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शहरी एक्सटेंशन रोड-II: एनसीआर की जाम-मुक्ति और कनेक्टिविटी बढ़ाने वाली दिल्ली की नई जीवनरेखा

दिल्ली की वर्षों पुरानी ट्रैफिक जाम की समस्या को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अर्बन एक्सटेंशन रोड-II (UER-II) का उद्घाटन हो चुका है। दिल्ली की तीसरी रिंग रोड (NH-344M) का यह अहम हिस्सा राजधानी और एनसीआर के परिवहन ढांचे को बदलने जा रहा है। यह परियोजना तेज़ मार्ग, बेहतर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और यात्रा समय में बड़ी कटौती सुनिश्चित करेगी—विशेषकर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे तक पहुँचने में।

UER-II का रणनीतिक महत्व

क्षेत्रीय एकीकरण
UER-II तीन अहम राजमार्गों—NH-44, NH-09 और द्वारका एक्सप्रेसवे—को जोड़ता है, जिससे हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड से दिल्ली आने वाले वाहनों के लिए एक सहज गलियारा बनेगा।

एयरपोर्ट पहुँच
चंडीगढ़ जैसे शहरों से आने वाले यात्री अब IGI हवाई अड्डे तक तेज़ी से पहुँच सकेंगे, क्योंकि उन्हें दिल्ली के भीतरी जाम वाले मार्गों से नहीं गुजरना पड़ेगा।

अंतर्राज्यीय व्यापार और लॉजिस्टिक्स
बवाना और दिचाऊं कलां जैसे औद्योगिक हब तक सीधा जुड़ाव माल परिवहन को आसान बनाएगा और एनसीआर की आर्थिक दक्षता को बढ़ाएगा।

UER-II परियोजना की प्रमुख विशेषताएँ

परियोजना के पैकेज

  • पैकेज 1

    • लंबाई: 15.7 किमी

    • मार्ग: NH-44 से कराला-कांझावला रोड

    • प्रकार: छह-लेन एक्सेस-नियंत्रित हाईवे

  • पैकेज 2

    • लंबाई: 13.45 किमी

    • मार्ग: कराला-कांझावला रोड से नजफगढ़-नांगलोई रोड

    • प्रकार: छह-लेन कॉरिडोर

  • पैकेज 4

    • लंबाई: 29.6 किमी

    • मार्ग: UER-II से सोनीपत बाईपास (NH-344P) तक

    • कनेक्टिविटी: बवाना औद्योगिक क्षेत्र और NH-352A को जोड़ता है, जिससे NH-44 का जाम बाईपास होता है।

  • पैकेज 5

    • लंबाई: 7.3 किमी

    • मार्ग: UER-II से बहादुरगढ़ बाईपास (NH-344N) तक

    • कनेक्टिविटी: दिचाऊं कलां को NH-09 और KMP एक्सप्रेसवे से जोड़ता है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर इंटीग्रेशन

  • इंटरचेंज:

    • NH-44 (अलीपुर)

    • NH-09 (मुंडका)

    • बहादुरगढ़ स्पर

  • रेल ओवरब्रिज: दिल्ली-बठिंडा रेल लाइन पर

  • सीधे मार्ग: बहादुरगढ़, सोनीपत और IGI हवाई अड्डे तक

डिकंजेशन लक्ष्य

  • इनर और आउटर रिंग रोड

  • मुकरबा चौक

  • धौला कुआं

  • NH-09 के जाम बिंदु

पर्यावरण और सतत विकास पर असर

  • रीसायकल सामग्री का उपयोग: भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल से 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक अपशिष्ट सामग्री का उपयोग किया गया, जिससे पर्यावरणीय भार कम हुआ।

  • ग्रीन इनिशिएटिव्स: 10,000 से अधिक पेड़ों को काटने की बजाय स्थानांतरित किया गया, जिससे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील विकास का उदाहरण पेश हुआ।

  • सामाजिक-आर्थिक लाभ: बेहतर कनेक्टिविटी से दिल्ली के बाहरी और पिछड़े क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार के अवसर बनेंगे, रियल एस्टेट का मूल्य बढ़ेगा और औद्योगिक विकास को सहारा मिलेगा।

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