क्रिसिल ने भारत के FY26 GDP ग्रोथ अनुमान को संशोधित कर 7% किया

क्रिसिल ने चालू वित्तीय वर्ष (FY26) के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया है। यह संशोधन वर्ष की पहली छमाही में उम्मीद से अधिक मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के बाद किया गया है। अनुमान में बढ़ोतरी भारत की लचीली घरेलू मांग, मजबूत निजी उपभोग, और विनिर्माण तथा सेवाओं के मजबूत उत्पादन को दर्शाती है।

यह संशोधन आधिकारिक आँकड़ों के आधार पर किया गया है, जिनके अनुसार FY26 की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में भारत की वास्तविक जीडीपी 8.2% रही, जबकि पहली छमाही (अप्रैल–सितंबर) में औसत वृद्धि 8% दर्ज की गई।

क्रिसिल के जीडीपी पूर्वानुमान की मुख्य बातें

  • संशोधित FY26 जीडीपी अनुमान: 7% (पहले 6.5%)

  • Q2 FY26 वास्तविक जीडीपी वृद्धि: 8.2%

  • Q2 नाममात्र जीडीपी वृद्धि: 8.7%, महँगाई में कमी के कारण दर कुछ नरम रही

  • FY26 की दूसरी छमाही (H2) के लिए अनुमानित वृद्धि: 6.1%, वैश्विक चुनौतियों के चलते

उर्ध्व संशोधन के प्रमुख कारण

1. मजबूत निजी खपत (Private Consumption)

क्रिसिल के अनुसार जीडीपी वृद्धि में हुई तेजी का मुख्य कारण निजी खपत में उल्लेखनीय उछाल है, जिसे बढ़ावा मिला—

  • खाद्य महँगाई में कमी से, जिससे लोगों के हाथ में अतिरिक्त आय उपलब्ध हुई

  • GST दरों के तर्कसंगतीकरण से, जिससे वस्तुएँ और सेवाएँ अधिक सस्ती हुईं

  • आयकर भार में कमी और अनुकूल ब्याज दर वातावरण से

शहरी क्षेत्रों में, खासकर त्योहारी मौसम के दौरान, विवेकाधीन खर्च में बड़ी बढ़त देखी गई, जिससे रिटेल, हॉस्पिटैलिटी और ट्रांसपोर्ट सेक्टरों को मजबूती मिली।

2. विनिर्माण और सेवाओं का बेहतर प्रदर्शन

आपूर्ति पक्ष से विनिर्माण और सेवाओं दोनों ने मजबूत वृद्धि दर्ज की। इसके पीछे थे—

  • वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद निर्यात में सुधार

  • सप्लाई चेन का सामान्य होना

  • आईटी, वित्तीय और बिज़नेस सेवाओं की बढ़ी हुई मांग

3. नीतिगत समर्थन (Policy Support)

अर्थव्यवस्था की गति को बढ़ावा मिला—

  • RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती से, जिसने क्रेडिट मांग को पुनर्जीवित किया

  • सरकार के उच्च पूंजीगत व्यय से, खासकर आधारभूत संरचना और परिवहन क्षेत्रों में

  • कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता से, जिससे आयात बिल और महँगाई का दबाव कम हुआ

FY26 की दूसरी छमाही का दृष्टिकोण 

हालाँकि पहली छमाही बेहद मजबूत रही, क्रिसिल का अनुमान है कि H2 में वृद्धि लगभग 6.1% तक मध्यम रहेगी। इसके कारण—

  • वैश्विक चुनौतियाँ, जैसे अमेरिका द्वारा बढ़े हुए टैरिफ और वैश्विक व्यापार में मंदी

  • सरकारी खर्च की रफ्तार का स्थिर होना

  • निजी निवेश में धीमी रिकवरी, हालांकि मामूली सुधार संभव

इसके बावजूद, क्रिसिल का मानना है कि मजबूत उपभोग, अनुकूल मौद्रिक नीति और सरकार के समर्थन से बाहरी दबावों का प्रभाव काफी हद तक संतुलित रहेगा।

विराट कोहली ने तोड़ा सचिन तेंदुलकर का ‘महारिकॉर्ड’, वनडे में जड़ा 52वां शतक

एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए विराट कोहली ने क्रिकेट इतिहास में अपना नाम और भी चमकदार अक्षरों में दर्ज करा दिया। कोहली ने अपना 52वां वनडे शतक लगाकर सचिन तेंदुलकर के लंबे समय से कायम सर्वाधिक ODI शतकों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। यह ऐतिहासिक पारी 30 नवंबर 2025 को रांची में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे मैच के दौरान आई। इस शतक ने एक बार फिर साबित किया कि कोहली आधुनिक क्रिकेट ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व क्रिकेट के इतिहास के सबसे महान बल्लेबाज़ों में शुमार हैं।

दिग्गज रिकॉर्ड का टूटना

विराट कोहली के इस शानदार शतक ने उन्हें सचिन तेंदुलकर के 49 वनडे शतकों के रिकॉर्ड से आगे पहुंचा दिया, और इस तरह वे एक ही फ़ॉर्मेट में 50+ शतक लगाने वाले पहले पुरुष क्रिकेटर बन गए। इसके साथ ही कोहली पुरुष वनडे क्रिकेट इतिहास में सबसे अधिक शतक लगाने वाले बल्लेबाज़ बन गए हैं।

यह पारी कोहली का दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ छठा वनडे शतक भी था, जिससे उन्होंने प्रोटियाज़ के खिलाफ सर्वाधिक शतक लगाने का नया रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले यह रिकॉर्ड (5 शतक) सचिन तेंदुलकर और डेविड वॉर्नर के साथ संयुक्त रूप से दर्ज था।

मैच प्रदर्शन और उपलब्धियाँ

  • मैच: भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका, पहला वनडे, रांची

  • कोहली का स्कोर: 100+ (सटीक रन नहीं, लेकिन शतक की पुष्टि)

  • वनडे शतक: 52 (वनडे इतिहास में सर्वाधिक)

  • दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक: 6

  • कुल अंतरराष्ट्रीय शतक: 83 (सिर्फ सचिन तेंदुलकर – 100 से पीछे)

यह पारी गति नियंत्रण, शॉट चयन और फुटवर्क का शानदार मिश्रण थी — जहां कोहली के क्लासिक कवर ड्राइव, स्ट्राइक रोटेशन और दबाव में संयम ने एक बार फिर “विंटेज कोहली” की झलक दी।

वनडे क्रिकेट में कोहली की विरासत

2008 में पदार्पण के बाद से विराट कोहली वनडे क्रिकेट में निरंतरता के सबसे बड़े प्रतीक रहे हैं। बड़े लक्ष्य का पीछा करना हो या पारी को संभालना — कोहली ने अपनी तकनीक, फिटनेस और मानसिक दृढ़ता के बल पर ODI फॉर्मेट में एक नया मानक स्थापित किया है।

उनके 52 शतक दुनिया की हर प्रमुख टीम, विभिन्न परिस्थितियों और बड़े टूर्नामेंटों में आए हैं, जो इस उपलब्धि को और भी खास बनाते हैं।

क्रिकेट महानता की सीढ़ियाँ

1. अंतरराष्ट्रीय शतक सूची

  • विराट कोहली: 83

  • सचिन तेंदुलकर: 100 (अब भी सर्वकालिक रिकॉर्ड धारक)

कोहली अब सभी फ़ॉर्मेट मिलाकर दूसरे सबसे अधिक शतक लगाने वाले बल्लेबाज़ हैं और सचिन के ऑल-फ़ॉर्मेट रिकॉर्ड के और भी करीब पहुँच रहे हैं।

2. 28,000 अंतरराष्ट्रीय रन के करीब

कोहली 28,000 अंतरराष्ट्रीय रन पूरे करने से अब थोड़े ही दूर हैं — यह उपलब्धि अब तक केवल सचिन तेंदुलकर और कुमार संगकारा ने हासिल की है।
दक्षिण अफ्रीका सीरीज़ से पहले उन्हें इस माइलस्टोन तक पहुँचने के लिए 337 रन की जरूरत थी।

फॉर्म और फिटनेस का बयान

36 वर्ष की उम्र में भी विराट कोहली अपने खेल, फिटनेस और मानसिक दृढ़ता से सभी को चकित कर रहे हैं। शानदार चैंपियंस ट्रॉफी प्रदर्शन के बाद आया यह रिकॉर्ड साबित करता है कि कोहली अभी भी भारतीय क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद और प्रभावी खिलाड़ियों में से एक हैं।

उनकी निरंतरता, बड़े मौकों पर प्रदर्शन करने की क्षमता और खेल के प्रति अनुशासन उनके लंबे और गौरवशाली करियर की पहचान है।

मुख्य बातें 

  • टूटा रिकॉर्ड: वनडे इतिहास में सबसे अधिक शतक (52 – कोहली)

  • पिछले रिकॉर्ड धारक: सचिन तेंदुलकर (49 शतक)

  • मैच स्थान: रांची

  • प्रतिद्वंद्वी: दक्षिण अफ्रीका

  • कोहली के कुल अंतरराष्ट्रीय शतक: 83

भारत ने सबसे अधिक वोट के साथ एक बार फिर IMO परिषद का चुनाव जीता

भारत ने 28 नवंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और समुद्री उपलब्धि हासिल की, जब अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की कैटेगरी-B परिषद में उसे पुनः निर्वाचित किया गया। भारत ने 169 वैध मतों में से 154 वोट प्राप्त किए — जो इस श्रेणी में सबसे अधिक थे। यह लगातार दूसरा कार्यकाल है जब भारत कैटेगरी-B में शीर्ष मत पाने वाला देश बना है, जिससे वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में उसकी बढ़ती भूमिका स्पष्ट होती है। लंदन में आयोजित IMO की 34वीं महासभा के दौरान हुए इस चुनाव में मिली सफलता भारत की नीतिगत प्रभावशीलता को मजबूत करती है और अमृत काल मैरीटाइम विज़न 2047 के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय शिपिंग क्षेत्र में उसके नेतृत्व को और सुदृढ़ बनाती है।

IMO परिषद और कैटेगरी-B क्या है?

IMO परिषद (Council) अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन का कार्यकारी अंग है, जो IMO विधानसभा (Assembly) के सत्रों के बीच संगठन के सभी कामकाज की निगरानी और संचालन करता है। यह नीतिगत दिशा देने, बजट की देखरेख करने और वैश्विक समुद्री मामलों पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली प्रमुख निकाय है।

परिषद को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

कैटेगरी A:
वे देश जिनका अंतरराष्ट्रीय शिपिंग सेवाओं (international shipping services) में सबसे बड़ा योगदान और हित है।

कैटेगरी B:
वे देश जिनका अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार (international seaborne trade) में सबसे बड़ा हिस्सा और महत्व है।

कैटेगरी C:
वे देश जिनका समुद्री परिवहन, नौवहन या विशेष भौगोलिक हितों से संबंधित विशिष्ट योगदान है।

भारत कैटेगरी-B में कार्य करता है, जहाँ वह अन्य प्रमुख वैश्विक व्यापारिक देशों—जैसे जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, स्वीडन, नीदरलैंड और ब्राज़ील—के साथ शामिल है।

कैटेगरी-B में भारत शीर्ष पर: एक राजनयिक और समुद्री उपलब्धि

भारत ने 169 में से 154 वोट हासिल कर कैटेगरी-B में शानदार जीत दर्ज की, जो इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक समुद्री समुदाय भारत की रचनात्मक भूमिका, नेतृत्व क्षमता और अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार, सुरक्षा तथा स्थिरता के भविष्य को दिशा देने की योग्यता पर गहरा विश्वास करता है।

केंद्रीय मंत्री सरबानंद सोनोवाल ने इस परिणाम को प्रधानमंत्री मोदी की समुद्री दृष्टि का “शक्तिशाली प्रमाण” बताया। उन्होंने कहा कि यह जीत भारत के निम्न क्षेत्रों में किए गए कार्यों को वैश्विक स्तर पर मान्यता देती है—

  • समुद्री सुरक्षा और नाविकों के कल्याण

  • शिपिंग में डीकार्बोनाइजेशन और स्थिरता

  • तकनीकी नवाचार और डिजिटल शिपिंग प्रणाली

  • बंदरगाह आधारित विकास और ब्लू इकोनॉमी

अमृत काल मरीटाइम विज़न 2047 की भूमिका

IMO में भारत का पुनर्निर्वाचन अमृत काल मरीटाइम विज़न 2047 के अनुरूप है, जो स्वतंत्रता के 100 वर्षों के अवसर पर भारत को एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी समुद्री केंद्र बनाने का रोडमैप है।

प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में और मंत्रियों सोनोवाल व शंतनु ठाकुर के नेतृत्व में यह विज़न निम्न लक्ष्यों पर केंद्रित है—

  • ग्रीन शिपिंग व सतत समुद्री प्रथाओं का विस्तार

  • आधुनिक पोर्ट लॉजिस्टिक्स और शिपबिल्डिंग अवसंरचना

  • वैश्विक समुद्री कूटनीति और साझेदारियाँ

  • स्मार्ट और मजबूत सप्लाई चेन का विकास

भारत की इस निरंतर वैश्विक पहचान को इस दीर्घकालिक रणनीति की विश्वसनीयता और सफलता का प्रमाण माना जा रहा है।

समुद्री कूटनीति और वैश्विक सहभागिता

IMO असेंबली के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कई देशों और संगठनों के साथ द्विपक्षीय व बहुपक्षीय बैठकें कीं। चर्चाएँ मुख्यतः इन विषयों पर केंद्रित रहीं—

  • ग्रीन मरीटाइम सहयोग

  • शिपिंग के डिजिटलाइजेशन

  • नाविकों के प्रशिक्षण व कल्याण

  • बंदरगाह और लॉजिस्टिक्स ढाँचे के लिए साझेदारियाँ

हाल ही में भारत ने इंडिया मरीटाइम वीक 2025 की मेजबानी भी की, जिसका उद्घाटन PM मोदी ने किया और जिसमें 100 से अधिक देशों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम ने भारत की समुद्री क्षमता, तकनीकी प्रगति और सुरक्षा सहयोग को प्रदर्शित किया।

भारत और विश्व के लिए रणनीतिक महत्व

IMO परिषद में भारत का पुनर्निर्वाचन केवल एक औपचारिकता नहीं है; इससे भारत को—

  • वैश्विक समुद्री नियमों के निर्माण में निर्णायक भागीदारी

  • जलवायु परिवर्तन, ऑटोमेशन और व्यापार लॉजिस्टिक्स से जुड़े नए मानकों पर प्रभाव

  • विकासशील देशों के हितों को वैश्विक नीतियों में शामिल कराने का अवसर

  • वैश्विक सप्लाई चेन स्थिरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है।

तेजी से बदलते वैश्विक समुद्री परिदृश्य—जलवायु चुनौतियों, ऊर्जा परिवर्तन और डिजिटल क्रांति—के दौर में भारत की सक्रिय समुद्री कूटनीति भविष्य की नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

  • घटना: IMO परिषद के लिए कैटेगरी-B में पुनर्निर्वाचन

  • तारीख: 28 नवंबर 2025

  • स्थान: 34वीं IMO असेंबली, लंदन

  • प्राप्त वोट: 169 में से 154 (कैटेगरी में सर्वोच्च)

  • कैटेगरी-B के सदस्य: जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, UAE, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, स्वीडन, नीदरलैंड, ब्राज़ील

  • परिषद की भूमिका: IMO की कार्यकारी इकाई, जो वैश्विक समुद्री नीतियों का संचालन करती है

  • भारत की समुद्री रणनीति: अमृत काल मरीटाइम विज़न 2047

2080 तक भारत की आबादी 1.8-1.9 बिलियन के आसपास स्थिर हो जाएगी

भारत एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो आने वाले दशकों में देश की जनसंख्या संरचना को नया रूप देगा। देश की कुल प्रजनन दर (TFR) वर्ष 2000 में 3.5 से घटकर अब 1.9 रह गई है, जिसके चलते विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि साल 2080 तक भारत की जनसंख्या 1.8 से 1.9 अरब के बीच स्थिर हो जाएगी। यह बदलाव भारत की विकास यात्रा का एक निर्णायक पड़ाव है, जो दर्शाता है कि शिक्षा के प्रसार, आर्थिक प्रगति और प्रजनन संबंधी जागरूकता ने देश की जनसांख्यिकीय दिशा को गहराई से प्रभावित किया है।

घटती प्रजनन दर से बदलाव की रफ़्तार तेज़

भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) — यानी प्रति महिला औसत बच्चों की संख्या — वर्ष 2000 में 3.5 थी, जो आज घटकर 1.9 पर आ गई है। 2.1 की प्रतिस्थापन स्तर से नीचे पहुंच जाने का मतलब है कि आने वाले समय में देश की जनसंख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ने के बजाय धीरे-धीरे स्थिर हो जाएगी। यह प्रवृत्ति अब देश के विभिन्न क्षेत्रों और जनसंख्या समूहों में समान रूप से दिखाई देने लगी है, जो भारत में तेज़ी से बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य का संकेत देती है।

जनसंख्या स्थिरीकरण के पीछे मुख्य कारण

  1. महिला साक्षरता और शिक्षा
    जैसे-जैसे अधिक महिलाएँ शिक्षित हो रही हैं और साक्षरता बढ़ रही है, उन्हें परिवार नियोजन पर अधिक नियंत्रण मिल रहा है। इससे विवाह में देरी हो रही है और परिवार छोटे हो रहे हैं।

  2. गर्भनिरोधक और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुँच
    स्वास्थ्य ढाँचे के मज़बूत होने और आधुनिक गर्भनिरोधकों की बढ़ती उपलब्धता के कारण दंपति यह तय कर पा रहे हैं कि उन्हें कब और कितने बच्चे चाहिए।

  3. देरी से विवाह और करियर आकांक्षाएँ
    विशेषकर महिलाओं में करियर विकास को प्राथमिकता देने का चलन बढ़ा है। इससे विवाह और गर्भधारण दोनों में देरी हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप कुल जन्मों की संख्या कम हो रही है।

  4. आर्थिक विकास और बदलती जीवनशैली
    आर्थिक प्रगति के साथ जीवनशैली में बदलाव आया है। बच्चों के पालन-पोषण की आर्थिक और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों के प्रति बढ़ती जागरूकता जन्मदर में गिरावट का एक बड़ा कारण है।

जनसांख्यिकीय बदलाव के क्षेत्रीय उदाहरण

  • केरल ने 1989 में ही प्रतिस्थापन-स्तर प्रजनन प्राप्त कर लिया था और अब इसकी TFR 1.5 है।

  • पश्चिम बंगाल की TFR 1.3 पर पहुँच गई है — देश में सबसे कम दरों में से एक — जो तेज़ शहरी और ग्रामीण जनसांख्यिकीय परिवर्तन को दर्शाता है।

उभरती चुनौतियाँ

  • बढ़ती वृद्ध जनसंख्या: कम जन्मदर और बढ़ती उम्र के कारण बुज़ुर्गों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा की माँग बढ़ेगी।

  • कार्यबल का स्थायित्व: भविष्य में युवाओं की संख्या घटने से श्रमबल की कमी का जोखिम बढ़ सकता है।

  • प्रवास और नगरीकरण: रोजगार की तलाश में युवाओं के शहरों की ओर पलायन से गाँवों में वृद्ध जनसंख्या बढ़ सकती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा।

मुख्य बिंदु

  • भारत की TFR 2000 में 3.5 से घटकर 2025 में 1.9 हो गई है।

  • अनुमानित जनसंख्या चरम (2080): 1.8–1.9 अरब

  • महिला साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधाएँ और देरी से विवाह—प्रजनन दर में गिरावट के प्रमुख कारण।

  • केरल और पश्चिम बंगाल देश में सबसे कम TFR वाले राज्य हैं।

  • चुनौतियाँ: वृद्धजन देखभाल, कार्यबल की स्थिरता और पलायन असंतुलन।

भारत में जनसंख्या स्थिरीकरण विकास के नए अवसरों और एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय परिवर्तन की ओर संकेत करता है।

नागालैंड राज्य दिवस 2025: उत्तर पूर्व के खूबसूरत राज्य के गठन दिवस, इतिहास

नागालैंड, जो भारत के सांस्कृतिक रूप से विविध पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित है, ने 1 दिसंबर 1963 को राज्य का दर्जा प्राप्त किया। यह दर्जा 1952 नहीं, बल्कि 1962 के नागालैंड राज्य अधिनियम के पारित होने के बाद मिला। राज्यत्व प्राप्ति के बाद से नागालैंड ने स्वदेशी संस्कृति के संरक्षण, जैव-विविधता की सुरक्षा और क्षेत्र में शांति स्थापना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्य दिवस के अवसर पर मनाए जाने वाले समारोह नागालैंड की ऐतिहासिक यात्रा और उसके आधुनिक योगदानों को प्रदर्शित करते हैं, जो नागा समुदाय की दृढ़ता, एकता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।

नागालैंड के राज्य गठन का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारत की स्वतंत्रता (1947) के बाद नागा-बहुल क्षेत्र असम राज्य का हिस्सा बना रहा। समय के साथ नागा जनजातियों में राष्ट्रवादी भावनाएँ बढ़ीं, जिससे स्वायत्तता और कुछ समय पर अलगाव की मांगें उठीं। 1957 में असम के नागा हिल्स ज़िले और तुएंसांग फ्रंटियर डिवीज़न को मिलाकर केंद्र के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखा गया। 1960 में यह सहमति बनी कि नागालैंड को भारतीय संघ के भीतर एक पूर्ण राज्य बनाया जाएगा। अंततः 1963 में नागालैंड भारत का 16वाँ राज्य बना और 1964 में इसकी पहली निर्वाचित सरकार ने कार्यभार संभाला।

भौगोलिक प्रोफ़ाइल

स्थान: पूर्वोत्तर भारत

सीमाएँ:

  • अरुणाचल प्रदेश — उत्तर-पूर्व

  • असम — पश्चिम

  • मणिपुर — दक्षिण

  • म्यांमार — पूर्व

राजधानी: कोहिमा

जलवायु: मानसूनी (गर्मी–बारिश–सर्दी), मई से सितंबर तक 70–100 इंच वार्षिक वर्षा।

जनजातीय विविधता

नागालैंड 16 प्रमुख जनजातियों का घर है, जिनकी अपनी विशिष्ट परंपराएँ, भाषाएँ और सांस्कृतिक पहचान है।

मुख्य जनजातियाँ:

कोन्याक (सबसे बड़ी), आओ, तांगखुल, सेमा, अंगामी आदि।

संरक्षित वन क्षेत्र

राज्य की जैव-विविधता की रक्षा के लिए कई अभयारण्य और पार्क स्थापित किए गए हैं:

  • इंटांकी राष्ट्रीय उद्यान

  • सिंगफन वन्यजीव अभयारण्य

  • पुली बादज़े वन्यजीव अभयारण्य

  • फकीम वन्यजीव अभयारण्य

प्राकृतिक सुंदरता और पारिस्थितिक संपदा

हरे-भरे पर्वतों, विविध जीव-जंतुओं और शांत प्राकृतिक दृश्यों से युक्त नागालैंड मानव और प्रकृति के संतुलित सहअस्तित्व का अद्भुत उदाहरण है।

प्रमुख पारिस्थितिक आकर्षण:

  • दज़ुकू वैली – अपने मनमोहक मौसमी फूलों के लिए प्रसिद्ध

  • इंटांकी राष्ट्रीय उद्यान – जैव-विविधता का प्रमुख केंद्र

  • सामुदायिक संरक्षण – स्थानीय जनजातियों की पारंपरिक और टिकाऊ संरक्षण पद्धतियाँ

अर्थव्यवस्था
राज्य की लगभग 90% आबादी कृषि पर आधारित है।

मुख्य फ़सलें:
धान (मुख्य खाद्यान्न), मक्का, ज्वार-बाजरा, दालें, तिलहन, गन्ना, आलू, तंबाकू।

हॉर्नबिल उत्सव

अवलोकन:

  • प्रतिवर्ष 1 से 10 दिसंबर तक आयोजित

  • नागा संस्कृति के सबसे सम्मानित पक्षी हॉर्नबिल के नाम पर

  • 2000 में पर्यटन और परंपराओं को बढ़ावा देने हेतु प्रारंभ

  • फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स” के नाम से प्रसिद्ध

मुख्य आकर्षण:

जनजातीय नृत्य, लोक संगीत, पारंपरिक खेल, हस्तशिल्प, और स्थानीय व्यंजन।

मुख्य बिंदु

  • नागालैंड वर्ष 1963 में भारत का 16वाँ राज्य बना।

  • राज्य दिवस: 1 दिसंबर — इसी दिन हॉर्नबिल उत्सव की शुरुआत भी होती है।

  • राज्य पशु: मिथुन

  • राज्य पक्षी: ब्लाइथ्स ट्रैगोपैन

  • नौ भारतीय हॉर्नबिल प्रजातियों में से कई संकटग्रस्त हैं।

  • महान हॉर्नबिल मुख्यतः पश्चिमी घाट और हिमालय के कुछ भागों में पाया जाता है।

नवंबर 2025 में UPI लेनदेन में 23% की जबरदस्त वृद्धि

भारत के डिजिटल भुगतान ढांचे ने नवंबर 2025 में एक और रिकॉर्ड बनाया, जहाँ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) लेनदेन में साल-दर-साल 23% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि लेनदेन मूल्य में लगभग 14% की बढ़त देखी गई। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के अनुसार, 28 नवंबर तक UPI ने 19 अरब से अधिक लेनदेन किए, जिनकी कुल राशि ₹24.58 लाख करोड़ रही। यह UPI की बढ़ती लोकप्रियता और भारत के पसंदीदा भुगतान माध्यम के रूप में उसकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है।

ग्रोथ स्नैपशॉट: नवंबर 2025 बनाम पिछले वर्ष

नवंबर 2024 की तुलना में

  • वॉल्यूम: 15.48 अरब से बढ़कर 19 अरब से अधिक — 23% वृद्धि

  • वैल्यू: ₹21.55 लाख करोड़ से बढ़कर ₹24.58 लाख करोड़ — लगभग 14% वृद्धि

नवंबर 2023 की तुलना में

  • वॉल्यूम वृद्धि: ~70%

  • वैल्यू वृद्धि: ~41%

ये आंकड़े दर्शाते हैं कि डिजिटल भुगतान अब भारतीयों के दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं—चाहे छोटी P2P ट्रांसफर हों या बड़े व्यावसायिक भुगतान।

भारत की UPI यात्रा: लॉन्च से लेकर वैश्विक मॉडल तक

2016 में लॉन्च हुआ UPI आज दुनिया का सबसे सफल रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट सिस्टम बन चुका है। इसका उपयोग आसान है, बैंक-फिनटेक-ई-कॉमर्स सभी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है, और यह भारत की कैशलेस अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है।

विकास के प्रमुख कारण:

  • QR-आधारित व्यापारी भुगतान का तेजी से प्रसार

  • बैंकों और फिनटेक ऐप्स का व्यापक एकीकरण

  • ज़ीरो-MDR नीति से भुगतान मुफ्त

  • सरकारी प्रोत्साहन और डिजिटल शिक्षण

  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बढ़ता उपयोग

UPI का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

  • वित्तीय समावेशन: आम और कम-आय वाले लोग भी अब डिजिटल बैंकिंग का उपयोग कर रहे हैं।

  • कश्मीराहीन अर्थव्यवस्था: नकद पर निर्भरता कम हुई है।

  • व्यापार परिवर्तन: MSME, छोटे दुकानदार, ठेलेवाले सभी डिजिटल सिस्टम में जुड़े।

  • डाटा-आधारित शासन: वित्तीय प्लानिंग और फ्रॉड प्रिवेंशन में सहायक।

वैश्विक पहचान और विस्तार

सिंगापुर, फ्रांस, UAE, श्रीलंका जैसे देश भारतीय UPI मॉडल को अपना रहे हैं या उसका अध्ययन कर रहे हैं। कुछ देशों के साथ क्रॉस-बॉर्डर UPI पेमेंट भी शुरू हो चुके हैं। यह भारत की डिजिटल डिप्लोमैसी का एक अहम हिस्सा बन गया है।

मुख्य तथ्य

  • लेनदेन संख्या (नवंबर 2025): 19 अरब+

  • कुल लेनदेन राशि: ₹24.58 लाख करोड़

  • वॉल्यूम ग्रोथ (YoY 2024–25): 23%

  • वैल्यू ग्रोथ (YoY 2024–25): ~14%

मध्य प्रदेश का कौन सा जिला सफेद बाघों के शहर के रूप में जाना जाता है?

मध्य प्रदेश अपनी समृद्ध वन्यजीव संपदा, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहर के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। इन्हीं विशेषताओं के बीच राज्य का एक जिला ऐसे अनोखे सम्मान से जुड़ा है, जिसने उसे राष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान दिलाई है। यह जिला एक दुर्लभ और अद्भुत प्रजाति के सिंह से अपनी विशेष नातेदारी के कारण पूरे भारत में मशहूर है — ऐसे सिंह, जो दुनिया में कहीं और सामान्य रूप से नहीं पाए जाते। इसी अनूठे संबंध ने इस जिले को वन्य पर्यटन और जैव-विविधता संरक्षण के मानचित्र पर एक खास स्थान प्रदान किया है।

मध्य प्रदेश का एक संक्षिप्त परिचय

मध्य प्रदेश भारत के मध्य भाग में स्थित एक बड़ा राज्य है, इसी कारण इसे “भारत का हृदय” भी कहा जाता है। इसकी राजधानी भोपाल है। यह राज्य उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से घिरा हुआ है। मध्य प्रदेश अपनी प्राचीन और समृद्ध इतिहास, महत्वपूर्ण खनिज संपदा और प्रसिद्ध सांस्कृतिक स्थलों के लिए जाना जाता है। देश में सबसे बड़े हीरा और तांबे के भंडार इसी राज्य में पाए जाते हैं। साथ ही यहाँ खजुराहो मंदिरों जैसे विश्व-प्रसिद्ध धरोहर स्थल भी स्थित हैं।

मध्य प्रदेश में सफेद बाघों का शहर

मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित रीवा जिला “सफेद शेरों का शहर” या “सफेद बाघों की भूमि” के नाम से प्रसिद्ध है। यह उपाधि उसे दुनिया के पहले दर्ज किए गए सफेद बाघ की खोज के कारण मिली। यह सफेद बाघ, जिसका नाम मोहान था, वर्ष 1951 में रीवा क्षेत्र के जंगलों में पाया गया था।

मोहान – पहले सफेद बाघ की कहानी

मोहान की खोज और पकड़ रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह ने की थी। उन्होंने बाद में सफेद बाघों के संरक्षण और प्रजनन की एक विशेष योजना शुरू की। आज दुनिया भर के अधिकांश सफेद बाघ मोहान की ही वंश रेखा से जुड़े हैं। इस कारण रीवा का स्थान सफेद बाघों के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

मुकुंदपुर में व्हाइट टाइगर सफारी

इस अनोखी विरासत को संरक्षित रखने के लिए रीवा और सतना की सीमा पर स्थित एमएमएसजे व्हाइट टाइगर सफारी और जू की स्थापना की गई। यहाँ पर्यटक सफेद बाघों को नज़दीक से देख सकते हैं। यह स्थान रीवा की वन्यजीव धरोहर का प्रमुख प्रतीक और एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है।

रीवा जिले का परिचय

रीवा जिला विंध्याचल के पठारी क्षेत्र में स्थित है और यहाँ टोंस नदी तथा उसकी सहायक नदियाँ बहती हैं। यह जिला इन कारणों से जाना जाता है:

  • बघेल राजवंश की राजधानी के रूप में समृद्ध इतिहास

  • कृषि तथा सीमेंट उद्योग जैसी प्रमुख औद्योगिक गतिविधियाँ

  • महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान

  • खूबसूरत झरने और प्राकृतिक स्थल

  • दुनिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों में से एक का घर

प्रधानमंत्री मोदी ने रायपुर में 60वें डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन की अध्यक्षता की

छत्तीसगढ़ के रायपुर में भारत के उच्चतम पुलिस नेतृत्व ने एक ही मंच पर उपस्थिति दर्ज की, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2025 को 60वें अखिल भारतीय डीजीपी–आईजीपी सम्मेलन का उद्घाटन किया और उसका नेतृत्व किया। नया रायपुर स्थित आईआईएम परिसर में आयोजित इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली को “विकसित भारत, सुरक्षित भारत” की व्यापक दृष्टि के अनुरूप नए सिरे से तैयार करना था — अर्थात विकास को आधार बनाकर एक सुरक्षित और सशक्त भारत का निर्माण।

डीजीपी–आईजीपी सम्मेलन के बारे में

डीजीपी–आईजीपी सम्मेलन एक वार्षिक राष्ट्रीय-स्तरीय आंतरिक सुरक्षा बैठक है, जिसका आयोजन इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा किया जाता है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के अधीन कार्य करता है।
यह सम्मेलन भारत में आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विचार-विमर्श के लिए सर्वोच्च मंच के रूप में कार्य करता है, जिसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक (DGs) और पुलिस महानिरीक्षक (IGs) शामिल होते हैं।

इस सम्मेलन में प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों — जैसे रॉ (RAW), राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA), एनटीआरओ (NTRO), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), तथा विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) — की भी भागीदारी होती है। ये सभी मिलकर नीतिगत निर्माण, उभरते सुरक्षा खतरों, और अंतर-एजेंसी समन्वय पर महत्वपूर्ण चर्चाएँ करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन और दृष्टि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए इसे ऐसा महत्वपूर्ण मंच बताया, जहाँ विभिन्न राज्यों की पुलिस सर्वश्रेष्ठ प्रथाएँ साझा करती हैं, सुरक्षा नवाचारों पर चर्चा करती हैं और कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के बीच राष्ट्रीय एकजुटता को मजबूत करती हैं।

उन्होंने आंतरिक सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और राज्य व केंद्र की पुलिस बलों से नवाचारी पुलिसिंग तरीकों, बेहतर समन्वय, तथा नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।

सम्मेलन के प्रमुख विषय

1. आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था

विभिन्न राज्यों के पुलिस प्रमुखों ने कानून-व्यवस्था, पूर्व सिफारिशों के क्रियान्वयन, तथा संगठित अपराध, आतंकवाद और उग्रवाद से उत्पन्न खतरों पर विस्तृत प्रस्तुतियाँ दीं। सम्मेलन में अपराध जाँच क्षमता सुधारने, बेहतर डेटा-विश्लेषण अपनाने और एजेंसियों के बीच समन्वय मजबूत करने पर विशेष जोर दिया गया।

2. फॉरेंसिक और तकनीक-आधारित पुलिसिंग पर फोकस

सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा फॉरेंसिक तकनीक और अपराध जाँच में उसकी बढ़ती भूमिका पर केंद्रित रहा। इस दौरान निम्न बिंदुओं पर चर्चा हुई —

  • फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं और विशेषज्ञ कर्मियों का विस्तार

  • डिजिटल सबूत तथा एआई टूल्स का उपयोग कर अपराध समाधान

  • राज्यों के बीच निर्बाध डेटा-शेयरिंग तंत्र विकसित करना

3. महिलाओं की सुरक्षा

महिला सुरक्षा को पारंपरिक और तकनीक-आधारित दोनों तरीकों से मजबूत करने के उपायों पर चर्चा हुई। प्रस्तावित प्रमुख कदम —

  • सीसीटीवी निगरानी में वृद्धि

  • पैनिक अलर्ट ऐप्स और 24×7 आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियाँ

  • स्मार्ट मॉनिटरिंग के माध्यम से सुरक्षित शहरी स्थानों का विकास

बस्तर 2.0: छत्तीसगढ़ में पोस्ट-नक्सल रणनीति

छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने “बस्तर 2.0” नामक प्रस्तुति दी — जो मार्च 2026 तक नक्सलवाद की समाप्ति के लक्ष्य के बाद बस्तर क्षेत्र के विकास का रोडमैप है।

“बस्तर 2.0” के मुख्य बिंदु —

  • उग्रवाद-मुक्ति के बाद सुरक्षा उपलब्धियों को स्थिर रखना

  • आदिवासी क्षेत्रों में सड़क तथा बुनियादी ढाँचे का विस्तार

  • स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी सरकारी सेवाएँ पहुँचाना

  • स्थानीय शासन व जनभागीदारी को प्रोत्साहन

यह योजना संघर्ष-नियंत्रण से विकास-केंद्रित बस्तर की ओर ऐतिहासिक परिवर्तन का संकेत है।

विजन 2047: भविष्य की पुलिसिंग का रोडमैप

सम्मेलन में वर्ष 2047 तक की दीर्घकालिक पुलिसिंग दृष्टि भी प्रस्तुत की गई, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा। प्रमुख लक्ष्य —

  • आधुनिक, डिजिटाइज्ड और सेवा-उन्मुख पुलिस बल

  • प्रशिक्षण, जनविश्वास और जवाबदेही पर अधिक ध्यान

  • फॉरेंसिक, साइबर और एआई-सक्षम जाँच क्षमताओं का विस्तार

  • ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में नागरिक-अनुकूल पुलिसिंग सिस्टम का निर्माण

यह दूरदर्शी योजना भारत को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करने पर केंद्रित है।

मुख्य तथ्य 

  • सम्मेलन का नाम: 60वाँ अखिल भारतीय डीजीपी–आईजीपी सम्मेलन

  • तारीख: 29 नवंबर 2025

  • स्थान: आईआईएम परिसर, नया रायपुर, छत्तीसगढ़

  • थीम: विकसित भारत, सुरक्षित भारत

  • आयोजक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

  • मुख्य एजेंडा: आंतरिक सुरक्षा, फॉरेंसिक तकनीक, कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा

पीएम मोदी के 128वें “मन की बात” (30 नवंबर 2025) के मुख्य अंश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 नवंबर 2025 को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 128वें संस्करण को संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान नवंबर माह में देश में हुए कई महत्वपूर्ण विकास और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये सभी उपलब्धियां राष्ट्र और इसके नागरिकों की हैं और ‘मन की बात’ एक ऐसा मंच है जो सार्वजनिक प्रयासों और सामूहिक योगदान को सामने लाता है।

प्रधानमंत्री ने कृषि से लेकर एयरोस्पेस, प्राकृतिक खेती से लेकर विंटर टूरिज़्म और सांस्कृतिक धरोहर से लेकर जमीनी नवाचार तक अनेक विषयों पर अपने विचार साझा किए। इस संबोधन में उन्होंने देश की हालिया उपलब्धियों का उल्लेख किया, विभिन्न क्षेत्रों में उभरती प्रेरणादायक सफलताओं को रेखांकित किया, और नागरिकों से स्थानीय उद्यम, सतत विकास तथा आत्मनिर्भर व्यवहार अपनाने का आह्वान किया। प्रस्तुत विवरण इस प्रसारण में दिए गए प्रमुख संदेशों और घोषणाओं का समेकित सार है।

प्रमुख घोषणाएँ और राष्ट्रव्यापी उपलब्धियाँ

ऐतिहासिक खाद्यान्न उत्पादन: 357 मिलियन टन

भारत ने 2025 में एक महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल किया — कुल 357 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन, जो पिछले एक दशक में 100 मिलियन टन की वृद्धि को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इसे देश की कृषि क्षमता और खाद्य-सुरक्षा मॉडल की मजबूती का प्रमाण बताया।

भारत के एयरोस्पेस और स्पेस इकोसिस्टम को बढ़ावा

प्रधानमंत्री ने हैदराबाद में स्कायरूट एयरोस्पेस के अत्याधुनिक “इन्फिनिटी कैंपस” का उद्घाटन किया। यह केंद्र नियमित रूप से ऑर्बिटल-क्लास रॉकेट के डिजाइन, निर्माण और परीक्षण के लिए समर्पित है। यह पहल भारत में निजी क्षेत्र-निर्देशित अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती देती है और भारतीय युवाओं तथा नवाचार क्षमता पर विश्वास को दर्शाती है।

रक्षा क्षेत्र में आईएनएस माहे को भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने का उल्लेख किया गया, जो भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा क्षमताओं को और सशक्त बनाता है।

प्राकृतिक खेती, वानिकी और मधुमक्खी-पालन का विस्तार — ग्रामीण एवं पर्यावरण-अनुकूल कृषि को बढ़ावा

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि दक्षिण भारत में विशेष रूप से युवाओं और शिक्षित किसानों के बीच प्राकृतिक खेती की ओर रुझान तेज़ी से बढ़ रहा है। यह न केवल पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धति है, बल्कि ग्रामीण आजीविका को भी स्थिरता प्रदान करती है।

साथ ही, ‘हनी मिशन’ की अभूतपूर्व प्रगति पर प्रकाश डाला गया —

  • शहद उत्पादन पिछले 11 वर्षों में 76,000 टन से बढ़कर 1.5 लाख टन से अधिक हो गया है।

  • शहद निर्यात में तीन गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।

  • अब तक 2.25 लाख से अधिक बी-बॉक्स वितरित किए गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में हज़ारों लोगों को रोजगार और आय का स्रोत मिला है।

नगालैंड की जनजातियों द्वारा चट्टानों पर चढ़कर पारंपरिक तरीकों से की जाने वाली क्लिफ-हनी हार्वेस्टिंग जैसी प्राचीन विधियों का भी उल्लेख किया गया, जो भारत की जैव-विविधता और सतत आजीविका परंपराओं को दर्शाती हैं।

संस्कृति, विरासत और समावेशन — महाभारत से लेकर तमिल-काशी संगमम् तक

प्रधानमंत्री ने कुरुक्षेत्र स्थित 3D महाभारत एक्सपीरियंस सेंटर जैसे सांस्कृतिक स्थलों के दौरे साझा किए और भारतीय परंपरा तथा कथा-संस्कृति की वैश्विक लोकप्रियता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने घोषणा की कि तमिल-काशी संगमम् का चौथा संस्करण 2 दिसंबर से नमो घाट, काशी में आयोजित होगा। इस वर्ष की थीम है — “Learn Tamil – Tamil Karakalam”
इस आयोजन का उद्देश्य सांस्कृतिक एकता और आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है, जो “एक भारत – श्रेष्ठ भारत” की भावना को जीवंत बनाता है।

“वोकल फ़ॉर लोकल” और स्वदेशी शिल्पों का पुनर्जीवन

भारत की समृद्ध शिल्प-परंपरा की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने “वोकल फ़ॉर लोकल” के मंत्र को दोहराया। उन्होंने बताया कि हाल के G20 सम्मेलन में विश्व नेताओं को दिए गए उपहार—चोल कालीन कांस्य मूर्तियाँ से लेकर राजस्थान की धातु-कला तक—ने भारतीय कारीगरों की प्रतिभा को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि विशेषकर आने वाले त्योहारी मौसम में भारतीय-निर्मित उत्पादों को प्राथमिकता दें, जिससे ग्रामीण कारीगरों को सहयोग मिलेगा और देश की घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

उभरते खेल, पर्यटन और युवाशक्ति: विंटर टूरिज़्म, एंड्यूरेंस स्पोर्ट्स और एडवेंचर

प्रधानमंत्री के संबोधन में उत्तराखंड में विंटर टूरिज़्म की बढ़ती लोकप्रियता को विशेष रूप से रेखांकित किया गया—औली, मुनस्यारी, चोपता और दयारा जैसे स्थल तेजी से प्रमुख गंतव्य बन रहे हैं। हाल ही में आदि कैलाश में आयोजित उच्च-ऊंचाई अल्ट्रा-रन मैराथन में 750 एथलीटों की भागीदारी हुई, और आगामी विंटर गेम्स से पहले हिम-खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। “स्नो स्पोर्ट्स + डेस्टिनेशन वेडिंग + एडवेंचर टूरिज़्म” का प्रेरणादायक मॉडल नए पर्यटन अवसरों और आजीविका के साधन तैयार करने की क्षमता रखता है।

प्रधानमंत्री ने देश में तेजी से विकसित होती धीरज-आधारित और रोमांचक खेल संस्कृति का भी उल्लेख किया—मैराथन, ट्रायथलॉन (तैराकी, साइक्लिंग, दौड़) और “Fit India Sundays” जैसे साइक्लिंग कार्यक्रम युवाओं में फिटनेस, सक्रिय भागीदारी और एक मजबूत खेल-संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।

आधारभूत संदेश और आगे की दिशा

युवा शक्ति, नवाचार और जोखिम-लेने की क्षमता पर विश्वास:
चाहे अंतरिक्ष क्षेत्र में स्कायरूट जैसी उपलब्धियाँ हों, प्राकृतिक खेती का विस्तार हो या एडवेंचर स्पोर्ट्स की बढ़ती लोकप्रियता—प्रधानमंत्री का संदेश था कि युवा भारत साहसिक कदम उठा रहा है और भविष्य का नेतृत्व कर रहा है।

सततता, आत्मनिर्भरता और स्थानीय सशक्तिकरण:
कृषि-वृद्धि, हनी मिशन, प्राकृतिक खेती और शिल्प पुनर्जीवन जैसे विषयों के माध्यम से आत्मनिर्भरता, पर्यावरणीय संतुलन और ग्रामीण-आधारित आर्थिक विकास का विज़न पुनः रेखांकित किया गया।

सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सद्भाव:
काशी-तमिल संगम, ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ और प्रवासी भारतीयों से जुड़ी सांस्कृतिक पहलों के माध्यम से विविधता में एकता, सांस्कृतिक समन्वय और वैश्विक स्तर पर भारतीय विरासत के विस्तार पर बल दिया गया।

उपलब्धियों का उत्सव और समावेशी राष्ट्रीय गौरव:
रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन, विश्व-स्तरीय अंतरिक्ष व एयरोस्पेस अवसंरचना, बढ़ता निर्यात, और जमीनी स्तर पर आजीविका बढ़ाने वाली पहलों जैसे उदाहरणों से यह संदेश दिया गया कि यह सफलताएँ पूरे राष्ट्र की साझा उपलब्धियाँ हैं।

सरकार ने लागू किए नए साइबर सुरक्षा नियम, अब फोन से SIM कार्ड निकालते ही बंद हो जाएगा WhatsApp

भारत में डिजिटल सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से दूरसंचार विभाग (DoT) ने 29 नवंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण नियम लागू किया है। इसके अनुसार व्हाट्सएप, टेलीग्राम, अरट्टाई जैसे सभी मैसेजिंग ऐप्स को अब हमेशा उपयोगकर्ता के डिवाइस में सक्रिय सिम कार्ड से लगातार लिंक रहना होगा। यह आदेश Telecommunication Cybersecurity Amendment Rules, 2025 के तहत जारी किया गया है, जिसका मकसद ऐप-आधारित पहचान प्रणाली में मौजूद खामियों को दूर करना है।

क्या है नया SIM-Linking नियम?

नए दिशानिर्देशों के अनुसार सभी मैसेजिंग ऐप्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि—

  • ऐप केवल उसी समय काम करे जब वह एक सक्रिय सिम कार्ड से लिंक हो, जो उपयोगकर्ता के मोबाइल में लगा हो।

  • वेब संस्करण हर 6 घंटे में उपयोगकर्ताओं को ऑटो-लॉगआउट करे।

  • पुनः लॉगिन केवल QR कोड स्कैनिंग के माध्यम से होगा, जो सक्रिय सिम से जुड़ा होगा।

  • सभी प्लेटफॉर्म्स को 90 दिनों में इन नियमों का अनुपालन करना होगा और 120 दिनों में विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी।

यह नियम क्यों लाया गया?

DoT ने पाया कि—

“कुछ मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म SIM निकाले जाने पर भी सेवाएं जारी रखते हैं, जिससे भारतीय मोबाइल नंबरों का दुरुपयोग विदेशी स्थानों से किया जा रहा है।”

इस खामी का फायदा उठाकर साइबर अपराधी—

  • अकाउंट हाईजैक करते थे

  • पहचान की नकल (spoofing) करते थे

  • बिना वैध प्रमाणीकरण के भारतीय नंबर चला रहे थे

  • कई प्रकार की धोखाधड़ी और स्कैम कर रहे थे

ऐसे अपराध राष्ट्रीय सुरक्षा और दूरसंचार ढांचे के लिए गंभीर चुनौती बन रहे थे।

कानूनी आधार

यह अनिवार्यता निम्न कानूनों और नियमों के तहत लागू की गई है—

  • टेलीकम्युनिकेशन एक्ट, 2023

     

  • टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स, 2024 (अमेंडेड)

     

  • टेलीकम्युनिकेशन साइबर सिक्योरिटी अमेंडमेंट रूल्स, 2025

नियमों का उल्लंघन करने पर प्लेटफॉर्म्स पर कानूनी कार्रवाई, दंड, या सेवा निलंबन लग सकता है।

प्रभाव: प्लेटफॉर्म्स और उपयोगकर्ताओं पर

मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए

  • ऐप की आर्किटेक्चर में रियल-टाइम SIM ऑथेंटिकेशन शामिल करना होगा।

  • वेब/डेस्कटॉप लॉगिन के लिए सुरक्षित QR-आधारित सिस्टम बनाना होगा।

  • सुरक्षा ऑडिट, लॉग्स और अनुपालन डेटा बनाए रखना होगा।

उपयोगकर्ताओं के लिए

  • अब बिना मूल सक्रिय सिम के ऐप उपयोग नहीं कर पाएंगे।

  • वेब संस्करण हर 6 घंटे में ऑटो-लॉगआउट होगा।

  • इससे मल्टी-डिवाइस सुविधा सीमित हो सकती है, लेकिन सुरक्षा बढ़ेगी।

बड़ी तस्वीर: साइबर-सेक्योर भारत की दिशा में कदम

यह कदम भारत की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत सरकार—

  • नकली नंबरों,

  • पहचान चोरी,

  • अकाउंट क्लोनिंग,

  • और डिजिटल धोखाधड़ी

को समाप्त करना चाहती है।

SIM-Binding के साथ, भारत वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप डिजिटल पहचान और सुरक्षित संचार की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

मुख्य तथ्य (Key Takeaways)

  • जारीकर्ता: दूरसंचार विभाग (DoT)

  • तारीख: 29 नवंबर 2025

  • किस पर लागू: सभी ऐप-आधारित संचार सेवाएँ (WhatsApp, Telegram, Arattai)

  • मुख्य नियम:

    • निरंतर SIM-Binding

    • वेब लॉगआउट हर 6 घंटे में

    • QR आधारित रीलॉगिन

    • 90 दिन में कार्यान्वयन

    • 120 दिन में रिपोर्ट

  • कानूनी आधार: Telecom Act 2023, Cybersecurity Rules 2024–25

  • दंड: गैर-अनुपालन पर कानूनी कार्रवाई

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