विजय दिवस, जिसे विक्ट्री डे या बिजॉय डिबोस भी कहा जाता है, भारत और बांग्लादेश में हर वर्ष 16 दिसंबर को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह दिन 1971 के भारत–पाक युद्ध में भारत की ऐतिहासिक विजय की 54वीं वर्षगांठ को चिह्नित करता है। यह युद्ध दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को नया आकार देने वाला सिद्ध हुआ और इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ। यह दिवस निर्णायक सैन्य विजय के साथ-साथ दोनों देशों के उन शहीदों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने युद्ध में अपने प्राण न्योछावर किए।
16 दिसंबर को विजय दिवस क्यों मनाया जाता है
- 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने ढाका (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में भारतीय सशस्त्र बलों और मुक्ति वाहिनी (बांग्लादेश की मुक्ति सेना) के समक्ष औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया।
- इस आत्मसमर्पण के साथ बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और 1971 का भारत–पाक युद्ध समाप्त हुआ—यह भारत के सैन्य इतिहास की सबसे निर्णायक जीतों में से एक है।
- लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डाले, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण माना जाता है।
पृष्ठभूमि: 1971 का भारत–पाक युद्ध
- यह युद्ध 13 दिनों (3 से 16 दिसंबर 1971) तक चला—अल्पकालिक लेकिन अत्यंत तीव्र।
- पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली आबादी के विरुद्ध राजनीतिक दमन और हिंसा से मानवीय संकट उत्पन्न हुआ, जिसके कारण बड़ी संख्या में शरणार्थी भारत आए।
- भारत ने बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलन का समर्थन किया, जो पाकिस्तान से स्वतंत्रता की मांग कर रहा था।
- संकट बढ़ने पर भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्वी व पश्चिमी मोर्चों पर पूर्ण युद्ध छिड़ गया।
परिणाम और ऐतिहासिक महत्व
- युद्ध का अंत भारत की निर्णायक जीत के साथ हुआ, जिससे पूर्वी पाकिस्तान मुक्त हुआ और बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।
- आत्मसमर्पण पत्र पर 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना की पूर्वी कमान द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
- इस विजय ने भारत की सैन्य क्षमता, मानवीय दृष्टिकोण और क्षेत्रीय नेतृत्व को सुदृढ़ किया, साथ ही मानवीय संकटों के समाधान और लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के समर्थन का संदेश दिया।
1971 की विजय के पीछे नेतृत्व
- राजनीतिक स्तर पर युद्ध का नेतृत्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया, जिनकी कूटनीतिक और रणनीतिक निर्णय निर्णायक रहे।
- सैन्य मोर्चे पर फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ (तत्कालीन थलसेना प्रमुख) के दूरदर्शी नेतृत्व में अभियान संचालित हुआ।
- लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने पूर्वी मोर्चे का नेतृत्व किया और ढाका में पाकिस्तानी आत्मसमर्पण स्वीकार किया।
- ये नेता भारत की महानतम सैन्य उपलब्धियों के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं।
विजय दिवस 2025: राष्ट्रीय एवं सैन्य आयोजन
- 2025 में विजय दिवस की 54वीं वर्षगांठ के अवसर पर देशभर में सैन्य, सांस्कृतिक और जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
- प्रमुख आकर्षण के रूप में 16 दिसंबर 2025 को हेडक्वार्टर ईस्टर्न कमांड द्वारा कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के मंगल पांडे प्रशिक्षण क्षेत्र, विजय दुर्ग में भव्य मिलिट्री टैटू का आयोजन किया गया।
भारत–बांग्लादेश की साझा स्मृति
- विजय दिवस भारत और बांग्लादेश—दोनों के लिए साझा स्मरण दिवस है।
- भारत में इसे विजय दिवस और बांग्लादेश में बिजॉय डिबोस के रूप में मनाया जाता है।
- यह दिवस 1971 की घटनाओं पर आधारित साझा इतिहास, आपसी सम्मान और स्थायी मित्रता का प्रतीक है।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways)
- विजय दिवस/बिजॉय डिबोस: हर वर्ष 16 दिसंबर
- 2025: विजय दिवस की 54वीं वर्षगांठ
- 1971 के भारत–पाक युद्ध में भारत की विजय की स्मृति
- 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना का आत्मसमर्पण
- युद्ध अवधि: 3–16 दिसंबर 1971 (13 दिन)
- परिणाम: बांग्लादेश का निर्माण और लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण


राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2025: इतिहा...
अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरे...
अंतर्राष्ट्रीय तटस्थता दिवस 2025: इतिहास...

