अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 2.9 अरब डॉलर के राहत पैकेज की श्रीलंका की दूसरी किस्त में देरी होने की आशंका है क्योंकि नकदी संकट से जूझ रहे देश के विदेशी ऋण पुनर्गठन की प्रकृति बेनतीजा है। बता दें कि श्रीलंका पिछले साल इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट से प्रभावित हुआ जब देश का विदेशी मुद्रा भंडार एक महत्वपूर्ण निचले स्तर पर गिर गया और जनता ईंधन, उर्वरकों और आवश्यक वस्तुओं की कमी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आई।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस साल मार्च में श्रीलंका की आर्थिक नीतियों और सुधारों का समर्थन करने के लिए विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) के तहत 48 महीने के लिए 2.9 अरब डॉलर की विस्तारित व्यवस्था को मंजूरी दी थी। देश के लिए वैश्विक ऋणदाता-समर्थित विस्तारित निधि सुविधा कार्यक्रम की पहली समीक्षा के लिए श्रीलंका का दौरा करने वाले आईएमएफ मिशन ने कहा कि स्थिरीकरण के शुरुआती संकेतों के बावजूद, पूर्ण आर्थिक सुधार अभी तक सुनिश्चित नहीं है। श्रीलंका के वित्त राज्य मंत्री रंजीत सियाम्बलपिटिया ने पिछले सप्ताह कहा था कि समीक्षा के अंत में करीब 330 करोड़ डॉलर की दूसरी किस्त जारी होने की उम्मीद है।
आईएमएफ मिशन के टीम लीडर ने क्या कहा?
आईएमएफ मिशन के टीम लीडर पीटर ब्रेयर ने कोलंबो में कहा कि चूंकि श्रीलंका अपने सार्वजनिक ऋण का पुनर्गठन कर रहा है, जो बकाया है, इसलिए पहले कार्यक्रम की समीक्षा के लिए कार्यकारी बोर्ड की मंजूरी के लिए वित्तपोषण आश्वासन समीक्षाओं को पूरा करने की आवश्यकता है। ये वित्तपोषण आश्वासन समीक्षाएं इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगी कि क्या ऋण पुनर्गठन के साथ पर्याप्त प्रगति की गई है ताकि यह विश्वास दिलाया जा सके कि यह समय पर और कार्यक्रम के ऋण लक्ष्यों के अनुरूप संपन्न होगा।
पृष्ठभूमि
श्रीलंका ने अप्रैल 2022 में अपने पहले संप्रभु ऋण डिफ़ॉल्ट की घोषणा के बाद आईएमएफ से बेलआउट की मांग की। इस संकट के कारण राजनीतिक उथल-पुथल मच गई, जुलाई 2022 में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया। उनके उत्तराधिकारी, रानिल विक्रमसिंघे ने मुद्रास्फीति से निपटने के लिए उपाय लागू किए। इनमें कर और उपयोगिता सेवा सुधार शामिल हैं, हालांकि विश्लेषकों का सुझाव है कि अर्थव्यवस्था केवल आंशिक रूप से ही ठीक हुई है।
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