वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (31 जनवरी 2020) संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 पेश किया। इस वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन द्वारा तैयार किया गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2020 का विषय : बाजार को सक्षम बनाना, व्यवसाय अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहन देना तथा अर्थव्यवस्था में विश्वास को मजबूत बनाना: Wealth Creation, Promotion of pro-business policies, strengthening of trust in the economy है.
इस रिपोर्ट के बाद एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी जिसमें मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम अगले वित्तीय वर्ष के आर्थिक रोडमैप पर चर्चा करेगी। ये सर्वेक्षण पिछले वर्ष देश की अर्थव्यवस्था में हुए विकास की समीक्षा है। इस सर्वेक्षण में पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार द्वारा किए गए प्रमुख विकास कार्यक्रमों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है। साथ ही इसमें सरकार की मुख्य नीतिगत पहलों का भी विवरण दिया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:-
- अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि 6 से 6.5% के बीच रखी गई है।
- देश में ‘एसेम्बल इन इंडिया’ रोजगार पैदा करेगा।
- वैश्विक निर्माण, व्यापार और मांग के लिए एक कमजोर माहौल के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो गई जिसमें वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत दर्ज की गई।
- चालू खाता घाटा (सीएडी) वर्ष 2018-19 के 2.1 से कम होकर 2019-20 की पहली छमाही में 1.5 पर आ गया है।
- नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन 2019-2025 की घोषणा।
- तनावग्रस्त रियल एस्टेट और एनबीएफसी क्षेत्रों के लिए विशेष ऋण की सुविधा।
- दो योजनाओं प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत 2022 तक सभी के लिए आवास के लक्ष्य को हासिल करना है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि पीएमएवाई-जी के तहत एक साल में बनने वाले घरों की संख्या पहले से चार गुना बढ़ गई है, जो 2014-15 में 11.95 लाख से बढ़कर 2018-19 में 47.33 लाख हो गई है।
- दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (IBC) के तहत समाधान प्रक्रिया में सुधार आया ।
- 2019-20 के प्रथम 8 महीने के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में, राजस्व प्राप्तियों में अधिक वृद्धि दर्ज की गई, जो गैर-कर राजस्व में महत्वपूर्ण वृद्धि से प्रेरित था।
- वर्ष 2019-20 के दौरान (दिसंबर, 2019 तक), जीएसटी की कुल मासिक वसूली 5 गुणा बढ़कर 1,00,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई।
- जीएसटी के कार्यान्वयन को आसान बनाने के उपाय किए गए।
- राज्य वित्तीय सुदृढीकरण के मार्ग पर अग्रसर हैं और एफआरबीएम अधिनियम में निर्धारित लक्ष्यों के भीतर राजकोषीय घाटे को नियंत्रित किया है।
- सर्वेक्षण में कहा गया है कि सामान्य सरकार (केंद्र और राज्य) राजकोषीय समेकन के मार्ग पर है।
- भारत की बीओपी स्थिति में सुधार हुआ है। मार्च, 2019 में यह 412.9 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार था, जबकि सितंबर, 2019 के अंत में बढ़कर 433.7 बिलियन डॉलर हो गया।
- विदेशी मुद्रा भंडार 10 जनवरी, 2020 तक 461.2 बिलियन डॉलर रहा।
- भारत के शीर्ष पांच व्यापारिक साझेदार अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सउदी अरब और हांगकांग हैं।
- भारत का सर्वाधिक आयात चीन से करना जारी रहेगा, उसके बाद अमेरिका, यूएई और सउदी अरब का स्थान है।
- भारत के लिए मर्चेंटाडाइज आयात और जीडीपी अनुपात में कमी आई है जिसका बीओपी पर निवल सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- व्यापार सहायता के अंतर्गत 2016 की 143 रैंकिंग की तुलना में भारत ने 2019 में अपनी रैंकिंग में सुधार की और भारत की रैंकिंग 68 हो गई। विश्व बैंक द्वारा व्यावसायिक सुगमता रिपोर्ट में ‘ट्रेडिंग ए क्रॉस बोडर्स’ सूचकांक की निगरानी की जाती है।
- वर्तमान में यह लगभग 160 बिलियन डॉलर का है। जिसके 2020 तक 215 बिलियन डॉलर तक होने की आशा है।
- कुल एफडीआई आवक 2019-20 में मजबूत बनी रही, पहले आठ महीनों में 24.4 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित हुआ, जो 2018-19 की समान अवधि से अधिक था।
- 2019-20 के पहले आठ महीनों में नेट एफपीआई 12.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- 2019-20 में परिवर्तित रही। धीमी वृद्धि और कम मुद्रास्फीति के कारण वित्तीय वर्ष में लगातार चार एमपीसी बैठकों में रेपो दर में 110 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों (एनबीएफसी) के लिए मार्च 2019 में 6.1 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर सितंबर, 2019 में 6.3 प्रतिशत हो गया।
- बैंक ऋण वृद्धि अप्रैल 2019 में 12.9 प्रतिशत थी जो 20 दिसंबर, 2019 को 7.1 प्रतिशत हो गई।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 2018-19 (अप्रैल से दिसंबर, 2018) में 3.7 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 (अप्रैल से दिसंबर, 2019) में 4.1 प्रतिशत हो गई।
- थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 2018-19 (अप्रैल से दिसंबर, 2018) में 4.7 प्रतिशत से गिरकर 2019-20 (अप्रैल से दिसंबर, 2019) में 1.5 प्रतिशत हो गई।
- भारत अच्छे तरीके से बनाए गए कार्यक्रम के माध्यम से एसडीजी क्रियान्वयन के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।
- भारत ने यूएनसीसीडी के तहत सीओपी-14 की मेज़बानी की, जिसमें दिल्ली घोषणाः भूमि में निवेश और अवसरों को खोलना अपनाया गया। वन और वृक्ष कवर वृद्धि के साथ यह 80.73 मिलियन हेक्टेयर हुआ और देश के 24.56 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) सदस्य देशों से 30 फेलोशिप को संस्थागत सहायक बनाकर
- ‘फैसिलिटेटर’ को एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया से 2 बिलियन डॉलर का ऋण और एएफडी फ्रांस से 1.5 बिलियन डॉलर का ऋण प्राप्त हुआ।
- इनक्यूबेटर ’सोलर रिस्क मिटिग इनिशिएटिव जैसी पहल का पोषण किया।
- 1000 मेगावाट सौर तथा 2.7 लाख सौर जल पम्पों की कुल मांग के लिए उपाय ‘एक्सेलेटर’ विकसित किया
- देश के कुल मूल्यवर्धन (जीवीए) में कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी गैर-कृषि क्षेत्रों की अधिक वृद्धि के कारण कम हो रही है, जो विकास प्रक्रिया का स्वभाविक परिणाम है।
- कृषि वानिकी और मछलीपालन क्षेत्र से 2019-20 के बेसिक मूल्यों पर जीवीए में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में वृद्धि:
- औसत वार्षिक विकास दर (AAGR) लगभग 5.06% रहा
- 2018-19 (अप्रैल-नवंबर) के 5.0 प्रतिशत की तुलना में 2019-20 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता बढ़ कर 31 अक्टूबर, 2019 को 3,64,960 मेगावाट हो गई, जो 31 मार्च, 2019 को 3,56,100 मेगावाट थी।
- 31 दिसंबर, 2019 को जारी की गई राष्ट्रीय अवसंरचना पाइप लाइन के संबंध में कार्यबल की रिपोर्ट में भारत में वित्त वर्ष 2020 से 2025 के दौरान 102 लाख करोड़ रुपये के कुल अवसंरचनात्मक निवेश को प्रक्षेपित किया है।
- सकल संवर्धन मूल्य और सकल संवर्धन मूल्य वृद्धि में इसका हिस्सा 55 प्रतिशत है।
- भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दो-तिहाई और कुल निर्यात का लगभग 38 प्रतिशत हिस्सा।
- 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 15 राज्यों में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक।
- 2019-20 की शुरूआत में सेवा क्षेत्र में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में मजबूत बेहतरी देखी गई है।
- केंद्र और राज्यों द्वारा सामाजिक सेवाओं (स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य) पर जीडीपी के अनुपात के रूप में व्यय 2014-15 में 6.2 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 (बजटीय अनुमान) में 7.7 प्रतिशत हो गया है।
- माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक तथा उच्चतर शिक्षा स्तर पर सकल नामांकन अनुपात में सुधार की जरूरत है।
- मिशन इन्द्रधनुष के तहत देशभर में 680 जिलों में 3.39 करोड़ बच्चों और 87.18 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हुआ।
- लगभग 60 प्रतिशत उत्पादकता आयु (15-59) ग्रुप पूर्ण कालिक घरेलू कार्यों में लगे हैं।
- स्वछता संबंधी व्यवहार में बदलाव लाने तथा ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की पहुंच बढ़ाने पर जोर देने के उद्देश्य से एक 10 वर्षीय ग्रामीण स्वच्छता रणनीति (2019-2029) की शुरूआत की गई।
- सरकार के ठोस कदमों के जरिए बाजारों को अनावश्यक रूप से नजरअंदाज करने वाली नीतियों को समाप्त करना, रोजगार सृजन के लिए व्यापार को सुनिश्चित करना, बैंकिंग सेक्टर का कारोबारी स्तर दक्षतापूर्वक बढ़ाना
- उदारीकरण के बाद भारत की जीडीपी और प्रति व्यक्ति जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ-साथ धन सृजन भी हो रहा है।
- आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि बंद पड़े सेक्टरों की तुलना में उदार या खोले जा चुके सेक्टरों की वृद्धि दर ज्यादा रही है।
- एक सार्वजनिक वस्तु के रूप में भरोसे का आइडिया अपनाना जो अधिक इस्तेमाल के साथ बढ़ता जाता है।
- उत्पादकता को तेजी से बढ़ाने और धन सृजन के लिए एक रणनीति के रूप में उद्यमिता
- विश्व बैंक के अनुसार, नई कंपनियों की संख्या के मामले में भारत तीसरे पायदान पर रहा।
- वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2018 तक की अवधि के दौरान औपचारिक क्षेत्र में नई कंपनियों की संचयी वार्षिक वृद्धि दर 12.2 प्रतिशत रही, जबकि वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2014 तक की अवधि के दौरान यह वृद्धि दर 3.8 प्रतिशत थी।
- किसी जिले में नई कंपनियों के पंजीकरण में 10 प्रतिशत की वृद्धि होने से सकल घरेलू जिला उत्पाद (जीडीडीपी) में 1.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है।
- किसी भी जिले में साक्षरता और शिक्षा से स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को काफी बढ़ावा देती है
- यह असर सबसे अधिक तब नजर आता है जब साक्षरता 70 प्रतिशत से अधिक होती है।
- जनगणना 2011 के अनुसार, न्यूनतम साक्षरता दर (59.6 प्रतिशत) वाले पूर्वी भारत में सबसे कम नई कंपनियों का गठन हुआ है।
- एक ‘प्रो-व्यवसाय’ नीति को प्रोत्साहित करना जो प्रतिस्पर्धी बाजारों की क्षमता उत्पन्न करता है ताकि धन पैदा किया जा सके।
- भारत सरकार का “स्टार्टअप इंडिया” अभियान भारत में उत्पादकता वृद्धि और धन सृजन को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में उद्यमिता की पहचान करता है।
- आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) के तहत वस्तुओं पर स्टॉक सीमा के लगातार और अप्रत्याशित होने से न तो कीमतें कम होती हैं और न ही मूल्य अस्थिरता में कमी आती है। 2019 के दौरान ECA के तहत लगभग 76000 छापे मारे गए।
- डीपीसीओ 2013 के जरिए औषधियों के मूल्यों को नियंत्रित किए जाने से नियंत्रित दवाओं की कीमतें अनियंत्रित समान दवाओं की तुलना में ज्यादा बड़ी, इसने इस बात को साबित किया कि डीपीसीओ सस्ती दवाओं की उपलब्धता के जो प्रयास किए वे उल्टे रहे।
- खाद्यान्न बाजार में सरकारी हस्तक्षेप के कारण, सरकार गेहूं और चावल की सबसे बड़ी खरीददार होने के साथ ही सबसे बड़ी जमाखोर भी हो गई है।
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केंद्र और राज्यों की ओर से दी जाने वाली कर्ज माफी की समीक्षा पूरी तरह से कर्ज माफी की सुविधा वाले लाभार्थी कम खपत, कम बचत, कम निवेश करते हैं जिससे आंशिक रूप से कर्ज माफी वाले लाभार्थियों की तुलना में उनका उत्पादन भी कम होता है।
- दुनिया के लिए भारत में एसेम्बल इन इंडिया और मेक इन इंडिया योजना को एक साथ मिलाने से 2025 तक देश में अच्छे वेतन वाली 4 करोड़ नौकरियां होंगी और 2030 तक इनकी संख्या 8 करोड़ हो जाएगी।
- नेटवर्क उत्पादों का निर्यात, जिसके 2025 में दुनिया भर में 7 ट्रिलियन के बराबर होने की उम्मीद है, 2025 तक 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्थाओं के लिए मूल्य वर्धित वृद्धि में एक चौथाई योगदान दे सकता है।
- हाल ही के वर्षों में जारी विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत की रैंकिंग में काफी सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी ऐसी कई श्रेणियां हैं, जहां भारत बहुत पीछे है – व्यवसाय शुरू करना, संपत्ति का पंजीकरण, कर भुगतान और अनुबंध लागू करना आदि।
- भारत ने 2019 में बैंक राष्ट्रीयकरण की 50 वीं वर्षगांठ मनाई। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के कर्मचारियों ने खुशी मनाई कि सर्वेक्षण सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन का सुझाव दिया गया।
- भारत का केवल एक बैंक विश्व के 100 शीर्ष बैंकों में शामिल हैं। यह स्थिति भारत को उन देशों की श्रेणी में ले जाती हैं जिनकी अर्थव्यवस्था का आकार भारत के मुकाबले कई गुना कम जैसे कि फिनलैंड जो भारत (लगभग 1/11वां भाग) और (डेनमार्क लगभग 1/8वां भाग)।
- बैंकिंग क्षेत्र में नकदी के मौजूदा संकट को देखते हएु शेडों बैंकिंग के खतरों को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारणों का पता लगाना।
- निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी 2025 तक 3.5 प्रतिशत तथा 2030 तक 6 प्रतिशत हो जाएगी। 2025 तक देश में अच्छे वेतन वाली 4 करोड़ नौकरियां होंगी और 2030 तक इनकी संख्या 8 करोड़ हो जाएगी।
- 2025 तक भारत को 5 हजार अरब वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जरूरी मूल्य संवर्धन में नेटवर्क उत्पादों का निर्यात एक तिहाई की वृद्धि करेगा।
- विश्व बैंक कारोबारी सुगमता श्रेणी में भारत ने 79 पायदानों की छलांग लगाई; 2014 के 142 वें स्थान से 2019 में 63 वें स्थान पर पहुंचा गया है
- भारत में समुद्री जहाजों की आवाजाही में लगने वाले समय में निरंतर कमी हो रही है, जो 2010-11 के 4.67 दिनों से लगभग आधा होकर 2018-19 में 2.48 दिन हो गया है।
- समीक्षा में सीपीएससी के विनिवेश से होने वाले लाभों की जांच की गई है और इससे सरकारी उद्यमों के विनिवेश करने को बल मिलता है। एचपीसीएल में सरकार की 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश से राष्ट्रीय सम्पदा में 33,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।
- वह मॉडल जिसमें 2001 के बाद जीडीपी विकास 2.7 प्रतिशत गतलीवश अनुमान से अधिक हो गई है उसने सैंपल समय में 95 देशों में से 51 अन्य देशों में भी जीडीपी विकास अनुमान से अधिक हो गई।
- पूरे भारत में किसी आम व्यक्ति एक थाली के लिए कितना भुगतान करता है, यह निर्धारित करने का प्रयास। 2015-16 से थीली की कीमतों की गतिशीलता में बदलाव।
- आर्थिक स्वतंत्रता और धन सृजन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी हस्तक्षेप का युक्तिकरण आवश्यक है।
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