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रक्षाबंधन: 10 अनजाने तथ्य जो शायद आप नहीं जानते

रक्षाबंधन को व्यापक रूप से भाई-बहन के गहरे रिश्ते का उत्सव माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी (पवित्र धागा) बांधती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं तथा सुरक्षा का वचन निभाने का संकल्प लेते हैं।

लेकिन इस परिचित परंपरा के पीछे कई छुपी हुई कहानियां, क्षेत्रीय रीति-रिवाज, ऐतिहासिक क्षण और सामाजिक महत्व छिपा है। यहां रक्षाबंधन से जुड़े ऐसे दस रोचक तथ्य दिए गए हैं, जिनके बारे में अधिकतर लोग अनजान हैं।

1. नेपाल में भी मनाया जाता है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन को भले ही भारत से गहराई से जोड़ा जाता है, लेकिन यह नेपाल में भी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। वहां इसे “जनै पूर्णिमा” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ब्राह्मण और क्षेत्री समुदाय के पुरुष एक पवित्र धागा बदलने की रस्म निभाते हैं, जिसे जनै कहा जाता है, वहीं महिलाएं भारत की तरह ही अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। यह पर्व दोनों संस्कृतियों में पवित्रता, सुरक्षा और पारिवारिक संबंधों का प्रतीक है।

2. कभी राजनीतिक गठबंधन का प्रतीक रही राखी

रक्षाबंधन से जुड़ी एक ऐतिहासिक घटना 1535 में हुई, जब मेवाड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी। उनका राज्य संकट में था और यह राखी मदद और सुरक्षा का निवेदन थी। धार्मिक और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, हुमायूँ ने इस राखी को पवित्र बंधन माना और सहायता के लिए आगे बढ़े। यह दर्शाता है कि कभी रक्षाबंधन का उपयोग कूटनीतिक संबंध और विश्वास बनाने के लिए भी किया जाता था।

3. रक्षाबंधन जितना पुराना आप सोचते हैं, उससे भी पुराना है

रक्षाबंधन का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथ भविष्य पुराण में मिलता है, जिससे पता चलता है कि यह त्योहार 6,000 साल से भी अधिक पुराना है। प्रारंभ में यह सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं था, बल्कि युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के समय व्यापक सुरक्षा के अनुष्ठान के रूप में मनाया जाता था। राखी एक ताबीज की तरह होती थी, जिसका उपयोग आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों संदर्भों में किया जाता था।

4. पेड़ों और जानवरों को भी बांधी गई हैं राखियां

आधुनिक समय में पर्यावरण प्रेमी और पशु प्रेमी सुरक्षा की अवधारणा को और विस्तृत करते हुए पेड़ों, गायों और यहां तक कि पालतू जानवरों को भी राखी बांधते हैं। यह प्रकृति और अन्य जीवों की रक्षा का वचन दर्शाता है और इस बात को मजबूत करता है कि रक्षाबंधन केवल मानव संबंधों तक सीमित नहीं है। यह दिखाता है कि परंपराएं समय के साथ पर्यावरणीय और नैतिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कैसे रूपांतरित हो सकती हैं।

5. रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने रक्षाबंधन को हिन्दू–मुस्लिम एकता का माध्यम बनाया

1905 में बंगाल के विभाजन के समय, रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने रक्षाबंधन को हिन्दू–मुस्लिम एकता बढ़ाने के साधन के रूप में अपनाया। उन्होंने दोनों समुदायों के लोगों को एक-दूसरे को राखी बांधने के लिए प्रेरित किया, ताकि भाईचारे और सौहार्द का संदेश फैल सके। इस प्रकार, यह पर्व औपनिवेशिक काल में राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव का एक सशक्त प्रतीक बन गया।

6. प्रवासी भारतीय भी विश्वभर में मनाते हैं रक्षाबंधन

संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में बसे भारतीय परिवार भी रक्षाबंधन धूमधाम से मनाते हैं। यह उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखता है। कई अंतरराष्ट्रीय विद्यालयों में रक्षाबंधन को “राखी फ़ॉर फ़्रेंडशिप” के रूप में मनाया जाता है, जिससे विभिन्न संस्कृतियों के लोग भारतीय परंपराओं को समझ पाते हैं।

7. बहनें सैनिकों और पुलिसकर्मियों को भी बांधती हैं राखी

भारत के कई हिस्सों में, खासकर स्वतंत्रता दिवस के आसपास, महिलाएं और लड़कियां सेना के जवानों और पुलिस अधिकारियों को राखी बांधती हैं। यह उनके प्रति आभार और राष्ट्रीय गर्व व्यक्त करने का एक तरीका है। इस परंपरा का भाव यह है—“आप देश की रक्षा करते हैं; हम आपका धन्यवाद और सम्मान करते हैं।” इस रूप में रक्षाबंधन सुरक्षा की अवधारणा को पूरे राष्ट्र के रक्षकों तक विस्तारित करता है।

8. रक्षाबंधन संविधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है

रक्षाबंधन के आदर्श भारतीय संविधान में निहित कई मूल्यों से मेल खाते हैं—

  • बंधुत्व (Fraternity) – यह पर्व नागरिकों में एकता और भाईचारा बढ़ाता है।

  • समानता (Equality) – यह भाई–बहन के बीच आपसी सम्मान को दर्शाता है, चाहे लिंग कोई भी हो।

  • धर्मनिरपेक्षता (Secularism) – रक्षाबंधन धर्म, क्षेत्र और समुदाय से परे मनाया जाता है।

इस प्रकार, यह पर्व केवल सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों का भी प्रतिबिंब है।

9. राखी हमेशा महिलाएं ही नहीं बांधतीं

यद्यपि परंपरागत रूप से बहनें ही भाइयों को राखी बांधती हैं, कुछ समुदायों में पुरुष भी अपनी छोटी बहनों को राखी बांधते हैं, जो स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक है। यह प्रथा इस धारणा को चुनौती देती है कि केवल महिलाएं ही सुरक्षा चाहती हैं, और यह दर्शाती है कि ज़िम्मेदारी, स्नेह और सहयोग दोनों ओर से हो सकता है।

10. रक्षाबंधन के क्षेत्रीय रूप

भारत के सभी हिस्सों में रक्षाबंधन एक जैसे तरीके से नहीं मनाया जाता।

  • महाराष्ट्र – यह नारली पूर्णिमा के साथ आता है, जब मछुआरे समुद्र में नारियल चढ़ाकर मछली पकड़ने का नया मौसम शुरू करते हैं।

  • जम्मूसलूनो नामक त्योहार में बहनें भाइयों के बालों में चावल छिड़कती हैं और राखी के बजाय सुरक्षात्मक ताबीज बांधती हैं।

  • दक्षिण भारतआवणी अवित्तम् पर पुरुष धार्मिक अनुष्ठान में अपना जनेऊ बदलते हैं।

ये विविधताएं भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं और यह दिखाती हैं कि एक ही त्योहार देशभर में अलग-अलग अर्थ और रूप ले सकता है।

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