राज्यसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को 12 घंटे की विस्तृत चर्चा के बाद मंजूरी दे दी, जिसमें पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े। यह मंजूरी लोकसभा द्वारा 288-232 मतों से विधेयक पारित किए जाने के एक दिन बाद मिली।
भारतीय संसद ने हाल ही में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और उनकी निगरानी को मजबूत करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण विधायी उपाय पारित किए हैं। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 पर संसद के दोनों सदनों में बहस हुई और उन्हें मंजूरी दी गई। 12 घंटे की मैराथन बहस के बाद शुक्रवार तड़के इसे राज्यसभा ने पारित कर दिया। पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोटों के साथ , विधेयक को उच्च सदन से मंजूरी मिली, गुरुवार को लोकसभा में 288-232 वोटों से इसे मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा, राज्यसभा ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 को भी 17 घंटे की बैठक के बाद पारित कर दिया, जिसे सुबह 4 बजे स्थगित कर दिया गया
प्रमुख बिंदु
विधेयक का उद्देश्य
- वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के कामकाज को सुव्यवस्थित करना तथा पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करना है।
- इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की देखरेख करने वाले प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करना तथा उनके कानूनी ढांचे को बढ़ाना है।
लोकसभा/राज्यसभा में पारित
- वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास (यूएमईईडी) विधेयक रखा गया।
- मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 को मंजूरी दी गई, जो मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त करेगा।
संसदीय प्रक्रिया
- यह विधेयक 12 घंटे की बहस के बाद राज्यसभा में 128-95 मतों से पारित हुआ, जबकि लोकसभा में इसे 288-232 मतों से मंजूरी मिली थी।
- इस बहस में सांसदों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग तथा विवादों के समाधान में न्यायाधिकरणों की भूमिका पर चर्चा हुई।
मंत्रिस्तरीय वक्तव्य
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने संसदीय बहस के दौरान विधेयक और इसके प्रावधानों का बचाव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024
पृष्ठभूमि
दो विधेयक प्रस्तुत किये गये,
- वक्फ (संशोधन) विधेयक
- मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक
उद्देश्य
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025
- वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में चुनौतियों के समाधान के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन किया जाएगा।
- वक्फ बोर्डों के प्रशासन और दक्षता में सुधार करना।
मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024
- मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त किया जाए, जो एक पुराना औपनिवेशिक युग का कानून है।
- वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत वक्फ संपत्ति प्रबंधन में एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
- पुराने कानून द्वारा उत्पन्न विसंगतियों और अस्पष्टताओं को दूर करना।
‘वक्फ’ का अर्थ
- इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित संपत्तियां।
- संपत्ति की बिक्री या अन्य उपयोग निषिद्ध है।
- स्वामित्व अल्लाह को हस्तांतरित हो जाता है, जिससे यह अपरिवर्तनीय हो जाता है।
- वाकिफ (निर्माता) की ओर से मुतवल्ली द्वारा प्रबंधित।
‘वक्फ’ की अवधारणा की उत्पत्ति
- इसका इतिहास दिल्ली सल्तनत काल से जुड़ा है, जब सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर ने मुल्तान की जामा मस्जिद को कई गांव समर्पित किए थे।
- भारत में इस्लामी राजवंशों के उदय के साथ वक्फ संपत्तियों में भी वृद्धि हुई।
- मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम, 1913 ने भारत में वक्फ को संरक्षण प्रदान किया।
संवैधानिक ढांचा और शासन
- धर्मार्थ और धार्मिक संस्थाएं संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आती हैं।
- संसद और राज्य विधानमंडल दोनों इस पर कानून बना सकते हैं।
- वक्फ शासन: वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा शासित, जो 1913, 1923 और 1954 के पूर्ववर्ती कानूनों का स्थान लेता है।
वक्फ का निर्माण
द्वारा निर्मित,
- घोषणा (मौखिक या लिखित विलेख)।
- धार्मिक या धर्मार्थ प्रयोजनों के लिए भूमि का दीर्घकालिक उपयोग।
- उत्तराधिकार की एक पंक्ति के अंत के बाद दान।
सर्वाधिक वक्फ संपत्ति वाले राज्य
- उत्तर प्रदेश (27%)
- पश्चिम बंगाल (9%)
- पंजाब (9%)
वक्फ कानूनों का विकास
- 1913 अधिनियम: वक्फ विलेखों को वैध बनाया गया।
- 1923 अधिनियम: वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य बनाया गया।
- 1954 अधिनियम: केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई।
- 1995 अधिनियम: निर्वाचित सदस्यों और इस्लामी विद्वानों के साथ विवाद समाधान के लिए न्यायाधिकरण की शुरुआत की गई।
नये विधेयक में प्रमुख संशोधन
केंद्रीय वक्फ परिषद संरचना
- वक्फ के प्रभारी केन्द्रीय मंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं।
सदस्यों में शामिल हैं
- संसद सदस्य (एमपी)
- राष्ट्रीय प्रतिष्ठा वाले व्यक्ति
- सर्वोच्च न्यायालय/उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश
- मुस्लिम कानून के प्रख्यात विद्वान
- नया प्रावधान: गैर-मुस्लिम सदस्य आवश्यक (दो)
वक्फ बोर्डों की संरचना
- राज्य सरकारों को प्रत्येक समूह से एक व्यक्ति को नामित करने का अधिकार देना।
- गैर-मुस्लिम सदस्य आवश्यक (दो)।
- इसमें शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम वर्ग से एक-एक सदस्य शामिल हैं।
- दो मुस्लिम महिला सदस्यों की आवश्यकता है।
न्यायाधिकरणों की संरचना
- मुस्लिम कानून के विशेषज्ञ को हटा दिया गया।
- जिला न्यायालय के न्यायाधीश को अध्यक्ष बनाया गया।
- संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी।
न्यायाधिकरण के आदेशों के विरुद्ध अपील
- पूर्ववर्ती अधिनियम : कोई अपील की अनुमति नहीं थी।
- नया विधेयक: न्यायाधिकरण के निर्णयों के विरुद्ध 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की अनुमति देता है।
संपत्तियों का सर्वेक्षण
- वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण की देखरेख के लिए सर्वेक्षण आयुक्त के स्थान पर जिला कलेक्टर या वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त किया गया है।
वक्फ के रूप में सरकारी संपत्ति
- वक्फ के रूप में पहचानी गई सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं रहेगी।
- कलेक्टर द्वारा राजस्व अभिलेख अद्यतन किये गये।
ऑडिट
- एक लाख रुपये से अधिक आय वाली वक्फ संस्थाओं का राज्य प्रायोजित लेखा परीक्षकों द्वारा ऑडिट किया जाएगा।
केंद्रीकृत पोर्टल
- बेहतर कार्यकुशलता और पारदर्शिता के लिए केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से स्वचालित वक्फ संपत्ति प्रबंधन।
संपत्ति समर्पण
- धार्मिक आस्था रखने वाले मुसलमान (कम से कम पांच वर्ष) अपनी संपत्ति वक्फ को समर्पित कर सकते हैं, जिससे 2013 से पहले के नियम बहाल हो जाएंगे।
महिलाओं की विरासत
- महिलाओं को वक्फ घोषणा से पहले उत्तराधिकार प्राप्त करना होगा।
- विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान।
विधेयक की आवश्यकता
- मुकदमेबाजी को कम करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वक्फ संपत्तियों की एकीकृत डिजिटल सूची।
- वक्फ बोर्डों में महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल करके लैंगिक न्याय सुनिश्चित किया गया है।
चिंताएं
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य
- राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य किया गया।
- चिंता यह है कि इन निकायों में मुख्य रूप से गैर-मुस्लिम लोग शामिल हो सकते हैं, जबकि हिंदू और सिख बंदोबस्ती बोर्डों में ऐसे ही बोर्ड हैं।
वक्फ न्यायाधिकरणों पर प्रभाव
- वक्फ न्यायाधिकरणों से मुस्लिम कानून के विशेषज्ञों को हटाने से विवाद समाधान प्रभावित हो सकता है।
वक्फ का निर्माण
- वक्फ निर्माण को कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने वाले मुसलमानों तक सीमित करना।
- इस पांच-वर्षीय मानदंड के पीछे तर्क के बारे में अस्पष्टता।
निष्कर्ष
- यह विधेयक भारत में वक्फ संपत्ति प्रबंधन में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- प्रस्तावित सुधार बेहतर प्रशासन, जवाबदेही और अधिक समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित करेंगे, जिससे सभी संबंधित समुदायों को लाभ होगा।