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प्रवासी भारतीय दिवस 2024: इतिहास और महत्व

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देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। दरअसल, विदेशों में भारत का मान बढ़ाने वाले तमाम लोगों का सम्मान करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। उनकी उपलब्धियों को इस दिन सम्मान दिया जाता है और उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। यह दिवस महात्मा गांधी से भी जुड़ा हुआ है।

 

9 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस?

 

बता दें कि इस खास दिन का कनेक्शन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से रहा है। 9 जनवरी, 1915 को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आए थे इसलिए 9 जनवरी की तारीख को प्रवासी भारतीय दिवस मनाने के लिए चुना गया। पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का फैसला एलएम सिंघवी की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा स्थापित भारतीय डायस्पोरा पर उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार लिया गया था। 8 जनवरी 2002 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस को व्यापक स्तर पर मनाने की घोषणा की।

 

प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन मनाने का उद्देश्य?

 

प्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों को दुनिया के सामने लाना है, जिससे दुनिया को उनकी ताकत का अहसास हो सके। देश के विकास में भारतवंशियों का योगदान अविस्मरणीय है इसलिए साल 2015 के बाद से हर दो साल में एक बार प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आयोजित किया जाता है।

 

प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की शुरुआत

 

प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में की थी। हालांकि इस दिन का इतिहास 1915 से जुड़ा हुआ है। स्वर्गीय लक्ष्मीमल सिंघवी ने पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की संकल्पना की थी। उनकी अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा स्थापित भारतीय डायस्पोरा पर उच्च समिति की सिफारिशों के अनुसार इस दिन को मनाने का फैसला लिया। फिर 2003 में पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया।

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