा जहाज है, पहले जहाज ‘अर्नाला’ की सुपुर्दगी पहले हो चुकी है।

‘अंद्रोथ’ की विशेषताएँ और क्षमताएँ

स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण
यह पूरी तरह से भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) के वर्गीकरण नियमों के तहत स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किया गया है और इसमें 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है। यह सरकार की आत्मनिर्भर भारत नीति के अनुरूप है।

तकनीकी विवरण

  • लंबाई: लगभग 77 मीटर

  • गहराई (ड्राफ्ट): लगभग 2.7 मीटर (उथले जल संचालन के लिए उपयुक्त)

  • विस्थापन (Displacement): लगभग 900 टन

  • प्रणोदन (Propulsion): डीज़ल इंजन और वॉटरजेट संयोजन

  • रेंज: लगभग 1800 समुद्री मील

वॉटरजेट प्रणोदन पारंपरिक प्रोपेलरों की तुलना में अधिक मैन्युवरेबिलिटी (संचालन क्षमता) प्रदान करता है, जो तटीय और संकीर्ण क्षेत्रों में संचालन के लिए आवश्यक है।

हथियार और सेंसर

  • हल्के टॉरपीडो

  • स्वदेशी एंटी-सबमरीन रॉकेट

  • 30 मिमी नौसैनिक तोप और 12.7 मिमी गन

  • उन्नत शैलो वाटर सोनार

  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम

ये सभी हथियार और उपकरण जहाज को तटीय क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से पनडुब्बी शिकार (Submarine Hunting) करने की क्षमता देते हैं।

नाम का महत्व

‘अंद्रोथ’ नाम लक्षद्वीप द्वीपसमूह के सबसे बड़े द्वीप — अंद्रोट द्वीप से लिया गया है। यह रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है। इस नाम से यह संदेश जाता है कि भारत अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा और द्वीप क्षेत्रों की निगरानी के लिए दृढ़संकल्प है।

सामरिक महत्त्व

समुद्री सुरक्षा में बढ़ोतरी
‘अंद्रोथ’ जैसे ASW SWC नौसेना को तटीय उथले क्षेत्रों में अधिक प्रभावी बनाते हैं, जहाँ बड़े युद्धपोत आसानी से संचालन नहीं कर सकते। ये जहाज —

  • नौसैनिक ठिकानों और बंदरगाहों के पास पानी के नीचे खतरों को रोकते हैं

  • व्यापारिक जहाज़ों के मार्ग सुरक्षित करते हैं

  • द्वीप क्षेत्रों की गश्त में मदद करते हैं

आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र
80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ बने ‘अंद्रोथ’ से भारत की बढ़ती रक्षा विनिर्माण क्षमता झलकती है। यह आयात पर निर्भरता घटाता है और देश में रोज़गार व तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा देता है।

संचालन एकीकरण 
ये जहाज नौसेना के अन्य साधनों — जैसे समुद्री गश्ती विमान, पनडुब्बियाँ और ड्रोन — के साथ मिलकर बहु-स्तरीय (multi-layered) समुद्री सुरक्षा ढांचा तैयार करेंगे।

चुनौतियाँ और विचारणीय पहलू

  • प्रशिक्षण: नए प्लेटफॉर्म पर निरंतर प्रशिक्षण की आवश्यकता।

  • रखरखाव: वॉटरजेट प्रणोदन और उन्नत सोनार सिस्टम के लिए मज़बूत ढाँचे की ज़रूरत।

  • समय पर सुपुर्दगी: सभी 16 जहाज समय पर मिलने चाहिए, तभी ऑपरेशनल तैयारियाँ पूरी होंगी।

मुख्य बिंदु

  • ‘अंद्रोथ’ GRSE द्वारा बनाए जा रहे 8 जहाजों में दूसरा ASW SWC है।

  • 13 सितम्बर 2025 को कोलकाता में भारतीय नौसेना को सौंपा गया।

  • इसमें वॉटरजेट प्रणोदन, टॉरपीडो, ASW रॉकेट और उन्नत सोनार लगे हैं।

  • नाम लक्षद्वीप के अंद्रोट द्वीप पर आधारित है।

  • 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री — आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा।

भारत और नॉर्वे के बीच पहली समुद्री सुरक्षा वार्ता

भारत और नॉर्वे ने 13 सितम्बर 2025 को ओस्लो में अपना पहला समुद्री सुरक्षा, निशस्त्रीकरण और अप्रसार संवाद आयोजित किया, जो दोनों देशों की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह संवाद समुद्री स्थिरता को बढ़ावा देने, अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को बनाए रखने और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मुख्य चर्चा क्षेत्र

निशस्त्रीकरण और अप्रसार

  • परमाणु और पारंपरिक हथियार नियंत्रण सहित वैश्विक निशस्त्रीकरण प्रयासों पर विचार-विमर्श

  • अप्रसार संधि (NPT) और रासायनिक हथियार संधि (CWC) जैसे बहुपक्षीय ढाँचों पर चर्चा

  • भू-राजनीतिक तनावों के बीच अप्रसार मानदंडों को बनाए रखने की प्रतिबद्धता

समुद्री सुरक्षा और कानून

  • अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र समुद्र क़ानून सम्मेलन (UNCLOS) पर आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने पर जोर

  • सतत आर्थिक विकास के लिए सुरक्षित समुद्री वातावरण पर ध्यान

  • नौवहन की स्वतंत्रता, व्यापार मार्गों और सुरक्षित समुद्री प्रथाओं पर चर्चा

सहयोग: समुद्री अवसंरचना और अवैध गतिविधियाँ

  • तस्करी, समुद्री डकैती और अवैध व्यापार को रोकने में सहयोग बढ़ाना

  • बंदरगाहों, अंडरसी केबल्स और शिपिंग लेन्स जैसी महत्वपूर्ण समुद्री अवसंरचना की सुरक्षा

  • समुद्री निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी तंत्र को समर्थन देना

  • क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग पर आपसी रुचि व्यक्त की गई

रणनीतिक महत्व

भारत के लिए
यह संवाद भारत की व्यापक समुद्री रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मुक्त, खुला और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक सुनिश्चित करना है। साथ ही, यह आर्कटिक और नॉर्थ अटलांटिक देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। नॉर्वे, एक प्रमुख समुद्री शक्ति और नाटो सदस्य होने के नाते, यूरोपीय सुरक्षा ढाँचों तक भारत के लिए रणनीतिक पुल का कार्य करता है।

नॉर्वे के लिए
भारत जैसे इंडो-पैसिफिक राष्ट्र के साथ जुड़कर नॉर्वे अपनी सुरक्षा साझेदारी को यूरोप से बाहर भी विस्तारित कर रहा है। वैश्विक होते समुद्री खतरों के बीच नॉर्वे विश्वसनीय भागीदारों के साथ समुद्री निगरानी और सुरक्षा सहयोग चाहता है।

मुख्य निष्कर्ष

  • संवाद: 13 सितम्बर 2025, ओस्लो (नॉर्वे)

  • विषय: निशस्त्रीकरण, अप्रसार और समुद्री सुरक्षा

  • अंतरराष्ट्रीय समुद्री क़ानून और अवसंरचना संरक्षण पर जोर

  • अवैध समुद्री गतिविधियों के खिलाफ सहयोग पर सहमति

  • अगला दौर नई दिल्ली में आयोजित होगा

ओम बिरला ने तिरुपति में महिला सशक्तिकरण सम्मेलन का उद्घाटन किया

भारत में शासन में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 14 सितम्बर 2025 को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में महिलाओं के सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। दो दिवसीय इस सम्मेलन में सांसदों, नीतिगत विशेषज्ञों और सिविल सोसायटी के नेताओं ने राजनीति और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी पर विचार-विमर्श किया। इस आयोजन की मेज़बानी संसदीय एवं विधायी समिति (महिला सशक्तिकरण) ने की।

सम्मेलन की मुख्य झलकियाँ

उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि समावेशी विकास तभी संभव है जब महिलाएँ राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी करें। उन्होंने जोर दिया कि महिलाओं का सशक्तिकरण केवल सामाजिक उद्देश्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रगति की रणनीतिक प्राथमिकता है।

प्रमुख क्षण

  • राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन ओम बिरला द्वारा

  • विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को दर्शाने वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन

  • अवसर पर स्मारिका का विमोचन

विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण

अध्यक्ष बिरला के संबोधन का केंद्रीय विषय हाल ही में पारित वह ऐतिहासिक क़ानून रहा जिसके अंतर्गत संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित की गई हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता में महिलाओं को मिल रहे अवसरों के साथ मिलकर और अधिक प्रभावी और स्थायी परिणाम देगा।

सम्मेलन के व्यापक विषय

दो दिवसीय सम्मेलन में मुख्य रूप से समीक्षा की जा रही है:

  • भारत में विधायी संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति

  • कानून निर्माण में लैंगिक संवेदनशील नीतियों का कार्यान्वयन

  • विभिन्न राज्यों और अन्य देशों के सर्वोत्तम अनुभव

  • महिला विधायकों के सामने आने वाली चुनौतियाँ और संस्थागत सहयोग के सुझाव

सत्रों में विशेषज्ञ पैनल, महिला नेताओं के अनुभव और कानूनी व नीतिगत औज़ारों पर चर्चा शामिल है।

मुख्य तथ्य

  • राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण सम्मेलन, तिरुपति

  • उद्घाटन: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, 14 सितम्बर 2025

  • राष्ट्रीय प्रगति में महिलाओं की समान भागीदारी पर जोर

  • विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण कानून की चर्चा

  • आयोजक: संसदीय एवं विधायी समिति (महिला सशक्तिकरण)

डीएससी ए22 का प्रक्षेपण: नौसेना के गोताखोरी बेड़े को बढ़ावा

भारतीय नौसेना ने 12 सितम्बर 2025 को डीएससी A22 (Diving Support Craft – A22) का सफलतापूर्वक जलावतरण किया। यह पाँच जहाजों वाली डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट परियोजना का तीसरा पोत है। इसे टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड (TRSL), कोलकाता द्वारा निर्मित किया गया है। इस अवसर पर जलावतरण समारोह की अध्यक्षता वाइस एडमिरल सुरज बेरी, कमांडर-इन-चीफ ने की, जबकि परंपरा के अनुसार जलावतरण श्रीमती कंगना बेरी द्वारा सम्पन्न हुआ।

डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट परियोजना

  • नौसेना की तटीय डाइविंग क्षमता को मजबूत करने के लिए शुरू की गई।

  • कार्य: पनडुब्बी बचाव, अंडरवॉटर निरीक्षण, हुल क्लीनिंग, साल्वेज (डूबे जहाज/सामान की निकासी) और ऑब्जेक्ट रिकवरी।

  • ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का हिस्सा।

अनुबंध व निर्माणकर्ता

  • अनुबंध: 12 फरवरी 2021 को रक्षा मंत्रालय (MoD) और टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड के बीच हस्ताक्षरित।

  • TRSL, जो पहले रेल प्रणाली निर्माण के लिए प्रसिद्ध थी, अब रक्षा जहाज निर्माण क्षेत्र में प्रवेश कर रही है।

डिज़ाइन व तकनीकी विशेषताएँ

  • हुल डिज़ाइन: कैटामरान संरचना (दोहरी पतवार), स्थिरता और डेक स्पेस अधिक।

  • विस्थापन (Displacement): लगभग 380 टन।

  • उद्देश्य: तटीय डाइविंग संचालन।

  • सुविधाएँ: आधुनिक डाइविंग उपकरण जैसे डीकंप्रेशन चैम्बर, डाइवर लॉन्च-रिकवरी सिस्टम, अंडरवॉटर कटिंग/वेल्डिंग टूल्स।

स्वदेशी नवाचार और मानक

  • निर्माण: भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) के नौसेना नियमों के तहत।

  • हाइड्रोडायनेमिक परीक्षण: नौसैनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL), विशाखापट्टनम में मॉडल टेस्टिंग।

    • लाभ: ईंधन दक्षता, स्थिरता और संचालन क्षमता का अनुकूलन।

रणनीतिक महत्व

  • डीएससी A22 नौसेना की पानी के भीतर की क्षमताओं को बढ़ाएगा।

  • मुख्य भूमिकाएँ:

    • पनडुब्बी बचाव

    • डूबे जहाज/सामान का साल्वेज

    • अंडरवॉटर निरीक्षण व रखरखाव

    • नौसैनिक गोताखोरों का प्रशिक्षण

  • हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते पानी के भीतर खतरों के बीच यह जहाज अत्यंत आवश्यक।

आत्मनिर्भर भारत और रक्षा उत्पादन

  • पूरी तरह भारत में डिज़ाइन और निर्माण।

  • निजी क्षेत्र की भागीदारी और रक्षा निर्माण क्षमता में विस्तार का उदाहरण।

  • TRSL का रेल से नौसैनिक जहाज निर्माण की ओर सफलतापूर्वक प्रवेश।

मुख्य तथ्य (Key Takeaways)

  • जहाज का नाम: डीएससी A22

  • परियोजना: 5 डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट में से तीसरा

  • निर्माता: टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड, कोलकाता

  • जलावतरण तिथि: 12 सितम्बर 2025

  • अध्यक्षता: वाइस एडमिरल सुरज बेरी

  • डिज़ाइन: कैटामरान हुल, 380 टन विस्थापन

  • मानक: IRS नियमों के अनुसार, NSTL द्वारा परीक्षण

  • महत्व: मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

Engineers Day 2025: जानें क्यों 15 सितंबर को मनाया जाता है इंजीनियर्स डे

भारत में 15 सितम्बर 2025 को इंजीनियर्स डे मनाया जाएगा, जो देश के महान अभियंता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की 164वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन उन अभियंताओं की अहम भूमिका को भी रेखांकित करता है जिन्होंने भारत के बुनियादी ढाँचे, तकनीकी प्रगति और भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

क्यों मनाया जाता है 15 सितम्बर को?

  • यह दिन सर एम. विश्वेश्वरैया (जन्म: 15 सितम्बर 1861, मुद्देनहल्ली, कर्नाटक) की जयंती को दर्शाता है।

  • वे भारत के विख्यात सिविल इंजीनियर थे जिन्होंने बांध निर्माण, बाढ़ प्रबंधन और औद्योगिक विकास में ऐतिहासिक योगदान दिया।

  • 1955 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” प्रदान किया गया।

  • भारत ने पहली बार 1967 में इंजीनियर्स डे मनाना शुरू किया।

2025 का विषय

 इस वर्ष इंजीनियर्स डे “डीप टेक और इंजीनियरिंग उत्कृष्टता: भारत के टेकेड को आगे बढ़ाना” (Deep Tech & Engineering Excellence: Driving India’s Techade) है।  यह विषय इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया (IEI) द्वारा चुना गया है। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि AI, क्वांटम कम्प्यूटिंग, रोबोटिक्स, स्पेस इंजीनियरिंग और एडवांस्ड मैटेरियल्स जैसी तकनीकें भारत को वैश्विक तकनीकी नेतृत्व की ओर ले जाएँगी।

सर एम. विश्वेश्वरैया का जीवन और योगदान

  • जन्म: 15 सितम्बर 1861, मुद्देनहल्ली (कर्नाटक)

  • शिक्षा: कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे

  • महत्त्वपूर्ण परियोजना: कृष्णा राज सागर (KRS) बाँध, मैसूर

  • सार्वजनिक भूमिका: मैसूर राज्य के दीवान (1912–1918); उद्योगों, विद्यालयों और रेलवे के आधुनिकीकरण में योगदान

  • विशेष योगदान: हैदराबाद के लिए बाढ़ सुरक्षा प्रणाली का डिज़ाइन

  • सम्मान: भारत रत्न (1955)

ऐतिहासिक योगदान

योगदान विवरण
कृष्णा राज सागर बाँध सिंचाई, जल भंडारण और शहरी जलापूर्ति में क्रांतिकारी बदलाव
हैदराबाद में बाढ़ नियंत्रण प्रारंभिक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की
शहरी एवं औद्योगिक योजना संगठित नगर नियोजन, उद्योगों और शिक्षा को बढ़ावा दिया

इंजीनियर्स डे 2025 का महत्व

  • इंजीनियरिंग योगदान की मान्यता – सड़कों, पुलों, बिजली ग्रिड, डाटा सिस्टम, एयरोस्पेस और AI तक में इंजीनियरों की भूमिका।

  • युवाओं को प्रेरणा – छात्रों और युवा अभियंताओं को रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल तकनीक और विज्ञान में नवाचार की ओर प्रोत्साहन।

  • सतत विकास को बढ़ावा – ग्रीन टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण जैसी चुनौतियों का समाधान।

  • व्यावसायिक विकास – सेमिनार और कार्यशालाएँ नई तकनीकों और ज्ञान के आदान-प्रदान का अवसर देती हैं।

सामान्य उत्सव और गतिविधियाँ

प्रकार गतिविधियाँ
शैक्षिक कार्यक्रम टेक्निकल क्विज़, विज्ञान मेले, प्रोजेक्ट प्रदर्शनियां, निबंध प्रतियोगिताएँ
व्यावसायिक मान्यता इंजीनियरिंग अवॉर्ड, विशेषज्ञ व्याख्यान, नवाचार प्रदर्शन
सार्वजनिक अभियान अवसंरचना सफलता की कहानियाँ, टेक्नोलॉजी डेमो, जागरूकता अभियान

मुख्य तथ्य (Key Takeaways)

  • तारीख: 15 सितम्बर 2025

  • अवसर: इंजीनियर्स डे – सर एम. विश्वेश्वरैया की जयंती

  • थीम: “डीप टेक और इंजीनियरिंग उत्कृष्टता : भारत के टेकडे को आगे बढ़ाते हुए”

  • पहली बार मनाया गया: 1967

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस 2025: विषय, इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस हर वर्ष 15 सितम्बर को मनाया जाता है, ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवाधिकारों और शासन में नागरिकों की भागीदारी के महत्व को दोहराया जा सके। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2007 में स्थापित किया था और पहली बार यह दिवस 15 सितम्बर 2008 को मनाया गया। इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोगों—विशेषकर महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों—की आवाज़ सुनी जाए।

2025 का विषय

“Achieving Gender Equality, Action by Action” (लैंगिक समानता हासिल करना, कदम-दर-कदम कार्रवाई के साथ)
यह विषय इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन (IPU) द्वारा निर्धारित किया गया है। इसमें ज़ोर दिया गया है—

  • संसदों और राजनीतिक प्रणालियों में लैंगिक समानता

  • समावेशी एवं लैंगिक-संवेदनशील संस्थान

  • लोकतांत्रिक स्थानों में लैंगिक हिंसा और भेदभाव का अंत

यह विषय मान्यता देता है कि सच्चा लोकतंत्र बिना लैंगिक समानता के संभव नहीं है और इसके लिए ठोस तथा मापने योग्य कार्यों की आवश्यकता है।

लोकतंत्र क्या है?

लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता जनता के पास होती है, प्रत्यक्ष रूप से या चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से। इसके प्रमुख सिद्धांत हैं—

  • राजनीतिक समानता

  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव

  • कानून का शासन

  • मौलिक अधिकारों का सम्मान

  • सरकार की जवाबदेही

लोकतंत्र में बहुमत का शासन होता है, परंतु अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा भी की जाती है, जिससे समाज में संतुलन और शांति बनी रहती है।

इतिहास और उत्पत्ति

  • 2007 में UNGA ने इसे स्थापित किया।

  • 2008 में पहली बार 15 सितम्बर को मनाया गया।

  • यह तिथि 1997 में अपनाए गए “Universal Declaration on Democracy” से प्रेरित है।
    इस घोषणा में लोकतंत्र के मूल सिद्धांत बताए गए थे, जैसे सार्वजनिक जीवन में भागीदारी का अधिकार, मानवाधिकारों का सम्मान, पारदर्शी शासन और स्वतंत्र न्यायपालिका व प्रेस।

महत्व

  1. लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा – पारदर्शी, जवाबदेह और समावेशी शासन पर ध्यान।

  2. नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहन – मतदान से लेकर नीतियों को आकार देने तक जनता की भूमिका पर बल।

  3. मानवाधिकारों की रक्षा – अभिव्यक्ति, प्रेस और संगठन की स्वतंत्रता का महत्व।

  4. लोकतंत्र में गिरावट से बचाव – अधिनायकवाद, भ्रष्टाचार और मीडिया दमन के खिलाफ चेतावनी।

  5. लैंगिक समानता पर ज़ोर – राजनीति और निर्णय-निर्माण में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा।

उत्सव और गतिविधियाँ

  • वैश्विक जागरूकता अभियान (UN, सरकारें और सिविल सोसाइटी द्वारा)

  • शैक्षिक कार्यक्रम – व्याख्यान, वाद-विवाद, चर्चाएँ

  • सार्वजनिक संवाद व टाउन हॉल बैठकें

  • मीडिया कवरेज – विशेष रिपोर्ट, टॉक शो, डॉक्यूमेंट्री

  • मतदाता पंजीकरण अभियान – विशेषकर युवाओं के लिए

  • कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण – नागरिक नेतृत्व व राजनीतिक साक्षरता पर

  • सांस्कृतिक कार्यक्रम – कला, नाटक, फ़िल्मों के माध्यम से स्वतंत्रता व न्याय का उत्सव

  • वकालत अभियान – लोकतंत्र-विरोधी प्रवृत्तियों और भेदभाव के खिलाफ कदम

यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑन डेमोक्रेसी से संबंध

1997 में IPU द्वारा अपनाई गई घोषणा इस बात पर बल देती है कि—

  • सार्वजनिक जीवन में भागीदारी हर व्यक्ति का अधिकार है।

  • लोकतंत्र समावेशी, लैंगिक-समान और अधिकार-आधारित होना चाहिए।

  • संस्थान कानून के शासन और नियंत्रण-संतुलन की प्रणाली के तहत संचालित होने चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस इन आदर्शों को याद दिलाता है और वैश्विक शासन प्रणालियों में उन्हें केंद्रीय स्थान दिलाने का प्रयास करता है।

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