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RBI ने वित्तीय बाजार समय की व्यापक समीक्षा शुरू की

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने विभिन्न विनियमित वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग और सेटलमेंट समय की समीक्षा करने के लिए नौ-सदस्यीय कार्य समूह (वर्किंग ग्रुप) का गठन किया है। यह कदम बदलते बाज़ार परिवेश, डिजिटलीकरण में वृद्धि और भारतीय बाज़ार को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। यह कार्य समूह अपनी रिपोर्ट 30 अप्रैल 2025 तक प्रस्तुत करेगा।

RBI अभी बाजार समय की समीक्षा क्यों कर रहा है?

हाल के वर्षों में भारत का वित्तीय बाज़ार संरचना में बड़े बदलाव हुए हैं। इस बदलाव के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

  • इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का विस्तार, जिससे लेन-देन तेज़ और कुशल हुआ है।
  • विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) और कुछ ब्याज दर डेरिवेटिव बाज़ारों में 24×5 ट्रेडिंग का प्रचलन बढ़ा है।
  • भारतीय बाज़ारों में विदेशी निवेशकों की बढ़ती भागीदारी।
  • भुगतान प्रणालियों की चौबीसों घंटे उपलब्धता।

इन सभी कारकों के कारण मौजूदा ट्रेडिंग और सेटलमेंट समय में बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि लेन-देन सुचारू हो, मूल्य खोज (प्राइस डिस्कवरी) बेहतर हो, और तरलता (लिक्विडिटी) से जुड़ी समस्याएं कम हों।

RBI कार्य समूह के सदस्य कौन हैं?

इस कार्य समूह की अध्यक्षता राधा श्याम रथो, कार्यकारी निदेशक, RBI द्वारा की जा रही है। अन्य प्रमुख सदस्य हैं:

  • रवि रंजन – उप प्रबंध निदेशक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
  • ललित त्यागी – कार्यकारी निदेशक, बैंक ऑफ बड़ौदा
  • आशीष पार्थसारथी – ग्रुप हेड ऑफ ट्रेजरी, एचडीएफसी बैंक
  • परुल मित्तल सिन्हा – हेड ऑफ फाइनेंशियल मार्केट्स, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक
  • अश्विनी सिंधवानी – CEO, फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FEDAI)
  • रवींद्रनाथ गांदरकोटा – CEO, फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FIMMDA)
  • शैलेन्द्र झिंगन – अध्यक्ष, प्राइमरी डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (PDAI)
  • डिंपल भंडारी – चीफ जनरल मैनेजर, फाइनेंशियल मार्केट्स रेगुलेशन डिपार्टमेंट, RBI (सदस्य सचिव)

कार्य समूह किन पहलुओं पर ध्यान देगा?

RBI ने कार्य समूह को निम्नलिखित बिंदुओं पर काम करने का निर्देश दिया है:

  • मौजूदा ट्रेडिंग घंटों की समीक्षा करना, जिसमें बैंकिंग, फॉरेक्स और सिक्योरिटीज़ बाज़ार शामिल हैं।
  • मौजूदा समय से होने वाली संभावित चुनौतियों को समझना, जैसे कि तरलता की कमी, अस्थिरता (वोलैटिलिटी), और मूल्य निर्धारण में अक्षमता।
  • अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों का अध्ययन करना और यह समझना कि अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में बाज़ार समय कैसे काम करता है।
  • संभावित बदलावों के लागत और लाभ का मूल्यांकन करना, जिससे विभिन्न हितधारकों पर प्रभाव को समझा जा सके।
  • बाज़ार संचालन को पारदर्शी और स्थिर बनाने के लिए अपनी सिफारिशें देना।

क्या यह पहली बार है जब RBI बाजार समय की समीक्षा कर रहा है?

नहीं। अगस्त 2018 में, RBI ने एक आंतरिक समूह का गठन किया था, जिसने जुलाई 2019 में अपनी रिपोर्ट जारी की थी। उस रिपोर्ट में ट्रेडिंग संरचना और सेटलमेंट प्रक्रिया में सुधार के सुझाव दिए गए थे। हालांकि, कोविड-19 महामारी के बाद, विदेशी निवेशकों की भागीदारी बढ़ने और तेज़ भुगतान प्रणालियों के चलते, RBI को अब दोबारा इस समीक्षा की आवश्यकता महसूस हुई है।

भारत के वित्तीय बाजारों के लिए आगे क्या?

यह कार्य समूह बैंकों, व्यापारियों, बाज़ार संघों और नीति निर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करेगा। समूह की अंतिम रिपोर्ट 30 अप्रैल 2025 तक प्रस्तुत की जाएगी। यदि इसमें किसी बदलाव की सिफारिश की जाती है और इसे लागू किया जाता है, तो ट्रेडिंग घंटों में संभावित बदलाव होंगे, जिससे निवेशकों, व्यापारियों और संस्थानों को अधिक अनुकूलित बाजार संचालन का लाभ मिलेगा।

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