सीरिया में असद सरकार जाने के बाद पहली बार चुनाव होंगे

सीरिया में बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद पहली बार संसदीय चुनाव 15 से 20 सितंबर 2025 के बीच कराए जाएंगे, जो देश के राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में एक अहम कदम है। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब स्वेइदा प्रांत में सांप्रदायिक अशांति और हिंसा की घटनाएं जारी हैं। चुनावों की देखरेख अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ के नेतृत्व में की जाएगी, जो इस संक्रमणकालीन दौर में देश को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ओर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।

दिसंबर 2024 में बशर अल-असद की दो दशकों से अधिक लंबी सत्ता के पतन के बाद, एक तीव्र विद्रोही हमले के चलते असद शासन समाप्त हो गया। मार्च 2025 में हस्ताक्षरित एक अस्थायी संविधान के तहत राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ के नेतृत्व में एक संक्रमणकालीन ढांचा स्थापित किया गया। इस संविधान ने एक पीपुल्स कमेटी के गठन का प्रावधान किया, जो स्थायी संविधान और आम चुनावों के आयोजन तक एक अस्थायी संसद के रूप में कार्य करेगी।

महत्त्व
आगामी चुनाव सीरिया के युद्धोत्तर लोकतंत्र की नाजुक स्थिति की परीक्षा के रूप में देखे जा रहे हैं। यह पहली बार होगा जब सीरियाई नागरिक असद युग के बाद अपनी विधायिका को आकार देने का अवसर प्राप्त करेंगे। हालांकि, यह चुनाव सांप्रदायिक हिंसा की छाया में हो रहे हैं, जिससे इनकी निष्पक्षता और समावेशिता देश की स्थिरता की दिशा में संक्रमण की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाती है।

उद्देश्य
इन चुनावों का मुख्य उद्देश्य एक प्रतिनिधित्वशील पीपुल्स असेंबली की स्थापना करना है, जो संक्रमणकालीन अवधि के दौरान देश का मार्गदर्शन कर सके। 210 संसदीय सीटों में से एक-तिहाई सीटें अंतरिम राष्ट्रपति द्वारा नामित की जाएंगी, जबकि शेष सीटों पर सीरिया के विभिन्न प्रांतों में स्थापित इलेक्टोरल कॉलेजों के माध्यम से चुनाव कराया जाएगा।

मुख्य विशेषताएं

  • चुनाव तिथि: 15 से 20 सितंबर 2025 के बीच

  • कुल सीटें: 210 (पीपुल्स असेंबली में)

  • सीट विभाजन: एक-तिहाई राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त, दो-तिहाई चुनाव द्वारा

  • मतदान केंद्र: प्रत्येक सीरियाई प्रांत में इलेक्टोरल कॉलेज स्थापित

  • निगरानी निकाय: पीपुल्स असेंबली चुनावों के लिए उच्च समिति, अध्यक्ष — मोहम्मद ताहा अल-अहमद

चुनौतियाँ
इन चुनावों को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में स्वेइदा प्रांत में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 1,100 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई, जिससे बेडौइन जनजातियों और द्रूज़ अल्पसंख्यकों के बीच गहरे मतभेद उजागर हुए। सरकारी बलों पर जनजातियों का पक्ष लेने और अत्याचार करने के आरोपों ने हालात को और बिगाड़ दिया है। इसके अतिरिक्त, सीरियाई सरकारी ठिकानों पर इस्राइली हवाई हमलों ने क्षेत्र की अस्थिरता को और बढ़ा दिया है, जिससे यह आशंका उत्पन्न हुई है कि चुनाव स्वतंत्र और शांतिपूर्ण रूप से कराना संभव हो पाएगा या नहीं।

ऑस्कर पियास्त्री ने 2025 बेल्जियन ग्रां प्री स्पा में जीती

ऑस्कर पियास्त्री ने स्पा-फ्रैंकोरचैम्प्स में 2025 बेल्जियन ग्रैंड प्रिक्स में जीत हासिल की, उन्होंने एक चुनौतीपूर्ण गीली-सूखी दौड़ में टीम के साथी और खिताब प्रतिद्वंद्वी लैंडो नॉरिस को पीछे छोड़ दिया, जिससे उनकी ड्राइवर्स चैम्पियनशिप की बढ़त 16 अंकों तक बढ़ गई।

पृष्ठभूमि
2025 की बेल्जियन ग्रां प्री ऐतिहासिक सर्किट डी स्पा-फ्रैंकोर्शॉम्प्स में आयोजित हुई, जो फॉर्मूला 1 के सबसे प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण ट्रैकों में से एक है। भारी बारिश के कारण रेस लगभग 80 मिनट की देरी से शुरू हुई, जिसमें ड्राइवरों ने सेफ्टी कार के पीछे इंटरमीडिएट टायर्स के साथ शुरुआत की। मौसम सुधरने के बाद लैप 5 से असली रेसिंग शुरू हुई, जिससे मुकाबला बेहद रोमांचक हो गया।

महत्त्व
यह रेस फॉर्मूला 1 ड्राइवर्स चैंपियनशिप की दौड़ में निर्णायक साबित हुई। ऑस्कर पियास्त्री की जीत ने न केवल उनके उभरते वर्चस्व को दर्शाया बल्कि उन्हें लैंडो नॉरिस पर अहम अंकों की बढ़त भी दिलाई। मैकलेरन टीम का दबदबा भी देखने को मिला, क्योंकि उसके दोनों ड्राइवर पहले और दूसरे स्थान पर रहे, जिससे टीम कंस्ट्रक्टर्स चैंपियनशिप की दौड़ में मजबूती से लौट आई।

मुख्य विशेषताएं

  • विजेता: ऑस्कर पियास्त्री (मैकलेरन), समय: 1:25:22.601

  • द्वितीय स्थान: लैंडो नॉरिस (3.4 सेकंड पीछे)

  • तृतीय स्थान: चार्ल्स लेक्लर (फेरारी), 20 सेकंड पीछे

  • अन्य प्रमुख प्रदर्शन: मैक्स वर्स्टापेन चौथे, जॉर्ज रसेल पांचवें और लुईस हैमिल्टन 11 स्थान चढ़कर सातवें स्थान पर पहुंचे

  • विशेष रेस परिस्थितियां: गीले से सूखे ट्रैक की स्थिति ने टायर रणनीति और ड्राइवरों की अनुकूलन क्षमता की कड़ी परीक्षा ली। पियास्त्री द्वारा मीडियम टायर्स पर जल्द पिट स्टॉप करना निर्णायक साबित हुआ।

प्रभाव
पियास्त्री की इस जीत से उनकी चैंपियनशिप में बढ़त और मजबूत हो गई, जिससे उनका खिताबी दावा और मज़बूत हुआ। यह रेस मैकलेरन की फॉर्म में वापसी का भी संकेत थी। सभी ड्राइवरों का रेस पूरा करना, वह भी इतनी कठिन परिस्थितियों में, उल्लेखनीय रहा। फेरारी के लिए लेक्लर का पोडियम फिनिश और हैमिल्टन की शानदार रिकवरी ने टीम का मनोबल बढ़ाया, जबकि वर्स्टापेन की चौथी पोजिशन ने रेड बुल की संभावनाओं को जीवित रखा।

चुनौतियाँ
रेस की शुरुआत में बारिश के कारण विज़िबिलिटी और ग्रिप की गंभीर समस्याएं थीं, जिससे पहले चार लैप सेफ्टी कार के पीछे निकले। जैसे-जैसे ट्रैक सूखा, टायर प्रबंधन और पिट स्ट्रैटेजी निर्णायक हो गए। अंत में नॉरिस की तेज़ी से बढ़ती चुनौती ने पियास्त्री के लिए तनाव बढ़ाया, जो यह दिखाता है कि फॉर्मूला 1 रेसें कितने बारीक अंतर से तय होती हैं।

2025 का विश्व का सबसे सुंदर हवाई अड्डा घोषित

प्रिक्स वर्साय पुरस्कार 2025 में चीन के यांताई पेंगलाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 को विश्व का सबसे सुंदर हवाई अड्डा घोषित किया गया है। इसने सिंगापुर के प्रसिद्ध चांगी एयरपोर्ट जैसे वैश्विक स्तर के प्रतिष्ठित हवाई अड्डों को पछाड़ते हुए यह सम्मान हासिल किया। यह पुरस्कार हवाई अड्डे की सौंदर्यपूर्ण वास्तुकला, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और यात्रियों के अनुकूल डिज़ाइन को मान्यता देता है, जिससे आधुनिक हवाई अड्डा अवसंरचना के लिए एक नया मानक स्थापित हुआ है।

प्रष्ठभूमि
प्रिक्स वर्साय, जिसे अक्सर “विश्व वास्तुकला और डिज़ाइन पुरस्कार” कहा जाता है, हर वर्ष विभिन्न श्रेणियों में वास्तुकला की उत्कृष्ट उपलब्धियों को सम्मानित करता है, जिसमें हवाई अड्डे भी शामिल हैं। 2025 के पुरस्कार में बड़ा बदलाव देखने को मिला जब लंबे समय से अग्रणी माने जाने वाले सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट को शीर्ष छह में स्थान नहीं मिला, जिससे एशिया, यूरोप और अमेरिका के नए हवाई अड्डों को अवसर मिला।

यांताई पेंगलाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की प्रमुख विशेषताएँ
167,000 वर्ग मीटर में फैले टर्मिनल 2 की डिज़ाइन यांताई के तटीय परिदृश्य से प्रेरित है। इसका अनोखा E-आकार यात्रियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाता है और प्राकृतिक स्थलाकृति में न्यूनतम हस्तक्षेप करता है। एक कांच की जालीदार गुंबद वाली बहु-स्तरीय एट्रियम में प्राकृतिक प्रकाश भरपूर मात्रा में आता है। आंतरिक डिज़ाइन में वक्रता, रंग-रूप और संरचनाएँ समुद्री लकड़ी के जहाज़ों की याद दिलाती हैं, जो यांताई के मैरीटाइम सिल्क रोड की विरासत को दर्शाती हैं।

महत्त्व
यांताई पेंगलाई हवाई अड्डे को मिला यह सम्मान चीन की बढ़ती नेतृत्व भूमिका को रेखांकित करता है, खासकर सतत और सौंदर्यपूर्ण अवसंरचना विकास के क्षेत्र में। यह परियोजना दर्शाती है कि हवाई अड्डे केवल परिवहन केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक भी हो सकते हैं जो दक्षता और पर्यावरणीय चेतना के साथ डिज़ाइन किए गए हैं।

2025 सूची में अन्य उल्लेखनीय हवाई अड्डे
2. मार्सेय प्रोवेंस एयरपोर्ट (फ्रांस): 70% पुनर्नवीनीकरण स्टील, लकड़ी की छत और प्राकृतिक वेंटिलेशन के लिए प्रसिद्ध।
3. रोलां गैरोस एयरपोर्ट (रियूनियन द्वीप, फ्रांस): ऊर्जा-कुशल डिज़ाइन वाला दुनिया का पहला उष्णकटिबंधीय बायोक्लाइमैटिक हवाई अड्डा।
4. कंसाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (जापान): कृत्रिम द्वीप पर बना यह हवाई अड्डा अपने एरोडायनामिक छत और जापानी संस्कृति को दर्शाते शानदार इंटीरियर के लिए प्रसिद्ध है।
5. पोर्टलैंड और सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (अमेरिका): यात्रियों की सुविधा और टिकाऊ निर्माण के आधुनिक मानकों के लिए सराहे गए।

प्रभाव
यह रैंकिंग दर्शाती है कि आज के हवाई अड्डे केवल यात्रा के केंद्र नहीं, बल्कि संस्कृति, पर्यावरणीय चेतना और राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक बनते जा रहे हैं। प्राकृतिक रोशनी, पर्यावरण-अनुकूल सामग्री और स्थानीय सांस्कृतिक तत्वों के सम्मिलन से, यांताई पेंगलाई जैसे हवाई अड्डे भविष्य के वैश्विक मानकों की दिशा तय कर रहे हैं। यह प्रतिस्पर्धा भी दर्शाती है कि देश अब सॉफ्ट पावर और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना का रणनीतिक उपयोग कर रहे हैं।

भारत का पहला SHAPE 2025 सम्मेलन: अस्पताल नियोजन में एक क्रांतिकारी पहल

नई दिल्ली स्थित आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल (AHRR) ने 26–27 जुलाई 2025 को देश का पहला सशस्त्र बल राष्ट्रीय सम्मेलन – SHAPE 2025 (Sustainable Hospital Architecture, Planning, Infrastructure, and Equipment) आयोजित किया। इस सम्मेलन में सशस्त्र बलों, नागरिक क्षेत्रों और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया और भारत में सतत, सुदृढ़ तथा रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य अवसंरचना के भविष्य पर विचार-विमर्श किया।

पृष्ठभूमि
AHRR के हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन विभाग द्वारा आयोजित SHAPE 2025 सम्मेलन अस्पताल नियोजन के क्षेत्र में एक अग्रणी पहल है, जो भारत के विकसित भारत@2047 लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दो दिवसीय इस कार्यक्रम का उद्घाटन DGAFMS सर्जन वाइस एडमिरल आर्ति सरीन और एम्स निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ किया। सम्मेलन में 275 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें डॉक्टर, नर्स, प्रशासक, अभियंता और वास्तुकार शामिल थे। इन सभी ने भारत की स्वास्थ्य अवसंरचना के लिए एक नई दृष्टि के निर्माण में योगदान दिया।

महत्त्व
यह सम्मेलन ऐसे समय पर आयोजित हुआ जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्षों की ओर अग्रसर है। सतत स्वास्थ्य अवसंरचना केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय तैयारियों, रोगी सुरक्षा और स्वास्थ्य समानता को बढ़ाने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि अस्पतालों को अब केवल इलाज केंद्र नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें जलवायु-संवेदनशील और जन-केंद्रित परिसरों के रूप में विकसित होना चाहिए।

उद्देश्य
SHAPE 2025 का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक ब्लूप्रिंट आधारित अस्पताल नियोजन से आगे बढ़कर ऐसे मॉडल विकसित करना था जो पर्यावरण-संवेदनशील और तकनीकी रूप से उन्नत हों। सम्मेलन का उद्देश्य एक समग्र सिद्धांत तैयार करना भी था जो अस्पतालों की डिज़ाइन और प्रबंधन प्रक्रिया में सततता, लचीलापन और रोगी-सुविधा को प्राथमिकता दे।

मुख्य विशेषताएं

  • हरित तकनीकों का समावेश: सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और शून्य-उत्सर्जन अवसंरचना जैसी टिकाऊ तकनीकों को अपनाना।

  • आपदा-प्रतिरोधी संरचना पर ध्यान: संकट की स्थिति में भी स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने हेतु आपदा-रोधी वास्तुकला का विकास।

  • GRIHA रेटिंग और CFEES प्रमाणन: पर्यावरण-अनुकूल निर्माण के लिए मान्यता प्राप्त रेटिंग और प्रमाणपत्र प्राप्त करने की दिशा में कार्य।

  • रोगी-हितैषी डिज़ाइन: एर्गोनोमिक रूप से डिज़ाइन की गई और रोगमुक्ति को बढ़ावा देने वाली जगहों को अपनाना, जिससे उपचार की प्रक्रिया में तेजी आए।

  • समन्वित सहभागिता: सशस्त्र बलों, नागरिक निकायों और निजी क्षेत्र के हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना ताकि एक एकीकृत और भविष्यगामी स्वास्थ्य देखभाल दृष्टि विकसित की जा सके।

इंग्लैंड ने जीता महिला यूरो कप का खिताब

गत विजेता इंग्लैंड ने विश्व चैंपियन स्पेन को पेनल्टी शूट आउट में 3-1 से पराजित करके लगातार दूसरी बार महिला यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप (यूरो 2025) का खिताब जीता। इंग्लैंड ने इस तरह से स्पेन से विश्व कप 2023 के फाइनल में मिली हार का बदलाव की चुकता कर दिया। स्पेन खिताबी हैट्रिक पूरी करने में नाकाम रहा। उसने विश्व कप के अलावा 2024 में यूईएफए नेशंस लीग का खिताब भी जीता था।

पृष्ठभूमि
इस टूर्नामेंट में इंग्लैंड की महिला फुटबॉल टीम, ‘लायनेसिस’, को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फ्रांस के खिलाफ शुरुआती मुकाबले में हार के बाद उनकी संभावनाओं पर संदेह जताया गया। लेकिन कोच सरीना वाइगमैन के नेतृत्व में टीम ने सभी उम्मीदों को पीछे छोड़ते हुए क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल में अतिरिक्त समय (एक्स्ट्रा टाइम) के जरिए जीत हासिल कर ट्रॉफी अपने नाम की।

महत्त्व

  • इंग्लैंड पहली ऐसी टीम बनी जिसने शुरुआती मैच हारने के बाद यूरो कप जीता।

  • यह किसी भी इंग्लैंड सीनियर टीम की विदेशी धरती पर पहली बड़ी ट्रॉफी थी।

  • इस जीत ने इंग्लैंड की महिला फुटबॉल में वैश्विक महाशक्ति के रूप में पहचान को और मजबूत किया।

अभियान की मुख्य विशेषताएं

  • अटल जज़्बा: नॉकआउट मैचों में इंग्लैंड कुल मिलाकर सिर्फ 5 मिनट के लिए ही बढ़त में रही, फिर भी विजयी बनी रही।

  • स्टार प्रदर्शन: क्लो केली ने निर्णायक गोल और अंतिम पेनल्टी लगाकर टीम की हीरो बनकर उभरीं; एलेसिया रूसो ने फाइनल में बराबरी का गोल किया।

  • रक्षात्मक साहस: लूसी ब्रॉन्ज ने फ्रैक्चर के बावजूद खेलना जारी रखा; हैना हैम्पटन और लिया विलियमसन ने महत्वपूर्ण रक्षात्मक योगदान दिए।

  • रणनीतिक कौशल: कोच वाइगमैन की रणनीति और सही समय पर किए गए बदलाव निर्णायक साबित हुए।

प्रभाव

  • इंग्लैंड और यूरोप में महिला फुटबॉल की लोकप्रियता में भारी वृद्धि हुई।

  • इस जीत ने विशेषकर युवा महिलाओं को फुटबॉल अपनाने के लिए प्रेरित किया।

  • भविष्य के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों की मेज़बानी और प्रदर्शन को लेकर इंग्लैंड की दावेदारी और मजबूत हुई।

संसद रत्न पुरस्कार 2025: संसदीय उत्कृष्टता का सम्मान

लोकसभा में बेहतर काम करने पर 17 सांसदों को संसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन सांसदों ने लोकसभा में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इसके अलावा चार सांसदों को विशेष जूरी पुरस्कार दिया। संसद रत्न पुरस्कार पाने वालों में गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन, एनसीपी शरद की सुप्रिया सुले, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और शिवसेना यूबीटी के सांसद अरविंद सावंत समेत 17 सांसद शामिल हैं।

पृष्ठभूमि
संसद रत्न पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 2010 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणा से की गई थी। उन्होंने उत्कृष्ट सांसदों को सम्मानित करने की आवश्यकता पर बल दिया था। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष संसद में प्रदर्शन के वस्तुनिष्ठ मानकों — जैसे कि बहसों में भागीदारी, प्राइवेट मेंबर बिल, पूछे गए प्रश्न, और समितियों में सक्रियता — के आधार पर प्रदान किए जाते हैं। समय के साथ, यह पुरस्कार विधायी उत्पादकता और जवाबदेही के मूल्यांकन के लिए एक मानक बन चुके हैं।

महत्त्व

  • जवाबदेही को बढ़ावा: इन पुरस्कारों से पारदर्शी और रचनात्मक संसदीय कार्य को मान्यता मिलती है।

  • लोकतंत्र को सशक्त बनाना: सांसदों को नीति निर्माण और बहस में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करता है।

  • मानक स्थापित करना: संसदीय प्रभावशीलता का एक मापनीय पैमाना प्रदान करता है।

  • निरंतरता को मान्यता: उन सांसदों को पुरस्कृत करता है जिन्होंने कई कार्यकालों में उत्कृष्ट प्रदर्शन बनाए रखा है।

2025 के प्रमुख बिंदु

  • कुल सम्मानित सांसद: 17 सांसद, विभिन्न दलों और क्षेत्रों से।

  • प्रमुख विजेता: सुप्रिया सुले (NCP-SP), रवि किशन (भाजपा), निशिकांत दुबे (भाजपा), अरविंद सावंत (शिवसेना-उद्धव गुट)।

  • विशेष जूरी पुरस्कार: चार सांसदों को 16वीं लोकसभा से लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया —

    • भर्तृहरि महताब (भाजपा)

    • एन.के. प्रेमचंद्रन (आरएसपी)

    • सुप्रिया सुले (NCP-SP)

    • श्रीरंग आप्पा बारणे (शिवसेना)

समिति श्रेणी में सम्मानित

  • वित्त पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: भर्तृहरि महताब)

  • कृषि पर स्थायी समिति (अध्यक्ष: डॉ. चरणजीत सिंह चन्नी, कांग्रेस)

पुरस्कारों के उद्देश्य

  • सांसदों को संसदीय बहस के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रेरित करना।

  • विधायी कार्य में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।

  • युवाओं और नागरिकों को प्रभावी संसदीय प्रथाओं की सराहना के लिए प्रेरित करना।

  • उत्कृष्ट और निरंतर योगदान के लिए संस्थागत मान्यता स्थापित करना।

अनुराधा ठाकुर RBI केंद्रीय निदेशक मंडल में निदेशक के रूप में नामित

केंद्र सरकार ने आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) की सचिव अनुराधा ठाकुर को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के केंद्रीय निदेशक मंडल में निदेशक के रूप में नामित किया है। वह अजय सेठ का स्थान लेंगी। यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब आरबीआई मूल्य स्थिरता बनाए रखने, बैंकिंग विनियमन को सुदृढ़ करने और आगामी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक (4 से 6 अगस्त 2025) की तैयारियों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है।

पृष्ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का केंद्रीय निदेशक मंडल इसकी सर्वोच्च शासी इकाई है, जिसमें आधिकारिक निदेशक (जैसे कि गवर्नर, डिप्टी गवर्नर और सरकार द्वारा नामित सदस्य) तथा विभिन्न क्षेत्रों से गैर-आधिकारिक निदेशक शामिल होते हैं। यह बोर्ड आरबीआई के सामान्य पर्यवेक्षण और संचालन की ज़िम्मेदारी निभाता है। अनुराधा ठाकुर की नामांकन से सरकार की यह मंशा झलकती है कि वह केंद्रीय बैंक स्तर पर आर्थिक नीति-निर्माण को और सशक्त बनाना चाहती है।

नियुक्ति का महत्त्व

  • नीतिगत समन्वय को मजबूती: वित्त मंत्रालय और आरबीआई की नीतियों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित होता है।

  • आर्थिक मामलों का अनुभव: आरबीआई के निर्णय-निर्माण में प्रशासकीय एवं नीतिगत विशेषज्ञता का योगदान मिलेगा।

  • समयबद्ध नियुक्ति: मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आगामी बैठक से पहले यह नियुक्ति निरंतरता बनाए रखने में सहायक होगी।

  • मूल्य स्थिरता पर फोकस: मुद्रास्फीति प्रबंधन और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने में आरबीआई के प्रयासों को समर्थन मिलेगा।

आरबीआई केंद्रीय बोर्ड के प्रमुख उद्देश्य

  • आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीतियों का निर्माण।

  • सुदृढ़ और लचीली वित्तीय प्रणाली सुनिश्चित करने हेतु बैंकिंग नियमन की निगरानी।

  • मूल्य स्थिरता की रक्षा करते हुए विकास को बढ़ावा देना।

  • वित्तीय और वास्तविक क्षेत्रों में कॉर्पोरेट स्वामित्व से उत्पन्न हितों के टकराव का समाधान।

  • वैश्विक चुनौतियों के अनुरूप भारत की वित्तीय प्रणाली के लिए रणनीतिक योजना का मार्गदर्शन।

आरबीआई की हालिया प्राथमिकताएं

  • मूल्य स्थिरता: गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दोहराया कि मुद्रास्फीति नियंत्रण आरबीआई की “प्राथमिक चुनौती” है।

  • मौद्रिक नीति में संतुलित दृष्टिकोण: MPC वर्तमान और भविष्य के आंकड़ों के आधार पर लचीला निर्णय लेगी।

  • बैंकिंग नियमन की निगरानी: NBFCs और बैंकों में सुदृढ़ प्रथाओं को सुनिश्चित करना।

  • हितों के टकराव का समाधान: उन व्यावसायिक समूहों की निगरानी जो वित्तीय और वास्तविक अर्थव्यवस्था दोनों क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

केंद्र सरकार ने 2028 में COP-33 के लिए पैनल का गठन किया

भारत ने 2028 में 33वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP33) की मेज़बानी की तैयारी शुरू कर दी है, जो उसके जलवायु नेतृत्व प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस वैश्विक आयोजन की आवश्यकताओं के प्रबंधन के लिए एक समर्पित COP33 प्रकोष्ठ की स्थापना की है।

पृष्ठभूमि

कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP) संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा कन्वेंशन (UNFCCC) की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, जिसे 1992 में अपनाया गया था। इन वार्षिक बैठकों का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने की वैश्विक प्रगति की समीक्षा करना है, विशेष रूप से 2015 के पेरिस समझौते के बाद, जिसका लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को औद्योगीकरण-पूर्व स्तर से 1.5°C तक सीमित करना है।

महत्व

COP33 की मेज़बानी भारत को अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं में एक प्रमुख भूमिका निभाने का अवसर देगी। यह भारत को अपने जलवायु प्रयासों, नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का मौका देगा, साथ ही वैश्विक नीतिगत दिशा को प्रभावित करने का भी अवसर मिलेगा।

उद्देश्य

COP33 की मेज़बानी का मुख्य उद्देश्य जलवायु कार्रवाई पर बहुपक्षीय सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करना है। इसका लक्ष्य प्रतिबद्धताओं को सक्रिय करना, जवाबदेही को बढ़ाना और विश्व स्तर पर निम्न-कार्बन, जलवायु-प्रतिरोधी अर्थव्यवस्थाओं की ओर संक्रमण को तेज़ करना है।

मुख्य विशेषताएं

  • इस आयोजन की निगरानी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के जलवायु परिवर्तन प्रभाग के तहत गठित COP33 सेल द्वारा की जाएगी।

  • यह सेल 11 सदस्यों का है, जिसमें संयुक्त सचिव (जलवायु परिवर्तन), निदेशकगण और सलाहकार शामिल हैं।

  • भारत की COP33 मेज़बानी की दावेदारी को 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देशों का पूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ।

  • मेज़बान देश का चयन संयुक्त राष्ट्र की क्षेत्रीय घूर्णन प्रणाली के अनुसार होता है, जिसमें भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र से एक मजबूत उम्मीदवार बनकर उभरा है।

प्रभाव

यदि भारत को COP33 की मेज़बानी मिलती है, तो यह देश की वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊँचाई देगा, अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए अवसर खोलेगा और घरेलू जलवायु-अनुकूल निवेश को प्रोत्साहन देगा। यह मंच भारत को अपनी नवीकरणीय ऊर्जा महत्वाकांक्षाएं, वनीकरण कार्यक्रम और सतत विकास पहलों को विश्व समुदाय के सामने प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।

भारत, मालदीव के बीच टूना उद्योग, जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालन समझौता

भारत और मालदीव ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि के क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव की राजकीय यात्रा के दौरान छह समझौता ज्ञापनों के तहत हस्ताक्षरित हुआ। इस MoU का उद्देश्य सतत मत्स्य पालन, जलीय कृषि विकास, इको-पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है, जिससे खाद्य सुरक्षा, रोजगार सृजन और क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।

पृष्ठभूमि

  • भारत के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला मत्स्य पालन विभाग और मालदीव का मत्स्य और महासागरीय संसाधन मंत्रालय इस समझौता ज्ञापन (MoU) के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसियां हैं।
  • मालदीव की अर्थव्यवस्था और आजीविका में मत्स्य पालन एक प्रमुख स्तंभ है, वहीं भारत की लंबी समुद्री सीमा इसे समुद्री संसाधनों के सतत विकास में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार बनाती है।
  • दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और भौगोलिक निकटता के चलते मत्स्य क्षेत्र में सहयोग स्वाभाविक साझेदारी का क्षेत्र बनता है।

MoU का महत्व

  • द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना: समुद्री संसाधनों में रणनीतिक साझेदारी के ज़रिए भारत-मालदीव मित्रता को और गहराई मिलती है।

  • सतत संसाधन प्रबंधन: पर्यावरण-सम्मत मछली पकड़ने की पद्धतियों को बढ़ावा देना, विशेषकर टूना और गहरे समुद्री मत्स्य पालन में।

  • आर्थिक विकास: मछली प्रसंस्करण, जलीय कृषि उत्पादन और इको-पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना।

  • कौशल विकास: जलजीव स्वास्थ्य, प्रशीतन (रिफ्रिजरेशन) और समुद्री अभियंत्रण जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर युवाओं को रोजगार योग्य बनाना।

  • क्षेत्रीय खाद्य सुरक्षा: दोनों देशों में मछलियों की उपलब्धता बढ़ाकर और जलीय कृषि प्रजातियों में विविधता लाकर पोषण सुरक्षा को सुदृढ़ करना।

MoU के उद्देश्य

  • सतत मत्स्य पालन और जलीय कृषि को प्रोत्साहित करना।

  • मत्स्य क्षेत्र में मूल्य श्रृंखला और व्यापार सुविधा को विकसित करना।

  • मालदीव में मछली प्रसंस्करण और शीत भंडारण अवसंरचना को बढ़ाना।

  • अनुसंधान, नवाचार और ज्ञान-विनिमय को बढ़ावा देना।

  • तकनीकी और प्रबंधकीय कौशलों में प्रशिक्षण के माध्यम से मानव संसाधन क्षमता का निर्माण करना।

समझौते की प्रमुख विशेषताएं

  • मुख्य क्षेत्र: मूल्य श्रृंखला विकास, समुद्री कृषि (mariculture), इको-पर्यटन, व्यापार सुविधा।

  • अवसंरचना विकास: कोल्ड स्टोरेज, हैचरी और प्रोसेसिंग यूनिट्स में निवेश।

  • कौशल प्रशिक्षण: जैव-सुरक्षा परीक्षण, जलीय कृषि फार्म प्रबंधन, प्रशीतन और समुद्री अभियंत्रण में विशेष प्रशिक्षण।

  • नवाचार और अनुसंधान: मत्स्य पालन में उत्पादकता और स्थिरता बढ़ाने के लिए संयुक्त कार्यक्रम।

  • इको-पर्यटन: संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ आमदनी उत्पन्न करने के लिए मत्स्य आधारित इको-पर्यटन को बढ़ावा।

तन्वी और वेन्नला ने रचा इतिहास – भारत की बैडमिंटन में सुनहरी जीत!

भारतीय बैडमिंटन ने बैडमिंटन एशिया जूनियर चैंपियनशिप 2025 में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जहां तन्वी शर्मा और वेन्नला कलगोटला पहली ऐसी भारतीय जोड़ी बनीं जिन्होंने टूर्नामेंट के एक ही संस्करण में महिला एकल वर्ग में दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह अद्वितीय उपलब्धि भारतीय बैडमिंटन इतिहास में उनके नाम दर्ज करती है और एशियाई मंच पर भारत की जूनियर महिला खिलाड़ियों की बढ़ती ताकत को दर्शाती है।

पृष्ठभूमि

बैडमिंटन एशिया जूनियर चैंपियनशिप एक वार्षिक टूर्नामेंट है जिसमें पूरे एशिया के सर्वश्रेष्ठ अंडर-19 खिलाड़ी भाग लेते हैं। ऐतिहासिक रूप से भारत ने इस प्रतियोगिता में व्यक्तिगत और टीम स्पर्धाओं में सफलता पाई है, लेकिन एक ही संस्करण में महिला एकल वर्ग में दो पदक कभी नहीं जीते थे। पीवी सिंधु, समीर वर्मा और लक्ष्य सेन जैसे खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पहले पदक जीत चुके हैं, लेकिन महिला एकल में डबल पोडियम पहली बार संभव हो पाया है — और यह रिकॉर्ड अब टूट चुका है।

तन्वी शर्मा का स्वर्णिम सफ़र

  • टूर्नामेंट में दूसरी वरीयता प्राप्त और जूनियर वर्ल्ड नंबर 1 तन्वी शर्मा ने क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया की थालिता रामधानी विर्यावान को 21-19, 21-14 से सीधे गेम में हराकर शानदार प्रदर्शन किया।
  • इससे पहले तन्वी ने चीन की शी सी चेन और थाईलैंड की फन्नाचेट पासा-ऑर्न जैसी शीर्ष खिलाड़ियों को भी सीधे सेटों में हराया था।
  • तन्वी हाल ही में सुर्खियों में रही थीं जब वह यूएस ओपन 2025 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर इवेंट की सबसे कम उम्र की भारतीय फाइनलिस्ट बनीं।

वेन्नला कलागोटला की ऐतिहासिक उपलब्धि

  • विश्व रैंकिंग में 103वें स्थान पर काबिज वेन्नला कलागोटला ने थाईलैंड की जन्यापोर्न मीपंथोंग को रोमांचक तीन गेमों के मुकाबले में 21-18, 17-21, 21-17 से हराया।
  • इससे पहले उन्होंने मलेशिया की लर ची एंग और चाइनीज़ ताइपे की वेन शु-यू जैसी खिलाड़ियों को भी कठिन मुकाबलों में मात दी।
  • वेन्नला की दृढ़ता और लंबी रैलियों में संयम ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनके बढ़ते कौशल का प्रमाण दिया।

उपलब्धि का महत्व

  • यह पहली बार है जब भारत ने बैडमिंटन एशिया जूनियर चैंपियनशिप के एक ही संस्करण में महिला एकल वर्ग में दो पदक जीते हैं।
  • यह उपलब्धि भारत की उभरती महिला बैडमिंटन प्रतिभा की गहराई और विविधता को दर्शाती है।
  • यह सफलता इन जूनियर सितारों के लिए सीनियर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में संक्रमण का मार्ग प्रशस्त करती है, जिससे भविष्य में विश्व स्तर पर भारत की पदक संभावनाओं को बल मिलेगा।

भारत की बीते वर्षों की सफलता

  • 2011 में भारत ने पीवी सिंधु के कांस्य और समीर वर्मा के रजत सहित तीन पदकों के साथ वापसी की थी।
  • 2012 में सिंधु ने इस प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता।
  • 2018 में लक्ष्य सेन ने दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया।
  • हालांकि पहले भी व्यक्तिगत सफलताएं रही हैं, लेकिन 2025 में महिला एकल वर्ग में दो पदकों के साथ भारत ने एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है।

Recent Posts

about | - Part 174_12.1