केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में अगले दो साल में नौ और हवाई अड्डों का निर्माण किया जाएगा। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार नागरिक उड्डयन क्षेत्र को बहुत महत्व दे रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 65 वर्षों में केवल 74 हवाई अड्डों का निर्माण किया गया था, जबकि मोदी सरकार के पिछले नौ वर्षों में 75 हवाई अड्डों का विकास किया गया है जिससे कुल संख्या 149 हो गई है। इनमें हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट और वाटरड्रोम शामिल हैं।
नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि 149 वर्षों में केवल तीन ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का निर्माण किया गया था, जबकि 20214 से वर्तमान सरकार की ओर से 12 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे विकसित किए गए हैं। सिंधिया ने कहा कि 65 साल में उत्तर प्रदेश में छह हवाई अड्डे विकसित किए गए। उसके बाद मोदी सरकार के कार्यकाल में पिछले नौ वर्षों में राज्य में तीन नए हवाई अड्डों का निर्माण किया गया। सिंधिया ने कहा, “हम उत्तर प्रदेश में अगले दो वर्षों में नौ और हवाई अड्डों का निर्माण करेंगे।”
मेरठ हवाई अड्डे के बारे में एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त 115 एकड़ जमीन उपलब्ध कराए जाने के बाद वीएफआर (विजुअल फ्लाइट रेटिंग) का उपयोग करने वाले एटीआर विमानों के साथ परिचालन शुरू किया जा सकता है। सिंधिया ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, “मेरठ एक बिना लाइसेंस वाला हवाई अड्डा है और आरसीएस उड़ानों के विकास और संचालन के लिए उड़ान योजना के तहत बोली के तीसरे दौर के दौरान इसकी पहचान की गई थी।
19 सीटों वाले विमान
उड़ान 4.2 दौर की बोली के तहत मेरठ-लखनऊ-मेरठ मार्ग पर 19 सीटों वाले विमान और प्रति सप्ताह 119 सीटों की फ्रिक्वेंसी वाली आरसीएस उड़ानों के संचालन के लिए फ्लाईबिग को ठेका दिया गया है, न कि एटीआर 72 के लिए। उन्होंने कहा, “हवाई अड्डे के तैयार होने और लाइसेंस प्राप्त होने के बाद ही, चयनित एयरलाइंस ऑपरेटर मेरठ हवाई अड्डे से आरसीएस उड़ानों का संचालन शुरू कर सकेंगे।”