थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्षविराम समझौता 28 जुलाई 2025 को प्रभाव में आया, जिससे दोनों देशों के बीच पांच दिनों तक चले सीमा संघर्ष का अंत हुआ। इस हिंसक झड़प में कम से कम 38 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश नागरिक थे, जबकि 3 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए। यह संघर्ष पिछले एक दशक में दोनों दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसी देशों के बीच सबसे घातक मुठभेड़ों में से एक माना गया। इस टकराव को रोकने में मलेशिया, अमेरिका और चीन की मध्यस्थता ने अहम भूमिका निभाई। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी शांति प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिन्होंने व्यापार वार्ताओं की बहाली को संघर्षविराम से जोड़ते हुए समझौते को संभव बनाया।
संघर्षविराम समझौता क्या है?
संघर्षविराम समझौता (Truce Agreement) एक औपचारिक समझौता होता है, जो किसी चल रहे संघर्ष या युद्ध में शामिल विरोधी पक्षों के बीच अस्थायी रूप से युद्धविराम करने के लिए किया जाता है। यह किसी युद्ध या टकराव को स्थायी रूप से समाप्त नहीं करता, बल्कि आमतौर पर एक निश्चित समय और क्षेत्र में शत्रुता को रोकने के लिए लागू होता है, ताकि मानवीय सहायता, वार्ता या शांति-प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
संघर्षविराम समझौते की प्रमुख बातें:
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अस्थायी विराम: यह संघर्ष को रोकता है, लेकिन उसके मूल कारणों का समाधान नहीं करता।
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शांति संधि नहीं: यह कानूनी रूप से युद्ध को समाप्त नहीं करता, केवल अस्थायी रोक लगाता है।
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मानवीय उद्देश्य: आमतौर पर नागरिकों की निकासी, चिकित्सा सहायता या कैदियों की अदला-बदली के लिए किया जाता है।
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सफेद झंडे की सुरक्षा: इस दौरान जो लोग सफेद झंडा लेकर आते हैं, उन्हें हमला नहीं किया जा सकता। इस झंडे का दुरुपयोग युद्ध अपराध माना जाता है।
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ऐतिहासिक उपयोग: संयुक्त राष्ट्र चार्टर (1945) से पहले ‘संघर्षविराम’, ‘संधि’ और ‘शांति समझौते’ जैसे शब्दों में स्पष्ट अंतर होता था। आजकल ‘सीज़फायर’ शब्द का उपयोग ‘संघर्षविराम’ के पर्यायवाची के रूप में किया जाता है।
संघर्ष की पृष्ठभूमि
थाईलैंड-कंबोडिया सीमा क्षेत्र लंबे समय से क्षेत्रीय विवादों का केंद्र रहा है। मई 2025 में एक कंबोडियाई सैनिक की हत्या के बाद तनाव काफी बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों ओर सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई। 24 जुलाई को शुरू हुई झड़पें जल्दी ही छोटे हथियारों की गोलीबारी से भारी तोपखाने और थाईलैंड के एक F-16 फाइटर जेट की हवाई बमबारी तक पहुँच गईं। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर बिना उकसावे के हमले का आरोप लगाया। थाईलैंड ने आरोप लगाया कि कंबोडियाई बलों ने बारूदी सुरंगें बिछाईं, जिससे थाई सैनिक घायल हुए, जबकि कंबोडिया ने कहा कि थाई सेना ने स्कूलों और अस्पतालों जैसे नागरिक ठिकानों पर हमला किया।
मध्यस्थता प्रयास
संघर्षविराम को मलेशिया के पुत्रजया में दो घंटे की तीव्र वार्ता के बाद लागू किया गया, जिसमें मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की मध्यस्थता रही।
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों पक्षों पर दबाव डाला कि अगर युद्ध नहीं रुका तो अमेरिका व्यापार समझौतों से पीछे हट जाएगा।
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थाईलैंड और कंबोडिया दोनों की अमेरिका को होने वाली निर्यात पर 36% का भारी शुल्क लागू है, जिससे यह एक दबाव बिंदु बना।
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चीन ने भी वार्ता को आगे बढ़ाने में रचनात्मक भूमिका निभाई।
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समझौते में प्रत्यक्ष संवाद बहाल करने और संघर्षविराम के पालन के लिए निगरानी तंत्र स्थापित करने पर सहमति बनी।
मानवीय प्रभाव
इस हिंसा ने सीमा से सटे क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया।
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थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत में तोपखाने से कई घर नष्ट हो गए।
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हजारों नागरिकों ने राहत शिविरों में शरण ली, जहाँ भोजन वितरण और परिवारों के बिछड़ने की खबरें सामने आईं।
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विस्थापित लोगों ने कहा कि वे तब तक अपने घर नहीं लौटेंगे, जब तक सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती।


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