साल 2025 भारत के संवैधानिक और शासन इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इसमें संघवाद, स्वच्छ शासन, डेटा प्राइवेसी और संस्थागत शक्तियों पर ज़ोरदार बहस हुई। कई संवैधानिक संशोधन बिल, प्रमुख संसदीय अधिनियम और ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट के फैसलों ने संविधान की बदलती व्याख्या को आकार दिया। इसके साथ ही, महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर बड़े बदलाव हुए, जिससे 2025 प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थायी रूप से महत्वपूर्ण बन गया।
I. संवैधानिक संशोधन एवं प्रमुख संवैधानिक विधेयक (2025)
1. संविधान (129वाँ संशोधन) विधेयक, 2024 – एक राष्ट्र, एक चुनाव
पृष्ठभूमि एवं उद्देश्य
इस विधेयक का उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक चुनाव (ONOE)” ढाँचे के अंतर्गत लोकसभा और सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के एकसाथ चुनाव कराना है।
इसके साथ केंद्रशासित प्रदेशों से जुड़े कानूनों में भी संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं ताकि चुनाव चक्रों में समानता लाई जा सके।
2025 में स्थिति
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दिसंबर 2024 में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को संदर्भित
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JPC की समयसीमा शीतकालीन सत्र 2025 तक बढ़ाई गई
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2025 के अंत तक अधिनियमित नहीं, विचाराधीन
संवैधानिक फोकस: संघवाद, निर्वाचन लोकतंत्र
2. संविधान (130वाँ संशोधन) विधेयक, 2025 – गिरफ्तारी पर मंत्रियों को पद से हटाना (प्रस्तावित)
मूल विचार
यह प्रस्तावित संशोधन यह प्रावधान लाने का प्रयास करता है कि यदि कोई मंत्री (मुख्यमंत्री सहित) गंभीर अपराधों में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक गिरफ्तार या हिरासत में रहता है, तो वह स्वतः पद से हट जाएगा।
संबंधित विधेयक
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सरकार के केंद्रशासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025
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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
स्थिति
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“समिति में विचाराधीन”
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2025 के अंत तक अधिनियमित नहीं
मुख्य विषय: नैतिक शासन, स्वच्छ राजनीति
3. प्रस्तावित संविधान (131वाँ संशोधन) विधेयक – चंडीगढ़ एवं अनुच्छेद 240
मुद्दा
इस प्रस्ताव का उद्देश्य चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के अंतर्गत लाना है, जिससे राष्ट्रपति को केंद्रशासित प्रदेश के लिए विनियम बनाने की शक्ति मिल सके।
विवाद
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पंजाब आधारित दलों का तर्क: इससे चंडीगढ़ की संयुक्त राजधानी की स्थिति प्रभावित होगी
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संघीय संतुलन और UT प्रशासन पर प्रश्न
स्थिति: केवल प्रस्ताव स्तर पर
II. संसद के प्रमुख अधिनियम (2025)
1. वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025
एवं
मुसलमान वक्फ (निरसन) अधिनियम, 2025
प्रमुख परिवर्तन
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वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम विशेषज्ञों को शामिल करना
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एकतरफा वक्फ घोषणा पर प्रतिबंध
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अनिवार्य डिजिटल मैपिंग और सर्वेक्षण
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अतिक्रमण के विरुद्ध सख्त कार्रवाई
निरसन
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मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को अप्रासंगिक मानते हुए निरस्त किया गया
संवैधानिक संबंध: अनुच्छेद 25–30 (अल्पसंख्यक अधिकार)
2. आव्रजन एवं विदेशी अधिनियम, 2025
उद्देश्य
औपनिवेशिक-कालीन कानूनों को हटाकर एकीकृत एवं आधुनिक आव्रजन ढाँचा स्थापित करना।
क्षेत्र
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विदेशियों का प्रवेश, निवास और निकास
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वीज़ा, निरोध, निर्वासन, ब्लैकलिस्टिंग
चिंताएँ
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कार्यपालिका को अत्यधिक व्यापक शक्तियाँ
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शरणार्थी एवं शरण (asylum) सुरक्षा पर सीमित प्रावधान
संवैधानिक संबंध: अनुच्छेद 21, विदेश मामलों की शक्ति
3. समुद्री व्यापार सुधार (Maritime Trade Reforms)
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Bills of Lading Act, 2025: इलेक्ट्रॉनिक बिल ऑफ लैडिंग को मान्यता
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Carriage of Goods by Sea Act, 2025: समुद्री परिवहन में वाहक की देयता कानूनों का आधुनिकीकरण
संवैधानिक संबंध: अनुच्छेद 19(1)(g) – व्यापार की स्वतंत्रता
4. केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) अधिनियम, 2025
प्रमुख विशेषता
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सिगरेट एवं लक्ज़री वस्तुओं पर उच्च उत्पाद शुल्क
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WHO के सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप कर नीति
संवैधानिक संबंध: अनुच्छेद 47 (लोक स्वास्थ्य)
5. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025
महत्व
DPDP अधिनियम, 2023 को क्रियान्वित कर भारत का डेटा संरक्षण ढाँचा पूर्ण किया।
प्रमुख बिंदु
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डेटा फिड्यूशरी के कर्तव्य
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डेटा संरक्षण बोर्ड की संरचना
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बच्चों के डेटा की सुरक्षा
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सीमा-पार डेटा स्थानांतरण नियम
संवैधानिक संबंध: निजता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
III. प्रमुख न्यायिक निर्णय (2025)
A. पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में निवास-आधारित आरक्षण
मामला: अविजित चंदर बनाम चंडीगढ़ प्रशासन (जनवरी 2025)
निर्णय
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पीजी मेडिकल प्रवेश में डोमिसाइल आरक्षण असंवैधानिक
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अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
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संस्थागत वरीयता मान्य, लेकिन निवास-आधारित कोटा नहीं
प्रभाव: देशभर में PG मेडिकल कोटा नीति में संशोधन
B. राज्यपाल एवं राष्ट्रपति की विधेयकों पर शक्तियाँ
राष्ट्रपति संदर्भ संख्या 1/2025 (नवंबर 2025)
मुख्य निष्कर्ष
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कोई निश्चित समय-सीमा या “डीम्ड असेंट” नहीं
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न्यायालय समय-सीमा निर्धारित नहीं कर सकते
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अत्यधिक विलंब पर सीमित न्यायिक समीक्षा संभव
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अनुच्छेद 361 की प्रतिरक्षा न्यायिक समीक्षा को नहीं रोकती
महत्व: संघवाद, शक्तियों का पृथक्करण
C. अधिवक्ता–मुवक्किल विशेषाधिकार मामला
स्वतः संज्ञान मामला (अक्टूबर 2025)
निर्णय
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अधिवक्ताओं को सामान्य रूप से समन नहीं किया जा सकता
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BSA, 2023 के तहत विशेषाधिकार संरक्षित
संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 19(1)(g), 21, 22(1)
IV. प्रमुख संवैधानिक नियुक्तियाँ (2025)
भारत के उपराष्ट्रपति
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सी. पी. राधाकृष्णन
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शपथ: 12 सितंबर 2025
भारत के मुख्य न्यायाधीश
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न्यायमूर्ति बी. आर. गवई (52वें CJI): मई–नवंबर 2025
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न्यायमूर्ति सूर्यकांत (53वें CJI): नवंबर 2025 से
मुख्य निर्वाचन आयुक्त
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ज्ञानेश कुमार (19 फरवरी 2025 से)
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निर्वाचन सुधार एवं वैश्विक सहभागिता का नेतृत्व
V. संवैधानिक प्रभाव वाले शासन सुधार (2025)
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डेटा संरक्षण व्यवस्था का पूर्ण कार्यान्वयन
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राष्ट्रीय वाद नीति से हटकर प्रशासनिक मुकदमेबाज़ी सुधार
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UIDAI द्वारा आधार उपयोग नियम सख्त, निजता संरक्षण हेतु


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