पद्म पुरस्कार 2026: बिंद्रा से लेकर पेस तक, भारत के खेल जगत के दिग्गजों पर रहेगी नज़र

भारत जब पद्म पुरस्कार 2026 की तैयारियों में जुटा है, तब देश के कई शीर्ष खिलाड़ियों, खेल प्रशासकों और चिकित्सा विशेषज्ञों के नाम इन प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों के लिए अनुशंसित किए गए हैं। यह सूची न केवल ओलंपिक चैंपियनों को बल्कि उन योगदानकर्ताओं को भी मान्यता देती है जिन्होंने भारत के खेल सफर को वैश्विक पहचान दिलाई है।

पद्म विभूषण (Padma Vibhushan) के लिए नामांकित — भारत के खेल आइकॉन

भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान खेल जगत के दो दिग्गजों को अनुशंसित किया गया है —

1. अभिनव बिंद्रा (Abhinav Bindra)

  • भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता (बीजिंग 2008 – 10 मीटर एयर राइफल)

  • पाँच बार ओलंपिक में प्रतिनिधित्व किया

  • 2009 में पद्म भूषण से सम्मानित

  • अनुशंसा: भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा

2. लिएंडर पेस (Leander Paes)

  • 18 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता (डबल्स श्रेणी)

  • अटलांटा 1996 ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता — भारत के एकमात्र ओलंपिक टेनिस पदकधारी

  • पूर्व पद्म श्री (2001) और पद्म भूषण (2014) प्राप्तकर्ता

  • अनुशंसा: ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन (AITA) द्वारा

यदि इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाता है, तो ये विश्वनाथन आनंद, सचिन तेंदुलकर, सर एडमंड हिलेरी, और एम.सी. मैरी कॉम के बाद यह सम्मान पाने वाले 5वें और 6वें खिलाड़ी होंगे।

पद्म भूषण (Padma Bhushan) के लिए नामांकित — आधुनिक उत्कृष्टता का सम्मान

1. नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra)

  • टोक्यो 2020 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता (भाला फेंक)

  • विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप और डायमंड लीग फाइनल्स विजेता

  • पद्म श्री (2022) से सम्मानित

  • अनुशंसा: भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा

2. गगन नारंग (Gagan Narang)

  • लंदन 2012 ओलंपिक कांस्य पदक विजेता (शूटिंग)

  • राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में कई पदक

  • पद्म श्री (2011) प्राप्तकर्ता

  • भारतीय निशानेबाजी में दीर्घकालिक योगदान के लिए मान्यता प्राप्त

पद्म श्री (Padma Shri) के लिए नामांकित — उभरते सितारे और योगदानकर्ता

1. मनु भाकर (Manu Bhaker)

  • पेरिस 2024 ओलंपिक में दो बार कांस्य पदक विजेता (10 मीटर एयर पिस्टल)

  • भारत की सबसे कम उम्र की सफल निशानेबाजों में से एक

2. हरमनप्रीत सिंह (Harmanpreet Singh)

  • भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान

  • पेरिस 2024 ओलंपिक में टीम को कांस्य पदक तक पहुँचाया

  • भारतीय हॉकी के पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका

3. रंधीर सिंह (Randhir Singh)

  • पूर्व ओलंपिक निशानेबाज

  • ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया (OCA) के अध्यक्ष

  • वरिष्ठ खेल प्रशासक और नीति निर्माता

4. डॉ. दिनशॉ पारडीवाला (Dr. Dinshaw Pardiwala)

  • अग्रणी खेल चोट विशेषज्ञ और ऑर्थोपेडिक सर्जन

  • भारत के शीर्ष एथलीटों के उपचार के लिए प्रसिद्ध

5. वीरेन रसकिन्हा (Viren Rasquinha)

  • पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान

  • ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट (OGQ) में खेल विकास और नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध

6. संदीप प्रधान (Sandip Pradhan)

  • भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के पूर्व महानिदेशक

  • खेलो इंडिया कार्यक्रम और प्रतिभा विकास में प्रमुख भूमिका

त्वरित स्थैतिक तथ्य (Static GK Facts for Revision)

श्रेणी नामांकित व्यक्ति (2026)
पद्म विभूषण अभिनव बिंद्रा, लिएंडर पेस
पद्म भूषण नीरज चोपड़ा, गगन नारंग
पद्म श्री मनु भाकर, हरमनप्रीत सिंह, रंधीर सिंह, डॉ. दिनशॉ पारडीवाला, वीरेन रसकिन्हा, संदीप प्रधान

मुख्य तथ्य:

  • अभिनव बिंद्रा: भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता (बीजिंग 2008)

  • लिएंडर पेस: ओलंपिक टेनिस में भारत के एकमात्र पदकधारी (1996)

  • नीरज चोपड़ा: टोक्यो 2020 स्वर्ण विजेता और डायमंड लीग चैंपियन

सर्वियर इंडिया ने कैंसर के लिए निःशुल्क बायोमार्कर परीक्षण शुरू किया

भारत के कैंसर निदान पारिस्थितिकी तंत्र को नई दिशा देते हुए सर्वियर इंडिया (Servier India) ने एक राष्ट्रीय पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य तीव्र अस्थि मज्जा ल्यूकेमिया (Acute Myeloid Leukaemia – AML) और कोलांजियोकार्सिनोमा (Cholangiocarcinoma – CCA) से पीड़ित रोगियों के लिए बायोमार्कर परीक्षण की पहुंच बढ़ाना है। यह कार्यक्रम जीनोमिक प्रयोगशालाओं MedGenome और Strand Life Sciences के सहयोग से शुरू किया गया है, ताकि अत्याधुनिक प्रिसीजन ऑन्कोलॉजी (Precision Oncology) तकनीक को विशेष रूप से सरकारी अस्पतालों और पिछड़े क्षेत्रों तक पहुँचाया जा सके।

भारत में आणविक परीक्षण (Molecular Testing) का विस्तार

भारत में कैंसर निदान के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती रही है — गुणवत्तापूर्ण आनुवंशिक परीक्षणों की सीमित उपलब्धता, विशेषकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में।
इसी कमी को पूरा करने के लिए, सर्वियर इंडिया अब एक विशेष बायोमार्कर परीक्षण पैनल उपलब्ध कराएगा, जो मुख्य रूप से IDH1 और IDH2 जीन म्यूटेशन पर केंद्रित होगा — ये दोनों जीन AML और CCA जैसी बीमारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • सरकारी अस्पतालों के मरीजों को ये परीक्षण निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।

  • अन्य मरीजों को रियायती दरों पर परीक्षण की सुविधा मिलेगी, सर्वियर की Patient Assistance Programme के तहत।

यह कदम कैंसर निदान में समान अवसर (equitable access) सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

प्रिसीजन ऑन्कोलॉजी पर केंद्रित पहल

इस पहल का मुख्य आधार प्रिसीजन ऑन्कोलॉजी है — जहाँ उपचार हर मरीज के कैंसर की जीन-स्तरीय पहचान के आधार पर तय किया जाता है।
IDH1 और IDH2 जैसी म्यूटेशन की पहचान करने से चिकित्सक —

  • अधिक प्रभावी लक्षित उपचार (targeted therapy) चुन सकते हैं,

  • कम प्रभावी सामान्य उपचारों से बच सकते हैं, और

  • मरीज की जीवित रहने की संभावना और परिणामों में सुधार कर सकते हैं।

सर्वियर इंडिया का कहना है कि शुरुआती चरण में आणविक परीक्षण (early molecular testing) से समय पर उपचार निर्णय लिए जा सकते हैं, जो तेज़ी से फैलने वाले इन कैंसर प्रकारों में निर्णायक साबित हो सकते हैं।

मुख्य कैंसर प्रकार

1. तीव्र अस्थि मज्जा ल्यूकेमिया (Acute Myeloid Leukaemia – AML)

  • यह रक्त कैंसर का तेजी से बढ़ने वाला प्रकार है, जो श्वेत रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है।

  • सही और त्वरित निदान इस बीमारी के उपचार के लिए अत्यंत आवश्यक है।

  • IDH जीन म्यूटेशन से संबंधित लक्षित उपचार अब उपलब्ध हैं।

2. कोलांजियोकार्सिनोमा (Cholangiocarcinoma – CCA)

  • यह पित्त नलिकाओं में उत्पन्न होने वाला दुर्लभ कैंसर है।

  • देर से पहचान के कारण उपचार जटिल हो जाता है।

  • आनुवंशिक प्रोफाइलिंग से उपचार योजना अधिक सटीक बनाई जा सकती है।

सहयोगी मॉडल (Collaborative Delivery Model)

इस पहल की सफलता एक साझेदारी-आधारित मॉडल पर आधारित है —

  • MedGenome और Strand Life Sciences जीनोमिक परीक्षण व तकनीकी समर्थन प्रदान करेंगे।

  • अस्पताल और चिकित्सक मरीजों की पहचान और सैंपल समन्वय में सहयोग करेंगे।

  • रोगी नेटवर्क और काउंसलिंग समूह मरीजों को जानकारी, मार्गदर्शन और उपचार सहायता प्रदान करेंगे।

यह ‘लास्ट माइल डिलीवरी मॉडल’ परीक्षण और उपचार के बीच के समय को घटाकर त्वरित चिकित्सीय हस्तक्षेप सुनिश्चित करेगा।

‘सर्वियर केयर’ के अंतर्गत रोगी सहायता

यह बायोमार्कर परीक्षण कार्यक्रम ‘Servier Care’ पहल के तहत संचालित होगा — जो एक समग्र रोगी सहायता मंच है।
इसमें शामिल हैं —

  • निःशुल्क या रियायती डायग्नोस्टिक परीक्षण

  • पात्र मरीजों के लिए आर्थिक सहायता

  • दवाओं की उपलब्धता में सहयोग

  • संपूर्ण उपचार प्रक्रिया में मार्गदर्शन

इस कार्यक्रम के माध्यम से सर्वियर इंडिया का उद्देश्य है — एक दयालु, सुलभ और एकीकृत स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण, जो विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए सहायक हो।

संक्षिप्त तथ्य

विवरण जानकारी
पहल का नाम सर्वियर इंडिया राष्ट्रीय बायोमार्कर परीक्षण पहल
मुख्य रोग तीव्र अस्थि मज्जा ल्यूकेमिया (AML) और कोलांजियोकार्सिनोमा (CCA)
मुख्य जीन परीक्षण IDH1 और IDH2 म्यूटेशन
साझेदार प्रयोगशालाएँ MedGenome, Strand Life Sciences
अभियान का उद्देश्य प्रिसीजन ऑन्कोलॉजी के माध्यम से कैंसर निदान को सुलभ बनाना
लाभार्थी सरकारी अस्पतालों और पिछड़े क्षेत्रों के मरीज
कार्यक्रम के अंतर्गत Servier Care – रोगी सहायता मंच

कोलंबो विश्वविद्यालय में भारत-श्रीलंका संस्कृत महोत्सव का उद्घाटन

साझी सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाते हुए भारत–श्रीलंका संस्कृत महोत्सव का शुभारंभ 10 नवंबर 2025 को कोलंबो विश्वविद्यालय में किया गया। इस अवसर ने भारत और श्रीलंका के बीच संस्कृत — जो विश्व की सबसे प्राचीन और पूजनीय भाषाओं में से एक है — के संरक्षण और प्रसार के प्रति नई प्रतिबद्धता को उजागर किया।
सप्ताहभर चलने वाले इस महोत्सव में दोनों देशों के विद्वानों, भिक्षुओं, विद्यार्थियों और सांस्कृतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिससे संस्कृत को सभ्यता, सद्भाव और ज्ञान की सनातन कड़ी के रूप में पुनः स्थापित किया गया।

महोत्सव का आयोजन

यह संस्कृत महोत्सव भारत और श्रीलंका के प्रमुख शैक्षणिक व सांस्कृतिक संस्थानों के संयुक्त सहयोग से आयोजित किया गया है —

  • स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (कोलंबो) — भारतीय उच्चायोग का सांस्कृतिक विभाग

  • श्रीलंका का शिक्षा और उच्च शिक्षा मंत्रालय

  • केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (भारत)

  • इंडिया–श्रीलंका फाउंडेशन

इन संस्थाओं के सम्मिलित प्रयास से यह आयोजन शैक्षणिक, आध्यात्मिक और कूटनीतिक पहलुओं का संगम बन गया है, जो संस्कृत को केवल अध्ययन का विषय नहीं, बल्कि जीवंत सांस्कृतिक सेतु के रूप में प्रस्तुत करता है।

उद्घाटन समारोह

महोत्सव का संयुक्त उद्घाटन निम्नलिखित प्रमुख हस्तियों द्वारा किया गया —

  • श्री संतोष झा, भारत के श्रीलंका स्थित उच्चायुक्त

  • डॉ. मधुरा सेनविरत्ना, उप शिक्षा एवं उच्च शिक्षा मंत्री, श्रीलंका

इस अवसर पर उच्चायुक्त संतोष झा ने कहा कि संस्कृत भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक पुल का कार्य करती रही है, विशेषकर धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से। उन्होंने इस साझा विरासत को आधुनिक संदर्भों में सुरक्षित रखने के महत्व पर बल दिया।

महोत्सव की प्रमुख विशेषताएँ

यह संस्कृत महोत्सव केवल औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि ज्ञान, संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का जीवंत मंच है। इसमें शामिल हैं —

  • संस्कृत बोलचाल कार्यशालाएँ, श्रीलंका के 250 से अधिक पिरिवेना (बौद्ध शिक्षण संस्थानों) के भिक्षु-अध्यापकों के लिए

  • संस्कृत विद्वानों के व्याख्यान एवं संगोष्ठियाँ, आधुनिक युग में संस्कृत की प्रासंगिकता पर

  • संस्कृत आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ — नृत्य, नाट्य और संगीत कार्यक्रम

  • भारत और श्रीलंका के विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के बीच संवाद कार्यक्रम

इन गतिविधियों का उद्देश्य यह दर्शाना है कि संस्कृत केवल एक प्राचीन ग्रंथों में सीमित भाषा नहीं, बल्कि जीवंत, विकासशील और युगों से प्रेरणा देने वाली भाषा है — जो आज भी साहित्य, दर्शन और कला में अपनी गहरी छाप छोड़ रही है।

संक्षिप्त तथ्य

विवरण जानकारी
कार्यक्रम का नाम भारत–श्रीलंका संस्कृत महोत्सव 2025
तारीख 10 नवंबर 2025
स्थान कोलंबो विश्वविद्यालय, श्रीलंका
आयोजक संस्थान स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, श्रीलंका शिक्षा मंत्रालय, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, इंडिया–श्रीलंका फाउंडेशन
मुख्य अतिथि संतोष झा (भारतीय उच्चायुक्त), डॉ. मधुरा सेनविरत्ना (उप मंत्री, श्रीलंका)
उद्देश्य भारत–श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करना और संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना

विश्व दयालुता दिवस 2025: तिथि, इतिहास और महत्व

विश्व दयालुता दिवस हर वर्ष 13 नवंबर को मनाया जाता है। यह एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य दुनिया भर में मानवता, सहानुभूति और उदारता की भावना को प्रोत्साहित करना है। 2025 में यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि छोटी-सी दया की भावना भी बड़ा परिवर्तन ला सकती है, चाहे वह एक मुस्कान हो, मदद का हाथ हो या किसी की बात ध्यान से सुनना हो।

विश्व दयालुता दिवस क्या है?

यह दिवस 1998 में “वर्ल्ड काइंडनेस मूवमेंट” (World Kindness Movement) द्वारा शुरू किया गया था — जो 28 से अधिक देशों का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है।
इसका उद्देश्य है लोगों को दयालुता को अपनी दैनिक जीवनशैली का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करना। दयालुता को केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक सचेत कार्य (Intentional Action) माना गया है — जिसे सीखा, सिखाया और फैलाया जा सकता है।

महत्त्व — क्यों जरूरी है दयालुता

दयालुता के कार्य:

  • तनाव और चिंता को कम करते हैं

  • सामाजिक और सामुदायिक संबंध मजबूत करते हैं

  • मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाते हैं

  • समाज में सौहार्द और सहयोग को बढ़ावा देते हैं

आज के संघर्षों और असमानताओं से भरे विश्व में, दयालुता एक शक्तिशाली, अहिंसक साधन है जो शांति और प्रगति दोनों को संभव बनाता है।

कैसे मनाएँ विश्व दयालुता दिवस 2025

आप बिना किसी बड़े आयोजन के भी इसे सार्थक बना सकते हैं —

  1. दयालु कार्य करें:
    किसी जरूरतमंद की मदद करें, किसी की तारीफ़ करें, या बस किसी के चेहरे पर मुस्कान लाएँ।

  2. ऑनलाइन सकारात्मकता फैलाएँ:
    सोशल मीडिया पर प्रेरणादायक कहानियाँ या संदेश साझा करें —
    हैशटैग लगाएँ: #WorldKindnessDay #BeKind #SpreadKindness

  3. स्वयंसेवा करें (Volunteer):
    किसी एनजीओ, आश्रय या विद्यालय में मदद का समय दें।

  4. दान करें:
    छोटी-सी राशि भी किसी की शिक्षा या इलाज में बड़ा अंतर ला सकती है।

  5. बच्चों को सिखाएँ:
    कहानियों और गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में दया की भावना जगाएँ — वही आने वाले कल के संवेदनशील नागरिक बनेंगे।

  6. Random Acts of Kindness करें:
    किसी अजनबी के लिए कॉफ़ी खरीदें, किसी शिक्षक को धन्यवाद पत्र लिखें, या किसी सहयोगी को प्रेरणादायक संदेश दें।

इतिहास

1998 में शुरू हुआ यह दिवस आज भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, यूके सहित कई देशों में मनाया जाता है।
इसका उद्देश्य है दयालुता को वैश्विक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बनाना।

स्थैतिक तथ्य (Static Facts)

विवरण जानकारी
कार्यक्रम का नाम विश्व दयालुता दिवस (World Kindness Day)
तारीख 13 नवंबर 2025 (गुरुवार)
शुरुआत 1998
शुरू करने वाला संगठन World Kindness Movement
भाग लेने वाले देश 28 से अधिक
उद्देश्य दया, करुणा और सहानुभूति को बढ़ावा देना
मुख्य गतिविधियाँ स्वयंसेवा, दान, ऑनलाइन संदेश, बच्चों में दया की शिक्षा

सिंगर पलक मुच्छल का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम, जानें सबकुछ

कौन तुझे” और “मेरी आशिकी” जैसी हिट गीतों से अपनी मधुर आवाज़ के लिए प्रसिद्ध पलक मुच्छल अब अपने मानवीय कार्यों के लिए भी वैश्विक सुर्खियों में हैं। अपनी दिलकश आवाज और सोलफुल म्यूजिक के लिए फेमस बॉलीवुड सिंगर पलक मुच्छल ने अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बना ली है। वो भी अपने संगीत के लिए नहीं, बल्कि मानवता की मिसाल कायम करने के लिए। इंदौर में जन्मीं मुच्छल ने ‘पलक पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन’ के जरिए भारत और उसके बाहर वंचित बच्चों की मदद की है। करीब 3800 हार्ट सर्जरी के लिए पैसे जुटाए हैं।

यात्रा की शुरुआत — बचपन के संकल्प से वैश्विक पहचान तक

  • पलक की यह प्रेरणादायक यात्रा बचपन में शुरू हुई, जब एक रेल यात्रा के दौरान उन्होंने कुछ ऐसे बच्चों को देखा जिन्हें हृदय रोग के इलाज की सख्त ज़रूरत थी। उसी क्षण उन्होंने यह संकल्प लिया कि वे अपने जीवन को जरूरतमंदों की सहायता में समर्पित करेंगी।
  • यह संकल्प आगे चलकर “पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन” के रूप में साकार हुआ, जो उनके स्टेज शो की कमाई और व्यक्तिगत दान के माध्यम से गरीब बच्चों की हार्ट सर्जरी के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है।

रिकॉर्ड-ब्रेकिंग उपलब्धियाँ

  • अब तक 3,800 से अधिक बच्चों की सफल हृदय शल्यचिकित्सा में सहायता।

  • गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (2025) में स्थान प्राप्त।

  • लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल।

  • राष्ट्रीय स्तर पर सराहना — कला और सामाजिक उत्तरदायित्व के अद्भुत संगम के लिए।

उनकी अनोखी परोपकार मॉडल

पलक का दान कार्य पूरी तरह व्यक्तिगत समर्पण और पारदर्शिता पर आधारित है —

  • अपने सभी स्टेज शो की कमाई का 100% हिस्सा फाउंडेशन को दान करती हैं।

  • विभिन्न सामाजिक कार्यों हेतु ₹10 लाख से अधिक की व्यक्तिगत सहायता प्रदान की।

  • कारगिल शहीदों के परिवारों और गुजरात भूकंप पीड़ितों की मदद की।

  • संगीत और जन अभियानों के माध्यम से बाल हृदय देखभाल (Pediatric Heart Care) के प्रति जागरूकता फैलाई।

मान्यता और प्रेरणा

पलक मुच्छल की यह दोहरी पहचान — एक सफल गायिका और करुणामयी समाजसेविका — उन्हें केवल संगीत जगत ही नहीं, बल्कि मानवता के क्षेत्र में भी विशिष्ट बनाती है।
उनका कार्य यह सिद्ध करता है कि प्रसिद्धि यदि उद्देश्यपूर्ण हो, तो वह अनगिनत जीवनों में बदलाव ला सकती है।

स्थैतिक तथ्य 

  • नाम: पलक मुच्छल

  • पेशा: पार्श्वगायिका एवं समाजसेविका

  • संस्था: पलाश चैरिटेबल फाउंडेशन

  • उपलब्धि: 3,800 से अधिक हृदय शल्यचिकित्साओं के लिए धन जुटाया

  • रिकॉर्ड: गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (2025) एवं लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान

जानें बौद्ध धर्म में कालचक्र अभिषेक क्या है, जिसका भूटान में पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय भूटान दौरे के दूसरे दिन, 12 नवंबर 2025 को कालचक्र अभिषेक का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने खुद को सौभाग्यशाली बताया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उद्घाटन कार्यक्रम की तस्वीर पोस्ट की। तस्वीर में पीएम मोदी भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, चतुर्थ नरेश के साथ नजर आए। उन्होंने लिखा कि भूटान के राजा महामहिम जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और महामहिम चतुर्थ नरेश के साथ कालचक्र ‘समय का चक्र’ अभिषेक का उद्घाटन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसकी अध्यक्षता परम पावन जे खेंपो ने की, जिसने इसे और भी विशेष बना दिया।

कालचक्र समारोह (Kalachakra Ceremony) 

कालचक्र समारोह, जिसका अर्थ संस्कृत में “समय का चक्र” है, तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र और जटिल अनुष्ठानों में से एक है। यह कालचक्र तंत्र नामक ग्रंथ से उत्पन्न हुआ है, जो समय और अस्तित्व को तीन स्तरों पर व्याख्यायित करता है —

  1. बाह्य कालचक्र (Outer Kalachakra): बाहरी ब्रह्मांड, ग्रहों की गतियों, ऋतुओं और ऐतिहासिक चक्रों का वर्णन करता है।
  2. आंतरिक कालचक्र (Inner Kalachakra): मानव शरीर, ऊर्जा मार्गों और हमारे भीतर समय के प्रवाह से संबंधित है।
  3. वैकल्पिक कालचक्र (Alternative Kalachakra): साधकों को ध्यान और तांत्रिक अभ्यासों के माध्यम से मुक्ति और कालातीत चेतना की ओर मार्गदर्शन करता है।

अनुष्ठान — मंडल से लेकर दीक्षा तक

कालचक्र समारोह प्रायः 10 से 12 दिनों तक चलता है, जिसमें कई गहन प्रतीकात्मक गतिविधियाँ होती हैं —

  • रेत मंडल का निर्माण: भिक्षु रंगीन रेत से अत्यंत जटिल मंडल बनाते हैं, जो कालचक्र मंडल महल का प्रतीक होता है।

  • पवित्र नृत्य और प्रार्थनाएँ: अनुष्ठानिक नृत्य, मंत्रोच्चार और सामूहिक प्रार्थनाएँ शांति, सौहार्द और आध्यात्मिक रूपांतरण का आह्वान करती हैं।

  • दीक्षा (Empowerment Rite): अंतिम चरण में साधकों को प्रमुख गुरु (अक्सर दलाई लामा या किसी वरिष्ठ धार्मिक नेता) से आशीर्वाद, शिक्षाएँ और व्रत प्राप्त होते हैं।

इन अनुष्ठानों का उद्देश्य श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देना, कर्मों को शुद्ध करना और आध्यात्मिक प्रगति के बीज बोना होता है।

प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका

अपने भूटान दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक और चौथे राजा के साथ कालचक्र समारोह में भाग लिया। यह आयोजन जे खेंपो (भूटान के सर्वोच्च बौद्ध धार्मिक नेता) के नेतृत्व में संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे “आध्यात्मिक गहराई और महान सम्मान का क्षण” बताया। यह आयोजन भारत और भूटान के साझा आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है तथा क्षेत्रीय सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूत करता है।

भारत-भूटान संबंधों को नई दिशा

प्रधानमंत्री मोदी की यह आध्यात्मिक भागीदारी उनके दो-दिवसीय भूटान दौरे का हिस्सा थी, जिसमें कई महत्वपूर्ण पहलें शामिल थीं —

  • पुनात्सांगचू-II जलविद्युत परियोजना (1,020 मेगावाट) का उद्घाटन — भारत-भूटान ऊर्जा सहयोग का प्रतीक।

  • प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी, रक्षा और सुरक्षा पर द्विपक्षीय वार्ताएँ।

  • भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन और सामूहिक प्रार्थना, जो चौथे राजा के 70वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित हुई।

इन बहुआयामी पहलों ने दोनों देशों के रणनीतिक साझेदारी और आध्यात्मिक संबंधों को और गहरा किया।

स्थैतिक तथ्य (Static Facts)

  • कालचक्र का अर्थ है — “समय का चक्र” (Wheel of Time)।

  • यह वज्रयान बौद्ध धर्म (तिब्बती परंपरा) से संबंधित एक प्रमुख तांत्रिक अनुष्ठान है।

  • इसके तीन स्तर हैं — बाह्य, आंतरिक, और वैकल्पिक कालचक्र।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2025 में भूटान में आयोजित समारोह में भाग लिया।

  • समारोह में रेत मंडल बनाया जाता है और बाद में इसे विनाश कर दिया जाता है, जो अनित्यत्व (Impermanence) का प्रतीक है।

  • यह आयोजन प्रायः सार्वजनिक रूप से खुला होता है ताकि अधिक से अधिक लोग आशीर्वाद और शिक्षाओं से लाभान्वित हो सकें।

प्रधानमंत्री की भूटान यात्रा: प्रमुख परिणामों और समझौतों की घोषणा

भारत के प्रधानमंत्री ने नवंबर 2025 में भूटान की राजकीय यात्रा की, जो भारत–भूटान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। इस यात्रा के दौरान कई प्रमुख उद्घाटन, महत्वपूर्ण घोषणाएँ तथा समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए, जिनका उद्देश्य ऊर्जा, स्वास्थ्य, संस्कृति और सीमा प्रबंधन के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को और मज़बूत करना है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक और विकासात्मक साझेदारी की गहराई को दर्शाती है।

1. पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन

प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान 1020 मेगावॉट क्षमता वाली पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया गया। भारत–भूटान के द्विपक्षीय सहयोग से विकसित यह परियोजना निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करेगी —

  • भूटान की बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाना।

  • भारत–भूटान ऊर्जा सहयोग को सशक्त करना।

  • क्षेत्र में सतत अवसंरचनात्मक विकास को बढ़ावा देना।

2. यात्रा के दौरान प्रमुख घोषणाएँ

प्रधानमंत्री की इस यात्रा में कई अहम घोषणाएँ की गईं —

  • पुनात्सांगछू-I परियोजना का पुनःआरंभ: 1200 मेगावॉट की मुख्य बांध संरचना पर कार्य फिर से शुरू होगा।

  • वाराणसी में भूमि आवंटन: भूटानी मंदिर/मठ और अतिथि गृह के निर्माण के लिए भूमि दी गई।

  • हटीसर (गेलफू के पास) में इमीग्रेशन चेक पोस्ट: सीमापार आवागमन को सुगम बनाने के लिए नई चौकी की स्थापना।

  • ₹4000 करोड़ की ऋण सहायता (Line of Credit): भूटान के अवसंरचना एवं विकास परियोजनाओं के लिए आर्थिक सहयोग।

3. हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoUs)

भारत और भूटान के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने हेतु कई MoUs पर हस्ताक्षर हुए —

समझौता ज्ञापन (MoU) उद्देश्य भूटानी हस्ताक्षरकर्ता भारतीय हस्ताक्षरकर्ता
नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग सौर, पवन, बायोमास, ग्रीन हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण एवं क्षमता निर्माण पर ध्यान ल्योंपो जेम त्शेरिंग, ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सहयोग दवाओं, निदान, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, रोग-निवारण, टेलीमेडिसिन व प्रशिक्षण में सहयोग श्री पेम्बा वांगचुक, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव श्री संदीप आर्य, भारत के राजदूत (भूटान)
PEMA–NIMHANS संस्थागत समझौता मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्षमता निर्माण, अनुसंधान एवं कोर्स संचालित करना सुश्री देचेन वांगमो, PEMA सचिवालय प्रमुख श्री संदीप आर्य, भारत के राजदूत (भूटान)

4. यात्रा का महत्व

प्रधानमंत्री की भूटान यात्रा भारत की समग्र विदेश नीति का प्रतीक है, जो पड़ोसी देशों के सतत विकास और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित है।
मुख्य फोकस क्षेत्र —

  • ऊर्जा सुरक्षा: जलविद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग का विस्तार।

  • स्वास्थ्य सहयोग: सार्वजनिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य एवं डिजिटल हेल्थ के क्षेत्र में साझेदारी।

  • सांस्कृतिक एवं धार्मिक संबंध: वाराणसी में भूटानी सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना।

  • सीमा प्रबंधन: हटीसर में नई इमीग्रेशन चौकी से सुगम आवागमन।

  • वित्तीय सहयोग: ₹4000 करोड़ की ऋण सहायता के माध्यम से भूटान की अवसंरचना को मज़बूती।

5. मुख्य तथ्य (Key Takeaways)

  • उद्घाटन परियोजना: 1020 मेगावॉट पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना

  • वित्तीय सहायता: ₹4000 करोड़ की ऋण सुविधा

  • हस्ताक्षरित MoUs: नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, PEMA–NIMHANS सहयोग

  • सांस्कृतिक एवं सीमा पहल: वाराणसी में मठ हेतु भूमि, हटीसर में नया चेक पोस्ट

  • रणनीतिक प्रभाव: भारत–भूटान साझेदारी को ऊर्जा, स्वास्थ्य, संस्कृति एवं अवसंरचना क्षेत्रों में सुदृढ़ बनाना

2024 के लिए छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा

भारत ने जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थानों को सम्मानित करते हुए “6वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार (National Water Awards) 2024” की घोषणा की। यह घोषणा 11 नवंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित श्रम शक्ति भवन में जल शक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल द्वारा की गई।

इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों की स्थापना जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (DoWR, RD & GR), जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी। पुरस्कार समारोह 18 नवंबर 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित होगा, जहाँ भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करेंगी।

राष्ट्रीय जल पुरस्कारों के बारे में

राष्ट्रीय जल पुरस्कार (National Water Awards) की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण, प्रबंधन और सतत उपयोग के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना तथा नवाचारपूर्ण पहलों को प्रोत्साहित करना है। इनका मकसद “जल समृद्ध भारत (Jal Samridh Bharat)” का निर्माण करना है।

6वें संस्करण (2024) के लिए 751 आवेदन गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल के माध्यम से प्राप्त हुए। केंद्रीय जल आयोग (CWC) और केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा मूल्यांकन और स्थल सत्यापन के बाद 46 विजेताओं (संयुक्त विजेताओं सहित) का चयन किया गया।

मुख्य बिंदु

विवरण जानकारी
कुल विजेता 46 (संयुक्त विजेताओं सहित)
श्रेणियाँ 10
सर्वश्रेष्ठ राज्य (Best State) महाराष्ट्र
पुरस्कार समारोह की तिथि 18 नवंबर 2025
मुख्य अतिथि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू
स्थान विज्ञान भवन, नई दिल्ली
आयोजक जल शक्ति मंत्रालय (DoWR, RD & GR)

6वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 — विजेताओं की सूची

1️⃣ सर्वश्रेष्ठ राज्य

क्रम राज्य स्थान
1 महाराष्ट्र प्रथम
2 गुजरात द्वितीय
3 हरियाणा तृतीय

2️⃣ सर्वश्रेष्ठ ज़िला

क्षेत्र ज़िला राज्य स्थान
पूर्वी क्षेत्र राजनांदगांव छत्तीसगढ़ प्रथम
पश्चिमी क्षेत्र खरगोन मध्य प्रदेश प्रथम
दक्षिणी क्षेत्र तिरुनेलवेली तमिलनाडु प्रथम
उत्तरी क्षेत्र मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश प्रथम
पूर्वोत्तर क्षेत्र सिपाहिजला त्रिपुरा प्रथम

3️⃣ सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय (ULB)

स्थान निकाय राज्य
1 नवी मुंबई महाराष्ट्र
2 भावनगर गुजरात
3 (संयुक्त) नाबादिगंता इंडस्ट्रियल टाउनशिप पश्चिम बंगाल
3 (संयुक्त) आगरा उत्तर प्रदेश

4️⃣ सर्वश्रेष्ठ संस्थान (विद्यालय/कॉलेज के अतिरिक्त)

(i) इनसाइड कैंपस श्रेणी)

स्थान संस्थान राज्य
1 (संयुक्त) आईआईटी गांधीनगर गुजरात
1 (संयुक्त) आईसीएआर–केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान गोवा
2 (संयुक्त) बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी राजस्थान
2 (संयुक्त) इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, अवंतीपोरा जम्मू-कश्मीर
विशेष उल्लेख असम राइफल्स मणिपुर

(ii) आउटसाइड कैंपस श्रेणी)

स्थान संस्थान राज्य
1 (संयुक्त) चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार हरियाणा
1 (संयुक्त) क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक, बेरहामपुर सर्कल ओडिशा

5️⃣ सर्वश्रेष्ठ जल उपयोगकर्ता संघ (WUA)

स्थान संघ राज्य
1 वेट्टाइकरनपुदुर नहर ओदयाकुलम ग्राम WUA, कोयंबटूर तमिलनाडु
2 कनीफनाथ WUA, नासिक महाराष्ट्र
3 खरलन WUA, श्रीगंगानगर राजस्थान

6️⃣ सर्वश्रेष्ठ नागरिक समाज संगठन

स्थान संगठन राज्य
1 बनासकांठा डेयरी यूनियन लिमिटेड गुजरात
2 अंबुजा फाउंडेशन राजस्थान
3 आर्ट ऑफ़ लिविंग कर्नाटक

7️⃣ सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत

स्थान पंचायत ज़िला/राज्य
1 (संयुक्त) डुब्बिगनिपल्ली अन्नमय्या, आंध्र प्रदेश
1 (संयुक्त) पय्यम कन्नूर, केरल
2 (संयुक्त) कवेश्वर खंडवा, मध्य प्रदेश
2 (संयुक्त) मुरुगुम्मी प्रकाशम, आंध्र प्रदेश
3 (संयुक्त) बालापुरम तिरुवल्लुर, तमिलनाडु
3 (संयुक्त) डुमरपानी कांकेर, छत्तीसगढ़

8️⃣ सर्वश्रेष्ठ विद्यालय/कॉलेज

स्थान संस्थान राज्य
1 (संयुक्त) कृष्णा पब्लिक स्कूल, रायपुर छत्तीसगढ़
1 (संयुक्त) आर्मी पब्लिक स्कूल, कोलकाता पश्चिम बंगाल
2 बीएचएसएस, ज़ैनाकोट, श्रीनगर जम्मू-कश्मीर
3 (संयुक्त) मालुसंता सरकारी नोडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कोरापुट ओडिशा
3 (संयुक्त) झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय, राँची झारखंड
विशेष उल्लेख माउंट आबू पब्लिक स्कूल, रोहिणी दिल्ली
विशेष उल्लेख महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल, अशोक विहार दिल्ली
विशेष उल्लेख महात्मा गांधी मेमोरियल मॉडल स्कूल केरल

9️⃣ सर्वश्रेष्ठ उद्योग

स्थान उद्योग राज्य
1 अपोलो टायर्स लिमिटेड, कांचीपुरम तमिलनाडु
2 हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड, गुरुग्राम हरियाणा
3 झज्जर पावर लिमिटेड, झज्जर हरियाणा

🔟 जल क्षेत्र में व्यक्तिगत उत्कृष्टता (Individual Excellence)

क्षेत्र नाम राज्य स्थान
पूर्वी क्षेत्र श्री किशोर जायसवाल बिहार प्रथम
पश्चिमी क्षेत्र श्री बजरंगलाल जैथू राजस्थान प्रथम
उत्तरी क्षेत्र श्री मोहनचंद्र कंडपाल उत्तराखंड प्रथम
दक्षिणी क्षेत्र श्री पोडिली राजशेखर राजू आंध्र प्रदेश प्रथम

पुरस्कारों का महत्व

राष्ट्रीय जल पुरस्कार न केवल जल प्रबंधन में उत्कृष्टता को मान्यता देते हैं, बल्कि सरकारी निकायों, नागरिक समाज संगठनों और समुदायों के बीच साझेदारी को भी सुदृढ़ करते हैं। ये पुरस्कार सतत जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रथाओं और नवाचारों को साझा करने का मंच प्रदान करते हैं और भारत की संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (SDG-6: स्वच्छ जल और स्वच्छता) के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं।

भारत-मोजाम्बिक समुद्री सहयोग के लिए आईएनएस सावित्री मोजाम्बिक पहुंची

भारतीय नौसेना के आईएनएस सावित्री (INS Savitri) ने 10 नवंबर 2025 को मोज़ाम्बिक के पोर्ट बेइरा (Port Beira) पर पहुंचकर भारत–मोज़ाम्बिक के द्विपक्षीय संबंधों और हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region – IOR) में समुद्री सुरक्षा सहयोग को नई दिशा दी। यह जहाज भारतीय नौसेना का ऑफशोर पेट्रोल पोत (Offshore Patrol Vessel – OPV) है। मोज़ाम्बिक नौसेना ने जहाज का पारंपरिक सम्मान के साथ स्वागत किया, जो दोनों देशों के ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंधों का प्रतीक है।

यह दौरा भारत की “सागर” (SAGAR – Security and Growth for All in the Region) नीति को सुदृढ़ करता है और हिंद महासागर में भारत की “पसंदीदा सुरक्षा साझेदार (Preferred Security Partner)” की भूमिका को पुष्ट करता है।

संयुक्त प्रशिक्षण और व्यावसायिक सहयोग

दौरे के दौरान भारतीय और मोज़ाम्बिक नौसेना के कर्मी कई संयुक्त अभ्यासों और पेशेवर आदान–प्रदान कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं, जिनका उद्देश्य आपसी सहयोग और संचालनात्मक समन्वय को बढ़ाना है।

इन गतिविधियों में शामिल हैं —

  • नेविगेशन प्रशिक्षण और विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) निगरानी अभ्यास

  • विज़िट, बोर्ड, सर्च एंड सीज़र (VBSS) ड्रिल्स

  • क्षति नियंत्रण (Damage Control) और आग बुझाने (Firefighting) के अभ्यास

सामुदायिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम

आईएनएस सावित्री का यह दौरा केवल सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें स्थानीय समुदायों से जुड़ाव और सद्भावना बढ़ाने के प्रयास भी शामिल हैं।

मुख्य आकर्षण —

  • ओपन शिप विज़िट: स्थानीय नागरिकों के लिए जहाज का दौरा आयोजित किया गया ताकि वे भारत की नौसेना की क्षमताओं को समझ सकें।

  • मेडिकल कैम्प: स्थानीय समुदाय के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया।

  • योग सत्र और फुटसाल मैच: भारतीय और मोज़ाम्बिक नौसैनिक कर्मियों के बीच मैत्रीपूर्ण खेल और योग कार्यक्रम आयोजित हुए।

भारत की समुद्री कूटनीति का प्रतीक

आईएनएस सावित्री की मोज़ाम्बिक यात्रा भारत की समुद्री कूटनीति (Maritime Diplomacy) को मजबूत करती है। यह दौरा अफ्रीकी तटीय देशों के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी, क्षमता निर्माण (Capacity Building), प्रशिक्षण, और मानवीय सहयोग की भावना को दर्शाता है — जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास को बल मिलता है।

परीक्षा हेतु प्रमुख तथ्य

बिंदु विवरण
जहाज का नाम आईएनएस सावित्री (INS Savitri)
प्रकार ऑफशोर पेट्रोल पोत (Offshore Patrol Vessel – OPV)
स्थान पोर्ट बेइरा, मोज़ाम्बिक
आगमन तिथि 10 नवंबर 2025
उद्देश्य द्विपक्षीय समुद्री सहयोग को सुदृढ़ करना और संयुक्त अभ्यास करना
मुख्य गतिविधियाँ EEZ सर्विलांस, VBSS ड्रिल, डैमेज कंट्रोल, फायरफाइटिंग, मेडिकल कैम्प, योग सत्र, खेल आयोजन
महत्व भारत की SAGAR नीति और Preferred Security Partner की भूमिका को मज़बूत करना

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों की सूची (1946-2025)

बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में स्वतंत्रता के बाद से कई मुख्यमंत्रियों ने राज्य को आकार दिया है। ये नेता विभिन्न विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते हुए, बिहार के विकास, सुधार और चुनौतियों को संबोधित करते रहे हैं। यह लेख बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों के योगदान की एक ऐतिहासिक झलक प्रस्तुत करता है, जो राज्य की प्रगति और राजनीतिक पहचान को गहराता है। स्वतंत्रता के बाद के दौर से लेकर आज तक, बिहार ने कई ऐसे नेताओं को देखा है जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाली और अपनी नीतियों, दृष्टिकोण तथा नेतृत्व से राज्य की सामाजिक-राजनीतिक दिशा को प्रभावित किया। यह लेख बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यकालों की एक ऐतिहासिक झलक प्रस्तुत करता है, जिनके योगदानों ने राज्य की प्रगति और राजनीतिक पहचान को गहराई से प्रभावित किया है।

अब तक कुल 23 मुख्यमंत्रियों ने शासन किया

1946 से अब तक बिहार में कुल 23 मुख्यमंत्रियों ने शासन किया है। इस क्रम की शुरुआत श्रीकृष्ण सिंह से हुई थी, जबकि वर्तमान में फरवरी 2015 से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद संभाल रहे हैं। बिहार में आठ बार राष्ट्रपति शासन भी लागू किया गया, हालांकि ये अवधि अपेक्षाकृत अल्पकालिक रही। राज्य में सबसे लंबे समय तक शासन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई.एन.सी.) ने किया, जिसके बाद जनता दल (यूनाइटेड) ने राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में सत्ता संभाली।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों की सूची (1946–2025)

क्रम सं. नाम कार्यकाल राजनीतिक दल
1 श्रीकृष्ण सिंह 2 अप्रैल 1946 – 31 जनवरी 1961 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2 दीप नारायण सिंह 1 फरवरी 1961 – 18 फरवरी 1961 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
3 बिनोदानंद झा 18 फरवरी 1961 – 2 अक्टूबर 1963 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
4 के.बी. सहाय 2 अक्टूबर 1963 – 5 मार्च 1965 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
5 महामाया प्रसाद सिन्हा 5 मार्च 1965 – 28 जनवरी 1968 जन क्रांति दल
6 सतीश प्रसाद सिंह 28 जनवरी 1968 – 1 फरवरी 1968 संयुक्त समाजवादी पार्टी
7 बी.पी. मण्डल 1 फरवरी 1968 – 22 मार्च 1968 संयुक्त समाजवादी पार्टी
8 भोला पासवान शास्त्री 22 मार्च 1968 – 29 जून 1968 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
9 हरिहर सिंह 26 फरवरी 1969 – 22 जून 1969 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
10 भोला पासवान शास्त्री 22 जून 1969 – 4 जुलाई 1969 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
11 दरोगा प्रसाद राय 16 फरवरी 1970 – 22 दिसंबर 1970 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
12 कर्पूरी ठाकुर 22 दिसंबर 1970 – 2 जून 1971 समाजवादी पार्टी
13 भोला पासवान शास्त्री 2 जून 1971 – 9 जनवरी 1972 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
14 केदार पांडेय 19 मार्च 1972 – 2 जुलाई 1973 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
15 अब्दुल गफूर 2 जुलाई 1973 – 11 अप्रैल 1975 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
16 जगन्नाथ मिश्र 11 अप्रैल 1975 – 30 अप्रैल 1977 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
17 कर्पूरी ठाकुर 24 जून 1977 – 21 अप्रैल 1979 जनता पार्टी
18 राम सुंदर दास 21 अप्रैल 1979 – 17 फरवरी 1980 जनता पार्टी
19 जगन्नाथ मिश्र 8 जून 1980 – 14 अगस्त 1983 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
20 चंद्रशेखर सिंह 14 अगस्त 1983 – 12 मार्च 1985 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
21 बिंदेश्वरी दुबे 12 मार्च 1985 – 13 फरवरी 1988 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
22 भगवत झा आजाद 14 फरवरी 1988 – 10 मार्च 1989 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
23 सत्येन्द्र नारायण सिंह 11 मार्च 1989 – 6 दिसंबर 1989 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
24 जगन्नाथ मिश्र 6 दिसंबर 1989 – 10 मार्च 1990 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
25 लालू प्रसाद यादव 10 मार्च 1990 – 28 मार्च 1995 जनता दल
26 लालू प्रसाद यादव 4 अप्रैल 1995 – 25 जुलाई 1997 जनता दल / राष्ट्रीय जनता दल
27 राबड़ी देवी 25 जुलाई 1997 – 11 फरवरी 1999 राष्ट्रीय जनता दल
28 राबड़ी देवी 9 मार्च 1999 – 2 मार्च 2000 राष्ट्रीय जनता दल
29 नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 – 10 मार्च 2000 समता पार्टी
30 राबड़ी देवी 11 मार्च 2000 – 6 मार्च 2005 राष्ट्रीय जनता दल
31 नीतीश कुमार 24 नवंबर 2005 – 20 मई 2014 जनता दल (यूनाइटेड)
32 जीतन राम मांझी 20 मई 2014 – 22 फरवरी 2015 जनता दल (यूनाइटेड)
33 नीतीश कुमार 22 फरवरी 2015 – वर्तमान जनता दल (यूनाइटेड)

 

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