भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तरलता कवरेज अनुपात (LCR) और परियोजना वित्तपोषण दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन को एक वर्ष के लिए टाल दिया है। अब इन नियमों का सबसे पहले 31 मार्च 2026 से लागू होने का अनुमान है। यह निर्णय सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा जताई गई चिंताओं के बाद लिया गया है, जिसमें बताया गया कि ये नियम संभावित तरलता चुनौतियां उत्पन्न कर सकते हैं।
RBI ने LCR नियमों को क्यों स्थगित किया?
LCR नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले थे। इन दिशानिर्देशों के तहत, बैंकों को अचानक निकासी प्रबंधन के लिए उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्तियों (HQLAs) का अधिक भंडार रखना आवश्यक होता। इस नियम के तहत, इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से प्राप्त खुदरा जमा (Retail Deposits) पर 5% अतिरिक्त रन-ऑफ फैक्टर लागू किया जाता, जिससे बैंकों को ₹4 लाख करोड़ से अधिक की राशि को ऋण देने के बजाय सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) में निवेश करना पड़ता। इससे बाजार में कर्ज की उपलब्धता सीमित हो सकती थी, जो व्यवसायों और उपभोक्ताओं को प्रभावित करता।
बैंकों की प्रमुख चिंताएं क्या थीं?
- तरलता संकट का खतरा: सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र के बैंकों ने इस बात पर चिंता जताई कि सख्त LCR नियम बैंकों की ऋण देने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
- क्रेडिट फ्लो में बाधा: बैंकों को निवेश और ऋण वितरण के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता था।
- विनियामक परामर्श: जनवरी 2025 के अंत में, RBI ने बैंकों से इस विषय पर चर्चा की और उन्होंने नियामक से अनुरोध किया कि समयसीमा को बढ़ाकर चरणबद्ध कार्यान्वयन की अनुमति दी जाए।
RBI की आगे की योजना क्या है?
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वित्तीय स्थिरता बनाए रखना प्राथमिकता है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बैंकिंग प्रणाली पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
- चरणबद्ध कार्यान्वयन की योजना बनाई जाएगी, जिससे बैंकों को नए नियमों के अनुकूल होने का पर्याप्त समय मिले।
- क्रेडिट फ्लो पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े, इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- RBI आगे बैंकों के साथ परामर्श जारी रखेगा और धीरे-धीरे नए नियमों को लागू करेगा ताकि वित्तीय प्रणाली पर कोई अनावश्यक दबाव न पड़े।
मुख्य बिंदु | विवरण |
क्यों चर्चा में है? | RBI ने तरलता कवरेज अनुपात (LCR) और परियोजना वित्तपोषण नियमों को एक साल के लिए स्थगित कर दिया। पहले इसे 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाना था, अब यह 31 मार्च 2026 से प्रभावी होगा। बैंकों ने इन नियमों के कारण संभावित ₹4 लाख करोड़ के ऋण प्रवाह पर प्रभाव पड़ने की चिंता जताई थी। |
तरलता कवरेज अनुपात (LCR) | बैंकों को 30 दिनों के शुद्ध नकदी बहिर्वाह को कवर करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्तियां (HQLAs) बनाए रखने की आवश्यकता होती है। |
LCR स्थगन का प्रभाव | बैंकों को अनुपालन के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा, जिससे तरलता की कमी को रोका जा सकेगा और क्रेडिट प्रवाह स्थिर रहेगा। |
बैंकों की चिंता | सख्त LCR नियमों से ऋण उपलब्धता सीमित हो सकती थी, जिससे उधारी क्षमता प्रभावित हो सकती थी। |
RBI गवर्नर | संजय मल्होत्रा |
अपेक्षित कार्यान्वयन दृष्टिकोण | चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिससे वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बना रहे। |