मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की 4 मई को हुई एक अनिर्धारित बैठक में, रिज़र्व बैंक ने accommodative stance’ यानी उदार रुख को छोड़ते हुए अब बेंचमार्क रेट को बढ़ाने का फैसला किया है. अगस्त 2018 के बाद आरबीआई के इस अचानक पहली बढ़ोतरी के फैसले से बैंकिंग प्रणाली में ब्याज दरों के बढ़ने की उम्मीद है. इससे घर, वाहन और अन्य व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट ऋणों पर समान मासिक इंस्टॉलेशन (ईएमआई) बढ़ने की संभावना है. जमा दरों, मुख्य रूप से निश्चित अवधि की दरों में भी वृद्धि होना तय है.
MPC के सभी छह सदस्यों ने स्थिर रुख बनाए रखने के अपने रुख को छोड़ते हुए दरों में वृद्धि के लिए वोट किया. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बढ़ती महंगाई, भूराजनीतिक तनाव, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और वैश्विक स्तर पर जिंसों की कमी को देखते हुए यह फैसला लिया गया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है.
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2-4 मई, 2022 के बीच आयोजित अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) के तहत पॉलिसी रेपो दर को पहले के 4.00% से तत्काल प्रभाव से 40 आधार अंकों (bps) से बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है. आरबीआई ने 21 मई, 2022 से प्रभावी नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 4.50 प्रतिशत कर दिया है.
नतीजतन, विभिन्न दरें निम्नानुसार हैं:
- पॉलिसी रेपो दर: 4.40%
- स्थायी जमा सुविधा (SDF) = 4.15%
- सीमांत स्थायी सुविधा दर: 4.65%
- बैंक दर: 4.65%
- CRR: 4.50% (21 मई, 2022 से प्रभावी)
- SLR: 18.00%
सरकारी प्रतिभूतियों (G-Sec) मार्किट ने दर वृद्धि पर नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की. 10-वर्षीय जी-सेक बेंचमार्क की कीमत इंट्राडे में लगभग 1.90 रुपये गिर गई, इसकी उपज में 28 आधार अंकों की वृद्धि हुई.
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
- आरबीआई के 25वें गवर्नर: शक्तिकांत दास; मुख्यालय: मुंबई; स्थापित: 1 अप्रैल 1935, कोलकाता.