भारत ने काबुल मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा दिया

भारत ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपने तकनीकी मिशन (Technical Mission) को औपचारिक रूप से पूर्ण भारतीय दूतावास (Embassy of India) में उन्नत कर दिया है। यह निर्णय तालिबान के 2021 में सत्ता में लौटने के बाद भारत की पहली औपचारिक राजनयिक विस्तार पहल है।

इस घोषणा से ठीक पहले अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi) ने भारत की यात्रा की थी — जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संवाद और विकास सहयोग के नए चरण की शुरुआत का संकेत मिलता है।

इस उन्नयन का अर्थ

काबुल में भारतीय दूतावास का पुनःस्थापन भारत को अफगानिस्तान में प्रत्यक्ष राजनयिक भूमिका (direct diplomatic role) में पुनः स्थापित करता है।
अब भारत केवल तकनीकी मिशन तक सीमित न रहकर पूर्ण राजनयिक प्रतिनिधित्व के साथ कार्य करेगा, जिससे निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग और सशक्त होगा —

  • विकास परियोजनाएँ

  • मानवीय सहायता (Humanitarian Assistance)

  • क्षमता निर्माण कार्यक्रम (Capacity-Building Programs)

  • सुरक्षा सहयोग (Security Cooperation)

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, यह कदम “अफगान समाज की प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप भारत के विकास सहयोग को और सशक्त करेगा।”

रणनीतिक संदर्भ: अभी क्यों?

भारत का यह निर्णय बदलते क्षेत्रीय भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच लिया गया है। कई प्रमुख कारकों ने इस कदम को प्रेरित किया —

1. उच्च स्तरीय राजनयिक वार्ता

हालिया नई दिल्ली यात्रा के दौरान अमीर खान मुत्ताकी और भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के बीच महत्वपूर्ण वार्ता हुई।
जयशंकर ने भारत की अफगान जनता के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई और प्राकृतिक आपदाओं व मानवीय संकटों के समय भारत की पूर्व सहायता का उल्लेख किया।

2. मानवीय एवं चिकित्सीय सहयोग

भारत ने अफगानिस्तान प्रतिनिधिमंडल को 20 एम्बुलेंस और आवश्यक चिकित्सीय उपकरण भेंट किए। यह सहायता भारत की उस नीति को दर्शाती है जो राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद स्वास्थ्य और मानवीय सहायता को प्राथमिकता देती है।

3. क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद पर सहयोग

जयशंकर ने वार्ता में सीमा-पार आतंकवाद (cross-border terrorism) की चुनौती पर भी चिंता व्यक्त की और इसे “सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में समाप्त करने” की आवश्यकता बताई।
यह संकेत देता है कि सुरक्षा सहयोग भारत-अफगान साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ बना रहेगा।

भारत–अफगानिस्तान संबंधों पर प्रभाव

यह कदम दर्शाता है कि भारत व्यावहारिक (pragmatic) कूटनीति के माध्यम से अफगानिस्तान के साथ फिर से जुड़ रहा है —
ऐसा जुड़ाव जो जनकल्याण पर केंद्रित है, जबकि जमीनी राजनीतिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखता है।

1. तालिबान के साथ संतुलित संवाद

भारत ने अभी तक तालिबान-नेतृत्व वाली सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता (recognition) नहीं दी है।
फिर भी, दूतावास उन्नयन भारत की संतुलित रणनीति — संवाद बिना समर्थन (engagement without endorsement) — को दर्शाता है।
इससे भारत अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करते हुए अफगान नागरिकों के लिए सहायता जारी रख सकेगा।

2. विकासात्मक परियोजनाओं का पुनःआरंभ

भारत ने अफगानिस्तान में वर्षों से कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ चलाई हैं — सड़कें, स्कूल, अस्पताल, बांध और संसद भवन सहित।
पूर्ण दूतावास के पुनःस्थापन से इन परियोजनाओं का पुनःआरंभ और विस्तार संभव होगा, जिससे स्थानीय समुदायों के साथ राजनयिक समन्वय बढ़ेगा।

3. भू-राजनीतिक महत्व

यह कदम उस समय आया है जब चीन, ईरान, पाकिस्तान और रूस जैसे देश अफगानिस्तान में प्रभाव के लिए सक्रिय हैं।
भारत का यह कदम उसे फिर से अफगान समीकरण (Afghan equation) में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।
यह भारत की “विकास-केंद्रित कूटनीति (developmental diplomacy)” की वैश्विक छवि को भी मजबूत बनाता है।

निष्कर्ष

काबुल में भारतीय दूतावास का उन्नयन केवल एक राजनयिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता, मानवीय दृष्टिकोण और रणनीतिक संतुलन का प्रतीक है। यह कदम भारत को फिर से अफगानिस्तान के सामाजिक और आर्थिक पुनर्निर्माण में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करता है

भारत के नेतृत्व वाले कोडेक्स पैनल ने इन उत्पादों के लिए मानकों को अंतिम रूप दिया

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मसालों के व्यापार और गुणवत्ता मानकों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित करते हुए, कोडेक्स समिति ऑन स्पाइसेज़ एंड क्यूलिनरी हर्ब्स (CCSCH) के 8वें सत्र में तीन और मसालों — वनीला (Vanilla), बड़ी इलायची (Large Cardamom) और धनिया (Coriander) — के लिए अंतरराष्ट्रीय कोडेक्स मानक (Codex Standards) को अंतिम रूप दिया गया है। इस उपलब्धि के साथ, 2013 में समिति की स्थापना के बाद से अब तक कुल 19 मसालों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक विकसित किए जा चुके हैं।

भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका

  • यह सत्र भारत की वैश्विक मसाला नियमन (spice regulation) में निरंतर नेतृत्व को और सशक्त बनाता है।
  • भारत न केवल CCSCH के सचिवालय (Secretariat) की मेजबानी करता है, बल्कि Codex Alimentarius Commission (CAC) के प्रोटोकॉल के अनुरूप वैज्ञानिक और सर्वसम्मति-आधारित मानक विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
  • भारत का यह प्रयास मसाला उद्योग में पारदर्शिता, गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ वैश्विक व्यापार को भी सरल बनाता है।

कोडेक्स मानक क्या हैं?

Codex Standards ऐसे अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानक हैं जिन्हें उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा और देशों के बीच निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया जाता है।

  • ये मानक Codex Alimentarius Commission (CAC) द्वारा विकसित किए जाते हैं,
    जो संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की संयुक्त पहल है।

  • इसकी स्थापना 1963 में हुई थी और इसका मुख्यालय रोम (इटली) में स्थित है।

  • भले ही कोडेक्स मानक कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, फिर भी ये WTO के Sanitary and Phytosanitary (SPS) Agreement के तहत अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।

क्यों महत्वपूर्ण हैं?
ये मानक खाद्य सुरक्षा निरीक्षण, गुणवत्ता प्रमाणन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार विवादों में वैज्ञानिक साक्ष्य का आधार प्रदान करते हैं।

भारत की भूमिका CCSCH और CAC में

  • CCSCH (Codex Committee on Spices and Culinary Herbs) की स्थापना 2013 में भारत की पहल पर हुई थी।

  • यह समिति CAC के अंतर्गत कार्यरत है और इसका अध्यक्ष पद (Chairmanship) भी भारत के पास है।

  • स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय), कोच्चि, इस समिति का सचिवालय है।

  • भारत के नेतृत्व में, पिछले एक दशक में 19 मसालों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक तय किए गए हैं — जिससे वैश्विक मसाला व्यापार में एकरूपता (harmonization) सुनिश्चित हुई है।

8वें CCSCH सत्र (2025) की मुख्य उपलब्धियाँ

इस सत्र में तीन प्रमुख मसालों के लिए कोडेक्स मानक निर्धारित किए गए —

वनीला (Vanilla)

  • परिचय: एक उच्च मूल्य वाला मसाला, जो ऑर्किड परिवार का सदस्य है और खाद्य पदार्थों तथा पेय पदार्थों में स्वाद बढ़ाने हेतु प्रयोग होता है।

  • मूल क्षेत्र: अटलांटिक तट (मेक्सिको से ब्राज़ील तक)।

  • मुख्य उत्पादक देश: मेडागास्कर, इंडोनेशिया और मेक्सिको।

  • भारत में उत्पादन: मुख्यतः केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में; भारत इसका शुद्ध आयातक (net importer) है।

खेती की आवश्यक स्थितियाँ:

  • ऊँचाई: 1000 मीटर तक

  • तापमान: 21–32°C

  • आर्द्रता: लगभग 80%

  • वर्षा: 2000–2500 मिमी, दो शुष्क महीनों सहित

  • मिट्टी: हल्की, झरझरी और आंशिक छायादार भूमि उपयुक्त है।

बड़ी इलायची (Large Cardamom)

  • मूल क्षेत्र: पूर्वोत्तर हिमालयी क्षेत्र (भारत, भूटान और नेपाल)।

  • उपयोग: भोजन में मसाले और औषधीय जड़ी-बूटी दोनों के रूप में प्रयोग।

  • महत्व: मानकीकरण से निर्यात की गुणवत्ता और स्थिरता में वृद्धि होगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय इलायची की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

धनिया (Coriander)

  • विवरण: एक प्रमुख पाक मसाला, जिसका प्रयोग बीज और पाउडर दोनों रूपों में होता है।

  • मुख्य उत्पादक देश: भारत, मोरक्को, रूस, और पूर्वी यूरोप।

  • महत्व: मानकीकरण से निर्यात गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुपालन में सुविधा होगी।

वैश्विक महत्व और प्रभाव

इन नए मानकों के माध्यम से:

  • गुणवत्ता की परिभाषा निर्यातक और आयातक देशों में समान हो जाएगी।

  • उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा, मिलावट और प्रदूषण के जोखिम घटेंगे।

  • तकनीकी अवरोधों (Technical Barriers) में कमी आने से वैश्विक मसाला व्यापार सुगम होगा।

  • वैज्ञानिक निरीक्षण और फाइटोसैनिटरी प्रमाणन अधिक सटीक और पारदर्शी बनेगा।

भारत के लिए लाभ

  • भारतीय मसाला निर्यातकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।

  • भारत का वैश्विक खाद्य मानक निर्धारण में प्रभाव और मजबूत होगा।

  • ब्रांड इंडिया स्पाइसेज़” की साख में वृद्धि होगी, जिससे विदेशी निवेश और बाजार पहुँच बढ़ेगी।

धनतेरस 2025: जानें तिथि, समय, अनुष्ठान और महत्व

धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, दिवाली पर्व की शुरुआत का आनंदमय दिन है। यह दिन गौरी लक्ष्मी, धन की देवी, और भगवान धन्वंतरि, स्वास्थ्य के देवता, को समर्पित है। लोग अपने घरों की सफाई, दीपक जलाना, सोना या बर्तन खरीदना और लक्ष्मी पूजन करके सौभाग्य, समृद्धि और खुशियाँ आमंत्रित करते हैं।

धनतेरस 2025 – तिथि और समय

धनतेरस कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।

  • तारीख: शनिवार, 18 अक्टूबर 2025

  • त्रयोदशी तिथि आरंभ: 18 अक्टूबर – 12:18 PM

  • त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर – 01:51 PM

  • प्रादोष काल: 18 अक्टूबर – 05:48 PM से 08:19 PM

  • वृषभ काल: 18 अक्टूबर – 07:15 PM से 09:11 PM

  • धनतेरस पूजन मुहूर्त: 18 अक्टूबर – 07:15 PM से 08:19 PM

प्रादोष काल और वृषभ काल को धनतेरस पर लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।

धनतेरस पर किए जाने वाले अनुष्ठान

  • घर की सफाई और सजावट करें, विशेषकर मुख्य प्रवेश द्वार को, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी माता स्वच्छ और रोशनी वाले घरों में आती हैं।

  • दीपक जलाएं – मुख्य द्वार पर चार मिट्टी या आटे के दीपक रखें।

  • देवताओं की पूजा करें – लक्ष्मी माता, गणेश जी, धन्वंतरि, कुबेर, यमराज को नमन।

  • भेंट चढ़ाएं – फूल, मिठाइयाँ, फल और धूप आदि।

  • सोना या धातु की खरीदारी करें – सोना, चाँदी या नए बर्तनों की खरीदारी को शुभ माना जाता है।

  • यम दीप – मुख्य द्वार के पास चारमुखी दीपक जलाकर यमराज की पूजा करें, जिससे परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिले।

धनतेरस पर लोग क्या खरीदते हैं?

धनतेरस को शुभ खरीदारी का दिन माना जाता है। सामान्यत: लोग निम्नलिखित वस्तुएँ खरीदते हैं:

  • सोना और चाँदी के आभूषण

  • तांबा, पीतल और चाँदी के बर्तन

  • झाड़ू, दीपक, रसोई के बर्तन जैसे घरेलू सामान

  • इलेक्ट्रॉनिक्स: मोबाइल, रेफ्रिजरेटर, लैपटॉप आदि

  • वाहन और नए उपकरण

  • दिवाली पूजा के लिए लक्ष्मी और गणेश की मिट्टी या धातु की मूर्तियाँ

धनतेरस पर पूज्य देवता

  • भगवान धन्वंतरि: स्वास्थ्य और आयुर्वेद के देवता, उनकी पूजा से स्वास्थ्य, रोगमुक्त जीवन और लंबी आयु मिलती है।

  • लक्ष्मी माता: धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि की देवी।

  • गणेश जी: बाधाओं के नाशक, नई शुरुआत और बुद्धि के लिए पूज्य।

  • कुबेर: धन और संपत्ति के देवता, वित्तीय स्थिरता के लिए पूज्य।

  • यमराज: यम दीप जलाकर परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु और दुर्भाग्य से सुरक्षा।

धनत्रयोदशी का महत्व

धनतेरस, पांच दिवसीय दिवाली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जो स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक है।

आध्यात्मिक संदेश:

  • स्वास्थ्य और धन दोनों का समान महत्व समझें।

  • नई शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा के साथ करें।

  • घर और मन की सफाई कर समृद्धि का स्वागत करें।

  • दीपक जलाकर अंधकार और नकारात्मकता को दूर करें।

निर्मल मिंडा एसोचैम के अध्यक्ष बने, चौधरी वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने

यूनो मिंडा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष निर्मल कुमार मिंडा ने 17 अक्टूबर को एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। उनके साथ, एक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अमिताभ चौधरी को एसोचैम का वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, हालाँकि उनकी नियुक्ति आरबीआई की मंज़ूरी पर निर्भर है।

प्रोफाइल और पूर्व भूमिकाएँ

निर्मल कुमार मिंडा

  • ऑटो कंपोनेंट उद्योग में पांच दशकों से अधिक अनुभव रखते हैं।

  • आपूर्ति श्रृंखलाओं को विकसित करने और नवाचार को अपने समूह की रणनीतियों में केंद्र में रखने के लिए जाने जाते हैं।

  • उनका नेतृत्व ग्राहक-केंद्रित और लोगों के अनुकूल माना जाता है।

  • उनके मार्गदर्शन में Uno Minda एक वैश्विक कंपनी बन चुकी है, जिसमें व्यापक उत्पाद पोर्टफोलियो शामिल है।

  • उन्होंने ACMA (Automotive Component Manufacturers Association of India) जैसी उद्योग संस्थाओं में भी नेतृत्व पदों पर कार्य किया है।

अमिताभ चौधरी

  • बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में गहरा अनुभव रखते हैं।

  • Axis Bank के MD & CEO के रूप में उन्होंने डिजिटल विस्तार, संचालन वृद्धि और ग्राहक-केंद्रित नीतियों का नेतृत्व किया है।

  • यदि उनकी Assocham में नियुक्ति अनुमोदित होती है, तो यह उन्हें उद्योग प्रतिनिधित्व में प्रमुख भूमिका में लाएगी।

महत्व और प्रभाव

  • यह नेतृत्व परिवर्तन Assocham की भविष्य की दिशा में निर्माण और वित्त क्षेत्रों के सामंजस्य का संकेत देता है, जिसमें मिंडा की उद्योग विशेषज्ञता और चौधरी की वित्तीय प्रणाली में पकड़ का लाभ उठाया जाएगा।

  • चौधरी की नियुक्ति RBI की मंजूरी के अधीन होने से यह स्पष्ट होता है कि विनियमित क्षेत्रों से उद्योग निकायों में आने वाले पदों में संवेदनशीलता होती है।

  • मिंडा की नवाचार और अनुकूलन क्षमता को देखते हुए, चेंबर अब तकनीक, प्रतिस्पर्धा और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन जैसे मुद्दों पर अधिक जोर दे सकता है।

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) ने 9वां स्थापना दिवस मनाया

आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (AIIA) ने अपने 9वें स्थापना दिवस का आयोजन नई दिल्ली कैंपस में किया। नौ वर्षों में, AIIA आयुर्वेदिक शिक्षा, शोध और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता का केंद्र बन गया है। इस दौरान 30 लाख से अधिक मरीजों का उपचार किया गया और भारत में सात नए स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्र स्थापित किए गए।

9वें स्थापना दिवस की मुख्य झलकियाँ

नेतृत्व और मान्यता

  • मुख्य अतिथि: श्री रामवीर सिंह बिधुरी, सांसद, ने आयुर्वेदिक शिक्षा, शोध और स्वास्थ्य सेवा में AIIA के नौ वर्षों के योगदान की सराहना की।

  • AIIA की आधारशिला रखे जाने के समय दिवंगत सुषमा स्वराज और भैरों सिंह शेखावत के साथ अपने जुड़ाव को याद किया।

  • रोजाना हजारों मरीजों को राहत और उम्मीद देने में AIIA की भूमिका को उजागर किया।

संस्थागत उपलब्धियाँ

  • उपचारित मरीज: 44 विशेषज्ञ क्लिनिक के माध्यम से 30 लाख से अधिक मरीजों का सेवा।

  • स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्र: देशभर में सात नए केंद्र स्थापित किए गए।

  • सहयोग: सहयोगी अनुसंधान और वैश्विक आयुर्वेद प्रचार के लिए 73 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समझौते किए।

वैश्विक आयुर्वेद में AIIA की भूमिका

  • आयुर्वेदिक शिक्षा, शोध और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता का केंद्र।

  • भारत को पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों में वैश्विक नेता बनाने के सरकार के दृष्टिकोण में योगदान।

  • शैक्षिक और वेलनेस पहलों के माध्यम से जागरूकता, शोध और उपचार तक पहुँच का विस्तार।

अक्कई पद्मशाली बनीं सर्वोच्च न्यायालय समिति की पहली ट्रांसजेंडर सदस्य

ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता अक्कई पद्मशाली को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित उस पैनल में शामिल किया गया है जो ट्रांसजेंडर अधिकारों की रक्षा के लिए समान अवसर नीति तैयार करेगा। वह ऐसी समिति में शामिल होने वाली कर्नाटक की पहली ट्रांसजेंडर सदस्य बनी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व और समावेशन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

नियुक्ति का महत्व

  • राष्ट्रीय स्तर पर अवसर: यह नियुक्ति ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों से जुड़ी नीतियों को आकार देने में प्रत्यक्ष योगदान का अवसर देती है।

  • प्रतिनिधित्व में मील का पत्थर: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति में पहली बार ट्रांसजेंडर समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ है।

  • समानता की दिशा में पहल: अक्कई पद्मशाली ने कहा है कि वह डॉ. भीमराव अंबेडकर के समानता और सामाजिक न्याय के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करेंगी।

पृष्ठभूमि और संदर्भ

  • NALSA बनाम भारत संघ (2014): सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को “तीसरा लिंग” के रूप में मान्यता दी और आत्म-पहचान के अधिकार को संवैधानिक दर्जा दिया।

  • 2018 का फैसला: समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाया गया, जिससे लैंगिक और यौन अल्पसंख्यकों को वैधानिक समर्थन मिला।

  • चुनौती: इन ऐतिहासिक फैसलों के जमीनी क्रियान्वयन में अब भी कई बाधाएँ बनी हुई हैं।

लक्ष्य और योजनाएँ

  • समुदाय आधारित परामर्श, बैठकें और चर्चाएँ आयोजित करना।

  • न्यायालय के निर्णयों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।

  • आंदोलन का दायरा बढ़ाना ताकि ट्रांसमेन और इंटरसेक्स समुदायों को भी प्रतिनिधित्व मिले।

समिति की संरचना

  • अध्यक्ष: न्यायमूर्ति आशा मेनन (सेवानिवृत्त), दिल्ली उच्च न्यायालय

  • अन्य सदस्य:

    • ग्रेस बानू – दलित एवं ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता

    • वैजयंती वसंथा मोगली – तेलंगाना की ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता

    • सौरव मंडल – एसोसिएट प्रोफेसर, जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी

    • नित्या राजशेखर – सीनियर एसोसिएट, सेंटर फॉर लॉ एंड पॉलिसी, बेंगलुरु

    • संजय शर्मा – सेवानिवृत्त सीईओ, एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ इन इंडिया

गुजरात कैबिनेट में विभाग का बंटवारा, हर्ष संघवी बने उपमुख्यमंत्री

गुजरात की राजनीति में 17 अक्टूबर 2025 को एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला, जब हर्ष संघवी ने गुजरात के उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) के रूप में शपथ ली। यह नियुक्ति मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में हुए एक बड़े मंत्रिमंडल पुनर्गठन (Cabinet Reshuffle) का हिस्सा थी, जिसमें 25 नए मंत्रियों को शामिल किया गया। इस कदम का उद्देश्य शासन को पुनर्गठित करना, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को सुदृढ़ करना और आगामी चुनावी चुनौतियों के लिए टीम को तैयार करना है। शपथ ग्रहण समारोह महात्मा मंदिर कन्वेंशन सेंटर, गांधीनगर में आयोजित हुआ, जहाँ राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नए मंत्रियों को शपथ दिलाई।

मंत्रिमंडल पुनर्गठन: इस्तीफे और नए चेहरे

  • पुनर्गठन से एक दिन पहले, मुख्यमंत्री को छोड़कर सभी 16 कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया।

  • इससे पूरे मंत्रिमंडल के पुनर्गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ।

  • नया मंत्रिपरिषद अब 26 सदस्यों का है (मुख्यमंत्री सहित), जो 182-सदस्यीय गुजरात विधानसभा की संवैधानिक सीमा (15%) — अधिकतम 27 मंत्रियों — के लगभग बराबर है।

  • नए नियुक्त 25 मंत्रियों में से 19 प्रथम बार मंत्री बने हैं, जबकि 6 पूर्व मंत्री को दोबारा मौका मिला है।

  • यह पुनर्गठन केवल संख्याओं का खेल नहीं, बल्कि जातीय, क्षेत्रीय और पीढ़ीगत संतुलन साधने का प्रयास है, ताकि सरकार की राजनीतिक पहुँच और व्यापक हो सके।

हर्ष संघवी: गुजरात के नए उपमुख्यमंत्री

  • आयु: 40 वर्ष

  • विधानसभा क्षेत्र: माजुरा (सूरत) — से तीन बार के विधायक

  • पूर्व दायित्व: गृह, युवा एवं खेल, उद्योग आदि विभागों का कार्यभार संभाल चुके हैं।

  • अपने युवा-केन्द्रित दृष्टिकोण और प्रशासनिक दक्षता के लिए प्रसिद्ध हैं।

  • उनका उपमुख्यमंत्री पद पर पहुँचना इस पद के चार वर्षों बाद पुनर्स्थापन का संकेत है — पिछली बार यह पद 2021 में भरा गया था।

  • विशेष रूप से, संघवी को गृह विभाग (Home Department) का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है — यह मंत्रालय आमतौर पर मुख्यमंत्री के पास रहता था, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण परंपरा-परिवर्तन माना जा रहा है।

स्थिर तथ्य 

घटक विवरण
शपथ ग्रहण तिथि 17 अक्टूबर 2025
नियुक्त उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल
राज्यपाल आचार्य देवव्रत
शपथ स्थल महात्मा मंदिर, गांधीनगर
गुजरात विधानसभा की कुल सीटें 182 विधायक
मंत्रियों की अधिकतम सीमा (15%) 27
शपथ लेने वाले मंत्री 25 (मुख्यमंत्री सहित कुल 26 सदस्यीय परिषद)

यह मंत्रिमंडल पुनर्गठन गुजरात की राजनीति में नई पीढ़ी के नेतृत्व के उदय, प्रशासनिक पुनर्संतुलन, और आगामी चुनावी रणनीति के पुनर्निर्माण का प्रतीक माना जा रहा है।

11वां भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव चंडीगढ़ में आयोजित किया जाएगा

इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) भारत की प्रमुख विज्ञान जन-जागरण पहल है, जो वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों, नवोन्मेषकों और आम नागरिकों को एक मंच पर लाती है। इसका 11वाँ संस्करण 6 से 9 दिसंबर 2025 तक चंडीगढ़ में आयोजित किया जाएगा। इस वर्ष का विषय है — “विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिए” (Vigyan se Samruddhi: For Atma Nirbhar Bharat)

यह उत्सव न केवल देशभर में वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव मनाता है, बल्कि यह भी रेखांकित करता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत आत्मनिर्भरता (Atma Nirbhar Bharat) की दिशा में कैसे अग्रसर है।

पृष्ठभूमि: IISF की यात्रा

  • पहली बार 2015 में आयोजित किया गया था, विज्ञान भारती (VIBHA) और भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से।

  • तब से यह एक वार्षिक आयोजन बन गया है (महामारी के दौरान ऑनलाइन स्वरूप में हुआ), जिसका उद्देश्य है —

    • वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना,

    • नवाचार को बढ़ावा देना,

    • और विज्ञान को आम नागरिकों के करीब लाना।

  • वर्षों के दौरान IISF का विस्तार हुआ है — इसमें अब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, DBT, CSIR सहित कई संस्थान शामिल हैं।

  • इसका उद्देश्य विज्ञान को केवल विशेषज्ञों की परिधि से बाहर लाकर एक राष्ट्रीय सामूहिक संपदा (Collective National Asset) बनाना है।

IISF-2025: प्रमुख विवरण

  • तिथियाँ: 6 से 9 दिसंबर 2025
  • स्थान: चंडीगढ़
  • विषय: “विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिए” — जो इस विचार का प्रतीक है कि विज्ञान ही समृद्धि और आत्मनिर्भरता का प्रमुख साधन है।

मुख्य फोकस क्षेत्र 

पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह के अनुसार, IISF-2025 का फोकस पाँच मुख्य विषयों पर रहेगा, जिनमें प्रमुख हैं —

  1. उत्तर-पश्चिम भारत और हिमालयी क्षेत्र की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पारिस्थितिकी

  2. समाज और शिक्षा के लिए विज्ञान (Science for Society and Education)

  3. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat through S&T)

  4. पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि भारत की संदर्भगत आवश्यकताओं के अनुरूप नवाचार रणनीतियाँ विकसित की जा सकें।

मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

घटक विवरण
आयोजन तिथियाँ 6–9 दिसंबर 2025
स्थान चंडीगढ़
मुख्य विषय विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिए
मुख्य व्यक्ति / संस्थाएँ डॉ. जितेन्द्र सिंह, ANRF (Anusandhan National Research Foundation)
मुख्य विचार अनुसंधान वित्तपोषण का लोकतंत्रीकरण (Democratization of Research Funding); पारंपरिक और आधुनिक विज्ञान का एकीकरण

यह उत्सव भारत की वैज्ञानिक क्षमता, नवाचार भावना और आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को एक साथ प्रदर्शित करेगा — जिससे विज्ञान को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाया जा सके।

यूआईडीएआई ने आधार शुभंकर डिजाइन प्रतियोगिता शुरू की – ₹1 लाख जीतें

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने पूरे देश में “आधार मैस्कॉट डिज़ाइन प्रतियोगिता” की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य आधार के लिए एक आधिकारिक दृश्य राजदूत (Official Visual Ambassador) का चयन करना है। यह प्रतियोगिता MyGov प्लेटफ़ॉर्म पर आयोजित की जा रही है और 31 अक्तूबर 2025 तक खुली रहेगी। प्रतिभागी — व्यक्तिगत रूप से या टीम के रूप में — अपने मौलिक मैस्कॉट डिज़ाइन के साथ एक संकल्पना नोट (Concept Note) भी जमा कर सकते हैं, जिसमें बताया जाएगा कि उनका डिज़ाइन आधार की भावना को कैसे दर्शाता है। विजेताओं को कुल ₹1 लाख तक के नकद पुरस्कार और प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।

मैस्कॉट का उद्देश्य और थीम

यह मैस्कॉट UIDAI का दृश्य प्रतिनिधि होगा, जिसका मकसद सभी आयु वर्गों के लोगों के लिए आधार के संदेश को और अधिक आकर्षक व सुलभ बनाना है।
मैस्कॉट को आधार के प्रमुख मूल्यों को प्रतिबिंबित करना चाहिए:

  • विश्वास (Trust)

  • समावेशिता (Inclusivity)

  • सशक्तिकरण (Empowerment)

  • डिजिटल नवाचार (Digital Innovation)

यह आधार की सेवा, सुरक्षा और पहुँचनीयता (Service, Security, Accessibility) के गुणों को अपने डिज़ाइन और व्यक्तित्व में दर्शाएगा।
संक्षेप में, यह केवल एक प्यारा पात्र नहीं होगा — बल्कि आधार के मिशन और पहचान का प्रतीकात्मक रूप बनेगा।

भागीदारी और प्रस्तुतिकरण दिशानिर्देश

  • प्रतियोगिता सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुली है।

  • प्रविष्टियाँ MyGov पोर्टल के माध्यम से 31 अक्तूबर 2025 तक जमा की जा सकती हैं।

  • प्रत्येक प्रतिभागी या टीम केवल एक मौलिक डिज़ाइन जमा कर सकती है, जिसके साथ शामिल हो:

    • मैस्कॉट का नाम

    • एक संक्षिप्त कॉन्सेप्ट नोट, जिसमें बताया गया हो कि डिज़ाइन आधार के मूल्यों से कैसे मेल खाता है।

  • डिज़ाइन पूरी तरह मौलिक होना चाहिए और किसी भी बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।

मूल्यांकन के दौरान रचनात्मकता, मौलिकता, दृश्य आकर्षण और आधार मिशन से प्रासंगिकता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

पुरस्कार और मान्यता

कुल पुरस्कार राशि: ₹1,00,000, जिसे शीर्ष विजेताओं के बीच विभाजित किया जाएगा —

स्थान पुरस्कार राशि
प्रथम पुरस्कार ₹50,000
द्वितीय पुरस्कार ₹30,000
तृतीय पुरस्कार ₹20,000

विजेताओं को प्रमाणपत्र भी प्रदान किए जाएंगे।

विजेता मैस्कॉट को आगे चलकर आधार के आधिकारिक जनसंचार अभियानों का चेहरा बनाया जाएगा, जिससे यह राष्ट्रीय पहचान संचार (National Identity Communication) का प्रतीक बन जाएगा।

ओला इलेक्ट्रिक ने ऊर्जा भंडारण समाधानों के लिए ओला शक्ति लॉन्च किया

इलेक्ट्रिक वाहनों से आगे बढ़ते हुए, ओला इलेक्ट्रिक ने ओला शक्ति नामक एक नई बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) लॉन्च की है। भारत के इलेक्ट्रिक दोपहिया बाज़ार में अग्रणी होने के लिए जानी जाने वाली, ओला अब व्यापक स्वच्छ ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र में कदम रख रही है, जिसका लक्ष्य आवासीय और ग्रिड-स्तरीय ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना है। यह विकास भारत के ऊर्जा आत्मनिर्भरता और स्थिरता पर बढ़ते ध्यान के अनुरूप है।

क्या है ‘ओला शक्ति’?
‘ओला शक्ति’ एक मॉड्यूलर और स्केलेबल बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) है, जिसे घरों, व्यावसायिक भवनों से लेकर बड़े ग्रिड-स्तरीय ऊर्जा संयंत्रों तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह पहल ओला इलेक्ट्रिक के लिए ईवी निर्माण से ऊर्जा अवसंरचना (energy infrastructure) की दिशा में रणनीतिक कदम है, जिससे भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और सतत विकास (sustainability) के लक्ष्य को बल मिलेगा।

भारत 4680 सेल पर आधारित तकनीक
ओला शक्ति प्रणाली भारत 4680 लिथियम-आयन सेल पर आधारित है — यह ओला इलेक्ट्रिक की स्वदेशी विकसित बैटरी तकनीक है।
इन सेल्स का निर्माण ओला गिगाफैक्ट्री में किया जा रहा है, जो कंपनी के “मेक इन इंडिया फॉर एनर्जी” विज़न का हिस्सा है।

तकनीकी और औद्योगिक महत्व

  • ओला इलेक्ट्रिक पहले ही रेयर-अर्थ-फ्री फेराइट मोटर जैसी इनोवेशन के लिए सरकारी प्रमाणन प्राप्त कर चुकी है।

  • अब ओला शक्ति के ज़रिए कंपनी ऊर्जा भंडारण (energy storage) क्षेत्र में कदम रख रही है — जो सौर और पवन जैसी अंतराल आधारित नवीकरणीय ऊर्जा (intermittent renewables) को संतुलित करने के लिए बेहद आवश्यक है।

  • कंपनी का लक्ष्य आने वाले वर्षों में 5 GWh वार्षिक ऊर्जा भंडारण क्षमता हासिल करना है, जिससे वह भारत के उभरते BESS बाज़ार में अग्रणी खिलाड़ियों में शामिल हो जाएगी।

संभावित उपयोग और प्रभाव
‘ओला शक्ति’ को कई स्तरों पर लागू किया जा सकता है —

  • घरेलू और छोटे व्यावसायिक सेटअप्स के लिए बैकअप पावर या सोलर इंटीग्रेशन हेतु

  • औद्योगिक प्रतिष्ठानों में लोड बैलेंसिंग और ऊर्जा लागत अनुकूलन के लिए

  • राष्ट्रीय ग्रिड में स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण के समर्थन हेतु

इसका मॉड्यूलर डिज़ाइन इसे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लागू करने योग्य बनाता है, जिससे ऊर्जा पहुंच और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्य तथ्य

  • लॉन्च उत्पाद: ओला शक्ति (Ola Shakti)

  • कंपनी: ओला इलेक्ट्रिक

  • प्रकार: बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS)

  • आधार तकनीक: भारत 4680 लिथियम-आयन सेल

  • निर्माण इकाई: ओला गिगाफैक्ट्री

  • लक्ष्य: 5 GWh ऊर्जा भंडारण क्षमता

  • उपयोग: घरों, उद्योगों और ग्रिड-स्तरीय ऊर्जा समाधान के लिए

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