सोनाली मिश्रा बनीं रेलवे सुरक्षा बल की पहली महिला महानिदेशक

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सोनाली मिश्रा को रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की नई महानिदेशक (DG) नियुक्त किया गया है। वह इस पद को संभालने वाली पहली महिला अधिकारी होंगी। केंद्र सरकार की नियुक्ति समिति ने 13 जुलाई 2025 को उनके नाम को मंजूरी दी। वह मौजूदा DG मनोज यादव का स्थान लेंगी, जो 31 जुलाई 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सोनाली मिश्रा का कार्यकाल 31 अक्टूबर 2026 तक रहेगा।

ऐतिहासिक नियुक्ति

मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने सोनाली मिश्रा को 13 जुलाई 2025 को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की नई महानिदेशक (डीजी) नियुक्त करने को मंजूरी दी। वह 31 जुलाई 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे मनोज यादव का स्थान लेंगी। यह पहली बार है जब आरपीएफ के गठन के बाद किसी महिला को इसके प्रमुख पद पर नियुक्त किया गया है। इस ऐतिहासिक नियुक्ति की पुष्टि कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आदेश के माध्यम से की गई।

सोनाली मिश्रा: प्रोफाइल

1993 बैच की आईपीएस अधिकारी सोनाली मिश्रा मध्य प्रदेश कैडर से हैं और फिलहाल राज्य पुलिस में ADG (चयन) के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने कई प्रमुख पदों पर सेवाएं दी हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • भारत-पाक सीमा (पंजाब) पर BSF की पहली महिला कमांडर (2021)

  • कश्मीर में BSF की इकाइयों की प्रमुख के रूप में इंस्पेक्टर जनरल

  • BSF की खुफिया शाखा का नेतृत्व, फिर ADG पद पर पदोन्नति
    उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक और मेधावी सेवा पदक से सम्मानित किया गया है।

रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के बारे में

RPF की स्थापना 1957 में संसद के एक अधिनियम के तहत की गई थी। वर्ष 1966 में इसे गिरफ्तारी और अभियोजन की शक्तियाँ दी गईं, और 1985 में इसे केंद्र की सशस्त्र बल घोषित किया गया। RPF का मुख्य कार्य पूरे देश में रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

ऐतिहासिक महत्व

सोनाली मिश्रा की नियुक्ति लैंगिक समानता और नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी के दृष्टिकोण से ऐतिहासिक मानी जा रही है। यह नियुक्ति न केवल महिला अधिकारियों के लिए प्रेरणा बनेगी, बल्कि RPF के कामकाज में भी एक नई दृष्टि और संवेदनशीलता जोड़ने की उम्मीद है।

गुजरात क्रूज़ भारत मिशन का समर्थन करने वाला पहला राज्य बना

गुजरात भारत का पहला राज्य बन गया है जिसने क्रूज़ भारत मिशन से आधिकारिक रूप से जुड़कर समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यह घोषणा अहमदाबाद में की गई और इससे गुजरात को अपने लंबे समुद्री तट का उपयोग करते हुए नए क्रूज़ सर्किट विकसित करने का अवसर मिलेगा। यह पहल भारत को 2029 तक विश्व के प्रमुख क्रूज़ पर्यटन स्थलों में शामिल करने के लक्ष्य का हिस्सा है।

क्रूज़ भारत मिशन से गुजरात की साझेदारी

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा 30 सितंबर 2024 को शुरू किए गए क्रूज़ भारत मिशन के तहत भारत में समुद्री क्रूज़ यातायात को दस गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। अब गुजरात की भागीदारी इस मिशन को गति देगी, जिससे राज्य समुद्री पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी बनेगा।

गुजरात के पास 2,340 किमी लंबा भारत का सबसे बड़ा समुद्री तट है, लेकिन अब तक यहां समर्पित क्रूज़ टर्मिनल नहीं थे। इस मिशन से जुड़ने के बाद गुजरात मुंबई, कोचीन, चेन्नई और मुरमुगाओ जैसे बंदरगाहों की तरह क्रूज़ इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करेगा।

नए क्रूज़ सर्किट और प्रमुख पर्यटन स्थल

गुजरात अब अपने पश्चिमी समुद्र तट पर कई क्रूज़ सर्किट विकसित करेगा, जो इन लोकप्रिय स्थलों को जोड़ेंगे:

  • दीव, वेरावल, पोरबंदर, द्वारका, जामनगर, ओखा, और पडाला द्वीप

  • घोघा–हजीरा रो-पैक्स मार्ग को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

पर्यटन को व्यवस्थित रूप से विकसित करने के लिए इन मार्गों को तीन क्लस्टरों में बांटा गया है:

  1. पडाला द्वीप – कच्छ का रण

  2. पोरबंदर – वेरावल – दीव

  3. द्वारका – ओखा – जामनगर

हर क्लस्टर को 100 किलोमीटर की सीमा के भीतर रखा गया है, जिससे धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों तक पर्यटकों की आसान और सुखद पहुंच सुनिश्चित होगी।

अन्य तटीय राज्यों के लिए आदर्श उदाहरण

इस राष्ट्रीय परियोजना से जुड़कर गुजरात न केवल बेहतर पर्यटन अवसंरचना बना रहा है, बल्कि निवेश को आकर्षित करने, स्थानीय रोजगार बढ़ाने और सांस्कृतिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने का भी प्रयास कर रहा है।

क्रूज़ भारत मिशन से भारत के विशाल समुद्री तट को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रूज़ यात्रा के लिए खोलने की दिशा में एक नई आर्थिक संभावनाएं उभरेंगी, जिससे न केवल पर्यटन बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा लाभ होगा।

राष्ट्रपति मुर्मू ने हरियाणा, गोवा और लद्दाख के लिए नए राज्यपालों की नियुक्ति की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने14 जुलाई 2025 को हरियाणा और गोवा के लिए नए राज्यपालों तथा लद्दाख के लिए नए उपराज्यपाल की नियुक्ति की घोषणा की। यह बदलाव दो राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर एक बड़ा फेरबदल है।

नई नियुक्तियाँ

  • प्रो. असीम कुमार घोष को हरियाणा का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वे उच्च शिक्षा और प्रशासनिक नेतृत्व में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं।

  • पुसापति अशोक गजपति राजू, वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री, को गोवा का नया राज्यपाल बनाया गया है।

  • कविंदर गुप्ता, जम्मू के वरिष्ठ भाजपा नेता, को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है।

इन नियुक्तियों के साथ ही राष्ट्रपति ने ब्रिगेडियर (डॉ.) बी.डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, जो अब तक लद्दाख के उपराज्यपाल थे।

नए प्रमुखों की पृष्ठभूमि

  • प्रो. असीम कुमार घोष का शैक्षणिक और लोक सेवा में लंबा अनुभव है। उनके नेतृत्व में हरियाणा में शैक्षणिक और प्रशासनिक पहलों को मजबूती मिलने की उम्मीद है।

  • अशोक गजपति राजू ने आंध्र प्रदेश और केंद्र स्तर पर कई अहम पदों पर कार्य किया है, जिनमें नागरिक उड्डयन मंत्री रहना शामिल है। उनके अनुभव से गोवा में प्रशासन को नई दिशा मिल सकती है।

  • कविंदर गुप्ता पहले जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। लद्दाख में उनकी नियुक्ति उस समय हुई है जब क्षेत्र में विकास और सुरक्षा से जुड़ी कई परियोजनाएं चल रही हैं।

संवैधानिक महत्व

ये नियुक्तियाँ उस समय की गई हैं जब केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बेहतर प्रशासन और विकास कार्यों में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। राज्यपाल और उपराज्यपाल, संविधान के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए प्रतिनिधि होते हैं और केंद्र सरकार के नीतिगत दृष्टिकोण को धरातल पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

फ्रांस और न्यू कैलेडोनिया के बीच ऐतिहासिक समझौता

फ्रांस और उसके प्रशांत क्षेत्र न्यू कैलेडोनिया के बीच एक नए समझौते की घोषणा की गई है, जिसके तहत न्यू कैलेडोनिया को अधिक अधिकार दिए जाएंगे, लेकिन वह अब भी फ्रांस का हिस्सा बना रहेगा। यह समझौता 2024 में हुई हिंसक झड़पों के बाद आया है और इसे स्वतंत्रता के समर्थकों और विरोधियों के बीच तनाव को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

फ्रांस के भीतर एक नया ‘राज्य’

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा साझा किए गए इस समझौते में न्यू कैलेडोनिया को फ्रांसीसी गणराज्य के भीतर एक “राज्य” का दर्जा देने की बात है। इसे फ्रांसीसी संविधान में शामिल किया जाएगा और अन्य देश इस राज्य को औपचारिक रूप से मान्यता दे सकेंगे। यह एक संतुलित समाधान है, जिसमें पूर्ण स्वतंत्रता नहीं दी गई, लेकिन बढ़ी हुई स्वायत्तता सुनिश्चित की गई है।

हालांकि, इस समझौते को लागू करने से पहले फ्रांसीसी संसद और न्यू कैलेडोनिया की जनता को जनमत संग्रह के माध्यम से इसे स्वीकृति देनी होगी। मैक्रों ने इसे “भरोसे पर किया गया दांव” बताते हुए उम्मीद जताई कि अब दोनों पक्ष शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ सकते हैं।

पृष्ठभूमि: विरोध और हिंसा

2024 में प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन के खिलाफ न्यू कैलेडोनिया में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे। प्रस्ताव में फ्रांस से हाल में आए नागरिकों को मतदान का अधिकार देने की बात थी, जिससे आदिवासी कानक समुदाय को लगा कि इससे उनकी स्वतंत्रता की संभावनाएं कम हो जाएंगी। हिंसा में 7 लोगों की मौत हुई, कई घायल हुए और भारी आर्थिक नुकसान हुआ।

न्यू कैलेडोनिया रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां निकेल के बड़े भंडार हैं और यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में फ्रांस के लिए अहम भूमिका निभाता है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में।

समझौते के मुख्य बिंदु

  • न्यू कैलेडोनिया के लिए एक नई राष्ट्रीयता बनाई जाएगी, जो फ्रांसीसी राष्ट्रीयता के साथ मौजूद रहेगी।

  • वहां के नागरिकों को दोहरी राष्ट्रीयता (न्यू कैलेडोनियन और फ्रेंच) प्राप्त होगी।

  • 10 वर्षों से अधिक समय से वहां रह रहे फ्रांसीसी नागरिकों को न्यू कैलेडोनियन राष्ट्रीयता मिलेगी।

यह प्रावधान 2024 के विरोधों की जड़ में रही वोटिंग अधिकारों की चिंता को दूर करने की कोशिश है और कानक लोगों की पहचान और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करता है, जो जनसंख्या का लगभग 40% हैं।

भूतपूर्व जनमत संग्रह और आगे की राह

2018 से 2021 के बीच न्यू कैलेडोनिया में तीन बार स्वतंत्रता पर जनमत संग्रह हुआ, लेकिन हर बार बहुमत ने फ्रांस के साथ बने रहने के पक्ष में वोट दिया। हालांकि 2021 के अंतिम जनमत संग्रह में कोविड-19 के दौरान कानक नेताओं के बहिष्कार के चलते मतदान प्रतिशत बहुत कम रहा और परिणाम को कानक समुदाय ने मान्यता नहीं दी।

अब यह नया समझौता एक ताज़ा जनमत संग्रह का रास्ता खोलता है, जो शायद इस क्षेत्र के भविष्य और फ्रांस के साथ संबंधों के सवाल को हमेशा के लिए तय कर सकेगा।

दिल्ली अभी भी देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर

हाल ही में ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केन्द्र ( CREA) की ओर से साल 2025 के पहली छमाही में देशभर की एयर क्वालिटी के विश्लेषण को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण के मामले में दिल्ली अभी भी देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। इस लिस्ट में असम-मेघालय बॉर्डर पर स्थित बर्नीहाट सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में पहले नंबर पर है।

सीआरईए ने यह रिपोर्ट जारी की, जो साल 2025 की पहली छमाही के दौरान देशभर में हवा की गुणवत्ता के विश्लेषण के आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक, निगरानी वाले कुल 293 में से 239 शहरों में 80 प्रतिशत से ज्यादा दिनों तक पीएम 2.5 का डेटा उपलब्ध रहा। इन 239 में से 122 शहरों ने भारत के वार्षिक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर लिया। जबकि 117 शहर इस सीमा से नीचे रहे।

भारत के सबसे प्रदूषित और सबसे स्वच्छ शहरों की रिपोर्ट जारी

एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बर्नीहाट (मेघालय) भारत का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 133 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) दर्ज किया गया, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षित सीमा 40 µg/m³ से कहीं अधिक है। इसके बाद दिल्ली का स्थान रहा, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 87 µg/m³ रहा।

अन्य अत्यधिक प्रदूषित शहरों में हाजीपुर (बिहार), गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश), और गुड़गांव (हरियाणा) शामिल हैं। इसके साथ ही सासाराम, पटना और राजगीर (बिहार), तथा तालचेर और राउरकेला (ओडिशा) को भी देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में स्थान मिला है।

पीएम 2.5 क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

पीएम 2.5 वे सूक्ष्म कण होते हैं जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। ये कण फेफड़ों के गहराई तक जा सकते हैं और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे दमा, हृदय रोग, और सांस की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। भारत की राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) के अनुसार, पीएम 2.5 का सुरक्षित स्तर 40 µg/m³ है, लेकिन कई शहर इस सीमा से काफी ऊपर हैं।

डेटा स्रोत और निगरानी विवरण

यह अध्ययन क्लाइमेट एनर्जी रिसर्च एनालिटिक्स (CREA) द्वारा CAAQMS डेटा के आधार पर किया गया, जो 293 शहरों की वायु गुणवत्ता की निगरानी करता है। इनमें से:

  • 122 शहरों ने भारत के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पार कर लिया है।

  • 117 शहर अब भी सुरक्षित सीमा के भीतर हैं।

  • 259 शहरों ने साल के केवल जून महीने तक ही वार्षिक पीएम 2.5 की सीमा पार कर ली, जिससे यह संकेत मिलता है कि ये वर्ष भर असुरक्षित रह सकते हैं।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत 131 शहरों की निगरानी की जा रही है, जिनमें से 98 में CAAQMS स्थापित किए जा चुके हैं।

भारत के सबसे स्वच्छ शहर

रिपोर्ट के अनुसार, मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल देश का सबसे स्वच्छ शहर रहा, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर मात्र 8 µg/m³ रहा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 5 µg/m³ की सीमा से थोड़ा अधिक है।

अन्य स्वच्छ शहरों में शामिल हैं:

  • तिरुपुर और तिरुनेलवेली (तमिलनाडु)

  • बरेली और वृंदावन (उत्तर प्रदेश)

  • मैहर (मध्य प्रदेश)

  • इंफाल (मणिपुर)

  • चामराजनगर और चिकमंगलूरु (कर्नाटक)

यह रिपोर्ट भारत में वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति को दर्शाती है, साथ ही बेहतर प्रदर्शन करने वाले शहरों की पहचान कर सकारात्मक उदाहरण भी पेश करती है।

2025 में MI बनी चैंपियन, फाइनल में मैक्सवेल की वाशिंगटन को केवल 5 रन से हराया

एमआई न्यूयॉर्क ने 14 जुलाई को ग्रैंड प्रेयरी स्टेडियम, डलास में खेले गए फाइनल मुकाबले में वॉशिंगटन फ्रीडम को 5 रन से हराकर मेजर लीग क्रिकेट (MLC) 2025 का खिताब अपने नाम किया। टूर्नामेंट की शुरुआत में बेहद खराब प्रदर्शन करने के बावजूद एमआई न्यूयॉर्क की यह वापसी फ्रैंचाइज़ी क्रिकेट इतिहास की सबसे यादगार कहानियों में गिनी जा रही है।

एक रोमांचक फाइनल मुकाबला

181 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए वॉशिंगटन फ्रीडम मात्र 5 रन से चूक गई। अंतिम ओवर में उन्हें 12 रन चाहिए थे, लेकिन 22 वर्षीय रुशिल उगर्कर ने ग्लेन फिलिप्स और ग्लेन मैक्सवेल जैसे खतरनाक बल्लेबाज़ों के सामने धैर्य बनाए रखा। माइकल ब्रेसवेल ने आखिरी ओवर में एक अहम कैच पकड़कर जीत की मुहर लगा दी।

फ्रीडम की शुरुआत खराब रही, जब पहले ही ओवर में ट्रेंट बोल्ट ने दो विकेट झटके। रचिन रवींद्र (70) और जैक एडवर्ड्स (33) के बीच 84 रन की साझेदारी ने उन्हें वापसी दिलाई, लेकिन नियमित अंतराल पर विकेट गिरते रहे और टीम लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकी।

डी कॉक की शानदार बल्लेबाज़ी

इससे पहले एमआई न्यूयॉर्क की ओर से क्विंटन डी कॉक ने 46 गेंदों पर 77 रनों की तेज़ पारी खेली, जिसमें 6 चौके और 4 छक्के शामिल थे। उन्होंने मोनांक पटेल (28) के साथ 72 रन की ओपनिंग साझेदारी की। बीच के ओवरों में कुछ तेज़ विकेट गिरने के बाद डी कॉक और निकोलस पूरन (22) ने 56 रन जोड़कर पारी को संभाला। अंत में कुंवरजीत सिंह (22 रन नाबाद, 13 गेंद)* की ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी से टीम ने 180/7 का स्कोर खड़ा किया।

वॉशिंगटन के लिए लॉकी फर्ग्यूसन सबसे प्रभावशाली गेंदबाज़ रहे, जिन्होंने 24 रन देकर 3 विकेट चटकाए—उनमें डी कॉक और कीरोन पोलार्ड जैसे बड़े नाम शामिल थे।

वापसी की मिसाल बना एमआई न्यूयॉर्क

एमआई न्यूयॉर्क ने सीज़न की शुरुआत बेहद निराशाजनक रूप से की थी—पहले 7 में से 6 मैच हार गए थे। लेकिन निकोलस पूरन की कप्तानी में टीम ने ज़बरदस्त वापसी की, अहम मुकाबले जीते और फाइनल तक पहुंची। इस खिताबी जीत ने साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और टीमवर्क के दम पर कोई भी शुरुआत सफल अंत में बदल सकती है।

Chelsea ने जीता फीफा क्लब वर्ल्ड कप का खिताब

अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित मेटलाइफ स्टेडियम में खेले गए फाइनल में चेल्सी एफसी ने पेरिस सेंट-जर्मेन (PSG) को 3-0 से हराकर फीफा क्लब वर्ल्ड कप 2025 का खिताब अपने नाम कर लिया। इस ऐतिहासिक जीत में 22 वर्षीय युवा मिडफील्डर कोल पामर ने दो गोल दागे और तीसरे गोल में असिस्ट कर शानदार प्रदर्शन किया। यह चेल्सी का दूसरा क्लब वर्ल्ड कप खिताब है।

कोल पामर की चमकदार परफॉर्मेंस
पहले हाफ में ही कोल पामर ने मैच पर कब्जा जमा लिया। उन्होंने 22वें मिनट में पहला गोल किया, जब PSG के डिफेंडर नूनो मेंडेस की गलती का फायदा उठाकर मालो गुस्टो ने गेंद पामर को पास की। इसके बाद 30वें मिनट की कूलिंग ब्रेक के बाद, लेवी कोलविल के लंबे पास पर पामर ने दूसरा गोल किया।

तीसरे गोल में भी पामर ने अहम भूमिका निभाई—उन्होंने जोआओ पेड्रो को सटीक पास दिया, जिसने PSG के गोलकीपर जियानलुईगी डोनारूमा को चिप शॉट से छकाते हुए स्कोर 3-0 कर दिया।

चेल्सी की रणनीति और PSG की हताशा
चेल्सी के मैनेजर एंज़ो मारेस्का ने मैच को “शतरंज का खेल” बताया था, लेकिन मैदान पर चेल्सी ने बेहद तेज़ और प्रभावशाली खेल दिखाकर PSG को पूरी तरह चौंका दिया। PSG ने टूर्नामेंट में पहले रियल मैड्रिड और बायर्न म्यूनिख जैसी बड़ी टीमों को हराया था, लेकिन फाइनल में उनकी रणनीति चेल्सी की तीव्रता के सामने टिक नहीं पाई।

मैच के 83वें मिनट में PSG के जाओ नेवेस को मार्क कुकुरेला के बाल खींचने पर रेड कार्ड दिखाया गया, जो टीम की निराशा को दर्शाता है। मैच के अंतिम क्षणों में माहौल गर्म रहा, लेकिन चेल्सी के खिलाड़ी फौरन जीत का जश्न मनाने में लग गए।

इनामी राशि और पुरस्कार
फीफा क्लब वर्ल्ड कप 2025 की कुल पुरस्कार राशि $1 अरब थी।

  • चेल्सी को कुल लगभग $118 मिलियन की राशि मिली, जिसमें प्रत्येक नॉकआउट राउंड का बोनस और $40 मिलियन का चैंपियन बोनस शामिल है।

  • PSG को उपविजेता के रूप में $105 मिलियन मिले।

व्यक्तिगत पुरस्कार विजेता

  • कोल पामरadidas गोल्डन बॉल (सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी)

  • रॉबर्ट सांचेज़गोल्डन ग्लव (सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर)

  • मोइसेस कैइसिडोब्रॉन्ज बॉल (उत्कृष्ट मिडफील्डर)

  • डेज़ायर डूए (PSG)FIFA बेस्ट यंग प्लेयर

  • गोंजालो गार्सिया (रियल मैड्रिड)टॉप गोल स्कोरर

चेल्सी की यह जीत उनके क्लब इतिहास में एक और गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ती है और कोल पामर को वैश्विक फुटबॉल का नया सितारा साबित करती है।

अभिजीत शेठ राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के नए अध्यक्ष बने

केंद्र सरकार ने डॉ. अभिजीत शेठ को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति उस समय हुई है जब आयोग पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते जांच चल रही है। डॉ. अभिजीत शेठ इससे पहले नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स इन मेडिकल साइंसेज़ (NBEMS) के अध्यक्ष थे, जो NEET-PG जैसी प्रमुख मेडिकल परीक्षाएं आयोजित करता है।

परिवर्तन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग भारत में चिकित्सा शिक्षा की निगरानी करने वाली सर्वोच्च संस्था है। यह सुनिश्चित करता है कि डॉक्टरों की ट्रेनिंग और मेडिकल कॉलेजों का संचालन निष्पक्ष और गुणवत्ता-पूर्ण हो। अक्टूबर 2024 में तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. बी. एन. गंगाधर ने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन नियुक्तियों की कमी के कारण उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया और वे पद पर बने रहे। कई महीनों तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी, जबकि मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति को कई बार सूची भेजी गई।

अंततः जुलाई 2025 में सरकार ने डॉ. अभिजीत शेठ को एनएमसी प्रमुख नियुक्त किया। फिलहाल वे कुछ महीनों तक NBEMS के अध्यक्ष बने रहेंगे, क्योंकि अगस्त 2025 में NEET-PG परीक्षा आयोजित की जानी है। परीक्षा के बाद वे पूरी तरह NMC की जिम्मेदारी संभालेंगे।

भ्रष्टाचार के मामले ने बढ़ाई चिंता

हाल ही में सीबीआई ने एनएमसी में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। इसमें मेडिकल कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट लीक करने, फर्जी स्टाफ और मरीजों के उपयोग, और निजी कॉलेजों को लाभ पहुंचाने के लिए रिश्वत लेने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इस एफआईआर में डॉ. गंगाधर का नाम नहीं है, लेकिन इसमें 34 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें शामिल हैं:

  • पूर्व यूजीसी अध्यक्ष डॉ. डी. पी. सिंह

  • स्वास्थ्य मंत्रालय और एनएमसी के अधिकारी

  • निरीक्षण टीम के सदस्य

  • कई निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधि

इस मामले ने देश में मेडिकल कॉलेजों की मान्यता और निरीक्षण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

नई जिम्मेदारी, नई उम्मीदें

अब डॉ.अभिजीत शेठ पर दोहरी जिम्मेदारी है—NEET-PG परीक्षा का सफल संचालन और भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रहे NMC को पारदर्शी और प्रभावी संस्था बनाना। चिकित्सा शिक्षा में सुधार और निरीक्षण प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने की दिशा में यह नियुक्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार सदस्यों को नामित किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत मंत्रिपरिषद की सलाह पर चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा (संसद के उच्च सदन) में नामित किया है। यह कदम क़ानून, शिक्षा, कूटनीति और सामाजिक सेवा जैसे विविध क्षेत्रों से विशेषज्ञता को संसद में प्रतिनिधित्व देने की दिशा में उठाया गया है।

कौन हैं नए राज्यसभा सदस्य?

नामित किए गए चार सदस्य हैं:

  • उज्ज्वल निकम – एक प्रसिद्ध वकील, जो कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते हैं।

  • सी. सदानंदन मास्टर – एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने युवाओं के सशक्तिकरण और समाजसेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया है।

  • हर्षवर्धन श्रृंगला – वरिष्ठ राजनयिक और भारत के पूर्व विदेश सचिव, जिन्होंने भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • डॉ. मीनाक्षी जैन – एक सम्मानित इतिहासकार और शिक्षाविद, जो शिक्षा, राजनीति शास्त्र और साहित्य के क्षेत्र में विशेष ज्ञान रखती हैं।

इन नियुक्तियों से सेवानिवृत्त नामित सदस्यों की जगह को भरा गया है और राज्यसभा में नए दृष्टिकोण और अनुभव लाने की उम्मीद है।

संविधान क्या कहता है?

ये नामांकन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) के अंतर्गत किए गए हैं, जो राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वे कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले अधिकतम 12 व्यक्तियों को राज्यसभा में नामित कर सकें।

इन नामांकनों का उद्देश्य संसद में विशेषज्ञता और विविध विचारों को शामिल करना है, जिससे बहसें अधिक सारगर्भित हों और विधायी प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली बने।

भारत ने सऊदी फर्म मादेन के साथ 5 साल का डीएपी उर्वरक समझौता किया

भारत और सऊदी अरब ने उर्वरकों की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण दीर्घकालिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये समझौते केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा की 11 से 13 जुलाई 2025 तक दम्माम और रियाद में हुई तीन दिवसीय यात्रा के दौरान हुए। इस पहल का उद्देश्य भारत की उर्वरक आवश्यकताओं को सुरक्षित करना और स्वास्थ्य व औषधि क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत बनाना है।

उर्वरक व्यापार को नई दिशा

रसायन और उर्वरक मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब गया। वहां सऊदी अरब के उद्योग और खनिज संसाधन मंत्री बंदर बिन इब्राहीम अल खुरायफ के साथ मिलकर उन्होंने माडेन (Ma’aden) कंपनी और भारतीय कंपनियों – आईपीएल, कृभको और सीआईएल – के बीच दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों का निरीक्षण किया।

इस नए समझौते के तहत भारत को 2025–26 से शुरू होकर प्रति वर्ष 31 लाख मीट्रिक टन डायअमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक मिलेगा, जो पाँच वर्षों तक लागू रहेगा। आपसी सहमति से इसे पाँच वर्षों के लिए और बढ़ाया जा सकता है। यह 2024–25 में आयात किए गए 19 लाख मीट्रिक टन की तुलना में बड़ी वृद्धि है।

उर्वरक सुरक्षा और निवेश को बढ़ावा

दोनों देशों ने DAP के अलावा यूरिया और अन्य प्रमुख उर्वरकों के क्षेत्र में सहयोग को विस्तार देने पर सहमति जताई। आपसी निवेश को लेकर भी बातचीत हुई, जिसमें भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने सऊदी उर्वरक उद्योग में निवेश में रुचि दिखाई। बदले में, सऊदी कंपनियां भी भारत में निवेश के अवसर तलाशेंगी।

भारत-केंद्रित अनुकूलित उर्वरकों पर अनुसंधान के लिए एक संयुक्त कार्यदल गठित किया गया है, ताकि कृषि उत्पादकता और टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिल सके।

स्वास्थ्य और औषधि क्षेत्र में सहयोग

यात्रा के दौरान नड्डा ने सऊदी अरब के उपस्वास्थ्य मंत्री अब्दुलअज़ीज अल-रुमैह से मुलाकात की। इसमें चिकित्सा सेवाओं, डिजिटल स्वास्थ्य, औषधि उत्पादन और ज्ञान साझाकरण में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की सऊदी यात्रा में हुए स्वास्थ्य समझौते (MoU) की भी सराहना की गई।

इसके अलावा नड्डा ने सऊदी ऊर्जा मंत्री और रणनीतिक साझेदारी परिषद के सह-अध्यक्ष प्रिंस अब्दुलअज़ीज बिन सलमान अल सऊद से भी भेंट की और द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की।

औद्योगिक भ्रमण और भविष्य की दिशा

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने रास अल खैर स्थित माडेन के फॉस्फेट संयंत्र का दौरा भी किया, जहां उनका स्वागत माडेन फॉस्फेट के चेयरमैन हसन अल अली ने किया। माडेन भारत को उर्वरकों की आपूर्ति करने वाली एक प्रमुख कंपनी है, और यह दौरा दोनों देशों के औद्योगिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में अहम रहा।

ये समझौते भारत के किसानों के लिए स्थिर उर्वरक आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे और खाद्य सुरक्षा के दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेंगे। साथ ही, स्वास्थ्य और औषधि जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसर भी खुलेंगे।

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