भारतीय बैंकों में जमा 67003 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिनके कोई दावेदार नहीं: वित्त मंत्रालय

भारतीय बैंकों में हजारों करोड़ रुपये ऐसे हैं जिनके कोई दावेदार नहीं मिल रहे। हाल ही में वित्त मंत्रालय की तरफ से दी जानकारी में कहा गया है कि जून तिमाही तक भारतीय बैकों में 67,003 करोड़ रुपये ऐसे हैं जिनके कोई भी दावेदार नहीं मिल रहे हैं। इसमें सबसे अधिक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पास जमा है। एसबीआई में पूरे राशि का 29 प्रतिशत जमा है।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोकसभा में दिए गए एक लिखित जवाब के मुताबिक भारतीय बैंकों में जून 2025 के अंत तक 67,003 करोड़ रुपये का अनक्लेम्ड डिपॉजिट था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, 30 जून, 2025 तक सरकारी बैंकों में 58,330.26 करोड़ रुपये और प्राइवेट बैंकों में 8,673.72 करोड़ रुपये का अनक्लेम्ड डिपॉजिट था।

SBI के पास सबसे ज्यादा बिना क्लेम वाला पैसा

पब्लिक सेक्टर के बैंकों में SBI 19,329.92 करोड़ रुपये की अघोषित जमा राशि (Unclaimed Deposits) के साथ टॉप पर है, जिसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB)  6,910.67 करोड़ रुपये और केनरा बैंक (Canara Bank) 6,278.14 करोड़ रुपये का नंबर है।

प्राइवेट बैंकों में टॉप पर कौन?

पंकज चौधरी ने कहा कि प्राइवेट बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) के पास सबसे अधिक 2,063.45 करोड़ रुपये की अघोषित जमा राशि है, जिसके बाद एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) के पास 1,609.56 करोड़ रुपये और एक्सिस बैंक (Axis Bank) के पास 1,360.16 करोड़ रुपये की अघोषित जमा राशि है।

RBI की पहल: UDGAM पोर्टल

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और अदावा जमा राशि प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने UDGAM (Unclaimed Deposits – Gateway to Access Information) पोर्टल लॉन्च किया है।

  • यह पोर्टल जमा कर्ताओं या उनके नामित व्यक्तियों को विभिन्न बैंकों में छूटे हुए जमा खातों को खोजने की सुविधा देता है।

  • इस पहल का उद्देश्य निष्क्रिय खातों के बोझ को कम करना और वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाना है।

वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर सरकार का रुख

वित्त राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों (VDAs) के लिए Exchange Traded Funds (ETFs) शुरू करने का कोई इरादा नहीं है।

  • RBI लगातार क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो संपत्तियों को लेकर चेतावनियाँ देता रहा है, जिन्हें आर्थिक, कानूनी और सुरक्षा के दृष्टिकोण से जोखिमपूर्ण बताया गया है।

  • 31 मई 2021 को जारी RBI सर्कुलर के अनुसार, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को KYC (अपने ग्राहक को जानो), AML (मनी लॉन्ड्रिंग रोधी), CFT (आतंकवाद वित्तपोषण रोकथाम) और PMLA, 2002 के तहत ग्राहक की उचित जांच करनी आवश्यक है।

सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों ने स्मॉल-कैप फर्मों के लिए निगरानी ढांचे में संशोधन किया

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने स्टॉक एक्सचेंजों के सहयोग से ₹1,000 करोड़ से कम बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के लिए संवर्धित निगरानी प्रणाली (Enhanced Surveillance Mechanism – ESM) में संशोधन की घोषणा की है, जो 28 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा। इस कदम का उद्देश्य छोटी और सूक्ष्म पूंजी वाली कंपनियों की निगरानी को बेहतर बनाना, सट्टेबाजी गतिविधियों में कमी लाना और निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ाना है। यह संशोधित व्यवस्था वर्तमान में निगरानी ढांचे के अंतर्गत आने वाली 28 कंपनियों को सीधे लाभ पहुँचाएगी।

संशोधन का उद्देश्य

संशोधित ढांचे का उद्देश्य छोटे पूंजीकरण वाले शेयरों के विकास को प्रोत्साहित करने और साथ ही अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के बीच संतुलन बनाना है। चूंकि स्मॉल-कैप और माइक्रो-कैप स्टॉक्स अक्सर कीमतों में हेरफेर और सट्टात्मक व्यापार के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए सेबी के नए नियम बाजार की पारदर्शिता और अखंडता सुनिश्चित करने के साथ-साथ छोटे निवेशकों की सुरक्षा पर भी केंद्रित हैं।

स्टेज 1 के अंतर्गत नए शॉर्टलिस्टिंग मानदंड

पहले, कंपनियों को निगरानी में लाने का मुख्य आधार कीमतों में अधिकतम और न्यूनतम उतार-चढ़ाव (high-low variation) होता था। अब संशोधित ढांचे में एक नया मापदंड जोड़ा गया है, जिसमें पिछले तीन महीनों के दौरान लगातार सकारात्मक ‘क्लोज-टू-क्लोज’ मूल्य प्रवृत्ति (close-to-close price trend) को भी ध्यान में रखा जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि जिन स्टॉक्स में निरंतर मूल्य वृद्धि देखी जा रही है—जो अक्सर निवेशकों की बढ़ती रुचि का संकेत होता है—उन पर विशेष निगरानी रखी जाए, ताकि सट्टेबाजी की संभावनाओं पर लगाम लगाई जा सके।

स्टेज 2 और PE अनुपात की सीमा

स्टेज 2 निगरानी के लिए अब एक नया प्राइस-टू-अर्निंग्स (PE) अनुपात सीमा लागू की गई है। किसी स्टॉक को स्टेज 2 में आने के लिए अब उसका PE अनुपात Nifty 500 इंडेक्स के अनुपात का दो गुना से अधिक नहीं होना चाहिए। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि अत्यधिक मूल्यांकन वाले (overvalued) स्टॉक्स सख्त निगरानी से बच न जाएं और छोटे निवेशकों को फुलाए गए मूल्यांकन से जुड़ी संभावित जोखिमों से बचाया जा सके।

स्टेज 1 कंपनियों पर ट्रेडिंग प्रतिबंध

ESM (संवर्धित निगरानी प्रणाली) ढांचे के अंतर्गत स्टेज 1 में रखे गए स्टॉक्स पर कड़े ट्रेडिंग नियम लागू होंगे। इन नियमों में शामिल हैं:

  • T+2 दिन से 100% मार्जिन की अनिवार्यता, यानी निवेशकों को सौदे की पूरी राशि अग्रिम रूप से जमा करनी होगी।

  • ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेटलमेंट व्यवस्था, जिसके तहत प्रत्येक सौदे का अलग से निपटान किया जाएगा और इंट्राडे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होगी।

  • 5% मूल्य बैंड, यानी एक कारोबारी दिन में स्टॉक का मूल्य अधिकतम 5% ऊपर या नीचे जा सकता है।

ESM ढांचे की पृष्ठभूमि

संवर्धित निगरानी प्रणाली (Enhanced Surveillance Mechanism – ESM) को पहली बार अगस्त 2023 में उन सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू किया गया जिनका बाजार पूंजीकरण ₹1,000 करोड़ से कम था। इस व्यवस्था का उद्देश्य था बाजार में अत्यधिक मूल्य अस्थिरता पर नियंत्रण रखना और रिटेल निवेशकों को हेरफेर और धोखाधड़ी से बचाना। SEBI और स्टॉक एक्सचेंज मिलकर हर सप्ताह समीक्षा करते हैं कि किसी स्टॉक को निगरानी में बनाए रखना है, उसे किसी निचले चरण में ले जाना है या पूरी तरह से निगरानी सूची से हटाना है। इस प्रक्रिया के ज़रिए बाजार की पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

बिहार के मुख्यमंत्री ने राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के गठन की घोषणा की

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग (Bihar Rajya Safai Karmachari Ayog) की स्थापना की घोषणा की है। यह कदम लंबे समय से सफाई कर्मचारी यूनियनों की मांग रहा है और इसका उद्देश्य सफाई कर्मियों के अधिकारों की रक्षा, कल्याण और सामाजिक उत्थान सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री ने इस घोषणा को सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार सफाई कर्मचारियों के हितों के प्रति गंभीर और प्रतिबद्ध है।

आयोग की स्थापना का उद्देश्य

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह नया आयोग सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और हितों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राज्य भर में स्वच्छता बनाए रखने में सफाई कर्मियों के योगदान को देखते हुए, आयोग उनके कल्याण, पुनर्वास, शिकायत निवारण, और उनके लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी जैसे कार्यों पर केंद्रित रहेगा, ताकि इन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।

आयोग की संरचना

बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, और पाँच सदस्य शामिल होंगे। विशेष रूप से, आयोग में एक ऐसा प्रतिनिधि भी होगा जो या तो महिला होगी या ट्रांसजेंडर समुदाय से होगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सफाई कार्यबल में हाशिए पर रहने वाले वर्गों की भी उचित भागीदारी और प्रतिनिधित्व हो।

आयोग की भूमिकाएँ और कार्य

इस आयोग को राज्य सरकार को सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और कल्याण से संबंधित नीतिगत सुझाव देने का दायित्व सौंपा गया है। यह आयोग मौजूदा योजनाओं की समीक्षा करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि वे जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू की जा रही हैं या नहीं। साथ ही, आयोग सफाई कर्मचारियों को सामाजिक और आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करेगा, ताकि असमानताओं को कम किया जा सके और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिले।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

अक्सर वंचित समुदायों से आने वाले सफाई कर्मचारी नौकरी की असुरक्षा, सामाजिक भेदभाव, और कल्याणकारी सुविधाओं की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं। इस आयोग की स्थापना से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने की उम्मीद है, जिससे उन्हें पुनर्वास, सामाजिक सम्मान, और आर्थिक विकास के अवसर मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह आयोग सफाई कर्मियों की जीवन स्थितियों में महत्वपूर्ण सुधार लाएगा और उन्हें राज्य स्तरीय निर्णयों में प्रभावशाली भागीदारी का अवसर प्रदान करेगा।

अमेरिका और EU के बीच हुआ व्यापार समझौता, 15 प्रतिशत टैरिफ पर बनी सहमति

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने महीनों की तनावपूर्ण वार्ताओं के बाद एक ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर सहमति बना ली है, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों के बीच लंबे समय से जारी शुल्क विवाद का अंत हो गया है। यह समझौता स्कॉटलैंड में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन के बीच हुई उच्च स्तरीय बातचीत के बाद घोषित किया गया। इस समझौते के तहत अब अमेरिका में यूरोपीय संघ के निर्यात पर 15% शुल्क लगाया जाएगा, जो कि पहले ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 30% की दर का आधा है। इस सौदे को इतिहास का सबसे बड़ा व्यापार समझौता माना जा रहा है।

समझौते की प्रमुख विशेषताएँ

इस समझौते के तहत अमेरिका यूरोपीय संघ (EU) के सभी उत्पादों पर 15% शुल्क लगाएगा, जबकि EU अमेरिका से आने वाले कुछ विशेष उत्पादों जैसे विमान, विमान के पुर्जे, चयनित रसायन और कृषि उत्पादों पर शून्य शुल्क के साथ अपना बाजार खोलेगा। हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया कि वैश्विक स्तर पर इस्पात और एल्युमिनियम के आयात पर लागू 50% शुल्क यथावत रहेगा। समझौते में यह भी शामिल है कि यूरोपीय संघ अगले तीन वर्षों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में $600 बिलियन का निवेश करेगा और $750 बिलियन अमेरिकी ऊर्जा संसाधनों — जैसे तरल प्राकृतिक गैस (LNG), तेल और परमाणु ईंधन — पर खर्च करेगा, ताकि यूरोप की रूसी ऊर्जा पर निर्भरता कम की जा सके।

वार्ता प्रक्रिया

यह समझौता स्कॉटलैंड स्थित ट्रंप के टर्नबेरी गोल्फ रिज़ॉर्ट में हुई निर्णायक बैठक के बाद अंतिम रूप से तय हुआ। दोनों नेताओं ने इसे “बड़ा समझौता” बताया, जिसे कठिन वार्ताओं के बाद संभव किया गया। उर्सुला वॉन डेर लेयन ने इसे एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट करार दिया, जिसकी तकनीकी बारीकियों पर आने वाले हफ्तों में बातचीत जारी रहेगी। यह समझौता पूर्ण रूप से लागू होने से पहले EU सदस्य देशों की मंज़ूरी प्राप्त करेगा, जिनके राजदूत इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस समझौते पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। वॉन डेर लेयन ने इसे स्थायित्व लाने वाला कदम बताया, जबकि कुछ यूरोपीय नेताओं ने सतर्क प्रतिक्रिया दी। फ्रांस के यूरोपीय मामलों के मंत्री बेंजामिन हद्दाद ने इसे “असंतुलित” करार दिया, हालांकि फ्रांसीसी मदिरा जैसे क्षेत्रों को कुछ छूट मिली है। आयरलैंड के प्रधानमंत्री मीकॉल मार्टिन ने कहा कि भले ही समझौता हुआ है, पर शुल्क पहले से अधिक हैं, जिससे व्यापार और महंगा और जटिल हो गया है। वहीं जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने समझौते से आई स्थिरता का स्वागत किया, जबकि इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि अभी समझौते के विवरणों की गहन जांच की आवश्यकता है। दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अपनी व्यक्तिगत जीत बताया और खुद को एक “डील मेकर” घोषित किया।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

यह समझौता अमेरिका सरकार को पिछले वर्ष के व्यापार आँकड़ों के आधार पर लगभग $90 बिलियन का शुल्क राजस्व दिला सकता है, साथ ही अमेरिकी निर्यात को नए बाजारों तक पहुँच प्रदान कर सकता है। यह ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को भी बढ़ावा देगा और यूरोप की रूस पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा। हालांकि, फ्रेंच वाइन, डच बीयर जैसे उत्पादों को लेकर अभी भी चर्चा जारी है। यह समझौता एक संभावित अमेरिका-EU व्यापार युद्ध को टालने में सफल रहा, लेकिन आलोचकों का मानना है कि इस समझौते में EU ने जितना छोड़ा है, उससे कम प्राप्त किया है।

व्यापारिक पृष्ठभूमि

अमेरिका और EU के बीच वर्ष 2024 में कुल व्यापार लगभग $976 बिलियन रहा। अमेरिका ने $606 बिलियन का आयात यूरोप से किया, जबकि $370 बिलियन का निर्यात किया, जिससे एक बड़ा व्यापार घाटा पैदा हुआ। राष्ट्रपति ट्रंप इस तरह के असंतुलन को अमेरिका के “वैश्विक व्यापार में हारने” का संकेत मानते हैं। यदि यह समझौता न होता, तो EU को स्पेन की दवाएं, इटली का चमड़ा, जर्मनी की इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, फ्रांस का चीज़ जैसे उत्पादों पर भारी शुल्क का सामना करना पड़ता। वहीं EU ने भी अमेरिकी कार पुर्जों, बोइंग विमानों और बीफ पर जवाबी शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी।

NCERT के नये पाठ्यक्रम में कैप्टन शुभांशु और ऑपरेशन सिंदूर

स्कूली शिक्षा को अधिक प्रासंगिक, समकालीन और राष्ट्रीय पहचान से जुड़ा बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) नई पाठ्यक्रम सामग्री पेश करने जा रही है। इन पाठ्यक्रमों में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष मिशन और भारत के निर्णायक सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों को देश की बढ़ती रक्षा क्षमता, कूटनीति, अंतरिक्ष अन्वेषण और सतत विकास के प्रयासों के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे भारत की प्रगति और वैश्विक भूमिका को गहराई से समझ सकें।

पाठ्यक्रम पहल की पृष्ठभूमि

  • यह विशेष पाठ्य सामग्री शिक्षा मंत्रालय के मार्गदर्शन में विकसित की जा रही है और कक्षा 3 से 12 तक के पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह सामग्री फिलहाल निर्माणाधीन है और पूर्ण होने के बाद शीघ्र ही लागू कर दी जाएगी।
  • इस पहल का उद्देश्य छात्रों को भारत की राष्ट्रीय उपलब्धियों, सुरक्षा चुनौतियों और वैज्ञानिक प्रगति की समझ देना है, साथ ही उन्हें विश्व मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा पर गर्व महसूस कराना भी है।

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पर विशेष ध्यान

इस पाठ्यक्रम की एक प्रमुख विशेषता ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, जिन्होंने Axiom Mission 4 के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने का गौरव प्राप्त किया। उनका समावेश छात्रों में वैज्ञानिक जिज्ञासा जगाने और उन्हें एयरोस्पेस, अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में करियर अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इन मॉड्यूल्स में भारत के प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों जैसे चंद्रयान, आदित्य L1, और अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों को भी शामिल किया जाएगा, जिससे यह स्पष्ट हो कि भारत एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभर रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर: रणनीतिक रक्षा की शिक्षा

पाठ्यक्रम में भारत के एक निर्णायक सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर को भी शामिल किया जाएगा, जिसे देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए त्वरित और ठोस प्रतिक्रिया के रूप में अंजाम दिया गया था। यद्यपि इस अभियान से संबंधित अधिकांश जानकारी गोपनीय रहेगी, फिर भी इसे एक केस स्टडी के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे छात्रों को निम्नलिखित पहलुओं की समझ दी जा सके:

  • राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा में सशस्त्र बलों की भूमिका

  • संकट के समय अंतर-मंत्रालयी समन्वय का महत्व

  • राष्ट्रीय सुरक्षा संकटों के दौरान निर्णायक नेतृत्व की आवश्यकता

पाठ्यक्रम में अतिरिक्त विषयवस्तु

स्थायी जीवनशैली के लिए मिशन LiFE

रक्षा और अंतरिक्ष के अलावा, इन मॉड्यूल्स में मिशन LiFE (Lifestyle for Environment) को भी प्रमुखता दी जाएगी, जो पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य छात्रों को सतत जीवनशैली अपनाने, जलवायु परिवर्तन को कम करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। यह विषय विद्यार्थियों में पर्यावरणीय जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना विकसित करेगा।

विभाजन: इतिहास से सबक

नए पाठ्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा भारत के विभाजन को समर्पित होगा। इसमें विभाजन के दौरान हुए कष्टों और उसके दीर्घकालिक प्रभावों को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया जाएगा। इस मॉड्यूल का उद्देश्य छात्रों में ऐतिहासिक समझ, सहानुभूति, और विपरीत परिस्थितियों में एकता और धैर्य की भावना को विकसित करना है।

मॉड्यूल्स की संरचना

पाठ्यक्रम को दो स्तरों पर तैयार किया जाएगा:

  • कक्षा 3 से 8 तक के लिए – सरल भाषा और रोचक गतिविधियों के माध्यम से छोटी कक्षाओं के अनुरूप डिजाइन।

  • कक्षा 9 से 12 तक के लिए – अधिक विस्तृत विषयवस्तु और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।

प्रत्येक मॉड्यूल लगभग 8–10 पृष्ठों का होगा और इसमें केस स्टडीज़ (घटनाओं के उदाहरण) का उपयोग किया जाएगा, ताकि विषय छात्रों के लिए अधिक रोचक, व्यावहारिक और समझने योग्य बन सके।

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुआ युद्धविराम समझौता क्या है?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्षविराम समझौता 28 जुलाई 2025 को प्रभाव में आया, जिससे दोनों देशों के बीच पांच दिनों तक चले सीमा संघर्ष का अंत हुआ। इस हिंसक झड़प में कम से कम 38 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकांश नागरिक थे, जबकि 3 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए। यह संघर्ष पिछले एक दशक में दोनों दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसी देशों के बीच सबसे घातक मुठभेड़ों में से एक माना गया। इस टकराव को रोकने में मलेशिया, अमेरिका और चीन की मध्यस्थता ने अहम भूमिका निभाई। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी शांति प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिन्होंने व्यापार वार्ताओं की बहाली को संघर्षविराम से जोड़ते हुए समझौते को संभव बनाया।

संघर्षविराम समझौता क्या है?

संघर्षविराम समझौता (Truce Agreement) एक औपचारिक समझौता होता है, जो किसी चल रहे संघर्ष या युद्ध में शामिल विरोधी पक्षों के बीच अस्थायी रूप से युद्धविराम करने के लिए किया जाता है। यह किसी युद्ध या टकराव को स्थायी रूप से समाप्त नहीं करता, बल्कि आमतौर पर एक निश्चित समय और क्षेत्र में शत्रुता को रोकने के लिए लागू होता है, ताकि मानवीय सहायता, वार्ता या शांति-प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।

संघर्षविराम समझौते की प्रमुख बातें:

  • अस्थायी विराम: यह संघर्ष को रोकता है, लेकिन उसके मूल कारणों का समाधान नहीं करता।

  • शांति संधि नहीं: यह कानूनी रूप से युद्ध को समाप्त नहीं करता, केवल अस्थायी रोक लगाता है।

  • मानवीय उद्देश्य: आमतौर पर नागरिकों की निकासी, चिकित्सा सहायता या कैदियों की अदला-बदली के लिए किया जाता है।

  • सफेद झंडे की सुरक्षा: इस दौरान जो लोग सफेद झंडा लेकर आते हैं, उन्हें हमला नहीं किया जा सकता। इस झंडे का दुरुपयोग युद्ध अपराध माना जाता है।

  • ऐतिहासिक उपयोग: संयुक्त राष्ट्र चार्टर (1945) से पहले ‘संघर्षविराम’, ‘संधि’ और ‘शांति समझौते’ जैसे शब्दों में स्पष्ट अंतर होता था। आजकल ‘सीज़फायर’ शब्द का उपयोग ‘संघर्षविराम’ के पर्यायवाची के रूप में किया जाता है।

संघर्ष की पृष्ठभूमि

थाईलैंड-कंबोडिया सीमा क्षेत्र लंबे समय से क्षेत्रीय विवादों का केंद्र रहा है। मई 2025 में एक कंबोडियाई सैनिक की हत्या के बाद तनाव काफी बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों ओर सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई। 24 जुलाई को शुरू हुई झड़पें जल्दी ही छोटे हथियारों की गोलीबारी से भारी तोपखाने और थाईलैंड के एक F-16 फाइटर जेट की हवाई बमबारी तक पहुँच गईं। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर बिना उकसावे के हमले का आरोप लगाया। थाईलैंड ने आरोप लगाया कि कंबोडियाई बलों ने बारूदी सुरंगें बिछाईं, जिससे थाई सैनिक घायल हुए, जबकि कंबोडिया ने कहा कि थाई सेना ने स्कूलों और अस्पतालों जैसे नागरिक ठिकानों पर हमला किया।

मध्यस्थता प्रयास

संघर्षविराम को मलेशिया के पुत्रजया में दो घंटे की तीव्र वार्ता के बाद लागू किया गया, जिसमें मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की मध्यस्थता रही।

  • अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों पक्षों पर दबाव डाला कि अगर युद्ध नहीं रुका तो अमेरिका व्यापार समझौतों से पीछे हट जाएगा।

  • थाईलैंड और कंबोडिया दोनों की अमेरिका को होने वाली निर्यात पर 36% का भारी शुल्क लागू है, जिससे यह एक दबाव बिंदु बना।

  • चीन ने भी वार्ता को आगे बढ़ाने में रचनात्मक भूमिका निभाई।

  • समझौते में प्रत्यक्ष संवाद बहाल करने और संघर्षविराम के पालन के लिए निगरानी तंत्र स्थापित करने पर सहमति बनी।

मानवीय प्रभाव

इस हिंसा ने सीमा से सटे क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया।

  • थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत में तोपखाने से कई घर नष्ट हो गए।

  • हजारों नागरिकों ने राहत शिविरों में शरण ली, जहाँ भोजन वितरण और परिवारों के बिछड़ने की खबरें सामने आईं।

  • विस्थापित लोगों ने कहा कि वे तब तक अपने घर नहीं लौटेंगे, जब तक सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का 87वां स्थापना दिवस: इतिहास और महत्व

भारत की सबसे प्रतिष्ठित अर्धसैनिक बलों में से एक केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) ने 27 जुलाई 2025 को अपना 87वां स्थापना दिवस मनाया। 1939 में स्थापना के बाद से CRPF ने देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने और भीतरी एवं बाहरी खतरों से भारत की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाई है। “सेवा और निष्ठा” (Service and Loyalty) को अपना आदर्श वाक्य मानते हुए, यह बल समर्पण, बहादुरी और दृढ़ता का प्रतीक बना हुआ है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) की स्थापना 27 जुलाई 1939 को “क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस” के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासनकाल के दौरान रियासतों में हो रहे उपद्रवों को नियंत्रित करना था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, बल को पुनर्गठित कर 28 दिसंबर 1949 को “केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल” के रूप में एक संसद अधिनियम के तहत औपचारिक मान्यता दी गई।

इस पहल को भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का समर्थन प्राप्त था, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक मजबूत और अनुशासित बल की कल्पना की थी। आज CRPF देश की सबसे बड़ी और सम्मानित अर्धसैनिक सेनाओं में से एक बन चुकी है।

CRPF की विशिष्टताएँ

महिला बटालियन
CRPF भारत का एकमात्र अर्धसैनिक बल है, जिसमें छह महिला बटालियन हैं। इसकी शुरुआत 88 (महिला) बटालियन से 1986 में हुई थी। ये बटालियन, जिनका मुख्यालय दिल्ली में है, महिला आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों को संवेदनशीलता और दक्षता के साथ नियंत्रित करने में सक्षम हैं।

वीआईपी सुरक्षा शाखा
CRPF की VIP सुरक्षा इकाई केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, आध्यात्मिक गुरुओं और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करती है। यह गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशन में कार्य करती है और अपनी सटीकता और पेशेवर कार्यशैली के लिए जानी जाती है।

COBRA (कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन)
2008 से 2011 के बीच गठित की गई COBRA इकाइयाँ जंगल युद्ध और गुरिल्ला रणनीतियों में विशेषज्ञ हैं। ये विशेष रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार और झारखंड में कार्यरत हैं। इन्हें ‘जंगल योद्धा‘ के नाम से जाना जाता है।

रैपिड एक्शन फोर्स (RAF)
1992 में स्थापित RAF का उद्देश्य दंगों और जन आंदोलन जैसी स्थितियों से निपटना है। इसकी त्वरित कार्रवाई क्षमता के लिए यह जानी जाती है। 2003 में इसे राष्ट्रपति का ध्वज प्रदान किया गया। RAF की टुकड़ियाँ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भी भाग लेती हैं।

CRPF का आदर्श वाक्य और दायित्व

CRPF का आदर्श वाक्य है – “सेवा और निष्ठा”। यह बल गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और इसके प्रमुख कार्य हैं:

  • कानून और व्यवस्था बनाए रखना

  • नक्सल विरोधी अभियान और विद्रोह विरोधी ऑपरेशन

  • सीमा संघर्ष या आतंकवादी हमलों के समय सेना की सहायता करना

इतिहास में CRPF के वीर योगदान

हॉट स्प्रिंग्स की लड़ाई (1959)
21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में, CRPF के जवानों ने चीनी सेना के विरुद्ध वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी। अत्यधिक ठंड और संख्या में कम होने के बावजूद, बल ने साहसपूर्वक मोर्चा संभाला, जिसमें 10 जवान शहीद हुए। इस बलिदान की स्मृति में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।

सरदार पोस्ट की लड़ाई (1965)
रन ऑफ कच्छ में पाकिस्तान की ऑपरेशन डेजर्ट हॉक के दौरान, CRPF ने 3,500 पाकिस्तानी सैनिकों का सामना केवल कुछ जवानों के साथ किया। भारी असमानता के बावजूद, CRPF ने दुश्मन के 14 सैनिकों को मार गिराया और 4 को जीवित पकड़ लिया, जिससे दुश्मन को पीछे हटना पड़ा।

संसद पर हमला (2001)
13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए आत्मघाती हमले में CRPF जवानों ने 30 मिनट की मुठभेड़ में पांचों आतंकवादियों को मार गिरायाएक महिला कांस्टेबल ने राष्ट्र की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।

अयोध्या हमला (2005)
5 जुलाई 2005 को अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर पर हुए आतंकी हमले को CRPF ने नाकाम कर दिया। सभी पांच आतंकियों को मार गिराया गया और एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया गया।

सेवा की विरासत

लद्दाख की बर्फीली सीमाओं से लेकर कच्छ के रेगिस्तान तक, दंगों की स्थिति से लेकर वीआईपी सुरक्षा और विद्रोह विरोधी अभियानों तक, CRPF ने अद्वितीय साहस और समर्पण का परिचय दिया है। युद्धकाल हो या शांतिकाल, इस बल की भूमिका भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक और गौरवशाली रही है।

World Hepatitis Day 2025: जानें क्यों मनाते हैं विश्व हेपेटाइटिस दिवस?

हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस खामोश लेकिन जानलेवा लिवर रोग — हेपेटाइटिस — के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ. बारूच ब्लमबर्ग की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी और इसके खिलाफ पहली वैक्सीन विकसित की थी। हेपेटाइटिस एक ऐसा रोग है जो रोकथाम योग्य और इलाज योग्य होने के बावजूद दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है — और अक्सर लोग इससे अनजान रहते हैं। इसलिए इसकी समय पर पहचान, टीकाकरण और जागरूकता अत्यंत आवश्यक है।

विश्व हेपेटाइटिस दिवस क्यों महत्वपूर्ण है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व हेपेटाइटिस दिवस एक वैश्विक अभियान है, जिसका उद्देश्य निम्नलिखित आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करना है:

  • हेपेटाइटिस की रोकथाम और इलाज तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना।

  • समय पर निदान के माध्यम से लिवर को होने वाले खामोश नुकसान को रोकना।

  • जागरूकता अभियानों के माध्यम से भ्रम और सामाजिक कलंक को दूर करना।

2025 में इस अभियान की थीम है: “Hepatitis: Let’s Break It Down” — जिसका उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक और प्रणालीगत बाधाओं को तोड़कर समय पर इलाज को सुलभ बनाना और 2030 तक हेपेटाइटिस को सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ना है।

हेपेटाइटिस क्या है?

हेपेटाइटिस का अर्थ है लिवर की सूजन। लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो विषैले पदार्थों को बाहर निकालने, ऊर्जा संग्रह करने और चयापचय (metabolism) में भूमिका निभाता है। यह बीमारी तीव्र (Acute) या दीर्घकालिक (Chronic) हो सकती है। कुछ प्रकार अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन क्रॉनिक हेपेटाइटिस चुपचाप लिवर को वर्षों तक नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे सिरोसिस, लिवर फेलियर या लिवर कैंसर हो सकता है। इसके सबसे सामान्य कारण वायरल संक्रमण हैं, हालांकि शराब का अत्यधिक सेवन, ऑटोइम्यून बीमारियाँ या कुछ दवाएं भी इसका कारण बन सकती हैं।

हेपेटाइटिस के प्रकार और उनके फैलने के तरीके

हेपेटाइटिस ए (HAV)

  • दूषित भोजन या पानी के सेवन से फैलता है।

  • आमतौर पर अल्पकालिक होता है और स्वयं ठीक हो जाता है।

  • गंदगी वाले क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है।

हेपेटाइटिस बी (HBV)

  • संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंध, या माँ से बच्चे को जन्म के दौरान फैलता है।

  • दीर्घकालिक हो सकता है, जिससे लिवर को गंभीर नुकसान हो सकता है।

  • टीकाकरण से रोका जा सकता है

हेपेटाइटिस सी (HCV)

  • संक्रमित रक्त के संपर्क, जैसे असुरक्षित इंजेक्शन या रक्त आधान से फैलता है।

  • लिवर रोग का प्रमुख कारण है।

  • अब एंटीवायरल दवाओं से पूरी तरह ठीक हो सकता है

हेपेटाइटिस डी (HDV)

  • केवल उन्हीं लोगों को होता है जो पहले से हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हों।

  • सह-संक्रमण से लिवर को अधिक नुकसान होता है।

हेपेटाइटिस ई (HEV)

  • दूषित पानी से फैलता है, HAV की तरह।

  • आमतौर पर तीव्र होता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए खतरनाक हो सकता है।

हेपेटाइटिस के लक्षण

प्रारंभिक चरण में हेपेटाइटिस बिना लक्षण के होता है। जब लक्षण प्रकट होते हैं, तो इनमें शामिल हैं:

  • अत्यधिक थकावट और कमजोरी

  • भूख न लगना

  • मतली और उल्टी

  • पेट दर्द (विशेषकर ऊपरी दाईं ओर)

  • गहरा मूत्र और फीकी मल

  • पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)

क्रॉनिक मामलों में लक्षण तब तक नहीं दिखते जब तक लिवर को गंभीर क्षति न हो, इसलिए नियमित जांच अत्यंत आवश्यक है।

बच्चों में हेपेटाइटिस: एक छिपा खतरा

  • बच्चे हेपेटाइटिस से संक्रमित हो सकते हैं:

    • जन्म के समय माँ से,

    • असुरक्षित रक्त आधान से,

    • दूषित भोजन या पानी से।

  • हेपेटाइटिस बी और सी बच्चों में दीर्घकालिक रूप ले सकते हैं, जिससे विकास और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो सकती है।

  • अधिकतर बच्चों में कोई लक्षण नहीं होते, जिससे यह अधिक खतरनाक बन जाता है।

  • टीकाकरण और प्रारंभिक स्क्रीनिंग आवश्यक है ताकि समय पर इलाज किया जा सके और संक्रमण का प्रसार रोका जा सके।

लंबे समय में लिवर पर प्रभाव

क्रॉनिक हेपेटाइटिस (विशेष रूप से B और C) से हो सकते हैं:

  • लिवर सिरोसिस (लिवर का सिकुड़ना और कार्य बंद होना)

  • लिवर फेलियर

  • लिवर कैंसर

  • पोर्टल हाइपरटेंशन (लिवर में रक्तचाप बढ़ना)

  • लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता

समय पर इलाज, जीवनशैली प्रबंधन और नियमित जांच से इन जटिलताओं से बचा जा सकता है।

हेपेटाइटिस से बचाव कैसे करें?

  • टीकाकरण: HAV और HBV के लिए प्रभावी टीके उपलब्ध हैं।
  • स्वच्छ भोजन और पानी: केवल साफ पानी पिएं और खाद्य स्वच्छता बनाए रखें।
  • साफ-सुथले चिकित्सीय उपकरण: केवल निष्फल (sterile) सुइयों और उपकरणों का प्रयोग करें।
  • सुरक्षित रक्त आधान: केवल जांचे गए रक्त का ही उपयोग करें।
  • सुरक्षित यौन संबंध: संक्रमण से बचाव के लिए सुरक्षा उपाय अपनाएं।
  • व्यक्तिगत वस्तुओं का साझा उपयोग न करें: जैसे रेज़र, टूथब्रश, नेल कटर आदि।
  • नियमित परीक्षण: विशेषकर उच्च जोखिम वाले समूहों में।

स्क्रीनिंग और निदान

प्रारंभिक पहचान जीवन बचा सकती है।
प्रमुख जांच विधियां:

  • रक्त परीक्षण (वायरस और लिवर एंजाइम की जांच)

  • HBsAg और Anti-HCV परीक्षण

  • लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT)

  • अल्ट्रासाउंड या लिवर इलास्टोग्राफी

  • जटिल मामलों में लिवर बायोप्सी

जो लोग जोखिम में हैं:

  • जिनके परिवार में हेपेटाइटिस का इतिहास है

  • जिन्हें असुरक्षित रक्त चढ़ाया गया है

  • गर्भवती महिलाएं

  • जिन्हें पीलिया, कमजोरी जैसे लक्षण हों

ऑपरेशन महादेव: भारतीय सुरक्षा बलों ने पहलगाम हमले के आतंकवादियों को मार गिराया

भारतीय सेना ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर के दाचिगाम नेशनल पार्क के पास स्थित डारा क्षेत्र में एक उच्च-तीव्रता वाला आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया है, जिसका कोड नाम ऑपरेशन महादेव रखा गया है। विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर, सुरक्षा बलों ने सोमवार को आतंकवादियों की गतिविधियों को लेकर कार्रवाई की, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया। यह अभियान सुरक्षा बलों के समन्वित प्रयासों और त्वरित प्रतिक्रिया का उदाहरण है, जो जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं।

ऑपरेशन महादेव की पृष्ठभूमि
यह अभियान खुफिया सूचनाओं के आधार पर शुरू किया गया था, जिसमें श्रीनगर से लगभग 20 किमी दूर स्थित हरवन के पास लिदवास क्षेत्र में आतंकवादियों की संभावित गतिविधियों का संकेत मिला था। यह क्षेत्र दुर्गम और पहाड़ी भू-भाग के लिए जाना जाता है, जिसे पहले भी आतंकवादी छिपने के लिए उपयोग कर चुके हैं।

यह आतंकवाद विरोधी कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के आरोपियों की तलाश से भी जुड़ी हुई है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। हाल की रिपोर्टों में संकेत मिले थे कि इस हमले में शामिल कुछ आतंकवादी डाचीगाम क्षेत्र की ओर स्थानांतरित हो गए हैं।

मुठभेड़ का विवरण
सोमवार को लगभग 11 बजे सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई, जब बलों ने उनके साथ संपर्क स्थापित किया। चिनार कॉर्प्स ने एक आधिकारिक बयान में पुष्टि की,

“तीन आतंकवादियों को एक तीव्र मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया है। अभियान जारी है।”
इलाके को पूरी तरह सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त बलों और ड्रोन निगरानी को तैनात किया गया।

आतंकवादियों की पहचान
एसएसपी श्रीनगर जीवी संदीप चक्रवर्ती के अनुसार, मारे गए सभी आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े हुए थे। हालांकि उनका पहलगाम हमले में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होना अभी पुष्टि नहीं हुआ है, जांच जारी है।

सुरक्षा बलों की भूमिका
यह अभियान तीन प्रमुख बलों के समन्वय से संचालित हुआ:

  • भारतीय सेना (चिनार कॉर्प्स)

  • केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)

  • जम्मू-कश्मीर पुलिस
    इनकी त्वरित कार्रवाई और समन्वय ने आतंकवादियों के भागने की संभावना को खत्म कर दिया और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की।

ऑपरेशन महादेव का महत्व

  • आतंकवाद के खिलाफ सफलता: तीन LeT आतंकियों का मारा जाना सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के खिलाफ एक अहम कामयाबी है।

  • क्षेत्रीय सुरक्षा में वृद्धि: यह कार्रवाई श्रीनगर और डाचीगाम क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करती है और आगे के हमलों की आशंका को कम करती है।

  • पहलगाम हमले से संबंध: यद्यपि प्रत्यक्ष संबंध अभी पुष्ट नहीं हुआ है, फिर भी यह अभियान 22 अप्रैल के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक कदम है।

  • आधुनिक निगरानी का उपयोग: ड्रोन की तैनाती ने यह दिखाया कि सेना अब तकनीक आधारित आतंकवाद विरोधी अभियानों पर अधिक जोर दे रही है।

दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास: FIDE महिला शतरंज विश्व कप 2025 जीता

भारत की उभरती हुई शतरंज सितारा दिव्या देशमुख ने 28 जुलाई 2025 को इतिहास रच दिया, जब उन्होंने अनुभवी कोनेरु हम्पी को टाईब्रेक में हराकर जॉर्जिया के बातुमी में आयोजित FIDE महिला शतरंज वर्ल्ड कप का खिताब जीत लिया। मात्र 19 वर्ष की उम्र में दिव्या ने न केवल महिला शतरंज की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में से एक का खिताब अपने नाम किया, बल्कि भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर (GM) बनने का गौरव भी हासिल किया।

पीढ़ियों की टक्कर

FIDE महिला शतरंज वर्ल्ड कप का फाइनल अनुभव बनाम युवा प्रतिभा की भिड़ंत था। भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर और शतरंज की दिग्गज कोनेरु हम्पी, जो वर्तमान में विश्व नंबर 5 हैं, अपने विशाल अनुभव के साथ मैदान में थीं। वहीं, विश्व रैंकिंग में 18वीं स्थान पर काबिज दिव्या देशमुख एक अंडरडॉग के रूप में प्रतियोगिता में उतरी थीं, लेकिन उन्होंने अपने सीनियर खिलाड़ी के खिलाफ अद्भुत आत्मविश्वास और धैर्य दिखाया। पहले दो क्लासिकल मुकाबले ड्रॉ रहे, जिससे मैच रैपिड टाईब्रेक में चला गया।

निर्णायक टाईब्रेक

पहले रैपिड गेम में दिव्या ने हम्पी को मजबूती से ड्रॉ पर रोका। दूसरा गेम निर्णायक रहा,

  • काले मोहरों से खेल रही दिव्या ने हम्पी की एक अहम एंडगेम चूक का फायदा उठाया।

  • उन्होंने उस बढ़त को सटीकता से बदलते हुए जीत दर्ज की।

  • इस जीत ने उन्हें न केवल वर्ल्ड कप का खिताब दिलाया, बल्कि ग्रैंडमास्टर बनने का सपना भी पूरा कर दिया, जिसे उन्होंने “किस्मत” बताया।

प्रारंभिक उपलब्धियाँ

  • दिव्या ने 2024 में वर्ल्ड जूनियर चैंपियन (गर्ल्स कैटेगरी) का खिताब जीता।

  • बुडापेस्ट में आयोजित शतरंज ओलंपियाड में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई, और व्यक्तिगत गोल्ड भी जीता।

ग्रैंडमास्टर टाइटल

इस जीत के साथ दिव्या उन चुनिंदा भारतीय महिलाओं में शामिल हो गईं जो ग्रैंडमास्टर बनी हैं:

  • कोनेरु हम्पी

  • आर. वैशाली

  • हरिका द्रोणावल्ली

  • दिव्या देशमुख (फिलहाल इनमें सबसे कम उम्र की GM)।

संघर्षों पर विजय

अपनी कम FIDE रैंकिंग और हम्पी के विश्व रैपिड चैंपियन होने के बावजूद, दिव्या निडर रहीं। उन्होंने स्वीकार किया कि पहले क्लासिकल गेम में ड्रॉ “हार जैसा लगा” क्योंकि उन्होंने जीत के कई मौके गंवा दिए, लेकिन रैपिड फॉर्मेट में उन्होंने मौके का फायदा उठाने के लिए अपना धैर्य बनाए रखा।

कोनेरु हम्पी: अनुभवी प्रतिद्वंद्वी

37 वर्षीय हम्पी भारतीय शतरंज की सबसे बड़ी प्रतिनिधियों में से एक हैं। उन्होंने मात्र 15 वर्ष और 27 दिन की उम्र में ग्रैंडमास्टर बनकर जुडिट पोल्गर का रिकॉर्ड तोड़ा था। हालाँकि वह फाइनल हार गईं, लेकिन उन्होंने दिव्या की तैयारी की सराहना की और माना कि मैच के कई हिस्सों में दिव्या “निस्संदेह बेहतर” खेलीं।

जीत का महत्व

दिव्या की यह जीत भारतीय शतरंज के लिए मील का पत्थर है:

  • यह वैश्विक शतरंज में भारत के बढ़ते प्रभुत्व को रेखांकित करती है।

  • भारत को एक और महिला ग्रैंडमास्टर मिली है।

  • यह महिला शतरंज में पीढ़ीगत बदलाव का प्रतीक है और युवा खिलाड़ियों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करती है।

  • उनकी जीत भारत की हालिया शतरंज उपलब्धियों को और गति देती है, जहाँ युवा खिलाड़ी लगातार अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमक रहे हैं।

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