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वैज्ञानिकों ने एशियाई चावल का पहला पैनजीनोम बनाया

एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि में, मुख्यतः चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज़ के शोधकर्ताओं ने एशियाई खेती योग्य धान (Oryza sativa L.) का पहला पैनजीनोम (Pangenome) तैयार किया है। 144 प्रकार की धान की किस्मों—जंगली और खेती योग्य—के जीनोम को अनुक्रमित (sequence) करके, इस शोध ने एक व्यापक आनुवंशिक मानचित्र प्रदान किया है, जो धान की नस्लों को जलवायु-संवेदनशील, अधिक उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी बनाने में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है। यह खोज वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित फसलों की विफलता से लड़ने में एक मील का पत्थर है।

क्यों चर्चा में?

हाल ही में प्रकाशित यह पैनजीनोम विकास कृषि विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक तापमान में वृद्धि फसल उत्पादकता को प्रभावित कर रही है। भारत, जो दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादकों में से एक है, ने 2024 में अपना अब तक का सबसे गर्म वर्ष रिकॉर्ड किया था—ऐसे में इस तरह की खोज और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

पैनजीनोम क्या होता है?

  • पैनजीनोम में कोर जीन (सभी किस्मों में सामान्य) और ऐक्सेसरी जीन (कुछ विशेष किस्मों में पाए जाने वाले) शामिल होते हैं।

  • पारंपरिक जीनोम के विपरीत, जो केवल एक संस्करण को दिखाता है, पैनजीनोम एक प्रजाति की पूरी आनुवंशिक विविधता को दर्शाता है।

मुख्य निष्कर्ष

  • PacBio HiFi तकनीक से अनुक्रमित किया गया।

  • कुल 69,531 जीन पहचाने गए:

    • 28,907 कोर जीन

    • 13,728 जंगली धान-विशिष्ट जीन

  • O. sativa ssp japonica के पूर्व जीनोम की तुलना में 3.87 बिलियन बेस पेयर नई आनुवंशिक जानकारी पाई गई।

  • लगभग 20% जीन केवल जंगली धान में पाए गए।

इस अध्ययन का महत्व

  • यह सिद्धांत और पुष्ट करता है कि सभी एशियाई खेती योग्य धान Or-IIIa जंगली धान समूह से उत्पन्न हुए हैं।

  • आनुवंशिक विविधता प्रदान करता है जो:

    • रोग प्रतिरोधक क्षमता

    • जलवायु सहनशीलता

    • अधिक उपज और अनुकूलन
      को सुधार सकता है।

  • जंगली और खेती योग्य धान के बीच अंतर को पाट सकता है, जिससे प्रजनकों को बहुमूल्य जीन प्राप्त हो सकते हैं।

भारत-विशेष प्रासंगिकता

  • धान दो-तिहाई वैश्विक जनसंख्या के लिए मुख्य भोजन है।

  • भारत ने 2024–25 में 220 मिलियन टन का रिकॉर्ड उत्पादन किया।

  • बढ़ते तापमान (1901 से अब तक 0.7°C की औसत वृद्धि) और धान में आर्सेनिक अवशोषण प्रमुख चुनौतियां हैं।

  • हाल ही में ICAR ने दो जीन-संपादित धान किस्में (सांबा मह्सूरी और MTU 1010) विकसित की हैं, लेकिन वे अभी सार्वजनिक खेती के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

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