आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ अक्टूबर 2025

अक्टूबर 2025 के आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ अवॉर्ड्स की घोषणा हो गई है, और इस बार दोनों श्रेणियों में दक्षिण अफ्रीका ने बाजी मारी है। ऑलराउंडर सेनुरन मुथुसामी (Senuran Muthusamy) को पुरुष वर्ग में और महिला टीम की कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट (Laura Wolvaardt) को महिला वर्ग में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया है।

सेनुरन मुथुसामी: पाकिस्तान श्रृंखला के टेस्ट हीरो

दक्षिण अफ्रीकी ऑलराउंडर सेनुरन मुथुसामी ने पाकिस्तान के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट श्रृंखला (1–1) में शानदार प्रदर्शन किया।

प्रमुख प्रदर्शन:

  • पहले टेस्ट (लाहौर) में 11 विकेट झटके — हालांकि यह मैच पाकिस्तान ने जीता।

  • दूसरे टेस्ट (रावलपिंडी) में 89 रनों की बेहतरीन पारी खेली और दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी में सर्वाधिक रन बनाए।

  • दक्षिण अफ्रीका ने यह टेस्ट 8 विकेट से जीता।

  • मुथुसामी को सीरीज़ का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी (Player of the Series) घोषित किया गया।

उन्होंने इस पुरस्कार के लिए नोमान अली (पाकिस्तान) और रशीद खान (अफगानिस्तान) को पछाड़ा।

उद्धरण:

“आईसीसी द्वारा प्लेयर ऑफ द मंथ चुना जाना शानदार अहसास है, खासकर टेस्ट क्रिकेट के प्रदर्शन के लिए… मैं गेंद और बल्ले दोनों से योगदान देकर गर्व महसूस कर रहा हूं,”
सेनुरन मुथुसामी

लौरा वोल्वार्ड्ट: वर्ल्ड कप की रन मशीन

दक्षिण अफ्रीकी महिला टीम की कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट ने आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 (भारत में आयोजित) में अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।

अक्टूबर माह का प्रदर्शन:

  • 8 मैचों में 470 रन बनाए (टूर्नामेंट में कुल 571 रन)।

  • तीन अर्धशतक और इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफ़ाइनल में करियर की सर्वश्रेष्ठ 169 रन की पारी।

  • दक्षिण अफ्रीका को फाइनल में भारत के खिलाफ पहुंचाया।

वोल्वार्ड्ट ने इस श्रेणी में स्मृति मंधाना (भारत) और एश्ले गार्डनर (ऑस्ट्रेलिया) को पछाड़ते हुए पुरस्कार जीता।

उद्धरण:

“भारत में खेले गए इतने ऐतिहासिक विश्व कप के बाद यह पुरस्कार जीतना सम्मान की बात है। भले ही हम फाइनल नहीं जीत सके, लेकिन हमारी टीम का प्रदर्शन हमारे जज़्बे और मज़बूती को दिखाता है,”
लौरा वोल्वार्ड्ट

पुरस्कार चयन प्रक्रिया

विजेताओं का चयन एक वैश्विक मतदान प्रक्रिया के माध्यम से किया गया, जिसमें शामिल थे:

  • icc-cricket.com पर पंजीकृत प्रशंसक (Fans)

  • पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और मीडिया विशेषज्ञों की विशेषज्ञ पैनल

आईसीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर क्रिकेट प्रशंसक आगे भी हर महीने के विजेताओं के लिए वोट कर सकते हैं।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

श्रेणी विजेता रनर-अप देश
पुरुष खिलाड़ी (Men’s) सेनुरन मुथुसामी नुमान अली, रशीद खान दक्षिण अफ्रीका
महिला खिलाड़ी (Women’s) लौरा वोल्वार्ड्ट स्मृति मंधाना, एश्ले गार्डनर दक्षिण अफ्रीका
माह अक्टूबर 2025
चयन प्रक्रिया आईसीसी प्रशंसक + विशेषज्ञ पैनल

बाल दिवस 2025 प्रश्नोत्तरी: सामान्य ज्ञान प्रश्न और उत्तर

बाल दिवस 2025 पूरे भारत में 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें बच्चे प्यार से “चाचा नेहरू” कहते थे। यह अवसर हमें नेहरू जी के बच्चों के प्रति प्रेम और उनके शिक्षा, विकास और खुशहाली के सपने की याद दिलाता है। इस दिन पूरे देश में बच्चों के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल, और शैक्षिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।

छात्रों के ज्ञान को बढ़ाने और इस दिन के महत्व को समझने के लिए यहां बाल दिवस 2025 पर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (GK Quiz) दी गई है, जिसमें नेहरू जी, बाल दिवस के इतिहास और इसके उत्सव से जुड़ी रोचक जानकारियाँ शामिल हैं।

बाल दिवस 2025 पर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

पंडित जवाहरलाल नेहरू और बचपन के आनंद को समर्पित इस विशेष दिन के इतिहास, महत्व और उत्सवों के बारे में आपके ज्ञान का परीक्षण करने के लिए बाल दिवस 2025 पर एक सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रस्तुत है।

प्रश्न 1. भारत में बाल दिवस कब मनाया जाता है?

A) 26 जनवरी

B) 14 नवंबर

C) 2 अक्टूबर

D) 14 दिसंबर

S1. उत्तर (b)

प्रश्न 2. भारत में किसकी जयंती बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है?

A) महात्मा गांधी

B) सरदार वल्लभभाई पटेल

C) पंडित जवाहरलाल नेहरू

D) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

S2. उत्तर (c)

प्रश्न 3. 2025 के बाल दिवस का विषय क्या है?

A) हर बच्चा मायने रखता है

B) हर बच्चे के लिए, हर अधिकार

C) सभी के लिए शिक्षा

D) बच्चों को बचाओ

S3. उत्तर (b)

प्रश्न 4. भारत में पहला बाल दिवस “फ्लॉवर डे” ​​के रूप में किस वर्ष मनाया गया था?

A) 1947

B) 1948

C) 1951

D) 1957

S4. उत्तर: (b)

प्रश्न 5. 1948 में “फ्लॉवर डे” ​​क्यों मनाया गया?

A) नेहरू के जन्मदिन के सम्मान में

B) फूलों के टोकन के माध्यम से बच्चों के लिए धन जुटाने के लिए

C) स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए

D) भारतीय स्वतंत्रता का जश्न मनाने के लिए

S5. उत्तर (b)

प्रश्न 6. नेहरू के जन्मदिन को पहली बार आधिकारिक तौर पर बाल दिवस के रूप में कब मनाया गया?

A) 1951

B) 1954

C) 1957

D) 1962

S6. उत्तर (c)

प्रश्न 7. जवाहरलाल नेहरू ने 1955 में बच्चों के लिए किस संगठन की स्थापना की थी?

A) भारतीय फिल्म सोसाइटी

B) राष्ट्रीय बाल बोर्ड

C) भारतीय बाल फिल्म सोसाइटी

D) भारतीय युवा फाउंडेशन

S7. उत्तर (c)

प्रश्न 8. हिंदी में बाल दिवस के लिए आमतौर पर किस नाम का प्रयोग किया जाता है?

A) बाल दिवस

B) बच्चों का दिन

C) बाल महोत्सव

D) नेहरू दिवस

S8. उत्तर. (a)

प्रश्न 9. ‘”लेटर्स फ्रॉम अ फादर टू हिज डॉटर” कब प्रकाशित हुआ था?

A) 1925

B) 1928

C) 1929

D) 1934

S9. उत्तर (c)

प्रश्न 10. 1957 में पहले आधिकारिक बाल दिवस पर जारी किए गए टिकटों को क्या नाम दिया गया था?

A) राष्ट्रीय बाल दिवस (पोषण)

B) राष्ट्रीय बाल दिवस (मनोरंजन)

C) राष्ट्रीय बाल दिवस (शिक्षा)

D) उपरोक्त सभी

S10. उत्तर (d)

पंजाब संशोधित भारत नेट योजना को राज्यव्यापी लागू करने वाला पहला राज्य बना

पंजाब ने डिजिटल भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है — यह भारत का पहला राज्य बन गया है जिसने संशोधित भारत नेट योजना (Amended BharatNet Scheme) को अपने पूरे राज्य में सफलतापूर्वक लागू किया है। इस पहल से अब सीमावर्ती राज्य की लाइव मॉनिटरिंग देश के किसी भी हिस्से से संभव हो गई है। साथ ही, यह ग्रामीण भारत में डिजिटल विभाजन (Digital Divide) को पाटने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

भारत नेट योजना का उद्देश्य ग्राम पंचायतों, घरों और संस्थानों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस, ई-हेल्थ और डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा दिया जा सके।

कार्यान्वयन की प्रमुख बातें

  • पुरस्कार सम्मान: पंजाब के मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने राज्य की उत्कृष्ट कार्यान्वयन उपलब्धि के लिए बीएसएनएल पंजाब सर्कल के सीजीएम अजय कुमार करारहा से पुरस्कार प्राप्त किया।

  • गांवों में कवरेज: राज्य के 43 “शैडो क्षेत्रों” में ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। केवल एक गांव शेष है, जिसे नवंबर 2025 के अंत तक कवर कर लिया जाएगा।

  • डिजिटल अवसंरचना: यह योजना सीमावर्ती इलाकों की लाइव निगरानी को संभव बनाती है और ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस तथा ई-हेल्थ सेवाओं को मजबूत करती है।

भारत नेट योजना के बारे में

भारत नेट (BharatNet) केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य भारत के ग्रामीण डिजिटल ढांचे को सशक्त बनाना है।

मुख्य उद्देश्य

  • सभी ग्राम पंचायतों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाना।

  • ग्रामीण क्षेत्रों के घर-परिवारों और संस्थानों तक डिजिटल सेवाओं का विस्तार करना।

  • ई-हेल्थ, ई-गवर्नेंस और डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहित करना।

योजना के प्रमुख लाभ

  1. पहला राज्यव्यापी क्रियान्वयन: पंजाब ने संशोधित भारत नेट योजना को पूरे राज्य में लागू कर देश में पहली बार यह उपलब्धि हासिल की। सीमावर्ती और दूरस्थ गांवों तक अब इंटरनेट सेवाएं पहुंच चुकी हैं, जिससे ग्रामीण डिजिटल क्रांति को नई दिशा मिली है।

  2. ग्रामीण पहुंच और सीमा निगरानी: इंटरनेट सेवाएं राज्य के 43 शैडो क्षेत्रों तक पहुंच चुकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार केवल एक गांव शेष है, जिसे नवंबर के अंत तक जोड़ दिया जाएगा। अब सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी देश के किसी भी हिस्से से लाइव की जा सकती है।

  3. शासन और प्रौद्योगिकी का एकीकरण: इस योजना के तहत पंजाब में ई-गवर्नेंस, ई-हेल्थ और अन्य डिजिटल सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यह सार्वजनिक कार्यक्रमों और निगरानी के लिए एक मजबूत तकनीकी ढांचा तैयार करती है।

  4. अन्य राज्यों के लिए मॉडल: पंजाब की यह सफलता अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायक मॉडल साबित हो सकती है। यह दिखाती है कि ग्रामीण इलाकों में फाइबर-आधारित ब्रॉडबैंड नेटवर्क और लास्ट माइल कनेक्टिविटी कैसे प्रभावी ढंग से लागू की जा सकती है।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • पंजाब संशोधित भारत नेट योजना को पूरे राज्य में लागू करने वाला भारत का पहला राज्य है।

  • लगभग सभी गांवों में कनेक्टिविटी प्रदान की जा चुकी है; केवल एक गांव शेष है।

  • कुल 43 शैडो क्षेत्रों में उन्नत सेवाएं शुरू की गई हैं।

  • मूल भारत नेट परियोजना 25 अक्टूबर 2011 को सभी 2.64 लाख ग्राम पंचायतों के लिए स्वीकृत की गई थी।

  • संशोधित भारत नेट कार्यक्रम की अनुमानित लागत लगभग ₹1,39,579 करोड़ है, जिसका उद्देश्य सभी आबाद गांवों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

  • योजना के प्रमुख घटक हैं: OFC रिंग टोपोलॉजी (ब्लॉक से ग्राम पंचायत), IP-MPLS नेटवर्क, लास्ट माइल कनेक्टिविटी, सेंट्रल मॉनिटरिंग (CNOC), और दस वर्षीय संचालन एवं रखरखाव योजना (O&M Plan)।

DNA के खोजकर्ता कौन हैं? डीएनए की खोज के बारे में जानें

डीएनए, या डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic Acid), एक विशेष अणु है जो सभी जीवित प्राणियों में पाया जाता है। यह वह अणु है जो प्रत्येक पौधे, पशु और मानव को विशिष्ट बनाता है। डीएनए में वे निर्देश या सूचना होती हैं जो किसी जीव के निर्माण और कार्य को नियंत्रित करती हैं। डीएनए की खोज की कहानी लगभग 150 वर्ष पहले एक स्विस वैज्ञानिक फ्रेडरिक मीज़र (Friedrich Miescher) से शुरू हुई और आगे चलकर अनेक वैज्ञानिकों ने इसके ढांचे और महत्व को समझाया।

फ्रेडरिक मीज़र की पहली खोज

साल 1869 में स्विस जीवविज्ञानी योहान्स फ्रेडरिक मीज़र ने सबसे पहले डीएनए की खोज की। जर्मनी के ट्यूबिंगन में एक प्रयोगशाला में काम करते हुए उन्होंने अस्पताल की पट्टियों (bandages) से सफेद रक्त कणों का अध्ययन किया। इसी दौरान उन्होंने कोशिकाओं के नाभिक (nucleus) में एक अजीब पदार्थ पाया जो फॉस्फोरस से भरपूर था। उन्होंने इसे “न्यूक्लिन (nuclein)” नाम दिया — जो आज हम डीएनए के रूप में जानते हैं।

उस समय वैज्ञानिक यह नहीं समझ पाए कि मीज़र की खोज कितनी महत्वपूर्ण थी। उन्हें यह ज्ञान नहीं था कि यही पदार्थ आनुवंशिक जानकारी (genetic information) वहन करता है।

मीज़र का जीवन और कार्य

फ्रेडरिक मीज़र का जन्म 13 अगस्त 1844 को स्विट्जरलैंड में हुआ था। उनका परिवार वैज्ञानिक पृष्ठभूमि वाला था — उनके पिता और चाचा दोनों शरीर रचना विज्ञान (anatomy) के प्रोफेसर थे। मीज़र ने चिकित्सा (medicine) की पढ़ाई की, लेकिन श्रवण समस्या (hearing problem) के कारण उन्होंने डॉक्टर बनने के बजाय अनुसंधान का मार्ग चुना।

उन्होंने अत्यंत सावधानी से सफेद रक्त कोशिकाओं के नाभिक को अलग (isolate) किया और पाया कि न्यूक्लिन में फॉस्फोरस और नाइट्रोजन होते हैं, लेकिन सल्फर नहीं — यह विज्ञान में उस समय एक पूरी तरह नई खोज थी।

आगे का शोध और डीएनए की संरचना

मीज़र की खोज के कई वर्षों बाद वैज्ञानिकों ने डीएनए पर अनुसंधान जारी रखा। 1953 में जेम्स वॉटसन (James Watson) और फ्रांसिस क्रिक (Francis Crick) ने डीएनए की “डबल हेलिक्स (Double Helix)” संरचना की खोज की — जो एक मुड़ी हुई सीढ़ी (twisted ladder) के समान होती है।
उनके मॉडल ने यह स्पष्ट किया कि डीएनए आनुवंशिक जानकारी को कैसे संग्रहीत और प्रतिलिपि (replicate) करता है।

रोसालिंड फ्रैंकलिन की महत्वपूर्ण भूमिका

इस खोज में एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक रोसालिंड फ्रैंकलिन (Rosalind Franklin) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। उन्होंने एक्स-रे विवर्तन (X-ray diffraction) तकनीक का उपयोग करके डीएनए की अत्यंत स्पष्ट तस्वीरें लीं। उनकी प्रसिद्ध “फोटो 51” से वॉटसन और क्रिक को डीएनए की वास्तविक संरचना समझने में मदद मिली। मॉरिस विल्किन्स (Maurice Wilkins) ने भी इस शोध में सहयोग किया।

नवेल पुरस्कार और मान्यता

साल 1962 में वॉटसन, क्रिक और विल्किन्स को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार मिला, डीएनए की संरचना की खोज के लिए। दुर्भाग्यवश, उस समय तक रोसालिंड फ्रैंकलिन का निधन हो चुका था, इसलिए उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिल सका — हालांकि उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था।

फ्रेडरिक मीज़र की विरासत

मीज़र की खोज को उनके जीवनकाल में पूरी तरह समझा नहीं गया, परंतु उनकी खोज ने आधुनिक आनुवंशिकी (modern genetics) की नींव रखी। आज उनके सम्मान में दो अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं —

  • फ्रेडरिक मीज़र प्रयोगशाला (Friedrich Miescher Laboratory), ट्यूबिंगन

  • फ्रेडरिक मीज़र इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल रिसर्च (Friedrich Miescher Institute for Biomedical Research), बेसल

उनका कार्य यह साबित करता है कि कभी-कभी सबसे गहरी खोजें शांत प्रयोगशालाओं में जन्म लेती हैं, जो आने वाले समय में जीवन के रहस्यों को उजागर करती हैं।

Children’s Day 2025: भारत में यह कब और कैसे मनाया जाता है?

Children’s Day 2025: बाल दिवस 2025 (Children’s Day 2025) भारत में हर साल बड़े उत्साह और प्यार के साथ मनाया जाता है ताकि बच्चों की निर्दोषता, खुशी और उज्जवल भविष्य का सम्मान किया जा सके। वर्ष 2025 में बाल दिवस 14 नवंबर (शुक्रवार) को मनाया जाएगा, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू, भारत के पहले प्रधानमंत्री की जयंती का दिन भी है। यह दिन हमें नेहरू जी के बच्चों के प्रति गहरे प्रेम और इस विश्वास की याद दिलाता है कि बच्चे ही देश का भविष्य और निर्माणकर्ता हैं।

भारत में बाल दिवस कब मनाया जाता है?

भारत में बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें बच्चे प्यार से “चाचा नेहरू” कहते थे। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि बच्चों को खुशी, शिक्षा और स्नेहपूर्ण वातावरण देना समाज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

बाल दिवस 2025 (Children’s Day 2025) की थीम

बाल दिवस 2025 की थीम है — “हर बच्चे के लिए, हर अधिकार” (For Every Child, Every Right).
इस वर्ष की थीम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चे को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का समान अधिकार मिले। यह समाज को प्रेरित करती है कि हर बच्चा सीख सके, खेल सके और सुरक्षित वातावरण में जीवन जी सके।

बाल दिवस का महत्व

बाल दिवस, जिसे “बाल दिवस” या “बाल दिवस (Bal Diwas)” कहा जाता है, बच्चों के महत्व को दर्शाता है। यह दिन माता-पिता, शिक्षकों और समाज को याद दिलाता है कि हर बच्चे को प्यार, सम्मान और विकास के अवसर मिलना चाहिए। नेहरू जी का मानना था कि यदि बच्चों को अच्छी परवरिश और शिक्षा दी जाए, तो वे भारत का उज्जवल भविष्य बना सकते हैं।

नेहरू जयंती को बाल दिवस क्यों कहा जाता है?

नेहरू जयंती (14 नवंबर) को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि पंडित नेहरू को बच्चों से अत्यधिक स्नेह था। बच्चे उन्हें प्यार से “चाचा नेहरू” कहते थे। उनका मानना था कि बच्चे देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं और उन्हें प्यार, शिक्षा और समान अवसर मिलना चाहिए ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें।

भारत में बाल दिवस कैसे मनाया जाता है?

बाल दिवस के अवसर पर पूरे भारत में स्कूलों और समुदायों में बच्चों के लिए कई मनोरंजक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

कुछ प्रमुख आयोजन इस प्रकार हैं —

  • सांस्कृतिक कार्यक्रम – गीत, नृत्य और नाटक प्रस्तुतियाँ।

  • प्रतियोगिताएँ – चित्रकला, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताएँ बच्चों के अधिकारों पर।

  • मिठाइयों और उपहारों का वितरण – बच्चों को सम्मानित और खुश करने के लिए।

  • जागरूकता अभियान – शिक्षा और बाल कल्याण के महत्व पर।

इन आयोजनों का उद्देश्य बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने, आत्मविश्वास बढ़ाने और मित्रता व सहयोग के मूल्यों को सीखने का अवसर देना है।

बाल दिवस 2025: बच्चों को पढ़ाएं नेहरू के अनमोल विचार

पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawahar Lal Nehru) देश के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका बच्चों के प्रति लगाव जग जाहिर था। पंडित नेहरू हमेशा बच्चों को प्यार और महत्व देने की बात करते थे। नेहरू को ‘आधुनिक भारत का निर्माता’ कहा जाता है। उनका जन्म 14 नवंबर (November 14) 1889 को हुआ था। उनका जन्मदिन हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनमोल विचार

  • संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है।
  • तथ्य, तथ्य हैं और आपके नापसंद करने से गायब नहीं हो जाएंगे।
  • सही शिक्षा से ही समाज की बेहतर व्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है।
  • लोगों की कला उनके मन के विचारों को दर्शाती है।
  • सफलता उन्हें मिलती है, जो निडर होकर फैसला लेते हैं और परिणामों से नहीं घबराते।
  • एक महान कार्य में लगन और कुशल पूर्वक काम करने पर भी, भले ही उसे तुरंत पहचान न मिले, अंततः सफल जरूर होता है।
  • असफलता तब होती है जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।
  • हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी यह होती है कि हम चीजों के बारे में बात ज्यादा करते हैं और काम कम करते हैं।

बाल साहित्य पुरस्कार 2025 की घोषणा, विजेताओं की पूरी सूची देखें

साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार 2025 की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है, जिसमें 24 भारतीय भाषाओं के बाल साहित्य लेखकों की सृजनात्मक प्रतिभा को सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार 14 नवम्बर 2025 (बाल दिवस) को त्रिवेणी सभागार, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रदान किए जाएंगे। यह आयोजन अकादेमी की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके माध्यम से वह भारतीय संस्कृति से जुड़ी विविधतापूर्ण कहानियों और रचनात्मक लेखन को प्रोत्साहित करते हुए नवोदित पाठकों के लिए समृद्ध साहित्यिक परंपरा को आगे बढ़ा रही है।

बाल साहित्य पुरस्कार 2025 समारोह की मुख्य झलकियाँ

इस वर्ष का पुरस्कार समारोह साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष मधव कौशिक की अध्यक्षता में आयोजित होगा। कार्यक्रम में प्रसिद्ध गुजराती लेखिका वर्षा दास मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी, जबकि अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगी। स्वागत भाषण पल्लवी प्रशांत होलकर, सचिव, साहित्य अकादेमी द्वारा दिया जाएगा।

प्रत्येक पुरस्कार विजेता को ₹50,000 की नकद राशि और कांस्य की पट्टिका (ब्रॉन्ज प्लाक) प्रदान की जाएगी, जो उनके द्वारा अपनी-अपनी भाषाओं में बाल साहित्य को समृद्ध बनाने में किए गए उत्कृष्ट योगदान की सराहना के रूप में दी जाएगी।

बाल साहित्य पुरस्कार 2025: भाषा के अनुसार विजेताओं की पूरी सूची

  • असमिया – मैनाहंतार पद्य (कविता), सुरेंद्र मोहन दास
  • बांग्ला – एखोनो गए कांता दये (कहानियां), त्रिदीब कुमार चट्टोपाध्याय
  • बोडो – खांथी ब्वस्वन अर्व अखु दनाई (कहानियां), बिनय कुमार ब्रह्मा
  • डोगरी – नन्हीं तोर (कविता), पी.एल. परिहार ‘शौक’
  • अंग्रेजी – दक्षिण: दक्षिण भारतीय मिथक और दंतकथाएं (कहानियां), नितिन कुशलप्पा एमपी
  • गुजराती – तिनचक (कविता), कीर्तिदा ब्रह्मभट्ट
  • हिंदी – एक बटे बारह (नॉन-फिक्शन और संस्मरण), सुशील शुक्ला
  • कन्नड़ – नोटबुक (लघु कथाएँ), के. शिवलिंगप्पा हंडीहाल
  • कश्मीरी – शुरे ते त्चुरे ग्युश (लघु कथाएँ), इज़हार मुबाशिर
  • कोंकणी – बेलाबाईचो शंकर अनी वारिस कान्यो (कहानियां), नयना अदारकर
  • मैथिली – चुक्का (लघु कथाएँ), मुन्नी कामत
  • मलयालम – पेंगुइनुकालुडे वंकाराविल (उपन्यास), श्रीजीत मूथेदथ
  • मणिपुरी – अंगांगशिंग-जी शन्नाबुंगशिदा (नाटक), शांतो एम।
  • मराठी – अभयमाया (कविता), सुरेश गोविंदराव सावंत
  • नेपाली – शांति वन (उपन्यास), संगमू लेप्चा
  • उड़िया – केते फुला फूटिची (कविता), राजकिशोर परही
  • पंजाबी – जड्डू पत्ता (उपन्यास), पाली खादिम (अमृत पाल सिंह)
  • राजस्थानी – पंखेरुव नी पीड़ा (नाटक), भोगीलाल पाटीदार
  • संस्कृत – बलविस्वम (कविता), प्रीति आर. पुजारा
  • संथाली – सोना मिरू-अग सन्देश (कविता), हरलाल मुर्मू
  • सिंधी – आसमानी परी (कविता), हीना अगनानी ‘हीर’
  • तमिल – ओट्टराय सिरागु ओविया (उपन्यास), विष्णुपुरम सर्वानन
  • तेलुगु – काबुरला देवता (कहानी), गंगीसेट्टी शिवकुमार
  • उर्दू – कौमी सितारे (लेख), ग़ज़नफ़र इक़बाल

पुरस्कार विजेताओं की बैठक: साहित्यिक चिंतन 

पुरस्कार समारोह के पश्चात 15 नवम्बर 2025 को नई दिल्ली के रवीन्द्र भवन सभागार, फिरोजशाह रोड में “पुरस्कार विजेताओं की बैठक” आयोजित की जाएगी। इस बैठक की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा करेंगी। यह मंच पुरस्कार विजेताओं को अपने रचनात्मक सफर, प्रेरणा स्रोतों और साहित्यिक योगदानों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा।

महत्व: विविधता और सांस्कृतिक शिक्षा का संवर्द्धन

बाल साहित्य पुरस्कार का उद्देश्य है—

  • क्षेत्रीय भाषाओं के लेखकों को पहचान और सम्मान देना,

  • भारतीय संस्कृति से जुड़ा बाल साहित्य प्रोत्साहित करना,

  • साहित्यिक विविधता और बहुभाषिकता को बढ़ावा देना,

  • बाल पाठकों और नवोदित लेखकों को प्रेरित करना।

यह वार्षिक पहल नई पीढ़ी के लिए शिक्षा, संस्कार और कल्पनाशक्ति में साहित्य की भूमिका को और सशक्त बनाती है।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • पुरस्कार का नाम: बाल साहित्य पुरस्कार 2025

  • प्रदाता संस्था: साहित्य अकादेमी

  • पुरस्कार समारोह की तिथि: 14 नवम्बर 2025

  • स्थल: त्रिवेणी सभागार, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली

  • पुरस्कार राशि: ₹50,000 + कांस्य पट्टिका

  • सम्मानित भाषाएँ: 24 भारतीय भाषाएँ

  • मुख्य अतिथि: वर्षा दास (गुजराती लेखिका)

  • अध्यक्षता: मधव कौशिक (अध्यक्ष, साहित्य अकादेमी)

  • पुरस्कार विजेताओं की बैठक: 15 नवम्बर 2025, रवीन्द्र भवन, नई दिल्ली

  • उद्देश्य: बाल साहित्य में उत्कृष्ट योगदान का सम्मान

भारत को बोत्सवाना से 8 चीते मिलेंगे: प्रोजेक्ट चीता के पुनरुद्धार में एक बड़ा कदम

भारत ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) के तहत भारत को बोत्सवाना से 8 चीते मिलने जा रहे हैं। यह घोषणा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की बोत्सवाना की राजकीय यात्रा के दौरान की गई, जो भारत और अफ्रीका के बीच पर्यावरणीय कूटनीति का एक नया अध्याय है।

गैबोरोन में ऐतिहासिक घोषणा

राष्ट्रपति मुर्मू ने बोत्सवाना के राष्ट्रपति डूमा बोकॉ (Duma Boko) के साथ राजधानी गैबोरोन में द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन मुख्य आकर्षण रहा — बोत्सवाना द्वारा भारत को 8 चीतों का उपहार देने की औपचारिक घोषणा।
कल एक प्रतीकात्मक हस्तांतरण समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रपति मुर्मू की उपस्थिति इस पहल की राजनयिक और पारिस्थितिक महत्ता को दर्शाएगी।

प्रोजेक्ट चीता क्या है?

प्रोजेक्ट चीता भारत की वह महत्वाकांक्षी पहल है, जिसके तहत 1952 में भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को दोबारा बसाया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य है:

  • घासभूमि पारिस्थितिकी संतुलन बहाल करना,

  • इको-टूरिज़्म और जन-जागरूकता को बढ़ावा देना,

  • वन्यजीव संरक्षण ढांचे को मजबूत बनाना, और

  • अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग स्थापित करना।

भारत ने 2022 में नामीबिया से पहली बार चीते लाकर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में छोड़े थे।

बोत्सवाना के चीतों का महत्व

बोत्सवाना विश्व में सबसे बड़ी जंगली चीता आबादी वाले देशों में से एक है। इसके द्वारा भेजे जा रहे 8 चीते भारत की परियोजना के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे:

  • आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) को बढ़ाएंगे,

  • भारत जैसे सवाना-प्रकार के जलवायु में अनुकूल रहेंगे, और

  • दोनों देशों के बीच संरक्षण सहयोग को मजबूत करेंगे।

यह कदम अफ्रीका की भारत के प्रति सहयोग भावना और वैश्विक वन्यजीव संरक्षण में साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

राष्ट्रपति मुर्मू की अफ्रीका यात्रा: रणनीतिक उपलब्धि

राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा अंगोला और बोत्सवाना दोनों देशों की पहली राजकीय यात्रा है। इसका उद्देश्य दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South–South Cooperation) को बढ़ावा देना है, जिसमें शामिल हैं:

  • पर्यावरण और जैव विविधता संरक्षण,

  • सांस्कृतिक और शैक्षणिक सहयोग,

  • द्विपक्षीय व्यापार और क्षमता निर्माण।

चीतों के हस्तांतरण समारोह में उनकी उपस्थिति भारत की पर्यावरणीय कूटनीति और जन-केन्द्रित संरक्षण नीति की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

श्रेणी विवरण
परियोजना का नाम प्रोजेक्ट चीता
घोषणा द्वारा भारत सरकार
भारत में विलुप्ति वर्ष 1952
पुनर्प्रवेश की शुरुआत 2022 (नामीबिया से)
नए चीते प्रदान करने वाला देश बोत्सवाना
चीते की संख्या 8
प्रतीकात्मक हस्तांतरण तिथि नवंबर 2025
स्थान गैबोरोन, बोत्सवाना

भारत ने पहला क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप पेश किया

भारत ने वैज्ञानिक नवाचार के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है — देश का पहला स्वदेशी क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप (Quantum Diamond Microscope – QDM) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे के पी-क्वेस्ट समूह (P-Quest Group) द्वारा विकसित किया गया है। इसे ईएसटीआईसी 2025 (Emerging Science Technology and Innovation Conclave) के दौरान लॉन्च किया गया। यह अत्याधुनिक उपकरण न्यूरोसाइंस, मटेरियल साइंस और सेमीकंडक्टर डायग्नोस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है।

क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप क्या है?

क्वांटम डायमंड माइक्रोस्कोप एक उन्नत क्वांटम सेंसिंग उपकरण है, जो हीरे (Diamond) में मौजूद नाइट्रोजन-वैकेंसी (Nitrogen-Vacancy या NV) केंद्रों की मदद से सूक्ष्म चुंबकीय क्षेत्रों का सटीक पता लगाता है।

यह कैसे काम करता है:

  • NV केंद्र, हीरे में परमाणु स्तर के दोष होते हैं, जहाँ एक नाइट्रोजन परमाणु एक कार्बन परमाणु की रिक्ति के पास स्थित होता है।

  • ये केंद्र कमरे के तापमान पर क्वांटम स्थिरता (Quantum Coherence) बनाए रखते हैं।

  • ऑप्टिकली डिटेक्टेड मैग्नेटिक रेज़ोनेंस (ODMR) तकनीक के ज़रिए, चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में इन केंद्रों की फ्लोरेसेंस (Fluorescence) बदल जाती है।

  • इससे 3D चुंबकीय क्षेत्र का वास्तविक समय (Real-time) इमेजिंग संभव हो पाती है — जैसे पारंपरिक माइक्रोस्कोप प्रकाश के ज़रिए चित्र दिखाता है।

यह तकनीक नैनोस्केल (Nanoscale) पर गतिशील चुंबकीय घटनाओं की व्यापक छवियाँ लेने में सक्षम है, जो अविनाशी परीक्षण (Non-destructive Testing) और जैविक अनुसंधान में अत्यंत उपयोगी है।

मुख्य अनुप्रयोग और प्रभाव

न्यूरोसाइंस और मस्तिष्क अनुसंधान

QDM न्यूरॉन्स और मस्तिष्क ऊतकों में वास्तविक समय की चुंबकीय गतिविधि का नक्शा तैयार कर सकता है। इससे मस्तिष्क संकेतों और तंत्रिका विकारों को बिना आक्रामक तरीकों के समझना संभव होगा।

सेमीकंडक्टर और चिप डिज़ाइन

3D चिप संरचनाओं में जटिल विद्युत प्रवाह का विश्लेषण मौजूदा उपकरणों से कठिन है। QDM बिना चिप को तोड़े परत-दर-परत चुंबकीय मैपिंग प्रदान करता है — जो स्वायत्त प्रणालियों, क्रायोजेनिक प्रोसेसरों और अगली पीढ़ी की इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए महत्वपूर्ण है।

बैटरी और पदार्थ विज्ञान

बैटरी डायग्नोस्टिक्स तथा मटेरियल साइंस में QDM आयनिक गति, चरण परिवर्तन (Phase Transition) और चुंबकीय गुणों को ट्रैक कर सकता है, जिससे नई ऊर्जा तकनीकों के विकास में सहायता मिलेगी।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) को मजबूती

यह उपलब्धि भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission) को मज़बूती प्रदान करती है, जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस मिशन का लक्ष्य क्वांटम सेंसिंग, कंप्यूटिंग, क्रिप्टोग्राफी और मटेरियल तकनीक में स्वदेशी क्षमताएँ विकसित करना है।

इस परियोजना का नेतृत्व प्रोफेसर कस्तुरी साहा (Prof. Kasturi Saha) ने किया है। उनकी टीम ने इस क्षेत्र में भारत का पहला पेटेंट भी हासिल किया है — जो क्वांटम मैग्नेटिक इमेजिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है।

लॉन्च के अवसर पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व

  • डॉ. जितेंद्र सिंह – केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री

  • प्रो. अजय के. सूद – भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार

  • प्रो. अभय करंदीकर – सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST)

इनकी उपस्थिति ने इस स्वदेशी क्वांटम नवाचार के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

श्रेणी विवरण
लॉन्च तिथि नवंबर 2025 (ESTIC 2025)
विकसित किया गया P-Quest Group, IIT बॉम्बे
नेतृत्व प्रो. कस्तुरी साहा
प्रौद्योगिकी आधार हीरे में नाइट्रोजन-वैकेंसी (NV) केंद्र
मुख्य कार्य ODMR तकनीक से 3D चुंबकीय क्षेत्र इमेजिंग
मुख्य उपयोग न्यूरोसाइंस, चिप डायग्नोस्टिक्स, मटेरियल रिसर्च
भारत का पहला पेटेंट QDM मैग्नेटिक इमेजिंग क्षेत्र में
संबंधित मिशन राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM)

भारत की वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही की GDP लगभग 7.2% तक बढ़ जाएगी

भारत की अर्थव्यवस्था एक बार फिर मजबूती दिखा रही है, जहाँ वित्त वर्ष 2025–26 (जुलाई–सितंबर 2025) की दूसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी (Real GDP) में 7.2% की वृद्धि का अनुमान है। यह पिछले वर्ष की समान तिमाही की तुलना में उल्लेखनीय सुधार है और यह निजी खपत (Private Consumption) तथा सरकारी पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) के योगदान को दर्शाता है, जिन्होंने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भी विकास की गति बनाए रखी है।

मजबूत निजी खपत से विकास को बल

हालिया आर्थिक विश्लेषण के अनुसार, निजी खपत दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि का प्रमुख कारक रही है। अनुमान है कि इसमें 8% वार्षिक वृद्धि हुई है, जबकि पहली तिमाही में यह 7% और पिछले वर्ष की समान तिमाही में 6.4% थी।

इस वृद्धि के पीछे कई कारण रहे —

  • विभिन्न आय वर्गों में वास्तविक आय में वृद्धि,

  • ग्रामीण मजदूरी में स्थिर बढ़ोतरी,

  • खुदरा महंगाई में ऐतिहासिक गिरावट,

  • और बजट 2025–26 में दिए गए कर राहत उपाय।

इन कारकों ने विशेष रूप से ग्रामीण और मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ाई। आयकर कटौती और स्थिर वस्तु मूल्यों ने घरेलू मांग को और प्रोत्साहित किया।

आपूर्ति पक्ष से सहारा: सेवाएँ और विनिर्माण

आपूर्ति पक्ष से, भारत का सेवा क्षेत्र (Services Sector) लगातार मजबूत बना रहा। इसके साथ ही, विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing) में भी उत्पादन में सुधार देखने को मिला, खासकर निर्यात वस्तुओं में। कम इनपुट लागतों ने कंपनियों के लाभांश को बनाए रखा और उत्पादन को बढ़ावा दिया, भले ही वैश्विक मांग मध्यम रही हो।

निवेश गतिविधि बनी सशक्त

तिमाही के दौरान निवेश मांग (Investment Demand) भी मजबूत रही, जिसमें 7.5% की वार्षिक वृद्धि का अनुमान है। यह वृद्धि मुख्य रूप से निम्न कारकों से संचालित रही —

  • सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ,

  • सार्वजनिक पूंजीगत व्यय,

  • और निजी क्षेत्र द्वारा निर्माण व पूंजी निर्माण में स्थिर निवेश।

हालाँकि वैश्विक आर्थिक स्थिति अनिश्चित रही, भारत में पूंजी निवेश का माहौल स्थिर बना रहा।

मुद्रास्फीति और राजकोषीय स्थिति: मिले-जुले संकेत

जहाँ वास्तविक जीडीपी वृद्धि मजबूत रही, वहीं सांकेतिक जीडीपी (Nominal GDP) की वृद्धि दर 8% से कम रहने का अनुमान है। यह प्रवृत्ति सरकार के राजस्व संग्रह और राजकोषीय संतुलन (Fiscal Arithmetic) के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

इससे संकेत मिलते हैं —

  • कर संग्रह अपेक्षा से कम रह सकता है,

  • राजकोषीय लक्ष्यों पर दबाव बन सकता है,

  • और यद्यपि मुद्रास्फीति अभी निम्न स्तर पर है, किंतु नाममात्र वृद्धि बनाए रखने के लिए इसका संतुलित रहना आवश्यक होगा।

वास्तविक और सांकेतिक वृद्धि के बीच का यह अंतर आने वाले महीनों में सरकार की वित्तीय रणनीति का प्रमुख निर्धारक रहेगा।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

संकेतक विवरण
Q2 FY26 जीडीपी वृद्धि (वास्तविक) 7.2%
Q2 FY25 जीडीपी वृद्धि 5.6%
Q1 FY26 जीडीपी वृद्धि 7.8% (पाँच तिमाहियों में सर्वोच्च)
निजी खपत वृद्धि (Q2 FY26) 8% (अनुमानित)
निवेश मांग वृद्धि (Q2 FY26) 7.5% (अनुमानित)
सांकेतिक जीडीपी प्रवृत्ति 8% से कम
मुद्रास्फीति प्रभाव घटती मुद्रास्फीति से वास्तविक वेतन और मांग में वृद्धि

Recent Posts

about | - Part 41_12.1