भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) को लॉन्च कर दिया गया है। चंद्रयान-3 ने दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरा। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया है। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ यह मिशन करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। ‘चंद्रयान-3’ को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया है। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है। इसका वजन करीब 3,900 किलोग्राम है।
चंद्रयान-3 के बारे में 10 रोचक तथ्य:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की तरफ से इस लॉन्चिंग को लेकर बताया गया कि तीसरा चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ साल 2019 के ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती मिशन है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है।
- ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम पलों में लैंडर ‘विक्रम’ पथ विचलन के चलते ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 उच्च स्तर पर काम करेगा।
- चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ISRO द्वारा नियोजित तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन (lunar exploration mission) है। यह चंद्रयान-2 मिशन की निरंतरता (continuation of the Chandrayaan-2 ) के रूप में कार्य करता है और इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की पूरी क्षमता का प्रदर्शन करना है।
- चंद्रयान -3 में एक लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन शामिल है और इसे श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) SHAR से LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क 3) द्वारा लॉन्च कर दिया गया है।
- चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 की तरह ऑर्बिटर के बिना एक रोवर और लैंडर शामिल है। मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह का पता लगाना है। खास कर उन क्षेत्रों का पता लगाना जहां अरबों वर्षों से सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाया है। वैज्ञानिकों और खगोलविदों (Scientists and astronomers) को इन अंधेरे क्षेत्रों में बर्फ और मूल्यवान खनिज संसाधनों की उपस्थिति पर संदेह है।
- चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा। इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसमें कई अतिरिक्त सेंसर को जोड़ा गया है। इसकी गति को मापने के लिए इसमें एक ‘लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर’ सिस्टम लगाया है।
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग भारत की तकनीकी कौशल और अंतरिक्ष अन्वेषण की महत्वाकांक्षी खोज को प्रदर्शित करेगी। चंद्रयान-3 पृथ्वी से परे मानव उपस्थिति का विस्तार करने और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए रास्ता साफ करने के बड़े लक्ष्यों में योगदान देता है।
- चंद्रयान-3 द्वारा दक्षिणी ध्रुव की खोज अमेरिका के आर्टेमिस-III मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप है। जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मनुष्यों को उतारना है। चंद्रयान-3 द्वारा जुटाया गया डेटा भविष्य के आर्टेमिस मिशनों के लिए मूल्यवान जानकारी और समर्थन प्रदान करेगा।
- चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला मिशन होगा। यह इलाका अपने स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों के कारण विशेष रुचि रखता है, जहां पानी की बर्फ के मौजूद होने का अनुमान है। मिशन का लक्ष्य इस अज्ञात क्षेत्र की अद्वितीय भूविज्ञान और संरचना का अध्ययन करना है।
- चंद्रयान-3 को दूसरे ग्रहों के मिशनों के लिए जरूरी नई तकनीकों को विकसित करने और प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अंतरिक्ष यान इंजीनियरिंग, लैंडिंग सिस्टम और आकाशीय पिंडों पर गतिशीलता क्षमताओं में प्रगति में योगदान देगा।