Home   »   टाटा मोटर्स ने रचा इतिहास: इटली...

टाटा मोटर्स ने रचा इतिहास: इटली की इवेको को ₹34600 करोड़ में खरीदा

टाटा मोटर्स ने 30 जुलाई 2025 को ऐलान किया कि उसकी कार्यकारी समिति ने इटली की इवेको ग्रुप NV की 100% हिस्सेदारी खरीदने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। यह पूरी तरह नकद सौदा करीब 3.8 अरब यूरो (लगभग ₹34,600 करोड़) का है, जो सभी जरूरी मंजूरियों पर निर्भर करेगा। खास बात यह है कि यह डील इवेको के डिफेंस बिजनेस को शामिल नहीं करती, जिसे वह पहले ही अलग बेचने की तैयारी में है।

टाटा मोटर्स की भारत में मजबूत स्थिति

यह विलय टाटा मोटर्स की भारत में मजबूत स्थिति को इवेको की यूरोप और अमेरिका में स्थापित उपस्थिति के साथ जोड़ेगा। दोनों कंपनियों के संयुक्त रूप से वार्षिक राजस्व €22 अरब (₹2.2 लाख करोड़) होगा और ये सालाना 5.4 लाख से अधिक यूनिट्स की बिक्री करेंगी। इनकी बाज़ार हिस्सेदारी यूरोप में 50%, भारत में 35% और अमेरिका में 15% होगी। इसके साथ ही, एशिया और अफ्रीका जैसे उभरते बाजारों में भी आकर्षक विकास की संभावनाएं हैं। कंपनियों का कहना है कि यह साझेदारी उत्पाद पोर्टफोलियो और भौगोलिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे की पूरक है, और उनके मौजूदा परिचालनों में कोई खास ओवरलैप नहीं है।

इवेको ग्रुप कौन है?

इवेको ग्रुप, जिसकी स्थापना जून 2021 में हुई और मुख्यालय इटली के ट्यूरिन में है, ट्रक, बसें, पावरट्रेन और वित्तीय सेवाएं बनाने वाली वैश्विक कंपनी है। उसका वित्त वर्ष 2024 का कारोबार (रक्षा व्यवसाय सहित) 15.3 अरब यूरो था। गैर-रक्षा व्यवसाय यूरोप, भारत, अमेरिका और 30 से ज्यादा देशों में फैला है।

टाटा को क्या मिलेगा?

यह अधिग्रहण टाटा मोटर्स की वैश्विक वाणिज्यिक वाहन बाजार में नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को बल देगा। इससे उसे नई तकनीकों तक पहुंच, बाजार विस्तार और उत्पाद विविधीकरण में मदद मिलेगी। डील पूरी होने पर नई इकाई सालाना 5.4 लाख यूनिट बेचेगी और उसका राजस्व 22 अरब यूरो आंका गया है, जिसमें यूरोप (50%), भारत (35%) और अमेरिकी देशों (15%) का योगदान होगा।

बड़े शेयरधारक का समर्थन

इवेको के सबसे बड़े शेयरधारक एक्सोर एन.वी. (27.06% हिस्सेदारी) ने सौदे का समर्थन करने का ठोस वादा किया है। इवेको के बोर्ड ने भी टाटा के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार करने की सिफारिश की है। माना जा रहा है कि यह डील अप्रैल 2026 तक पूरी हो जाएगी, जिसके लिए यूरोपीय संघ और अन्य देशों की मर्जर मंजूरियां जरूरी हैं।

prime_image

TOPICS: