भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अगस्त 2025 बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय (Capex) वित्त वर्ष 2025–26 में 21.5% बढ़कर ₹2.67 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है। यह वृद्धि निजी निवेश में नई गति और विश्वास का संकेत देती है, खासकर बुनियादी ढाँचे और ग्रीनफ़ील्ड परियोजनाओं में। इसके पीछे मजबूत आर्थिक आधार, नीतिगत ढील और कंपनियों की बेहतर वित्तीय स्थिति जैसे कारक काम कर रहे हैं।
निजी निवेश बढ़ने के मुख्य कारण
“निजी कॉर्पोरेट निवेश: 2024-25 में वृद्धि और 2025-26 के लिए दृष्टिकोण” शीर्षक वाले आरबीआई बुलेटिन में इस सकारात्मक दृष्टिकोण को सक्षम करने वाले कई प्रमुख कारकों पर प्रकाश डाला गया है,
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भारतीय कंपनियों की लाभप्रदता (Profitability) में सुधार
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मजबूत नकदी भंडार और बैलेंस शीट
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विविधीकृत फंडिंग स्रोत (बैंक ऋण, इक्विटी बाज़ार, विदेशी उधारी)
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ब्याज दरों में गिरावट, चालू वित्त वर्ष में 100 बेसिस प्वाइंट तक नीतिगत दर कटौती की उम्मीद
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मुद्रास्फीति दबाव में कमी और कारोबारी भावना में सुधार
इन कारकों ने निजी निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है।
बुनियादी ढाँचा बना निवेश का सबसे बड़ा क्षेत्र
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बुनियादी ढाँचा क्षेत्र, खासकर ऊर्जा (पावर इंडस्ट्री), सबसे अधिक पूंजी निवेश आकर्षित कर रहा है।
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सरकार का फोकस ऊर्जा, परिवहन और शहरी सेवाओं में विकास पर है।
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परियोजनाओं के अनुसार अनुमानित पूंजीगत व्यय –
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FY25 → ₹2,20,132 करोड़
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FY26 → ₹2,67,432 करोड़
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यह सिर्फ चक्रीय सुधार (Cyclical Recovery) नहीं, बल्कि आर्थिक ढांचे में दीर्घकालिक वृद्धि को दर्शाता है।
वैश्विक जोखिम और सावधान आशावाद
हालाँकि घरेलू परिदृश्य मजबूत है, लेकिन RBI ने कुछ बाहरी चुनौतियों पर ध्यान दिलाया है:
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भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions)
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वैश्विक मांग में कमी
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अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाज़ारों में अनिश्चितता
फिर भी, निवेश परिदृश्य सावधान आशावादी है, क्योंकि –
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सरकार की सुविधाजनक नीतियाँ जारी हैं
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घोषित परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन पर ज़ोर दिया जा रहा है


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