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RBI ने कस्टमर सर्विस डिलीवरी को बेहतर बनाने के लिए रीजनल लैंग्वेज बैंकिंग को मज़बूत किया

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं जिनके तहत बैंकों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे ग्राहक सेवाएँ क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराएँ। यह कदम स्थानीय संचार आवश्यकताओं को पूरा करने, ग्रामीण और अर्ध-शहरी उपभोक्ताओं की पहुँच बढ़ाने तथा बैंकिंग प्रणाली में भाषाई समावेशन, वित्तीय साक्षरता और ग्राहक सशक्तिकरण को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

बैंकों के लिए त्रिभाषीय संचार नीति

RBI ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी ग्राहक संचार त्रिभाषीय प्रारूप में जारी किए जाएँ —

  • हिंदी

  • अंग्रेज़ी

  • संबंधित क्षेत्रीय भाषा

यह प्रावधान लिखित संचार, नोटिस, प्रकटीकरण, खाता दस्तावेज़, तथा शिकायत निवारण संचार आदि सभी पर लागू होता है, जिससे ग्राहक अपने अधिकारों और बैंकिंग प्रक्रियाओं को अपनी भाषा में समझ सकें।

शाखा-स्तरीय सेवा प्रबंधन और ग्राहक संसाधन

RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंकों को बोर्ड-अनुमोदित शाखा प्रबंधन नीतियाँ अपनानी होंगी। प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:

  • बैंक काउंटर्स पर डिस्प्ले इंडिकेटर बोर्ड लगाना

  • सभी सेवाओं और सुविधाओं का विवरण देने वाली ग्राहक-अनुकूल पुस्तिकाएँ उपलब्ध कराना

  • मुद्रित सामग्री हिंदी, अंग्रेज़ी और क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध कराना, जैसे —

    • खाता खोलने के फॉर्म

    • पे-इन स्लिप

    • पासबुक

    • शिकायत निवारण से जुड़ी जानकारी

इसके अलावा, बैंकों को बहुभाषीय संपर्क केंद्र (कॉल सेंटर) और डिजिटल बैंकिंग चैनलों को भी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है, ताकि पूरे देश में सेवा गुणवत्ता में सुधार हो।

क्षेत्रीय भाषा बैंकिंग के लिए केंद्र सरकार का सहयोग

वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) को RBI की भाषा संबंधी निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन करने की सलाह दी है।

इंडियन बैंक्स’ एसोसिएशन (IBA) ने भी बैंकों को सलाह दी है कि वे स्थानीय भाषा की आवश्यकता वाले क्षेत्रों के लिए लोकल बैंक ऑफिसर्स (LBOs) की भर्ती नीतियाँ तैयार करें।

फ्रंटलाइन बैंक कर्मचारियों के लिए स्थानीय भाषा अनिवार्य

प्रभावी ग्राहक सेवा सुनिश्चित करने के लिए PSBs ने Customer Service Associates (CSAs) की भर्ती में स्थानीय भाषा प्रवीणता परीक्षा (Local Language Proficiency Test – LPT) को अनिवार्य कर दिया है। उम्मीदवारों को उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की भाषा में उत्तीर्ण होना जरूरी है, जहाँ उन्हें नियुक्त किया जाएगा।

इसके परिणामस्वरूप:

  • सुगम संचार

  • सांस्कृतिक समझ

  • भाषा संबंधी बाधाओं में कमी

  • शिकायत निवारण में सुधार

जैसे लाभ प्राप्त होंगे, जिससे विशेषकर ग्रामीण व अर्ध-शहरी शाखाओं में ग्राहक-बैंक संवाद अधिक प्रभावी बनेगा।

संसदीय जानकारी

इन सभी विवरणों को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में लिखित उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया। सरकार ने बहुभाषीय बैंकिंग को वित्तीय समावेशन और ग्राहक संतुष्टि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

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