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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ₹1 लाख करोड़ के स्टार्टअप फंड ‘अनुसंधान’ के दूसरे संस्करण का अनावरण किया

भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने देश से विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी नवाचार (home-grown innovation) को बढ़ावा देने का आह्वान किया है। वे TiEcon Delhi-NCR सम्मेलन में बोल रहे थे, जहाँ उन्होंने भारत के डिजिटल नेतृत्व से तकनीकी आत्मनिर्भरता (Technological Self-Reliance) की दिशा में परिवर्तन पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की थीम 

इस वर्ष का सम्मेलन थीम — “India’s Deeptech Moment: From Digital Leadership to Technological Sovereignty” (भारत का डीपटेक क्षण: डिजिटल नेतृत्व से तकनीकी प्रभुत्व की ओर) — पर आधारित था।

पीयूष गोयल ने कहा कि भारत को अब ‘स्वदेशी की भावना (Spirit of Swadeshi)’ से प्रेरित होकर नवाचार का मार्ग अपनाना चाहिए, ताकि वैश्विक अस्थिरता और बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों के बीच भारत आत्मनिर्भर बन सके।

नई स्टार्टअप एवं नवाचार निधियाँ 

अपने संबोधन के दौरान, मंत्री ने अनुसंधान और नवाचार को गति देने के लिए दो महत्वपूर्ण वित्तीय पहलें घोषित कीं:

  1. स्टार्टअप फंड ऑफ फंड्स (द्वितीय संस्करण) — जो प्रारंभिक चरण के डीपटेक स्टार्टअप्स (Deeptech Startups) को सहयोग देगा।

  2. ₹1 लाख करोड़ का अनुसंधान (Anusandhan) फंड — जो शोध, उत्पाद विकास और परिवर्तनकारी तकनीकों (transformative technologies) के वित्तपोषण हेतु स्थापित किया गया है।

इन पहलों से भारत के डीपटेक इकोसिस्टम (Deeptech Ecosystem) को मजबूती मिलेगी और उद्यमियों को देश में ही अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

भारत का वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में रूपांतरण 

पीयूष गोयल ने बताया कि पिछले दशक में भारत ने “विश्व का सॉफ्टवेयर प्रदाता (Software Provider of the World)” से आगे बढ़कर अब वैश्विक नवाचार केंद्र (Global Innovation Hub) का रूप ले लिया है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने यह सिखाया कि लचीली आपूर्ति श्रृंखला (Resilient Supply Chains) और महत्वपूर्ण तकनीकों — जैसे सेमीकंडक्टर्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आदि — पर घरेलू नियंत्रण आवश्यक है।

TiE और स्टार्टअप इकोसिस्टम की भूमिका 

मंत्री ने TiE (The Indus Entrepreneurs) संगठन की सराहना की, जिसने युवा डीपटेक उद्यमियों को सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान किया है।
उन्होंने कहा कि TiEcon जैसे आयोजन भारत के तकनीक-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन के मील के पत्थर हैं।

गोयल ने स्टार्टअप्स, निवेशकों और शैक्षणिक संस्थानों (जैसे IITs) से आह्वान किया कि वे मिलकर डीपटेक अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र (robust ecosystem) तैयार करें।

डिजिटल परिवर्तन और आर्थिक प्रगति 

मंत्री ने याद दिलाया कि 2014 के बाद भारत के डिजिटल परिवर्तन ने देश की आर्थिक दिशा ही बदल दी।
उन्होंने बताया कि भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 25 करोड़ से बढ़कर 100 करोड़ से अधिक हो चुकी है, जिससे कई प्रमुख सरकारी योजनाएँ सफल हुईं —

  • जन धन योजना,

  • आधार,

  • डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), और

  • प्रधानमंत्री किसान योजना (PM-Kisan)

उन्होंने कहा कि इस डिजिटल प्रगति के चलते भारत अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अगले दो वर्षों में तीसरे स्थान पर पहुँचने का लक्ष्य है, जबकि 2047 तक 30–32 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का विज़न है।

भविष्य के विकास के प्रमुख क्षेत्र 

पीयूष गोयल ने भारत की डीपटेक वृद्धि के लिए कुछ प्रमुख क्षेत्रों को रेखांकित किया —

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI)

  • क्वांटम कंप्यूटिंग (Quantum Computing)

  • सेमीकंडक्टर्स (Semiconductors)

  • रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक (Defence & Space Technologies)

  • बौद्धिक संपदा विकास (Intellectual Property Development)

उन्होंने यह भी बताया कि भारत के पास हर वर्ष लगभग 15 लाख इंजीनियर और 24 लाख STEM स्नातक तैयार होते हैं, जो भारत को वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में बढ़त प्रदान करते हैं।

आत्मनिर्भर भविष्य की दृष्टि 

अपने संबोधन के अंत में मंत्री ने युवाओं से आह्वान किया —

वैश्विक सोचें, लेकिन स्थानीय बनाएं (Think Globally, Build Locally)।”

उन्होंने कहा कि भारत के उद्यमियों को ऐसे नवाचार विकसित करने चाहिए जो देश और दुनिया दोनों की जरूरतें पूरी करें।
गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि सहयोग (Collaboration), रचनात्मकता (Creativity) और आत्मविश्वास (Confidence) — ये तीन स्तंभ भारत को डीपटेक महाशक्ति (Deeptech Superpower) बनाने और सच्ची तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में निर्णायक सिद्ध होंगे।

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