पाकिस्तान की संसद (नेशनल असेंबली) पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से तीन दिन पहले ही भंग हो गई है। निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नेशनल असेंबली भंग करने की सिफारिश को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने मंजूर कर लिया। इससे वर्तमान सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया और अगले आम चुनाव का रास्ता साफ हो गया। अब पाकिस्तान में नई निर्वाचित सरकार के गठन तक कार्यवाहक सरकार सत्ता संभालेगी।
निचले सदन को भंग करने के लिए जारी अधिसूचना में कहा गया कि नेशनल असेंबली को संविधान के अनुच्छेद 58 के तहत भंग कर दिया गया है। शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर नेशनल असेंबली भंग करने की सिफारिश की थी। बता दें, यह कदम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है क्योंकि पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक दोनों चुनौतियों से जूझ रहा है।
शहबाज सरकार ने कार्यकाल पूरा होने से सिर्फ तीन दिन पहले जो संसद भंग करवाई, उससे चुनाव कराने की अवधि में और ज्यादा समय मिल जाएगा।तकनीकी आधार पर अब पाकिस्तान में चुनाव कराने की समय सीमा दो महीने से बढ़कर तीन महीने हो जाएगी। दरअसल पाकिस्तान के चुनाव संविधान में नियम है कि यदि नेशनल असेंबली अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा करती है तो चुनाव आयोग को दो महीने के अंदर देश में नए चुनाव कराने होंगे। यदि संसद अपना कार्यकाल पूरा हुए बिना भंग कर दी जाती है तो आयोग के सामने 90 दिन यानी दो महीने की बजाय तीन महीने में चुनाव कराने की बाध्यता होती है।
हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वास्तविक चुनावी प्रक्रिया में कई महीनों की देरी हो सकती है। इस ठहराव का कारण हाल की जनगणना के परिणामों के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्निर्धारण करना बताया जा रहा है। विश्लेषकों ने आगाह किया है कि इस तरह के किसी भी स्थगन से जनता में असंतोष भड़क सकता है और देश में अनिश्चितता बढ़ सकती है।
शहबाज शरीफ की इस सिफारिश के साथ ही पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार के गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। दरअसल पाकिस्तान में नियम है कि चुनाव तटस्थ सरकार के जरिये कराए जाते हैं। इसलिए नेशनल असेंबली के पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद नए सिरे से कार्यवाहक सरकार चुनी जाती है।
बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्यों की संख्या 342 है, लेकिन इनमें सिर्फ 272 सदस्य ही प्रत्यक्ष मतदान के जरिए चुने जाते हैं। बाकी 70 उम्मीदवारों के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव होता है। 70 सीटों में 60 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं तो 10 सीटें पाकिस्तान के पारंपरिक और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित होती हैं। इनका चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम के तहत होता है।
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