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33 साल बाद गुजरात टाइगर स्टेट बना, NTCA ने घोषणा की

वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में गुजरात को 33 वर्षों के अंतराल के बाद आधिकारिक रूप से पुनः ‘टाइगर स्टेट’ (बाघ-धारी राज्य) के रूप में बहाल किया गया है। यह निर्णय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा लिया गया है, जिसने रतनमहल अभयारण्य में बाघ की निरंतर उपस्थिति के ठोस प्रमाणों के आधार पर गुजरात को ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन (AITE) 2026 में शामिल करने की पुष्टि की है। यह कदम प्रोजेक्ट टाइगर के तहत भारत की संरक्षण कहानी को और सशक्त करता है।

पहले गुजरात को बाहर क्यों किया गया था?

  • गुजरात आख़िरी बार 1989 की राष्ट्रीय बाघ गणना में शामिल हुआ था, जब वन अधिकारियों ने बाघ के पगचिह्न दर्ज किए थे, लेकिन पुष्ट दृश्य/भौतिक प्रमाण उपलब्ध नहीं थे।
  • 1992 की बाघ गणना में फोटोग्राफिक या ठोस प्रमाणों के अभाव में गुजरात को सूची से बाहर कर दिया गया।
  • इसके बाद 2019 में केवल एक बार बाघ की पुष्टि हुई, लेकिन वह मात्र 15 दिनों तक ही जीवित रहा और स्थायी आबादी स्थापित नहीं हो सकी।
  • परिणामस्वरूप, गुजरात तीन दशकों से अधिक समय तक औपचारिक बाघ आकलन ढांचे से बाहर रहा।

रतनमहल अभयारण्य और नई बाघ उपस्थिति

  • निर्णायक मोड़ दाहोद ज़िले (गुजरात–मध्य प्रदेश सीमा) में स्थित रतनमहल स्लॉथ बियर अभयारण्य में लगभग 4 वर्षीय बाघ की पुष्टि से आया।
  • यह बाघ फरवरी 2025 के मध्य क्षेत्र में प्रवेश कर आया और तब से लगभग 10 महीनों से स्थिर रूप से मौजूद है।
  • कैमरा-ट्रैप तस्वीरें और CCTV फुटेज ने यह स्पष्ट किया कि यह केवल अस्थायी आवागमन नहीं, बल्कि निरंतर आवास है।
  • इन प्रमाणों के आधार पर NTCA ने अभयारण्य में बाघ संरक्षण उपाय लागू करने के निर्देश जारी किए, जिससे गुजरात की बहाली का मार्ग प्रशस्त हुआ।

ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2026 में शामिल

  • विश्व के सबसे बड़े वन्यजीव सर्वेक्षणों में से एक AITE 2026 की शुरुआत हाल ही में इंदौर से हुई है।
  • NTCA के निर्णय के बाद, 1989 के बाद पहली बार गुजरात इस व्यापक गणना का हिस्सा बनेगा।
  • गुजरात–मध्य प्रदेश सीमा पर समर्पित कैमरा-ट्रैप सर्वे किया जाएगा।
  • चूंकि बाघ अभी रेडियो-टैग नहीं है, इसलिए गणना के दौरान उसे टैग किया जाएगा, जिससे अंतर-राज्यीय आवागमन का वैज्ञानिक ट्रैकिंग संभव होगी।

बाघ निगरानी में तकनीक का उपयोग

  • गुजरात की भागीदारी का एक अहम पहलू स्ट्राइप पैटर्न रिकग्निशन सॉफ्टवेयर का उपयोग है—जो AITE के अंतर्गत एक प्रमुख तकनीकी उपकरण है।
  • प्रशिक्षण के बाद, गुजरात के वन अधिकारी बाघ की गतिविधियों को राज्य के भीतर और राष्ट्रीय बाघ परिदृश्य में भी ट्रैक कर सकेंगे।
  • यह भारत में तकनीक-आधारित वन्यजीव संरक्षण की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है—जहां कैमरा ट्रैप, AI-आधारित पैटर्न पहचान और रीयल-टाइम डेटा साझा किया जाता है।

मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

  • 33 वर्षों बाद गुजरात पुनः टाइगर स्टेट बना
  • निर्णय: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
  • बाघ की पुष्टि: रतनमहल अभयारण्य, दाहोद ज़िला
  • ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2026 में शामिल
  • कैमरा ट्रैप और स्ट्राइप रिकग्निशन सॉफ्टवेयर का उपयोग
  • रतनमहल को टाइगर रिज़र्व घोषित करने का संभावित प्रस्ताव
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