अमरावती: दुनिया का पहला पूर्णतः नवीकरणीय ऊर्जा से चलने वाला शहर बनने की तैयारी में

सतत शहरी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, आंध्र प्रदेश की नियोजित राजधानी अमरावती दुनिया का पहला ऐसा शहर बनने की ओर अग्रसर है, जो पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित होगा। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा परिकल्पित यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत की स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण-संवेदनशील शहरीकरण की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। विजयवाड़ा और गुंटूर के बीच स्थित अमरावती को एक आधुनिक, पर्यावरण-मित्र “जनता की राजधानी” के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो सतत शहर नियोजन में वैश्विक मानक स्थापित करने की दिशा में एक प्रेरणास्रोत बनेगा।

एक महत्वाकांक्षी ग्रीनफील्ड परियोजना
इस ऐतिहासिक पहल की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखे जाने की संभावना है, जो हरित विकास के लिए राष्ट्रीय समर्थन का प्रतीक होगी। यह नई राजधानी शहर कृष्णा नदी के तट पर फैले 217 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा, जो कुल 8,352 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन का हिस्सा होगा।

करीब ₹65,000 करोड़ की अनुमानित लागत से अमरावती को एक पर्यावरण-प्रेमी, स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित, और स्मार्ट प्लानिंग से सुसज्जित शहरी केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

2,700 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य
अमरावती के विकास की सबसे विशिष्ट बात है इसका 2,700 मेगावाट बिजली उत्पादन लक्ष्य, जो पूरी तरह से सौर, पवन और जल ऊर्जा स्रोतों से होगा। यह आंकड़ा न केवल 2050 तक अनुमानित ऊर्जा मांग को पूरा करेगा, बल्कि कोयले जैसे जीवाश्म ईंधनों की आवश्यकता को पूरी तरह समाप्त कर देगा।

वर्तमान में, इस कुल उत्पादन का कम से कम 30% हिस्सा सौर और पवन ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

सौर ऊर्जा युक्त छतें और ग्रीन बिल्डिंग मानदंड
इस लक्ष्य को पाने के लिए सौर ऊर्जा को मुख्य भूमिका दी जा रही है। सरकारी आवासीय परियोजनाओं की कम से कम एक-तिहाई छतों पर सौर पैनल अनिवार्य कर दिए गए हैं। भवन स्वीकृति प्रक्रिया में यह शर्त शामिल की जा रही है।

साथ ही, अमरावती गवर्नमेंट कॉम्प्लेक्स सहित सभी प्रमुख भवनों को ग्रीन बिल्डिंग मानकों का पालन करना आवश्यक होगा, जिसमें शामिल हैं:

  • ऊर्जा दक्षता

  • कम कार्बन उत्सर्जन

  • संसाधनों का इष्टतम उपयोग

हरित परिवहन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी
अमरावती मेट्रो और इलेक्ट्रिक बसें नवीकरणीय ऊर्जा से चलेंगी। साथ ही, शहर भर में सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्रों में EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा।

पार्कों, वॉकवे और बस स्टॉप्स जैसे सार्वजनिक स्थानों पर सौर पैनल लगाए जाएंगे, जिससे शहर की हरित पहचान और मजबूत होगी।

सौर परियोजनाओं में अब तक की प्रगति
पायलट सौर परियोजना के अंतर्गत 415 kW की रूफटॉप सौर प्रणाली स्थापित की गई है, जो निम्नलिखित पर लागू है:

  • 16 आंगनवाड़ी केंद्र

  • 14 ई-हेल्थ केंद्र

  • 13 सरकारी स्कूल

  • एक बहु-धार्मिक अंतिम संस्कार सुविधा

साथ ही, नेट मीटरिंग सभी सरकारी और वाणिज्यिक भवनों के लिए अनिवार्य की जा रही है, ताकि अतिरिक्त सौर ऊर्जा को ग्रिड में वापस भेजा जा सके।

हीटवेव से निपटने के लिए डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम
2024 में 47.7°C तक पहुंचे तापमान के कारण आंध्र प्रदेश दक्षिण भारत में सबसे अधिक हीटवेव दिनों वाला राज्य बन गया। इसे ध्यान में रखते हुए, APCRDA ने 2019 में Tabreed के साथ साझेदारी कर डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम लागू किया है।

प्रमुख विशेषताएं:

  • 20,000 रेफ्रिजरेशन टन (RT) की क्षमता

  • हाई कोर्ट और सचिवालय जैसे प्रमुख भवनों को सेवा

  • ठंडा करने की ऊर्जा मांग में 50% तक की कमी

  • बिजली की खपत और कार्बन उत्सर्जन में गिरावट

वैश्विक स्तर पर अमरावती का महत्व
अमरावती का संपूर्ण विकास मॉडल ऊर्जा दक्षता, शून्य उत्सर्जन परिवहन और हरित नवाचार पर केंद्रित है। यह दिखाता है कि आर्थिक प्रगति और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी साथ-साथ चल सकती हैं।

जब दुनिया भर के शहर शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौतियों से जूझ रहे हैं, तब अमरावती एक दूरदर्शी उदाहरण पेश कर रहा है — एक ऐसी राजधानी, जो भविष्य के टिकाऊ शहरों की राह दिखा रही है।

तेलंगाना भू भारती अधिनियम, 2025: भूमि प्रशासन में एक बड़ा सुधार

तेलंगाना सरकार ने भूमि शासन में ऐतिहासिक सुधार की शुरुआत की है – इसके तहत तेलंगाना भू भारती (अधिकार अभिलेख) अधिनियम, 2025 को लागू किया गया है। यह अधिनियम पूर्ववर्ती धरनी पोर्टल प्रणाली में आई खामियों और नागरिकों की व्यापक शिकायतों को दूर करने के उद्देश्य से लाया गया है। भू भारती अधिनियम का मूल उद्देश्य भूमि प्रशासन को अधिक पारदर्शी, कुशल और समावेशी बनाना है। यह अधिनियम विकेंद्रीकरण और नागरिक भागीदारी को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है, जिससे भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली को जनोन्मुखी और भरोसेमंद बनाया जा सके।

पृष्ठभूमि: धरनी पोर्टल की समस्याएं

2020 में शुरू किया गया धरनी पोर्टल भूमि लेन-देन के लिए एक एकीकृत डिजिटल मंच के रूप में स्थापित किया गया था, जिसमें भूमि अभिलेखों को ऑनलाइन पंजीकरण सेवाओं के साथ जोड़ा गया था। हालांकि, इसके कार्यान्वयन के दौरान कई गंभीर खामियां सामने आईं, जिससे राज्य भर में हज़ारों भूमि मालिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

मुख्य समस्याएं थीं:

  • अभिलेखों में गड़बड़ी: कई भूमि मालिकों ने कृषि और गैर-कृषि भूमि की गलत श्रेणीकरण, सर्वे नंबरों की अनुपस्थिति, और स्वामित्व डेटा में असंगति की शिकायत की।

  • न्याय तक सीमित पहुंच: पहले की प्रणाली में स्थानीय स्तर पर शिकायत निवारण की व्यवस्था नहीं थी, जिससे लोगों को सिविल कोर्ट का सहारा लेना पड़ा — जिससे देरी और खर्च दोनों बढ़े।

  • केंद्रीकृत शिकायत प्रणाली: अत्यधिक केंद्रीकृत व्यवस्था के कारण ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के लोगों को समय पर समाधान नहीं मिल पाया, जिससे असंतोष और विरोध हुआ।

भू भारती अधिनियम के उद्देश्य

भू भारती अधिनियम, 2025 को धरनी प्रणाली के खिलाफ जनता के आक्रोश के जवाब में लाया गया है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

  • शिकायत निवारण प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण कर इसे नागरिकों के लिए अधिक सुलभ बनाना।

  • भूमि अभिलेखों में त्रुटियों का सुधार और स्वामित्व व भूमि वर्गीकरण की सटीकता सुनिश्चित करना।

  • विवाद रहित भूमि लेनदेन हेतु मजबूत कानूनी और प्रशासनिक ढांचा तैयार करना।

  • किसानों और ग्रामीण ज़मीन मालिकों के लिए सेवाएं नि:शुल्क कर आर्थिक बाधाएं हटाना।

यह अधिनियम किसानों, नागरिक संगठनों और विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद तैयार किया गया है, जो सहभागी नीति निर्माण की दिशा में एक अहम कदम है।

भू भारती अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं

1. भूमि अभिलेखों में त्रुटि सुधार
अब भूमि अभिलेखों की त्रुटियों — जैसे गलत स्वामित्व, सर्वे नंबर की असंगति, भूमि की गलत श्रेणीकरण — को मंडल और ज़िला स्तर पर ठीक किया जाएगा, जिससे समाधान जल्दी और स्थानीय स्तर पर मिलेगा।

2. अनिवार्य सर्वेक्षण और डिजिटल मैपिंग
पंजीकरण या म्युटेशन से पहले व्यापक सर्वेक्षण और डिजिटल नक्शांकन अनिवार्य है, जिससे सीमाएं स्पष्ट होंगी और भविष्य के विवादों में कमी आएगी।

3. सादा बयानों (Sada Bainamas) का वैधीकरण
जो लोग बिना पंजीकरण के ज़मीन खरीद-बिक्री (सादा बयान) के ज़रिये अधिकार रखते हैं, उन्हें जमीनी सच्चाई के आधार पर वैध स्वामित्व मिल सकेगा।

4. पैतृक संपत्तियों का समयबद्ध म्युटेशन
अब वारिसों के नाम पर संपत्ति स्थानांतरण बिना अनावश्यक कागज़ी कार्रवाई के स्वतः और समय पर होगा।

दो-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली

भू भारती अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान इसकी सरल और प्रभावी दो-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली है:

  • पहला स्तर: अधिनियम लागू होने के एक वर्ष के भीतर नागरिक अपने शिकायतें राजस्व मंडल अधिकारी (RDO) को दर्ज कर सकते हैं।

  • दूसरा स्तर: यदि शिकायत हल न हो, तो इसे जिला कलेक्टर के पास भेजा जा सकता है।

यह प्रणाली अदालत-आधारित मॉडल की जगह लेकर सस्ता, तेज़ और सुलभ समाधान देती है।

किसानों के लिए नि:शुल्क समाधान

धरनी प्रणाली में शिकायत दर्ज कराने और बढ़ाने के लिए शुल्क लगता था। भू भारती अधिनियम सभी सेवा शुल्क समाप्त करता है, जिससे आर्थिक कठिनाइयों के चलते कोई भी किसान अपने अधिकारों से वंचित न रहे।

पायलट कार्यान्वयन और राज्यव्यापी विस्तार

नई प्रणाली को पहले चार मंडलों में पायलट आधार पर शुरू किया गया, जिसकी समीक्षा के बाद इसे 2 जून (तेलंगाना स्थापना दिवस) तक पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।

इसका उद्देश्य शिकायतों को रोकना, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण करना, और एक नागरिकोन्मुख प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिये भूमि लेनदेन को कुशल बनाना है।

नियम और विनियमों का गठन

इस अधिनियम के साथ ही, सरकार ने विस्तृत नियम और प्रक्रियाएं भी जारी की हैं, जो निम्न बिंदुओं को नियंत्रित करेंगी:

  • अद्यतन भूमि अभिलेखों का रख-रखाव

  • विवाद समाधान की प्रक्रिया

  • पारदर्शी और वैध भूमि लेनदेन

तेलंगाना भू भारती अधिनियम, 2025 राज्य की भूमि व्यवस्था को अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी और नागरिक-मित्र बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2025: इतिहास और महत्व

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2025 को 21 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन देश भर में आयोजित होने वाले समारोहों और पुरस्कार कार्यक्रमों द्वारा चिह्नित किया जाता है, विशेष रूप से नई दिल्ली में, जहाँ प्रधानमंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी सिविल सेवकों के उत्कृष्ट कार्यों की सराहना करते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं।

हम राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस क्यों मनाते हैं?
इस दिन की जड़ें 21 अप्रैल 1947 से जुड़ी हैं, जब भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने नई दिल्ली स्थित मेटकाफ हाउस में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के पहले बैच को संबोधित किया था। अपने ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने इन अधिकारियों को “भारत की स्टील फ्रेम” कहा था, जो स्वतंत्र भारत में शासन व्यवस्था, एकता और अनुशासन बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

इस दिवस को मनाने के उद्देश्य

  • सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता का सम्मान करना।

  • अधिकारियों को नैतिक शासन की ओर प्रेरित करना।

  • लोक प्रशासन में श्रेष्ठ व्यवस्थाओं को बढ़ावा देना।

  • युवाओं को सिविल सेवा को एक सार्थक करियर के रूप में अपनाने हेतु प्रेरित करना।

भारतीय सिविल सेवा के जनक: चार्ल्स कॉर्नवालिस

चार्ल्स कॉर्नवालिस, जिन्होंने 1786 से 1793 तक भारत के गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया, को भारतीय सिविल सेवा का जनक माना जाता है। हालाँकि सिविल सेवा प्रणाली का उद्भव ब्रिटिश शासनकाल में हुआ था, लेकिन कॉर्नवालिस ने भारत में एक पेशेवर, कुशल और उत्तरदायी प्रशासन की नींव रखी।

उनके प्रमुख सुधारों में शामिल हैं:

  • मेरिट आधारित नियुक्ति प्रक्रिया।

  • भ्रष्टाचार रोकने के लिए निश्चित वेतन संरचना।

  • अधिकारियों के लिए नैतिक मानकों की स्थापना।

इन उपायों ने प्रशासन में अनुशासन और ईमानदारी की संस्कृति स्थापित की, जो आगे चलकर स्वतंत्र भारत की आधुनिक सिविल सेवा प्रणाली का आधार बनी।

भारतीय सिविल सेवा अधिनियम, 1861

इस अधिनियम ने भारतीयों को प्रशासनिक पदों के लिए प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से चयन की अनुमति दी।

मुख्य विशेषताएँ:

  • भारतीयों के लिए उच्च सरकारी पदों में भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ।

  • प्रारंभ में परीक्षाएँ लंदन में होती थीं, जिससे अधिकांश भारतीयों के लिए यह दुर्गम था।

  • समय के साथ परीक्षाएँ भारत में भी आयोजित होने लगीं, जिससे भारतीय प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई।

दुनिया में सबसे पहले सिविल सेवा प्रणाली किस देश में शुरू हुई?

सिविल सेवा की अवधारणा भारत में ब्रिटिश शासन से पहले चीन में हान वंश (लगभग 200 ईसा पूर्व) के दौरान शुरू हुई थी। वहाँ यह प्रणाली निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित थी:

  • योग्यता आधारित चयन।

  • कन्फ्यूशियस विचारधारा पर आधारित परीक्षाएँ।

  • नैतिकता, दर्शन और शासन कौशल के आधार पर चयन।

बाद में ब्रिटेन ने इस मॉडल को अपनाया और अपनी उपनिवेशों में, विशेषकर भारत में, इसी प्रकार की सिविल सेवा प्रणाली की शुरुआत की।

भारत में सिविल सेवा परीक्षा: प्रशासन में प्रवेश का द्वार

भारत में राष्ट्रीय सिविल सेवा का हिस्सा बनने के लिए हर वर्ष संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) को उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है। यह देश की सबसे प्रतिष्ठित और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में से एक है।

परीक्षा की संरचना:

  • प्रारंभिक परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के माध्यम से प्रारंभिक चयन।

  • मुख्य परीक्षा – वर्णनात्मक प्रश्नों के माध्यम से गहन ज्ञान की परीक्षा।

  • साक्षात्कार (व्यक्तित्व परीक्षण) – प्रशासनिक भूमिकाओं के लिए उपयुक्तता का मूल्यांकन।

चयन के बाद मिलने वाली प्रमुख सेवाएँ:

  • IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा)

  • IPS (भारतीय पुलिस सेवा)

  • IFS (भारतीय विदेश सेवा)

  • अन्य ग्रुप A एवं B सेवाएँ

ये अधिकारी प्रशासनिक मशीनरी की रीढ़ होते हैं और शासन व्यवस्था में परिवर्तन के वास्तविक सूत्रधार माने जाते हैं।

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का इतिहास

भारत सरकार ने 2006 में 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाना आरंभ किया।

इस दिन का उद्देश्य:

  • 1947 में सरदार पटेल के प्रेरणादायक भाषण की स्मृति।

  • उत्कृष्ट प्रशासनिक कार्यों और नैतिक मानकों की पहचान एवं सम्मान।

हर वर्ष इस दिन पर विशेष पुरस्कार समारोह होते हैं, जहाँ नवाचार और जनहित में उल्लेखनीय कार्य करने वाले अधिकारियों और जिलों को सम्मानित किया जाता है।

राष्ट्र निर्माण में सिविल सेवाओं की भूमिका

सिविल सेवक निम्नलिखित क्षेत्रों में अहम भूमिका निभाते हैं:

  • सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी कार्यक्रमों का क्रियान्वयन।

  • कानून-व्यवस्था बनाए रखना और न्याय सुनिश्चित करना।

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढाँचा, और स्वच्छता का प्रबंधन।

  • आपदाओं, महामारी और आंतरिक सुरक्षा जैसे संकटों का समाधान।

  • संविधान की रक्षा और समावेशी शासन को सुनिश्चित करना।

ये अधिकारी जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करते हैं ताकि शासन की पहुँच हर नागरिक तक, चाहे वह कितना भी दूर क्यों न हो, सुनिश्चित की जा सके।

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2025 का महत्व

वर्ष 2025 का यह आयोजन केवल एक प्रतीकात्मक दिवस नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र में जनसेवा की भावना की पुनः पुष्टि का अवसर है।

इस दिवस का महत्व:

  • उत्कृष्टता का सम्मान: नवाचार और प्रभावी प्रशासन के लिए अधिकारियों को पुरस्कृत किया जाता है।

  • सुधारों को प्रोत्साहन: सफल कार्यप्रणालियों को साझा किया जाता है और अन्य राज्यों में अपनाया जाता है।

  • युवाओं के लिए प्रेरणा: सिविल सेवा के इच्छुक युवाओं को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

  • मूल्यों की पुनः पुष्टि: अधिकारी पारदर्शिता, सत्यनिष्ठा और राष्ट्र सेवा के प्रति अपने दायित्वों की याद दिलाते हैं।

विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस 2025: 21 अप्रैल

विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस (World Creativity and Innovation Day) हर साल 21 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य समस्या-समाधान में रचनात्मकता और नवाचार के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और व्यक्तिगत और समूह स्तरों पर रचनात्मक बहु-विषयक सोच को प्रोत्साहित करना है। 15-21 अप्रैल तक विश्व रचनात्मकता और नवाचार सप्ताह भी मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को नए विचारों का उपयोग करने, नए निर्णय लेने और रचनात्मक सोच रखने के लिए प्रोत्साहित करना है. रचनात्मकता एक ऐसी सोच है जो दुनिया को गोल बनाती है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नवाचार और रचनात्मकता के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करता है।

विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस: महत्व

विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मानव विकास और वैश्विक समस्याओं को हल करने में रचनात्मकता और नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। यह दिन व्यक्तियों और संगठनों को नए और अभिनव समाधान विकसित करने के लिए अपनी रचनात्मकता और नवाचार का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है जो सतत विकास को बढ़ावा देता है और लोगों के जीवन में सुधार करता है। रचनात्मकता और नवाचार के मूल्य को पहचानने से, यह दिन आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, रोजगार पैदा करता है और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाता है। संयुक्त राष्ट्र ने भी अपने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में रचनात्मकता और नवाचार के महत्व को मान्यता दी है, विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस को अपनी वैश्विक पहल का एक अनिवार्य हिस्सा बना दिया है।

विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस का इतिहास:

विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस (WCID) की स्थापना 25 मई 2001 को टोरंटो, कनाडा में हुई थी। दिन के संस्थापक कनाडाई मार्सी सहगल (Marci Segal) थे। सहगल 1977 में इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्टडीज़ इन क्रिएटिविटी में रचनात्मकता का अध्ययन कर रहे थे। संयुक्त राष्ट्र ने 27 अप्रैल 2017 को दुनिया भर में 21 अप्रैल को सभी मुद्दों के लिए समस्या-समाधान में उनकी रचनात्मकता के उपयोग के बारे में लोगों के बीच महत्व बढ़ाने के लिए विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस को मनाए जाने के प्रस्ताव को अपनाया था, जो 2015 के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने से संबंधित था।

भविष्य की संभावनाएँ

जैसे-जैसे विश्व जलवायु परिवर्तन और सामाजिक असमानता जैसी जटिल चुनौतियों का सामना कर रहा है, वैसे-वैसे विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस की प्रासंगिकता भी बढ़ती जा रही है। यह दिन हमें यह समझने की प्रेरणा देता है कि एक टिकाऊ भविष्य हमारी रचनात्मक सोच और नवाचारों को क्रियान्वित करने की क्षमता पर निर्भर करता है।

हरित तकनीकों और सतत नवाचारों पर बढ़ता ज़ोर इस बात को दर्शाता है कि रचनात्मकता को पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी परिणामों की दिशा में मोड़ा जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र द्वारा सरकारों से पर्यावरणीय, वैज्ञानिक, तकनीकी, नवाचार और औद्योगिक नीतियों को एकीकृत करने का आह्वान, इस बात का प्रतीक है कि रचनात्मकता को धरती के कल्याण हेतु समग्र दृष्टिकोण से अपनाया जाना चाहिए।

 

एक्सरसाइज डेजर्ट फ्लैग में शामिल होगी इंडियन एयरफोर्स

भारतीय वायुसेना (IAF) ने संयुक्त अरब अमीरात के अल धाफरा एयर बेस पर ‘एक्सरसाइज डेजर्ट फ्लैग-10’ में भाग लेने के लिए अपना एक दल तैनात किया है। यह प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय हवाई युद्धाभ्यास 21 अप्रैल से 8 मई, 2025 तक आयोजित किया जाएगा। यह रणनीतिक सहभागिता भारत की वैश्विक साझेदारों के साथ सैन्य सहयोग को सुदृढ़ करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से अपनी संचालन क्षमताओं को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

विमान तैनाती और तकनीकी क्षमताएँ

भारतीय वायुसेना ने इस अभ्यास में अपने युद्ध में सिद्ध विमानों को शामिल किया है, जिनमें बहुपरकारीय मिग-29 लड़ाकू विमान और जैगुआर स्ट्राइक एयरक्राफ्ट शामिल हैं। ये दोनों विमान पूरक क्षमताएँ प्रदान करते हैं — मिग-29 वायु प्रभुत्व (एयर सुपरियोरिटी) अभियानों में उत्कृष्ट है, जबकि जैगुआर जमीनी लक्ष्यों पर हमला करने में माहिर है। इन विशिष्ट विमानों की तैनाती भारतीय वायुसेना की रणनीतिक सोच को दर्शाती है, जिसमें प्रशिक्षण का अधिकतम लाभ उठाना और विभिन्न युद्ध परिदृश्यों में अपनी संचालन क्षमता और तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन करना शामिल है।

बहुराष्ट्रीय सहभागिता: वैश्विक रक्षा नेटवर्क का निर्माण

‘एक्सरसाइज डेजर्ट फ्लैग-10’ को एक प्रमुख हवाई युद्ध अभ्यास माना जाता है, जिसमें भाग लेने वाले देशों की प्रभावशाली सूची है। यह अभ्यास संयुक्त अरब अमीरात वायुसेना द्वारा आयोजित किया जा रहा है और इसमें बारह देशों की वायुसेनाएँ भाग ले रही हैं, जिससे यह एक विविध और चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण वातावरण बनता है। भाग लेने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, फ्रांस, जर्मनी, कतर, सऊदी अरब, कोरिया गणराज्य, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत शामिल हैं।

यह व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहभागिता विभिन्न सैन्य सिद्धांतों, उपकरणों और रणनीतियों वाले वायुसेनाओं के बीच पारस्परिक प्रशिक्षण का अनूठा अवसर प्रदान करती है। इस अभ्यास की बहुराष्ट्रीय प्रकृति वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने में अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग के बढ़ते महत्व को रेखांकित करती है।

अभ्यास के उद्देश्य और संचालन संबंधी फोकस

‘डेजर्ट फ्लैग-10’ का मुख्य उद्देश्य जटिल और विविध लड़ाकू अभियानों का संचालन करना है जो वास्तविक युद्ध परिदृश्यों की तरह महसूस होते हैं। ये अभियानों का उद्देश्य प्रतिभागी वायुसेनाओं को चुनौती देना और उनकी संचालन क्षमताओं की परीक्षा लेना है। केवल उड़ान प्रशिक्षण तक ही सीमित न रहते हुए, यह अभ्यास संचालन संबंधी ज्ञान और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान पर भी बल देता है।

यह ज्ञानवर्धन विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि इससे प्रतिभागियों को अन्य देशों के अनुभवों से सीखने, अपनी रणनीतियों को परिष्कृत करने और हवाई युद्ध के प्रति नवीन दृष्टिकोण विकसित करने का अवसर मिलता है। अभ्यास में आमतौर पर वायु-से-वायु युद्ध, वायु-से-भूमि हमले, बड़ी बल तैनाती (लार्ज फोर्स एंप्लॉयमेंट), और युद्ध के दौरान खोज और बचाव मिशन जैसे विविध अभियानों को शामिल किया जाता है।

इंटरऑपरेबिलिटी और सैन्य सहयोग को बढ़ावा

‘डेजर्ट फ्लैग-10’ जैसे बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लेने से भारतीय वायुसेना की अन्य वायुसेनाओं के साथ इंटरऑपरेबिलिटी यानी एक साथ कार्य करने की क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है। आधुनिक युद्ध परिदृश्यों में, जहां अक्सर सहयोगी अभियानों की आवश्यकता होती है, इंटरऑपरेबिलिटी अत्यंत महत्वपूर्ण बन गई है।

यह अभ्यास भारतीय वायुसेना को साझेदार देशों के साथ संयुक्त अभियानों के लिए तैयार होने, संचार प्रोटोकॉल को समझने और साझा रणनीति विकसित करने का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है। इसके अलावा, यह आपसी विश्वास और समझ को भी बढ़ावा देता है, जो भविष्य में किसी भी संकट या अभियान के दौरान बेहतर समन्वय में सहायक होता है।

क्षेत्रीय महत्व और रणनीतिक प्रभाव

‘डेजर्ट फ्लैग-10’ में भागीदारी भारतीय वायुसेना की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिसके तहत वह मध्य पूर्व और उससे आगे के मित्र देशों के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करना चाहती है। यह सहभागिता भारत की व्यापक रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुरूप है, जिनमें रक्षा साझेदारियों का विस्तार और रणनीतिक क्षेत्रों में सैन्य उपस्थिति को सुदृढ़ बनाना शामिल है।

भारत के लिए मध्य पूर्व एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है — ऊर्जा संसाधनों, विशाल भारतीय प्रवासी समुदाय और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति के कारण। इस क्षेत्र में सैन्य अभ्यासों में भाग लेकर भारत न केवल क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में योगदान देने की मंशा जताता है, बल्कि प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को भी मजबूत करता है।

साथ ही, यह अभ्यास भारतीय वायुसेना को मध्य पूर्व के विशेष रेगिस्तानी पर्यावरण में काम करने का मूल्यवान अनुभव प्रदान करता है, जो जलवायु, भूभाग और संचालन संबंधी चुनौतियों की दृष्टि से विशिष्ट है। यह अनुभव वायुसेना की विविध भौगोलिक परिस्थितियों में प्रभावी संचालन करने की क्षमता को और मजबूत करता है।

कुनो से गांधी सागर अभयारण्य में 20 अप्रैल को दो चीते स्थानांतरित किए जाएंगे

भारत द्वारा अफ्रीकी चीता को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (KNP) में फिर से जंगल में बसाए जाने के दो साल बाद, एक महत्वपूर्ण उपलब्धि 20 अप्रैल 2025 को हासिल होगी, जब दो वयस्क चीतों को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (GSWS) में स्थानांतरित किया जाएगा। यह कदम चीता पुनर्वास परियोजना के विस्तार का प्रतीक है और मंदसौर जिले में स्थित GSWS को चीतों के लिए दूसरा घर बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। यह निर्णय चीता परियोजना की एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में लिया गया और यह केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच संरक्षण, अनुसंधान और ईको-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हो रहे साझा प्रयास को दर्शाता है।

मुख्य बिंदु और घटनाक्रम

स्थानांतरण का निर्णय और तैयारी
दो नर चीतों (संभावित रूप से दक्षिण अफ्रीकी प्राभास और पावक) को 20 अप्रैल 2025 को कूनो से गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (GSWS) में स्थानांतरित किया जाएगा।
यह निर्णय केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित समीक्षा बैठक में लिया गया।
गांधी सागर अभयारण्य मंदसौर और नीमच जिलों में स्थित है।

बुनियादी ढांचा और बाड़े
चीतों के लिए GSWS में 64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले तीन बड़े बाड़े तैयार किए गए हैं।
इन चीतों को सीधे बड़े बाड़ों में छोड़ा जाएगा क्योंकि ये पहले से स्थानीय परिस्थितियों में ढल चुके हैं।
पिछले दो महीनों में GSWS में शिकार योग्य जानवरों की संख्या दोगुनी हो गई है, जिससे यह चीता निवास के लिए उपयुक्त बन गया है।

अंतरराष्ट्रीय स्थानांतरण में देरी
पहले योजना थी कि गर्मियों से पहले 6–8 चीते दक्षिण अफ्रीका से GSWS लाए जाएंगे।
हालांकि, दक्षिण अफ्रीका के साथ बातचीत में देरी के कारण यह समयसीमा अब सितंबर तक खिसक गई है।
बोत्सवाना और केन्या के साथ भी और चीतों के लिए बातचीत जारी है —
मई में बोत्सवाना से चार चीते आने की संभावना है, एक और खेप वर्ष के अंत में।

अंतर-राज्यीय संरक्षण सहयोग
GSWS राजस्थान की सीमा से लगा है, जिससे दोनों राज्यों के बीच एक “अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण परिसर” की योजना बन रही है।

प्रजनन और अनुकूलन में सफलता
मुख्यमंत्री मोहन यादव के अनुसार, मध्य प्रदेश में जन्मे चीता शावकों की विश्व में सबसे अधिक जीवित रहने की दर है।
भारत में चीते वैश्विक पुनर्वास प्रयासों की तुलना में बेहतर ढलाव दिखा रहे हैं।

पर्यटन और अवसंरचना विकास
कूनो में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ग्वालियर से सड़क और हवाई संपर्क की योजना।
प्रस्तावित अवसंरचना में शामिल हैं –

  • ग्वालियर से कूनो तक ऑल-सीजन पक्की सड़क

  • जंगल में टेंट सिटी

  • अत्याधुनिक पशु चिकित्सा अस्पताल और बचाव केंद्र

  • महिला स्वयं सहायता समूहों और ‘चीता मित्रों’ को गाइड और संरक्षण वालंटियर के रूप में प्रशिक्षित करना

भारत में चीतों की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में कुल 26 चीते हैं — जिनमें से 17 जंगल में और 9 बाड़ों में हैं।
चीतों का पुनर्वास सितंबर 2022 में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों के साथ शुरू हुआ था।

सारांश / स्थैतिक जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? 2 चीतों को 20 अप्रैल को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित किया जाएगा
स्थानांतरण की तारीख 20 अप्रैल 2025
स्रोत अभयारण्य कूनो राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश
लक्ष्य अभयारण्य गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य, मंदसौर
स्थानांतरित चीते 2 (संभावित रूप से दक्षिण अफ्रीकी नर: प्राभास और पावक)
बाड़े का क्षेत्रफल 64 वर्ग किलोमीटर
दक्षिण अफ्रीका से प्रारंभिक योजना 6–8 चीते
अफ्रीका से नई अपेक्षित आमद बोत्सवाना (4 मई में), शेष वर्ष में और भी
अवसंरचना परियोजनाएं टेंट सिटी, ग्वालियर-कूनो सड़क, पशु चिकित्सा अस्पताल
कूनो में कुल चीते 26 (17 जंगल में, 9 बाड़ों में)
पर्यटन योजना युवाओं व महिलाओं की भागीदारी, इको-टूरिज्म को बढ़ावा
चीतों के शावकों की जीवित रहने की दर विश्व में सबसे अधिक (म.प्र. मुख्यमंत्री के अनुसार)
अंतरराष्ट्रीय सहयोग दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, केन्या
विचाराधीन नए क्षेत्र बन्नी ग्रासलैंड्स, गुजरात

आंध्र प्रदेश मंत्रिमंडल ने एससी उप-वर्गीकरण अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी दी

समान आरक्षण लाभों के न्यायसंगत वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, आंध्र प्रदेश मंत्रिमंडल ने राज्य में अनुसूचित जातियों (SCs) की उप-श्रेणीकरण (sub-categorisation) को लागू करने के लिए एक मसौदा अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय “आरक्षण के भीतर आरक्षण” की अवधारणा पर आधारित है, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों की विभिन्न उप-जातियों के बीच उनकी सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की स्थिति के आधार पर कोटा लाभों का संतुलित वितरण सुनिश्चित करना है। यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों को SCs के उप-वर्गीकरण की अनुमति देने के बाद लाया गया है और यह सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजीव रंजन मिश्रा की अध्यक्षता वाले आयोग की सिफारिशों पर आधारित है।

अध्यादेश की मुख्य विशेषताएं

मंजूरी दी गई: आंध्र प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा, 15 अप्रैल 2025 को
उद्देश्य: अनुसूचित जातियों के बीच आरक्षण लाभों का अधिक न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना
प्रारंभ किया: तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा
कानूनी आधार: सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद संभव हुआ, जिसमें राज्यों को SC उप-श्रेणीकरण की अनुमति दी गई थी
आयोग का गठन: 15 नवंबर 2024 को, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजीव रंजन मिश्रा की अध्यक्षता में
जन परामर्श: राज्य के सभी 26 जिलों में आयोजित
विधानमंडल में स्वीकृति: विधान परिषद और विधानसभा दोनों में सर्वसम्मति से पारित

SC उप-श्रेणीकरण का उद्देश्य:

  • प्रत्येक उप-जाति की जनसंख्या, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण लाभ प्रदान करना

  • अनुसूचित जाति कोटे में कुछ समुदायों (जैसे मदिगा) की कम प्रतिनिधित्व की समस्या का समाधान

  • कुछ प्रमुख समूहों (जैसे माला) के कथित प्रभुत्व को संतुलित करना

  • यह कदम मदिगा रिज़र्वेशन पोराटा समिति (MRPS) और अन्य पिछड़ा वर्ग समूहों द्वारा समर्थित है

राजीव रंजन मिश्रा आयोग की सिफारिशें:

आयोग ने 59 अनुसूचित जातियों को उनके पिछड़ेपन के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित करने की सिफारिश की:

ग्रुप 1: सबसे पिछड़े (रेल्ली उप-समूह)

जातियाँ शामिल: बावुरी, चाचाटी, चंडाला, डंडासी, डोम, घासी, गोडगली, मेहतर, पाकी, पामिडी, रेल्ली, सप्रु
कोटा आवंटन: 1.0%

ग्रुप 2: पिछड़े (मदिगा उप-समूह)

जातियाँ शामिल: अरुंधतिया, बिंदाला, चमार, चांभार, डक्कल, धोऱ, गोडारी, गोसंगी, जग्गाली, जांबुवुलु, कोलुपुलवंदलु, मदिगा, मदिगा दासु, मंग, मंग गारोड़ी, मातंगी, समागरा, सिंधोलु
कोटा आवंटन: 6.5%

ग्रुप 3: कम पिछड़े (माला उप-समूह)

जातियाँ शामिल: आदि द्रविड़, अनामुक, आर्यमाला, अर्वमाला, बारिकी, ब्यागरा, चलवादी, येल्लमालावर, होलिया, होलिया दासारी, मडासी कुरुवा, महार, माला, माला दासारी, माला दासु, माला हन्नाई, माला जंगम, माला मस्ती, माला साले, माला सन्यासी, मन्ने, मुंडाला, सांबन, यताला, वल्लुवन, आदि आंध्र, मस्ती, मित्त आय्यलावर, पंचम
कोटा आवंटन: 7.5%

अपेक्षित लाभ:

  • आरक्षण लाभों का न्यायपूर्ण और समान वितरण

  • सभी उप-जातियों में समावेशी विकास को बढ़ावा

  • बेहतर प्रतिनिधित्व मिलेगा:

    • शिक्षा में

    • सरकारी नौकरियों में

    • स्थानीय निकायों में

    • राजनीति और नागरिक समाज में

वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत के परिधान निर्यात में जबरदस्त उछाल

वित्तीय वर्ष 2024–2025 में भारत के इंजीनियरिंग, वस्त्र (टेक्सटाइल) और परिधान (अपैरल) क्षेत्रों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इन सभी क्षेत्रों में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 6% से अधिक की वृद्धि हुई है। यह प्रगति ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक व्यापार के स्वरूप में बदलाव हो रहे हैं और अमेरिका-चीन के बीच बदलते भू-राजनीतिक संबंधों ने भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसरों के साथ-साथ कुछ चुनौतियाँ भी उत्पन्न की हैं। यह वृद्धि भारत के निर्यात क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।

मुख्य विशेषताएं

इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात

  • FY25 में वर्ष-दर-वर्ष 6.74% की वृद्धि दर्ज की गई।

  • निर्यात मूल्य FY24 के $109.3 अरब से बढ़कर FY25 में $116.67 अरब हो गया।

चिंताएं

  • अमेरिका द्वारा लोहे, स्टील और ऑटो पार्ट्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने से भविष्य में वृद्धि पर असर पड़ सकता है।

  • इससे अमेरिका को होने वाले निर्यात में सालाना $4–5 अरब की संभावित गिरावट हो सकती है।

  • अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के कारण चीन के वैकल्पिक बाजारों की ओर झुकाव से प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हुई है।

वस्त्र और परिधान निर्यात

  • FY25 में FY24 की तुलना में 6.32% की वृद्धि।

  • परिधान निर्यात प्रमुख प्रेरक रहा, जिसमें 10.03% की वृद्धि देखी गई।

  • अमेरिका द्वारा चीन से आयात में विविधता लाने की रणनीति भारत के लिए एक अवसर के रूप में देखी जा रही है।

बाजार प्रभाव और चुनौतियाँ

  • मार्च 2024 में इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 4% घटकर $10.82 अरब रह गया, जो मार्च 2023 में $11.27 अरब था।

  • वैश्विक व्यापार युद्ध के प्रभाव स्पष्ट हैं – व्यापार बाधाएं बढ़ रही हैं और आपूर्ति श्रृंखलाएं बदल रही हैं।

  • निर्यातकों ने वैश्विक प्रतिस्पर्धा से निपटने के लिए नीति समर्थन और विविधीकरण की मांग की है।

अवसर

  • अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के चलते भारत एक विश्वसनीय वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर सकता है।

  • प्रभावी व्यापार कूटनीति और प्रोत्साहनों के जरिए भारत वैश्विक बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकता है।

बिंदु विवरण
क्यों चर्चा में? FY25 में इंजीनियरिंग, वस्त्र और परिधान निर्यात में 6% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई।
इंजीनियरिंग वस्तुएं – 6.74% वार्षिक वृद्धि: $109.3B (FY24) → $116.67B (FY25)
– अमेरिका द्वारा लोहे, स्टील और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ से खतरा
– अमेरिका को निर्यात में संभावित $4–5B की हानि
– चीन से प्रतिस्पर्धा बढ़ी क्योंकि वह अपने निर्यात को अन्य बाजारों में मोड़ रहा है
वस्त्र और परिधान – 6.32% वार्षिक वृद्धि
– परिधान निर्यात में 10.03% की वृद्धि, समग्र वृद्धि का प्रमुख कारक
– अमेरिका द्वारा चीन पर निर्भरता कम करने से भारत को लाभ
– वैश्विक तनाव के बावजूद उद्योग को दीर्घकालिक अवसर दिख रहे हैं

विश्व लिवर दिवस 2025: तिथि, थीम और महत्व

विश्व यकृत दिवस (World Liver Day) हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य यकृत स्वास्थ्य, रोगों की रोकथाम और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के बारे में जागरूकता फैलाना है। विश्व लिवर दिवस 2025 की थीम है, “भोजन ही दवा है (Food is Medicine)”। इस थीम का उद्देश्य है लिवर की सेहत के लिए पौष्टिक खानपान पर ध्यान देना। चूंकि यकृत डिटॉक्सिफिकेशन, पाचन और ऊर्जा भंडारण के लिए जिम्मेदार होता है, इसलिए संतुलित आहार और सचेत जीवनशैली परिवर्तन इसके प्रदर्शन और मजबूती को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे दैनिक आहार में छोटे, जानकारीपूर्ण विकल्प यकृत रोगों से लड़ने में शक्तिशाली उपकरण बन सकते हैं।

परिचय

विश्व यकृत दिवस हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य यकृत से संबंधित रोगों के बारे में जागरूकता फैलाना और वैश्विक स्तर पर यकृत स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि यकृत एक महत्वपूर्ण अंग है जो मेटाबोलिज्म, डिटॉक्सिफिकेशन, इम्यूनिटी, और पोषक तत्वों के प्रसंस्करण के लिए जिम्मेदार होता है। 2025 का थीम “भोजन ही दवा है” यह दर्शाता है कि एक स्वस्थ और संतुलित आहार अपनाकर यकृत रोगों को रोका जा सकता है और दीर्घकालिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा सकता है।

यकृत का महत्व

यकृत सबसे बड़ा आंतरिक अंग है और जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह शरीर के दाहिने ऊपरी पेट में स्थित है और 500 से अधिक महत्वपूर्ण कार्य करता है, जैसे कि विषाक्त पदार्थों को तोड़ना, पाचन में सहायता करना, रक्त शर्करा को नियंत्रित करना और आवश्यक प्रोटीन का उत्पादन करना। एक स्वस्थ यकृत हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है, हानिकारक पदार्थों को फिल्टर करता है और इम्यूनिटी का समर्थन करता है—जिससे इसकी देखभाल बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।

यकृत के प्रमुख कार्य

  1. पोषक तत्वों का मेटाबोलिज्म
    यकृत कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज में बदलता है और अतिरिक्त ग्लूकोज को ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित करता है। यह वसा को उपयोगी ऊर्जा में बदलता है और प्रोटीन संश्लेषण के लिए अमीनो एसिड्स को परिवर्तित करता है।

  2. डिटॉक्सिफिकेशन
    यकृत भोजन, शराब, दवाओं और पर्यावरणीय प्रदूषकों से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर और न्यूट्रलाइज करता है। इन विषाक्त पदार्थों को बाद में बाइल या मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

  3. बाइल उत्पादन
    यकृत बाइल का उत्पादन करता है, जो छोटी आंत में वसा के पाचन और अवशोषण के लिए आवश्यक तरल है।

  4. इम्यून रेगुलेशन और भंडारण
    यह महत्वपूर्ण विटामिन (A, D, E, K) और खनिजों जैसे लोहा और तांबा को संग्रहीत करता है। यह संक्रमण से लड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इम्यून फैक्टर्स का उत्पादन करके।

2025 थीम व्याख्या: “भोजन ही दवा है”

इस वर्ष का थीम पोषण की भूमिका को उजागर करता है, जो यकृत को होने वाले नुकसान को रोकने और पलटने में मदद कर सकता है। खराब आहार की आदतें—जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, चीनी, संतृप्त वसा, और शराब का अत्यधिक सेवन—यकृत रोगों जैसे वसायुक्त यकृत और सिरोसिस के प्रमुख कारण हैं। एक फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स, स्वस्थ वसा, और पौधों-आधारित खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार सूजन को कम कर सकता है, यकृत एंजाइम स्तर को सुधार सकता है और पुनर्जनन का समर्थन कर सकता है। इस थीम के तहत सार्वजनिक नीति परिवर्तनों को प्रोत्साहित किया जाता है, जैसे स्वस्थ स्कूल भोजन, खाद्य लेबलिंग और जागरूकता अभियान।

सामान्य यकृत रोग

  1. वसायुक्त यकृत रोग
    गैर-शराबी वसायुक्त यकृत रोग (NAFLD) मोटापा, मधुमेह और खराब आहार के कारण होता है। शराबी वसायुक्त यकृत रोग (AFLD) अत्यधिक शराब सेवन से उत्पन्न होता है। यदि उपचार नहीं किया जाए, तो ये यकृत सूजन, फाइब्रोसिस और सिरोसिस में विकसित हो सकते हैं।

  2. हेपेटाइटिस (B और C प्रकार)
    ये वायरल संक्रमण हैं जो यकृत की पुरानी सूजन और क्षति का कारण बनते हैं। ये संक्रमित रक्त या शारीरिक द्रवों के माध्यम से फैलते हैं और यकृत विफलता या कैंसर का कारण बन सकते हैं।

  3. यकृत सिरोसिस
    यह यकृत रोग का एक अंतिम चरण है, जो दीर्घकालिक क्षति के कारण धब्बेदार (फाइब्रोसिस) हो जाता है। इसके सामान्य कारणों में पुरानी हेपेटाइटिस, शराब का अत्यधिक सेवन और ऑटोइम्यून विकार शामिल हैं।

  4. यकृत कैंसर (हेपाटोसैलुलर कार्सिनोमा)
    यह सिरोसिस या दीर्घकालिक हेपेटाइटिस संक्रमणों से उत्पन्न हो सकता है। इसके प्रारंभिक लक्षण चुपचाप हो सकते हैं; बाद में दर्द, वजन कम होना और पीलिया के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

  5. तीव्र और पुरानी यकृत विफलता
    यह वायरल संक्रमणों, दवाओं की ओवरडोज (जैसे पैरासिटामोल) या आनुवंशिक स्थितियों के कारण हो सकता है। यह यकृत के कार्य की हानि, भ्रम और रक्तस्राव समस्याओं का कारण बनता है—जिसके लिए तत्काल चिकित्सा देखभाल या प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।

यकृत रोगों के जोखिम कारक

  • अत्यधिक शराब का सेवन

  • अस्वस्थ आहार और मोटापा

  • हेपेटाइटिस संक्रमण

  • पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थ और दवाएं

  • आनुवंशिक और ऑटोइम्यून स्थितियां

स्वस्थ यकृत के लिए सुझाव

  • पोषक आहार का पालन करें

  • नियमित रूप से व्यायाम करें

  • शराब का सेवन सीमित करें

  • टीकाकरण करवाएं

  • हाइड्रेटेड रहें और यकृत कार्य परीक्षण कराएं

  • स्व-चिकित्सा से बचें

SBI कार्ड और टाटा डिजिटल ने को-ब्रांडेड टाटा न्यू एसबीआई कार्ड लॉन्च किया

भारत की सबसे बड़ी क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी SBI कार्ड ने टाटा डिजिटल के साथ साझेदारी कर एक सह-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य ग्राहकों को रिवॉर्ड्स और विशेष लाभों के माध्यम से बेहतर अनुभव प्रदान करना है। यह कार्ड दो वेरिएंट्स में उपलब्ध है – टाटा न्यू इंफिनिटी SBI कार्ड और टाटा न्यू प्लस SBI कार्ड। दोनों कार्ड प्रीमियम शॉपिंग अनुभव के साथ आकर्षक रिवॉर्ड्स, लाउंज एक्सेस और विभिन्न लाइफस्टाइल लाभ प्रदान करते हैं, जिससे यह उपभोक्ताओं के लिए एक सुविधाजनक और लाभकारी विकल्प बन जाता है।

टाटा न्यू SBI कार्ड की प्रमुख विशेषताएँ

वेरिएंट्स

  • टाटा न्यू इंफिनिटी SBI कार्ड

  • टाटा न्यू प्लस SBI कार्ड

रिवॉर्ड सिस्टम

  • टाटा न्यू इंफिनिटी SBI कार्ड पर टाटा न्यू और टाटा की पार्टनर ब्रांड्स पर खरीदारी करने पर 10% तक NeuCoins कमाएं।

  • टाटा न्यू प्लस SBI कार्ड पर इन्हीं ब्रांड्स पर खरीदारी करने पर 7% तक NeuCoins मिलते हैं।

  • NeuCoins को टाटा न्यू ऐप के माध्यम से ग्रोसरी, फैशन, ट्रैवल जैसी लाइफस्टाइल कैटेगरीज में रिडीम किया जा सकता है।

अतिरिक्त लाभ

  • टाटा न्यू इंफिनिटी SBI कार्ड धारकों को डोमेस्टिक और इंटरनेशनल एयरपोर्ट लाउंज का मुफ्त एक्सेस मिलता है।

  • एनुअल फीस रिवर्सल (खर्च के आधार पर)

    • टाटा न्यू प्लस SBI कार्ड: सालाना ₹1,00,000 खर्च करने पर

    • टाटा न्यू इंफिनिटी SBI कार्ड: सालाना ₹3,00,000 खर्च करने पर

  • टाटा न्यू प्लेटफॉर्म पर बिल पेमेंट करने पर 5% तक रिवॉर्ड

  • RuPay वेरिएंट के साथ UPI ट्रांजेक्शन पर 1.5% कैशबैक

जॉइनिंग और एनुअल फीस

  • टाटा न्यू प्लस SBI कार्ड: ₹499 (करों के अतिरिक्त)

  • टाटा न्यू इंफिनिटी SBI कार्ड: ₹1,499 (करों के अतिरिक्त)

विशेष साझेदार ब्रांड्स

  • यह कार्ड्स एयर इंडिया, बिग बास्केट, क्रोमा, ताज होटल्स, तनिष्क, टाइटन, वेस्टसाइड आदि जैसे ब्रांड्स के साथ कार्य करते हैं, और इन पर डिस्काउंट्स व रिवॉर्ड्स मिलते हैं।

आवेदन प्रक्रिया

  • डिजिटल रूप से SBI कार्ड SPRINT प्लेटफॉर्म पर या ऑफलाइन रूप से चयनित क्रोमा स्टोर्स पर आवेदन किया जा सकता है।

Recent Posts

about | - Part 306_12.1