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सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व CJI को पश्चिम बंगाल में वीसी चयन समिति का प्रमुख नियुक्त किया

9 जुलाई, 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित को पश्चिम बंगाल में राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों की देखरेख करने के लिए गठित एक नवगठित खोज-सह-चयन समिति का प्रमुख नियुक्त किया।

कानूनी आधार

यह आदेश पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 138 के तहत दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर पारित किया गया था। इस याचिका ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 जून, 2023 के आदेश को चुनौती दी, जिसने राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा की गई 13 राज्य-संचालित विश्वविद्यालय कुलपति नियुक्तियों की वैधता को बरकरार रखा था।

छह सदस्यीय खोज और चयन समिति

सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर छह सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है। इस समिति के बारे में मुख्य बिंदु हैं:

  1. समिति प्रत्येक कुलपति पद के लिए वर्णमाला क्रम में तीन नामों का एक पैनल तैयार करेगी।
  2. अनुशंसित नाम मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किए जाएंगे।
  3. मुख्यमंत्री अनुपयुक्त समझे जाने वाले नामों को अस्वीकार कर सकते हैं और कुलाधिपति (राज्य राज्यपाल) को विकल्प सुझा सकते हैं।
  4. यदि कुलाधिपति किसी नाम से सहमत हैं, तो नियुक्ति एक सप्ताह के भीतर की जानी चाहिए।
  5. कुलाधिपति और मुख्यमंत्री के बीच असहमति की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय अंतिम प्राधिकारी होगा।

मामले की पृष्ठभूमि

2022 कलकत्ता उच्च न्यायालय का फैसला

  • अदालत ने फैसला सुनाया कि पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2018 यूजीसी के दिशानिर्देशों के विपरीत था और इसलिए अवैध था।
  • इस अधिनियम के तहत की गई सभी कुलपति नियुक्तियों को अवैध माना गया, जिससे इस्तीफे हुए।

राज्य सरकार का जवाब

  • यूजीसी के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश 2019 जारी किया।
  • अंतरिम कुलपति पदों के लिए राज्यपाल को 27 नाम सौंपे।

राज्यपाल के कार्य

  • राज्य की सूची से केवल दो नाम स्वीकार किए।
  • राज्य सरकार से परामर्श किए बिना 13 अंतरिम कुलपति नियुक्त किए।

कानूनी चुनौतियां

  • राज्य सरकार ने राज्यपाल के कार्यों को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
  • उच्च न्यायालय ने 28 जून, 2023 को राज्यपाल की शक्ति को बरकरार रखा।
  • इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान निर्णय आया।

पश्चिम बंगाल के गवर्नर सी वी आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच तनावपूर्ण संबंधों में नियुक्ति का मुद्दा निहित है। उनकी निरंतर असहमति ने इस गतिरोध को जन्म दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि वे “एक कप कॉफ़ी” पर मिलकर अपने विवादों को सुलझाएं।

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