वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का चाय निर्यात 2.85% बढ़ा

विश्व के प्रमुख चाय उत्पादक और निर्यातक देशों में शामिल भारत ने वित्त वर्ष 2024–25 के दौरान अपने चाय निर्यात में मामूली लेकिन सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है। टी बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत से चाय का निर्यात 2.85% बढ़ा है, जो वैश्विक स्तर पर चाय की स्थिर मांग और बेहतर बाजार मूल्य संकेतकों को दर्शाता है। निर्यात मूल्य में हुई वृद्धि प्रति किलोग्राम बेहतर मूल्य प्राप्ति को दर्शाती है, जो क्षेत्रीय असमानताओं के बावजूद भारत की चाय उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

पृष्ठभूमि
भारत पारंपरिक रूप से एक प्रमुख वैश्विक चाय निर्यातक रहा है, जहाँ असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य चाय उत्पादन की रीढ़ हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन टी बोर्ड ऑफ इंडिया चाय की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात को नियंत्रित और प्रोत्साहित करता है। हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय मांग में वृद्धि, गुणवत्ता सुधार, और मूल्य संवर्धित उत्पादों में विविधता ने चाय निर्यात प्रवृत्तियों को प्रभावित किया है।

निर्यात मात्रा में वृद्धि
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का चाय निर्यात 250.73 मिलियन किलोग्राम से बढ़कर 257.88 मिलियन किलोग्राम हो गया, जो 2.85% की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से उत्तरी भारत के चाय उत्पादक राज्यों की बदौलत हुई, जहाँ निर्यात में 8.15% की बढ़ोतरी हुई—149.05 मिलियन किलोग्राम से बढ़कर 161.20 मिलियन किलोग्राम। इसके विपरीत, दक्षिण भारत से चाय निर्यात में 4.92% की गिरावट दर्ज की गई—101.68 मिलियन किलोग्राम से घटकर 96.68 मिलियन किलोग्राम।

निर्यात मूल्य और मूल्य निर्धारण
वित्त वर्ष 2024–25 में चाय के औसत निर्यात मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि हुई—₹258.30 प्रति किलोग्राम से बढ़कर ₹290.97 प्रति किलोग्राम, यानी 12.65% की वृद्धि। यह दर्शाता है कि बेहतर गुणवत्ता, अनुकूल वैश्विक मूल्य प्रवृत्तियाँ और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में ब्रांडिंग की सुदृढ़ स्थिति भारत की चाय को अधिक प्रतिस्पर्धी बना रही है।

कैलेंडर वर्ष के आधार पर तुलना
अगर कैलेंडर वर्ष (जनवरी से दिसंबर) के हिसाब से देखा जाए, तो 2024 में भारत का कुल चाय निर्यात 10.57% बढ़कर 256.17 मिलियन किलोग्राम हो गया। इसमें उत्तर भारत का योगदान 155.49 मिलियन किलोग्राम रहा (10.28% वृद्धि), जबकि दक्षिण भारत ने 100.68 मिलियन किलोग्राम का निर्यात किया (11.02% वृद्धि)। यह आंकड़ा दर्शाता है कि वित्तीय वर्ष में अस्थिरता के बावजूद समग्र वार्षिक प्रदर्शन संतुलित रहा।

महत्त्व और प्रभाव
भारत के चाय निर्यात में हुई यह वृद्धि रोज़गार, ग्रामीण आय, और विदेशी मुद्रा अर्जन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से उत्तर भारत—असम और पश्चिम बंगाल—के लिए यह वृद्धि बेहद अहम है, क्योंकि इन क्षेत्रों में चाय की खेती आजीविका का प्रमुख स्रोत है। प्रति किलोग्राम निर्यात मूल्य में हुई वृद्धि यह सुनिश्चित करती है कि मात्रा में सीमित वृद्धि के बावजूद राजस्व क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो उद्योग की स्थिरता और दीर्घकालिक लाभप्रदता के लिए आशाजनक संकेत है।

मुंबई में पहले आईआईसीटी परिसर का उद्घाटन

भारत के रचनात्मक क्षेत्र को एक बड़ी प्रेरणा मिली है, जहाँ मुंबई में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी (IICT) के पहले परिसर का उद्घाटन हुआ। इस पहल का उद्देश्य एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी (AVGC-XR) जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर भारत की भागीदारी को सशक्त बनाना है। यह संस्थान विश्वस्तरीय प्रशिक्षण और सहयोगों के माध्यम से उद्योग-तैयार प्रतिभाओं को तैयार करेगा। इस पहल को भारत की डिजिटल और क्रिएटिव अर्थव्यवस्था को मजबूत करने तथा उभरती तकनीकों को कौशल विकास में एकीकृत करने की सरकार की व्यापक दृष्टि के अनुरूप देखा जा रहा है।

पृष्ठभूमि
IICT की संकल्पना रचनात्मक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए की गई थी। भारत में AVGC-XR क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है, और वैश्विक स्तर पर कंटेंट निर्माण और इमर्सिव अनुभवों की मांग में इज़ाफा हो रहा है। इस आवश्यकता को समझते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत IICT की स्थापना की पहल की।

महत्त्व
IICT का शुभारंभ भारत में क्रिएटिव टेक्नोलॉजी शिक्षा के औपचारिक संस्थानीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस परिसर का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई स्थित NFDC परिसर में किया। यह संस्थान एनिमेशन, गेमिंग, वीएफएक्स और XR में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए एक लॉन्चपैड की भूमिका निभाएगा और भारत को डिजिटल रचनात्मकता और उत्पादन में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में ले जाएगा। साथ ही यह टेक-आधारित रचनात्मक उद्योगों में रोजगार सृजन को भी प्रोत्साहित करेगा।

उद्देश्य

  • एनीमेशन, गेमिंग, वीएफएक्स, पोस्ट-प्रोडक्शन और XR में उन्नत, उद्योगोन्मुख प्रशिक्षण प्रदान करना।

  • गूगल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसी वैश्विक टेक कंपनियों के साथ सहयोग कर प्रशिक्षण की गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना।

  • AVGC-XR के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करना, जिसमें छात्र, कार्यरत पेशेवर और प्रशिक्षक सभी को सहायता मिल सके।

  • भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था के विकास को गति देना और देश को डिजिटल कंटेंट की वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना।

प्रमुख विशेषताएं

  • पहले बैच में 300 छात्र, उद्योग पेशेवर और प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

  • दूसरा IICT परिसर महाराष्ट्र के फिल्म सिटी में निर्माणाधीन है, जिसे प्राकृतिक वातावरण के साथ समेकित रूप से डिजाइन किया गया है।

  • रचनात्मक तकनीकी क्षेत्र की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 17 उद्योग-समन्वित पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई।

  • उद्घाटन समारोह में WAVES 2025 Outcome Reports जारी की गईं और IICT का आधिकारिक लोगो भी अनावरण किया गया।

  • प्रसार भारती और महाराष्ट्र फिल्म, मंच एवं सांस्कृतिक विकास निगम के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) का आदान-प्रदान हुआ, जिसका उद्देश्य एक मीडिया और फिल्म नवाचार केंद्र की स्थापना है।

यह संस्थान आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक क्रिएटिव टेक्नोलॉजी हब बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

ऑस्कर विजेता गीतकार एलन बर्गमैन का निधन

ऑस्कर विजेता गीतकार एलन बर्गमैन का निधन हो गया है। वैराइटी की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार 17 जुलाई को अपने लॉस एंजिल्स आवास में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे 99 वर्ष के थे। आगामी 11 सितंबर को वे अपना 100वां जन्मदिन मनाते। अपनी पत्नी मैरिलिन बर्गमैन के साथ उन्होंने पाँच दशकों से अधिक समय तक सैकड़ों कालजयी गीतों की रचना की। फिल्म और टेलीविजन संगीत की दुनिया में उनके योगदान को तीन एकेडमी अवॉर्ड, तीन एमी अवॉर्ड और व्यापक सराहना के रूप में मान्यता मिली।

पत्नी मर्लिन कीथ बर्गमैन के साथ दिए हिट गाने

ऑस्कर, ग्रैमी और एमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम कर चुके गीतकार एलन बर्गमैन की अपनी पत्नी मर्लिन कीथ के साथ सॉन्ग राइटिंग में जुगलबंदी छह दशकों से भी अधिक समय तक चली। इन्होंने ‘द विंडमिल्स ऑफ योर माइंड’, ‘द वे वी वेयर’ और ‘इन द हीट ऑफ द नाइट’ जैसे हिट गाने प्रोड्यूस किए।

तीन अकादमी पुरस्कार जीते

बता दें कि एलन बर्गमैन की पत्नी मर्लिन कीथ का निधन जनवरी 2022 में हो गया था। वह अमेरिकन सोसायटी ऑफ कम्पोजर्स, ऑथर्स एंड पब्लिशर्स (ASCAP) की पहली महिला अध्यक्ष और बोर्ड की अध्यक्ष थीं। यह म्यूजिक प्रोड्यूसर्स के अधिकारों वाली एक प्रमुख सोसायटी है। बात करें बर्गमैन की तो उन्होंने तीन अकादमी पुरस्कार जीते। उन्हें करीब 13 और ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट किया गया था, जिनमें से पांच उनके करीबी दोस्त लेग्रैंड के साथ थे।

सौ से ज्यादा गाने लिखे बर्गमैन दंपति ने

एलन बर्गमैन का जन्म 11 सितंबर 1925 को न्यूयॉर्क में हुआ था। एलन और मर्लिन यानी बर्गमैन दंपत्ति ने सौ से ज्यादा गीत लिखे, जिनमें से अधिकांश फिल्मों और टीवी के लिए थे। उन्होंने रॉजर्स एंड हार्ट, कोल पोर्टर और इरविंग बर्लिन के पारंपरिक ग्रेट अमेरिकन सॉन्गबुक युग को 60, 70 और 80 के दशक की आधुनिक पॉप सेंसिबिलिटी के साथ जोड़ा था।

अर्जुन और ईशान का दबदबा, MRF F2000 में शानदार शुरुआत

भारत की प्रमुख मोटरस्पोर्ट्स प्रतियोगिता — MRF MMSC FMSCI इंडियन नेशनल कार रेसिंग चैंपियनशिप 2025 — का पहला चरण कोयंबटूर के करी मोटर स्पीडवे में संपन्न हुआ, जिसमें MRF F2000, फॉर्मूला 1600 और ट्यूरिंग कार्स जैसी प्रमुख श्रेणियों में उभरती हुई युवा प्रतिभाओं ने दमदार प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता में किशोर रेसर्स के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिली, जो भारतीय मोटरस्पोर्ट्स के उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करती है।

पृष्ठभूमि
MRF MMSC FMSCI नेशनल चैंपियनशिप भारत की प्रमुख रेसिंग श्रृंखला है, जिसे हर वर्ष देश के प्रमुख रेस ट्रैकों पर आयोजित किया जाता है। यह आयोजन मद्रास मोटर स्पोर्ट्स क्लब (MMSC) द्वारा FMSCI (फेडरेशन ऑफ मोटर स्पोर्ट्स क्लब्स ऑफ इंडिया) के तत्वावधान में किया जाता है। यह चैंपियनशिप पेशेवर और शौकिया रेसर्स को ओपन-व्हील फॉर्मूला रेसिंग, ट्यूरिंग कार्स और वोक्सवैगन पोलो कप जैसी विभिन्न श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा का मंच प्रदान करती है।

युवा प्रतिभाओं की चमकदार प्रस्तुति
2025 सीज़न के उद्घाटन समारोह का मुख्य आकर्षण 16 वर्षीय दो रेसरों पर रहा: बेंगलुरु के ईशान मदेश और पुणे के अर्जुन छेड़ा, जिन्होंने एमआरएफ फॉर्मूला 2000 रेस में बराबरी की जीत हासिल की। अर्जुन ने इससे पहले शनिवार को रेस-1 जीती थी, जबकि ईशान ने रविवार को रेस-2 जीती थी। इन दोनों का प्रदर्शन जेन-जेड रेसर्स के एलीट मोटरस्पोर्ट में मज़बूत प्रवेश को दर्शाता है।

MRF फॉर्मूला 1600 वर्ग में भी बेंगलुरु के अर्जुन नायर (20 वर्ष) और नाइजेल अब्राहम थॉमस (19 वर्ष) ने एक-एक रेस जीतकर आयोजन में युवा ऊर्जा का भरपूर प्रदर्शन किया।

विविध वर्गों की प्रमुख झलकियाँ

  • फॉर्मूला LGB 1300: 15 वर्षीय भुवन बोनू (बेंगलुरु) ने ओपन और जूनियर दोनों श्रेणियों में जीत दर्ज की, और भविष्य के राउंड्स के लिए एक प्रबल दावेदार के रूप में उभरे।

  • इंडियन ट्यूरिंग कार्स: मुंबई के बीरेन पिठावाला ने रेस-3 जीतकर अर्जुन बालू की हैट्रिक रोक दी, जिन्हें तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा।

  • इंडियन जूनियर ट्यूरिंग कार्स: बेंगलुरु के ऋत्विक थॉमस ने तीनों रेस जीतकर क्लास में दबदबा बनाया।

  • सुपर स्टॉक क्लास: श्रीलंका के केसरा गोदागे ने दो रेसें जीतीं, जबकि गुवाहाटी के कृषनु दत्ता भुयान ने एक रेस में जीत दर्ज की।

  • वोक्सवैगन पोलो कप: नोएडा के अमन नागदेव और मुंबई के आदित्य पटनायक ने एक-एक जीत हासिल की, वहीं प्रतीक सोनवणे लगातार पोडियम पर बने रहे।

इस आयोजन ने न केवल युवाओं की प्रतिभा को उजागर किया, बल्कि भारत के मोटरस्पोर्ट्स परिदृश्य में आने वाले समय की झलक भी पेश की।

महत्त्व और प्रभाव
चैंपियनशिप के इस राउंड ने भारतीय मोटरस्पोर्ट्स में युवा ड्राइवरों की बढ़ती उपस्थिति को प्रमुखता से उजागर किया। इन युवा रेसर्स की सफलता यह दर्शाती है कि भारत में रेसिंग के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण और प्रतिभा विकास मजबूत हो रहा है। साथ ही, यह संकेत भी मिलता है कि भारतीय रेसर्स अंतरराष्ट्रीय मोटरस्पोर्ट्स मंचों पर भी प्रतिस्पर्धा करने की पूरी क्षमता रखते हैं।

इसके अतिरिक्त, श्रीलंका और गुवाहाटी जैसे क्षेत्रों के ड्राइवरों की उल्लेखनीय परफॉर्मेंस इस आयोजन की समावेशिता और दूरदराज़ क्षेत्रों तक इसकी पहुँच को भी दर्शाती है। यह न केवल प्रतियोगिता की व्यापकता को बढ़ाता है, बल्कि दक्षिण एशिया में मोटरस्पोर्ट्स संस्कृति के विकास को भी गति देता है।

2031 तक इंग्लैंड करेगा विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की मेजबानी

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) 2031 तक के फाइनल की मेजबानी इंग्लैंड को सौंपी है। आईसीसी ने 20 जुलाई 2025 को बताया कि अगले तीनों संस्करणों की मेजबानी इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड के पास ही रहेगी। आईसीसी की तरफ से जारी की गई विज्ञप्ति में कहा गया कि बोर्ड ने हाल के फाइनल की मेजबानी में सफल ट्रैक रिकॉर्ड के बाद इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड को 2027, 2029 और 2031 संस्करणों के लिए आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल की मेजबानी के अधिकार देने की पुष्टि की है।

विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) की पृष्ठभूमि

विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा टेस्ट क्रिकेट को पुनर्जीवित करने और उसे एक ठोस संदर्भ देने के उद्देश्य से की गई थी। यह एक दो वर्षीय लीग चक्र होता है, जिसमें शीर्ष टीमें फाइनल में स्थान पाने के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं।

  • प्रथम फाइनल (2021): साउथैम्पटन के द रोज़ बाउल में आयोजित हुआ, जहाँ न्यूजीलैंड ने भारत को हराया।

  • द्वितीय फाइनल (2023): द ओवल, लंदन में हुआ, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने भारत को पराजित किया।

  • तृतीय फाइनल (2025): लॉर्ड्स में खेला गया, जहाँ दक्षिण अफ्रीका ने गत विजेता ऑस्ट्रेलिया को हराकर खिताब जीता।

निर्णय का महत्व

ICC द्वारा अगले तीन WTC फाइनल इंग्लैंड को सौंपने का निर्णय कई महत्वपूर्ण कारणों पर आधारित है:

  • इंग्लैंड की सशक्त अवसंरचना और आयोजन क्षमता।

  • दर्शकों के बीच उच्च स्तर की भागीदारी और लोकप्रियता।

  • लॉर्ड्स, द ओवल जैसे प्रतिष्ठित क्रिकेट मैदानों की रणनीतिक और ऐतिहासिक महत्ता।

  • टीमों और प्रसारकों के लिए दीर्घकालिक योजना और लॉजिस्टिक्स को आसान बनाने की निरंतरता।

मल्टी-ईयर होस्टिंग के पीछे उद्देश्य

ICC द्वारा विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल को एक ही देश—इंग्लैंड—में लगातार वर्षों तक आयोजित करने का निर्णय कई रणनीतिक लक्ष्यों को पूरा करता है। इसका उद्देश्य उच्च स्तरीय टेस्ट मैचों की मेजबानी में स्थिरता बनाए रखना है, खासकर ऐसे समय में जब T20 लीगों का वर्चस्व बढ़ रहा है। इंग्लैंड की अनुकूल समय-सीमा (टाइम ज़ोन) और व्यापक प्रसारण पहुंच इस निर्णय को व्यावसायिक रूप से भी लाभकारी बनाती है। इसके अलावा, इंग्लैंड के समर्पित क्रिकेट प्रेमियों की उपस्थिति से दर्शक संख्या बढ़ने की संभावना भी रहती है।

होस्टिंग योजना की प्रमुख विशेषताएं

  • स्थल: लॉर्ड्स, द ओवल या एजबेस्टन जैसे प्रतिष्ठित स्टेडियमों का उपयोग जारी रह सकता है।

  • WTC फाइनल के वर्ष: 2027, 2029 और 2031 में आयोजन निर्धारित।

  • टीमें: प्रत्येक दो वर्षीय लीग चक्र के बाद शीर्ष रैंकिंग प्राप्त दो टीमें फाइनल में प्रवेश करेंगी।

  • प्रारूप: एकमात्र टेस्ट मैच, जिसके विजेता को विश्व टेस्ट चैंपियन घोषित किया जाएगा।

ICC सम्मेलन 2025 में लिए गए अन्य प्रमुख निर्णय

  • अफगानिस्तान महिला क्रिकेट कार्यक्रम पर अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

  • अमेरिका क्रिकेट की स्थिति को लेकर स्पष्टीकरण दिया गया।

  • दो नए सदस्य देशों को ICC में शामिल किया गया, जिससे वैश्विक स्तर पर क्रिकेट के विस्तार को बढ़ावा मिला।

International Mathematical ओलंपियाड में भारत को मिली 7वीं रैंक

भारत ने अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक उत्कृष्टता की दिशा में अपनी प्रगति जारी रखते हुए ऑस्ट्रेलिया के सनशाइन कोस्ट में आयोजित 66वें अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड (IMO) 2025 में सातवां स्थान हासिल किया। 110 देशों की प्रतिस्पर्धा के बीच भारत की छह सदस्यीय टीम ने तीन स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक जीता तथा 252 में से 193 अंक प्राप्त कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बनाया। यह उपलब्धि भारत की गणितीय शिक्षा, प्रतिभा विकास, और ओलंपियाड प्रशिक्षण व्यवस्था की प्रभावशीलता को उजागर करती है।

पृष्ठभूमि: अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड (IMO) क्या है?
IMO विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पूर्व-विश्वविद्यालय स्तर का गणित प्रतियोगिता है, जिसकी शुरुआत 1959 में हुई थी और इसे प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। यह प्रतियोगिता दो दिनों में छह अत्यंत जटिल समस्याओं के माध्यम से छात्रों की बीजगणित, ज्यामिति, संख्या सिद्धांत, और संयोजन गणित में गहराई से समझ का परीक्षण करती है। प्रत्येक देश अपनी छह सदस्यीय टीम भेजता है, जो कठोर राष्ट्रीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुनी जाती है। भारत ने पहली बार 1989 में IMO में भाग लिया, और इसके लिए चयन एवं प्रशिक्षण की जिम्मेदारी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के अधीन होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र (HBCSE) निभाता है।

भारत का प्रदर्शन: IMO 2025 में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन
IMO 2025 में भारत की टीम—कनव तलवार, आरव गुप्ता, अधित्य मंगुडी (स्वर्ण पदक); एबेल जॉर्ज मैथ्यू, आदिश जैन (रजत पदक); और अर्चित मानस (कांस्य पदक)—ने देश के इतिहास का सर्वोच्च कुल स्कोर 193 अंक प्राप्त किया। यह दूसरा मौका है जब भारत ने तीन स्वर्ण पदक जीते (पहली बार 1998 में) और तीसरी बार सातवां स्थान प्राप्त किया (पहले 1998 और 2001 में)। 2024 में भारत ने चार स्वर्ण पदकों के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान—चौथा—हासिल किया था।

महत्व और रुझान
पिछले एक दशक में भारत का प्रदर्शन निरंतर बेहतर हुआ है। 2019 से 2025 के बीच भारतीय छात्रों ने कुल 12 स्वर्ण पदक जीते हैं, जिनमें से नौ केवल पिछले तीन वर्षों (2023–2025) में आए हैं। यह भारत में गणित शिक्षा की गुणवत्ता, विशेषज्ञ प्रशिक्षण तक पहुँच, और युवा प्रतिभाओं की प्रेरणा में वृद्धि को दर्शाता है। ऐसी उपलब्धियाँ भारत को STEM शिक्षा में एक उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करती हैं।

HBCSE की भूमिका और चयन प्रक्रिया
TIFR के अधीन HBCSE राष्ट्रीय ओलंपियाड कार्यक्रम का संचालन करता है, जिसमें परीक्षाएं, प्रशिक्षण शिविर और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी शामिल है। चयन प्रक्रिया में प्री-रीजनल मैथमैटिकल ओलंपियाड (PRMO), रीजनल मैथमैटिकल ओलंपियाड (RMO), INMO और फिर HBCSE में आयोजित प्रशिक्षण शिविरों की श्रृंखला शामिल होती है। IMO 2025 में भारतीय टीम का नेतृत्व प्रो. शांता लैशराम (ISI दिल्ली) और डॉ. मैनक घोष (ISI बेंगलुरु) ने किया।

इसरो की 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्र मिशन की योजना

भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में एक आत्मविश्वासपूर्ण कदम उठाया है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आने वाले 15 वर्षों के लिए अपनी व्यापक दृष्टि प्रस्तुत की है। नए अध्यक्ष वी. नारायणन के नेतृत्व में इसरो ने 2035 तक एक स्वतंत्र भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक मानव चंद्रमा अभियान को पूरा करने की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। यह घोषणा IIITDM कुरनूल के दीक्षांत समारोह के दौरान की गई, जो यह दर्शाती है कि शिक्षा, नवाचार और स्वदेशी तकनीक भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

पृष्ठभूमि: साधनों की सीमाओं से वैश्विक नेतृत्व की ओर
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम बेहद साधारण संसाधनों से शुरू हुआ था—जहां रॉकेट साइकिलों पर ढोए जाते थे और उन्हें बेहद साधारण स्थलों से प्रक्षेपित किया जाता था। लेकिन दशकों की मेहनत के बाद इसरो एक अग्रणी संगठन के रूप में उभरा है, जिसने PSLV और GSLV जैसे प्रक्षेपण यान बनाए और चंद्रयान, मंगलयान और आदित्य-एल1 जैसी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्राएं पूरी कीं। अध्यक्ष वी. नारायणन ने इस परिवर्तन को रेखांकित करते हुए कहा कि आज भारत 40-मंजिला इमारत जितने ऊंचे रॉकेट बना रहा है, जो 74,000 किलोग्राम तक का पेलोड अंतरिक्ष में ले जा सकते हैं—यह भारत द्वारा हासिल की गई प्रगति की अद्भुत तस्वीर है।

मुख्य घोषणाएँ: 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन, 2040 तक चंद्रमा मिशन
डॉ. नारायणन ने घोषणा की कि भारत 2035 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाएगा, जो दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने आगे बताया कि 2040 तक भारत पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक के माध्यम से एक अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजेगा और सुरक्षित रूप से वापस लाएगा। ये मिशन मानव अंतरिक्ष उड़ान में रणनीतिक स्वायत्तता प्राप्त करने की भारत की आकांक्षा को दर्शाते हैं और देश को उन चुनिंदा राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करेंगे जो ऐसी क्षमताएं रखते हैं।

प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ और मील के पत्थर
इसरो ने पहले ही कई अत्याधुनिक उपलब्धियाँ हासिल कर ली हैं, जो भविष्य की योजनाओं की नींव बनती हैं। आदित्य-एल1 मिशन ने भारत को सूर्य का अध्ययन करने के लिए उपग्रह भेजने वाले चार देशों की सूची में शामिल कर दिया, जिससे सौर डेटा का विशाल भंडार प्राप्त हुआ। वर्ष 2025 में इसरो ने सफलतापूर्वक एक डॉकिंग प्रयोग भी किया, जो मानवयुक्त मिशनों और कक्षीय संरचनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है। ये उपलब्धियाँ भारत की लगातार प्रौद्योगिकीय प्रगति और अंतरिक्ष में संचालन कुशलता को प्रमाणित करती हैं।

भविष्य के मिशन और वैश्विक भूमिका
आगे की दिशा में इसरो एक शुक्र ग्रह ऑर्बिटर मिशन और कई अन्य उपग्रह प्रक्षेपणों की तैयारी कर रहा है। भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अब तेजी से विकसित हो रहा है, जिसमें स्टार्ट-अप्स और निजी कंपनियों की भागीदारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है। यह एक मजबूत और सशक्त होते अंतरिक्ष इकोसिस्टम का संकेत है। ये प्रगतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जिसमें भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक मंच पर एक प्रमुख भूमिका निभाने की दिशा में अग्रसर है।

नई लाइकेन प्रजातियाँ पश्चिमी घाट में प्राचीन सहजीवन का खुलासा

लाइकेन (lichen) एक सहजीवी जीव होते हैं, जो कवक (fungi) और प्रकाश संश्लेषण करने वाले भागीदारों—आमतौर पर हरित शैवाल या सायनोबैक्टीरिया—के सहयोग से बनते हैं। ये जीव पारिस्थितिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि मृदा निर्माण, वायु प्रदूषण की निगरानी, और खाद्य श्रृंखला को बनाए रखना। Allographa वंश, जो Graphidaceae कुल से संबंधित है, मुख्यतः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है, जिनमें पश्चिमी घाट भी शामिल हैं—जो एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और विश्व के जैव विविधता के सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक है।

महत्व

MACS-अघारकर अनुसंधान संस्थान, पुणे के वैज्ञानिकों द्वारा Allographa effusosoredica की खोज, भारत में मोलिक्यूलर डेटा से पुष्टि प्राप्त करने वाली पहली Allographa प्रजाति है। यह खोज उष्णकटिबंधीय लाइकेन विविधता की भारत की समझ को नई ऊंचाइयों तक ले जाती है और इंटीग्रेटिव टैक्सोनॉमी (क्लासिकल पहचान और आधुनिक डीएनए तकनीकों के मेल) के प्रयोग में एक नया मानक स्थापित करती है।

प्रमुख विशेषताएं

  • यह नई प्रजाति effuse soredia (एक प्रकार की अलैंगिक जनन संरचना) से पहचानी जाती है।

  • इसमें एक दुर्लभ रासायनिक तत्व norstictic acid पाया गया है, जो इसे अन्य प्रजातियों से अलग करता है।

  • इसका प्रकाश संश्लेषक भागीदार (photobiont) Trentepohlia वंश की शैवाल पाई गई, जो उष्णकटिबंधीय सहजीवों में शैवाल विविधता की जानकारी को समृद्ध करती है।

  • आकारिकी रूप से यह Graphis glaucescens से मिलती-जुलती है, परंतु आनुवंशिक रूप से यह Allographa xanthospora से संबंधित है—जो Graphidaceae परिवार में क्रमिक विकास (evolutionary relationships) पर नए सवाल खड़े करता है।

प्रभाव

इस अध्ययन से भारत के लाइकेन संग्रह में वृद्धि हुई है, और A. effusosoredica अब भारत से रिपोर्ट की गई 53वीं Allographa प्रजाति तथा पश्चिमी घाट से 22वीं प्रजाति बन गई है। यह खोज लाइकेन के विकासात्मक जटिलता को उजागर करती है और जैव विविधता अनुसंधान में आणविक तकनीकों के महत्व को रेखांकित करती है। यह परियोजना अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (ANRF) द्वारा समर्थित थी और यह सहजीविता अनुसंधान तथा पारिस्थितिक संरक्षण के वैश्विक प्रयासों में भारत का योगदान भी दर्शाती है।

श्रीहरि नटराज और बी. बेनेडिक्शन रोहित ने तैराकी में बनाए नए कीर्तिमान

भारत ने जर्मनी के राइन-रुहर में आयोजित FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जहां तैराक श्रीहरि नटराज और बी. बेनेडिक्शन रोहित ने अपने-अपने स्पर्धाओं में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया। इन उपलब्धियों ने अंतरराष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिताओं में भारत की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाया और देश की खेल उत्कृष्टता को नई ऊंचाई दी।

पृष्ठभूमि
FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन है, जिसमें विश्वविद्यालय स्तर के खिलाड़ी भाग लेते हैं। 2025 संस्करण का आयोजन जर्मनी के राइन-रुहर क्षेत्र में हुआ, जिसमें 150 से अधिक देशों के खिलाड़ी विभिन्न खेलों में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। यह मंच युवाओं को वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता है।

महत्त्व
श्रीहरि नटराज ने पुरुषों की 200 मीटर फ्रीस्टाइल स्पर्धा में 1:48.22 मिनट का समय निकालते हुए अपना ही सर्वश्रेष्ठ भारतीय प्रदर्शन तोड़ा, जो उन्होंने एक महीने पहले 1:48.66 मिनट में पूरा किया था। वहीं, बी. बेनेडिक्शन रोहित ने इतिहास रचते हुए 50 मीटर बटरफ्लाई को 24 सेकंड से कम समय में पूरा करने वाले पहले भारतीय पुरुष तैराक बन गए। उन्होंने सेमीफाइनल में 23.96 सेकंड का समय दर्ज किया।

मुख्य विशेषताएं

  • श्रीहरि नटराज ने 200 मीटर फ्रीस्टाइल हीट में शीर्ष स्थान प्राप्त किया और सेमीफाइनल में प्रवेश किया।

  • रोहित ने न केवल सेमीफाइनल में नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया, बल्कि इससे पहले हीट में वर्धावल खाडे का 7 साल पुराना रिकॉर्ड (24.09 सेकंड) भी तोड़ दिया।

  • दोनों खिलाड़ियों ने एक ही दिन में अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सुधारकर असाधारण निरंतरता और शीर्ष फॉर्म का प्रदर्शन किया।

प्रभाव
ये रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन आने वाले भारतीय तैराकों के लिए प्रेरणा हैं और यह दर्शाते हैं कि पेशेवर प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय अनुभव किस प्रकार प्रदर्शन को निखार सकते हैं। इन उपलब्धियों से भविष्य के एशियाई खेलों और ओलंपिक जैसे मंचों पर भारत की भागीदारी और सफलता की संभावनाएं और प्रबल हुई हैं।

महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए ‘महिला आरोग्य कक्ष’ का उद्घाटन

महिला स्वास्थ्य और कल्याण को सरकारी कार्यस्थलों पर बढ़ावा देने की दिशा में एक अग्रणी कदम उठाते हुए, विधि और न्याय मंत्रालय के अधीन विधिक कार्य विभाग ने नई दिल्ली स्थित शास्त्री भवन में “महिला आरोग्यम कक्ष” का उद्घाटन किया है। यह अपने तरह का पहला फिटनेस और वेलनेस स्पेस है, जिसे विशेष रूप से महिला कर्मचारियों के लिए तैयार किया गया है। इस पहल के तहत पुराने गैराज को रूपांतरित कर एक समर्पित स्वास्थ्य सुविधा के रूप में विकसित किया गया है, जो महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करता है।

पृष्ठभूमि
यह पहल 18 जुलाई 2025 को केंद्रीय विधि और न्याय राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा औपचारिक रूप से लॉन्च की गई। यह सुविधा शास्त्री भवन परिसर के भीतर स्थित है और इसे फिट इंडिया मूवमेंट तथा विकसित भारत के विजन के अनुरूप तैयार किया गया है।

महत्त्व
यह सुविधा एक महत्वपूर्ण लेकिन अक्सर उपेक्षित मुद्दे — कार्यस्थल पर महिला स्वास्थ्य — को संबोधित करती है। यह सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिसके तहत वह यह सुनिश्चित करना चाहती है कि महिला कर्मचारियों को बुनियादी स्वास्थ्य और फिटनेस ढांचा उपलब्ध हो। यह कदम समावेशी कार्य परिवेश को बढ़ावा देता है और एक सक्षम, फिट और समावेशी कार्यबल के निर्माण की राष्ट्रीय प्राथमिकता को भी समर्थन देता है।

उद्देश्य

  • महिला कर्मचारियों के बीच शारीरिक फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करना।

  • आत्म-देखभाल को दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना।

  • कई भूमिकाएं निभा रही महिलाओं के लिए कार्य–जीवन संतुलन को समर्थन देना।

  • स्वास्थ्य-अनुकूल सरकारी कार्यालयों के लिए उदाहरण स्थापित करना।

मुख्य विशेषताएं

  • केवल महिलाओं के लिए डिज़ाइन किया गया पूर्ण रूप से सुसज्जित व्यायाम कक्ष।

  • स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए एक निजी कक्ष।

  • पुराने गैराज स्थान को पुनः उपयोग कर विकसित किया गया।

  • विधिक कार्य विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा प्रबंधित।

प्रभाव
“महिला आरोग्यम कक्ष” केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि महिला स्वास्थ्य की भी उतनी ही महत्ता है, चाहे कार्यस्थल कितना ही तनावपूर्ण क्यों न हो। यह पहल अन्य विभागों को भी इसी तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित करने हेतु प्रेरित करती है, और स्वास्थ्य-केंद्रित प्रशासनिक ढांचे की नींव रखने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

Recent Posts

about | - Part 185_12.1