भारत और सिंगापुर के बीच रणनीतिक सहयोग को नई दिशा मिली है। 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के दौरान सिंगापुर ने औपचारिक रूप से भारत की मलक्का जलडमरूमध्य में गश्त करने की योजना का समर्थन किया। यह कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गहरी साझेदारी और समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मलक्का जलडमरूमध्य का सामरिक महत्व
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यह जलडमरूमध्य हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है।
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विश्व के 60% से अधिक समुद्री व्यापार इसी मार्ग से होकर गुजरता है।
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यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और व्यापारिक हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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भारत की गश्त योजना को सिंगापुर का समर्थन मिलने से,
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क्षेत्रीय समुद्री निगरानी मजबूत होगी।
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चीनी नौसैनिक गतिविधियों से जुड़ी चिंताओं का संतुलन होगा।
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भारत की Act East नीति और Indo-Pacific रणनीति को मजबूती मिलेगी।
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भारत-सिंगापुर रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में भविष्य की तकनीकों पर सहयोग बढ़ाने की घोषणा हुई, जिनमें शामिल हैं—
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क्वांटम कंप्यूटिंग
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
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स्वचालन प्रणालियाँ (Automation systems)
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मानवरहित नौसैनिक वाहन (Unmanned Vessels/UAVs)
यह पारंपरिक सैन्य सहयोग से आगे बढ़कर भविष्य की रणनीतिक क्षमताओं पर केंद्रित नई दिशा का संकेत देता है।
परीक्षा हेतु मुख्य तथ्य
मलक्का जलडमरूमध्य (Strait of Malacca):
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स्थान: इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप (पश्चिम) और मलेशिया व दक्षिणी थाईलैंड (पूर्व) के बीच।
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जोड़ता है: अंडमान सागर (हिंद महासागर) को दक्षिण चीन सागर (प्रशांत महासागर) से।
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महत्व:
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मध्य पूर्व और पूर्वी एशिया के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग।
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एशिया–मध्य पूर्व–यूरोप व्यापार के लिए लागत और समय की बचत।
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चीन और जापान जैसे बड़े एशियाई उपभोक्ताओं के लिए मुख्य तेल आपूर्ति मार्ग।
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