
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निगरानी के कार्यों में कृत्रिम मेधा तथा मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करने के लिए सात वैश्विक परामर्शदाता कंपनियों को छांटा है। इन कंपनियों में प्राइसवॉटरहाउस कूपर्स, मैकिंसे और बोस्टन कंसल्टिंग समूह (भारत) शामिल हैं। आरबीआई अपने व्यापक डेटाबेस का विश्लेषण करने और बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर नियामक निगरानी को बेहतर करने हेतु आधुनिक विश्लेषण, कृत्रिम मेधा और मशीन लर्निंग का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना चाहता है। इसके लिए उसकी योजना बाहरी विशेषज्ञों की सेवाएं लेने की है।
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केंद्रीय बैंक ने इस वर्ष सितंबर में अभिरुचि पत्र आमंत्रित किए थे। आरबीआई के एक दस्तावेज के मुताबिक अभिरुचि पत्र के आधार पर सात आवेदकों को छांटा गया है। ये आवेदक परामर्शदाता को चुनने के लिए होने वाली आगे की प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। आरबीआई निगरानी प्रक्रियाओं में कृत्रिम मेधा और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल पहले से कर रहा है। हालांकि, अब वह चाहता है कि आधुनिक विश्लेषण के लाभ इसके निगरानी विभाग को भी मिलें।
कौन हैं ये 7 कंपनियां:
आरबीआई द्वारा शॉर्टलिस्ट की गई सात कंपनियां हैं: एक्सेंचर सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, डेलॉयट टच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी, अर्न्स्ट एंड यंग एलएलपी, केपीएमजी एश्योरेंस एंड कंसल्टिंग सर्विसेज एलएलपी, मैकिन्से एंड कंपनी और प्राइसवाटरहाउस कूपर्स प्राइवेट लिमिटेड।



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