राज्यसभा के सभापति ने चार महिला सांसदों को उपाध्यक्ष के पैनल में नामांकित किया, जिससे राज्यसभा के इतिहास में पहली बार महिलाओं को पैनल में समान प्रतिनिधित्व मिला, जबकि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहली बार वर्ष 1996 में प्रस्तुत किया गया था, अभी भी लंबित है। यह भी उल्लेखनीय है कि पैनल में मनोनीत की गई सभी महिला सदस्य पहली बार सांसद चुनी गई हैं और श्रीमती एस फांगनोन कोन्याक नागालैंड से राज्यसभा सदस्य के रूप में चुनी गई पहली महिला हैं।
उप-सभापतियों के पैनल में मनोनीत महिला सदस्यों का विवरण इस प्रकार हैं-
पीटी उषा: वह पद्मश्री पुरस्कार विजेता और एक प्रसिद्ध एथलीट हैं। उन्हें जुलाई, 2022 में राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था। वह रक्षा समिति, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की सलाहकार समिति और एथिक्स कमेटी की सदस्य हैं।
एस. फांगनोन कोन्याक: वह भारतीय जनता पार्टी से हैं। वह अप्रैल, 2022 में नागालैंड से राज्यसभा सदस्य के रूप में चुनी गई पहली महिला हैं और संसद या राज्य विधानसभा के किसी भी सदन के लिए चुनी गई राज्य की दूसरी महिला हैं। वह परिवहन, पर्यटन और संस्कृति समिति, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति, महिला सशक्तिकरण समिति, सदन समिति और पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य संस्थान की गवर्निंग काउंसिल और चिकित्सा विज्ञान, शिलांग की सदस्य हैं।
डॉ. फौजिया खान : वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से हैं। वह अप्रैल, 2020 में राज्यसभा के लिए चुनी गईं।
वह महिला सशक्तिकरण समिति, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण समिति, विधि और न्याय मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य हैं।
सुलता देव: वह बीजू जनता दल से हैं। वह जुलाई, 2022 में राज्यसभा के लिए चुनी गईं। वह उद्योग समिति, महिला सशक्तिकरण समिति, लाभ के पद पर संयुक्त समिति, संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) समिति और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य हैं।
उपरोक्त महिला सदस्यों के अलावा, श्री वी विजयसाई रेड्डी, श्री घनश्याम तिवारी, डॉ. एल. हनुमंथैया और श्री सुखेंदु शेखर रे को भी उप-सभापतियों के पैनल में मनोनीत किया गया है।
राज्यसभा के उपाध्यक्ष का पैनल:
- संविधान का अनुच्छेद 118(1) संसद के प्रत्येक सदन को अपनी प्रक्रिया और अपने कार्य संचालन को विनियमित करने के लिये नियम बनाने का अधिकार देता है।
- संविधान के इस प्रावधान के तहत राज्यसभा ने वर्ष 1964 में अपनी प्रक्रिया और अपने कामकाज़ के संचालन को विनियमित करने के लिये नियमों को अपनाया था।
- राज्यसभा के नियमों के तहत सभापति सदस्यों में से उपसभापति का एक पैनल नामित करता है जो तब तक पद पर रहता है जब तक कि उपसभापति का एक नया पैनल नामित नहीं हो जाता।
- सभापति या उपसभापति की अनुपस्थिति में इनमें से कोई भी सदन की अध्यक्षता कर सकता है।
- राज्यसभा की अध्यक्षता करते समय उपसभापति के पास अध्यक्ष के समान शक्तियाँ होती हैं।