साहिल किन्नी बने RBI इनोवेशन हब के नए सीईओ

भारतीय फिनटेक क्षेत्र के चर्चित नाम साहिल किन्नी को रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) का नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति एक व्यापक चयन प्रक्रिया के बाद हुई जिसमें 400 से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। RBIH, भारतीय रिज़र्व बैंक की उस पहल का हिस्सा है जिसका उद्देश्य देश में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) में नवाचार को बढ़ावा देना है।

RBIH में नेतृत्व परिवर्तन

साहिल किन्नी ने राजेश बंसल का स्थान लिया है, जो पिछले चार वर्षों तक RBIH के संस्थापक सीईओ रहे। बंसल के कार्यकाल में Frictionless Credit प्लेटफॉर्म और महिलाओं की वित्तीय समावेशिता को बढ़ावा देने वाला Swanari कार्यक्रम जैसे अहम प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे। अब साहिल किन्नी के नेतृत्व में, हब नए विचारों को आजमाने, साझेदारियों को बढ़ाने और डिजिटल वित्तीय उपकरणों को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करेगा।

साहिल किन्नी के बारे में

साहिल किन्नी आईआईटी मद्रास से स्नातक हैं और उन्होंने McKinsey, Aspada Investments और Titan जैसी प्रमुख कंपनियों में काम किया है। वर्ष 2018 में उन्होंने Setu नामक फिनटेक कंपनी की सह-स्थापना की थी, जिसे 2022 में Pine Labs ने अधिग्रहित कर लिया था। इसके अलावा, वह iSPIRIT Foundation से भी जुड़े रहे हैं, जहां उन्होंने Aadhaar, UPI और IndiaStack जैसे महत्वपूर्ण डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान दिया।

क्या है रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब?

रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) की स्थापना 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई के रूप में बेंगलुरु में की गई थी। इसका उद्देश्य वित्तीय सेवाओं में नवाचार को प्रोत्साहित करना और सरकार, बैंकों, स्टार्टअप्स और तकनीकी कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। हब विशेष रूप से समावेशी ऋण, धोखाधड़ी रोकथाम, और डिजिटल वित्तीय अवसंरचना को मजबूत करने पर कार्य करता है। साहिल किन्नी से उम्मीद है कि वे इन प्रयासों को और आगे बढ़ाएंगे और नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।

सुकन्या सोनोवाल बनीं कॉमनवेल्थ यूथ पीस एंबेसडर

आईआईटी गुवाहाटी की छात्रा सुकन्या सोनवाल को जुलाई 2025 की शुरुआत में कॉमनवेल्थ यूथ पीस एंबेसडर के रूप में चुना गया है। वह अब 2027 तक कॉमनवेल्थ यूथ पीस एंबेसडर्स नेटवर्क (CYPAN) में लीड – कम्युनिकेशन एंड पब्लिक रिलेशंस की भूमिका निभाएंगी। उनका कार्य 56 राष्ट्रों के युवाओं के बीच शांति और समझ को बढ़ावा देना होगा।

सुकन्या की भूमिका और CYPAN नेटवर्क

कॉमनवेल्थ यूथ पीस एंबेसडर्स नेटवर्क एक युवाओं द्वारा संचालित संगठन है, जो 56 राष्ट्रमंडल देशों में कार्य करता है। इसका उद्देश्य है हिंसा को रोकना, परस्पर सम्मान को बढ़ावा देना और शांति निर्माण करना। सुकन्या को नेटवर्क के 2025–2027 कार्यकाल के लिए कम्युनिकेशन और पब्लिक रिलेशंस की नेतृत्वकारी भूमिका दी गई है। वह वैश्विक स्तर पर युवाओं को जोड़ने, जानकारी साझा करने और जागरूकता फैलाने का काम करेंगी।

सुकन्या सोनवाल कौन हैं?

सुकन्या सोनवाल असम के लखीमपुर जिले की रहने वाली हैं और आईआईटी गुवाहाटी में बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग में बीटेक की चौथे वर्ष की छात्रा हैं। वह STEMvibe की सह-संस्थापक भी हैं, जो भारत के छात्रों में विज्ञान और तकनीक के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य करता है। इस परियोजना से अब तक 3,000 से अधिक छात्र जुड़ चुके हैं।

वह The Integral Cup नामक राष्ट्रीय गणित प्रतियोगिता की संयोजक भी हैं, जिसमें पहले संस्करण में 2,500 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। उन्होंने Optiver, Qube Research & Technologies और Jane Street जैसे वैश्विक संगठनों के साथ भी कार्य किया है।

चयन प्रक्रिया और प्रतिक्रियाएं

सुकन्या का चयन तीन चरणों की चयन प्रक्रिया के बाद हुआ, जिसमें एक लिखित आवेदन और दो इंटरव्यू राउंड शामिल थे। चयनकर्ताओं ने शांति निर्माण, नेतृत्व और सामाजिक सेवा में उनके अनुभव को देखा।

आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रो. देवेंद्र जलीहाल ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि संस्थान को उन पर गर्व है और उन्हें विश्वास है कि सुकन्या वैश्विक स्तर पर अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा बनेंगी।

सुकन्या ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भारत का प्रतिनिधित्व करना उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा, “संचार बदलाव का एक शक्तिशाली माध्यम है और छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी भाग लेना चाहिए।”

65 वर्षों बाद बंद होने की कगार पर माउना लोआ जलवायु स्टेशन

हवाई के माउना लोआ ज्वालामुखी की चोटी पर स्थित एक छोटा वेधशाला केंद्र पिछले 65 वर्षों से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की मात्रा माप रहा है। इस स्टेशन ने जलवायु परिवर्तन के सबसे ठोस और दीर्घकालिक प्रमाण दिए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि मानव गतिविधियां पृथ्वी को गर्म कर रही हैं। लेकिन अब अमेरिकी सरकार इसे फंड देना बंद करने की योजना बना रही है, जिससे यह ऐतिहासिक स्टेशन बंद हो सकता है।

CO₂ क्यों है इतना अहम?

CO₂ एक ग्रीनहाउस गैस है जो पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी को बनाए रखती है। यह प्रक्रिया ग्रीनहाउस प्रभाव कहलाती है, जो पृथ्वी को जीवन योग्य तापमान देने में मदद करती है। लेकिन CO₂ का अत्यधिक स्तर ज़रूरत से ज्यादा गर्मी रोकता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है। CO₂ मुख्य रूप से कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाने से आता है—जैसे कि कार, फैक्ट्रियां और बिजली संयंत्र।

माउना लोआ की ऐतिहासिक भूमिका

1950 के दशक में वैज्ञानिक चार्ल्स कीलिंग ने माउना लोआ को CO₂ मापने के लिए चुना, क्योंकि यह शहरों और प्रदूषण से दूर था और यहां की हवा बेहद साफ थी।
1958 में, इस स्टेशन ने रोज़ाना वायुमंडलीय CO₂ मापना शुरू किया। इस डेटा से बना ग्राफ अब प्रसिद्ध है – “कीलिंग कर्व” – जो साल दर साल CO₂ की बढ़ोतरी को दिखाता है।

क्या सीख मिली?

  • सर्दियों में CO₂ बढ़ता है और गर्मियों में घटता है क्योंकि पेड़-पौधे गर्मियों में CO₂ अवशोषित करते हैं।

  • लेकिन कुछ वर्षों बाद यह साफ हो गया कि:

    हर साल औसत CO₂ लगातार बढ़ रहा है, मौसम से परे।

  • इसका मतलब था कि मानव गतिविधियां, खासकर जीवाश्म ईंधनों का जलना, इसका मुख्य कारण हैं।

यह स्टेशन क्यों है इतना अहम?

  • यह दुनिया के सबसे लंबे और भरोसेमंद जलवायु रिकॉर्ड में से एक है।

  • यह दर्शाता है कि CO₂ कितनी तेजी से बढ़ रहा है।

  • इससे सरकारों और वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद मिलती है कि उनकी जलवायु नीतियां कितनी प्रभावी हैं

अगर यह बंद हो गया तो क्या होगा?

  • सटीक और लंबे समय का डेटा रुक जाएगा।

  • यह तय करना मुश्किल होगा कि ग्लोबल वार्मिंग कम हो रही है या बढ़ रही है

  • यह वैसा ही होगा जैसे बिना स्पीडोमीटर के गाड़ी चलाना।

कुछ अन्य देश, जैसे ऑस्ट्रेलिया का केप ग्रिम स्टेशन (1976 से सक्रिय), अभी भी डेटा दे रहे हैं। लेकिन माउना लोआ की कमी को पूरी तरह भर पाना कठिन होगा।

CO₂ का स्तर क्यों चिंता की बात है?

  • 1960 के दशक में CO₂ का स्तर 320 ppm (पार्ट्स पर मिलियन) था।

  • आज यह 420 ppm से ऊपर पहुंच चुका है—जो मिलियन वर्षों में सबसे अधिक है।

इस तीव्र वृद्धि से हो रही हैं:

  • अधिक गर्म हवाएं और ताप लहरें

  • शक्तिशाली तूफान

  • समुद्र स्तर में बढ़ोतरी

  • अधिक जंगलों में आग और सूखे

चेहरा स्कैन कर राशन वितरण करने वाला पहला राज्य बना Himachal Pradesh

हिमाचल प्रदेश ने जुलाई 2025 से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन देने के लिए आधार आधारित फेस ऑथेंटिकेशन (FaceAuth) की शुरुआत कर दी है। यह तकनीक पहचान सत्यापन को आसान, तेज़ और अधिक विश्वसनीय बनाती है और OTP और फिंगरप्रिंट जैसे पुराने तरीकों में आने वाली समस्याओं को दूर करती है।

राशन वितरण के लिए नई तकनीक

इस नई व्यवस्था में राशन कार्डधारकों की पहचान उनके चेहरे की स्कैनिंग के माध्यम से की जाती है, जो उनके आधार नंबर से जुड़ी होती है। फेस ऑथेंटिकेशन एक मोबाइल ऐप के ज़रिए होता है, जो फेयर प्राइस शॉप (FPS) डीलर के स्मार्टफोन में इंस्टॉल किया गया है। जब लाभार्थी राशन लेने आता है, तो ऐप से उसका चेहरा स्कैन किया जाता है और आधार डेटा से मिलान कर उसे राशन दिया जाता है।

बदलाव क्यों जरूरी था?

OTP आधारित प्रणाली दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या के कारण असफल हो जाती थी। फिंगरप्रिंट स्कैन भी कई बार UIDAI सर्वर की त्रुटियों या अंगुलियों के घिस जाने के कारण विफल हो जाता था। इन समस्याओं को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के डिजिटल तकनीक और शासन विभाग (DDTG) ने FaceAuth प्रणाली विकसित की और लागू की।

आधिकारिक बयान और आगे की योजना

मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार गोपाल बुटेल ने इस पहल को डिजिटल प्रशासन में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि फेस ऑथेंटिकेशन से पहचान की सफलता दर बढ़ेगी और राशन मिलने में लगने वाला समय घटेगा

राज्य सरकार का मानना है कि यह नई व्यवस्था लाभार्थियों को बिना देरी और दिक्कत के राशन तक पहुंच सुनिश्चित करेगी और समावेशी वितरण प्रणाली को बढ़ावा देगी।

आने वाले महीनों में यह तकनीक राज्य की सभी उचित मूल्य दुकानों (FPS) पर लागू की जाएगी। यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन और लाभार्थी-केंद्रित शासन की दिशा में हिमाचल प्रदेश का एक प्रशंसनीय और अग्रणी कदम माना जा रहा है।

जेनिफर गेरलिंग्स-साइमन्स बनीं सुरिनाम की पहली महिला राष्ट्रपति

सुरिनाम की संसद ने 6 जुलाई 2025 को जेनिफर गेरलिंग्स-साइमन्स को देश की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में चुना। यह ऐतिहासिक निर्णय ऐसे समय पर आया है जब दक्षिण अमेरिकी देश सुरिनाम आर्थिक संकट से जूझ रहा है। उनकी नियुक्ति को सुरिनाम के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है और लोगों को उम्मीद है कि वे देश की वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद करेंगी।

महिला नेतृत्व की ऐतिहासिक जीत

71 वर्षीय डॉक्टर और सांसद जेनिफर गेरलिंग्स-साइमन्स को सुरिनाम की नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति चुना। यह असेंबली दो-तिहाई बहुमत से राष्ट्रपति का चुनाव करती है। वे बिना विरोध के चुनी गईं, क्योंकि मई 2025 के आम चुनाव में स्पष्ट बहुमत न मिलने के बाद उनकी पार्टी ने सफलतापूर्वक गठबंधन बनाकर सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त किया था। वे 16 जुलाई 2025 को आधिकारिक रूप से पदभार ग्रहण करेंगी।
अपनी जीत के बाद उन्होंने कहा: “मैं जानती हूं कि यह जिम्मेदारी बहुत भारी है, और यह बोझ इसलिए भी बड़ा है क्योंकि मैं इस पद पर सेवा देने वाली पहली महिला हूं।”

आर्थिक संकट से जूझता देश

सुरिनाम की अर्थव्यवस्था फिलहाल गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है। पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिकापरसाद सन्तोखी को देश की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सहायता लेनी पड़ी थी।

हालांकि, सब्सिडी में कटौती और कर्ज पुनर्गठन जैसे कठोर कदमों से कुछ आर्थिक सुधार हुआ, लेकिन इससे जनता को भारी कष्ट हुआ और विरोध प्रदर्शन भी हुए।

अब नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति ग्रेगरी रूसलैंड के साथ मिलकर जेनिफर ने आर्थिक स्थिरता लाने का वादा किया है।
उनकी योजना में स्वर्ण खनन क्षेत्र में बेहतर कर वसूली के जरिए सरकारी आय बढ़ाना शामिल है।

तेल खोज से जुड़ी उम्मीदें

सुरिनाम को हाल ही में समुद्र के नीचे तेल के बड़े भंडार मिलने की वजह से भविष्य में आर्थिक सुधार की उम्मीद है।
पहला तेल उत्पादन 2028 में शुरू होने की संभावना है, जिससे देश को भारी राजस्व मिल सकता है।

लेकिन अर्थशास्त्री विंस्टन रामौतर्सिंह ने चेतावनी दी है कि तब तक देश को हर साल लगभग $400 मिलियन डॉलर कर्ज और ब्याज के रूप में चुकाने होंगे, जो फिलहाल देश के पास नहीं है।
पिछली सरकार द्वारा कर्ज अदायगी में ली गई मोहलत केवल अस्थायी थी।

भारत ने रचा इतिहास, एजबेस्टन में पहली बार टेस्ट मैच में जीत दर्ज की

भारत ने 6 जुलाई 2025 को एजबेस्टन मैदान पर इंग्लैंड को हराकर टेस्ट क्रिकेट में पहली ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह जीत न सिर्फ भारत के इस मैदान पर अब तक के खराब रिकॉर्ड को तोड़ने वाली रही, बल्कि 336 रनों के रिकॉर्ड अंतर से मिली—जो कि किसी भी विदेशी टेस्ट में भारत की सबसे बड़ी जीत है। यह मैच खास बन गया आकाश दीप की शानदार गेंदबाज़ी के चलते, जिन्होंने इंग्लैंड में भारतीय गेंदबाज़ द्वारा अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

सात हारों के बाद पहली जीत

इस टेस्ट मैच से पहले, भारत ने एजबेस्टन में कुल 8 टेस्ट खेले थे, जिनमें से 7 हारे थे और 1 ड्रॉ रहा था। लेकिन 6 जुलाई 2025 को भारत ने यह सिलसिला तोड़ दिया। यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि यह पहली बार है जब भारत ने इंग्लैंड में कोई टेस्ट सीरीज़ हारने के बाद बराबरी की है। पहले जब भारत पहला मैच हारता था, तो अगला या तो हारता था या ड्रॉ कर देता था—लेकिन इस बार भारत ने वापसी करते हुए श्रृंखला बराबर की।

आकाश दीप का जादुई प्रदर्शन – 10 विकेट

आकाश दीप ने इस मैच में 187 रन देकर 10 विकेट लिए—जो कि इंग्लैंड में किसी भी भारतीय गेंदबाज़ का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। वे इंग्लैंड में टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने वाले केवल दूसरे भारतीय गेंदबाज़ बने। पहले ऐसा कारनामा चेतन शर्मा ने 1986 में एजबेस्टन में ही किया था।
मोहम्मद सिराज के साथ मिलकर आकाश ने भारतीय पेस अटैक को और मज़बूत किया, और दोनों ने मिलकर 17 विकेट झटके—जो कि नए गेंदबाज़ों द्वारा भारत के लिए टेस्ट में संयुक्त सर्वाधिक है।

टेस्ट में बने ये बड़े रिकॉर्ड

  • 336 रनों से भारत की जीत: विदेशी धरती पर भारत की अब तक की सबसे बड़ी जीत। पिछला रिकॉर्ड 2019 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 318 रनों से था।

  • इंग्लैंड के जैमी स्मिथ ने बनाए 272 रन—टेस्ट में किसी भी विकेटकीपर द्वारा तीसरा सर्वाधिक स्कोर।

  • भारत और इंग्लैंड के बीच इस टेस्ट में कुल 1692 रन बने, जो दोनों टीमों के बीच किसी भी टेस्ट मैच में अब तक का सर्वाधिक योग है (पहले रिकॉर्ड हेडिंग्ले में बना था)।

  • पहले दो टेस्ट में कुल 3365 रन बने, जो किसी भी द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज़ के प्रारंभिक दो मैचों में सबसे ज्यादा रन हैं।

2000 रुपये के कुल 6,099 करोड़ रुपये के नोट अब भी चलन में: RBI

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने जानकारी दी है कि ₹2000 मूल्य के नोटों में से अब भी ₹6,099 करोड़ प्रचलन में हैं। यह अपडेट उस घोषणा के दो साल बाद आया है, जब 19 मई 2023 को RBI ने इन उच्च मूल्यवर्ग के नोटों को प्रचलन से धीरे-धीरे वापस लेने का फैसला किया था। हालांकि, अधिकांश नोट वापस जमा हो चुके हैं, लेकिन एक छोटी मात्रा अब भी जनता के पास है।

RBI ने क्या कहा?

RBI द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार:

  • 19 मई 2023 को ₹2000 के कुल ₹3.56 लाख करोड़ मूल्य के नोट प्रचलन में थे।

  • अब तक इनमें से 98.29% नोट वापस लिए जा चुके हैं।

  • यानी, ₹6,099 करोड़ मूल्य के ₹2000 के नोट अभी भी जनता के पास प्रचलन में हैं।

RBI ने यह भी स्पष्ट किया कि ₹2000 के नोट अब भी कानूनी मुद्रा (legal tender) हैं— यानी उन्हें लेन-देन में इस्तेमाल किया जा सकता है।
हालाँकि, नए ₹2000 नोट अब नहीं छापे जा रहे और न ही बैंकों को जारी किए जा रहे हैं।

वापसी प्रक्रिया और विनिमय सुविधा

  • ₹2000 के नोट 7 अक्टूबर 2023 तक सभी बैंकों में जमा या विनिमय के लिए स्वीकार किए जा रहे थे।

  • इसके बाद, केवल RBI के 19 इश्यू कार्यालय ही इन्हें स्वीकार कर रहे हैं।

  • 9 अक्टूबर 2023 से RBI ने लोगों और कंपनियों को ये नोट अपने बैंक खातों में जमा करने के लिए सीधे स्वीकार करना शुरू किया।

  • साथ ही, इंडिया पोस्ट के ज़रिए भी कोई व्यक्ति ₹2000 के नोट पोस्ट ऑफिस से भेज कर RBI कार्यालय में अपने खाते में राशि जमा करवा सकता है।

₹2000 नोट वापसी का पृष्ठभूमि

  • ₹2000 का नोट नवंबर 2016 में पेश किया गया था, जब सरकार ने ₹500 और ₹1000 के पुराने नोटों का विमुद्रीकरण (Demonetisation) किया था।

  • लेकिन 19 मई 2023 को RBI ने इसे धीरे-धीरे प्रचलन से हटाने का निर्णय लिया।

  • इसका उद्देश्य था:

    • डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना

    • मुद्रा प्रबंधन को आसान बनाना

यह कदम विमुद्रीकरण नहीं था— क्योंकि ₹2000 के नोटों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया, बल्कि लोगों को बिना घबराहट के उन्हें जमा करने का समय दिया गया

यह जानकारी दर्शाती है कि देश में अधिकांश ₹2000 के नोट सिस्टम में लौट चुके हैं, और अब इनकी उपयोगिता सीमित रह गई है, हालांकि वे अब भी वैध और मान्य मुद्रा बने हुए हैं।

भारत 2024 में बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बायोफ्यूल उपभोक्ता, चीन को पीछे छोड़ा

वर्ल्ड एनर्जी स्टैटिस्टिकल रिव्यू 2025 के अनुसार, भारत 2024 में बायोफ्यूल (जैव ईंधन) का चौथा सबसे बड़ा उपभोक्ता बन गया है, और उसने चीन को पीछे छोड़ दिया है। भारत की बायोफ्यूल खपत में एक साल में 40% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में तेज़ प्रगति को दर्शाता है। यह लगातार दूसरा साल है जब भारत ने इस मामले में चीन को पीछे छोड़ा है, हालांकि उत्पादन के मामले में भारत अभी भी पीछे है।

भारत में तेजी से बढ़ रही है बायोफ्यूल खपत

2024 में भारत ने प्रतिदिन 77 हजार बैरल तेल समतुल्य (kbbloe/d) बायोफ्यूल का उपयोग किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में बहुत अधिक था। वहीं चीन की खपत 60 kbbloe/d रही, जिसमें 18% की वृद्धि हुई।
एनर्जी इंस्टीट्यूट (EI) द्वारा KPMG और Kearney के सहयोग से तैयार की गई रिपोर्ट बताती है कि 2014 से 2024 के बीच भारत की बायोफ्यूल खपत हर साल औसतन 31.8% बढ़ी है।

बायोफ्यूल में एथेनॉल, बायोडीजल और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल्स शामिल हैं, जो प्राकृतिक स्रोतों (जैसे कृषि अपशिष्ट) से बनाए जाते हैं और प्रदूषण व कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहायक होते हैं।

उत्पादन में भारत अभी भी पीछे

हालांकि भारत की खपत चीन से ज़्यादा है, लेकिन बायोफ्यूल उत्पादन के मामले में चीन आगे है:

  • 2024 में भारत ने 70 kbbloe/d बायोफ्यूल का उत्पादन किया

  • जबकि चीन ने 106 kbbloe/d उत्पादन किया
    भारत का उत्पादन 2024 में 27% बढ़ा, और पिछले 10 वर्षों में औसतन 30.4% सालाना वृद्धि हुई है।
    चीन की उत्पादन दर धीमी रही, लेकिन 2024 में 31% की तेज़ वृद्धि देखी गई।

वैश्विक रुझान और बायोफ्यूल की भूमिका

2024 में वैश्विक स्तर पर बायोफ्यूल की मांग 2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गई, जो एक नया रिकॉर्ड है।

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि (47 kbbloe/d)

  • इसके बाद उत्तर अमेरिका (42 kbbloe/d)

  • अमेरिका सबसे बड़ा उपभोक्ता रहा (856 kbbloe/d), फिर ब्राज़ील, इंडोनेशिया, भारत और चीन का स्थान रहा।

हालांकि स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ा है, फिर भी 2024 में वैश्विक CO₂ उत्सर्जन में 1% की वृद्धि हुई—यह लगातार चौथे वर्ष एक नया रिकॉर्ड बना।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि जहां एक ओर स्वच्छ ऊर्जा तेज़ी से बढ़ रही है, वहीं कोयले और जीवाश्म ईंधन का उपयोग भी रिकॉर्ड स्तर पर बना हुआ है, विशेषकर चीन, जो अकेले ही पूरी दुनिया से ज़्यादा कोयला इस्तेमाल करता है।

विशेषज्ञों की राय

रिपोर्ट में कहा गया:

चीन वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य को आकार देने में अहम भूमिका निभा रहा है। वह कोयले के साथ-साथ सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे नवीकरणीय स्रोतों में भी अग्रणी है। यह दुनिया के मिश्रित ऊर्जा भविष्य को दर्शाता है।”

बायोफ्यूल को आने वाले समय में परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण घटाने के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान माना जा रहा है।

विश्‍व बैंक ने भारत को विश्‍व के सर्वाधिक समानता वाले देशों में शामिल किया

वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी जुलाई 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2025 के लिए चौथा सबसे समान (समानता वाला) देश घोषित किया गया है। गिनी इंडेक्स (Gini Index) के आधार पर भारत ने 25.5 स्कोर के साथ यह स्थान हासिल किया है, जो कि कई विकसित देशों से भी बेहतर है। यह एक बहुत बड़ा कदम है, खासकर भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश के लिए, और यह दिखाता है कि सरकारी नीतियों और गरीबी उन्मूलन प्रयासों से ज़मीन पर बदलाव हो रहा है।

गिनी इंडेक्स और भारत की रैंकिंग को समझें

गिनी इंडेक्स किसी देश में आय (Income) के वितरण की समानता को मापता है।

  • 0 स्कोर का मतलब है पूरी तरह समानता

  • 100 स्कोर का मतलब है पूरी तरह असमानता

भारत का 25.5 स्कोर उसे दुनिया के सबसे समान देशों में शामिल करता है।
शीर्ष 3 देश:

  1. स्लोवाक गणराज्य (24.1)

  2. स्लोवेनिया (24.3)

  3. बेलारूस (24.4)

  4. भारत (25.5)

भारत की रैंकिंग अब चीन (35.7), अमेरिका (41.8) और सभी G7 और G20 देशों से बेहतर है।
2011 में भारत का स्कोर 28.8 था, यानी एक दशक में भारत ने निरंतर प्रगति की है।

तेजी से घटी गरीबी

भारत में समानता बढ़ने का मुख्य कारण है तेजी से घटती गरीबी दर
वर्ल्ड बैंक की “स्प्रिंग 2025 पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ” के अनुसार:

  • 2011–12 में अत्यधिक गरीबी दर थी: 16.2%

  • 2022–23 में यह घटकर रह गई: 2.3%
    यानी 12 वर्षों में 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए।

नई वैश्विक गरीबी रेखा ($3/दिन) पर भी, भारत की गरीबी दर सिर्फ 5.3% है।

सरकारी योजनाएं जिन्होंने बड़ा असर डाला

भारत की आय समानता और गरीबी में गिरावट का श्रेय कई योजनाओं को जाता है:

  1. प्रधानमंत्री जन धन योजना (PM Jan Dhan Yojana)
    – अब तक 55.69 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते खुले।

  2. आधार और DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर)
    142 करोड़ आधार कार्ड जारी।
    – DBT से सरकार ने ₹3.48 लाख करोड़ की बचत की।

  3. आयुष्मान भारत योजना
    41.34 करोड़ कार्ड जारी।
    – प्रत्येक परिवार को ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज
    70 वर्ष से ऊपर के नागरिकों को विशेष लाभ।

  4. स्टैंड-अप इंडिया योजना
    SC/ST और महिला उद्यमियों को ऋण।
    – अब तक ₹62,807 करोड़ वितरित।

  5. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
    29.95 लाख कारीगरों को औजार, प्रशिक्षण और ऋण सहायता।

  6. PMGKAY (निःशुल्क अनाज योजना)
    80.67 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिला, खासकर COVID-19 जैसे संकट के समय।

निष्कर्ष

ये सभी योजनाएं वित्तीय समावेशन, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और रोजगार सृजन को बढ़ावा देती हैं।
भारत की इस उपलब्धि से यह स्पष्ट होता है कि समर्पित नीति, डिजिटल साधन और जन-कल्याण की योजनाएं मिलकर वास्तविक सामाजिक बदलाव ला सकती हैं।

Athletics Championships 2029 और 2031 की मेजबानी के लिए बोली लगाएगा भारत

भारत ने 2029 और 2031 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की मेज़बानी के लिए बोली लगाने की योजना की घोषणा की है। यह जानकारी एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) के शीर्ष अधिकारी और वर्ल्ड एथलेटिक्स के उपाध्यक्ष अदिल सुमरीवाला ने 6 जुलाई 2025 को बेंगलुरु में दी। यह कदम भारत के 2036 ओलंपिक की मेज़बानी के दीर्घकालिक लक्ष्य का हिस्सा है। खेल की वैश्विक संचालन संस्था विश्व एथलेटिक्स सितंबर 2026 में 2029 और 2031 दोनों सत्र के मेजबान की घोषणा करेगी।

भारत की वैश्विक एथलेटिक्स मेज़बानी की रणनीति

भारत अब 2029 या 2031 में से किसी एक विश्व चैंपियनशिप के लिए रणनीतिक बोली (Strategic Bid) लगाने की तैयारी कर रहा है, यानी भारत दोनों में से कोई भी वर्ष मेज़बानी के लिए स्वीकार करने को तैयार है।

  • रुचि जताने की अंतिम तिथि: 1 अक्टूबर 2025

  • विस्तृत आवेदन की अंतिम तिथि: 1 अप्रैल 2026

  • अंतिम बोली दस्तावेज़ जमा करने की तिथि: 5 अगस्त 2026

  • मेज़बान की घोषणा: सितंबर 2026

क्यों 2031 भारत के लिए बेहतर अवसर हो सकता है?

भारत पहले केवल 2029 संस्करण के लिए बोली लगाने वाला था, लेकिन अब 2031 को भी शामिल कर रहा है क्योंकि:

  • 2025 की मेज़बानी टोक्यो (जापान) को

  • 2027 की मेज़बानी बीजिंग (चीन) को दी गई है

  • ऐसे में यदि 2029 भी एशिया को मिले, तो तीन बार लगातार एशिया में चैंपियनशिप आयोजित करना कठिन हो सकता है

इसलिए भारत को लगता है कि 2031 की मेज़बानी मिलने की संभावना अधिक वास्तविक है।

जूनियर और रिले प्रतियोगिताओं में भी रुचि

भारत ने 2028 जूनियर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप की मेज़बानी में भी रुचि दिखाई है। इसके मेज़बान की घोषणा दिसंबर 2025 में की जाएगी। भारत ने यह रुचि 2024 के अंत में वर्ल्ड एथलेटिक्स के अध्यक्ष सेबास्टियन को की भारत यात्रा के दौरान जताई थी।

इसके अलावा भारत वर्ल्ड एथलेटिक्स रिले की भी मेज़बानी करना चाहता है — 2026 में बोत्सवाना और 2028 में बहामास के बाद। यह दर्शाता है कि भारत अब नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स आयोजनों की मेज़बानी करना चाहता है।

Recent Posts

about | - Part 204_12.1