विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस प्रतिवर्ष 17 जुलाई को मनाया जाता है; जो न्याय, उत्तरदायित्व और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक भावना का उत्सव है। इस दिवस का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय को बढ़ावा देना और गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों के लिए दोषियों को सज़ा से बचने से रोकने के वैश्विक प्रयासों को मजबूत करना है। यह दिन रोम संविधि (Rome Statute) को अपनाए जाने की वर्षगांठ का प्रतीक है, जिसने 1998 में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
17 जुलाई 1998 को रोम में 120 देशों ने रोम संविधि को अपनाया, जिससे ICC की स्थापना हुई। यह न्यायालय 1 जुलाई 2002 से औपचारिक रूप से कार्यशील हुआ। 2010 में युगांडा के कंपाला में हुई समीक्षा सम्मेलन के दौरान 17 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस के रूप में आधिकारिक मान्यता दी गई। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कानून में हुई प्रगति को मान्यता देना और नरसंहार, युद्ध अपराधों व मानवता के विरुद्ध अपराधों के पीड़ितों को समर्थन देना है।
यह दिन वैश्विक स्तर पर न्याय, जवाबदेही और कानून के शासन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के उस संकल्प को दोहराता है कि बड़े पैमाने पर अत्याचार करने वालों को सजा मिलनी चाहिए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जाना चाहिए। हेग (नीदरलैंड) में स्थित ICC ऐसा पहला स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है जो ऐसे अपराधों की सुनवाई करता है।
ICC जैसे अंतरराष्ट्रीय न्याय तंत्रों के बारे में जागरूकता फैलाना
गंभीर अपराधों पर अभियोजन के लिए देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना
पीड़ितों के अधिकारों का समर्थन करना और न्याय की आवश्यकता को उजागर करना
शांति और सुरक्षा की नींव के रूप में कानून के शासन को सुदृढ़ करना
ICC, संयुक्त राष्ट्र, NGO और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन
पैनल चर्चा, पीड़ितों की गवाही, मॉक ट्रायल और जागरूकता अभियानों का आयोजन
सोशल मीडिया पर #JusticeDay2025 जैसे हैशटैग के माध्यम से वैश्विक पहल
युवाओं को जोड़ने के लिए वाद-विवाद, फिल्म स्क्रीनिंग और स्कूल गतिविधियाँ
आज के समय में जब यूक्रेन, ग़ाज़ा और अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष बढ़ रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय न्याय की मजबूत संरचनाओं की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। यह दिन याद दिलाता है कि न्याय सार्वभौमिक होना चाहिए — राजनीति और सीमाओं से परे, और उत्तरदायित्व ही मानव गरिमा की रक्षा और अत्याचारों को रोकने की कुंजी है।
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