अडानी के गोड्डा पावर प्लांट को राष्ट्रीय ग्रिड कनेक्शन के लिए मंजूरी

भारत सरकार ने अडानी पावर के गोड्डा अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल प्लांट (Godda Ultra Super Critical Thermal Plant) को राष्ट्रीय बिजली ग्रिड से जोड़ने की अनुमति दे दी है। यह 1,600 मेगावाट क्षमता वाला कोयला आधारित पावर प्लांट, जो अब तक केवल बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने के लिए बनाया गया था, अब देश के भीतर भी बिजली आपूर्ति कर सकेगा। यह निर्णय भारत की सीमापार विद्युत व्यापार नीति और ग्रिड रणनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव माना जा रहा है।

गोड्डा पावर प्लांट क्या है?

  • यह प्लांट झारखंड के गोड्डा ज़िले में स्थित है।

  • इसे अडानी पावर लिमिटेड (Adani Power Limited – APL) ने अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक से बनाया है।

  • इसका उद्देश्य प्रारंभ में केवल बांग्लादेश को बिजली निर्यात करना था, जिसके लिए एक दीर्घकालिक समझौता किया गया था।

  • अब 2025 में, इसकी यह “एक्सपोर्ट-ओनली” (केवल निर्यात हेतु) स्थिति समाप्त हो रही है।

ग्रिड कनेक्शन का विवरण

  • APL को राष्ट्रीय बिजली ग्रिड (National Electricity Grid) से जोड़ने की अनुमति दी गई है।

  • यह कनेक्शन “लाइन-इन लाइन-आउट (LILO)” व्यवस्था के तहत कहलगांव–मैथन बी 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन पर किया जाएगा।

  • यह अनुमति विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 164 के अंतर्गत दी गई है, जो भारतीय तार अधिनियम, 1885 के समान अधिकार देती है ताकि ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जा सके।

  • LILO मार्ग गोड्डा और पोरैयाहाट (Poreyahat) तहसीलों के 56 गांवों से होकर गुज़रेगा।

  • यह स्वीकृति 25 वर्षों के लिए वैध होगी, परंतु इसे रेलवे, नागरिक उड्डयन, रक्षा, वन्यजीव, पर्यावरण और स्थानीय प्रशासनिक निकायों से आवश्यक मंजूरी लेनी होगी।

यह निर्णय क्यों महत्वपूर्ण है?

1. रणनीतिक ग्रिड लचीलापन (Strategic Grid Flexibility)

अब यह प्लांट न केवल निर्यात करेगा, बल्कि देश के भीतर बिजली की मांग बढ़ने पर घरेलू ग्रिड को भी आपूर्ति करेगा।

2. राष्ट्रीय आपूर्ति में बढ़ोतरी (Boosting National Supply)

  • देश की बिजली उपलब्धता में 1,600 मेगावाट की बढ़ोतरी

  • बढ़ती औद्योगिक और शहरी मांग को पूरा करने में मदद।

  • निर्यात में कमी आने पर प्लांट की संपूर्ण उपयोग क्षमता (Plant Utilisation) बढ़ेगी।

3. नीतिगत मिसाल (Policy Precedent)

यह पहली बार हुआ है कि किसी निर्यात-केन्द्रित पावर प्लांट को Inter-State Transmission System (ISTS) में जोड़ा गया है।

नीतिगत और नियामक संशोधन

इस बदलाव को लागू करने के लिए कई नीतिगत और नियामक सुधार किए गए:

  • विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power): अगस्त 2024 में सीमापार बिजली व्यापार दिशा-निर्देशों में संशोधन।

  • केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA): सीमापार बिजली प्रवाह प्रक्रियाओं (Cross-Border Power Flow Procedures) में बदलाव।

  • केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC): जनरल नेटवर्क एक्सेस (GNA) और ISTS विनियमों में संशोधन।

भारत को होने वाले लाभ

पहलू लाभ
ऊर्जा सुरक्षा राष्ट्रीय ग्रिड में अतिरिक्त 1,600 MW क्षमता जुड़ने से बिजली उपलब्धता में सुधार।
संसाधनों का बेहतर उपयोग उच्च निवेश वाले प्लांट का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित।
भूराजनीतिक जोखिम में कमी केवल निर्यात पर निर्भरता घटेगी, बाहरी मांग के जोखिम कम होंगे।
निजी-सरकारी सहयोग सार्वजनिक-निजी साझेदारी (Public-Private Synergy) को बढ़ावा।

भारत को एंटी-डोपिंग पर COP10 ब्यूरो का पुनः उपाध्यक्ष चुना गया

भारत को खेलों में डोपिंग के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय अभिसमय (International Convention against Doping in Sport) के अंतर्गत COP10 ब्यूरो के उपाध्यक्ष (Vice-Chairperson) पद पर पुनः निर्वाचित किया गया है। यह उपलब्धि भारत की स्वच्छ खेलों के प्रति वैश्विक नेतृत्व क्षमता और प्रतिबद्धता को सशक्त रूप से दर्शाती है।

यह घोषणा 20–22 अक्टूबर 2025 को यूनेस्को मुख्यालय, पेरिस में आयोजित 10वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP10) सत्र के दौरान की गई। यह सत्र इस अभिसमय की 20वीं वर्षगांठ भी था — जो खेलों से डोपिंग को समाप्त करने के लिए विश्व का एकमात्र विधिक रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय ढांचा है।

COP10 में भारत की भूमिका

भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व

  • हरी रंजन राव, सचिव (खेल)

  • अनंत कुमार, महानिदेशक, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA)
    ने किया।

उन्होंने 190 से अधिक सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों — जैसे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC), विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA), तथा अफ्रीकी संघ (African Union) — के प्रतिनिधियों के साथ भागीदारी की।

भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र (Group IV) से 2025–2027 कार्यकाल के लिए पुनः उपाध्यक्ष चुना गया।
इस पद के माध्यम से भारत अब वैश्विक डोपिंग नीति निर्धारण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाएगा।

अन्य निर्वाचित सदस्य:

  • अज़रबैजान – अध्यक्ष

  • ब्राज़ील, ज़ाम्बिया और सऊदी अरब – क्षेत्रीय उपाध्यक्ष

COP10 की प्रमुख विशेषताएँ

इस सम्मेलन में 500 से अधिक प्रतिभागियों — जिनमें सरकारी अधिकारी, डोपिंग विशेषज्ञ और यूनेस्को प्रतिनिधि शामिल थे — ने निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर चर्चा की:

  • अनुपालन और शासन तंत्र (Governance Mechanisms) को सशक्त बनाना

  • Fund for the Elimination of Doping in Sport के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाना

  • जीन हेरफेर (Gene Manipulation), पारंपरिक औषधियों के दुरुपयोग, और उच्च प्रदर्शन खेलों में नैतिक चुनौतियों जैसी नई धमकियों से निपटना

भारत ने इन चर्चाओं में सक्रिय योगदान दिया, और अपनी इंटरएक्टिव बोर्ड प्रदर्शनी के माध्यम से एंटी-डोपिंग कन्वेंशन के विकास और मील के पत्थरों को भी प्रदर्शित किया।

भारत के योगदान और नीतिगत प्रस्ताव

भारत ने COP10 में एक शैक्षिक और मूल्यों-आधारित पहल — “Values Education through Sport (VETS)” — को बढ़ावा दिया, जिसका उद्देश्य है:

  • खेलों में नैतिकता, ईमानदारी और निष्पक्षता (Fair Play) को प्रोत्साहित करना

  • युवाओं को मूल्य-आधारित शिक्षा के माध्यम से खेलों से जोड़ना

  • खेल संगठनों की भूमिका को मजबूत करना ताकि स्वच्छ खेल संस्कृति का निर्माण हो सके

इस प्रस्ताव को व्यापक समर्थन मिला और इसे सदस्य देशों में शिक्षा-केंद्रित एंटी-डोपिंग परियोजनाओं का हिस्सा बनाया जा रहा है।

पुनर्निर्वाचन का महत्व

भारत का पुनर्निर्वाचन इस बात का प्रमाण है कि —

  • भारत की वैश्विक खेल शासन (Sports Governance) में साख बढ़ी है

  • NADA इंडिया की डोपिंग जागरूकता और प्रवर्तन में प्रभावशीलता सिद्ध हुई है

  • भारत अब स्वच्छ और नैतिक खेलों के प्रचार में एक वैचारिक नेतृत्वकर्ता (Thought Leader) के रूप में उभर रहा है

यह उपलब्धि भारत सरकार के प्रमुख खेल अभियानों —
फ़िट इंडिया मूवमेंट, खेलो इंडिया, और अंतरराष्ट्रीय खेल मानकों के अनुरूप नीति निर्माण — की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

केरल का पहला अंडरवाटर टनल प्रोजेक्ट: अरब सागर के नीचे जुड़ेगा वैपिन और फोर्ट कोच्चि

केरल एक ऐतिहासिक अवसंरचनात्मक (infrastructure) परियोजना की दिशा में कदम बढ़ा रहा है — राज्य का पहला अंडरवाटर टनल (जलमग्न सुरंग), जो वैपिन (Vypin) और फोर्ट कोच्चि (Fort Kochi) को जोड़ेगा। यह सुरंग केरल के तटीय राजमार्ग विकास परियोजना (Coastal Highway Project) का हिस्सा है।

इस इंजीनियरिंग चमत्कार के पूरा होने पर मौजूदा 16 किमी की दूरी घटकर मात्र 3 किमी की समुद्र-तल यात्रा रह जाएगी, जिससे कोच्चि — भारत के सबसे व्यस्त बंदरगाह शहरों में से एक — की कनेक्टिविटी एक नई परिभाषा पाएगी।

परियोजना का सारांश: एक अद्वितीय समुद्र-तल इंजीनियरिंग उपलब्धि

इस अंडरवाटर टनल का विकास केरल रेल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (KRDCL) द्वारा किया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत ₹2,672 करोड़ होगी।

प्रमुख तकनीकी विवरण:

  • कुल लंबाई: 2.75 किमी
    (1.75 किमी बोर टनल + 1 किमी कट-एंड-कवर सेक्शन)

  • संरचना: ट्विन-ट्यूब डिज़ाइन (प्रत्येक दिशा के लिए अलग सुरंग)

  • आकार: 12.5 मीटर बाहरी व्यास, 11.25 मीटर आंतरिक चौड़ाई

  • गहराई: समुद्र तल से लगभग 35 मीटर नीचे

सुरक्षा विशेषताएँ:

  • हर 250 मीटर पर आपातकालीन रुकने के स्थान (Emergency Stops)

  • हर 500 मीटर पर एस्केप पैसेज (Escape Passage)

  • उन्नत वेंटिलेशन और अग्नि सुरक्षा प्रणाली

यह परियोजना केरल में अपनी तरह की पहली जलमग्न सड़क सुरंग होगी — जो केवल कोलकाता की हुगली नदी मेट्रो सुरंग से तुलना की जा सकती है, जो भारत की पहली अंडरवाटर रेल टनल है।

यात्रा समय और लागत में बड़ा सुधार

टनल के निर्माण से वैपिन और फोर्ट कोच्चि के बीच यात्रा समय में क्रांतिकारी बदलाव आएगा —
अब जहां यात्रा में 2 घंटे से अधिक समय लगता है, वहीं सुरंग के माध्यम से यह सिर्फ 30 मिनट में पूरी हो सकेगी।

वर्तमान में लोग या तो भीड़भाड़ वाले फेरी मार्गों का उपयोग करते हैं या 16 किमी लंबे गोश्री ब्रिज (Goshree Bridge) के रास्ते से घूमकर जाते हैं।

अब होगा सीधा फायदा:

  • टनल टोल शुल्क: ₹50–₹100 (वर्तमान औसत ₹300 की तुलना में काफी कम)

  • मासिक बचत: लगभग ₹1,500 तक

  • पर्यटकों और स्थानीय निवासियों दोनों के लिए समय और धन की बचत

टनल क्यों, पुल क्यों नहीं?

इससे पहले कोचिन पोर्ट चैनल पर पुल बनाने की योजना थी, लेकिन विशेषज्ञों ने कई तकनीकी चुनौतियाँ बताईं —

  • पुल को बहुत अधिक ऊँचाई पर बनाना पड़ता ताकि बड़े मालवाहक जहाज़ निकल सकें।

  • भूमि अधिग्रहण और लागत बहुत अधिक होती।

  • स्थानीय परिवेश और यातायात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता।

इसके विपरीत, टनल के लाभ:

  • दोनों सिरों पर केवल 100 मीटर भूमि की आवश्यकता

  • शिपिंग यातायात और बंदरगाह संचालन पर कोई असर नहीं

  • पर्यावरणीय और शहरी प्रभाव न्यूनतम

KRDCL के प्रबंध निदेशक वी. अजित कुमार ने पुष्टि की कि यह सुरंग तकनीकी और वित्तीय दोनों दृष्टियों से अधिक व्यवहार्य और दीर्घकालिक समाधान है।

संक्षेप में:
केरल की यह अंडरवाटर टनल परियोजना न केवल राज्य की पहली समुद्र-तल सड़क सुरंग होगी, बल्कि यह भारत की तटीय कनेक्टिविटी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी — जो तकनीकी नवाचार, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और आर्थिक दक्षता का एक अद्भुत संगम प्रस्तुत करती है।

भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे का 70 वर्ष की आयु में निधन

इंडियन एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के दिग्गज पीयूष पांडे का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। पीयूष भारतीय विज्ञापन जगत की आवाज, मुस्कान और क्रिएटिविटी का चेहरा थे। जिन्होंने चार दशकों से अधिक समय तक ओगिल्वी इंडिया में काम किया और विज्ञापन जगत को बदल दिया। पांडे को सिर्फ एक विज्ञापन विशेषज्ञ के रूप में ही नहीं बल्कि ऐसी शख्सियत के रूप में याद किया जाता था, जिन्होंने भारतीय विज्ञापन को उसकी अपनी भाषा और आत्मा दी।

पीयूष पांडे ने 1982 में ओगिल्वी एंड माथर इंडिया (अब ओगिल्वी इंडिया) के साथ अपने विज्ञापन करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने एक प्रशिक्षु खाता कार्यकारी के रूप में शुरुआत की और फिर रचनात्मक क्षेत्र में कदम रखा। अपनी प्रतिभा से उन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत की तस्वीर ही बदल दी। पीयूष पांडे द्वारा बनाए गए विज्ञापन आज भी लोगों की यादों में बसे हुए हैं।

कई कैंपेन बेहद चर्चित

पीयूष पांडे विज्ञापन की दुनिया के जाने माने दिग्गज थे। उनके कई कैंपेन बेहद चर्चित रहे, जिसने घर-घर में ब्रांड्स की पहचान बना दी। लंबे समय तक भारत की विविधता में एकता दिखाने वाले गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ के लेखक भी थे। उन्होंने फेविकोल, हच (वोडाफोन) जैसी कंपनियों के लिए भी कई सफल ऐड कैंपेन को भी लीड किया था।

मोदी के प्रचार अभियान का हिस्सा

पीयूष पांडे पीएम नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान का भी हिस्सा रहे। अबकी बार मोदी सरकार का नारा भी उन्होंने ही दिया था। जो काफी चर्चा में रहा।

पद्मश्री से सम्मानित

बता दें कि 2004 में पीयूष पांडे ने कान्स लायंस इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ क्रिएटिविटी में जूरी अध्यक्ष के रूप में कार्य करने वाले पहले एशियाई के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। उनके अग्रणी योगदान को बाद में 2012 में क्लियो लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जिससे वे राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने वाले भारतीय विज्ञापन जगत के पहले व्यक्ति बन गए।

पीयूष पांडे का जन्म

पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर में हुआ था। उनके परिवार में नौ बच्चे थे, जिनमें सात बहनें और दो भाई शामिल थे। उनके भाई प्रसून पांडे फिल्म निर्देशक हैं, जबकि बहन ईला अरुण गायिका और अभिनेत्री थीं। उनके पिता राजस्थान राज्य सहकारी बैंक में कार्यरत थे। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की और 1982 में विज्ञापन जगत में कदम रखा और ओगिल्वी इंडिया में क्लाइंट सर्विसिंग एक्जीक्यूटिव के रूप में शामिल हुए। उनका पहला प्रिंट विज्ञापन सनलाइट डिटर्जेंट के लिए लिखा गया।

जलवायु संकट के बीच तुवालू IUCN का 90वां सदस्य बना

दुनिया के सबसे छोटे और जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक — तुवालू (Tuvalu) — ने आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature – IUCN) की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस कदम के साथ तुवालू अब IUCN का 90वां सदस्य राष्ट्र बन गया है, जो पर्यावरणीय शासन को सशक्त बनाने और वैश्विक संरक्षण प्रयासों में अपनी भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

तुवालू: जलवायु संकट से जूझता एक द्वीपीय देश

प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में स्थित तुवालू नौ एटोल (atolls) और निम्न-भूमि वाले द्वीपों से मिलकर बना है, जिसकी कुल भूमि लगभग 26 वर्ग किलोमीटर है।
हालाँकि इसका विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone – EEZ) लगभग 9 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें समृद्ध कोरल रीफ (coral reefs), मत्स्य संसाधन (fisheries) और प्रवासी समुद्री पक्षी (migratory seabirds) पाए जाते हैं।

तुवालू की प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियाँ:

  • समुद्र-स्तर में वृद्धि (Sea-Level Rise): देश के बड़े हिस्सों के डूबने का खतरा।

  • तटीय कटाव (Coastal Erosion): भूमि क्षेत्र में कमी और प्राकृतिक आवासों का विनाश।

  • आक्रामक प्रजातियाँ (Invasive Species): स्थानीय जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव।

  • जलवायु परिवर्तन (Climate Change): खाद्य सुरक्षा और पेयजल की उपलब्धता पर असर।

IUCN सदस्यता से तुवालू को क्या लाभ होगा

IUCN की सदस्यता से तुवालू को सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और पर्यावरण विशेषज्ञों के वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा बनने का अवसर मिला है।

प्रमुख लाभ:

  1. वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग: जैव विविधता के डेटाबेस, अनुसंधान और संरक्षण उपकरणों तक पहुँच।

  2. अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधित्व: छोटे द्वीपीय देशों की चिंताओं को वैश्विक स्तर पर उठाने का अवसर।

  3. राष्ट्रीय नीतिगत सहयोग: जैव विविधता संरक्षण और जलवायु नीतियों के कार्यान्वयन में तकनीकी मार्गदर्शन।

रणनीतिक अवसर और वैश्विक साझेदारियाँ

IUCN में शामिल होने के बाद तुवालू अब कई वैश्विक पर्यावरणीय पहल में भाग ले सकेगा, जैसे:

  • ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF): जलवायु अनुकूलन (climate adaptation) से जुड़ी परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता।

  • ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी (GEF): जैव विविधता संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय परियोजनाएँ।

  • सामुदायिक-आधारित संरक्षण: स्थानीय व पारंपरिक ज्ञान (indigenous knowledge) का उपयोग कर पर्यावरणीय लचीलापन (resilience) बढ़ाना।

इन साझेदारियों से तुवालू को लाभ होगा:

  • सतत मत्स्य प्रबंधन (Sustainable Fisheries)

  • समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas) का विस्तार

  • जलवायु अनुकूलन तकनीक (Climate Adaptation Innovations) का विकास

संक्षेप में:
तुवालू की IUCN सदस्यता न केवल उसके पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देती है, बल्कि यह छोटे द्वीपीय देशों के लिए एक प्रेरणा भी है कि वे जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए वैश्विक सहयोग और वैज्ञानिक संसाधनों का लाभ उठाएँ

संयुक्त राष्ट्र दिवस 2025 – इतिहास, महत्व और उद्देश्य

हर वर्ष 24 अक्टूबर को पूरी दुनिया में संयुक्त राष्ट्र दिवस (United Nations Day) मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) की स्थापना की वर्षगांठ का प्रतीक है, जो 1945 में स्थापित हुआ था। यह दिन हमें वैश्विक शांति, मानवाधिकारों की रक्षा, और सतत विकास के प्रति संयुक्त राष्ट्र के निरंतर प्रयासों की याद दिलाता है।

वर्ष 2025 में, संयुक्त राष्ट्र ने यह संकल्प दोहराया है कि वह अपने चार्टर के मूल सिद्धांतों और मूल्यों — शांति, समानता और पर्यावरण संरक्षण — को विश्व के हर कोने तक पहुँचाएगा।

संयुक्त राष्ट्र दिवस का इतिहास

  • संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी।

  • यह स्थापना सैन फ्रांसिस्को (San Francisco) में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के बाद हुई, जहाँ 50 देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र चार्टर (UN Charter) पर हस्ताक्षर किए।

  • इसका मुख्य उद्देश्य एक और विश्व युद्ध की पुनरावृत्ति रोकना और अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांति और कूटनीति के माध्यम से सुलझाना था।

संयुक्त राष्ट्र का गठन द्वितीय विश्व युद्ध की भीषण तबाही के बाद हुआ था, ताकि राष्ट्र आपसी सहयोग से विश्व की समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से कर सकें।

संयुक्त राष्ट्र के मुख्य उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) का लक्ष्य विश्व शांति, सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देना है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:

  1. अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना।

  2. वित्तीय सहायता और विकास कार्यक्रमों के माध्यम से गरीबी का उन्मूलन

  3. सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना।

  4. नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करना और विकसित देशों को जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाने की सलाह देना।

  5. जाति, लिंग या राष्ट्रीयता के भेदभाव के बिना सभी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना।

स्थायी सदस्य (Permanent Members) और वैश्विक सहयोग

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के पाँच स्थायी सदस्य (P5 nations) हैं —
अमेरिका (United States), ब्रिटेन (United Kingdom), फ्रांस (France), रूस (Russia) और चीन (China)

(नोट: भारत, तुर्की और कनाडा स्थायी सदस्य नहीं हैं, लेकिन वे संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न पहलों में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं।)

ये राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने और वैश्विक शांति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत कई संस्थाएँ कार्यरत हैं, जैसे —
UNICEF, UNESCO, WHO, UNDP, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में कार्य करती हैं।

संयुक्त राष्ट्र दिवस का महत्व

संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाने के प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना और उसके वैश्विक मिशन का सम्मान करना।

  • शांति, सुरक्षा और सतत विकास में UN की भूमिका के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल्यों — न्याय, मानव गरिमा और समानता — को दोहराना।

  • गरीबी, असमानता और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना।

इस दिन संयुक्त राष्ट्र और सदस्य देश सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनियाँ, भाषण, और वैश्विक चर्चाएँ आयोजित करते हैं ताकि देशों के बीच एकता और सहयोग को सशक्त किया जा सके।

आधुनिक चुनौतियों में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका

हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र ने 2030 एजेंडा के तहत 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है, जिनमें शामिल हैं:

  • गरीबी उन्मूलन

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

  • लैंगिक समानता

  • जलवायु परिवर्तन से मुकाबला

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवसों के माध्यम से भी अपने उद्देश्यों को बढ़ावा देता है, जैसे —

  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day)

  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस (International Day of Older Persons)

  • विश्व शांति दिवस (World Peace Day)

  • विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)

ये सभी दिवस संयुक्त राष्ट्र के उस व्यापक लक्ष्य को सुदृढ़ करते हैं — एक ऐसा विश्व जहाँ समावेशिता, समानता और स्थिरता सर्वोपरि हों।

संक्षेप में:
संयुक्त राष्ट्र दिवस हमें यह याद दिलाता है कि विश्व की समस्याएँ सीमाओं से परे हैं, और उन्हें हल करने के लिए सभी राष्ट्रों का एकजुट होना अनिवार्य है — ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और सतत भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

विश्व पोलियो दिवस 2025 – विषय, इतिहास और महत्व

हर वर्ष 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस (World Polio Day) मनाया जाता है, ताकि इस घातक और संक्रामक रोग पोलियो के विरुद्ध वैश्विक लड़ाई के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाई जा सके। वर्ष 2025 में इस दिवस की थीम है — “End Polio: Every Child, Every Vaccine, Everywhere” (पोलियो का अंत: हर बच्चा, हर टीका, हर जगह) — जो इस बात पर ज़ोर देती है कि दुनिया के हर बच्चे को जीवनरक्षक पोलियो वैक्सीन अवश्य मिले, चाहे वह कहीं भी रहता हो।

पोलियो क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है

पोलियोमाइलाइटिस (Poliomyelitis) या पोलियो एक अत्यंत संक्रामक वायरल रोग है जो मुख्यतः बच्चों को प्रभावित करता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) पर हमला करता है, जिससे मांसपेशियों की कमजोरी और लकवा (Paralysis) हो सकता है, विशेष रूप से पैरों में। गंभीर मामलों में यह श्वास-प्रणाली को प्रभावित कर मृत्यु तक का कारण बन सकता है।

वैक्सीन अभियानों और वैश्विक सहयोग के कारण पोलियो के मामले 99.9% तक घट चुके हैं, लेकिन जब तक यह वायरस दुनिया के किसी भी हिस्से में मौजूद है, यह हर जगह खतरा बना रहता है।

विश्व पोलियो दिवस का इतिहास

  • विश्व पोलियो दिवस की शुरुआत सबसे पहले रोटरी इंटरनेशनल द्वारा डॉ. जोनास साल्क के जन्मदिन के उपलक्ष्य में की गई थी – डॉ. जोनास साल्क वह चिकित्सा शोधकर्ता थे जिन्होंने पहला प्रभावी पोलियो टीका विकसित किया था।

  • 1955 में, डॉ. साल्क ने निष्क्रिय पोलियोवायरस वैक्सीन (आईपीवी) पेश की, जिसके बाद 1962 में डॉ. अल्बर्ट सबिन ने ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) पेश की।

  • इन टीकों के संयुक्त उपयोग से वैश्विक टीकाकरण प्रयासों में क्रांति आई और लाखों लोगों की जान बच गई।

वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI)

1988 में, रोटरी इंटरनेशनल और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संयुक्त रूप से वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) की शुरुआत की। उस समय, दुनिया में हर साल अनुमानित 3.5 लाख (350,000) पोलियो के मामले दर्ज किए जाते थे।

लगातार टीकाकरण अभियानों, निगरानी, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के कारण यह संख्या आज नगण्य रह गई है। अमेरिका, यूरोप और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र को पोलियो-मुक्त (Polio-free) घोषित किया जा चुका है।

वर्तमान स्थिति

  • आज अधिकांश देश पोलियो-मुक्त हैं।

  • फिर भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अब भी वाइल्ड पोलियो वायरस (WPV) के छिटपुट मामले सामने आते हैं।

  • भारत ने 2014 में खुद को पोलियो-मुक्त देश घोषित किया था, लेकिन पुनः संक्रमण से बचाव हेतु निरंतर निगरानी और टीकाकरण जारी है।
    संयुक्त राष्ट्र, WHO और रोटरी इंटरनेशनल जैसे संगठन इस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।

2025 की थीम: “End Polio: Every Child, Every Vaccine, Everywhere”

यह थीम तीन मुख्य प्रतिबद्धताओं को रेखांकित करती है:

  1. हर बच्चा (Every Child) — सभी बच्चों को टीकाकरण तक पहुँच सुनिश्चित करना।

  2. हर टीका (Every Vaccine) — गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों के अनुरूप वैक्सीन की उपलब्धता।

  3. हर जगह (Everywhere) — दूरदराज़, संघर्षग्रस्त और कठिन क्षेत्रों तक पहुँचना।

दिवस का महत्व

विश्व पोलियो दिवस हमें यह याद दिलाता है कि:

  • टीकाकरण जीवन बचाता है और विकलांगता रोकता है।

  • वैश्विक एकजुटता से ही संक्रामक रोगों का अंत संभव है।

  • स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता को जमीनी स्तर तक पहुँचाना आवश्यक है।

  • स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टर, और स्वयंसेवक समाज को सुरक्षित रखने में नायक की भूमिका निभाते हैं।

विश्व विकास सूचना दिवस 2025 – इतिहास, विषय और महत्व

विश्व विकास सूचना दिवस हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो संयुक्त राष्ट्र दिवस के साथ मेल खाता है। यह दिन वैश्विक विकास और देशों के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। 2025 में, इस दिन का मुख्य ध्यान डिजिटल नवाचार, मीडिया और सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक प्रगति, सहयोग और सतत विकास को बढ़ावा देने पर है।

इतिहास

विश्व विकास सूचना दिवस की शुरुआत 1972 में हुई, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 17 मई 1972 को ट्रेड और डेवलपमेंट पर एक सम्मेलन आयोजित किया।

सम्मेलन में प्रस्ताव रखा गया कि सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके:

  • देशों के बीच संचार की खाई को पाटा जा सके।

  • सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।

  • अंतरराष्ट्रीय विकास में जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

इसके बाद, 19 दिसंबर 1972 को UNGA ने एक प्रस्ताव पारित कर विश्व विकास सूचना दिवस को आधिकारिक रूप से स्थापित किया।

पहली बार यह दिवस 24 अक्टूबर 1973 को मनाया गया, ताकि वैश्विक शांति, विकास और सूचना तक पहुँच के बीच संबंध को रेखांकित किया जा सके।

उद्देश्य

विश्व विकास सूचना दिवस का मुख्य उद्देश्य है:

  • जनता में विकास समस्याओं और वैश्विक सहयोग के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

  • आर्थिक और सामाजिक विकास को तेज करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल संचार को प्रोत्साहित करना।

  • देशों के बीच सटीक और समयोचित जानकारी के प्रवाह से सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देना।

  • नागरिकों को जानकारी तक पहुँच प्रदान करके सार्वजनिक नीति और शासन में योगदान करने के लिए सशक्त बनाना।

संक्षेप में, यह दिन यह मानता है कि ज्ञान और प्रौद्योगिकी संसाधनों जितनी ही महत्वपूर्ण हैं ताकि समान विकास प्राप्त किया जा सके।

विकास में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) आधुनिक विकास में क्रांतिकारी भूमिका निभाती है:

  • वाणिज्य सुधार: डिजिटल उपकरणों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और लेन-देन को सरल बनाया।

  • संघर्ष समाधान: टेलीकॉन्फ़्रेंसिंग और कूटनीतिक हॉटलाइन जैसी तकनीकें सीमा और राजनीतिक मुद्दों को शीघ्र हल करने में मदद करती हैं।

  • मीडिया और इंटरनेट सशक्तिकरण: समाचार मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नागरिकों को अपनी राय साझा करने और पारदर्शिता बढ़ाने का अवसर देते हैं।

  • शिक्षा और कनेक्टिविटी: इंटरनेट पहुंच शिक्षा और सामाजिक समावेशन की खाई को पाटने में सहायक है, विशेषकर विकासशील देशों में।

  • सतत विकास लक्ष्य (SDGs): ICT, संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडा के लिए नवाचार, अवसंरचना और समावेशी विकास का एक प्रमुख उपकरण है।

विकासशील देशों के लिए महत्व

विकासशील देशों में सूचना प्रौद्योगिकी विकास को तेज करने वाला कारक है:

  • ज्ञान तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित करके असमानताओं को कम करता है।

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से शासन को मजबूत बनाता है।

  • गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य और शिक्षा में प्रगति को मापने और मॉनिटर करने में मदद करता है।

  • ई-गवर्नेंस को सुविधाजनक बनाकर नागरिकों को सरकारी योजनाओं और सेवाओं से जोड़े रखता है।

सूचना के बेहतर आदान-प्रदान से ये देश वैश्विक अर्थव्यवस्था और नीति निर्माण प्रक्रियाओं में बेहतर रूप से एकीकृत हो सकते हैं।

दिन का महत्व

विश्व विकास सूचना दिवस यह याद दिलाता है कि संचार और जानकारी साझा करने की शक्ति एक बेहतर दुनिया बनाने में कितनी महत्वपूर्ण है।

  • तकनीक केवल नवाचार के लिए नहीं, बल्कि समावेशन के लिए भी है।

  • सूचना नागरिकों को सशक्त बनाती है और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।

  • वैश्विक सहयोग खुली और विश्वसनीय संचार प्रणालियों पर निर्भर करता है।

भारत ने ऑनलाइन राष्ट्रीय औषधि लाइसेंसिंग प्रणाली शुरू की

भारत ने खतरनाक खांसी की सिरप से जुड़ी बच्चों की मौतों के बाद दवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक सशक्त डिजिटल निगरानी प्रणाली — ऑनलाइन नेशनल ड्रग लाइसेंसिंग सिस्टम (ONDLS) — लागू की है। यह पहल सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) द्वारा संचालित है और इसका उद्देश्य देश भर में दवा निर्माण में उपयोग होने वाली उच्च जोखिम वाली दवा-सॉल्वेंट्स की रीयल-टाइम ट्रैकिंग करना है। इस सुधार से भारत में फार्मास्यूटिकल सुरक्षा और जवाबदेही को मजबूत करने की प्रतिबद्धता सामने आई है।

क्यों जरूरी हुआ ONDLS?

इस प्रणाली की शुरुआत के पीछे मुख्य कारण था मध्य प्रदेश में खांसी की सिरप से बच्चों की मौतें, जिनमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) — एक बेहद जहरीला औद्योगिक सॉल्वेंट — शामिल पाया गया।

  • जांच में गुणवत्ता नियंत्रण और सामग्री ट्रेसबिलिटी में बड़ी खामियां सामने आईं।

  • DEG से जुड़ी कई सामूहिक विषाक्तता घटनाओं ने 1970 के दशक से सख्त नियमों की मांग को बढ़ाया।

  • इन हालिया मौतों ने स्वास्थ्य मंत्रालय पर व्यवस्थित सुधार लागू करने का दबाव बढ़ा दिया।

ONDLS क्या है?

ऑनलाइन नेशनल ड्रग लाइसेंसिंग सिस्टम (ONDLS) एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो:

  • फार्मा-ग्रेड सॉल्वेंट के उत्पादन की निगरानी और लाइसेंसिंग करता है।

  • प्रत्येक बैच का निर्माण से लेकर अंतिम उपयोग तक ट्रैक रखता है।

  • गुणवत्ता प्रमाणपत्र और एनालिसिस सर्टिफिकेट सुनिश्चित करता है।

  • अमान्य या गैर-अनुपालन बैच को बाजार में प्रवेश से रोकता है।

सिरप जैसी तरल दवाओं में दूषित सामग्री का जोखिम अधिक होने के कारण ONDLS को एंड-टू-एंड ट्रेसबिलिटी के लिए अपग्रेड किया गया है।

निगरानी में आने वाले सॉल्वेंट्स

CDSCO ने उच्च जोखिम वाले सॉल्वेंट्स की सूची बनाई है, जिन्हें ONDLS में अनिवार्य रूप से ट्रैक करना है:

  • ग्लिसरीन (Glycerin)

  • प्रोपिलीन ग्लाइकोल (Propylene glycol)

  • सोर्बिटोल (Sorbitol)

  • माल्टिटोल (Maltitol)

  • एथिल अल्कोहल (Ethyl alcohol)

  • हाइड्रोजेनेटेड स्टार्च हाइड्रोलिसेट (Hydrogenated starch hydrolysate)

ये पदार्थ शुद्ध होने पर सुरक्षित हैं, लेकिन औद्योगिक गुणवत्ता या DEG जैसी मिलावट से जहरीले हो सकते हैं। ONDLS सुनिश्चित करता है कि केवल फार्मास्यूटिकल ग्रेड सामग्री का ही उपयोग हो।

क्रियान्वयन और निगरानी

ONDLS के प्रमुख कार्य और विशेषताएं:

  • सभी लाइसेंसधारी सॉल्वेंट निर्माताओं के लिए बैच-वार एंट्री अनिवार्य

  • पुराने लाइसेंस प्रबंधन मॉड्यूल (Old Licence Management) जोड़ा गया।

  • राज्य स्तर के ड्रग कंट्रोलर्स को जिम्मेदार ठहराया गया:

    • निरीक्षण और अनुपालन ऑडिट

    • निर्माताओं और सप्लायर्स के लिए जागरूकता अभियान

    • ONDLS के राष्ट्रीय मानकीकरण के लिए प्रशिक्षण सत्र

CDSCO सर्कुलर, जो 22 अक्टूबर 2025 को जारी हुआ, को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समीक्षा द्वारा समर्थित किया गया।

इस प्रणाली से भारत में दवाओं की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा को लेकर कड़ा और पारदर्शी नियंत्रण सुनिश्चित होगा।

अयोध्या ने दीपोत्सव 2025 में 26 लाख दीयों के साथ गिनीज रिकॉर्ड बनाया

अयोध्या ने दीपोत्सव 2025 के साथ फिर से विश्व मंच पर अपनी चमक दिखाई, जब सारे सरयू घाटों पर 26,17,215 दीप जलाए गए, और शहर को रोशनी और भक्ति से जगमगा दिया। इस वर्ष का भव्य उत्सव न केवल श्रद्धालुओं को मोहित करने वाला था, बल्कि इसने दो नए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी स्थापित किए, जिससे अयोध्या की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्ता और मजबूती से प्रदर्शित हुई।

स्थापित गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

1. सबसे अधिक दीपों का एकसाथ प्रज्वलन

  • सरयू नदी के किनारे 26,17,215 दीप जलाए गए।

  • ड्रोन इमेजिंग के माध्यम से सत्यापित और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा प्रमाणित।

2. सबसे बड़ी आरती में भागीदारी

  • 2,128 पुजारी और भक्तजन ने मां सरयू की आरती को समन्वयपूर्वक अदा किया।

  • कड़ाई से नियोजित समन्वय और रीति-रिवाज की शुद्धता के साथ संपन्न।

उत्सव की मुख्य झलकियाँ

  • राम लीला प्रस्तुतियाँ: भगवान राम के जीवन का नाटकीय मंचन, जिसने भारी भीड़ आकर्षित की।

  • लेजर और ड्रोन शो: राम की पैड़ी पर उच्च तकनीकी दृश्य, जिसे भगवान राम के निर्वाण स्थल के रूप में माना जाता है।

  • पटाखों की झिलमिलाहट: अयोध्या के आकाश को भव्य रूप से रोशन किया।

  • मंदिरों की सजावट: शहर के मंदिरों को पारंपरिक दीपों से सजाया गया।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा:

  • दीवाली का प्रतीक: सत्य और धर्म की विजय, जो सनातन धर्म के मूल्यों को दर्शाता है।

  • अयोध्या का उदय: राम मंदिर के निर्माण के निकट होने के साथ अयोध्या एक वैश्विक तीर्थ स्थल के रूप में उभर रहा है।

  • सांस्कृतिक गर्व: दीपोत्सव भारत की विरासत और एकता का प्रतीक है।

इस भव्य उत्सव ने अयोध्या को न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैश्विक सांस्कृतिक पहचान भी दिलाई।

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