अनुभवी अभिनेता केपीएसी राजेंद्रन का 74 वर्ष की उम्र में निधन

मलयालम रंगमंच और टेलीविजन जगत ने एक चमकता सितारा खो दिया, जब एक अनुभवी अभिनेता और प्रख्यात रंगमंच कलाकार केपीएसी राजेंद्रन का 31 जुलाई, 2025 को अलप्पुझा में निधन हो गया। वे 74 वर्ष के थे और अलप्पुझा के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। केरल पीपुल्स आर्ट्स क्लब (केपीएसी) में अपने उल्लेखनीय योगदान और मंच तथा पर्दे पर अपने अविस्मरणीय अभिनय के लिए प्रसिद्ध, राजेंद्रन अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो रंगमंच प्रेमियों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

एक रंगमंच कलाकार

राजेंद्रन ने अपने कलात्मक जीवन की शुरुआत एक रंगमंच कलाकार के रूप में की और जल्द ही वे केरल पीपुल्स आर्ट्स क्लब (KPAC) के सबसे सम्मानित चेहरों में शामिल हो गए। केपीएसी, केरल के सामाजिक-राजनीतिक रंगमंच आंदोलन की आधारशिला रहा है, और राजेंद्रन इस आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार बने।

उनकी सबसे प्रतिष्ठित भूमिका थी नाटक “निंगलेन्ने कम्युनिस्टाक्की” (आपने मुझे कम्युनिस्ट बना दिया), जो केपीएसी के प्रगतिशील रंगमंच में योगदान का प्रतीक माना जाता है। दशकों तक, उन्होंने रंगमंच पर सक्रिय रहते हुए सामाजिक और राजनीतिक विषयों से जुड़े नाटकों का निर्देशन और अभिनय किया।

टेलीविज़न पर प्रसिद्धि और लोकप्रिय भूमिकाएं

हालाँकि रंगमंच उनका पहला प्यार था, लेकिन उन्होंने टेलीविज़न की दुनिया में भी अपनी छाप छोड़ी। टीवी धारावाहिक ‘उप्पुम मुलकुम’ में उनका किरदार पडावालम कुट्टनपिल्लै उन्हें घर-घर में पहचान दिलाने वाला साबित हुआ। उनकी बहुमुखी अभिनय क्षमता ने उन्हें सभी उम्र के दर्शकों से जोड़ने में सक्षम बनाया—वे हास्य, संवेदना और यथार्थवाद को सहजता से मिलाते थे।

मंच से आगे भी अमिट विरासत

केपीएसी राजेंद्रन का पाँच दशकों से भी अधिक लंबा करियर केवल अभिनय तक सीमित नहीं था, बल्कि वह सामाजिक प्रतिबद्धता और सांस्कृतिक परिवर्तन का प्रतीक रहा। अपने नाटकों के माध्यम से उन्होंने आम लोगों के संघर्ष और सपनों को आवाज दी। कला और विचारधारा के इस संगम ने उन्हें मलयालम रंगमंच के प्रगतिशील आंदोलन का स्तंभ बना दिया। मंच के पीछे भी, उन्होंने युवा कलाकारों का मार्गदर्शन किया और केपीएसी की परंपरा को जीवित रखने में पूरी निष्ठा से लगे रहे। उनकी नम्रता, समर्पण और कलात्मकता ने उन्हें केरल की सांस्कृतिक दुनिया का सच्चा किंवदंती (लीजेंड) बना दिया।

शशि भूषण सिंह बने दिल्ली पुलिस के नए चीफ

राष्ट्रीय राजधानी के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शशि भूषण कुमार (एसबीके) सिंह को दिल्ली का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही तीन साल का वह दौर समाप्त हो गया है जिसमें एजीएमयूटी कैडर से बाहर के दिल्ली पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति होती थी। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी सिंह ने 31 जुलाई, 2025 को संजय अरोड़ा का स्थान लेते हुए कार्यभार संभाला। तीन दशकों से अधिक के अपने कार्यकाल के साथ, सिंह अपने कार्यालय में अनुभव, सुधारवादी उत्साह और तकनीकी दृष्टि का मिश्रण लेकर आए हैं, जो दिल्ली पुलिस के लिए एक नए अध्याय का वादा करता है।

नियुक्ति और कार्यभार संभालना
गुरुवार शाम, एसबीके सिंह ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में आधिकारिक रूप से कार्यभार संभाला। वे शाम 4 बजे के बाद मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर के साथ स्वागत किया गया। इसके बाद पूर्व पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा की उपस्थिति में उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया।

दिल्ली पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार मिलने के साथ, सिंह की नियुक्ति विशेष मानी जा रही है क्योंकि यह 2022 से बाहरी कैडर से नियुक्त होने वाले पुलिस प्रमुखों की श्रृंखला को तोड़ती है। (जैसे—राकेश अस्थाना: गुजरात कैडर, संजय अरोड़ा: तमिलनाडु कैडर)

सेवानिवृत्ति की तिथि: 31 जनवरी, 2026
बैच: 1986, भारतीय पुलिस सेवा (IPS)
वर्तमान पद: महानिदेशक, होम गार्ड्स (DG, Home Guards)

शैक्षणिक पृष्ठभूमि: सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्र
एसबीके सिंह की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज में हुई, जहां उन्होंने भौतिकी (ऑनर्स) में स्नातक किया।
इसके बाद उन्होंने 1986 में IPS जॉइन किया।
प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए, उन्होंने IGNOU से मानव संसाधन प्रबंधन में MBA भी किया।

विशिष्ट पुलिस करियर

प्रारंभिक सेवाएं और प्रमुख जांचें

  • सहायक पुलिस आयुक्त (ACP), सेंट्रल दिल्ली में कैरियर की शुरुआत।

  • 1992 में अरुणाचल प्रदेश में पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में कार्यभार।

  • उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों की निगरानी की, जैसे:

    • उफ़ान सिनेमा अग्निकांड, (तत्कालीन अतिरिक्त DCP, साउथ)

    • पोंटी चड्ढा हत्या मामला

    • हांसी क्रोन्ये मैच फिक्सिंग घोटाला

  • डीसीपी (केंद्रीय और पूर्वोत्तर दिल्ली) रहते हुए सांप्रदायिक तनाव और अपराध नियंत्रण में कुशलता दिखाई।

तकनीकी और रणनीतिक योगदान

विशेष पुलिस आयुक्त (प्रौद्योगिकी व परियोजना) के रूप में:

  • सेफ सिटी प्रोजेक्ट और इंटेलिजेंट ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किए।

  • क्यूआर-कोड आधारित फीडबैक प्रणाली शुरू की ताकि नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें।

  • IIT दिल्ली के सहयोग से डिजिटल ट्रकिंग रेडियो सिस्टम विकसित किया।

विशेष पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था – उत्तर) के रूप में:

  • सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में सफलता।

  • पब्लिक फैसिलिटेशन डेस्क शुरू की जिससे आमजन से पुलिस की दूरी घटी।

विशेष पुलिस आयुक्त (सुरक्षा) के रूप में:

  • 2015 गणतंत्र दिवस परेड (जिसमें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा शामिल हुए) की सुरक्षा व्यवस्था।

  • इंडो-अफ्रीका समिट, जिसमें 54 देशों के नेता शामिल हुए, को सफलतापूर्वक संचालित किया।

क्राइम ब्रांच और आर्थिक अपराध शाखा में योगदान

संयुक्त आयुक्त (क्राइम ब्रांच) के रूप में:

  • ‘लॉस्ट रिपोर्ट’ ऐप लॉन्च किया—लोग खोए दस्तावेजों की रिपोर्ट ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के साथ मिलकर जाली मुद्रा के खिलाफ अभियान चलाया।

  • ATM सुरक्षा प्रणाली को बेहतर किया।

आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के प्रमुख के रूप में:

  • भूमि घोटालों, बैंक धोखाधड़ी, और साइबर अपराध के मामलों की निगरानी की।

  • बैंकों में ओटीपी प्रणाली लागू कराई जिससे धोखाधड़ी में कमी आई।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और लेखक मेघनाद देसाई का 85 वर्ष की आयु में निधन

अर्थशास्त्र और साहित्य जगत, भारत में जन्मे प्रख्यात ब्रिटिश अर्थशास्त्री, लेखक और सहकर्मी लॉर्ड मेघनाद देसाई के निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है। देसाई का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अपनी तीक्ष्ण बुद्धि, स्वतंत्र विचारों और शैक्षणिक जगत तथा सार्वजनिक जीवन में स्थायी योगदान के लिए प्रसिद्ध देसाई अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं, जिसने भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच अनूठे तरीकों से सेतु का काम किया।

प्रारंभिक जीवन और शैक्षणिक यात्रा

मेघनाद देसाई का जन्म 1940 में वडोदरा (गुजरात) में हुआ था। उनकी अकादमिक प्रतिभा उन्हें अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय तक ले गई, जहाँ उन्होंने 1963 में अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 1965 में वे लंदन चले गए और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) से जुड़ गए। वहां उन्होंने एक व्याख्याता के रूप में कार्य शुरू किया और दशकों में एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर और बाद में एमेरिटस प्रोफेसर बने। उन्होंने न केवल छात्रों की पीढ़ियों को मार्गदर्शन दिया बल्कि वैश्विक आर्थिक बहसों को भी दिशा दी।

राजनीतिक जीवन और जनसेवा

1991 में, उन्हें हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लेबर पार्टी के सदस्य के रूप में नामित किया गया। वे ब्रिटिश राजनीति में भारतीय मूल के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक बने। हालांकि, 2020 में उन्होंने लेबर पार्टी से इस्तीफा दे दिया, यह कहते हुए कि पार्टी यहूदी विरोधी नस्लवाद को रोकने में असफल रही है। इसके बाद वे क्रॉसबेंच पीयर के रूप में सेवा देते रहे।

उनका योगदान केवल शिक्षा और राजनीति तक सीमित नहीं था—वे भारत और ब्रिटेन के संबंधों को मज़बूत करने में भी एक सांस्कृतिक सेतु की भूमिका में रहे। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।

साहित्यिक योगदान

मेघनाद देसाई एक प्रबुद्ध लेखक भी थे। उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीति और संस्कृति पर कई किताबें लिखीं।

  • उनकी अंतिम पुस्तक (2022) थी: “The Poverty of Political Economy: How Economics Abandoned the Poor”, जिसमें उन्होंने वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की कड़ी आलोचना की।

  • 2004 में, उन्होंने “Nehru’s Hero: Dilip Kumar in the Life of India” लिखी—यह एक अनूठी जीवनी थी जो दिलीप कुमार के जीवन के माध्यम से भारतीय सिनेमा, राजनीति और संस्कृति को जोड़ती है।

भारत-ब्रिटेन संबंधों में विरासत

वे Gandhi Statue Memorial Trust के संस्थापक-ट्रस्टी थे और उन्होंने लंदन के संसद चौक पर महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए धन जुटाने का नेतृत्व किया। यह प्रतिमा 2015 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन द्वारा उद्घाटित की गई थी। यह पहल भारत-ब्रिटेन मित्रता का प्रतीक बनी और सांस्कृतिक कूटनीति में देसाई की दूरदर्शिता को दर्शाती है।

कैबिनेट ने पीएमकेएसवाई के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाकर 6,520 करोड़ रुपये किया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) के बजट में बड़ी वृद्धि को मंज़ूरी दे दी है, जिससे इसका आवंटन ₹1,920 करोड़ बढ़कर कुल ₹6,520 करोड़ हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उठाए गए इस कदम का उद्देश्य आधुनिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण और बेहतर खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करके भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को महत्वपूर्ण बढ़ावा देना है।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा

2017 में शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को मजबूत करने और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने की एक प्रमुख पहल रही है। 2025-26 तक के विस्तारित चरण के लिए इसे पहले ₹4,600 करोड़ आवंटित किए गए थे। अब 2024-25 के बजट में घोषित नई परियोजनाओं के लिए इसमें अतिरिक्त ₹1,920 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

वित्त पोषण के प्रमुख फोकस क्षेत्र

50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इर्रैडिएशन यूनिट्स

  • लगभग ₹1,000 करोड़ की लागत से 50 बहुउद्देशीय खाद्य विकिरण (irradiation) इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी।

  • ये इकाइयाँ प्रति वर्ष 20–30 लाख टन खाद्य संरक्षण क्षमता तैयार करेंगी।

  • विकिरण से फसल के बाद नुकसान, सूक्ष्मजीवों से होने वाला संक्रमण, जल्दी पकने की समस्या और शेल्फ लाइफ को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

100 फूड टेस्टिंग लैब्स

  • NABL मान्यता प्राप्त 100 खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी, जो Food Safety and Quality Assurance Infrastructure (FSQAI) योजना के तहत आएंगी।

  • ये लैब्स घरेलू और वैश्विक खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करेंगी।

  • तेज सैंपल विश्लेषण से मंजूरी में लगने वाला समय घटेगा, जिससे निर्यात को बल मिलेगा और उपभोक्ता का भोजन की गुणवत्ता पर भरोसा बढ़ेगा।

अन्य परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त राशि

  • शेष ₹920 करोड़, 15वें वित्त आयोग चक्र (2021-22 से 2025-26) के दौरान PMKSY की अन्य उप-योजनाओं के तहत नई परियोजनाओं को स्वीकृत करने में खर्च किए जाएंगे।

आर्थिक प्रभाव और लाभ

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के तहत की गई नई पहल भारत की खाद्य निर्यात क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार,

  • भारत से प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात पहले के 5 अरब डॉलर से बढ़कर 11 अरब डॉलर हो गया है।

  • कृषि निर्यातों में प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की हिस्सेदारी 14% से बढ़कर 24% हो चुकी है, जो इस क्षेत्र के तेजी से विकास को दर्शाता है।

नई इर्रैडिएशन यूनिट्स और फूड टेस्टिंग लैब्स के साथ, भारत वैश्विक खाद्य बाजारों में प्रतिस्पर्धा के लिए और अधिक तैयार होगा।

पंजाब सरकार ने हेरिटेज खेलों पर से प्रतिबंध हटाया

पंजाब सरकार ने पारंपरिक विरासती खेलों पर लगे लंबे समय से प्रतिबंध को हटा दिया है, जिसमें बैलगाड़ी दौड़, कुत्तों की दौड़, घुड़दौड़ और कबूतरबाज़ी जैसे खेल शामिल हैं। इस निर्णय से राज्य की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लुधियाना में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह फैसला पंजाब की जनता से किए गए वादे को पूरा करता है, जिससे गांवों की प्रिय परंपराओं को दोबारा जीवंत किया जा सके।

पंजाब की विरासती खेलों की पुनर्वापसी

1997 से इन पारंपरिक खेलों पर पशु क्रूरता की आशंका के कारण प्रतिबंध लगा हुआ था। हालांकि अब राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए नए कानून के तहत ये आयोजन पंजाब भर में बिना किसी क्रूरता के दोबारा आयोजित किए जा सकेंगे।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के लोग अपने पशु-पक्षियों को परिवार के सदस्य जैसा मानते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रतियोगिता के दौरान बैलों को केवल तालियों की ध्वनि से निर्देशित किया जाए, किसी प्रकार की कठोरता न हो।

पशु कल्याण को लेकर आश्वासन

  • सरकार ने जनता को आश्वस्त किया है कि इन खेलों की वापसी कड़े नियमों और निगरानी के साथ होगी ताकि किसी भी प्रकार की अमानवीयता या गलत व्यवहार न हो।

  • आयोजनों के दौरान पशुओं को हानिकारक आहार या उपचार से बचाया जाएगा।

  • इस पहल का उद्देश्य पंजाब की संस्कृति की असली रंगत को उजागर करना है, पशु कल्याण का सम्मान करते हुए

जन प्रतिक्रिया और सांस्कृतिक महत्व

  • इस घोषणा से गांवों, विरासती खेलों के प्रेमियों और पशु प्रेमियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई।

  • माना जा रहा है कि इन खेलों की वापसी से युवा पीढ़ी परंपराओं से दोबारा जुड़ सकेगी, जिससे उन्हें मोबाइल और डिजिटल व्यसनों से दूर रखने में मदद मिलेगी।

  • कबूतरबाज़ी, जो गांवों में बच्चों तक के लिए एक प्रिय खेल रही है, उसकी वापसी से सामुदायिक एकता और ग्रामीण उत्सवों में फिर से जान आ जाएगी।

डबल ओलिंपिक चैंपियन लॉरा डालमायर की क्लाइंबिंग एक्सीडेंट में मौत

खेल जगत इस समय शोक में डूबा हुआ है, क्योंकि जर्मनी की दो बार की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और सात बार की विश्व चैंपियन लॉरा डालमायर का निधन हो गया है। 31 वर्षीय डालमायर की मौत पाकिस्तान के कराकोरम पर्वत श्रृंखला में पर्वतारोहण के दौरान हुए एक हादसे में हो गई। बायथलॉन ट्रैक पर अपने ऐतिहासिक प्रदर्शन और पर्वतारोहण के प्रति गहरे जुनून के लिए पहचानी जाने वाली डालमायर का यह असमय जाना उनके प्रशंसकों और खेल जगत के लिए एक गहरा आघात है। खिलाड़ी, समर्थक और खेल प्रेमी सभी इस महान एथलीट को भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

कराकोरम में हुआ घातक हादसा

28 जुलाई 2025 को लॉरा डालमायर पाकिस्तान के कराकोरम पर्वत श्रृंखला में स्थित लैला पीक (6,069 मीटर) पर चढ़ाई कर रही थीं, जब लगभग 5,700 मीटर की ऊंचाई पर वह एक चट्टानों के गिरने की घटना की चपेट में आ गईं। उनकी पर्वतारोहण साथी ने तुरंत बचाव सेवाओं को सूचना दी, और एक अंतरराष्ट्रीय बचाव दल रवाना किया गया। स्थान अत्यंत दुर्गम होने के कारण हेलीकॉप्टर 29 जुलाई की सुबह ही मौके पर पहुंच सका, लेकिन तब तक जीवन रक्षण की सारी संभावनाएं समाप्त हो चुकी थीं। हालांकि एक रिकवरी ऑपरेशन शुरू किया गया, लेकिन उसी शाम उसे रद्द करना पड़ा। उनके प्रतिनिधियों ने 30 जुलाई 2025 को उनकी मृत्यु की पुष्टि की, जिससे विश्व खेल समुदाय स्तब्ध रह गया

खेल उपलब्धियाँ: एक महान करियर

लॉरा डालमायर बायथलॉन इतिहास की सबसे सफल खिलाड़ियों में गिनी जाती थीं।

  • उन्होंने 2012-13 में IBU वर्ल्ड कप में 19 वर्ष की उम्र में पदार्पण किया।

  • सोची 2014 विंटर ओलंपिक में जर्मनी का प्रतिनिधित्व किया और व्यक्तिगत स्पर्धा में 13वां स्थान हासिल किया।

  • प्योंगचांग 2018 ओलंपिक में उन्होंने इतिहास रचते हुए स्प्रिंट और पर्सूट दोनों में स्वर्ण पदक जीते — ऐसा करने वाली पहली महिला बायथलीट बनीं। साथ ही एक कांस्य पदक भी जीता।

  • उनका करियर चरम पर था जब उन्होंने 2017 बायथलॉन वर्ल्ड चैंपियनशिप (ऑस्ट्रिया) में 6 में से 5 स्वर्ण और 1 रजत पदक जीते।

  • उन्होंने 2016-17 में ओवरऑल वर्ल्ड कप खिताब जीता और दुनिया की नंबर 1 खिलाड़ी बनीं।

बायथलॉन से आगे का जीवन

मई 2019 में केवल 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने पेशेवर बायथलॉन से संन्यास ले लिया और खुद को अपने जीवन भर के जुनून — पर्वतारोहण को समर्पित कर दिया। जुलाई 2025 की शुरुआत में ही उन्होंने ग्रेट ट्रैंगो टॉवर (6,287 मीटर) की सफल चढ़ाई की थी। लैला पीक पर चढ़ाई के दौरान यह दुखद घटना घटी, जिससे एक महान एथलीट की प्रेरणादायक यात्रा असमय समाप्त हो गई

World Wide Web Day 2025: जानें थीम, इतिहास और महत्व

हर साल 1 अगस्त को विश्व भर में वर्ल्ड वाइड वेब डे मनाया जाता है, जो मानवता की सबसे महान खोजों में से एक — वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) — के महत्व को रेखांकित करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे वेब ने समाज में क्रांति ला दी है, और हमारे संवाद, सीखने, काम करने और नवाचार के तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है। साथ ही, यह एक ऐसे डिजिटल भविष्य के निर्माण की आवश्यकता पर ज़ोर देता है जो समावेशी, सुरक्षित और सभी के लिए सुलभ हो।

जहाँ वेब ने दुनिया को पहले से कहीं अधिक जोड़ा है, वहीं इससे साइबर अपराध, डेटा लीक, भ्रामक जानकारी और डिजिटल असमानता जैसी चुनौतियाँ भी उत्पन्न हुई हैं। भारत जैसे देश में, जहाँ डिजिटल इंडिया मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है, ये मुद्दे और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। वर्ल्ड वाइड वेब डे 2025 एक उपयुक्त अवसर है यह सुनिश्चित करने का कि तकनीक का लाभ हर व्यक्ति तक पहुँचे और कोई भी पीछे न छूटे

वर्ल्ड वाइड वेब डे का ऐतिहासिक पुनरावलोकन

वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार 1989 में सर टिम बर्नर्स-ली द्वारा किया गया था, और इसे 1991 में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया गया। यह घटना डिजिटल क्रांति की शुरुआत का प्रतीक बनी। मात्र तीन दशकों में, वेब ने साधारण स्थैतिक वेबसाइटों से लेकर आज के इंटरेक्टिव और मोबाइल-प्रथम प्लेटफॉर्म्स तक का सफर तय किया है, जो आज अरबों लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

वेब के इतिहास में कुछ प्रमुख मील के पत्थर रहे हैं —

  • सर्च इंजन का विकास,

  • सोशल मीडिया का उदय,

  • ऑनलाइन वाणिज्य (ई-कॉमर्स) की स्थापना,

  • ओपन-सोर्स योगदानों की बढ़ती भूमिका,

  • और वैश्विक वेब मानकों का निर्माण।

वेब की यह यात्रा केवल प्रौद्योगिकीय प्रगति की नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की भी कहानी है — जिससे शिक्षा, व्यापार और शासन के नए रास्ते खुले।

हालाँकि यह पुनरावलोकन हमें उन चुनौतियों की भी याद दिलाता है जो अब भी बनी हुई हैं —
डिजिटल असमानता, डेटा गोपनीयता, ऑनलाइन सुरक्षा, और उत्तरदायी वेब गवर्नेंस की आवश्यकता।

वर्तमान वेब: अवसर और चुनौतियाँ

आज का वेब एक विशाल और परस्पर जुड़ा हुआ मंच बन चुका है, जो दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। दुनियाभर में 5.5 अरब से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ, यह अब भी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संबंधों को आकार दे रहा है।

हालाँकि, आधुनिक वेब कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है:

  • डिजिटल असमानता: विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच वेब तक पहुँच में अभी भी बड़ा अंतर है।

  • डेटा गोपनीयता और एकाधिकार: कुछ बड़ी तकनीकी कंपनियाँ प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर हावी हैं, जिससे शक्ति के केंद्रीकरण और डेटा सुरक्षा पर सवाल उठते हैं।

  • साइबर सुरक्षा खतरे: हैकिंग, फिशिंग और गलत जानकारी फैलाने के मामलों में बढ़ोतरी के कारण बेहतर ऑनलाइन सुरक्षा की आवश्यकता बढ़ गई है।

  • भ्रामक जानकारी और डीपफेक: एआई आधारित कंटेंट के दुरुपयोग से सामाजिक विश्वास और सौहार्द को खतरा है।

इन समस्याओं के बावजूद, ग्रासरूट आंदोलन, ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट्स, और डिजिटल साक्षरता अभियानों के माध्यम से समावेशिता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के प्रयास लगातार हो रहे हैं।

वर्ल्ड वाइड वेब डे 2025 की थीम

थीम: “भविष्य को सशक्त बनाना: एक समावेशी, सुरक्षित और खुला वेब निर्मित करना”

इस वर्ष की थीम निम्नलिखित आवश्यकताओं को रेखांकित करती है:

  • डिजिटल खाई को पाटना, ताकि स्थान या आय के आधार पर कोई भी वेब से वंचित न रहे।

  • साइबर खतरों और डेटा दुरुपयोग के इस युग में ऑनलाइन सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करना।

  • डिजिटल स्वतंत्रता और समावेशिता को बढ़ावा देना, जिससे वेब नवाचार और समान भागीदारी का मंच बन सके।

  • एआई और उभरती तकनीकों का नैतिक उपयोग, ताकि नवाचार का लाभ पूरे समाज को मिल सके।

वर्ल्ड वाइड वेब डे 2025 के लिए वर्कशॉप और गतिविधियाँ

वर्ल्ड वाइड वेब डे केवल चर्चाओं तक सीमित नहीं है, यह प्रयोगात्मक सशक्तिकरण का अवसर भी है। इस दिन विश्वभर में कई वर्कशॉप और गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं:

  • वेब डेवलपमेंट बूटकैम्प्स: शुरुआती लोगों के लिए HTML, CSS और JavaScript का प्रशिक्षण।

  • एडवांस वर्कशॉप्स: एआई इंटीग्रेशन, साइबर सुरक्षा और एक्सेसिबल डिज़ाइन पर विशेष सत्र।

  • डिजिटल साक्षरता कक्षाएं: गलत सूचना की पहचान, गोपनीयता नियंत्रण सेट करना और ऑनलाइन सुरक्षित रहना सिखाना।

  • हैकाथॉन: सामूहिक आयोजन जहां प्रतिभागी डिजिटल समावेशन और स्थिरता के लिए नवाचार करते हैं।

  • विशेष आउटरीच कार्यक्रम: वंचित समुदायों के लिए डिज़ाइन किए गए पाठ्यक्रम जो डिजिटल भागीदारी को बढ़ाते हैं।

  • DIY वेबसाइट क्लिनिक: ऐसे सत्र जहाँ प्रतिभागी खुद की वेबसाइट बनाना और लॉन्च करना सीखते हैं।

ये गतिविधियाँ रचनात्मकता, समावेशिता और जिम्मेदार तकनीकी उपयोग को प्रोत्साहित करती हैं, जिससे उत्सव वास्तव में सार्थक बनता है।

वेब का भविष्य: आगे की दिशा

जैसे-जैसे तकनीक तेज़ी से विकसित हो रही है, वेब का भविष्य और भी बड़े परिवर्तन लाएगा:

  • वेब 3.0 और विकेंद्रीकरण: एक अधिक उपयोगकर्ता-केंद्रित और केंद्रीयकृत कंपनियों पर कम निर्भर वेब की ओर बढ़ना।

  • ब्लॉकचेन नवाचार: डेटा स्वामित्व और ऑनलाइन लेनदेन की प्रक्रियाओं को बदलना।

  • एआई-सक्षम अनुभव: अधिक स्मार्ट, इंटरैक्टिव और व्यक्तिगत वेब प्लेटफॉर्म।

  • सुरक्षा के बेहतर उपाय: साइबर हमलों, गलत सूचना और पहचान की चोरी से बचाव के लिए मजबूत प्रणाली।

  • सर्वत्र पहुँच: उन अरबों लोगों को जोड़ने का प्रयास जो अभी भी ऑफ़लाइन हैं — यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई पीछे न छूटे।

आगामी दशक का फोकस होगा – न्याय, समावेशिता और नैतिक शासन, ताकि वेब एक सकारात्मक परिवर्तन का माध्यम बना रहे।

वर्ल्ड वाइड वेब डे 2025: उत्सव और सम्मान

वर्ल्ड वाइड वेब डे केवल तकनीकी प्रगति का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उन दूरदर्शी लोगों, डेवलपर्स और डिजिटल समर्थकों को सम्मान देने का दिन भी है जिन्होंने वेब के विकास में अहम भूमिका निभाई है। इस अवसर पर विशेष रूप से निम्नलिखित को सम्मानित किया जाता है:

  • डिजिटल साक्षरता फैलाने वाले शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता

  • ओपन-सोर्स और एक्सेसिबिलिटी प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले नवप्रवर्तक

  • डिजिटल स्वतंत्रता और डेटा गोपनीयता के पक्षधर संगठन

इस दिन को और भी जीवंत बनाने के लिए विभिन्न कहानी-वाचन सत्र, सामुदायिक पहलें और डिजिटल कला प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं, जो वेब के सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव को उजागर करती हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह दिन एक आह्वान बन जाता है — एक ऐसे वेब के निर्माण के लिए जो समावेशी, सुरक्षित और सम्पूर्ण मानवता के लिए लाभकारी हो।

डोनाल्ड ट्रम्प के नए अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित देशों की पूरी सूची

वैश्विक व्यापार की गतिशीलता को नया रूप देने वाले एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारत सहित कई व्यापारिक साझेदारों से आयात पर नए टैरिफ लगाए जाएँगे। ये टैरिफ, जिनकी सीमा 10% से 41% तक है, 7 अगस्त, 2025 से लागू होंगे। यह कदम ट्रम्प की “पारस्परिक टैरिफ” रणनीति का नवीनतम कदम है, जिसका उद्देश्य अन्य देशों द्वारा अमेरिकी निर्यात पर लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों से मेल खाना या उनका मुकाबला करना है।

परस्पर शुल्क क्या होते हैं?

परस्पर शुल्क वे आयात कर (टैरिफ) होते हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) उन देशों पर लगाता है जो अमेरिकी उत्पादों पर ऊंचे शुल्क लगाते हैं। इसका उद्देश्य व्यापार में समानता (fairness) सुनिश्चित करना होता है।

मुख्य उद्देश्य:
अन्य देशों द्वारा लगाए गए शुल्कों के मुकाबले बराबरी का शुल्क लगाकर निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना।

प्रभाव:

  • अमेरिका में आयातित वस्तुएँ महंगी हो सकती हैं।

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) प्रभावित हो सकती है।

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।

कार्यकारी आदेश (Executive Order) के प्रमुख बिंदु

प्रभावी तिथि: 7 अगस्त, 2025
शुल्क सीमा: 10% से 41% तक, संबंधित देश के आधार पर
प्रभावित देश: 68 देश + यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देश
डिफ़ॉल्ट टैरिफ दर: जो देश विशेष रूप से सूचीबद्ध नहीं हैं, उन पर 10% शुल्क लागू होगा

व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, कार्यान्वयन से पहले थोड़ी देरी इसलिए रखी गई है ताकि सीमा शुल्क और बॉर्डर एजेंसियां नई नियमावली के अनुसार अपने सिस्टम अपडेट कर सकें।

भारत पर प्रभाव

भारत, जो अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, 25% शुल्क का सामना करेगा। इससे निम्न क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है:

  • वस्त्र और परिधान (Textiles and Garments)

  • दवाइयाँ और फार्मास्युटिकल उत्पाद

  • ऑटो पार्ट्स

  • आईटी हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स

भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा अमेरिकी बाज़ार में घट सकती है, जबकि अमेरिकी आयातकों की लागत बढ़ सकती है।

यूरोपीय संघ (EU) पर विशेष प्रावधान

ट्रंप के आदेश में यूरोपीय संघ के लिए अलग नियम हैं:

  • जिन वस्तुओं पर Column 1 ड्यूटी दर 15% से अधिक है, उन पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा।

  • जिन वस्तुओं की ड्यूटी दर 15% से कम है, उन पर (15% – Column 1 ड्यूटी दर) के बराबर शुल्क लगाया जाएगा।

यह नीति यूरोपीय संघ के लिए कुछ रियायतें देती है, लेकिन भारत सहित अन्य देशों के लिए सख्त साबित हो सकती है।

देशों और टैरिफ दरों की पूरी सूची

नीचे प्रमुख देशों पर लगाए गए टैरिफ दरों का सारांश दिया गया है:

देश का नाम टैरिफ दर (%)
भारत 25%
अफ़ग़ानिस्तान 15%
अल्जीरिया 30%
बांग्लादेश 20%
ब्राज़ील 10%
ब्रुनेई 25%
कंबोडिया 19%
इराक 35%
जापान 15%
कज़ाख़स्तान 25%
लाओस 40%
मलेशिया 19%
म्यांमार (बर्मा) 40%
पाकिस्तान 19%
फिलीपींस 19%
सर्बिया 35%
दक्षिण अफ्रीका 30%
श्रीलंका 20%
स्विट्ज़रलैंड 39%
सीरिया 41%
ताइवान 20%
थाईलैंड 19%
यूनाइटेड किंगडम (यूके) 10%
वियतनाम 20%
… और कई अन्य देश

(ट्रम्प के आधिकारिक आदेश के अनुसार पूर्ण टैरिफ सूची जारी है।)

वैश्विक आर्थिक प्रभाव

नए टैरिफ का असर व्यापक हो सकता है:

मूल्य वृद्धि: अमेरिका के उपभोक्ताओं को आयातित वस्तुओं के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।
निर्यात में गिरावट: प्रभावित देशों का अमेरिका को होने वाला निर्यात घट सकता है।
व्यापारिक तनाव: यह निर्णय विश्व व्यापार संगठन (WTO) में विवादों को और बढ़ा सकता है।
आपूर्ति श्रृंखला में बाधा: जिन निर्माताओं की निर्भरता आयातित कच्चे माल पर है, उनके लिए लागत में वृद्धि हो सकती है।

चल रही व्यापार वार्ताएँ

ट्रम्प ने मेक्सिको के साथ व्यापार वार्ताओं को 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि कुछ देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते अब भी संभव हैं। हालांकि, अधिकांश देश अनिश्चितता की स्थिति में हैं और किसी भी स्पष्ट छूट की घोषणा नहीं की गई है।

कानूनी चुनौतियाँ

अमेरिकी अपीलीय अदालत के न्यायाधीशों ने इन टैरिफों के कानूनी आधार पर सवाल उठाए हैं, जिससे कोर्ट में चुनौती की संभावना बन रही है। इसके बावजूद, प्रशासन इन्हें लागू करने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध दिख रहा है।

व्यक्तिगत ऋण, कृषि और उद्योग पर गहराया संकट — RBI के आंकड़े क्या बताते हैं

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, भारत की बैंक ऋण वृद्धि जून 2025 में घटकर 10.2% रह गई, जो जून 2024 में 13.8% थी। यह गिरावट सभी प्रमुख क्षेत्रों – कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र और व्यक्तिगत ऋण – में देखी गई। कृषि ऋण में भारी गिरावट आई और यह 6.8% पर आ गया, उद्योग क्षेत्र में यह 5.5% पर आ गया, सेवा क्षेत्र में यह 9.6% पर आ गया, और व्यक्तिगत ऋण वृद्धि धीमी होकर 14.7% पर आ गई। यह मंदी, सतर्क उधारी और क्षेत्रीय चुनौतियों के बीच कमजोर ऋण मांग को दर्शाती है।

ऋण वृद्धि में गिरावट

कुल ऋण वृद्धि में गिरावट
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 में देश की बैंक ऋण वृद्धि दर घटकर 10.2% रह गई, जबकि यह जून 2024 में 13.8% थी। यह महत्वपूर्ण गिरावट बताती है कि प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में कर्ज की मांग धीमी हो रही है।

इस गिरावट का मतलब है कि व्यवसाय, घरेलू उपभोक्ता और सेवा प्रदाता कम कर्ज ले रहे हैं — इसकी वजह उच्च ब्याज दरें, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और कड़े वित्तीय हालात हो सकते हैं।

कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ: ऋण मांग में तेज गिरावट

कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों में ऋण वृद्धि दर जून 2025 में घटकर 6.8% रह गई, जबकि पिछले वर्ष यह 17.4% थी।

यह गिरावट ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश की कमी, मानसून की अनिश्चितता और किसानों की बढ़ती सतर्कता को दर्शा सकती है। किसानों का ऋण लेने से झिझकना कीमतों में उतार-चढ़ाव और उत्पादन लागत के जोखिमों का संकेत हो सकता है।

औद्योगिक ऋण: मिश्रित रुझान, लेकिन एमएसएमई बना सहारा

औद्योगिक क्षेत्र में ऋण वृद्धि दर जून 2025 में घटकर 5.5% रह गई, जो जून 2024 में 7.7% थी। हालांकि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) ने स्थिर वृद्धि दिखाई।

इंजीनियरिंग, निर्माण और वस्त्र उद्योग जैसे क्षेत्रों में ऋण मांग में तेजी रही, जो दर्शाता है कि कुछ उद्योग अभी भी लचीले बने हुए हैं, भले ही समग्र औद्योगिक गतिविधि धीमी हो गई हो।

सेवा क्षेत्र: एनबीएफसी के कारण धीमापन

भारत की अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालक सेवा क्षेत्र में ऋण वृद्धि जून 2025 में घटकर 9.6% हो गई, जो पिछले वर्ष 15.1% थी। इस गिरावट का मुख्य कारण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को कम ऋण मिलना रहा। हालांकि, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और प्रोफेशनल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि देखी गई, जो ज्ञान-आधारित क्षेत्रों में मजबूत मांग को दर्शाता है।

निजी ऋण: उपभोक्ता मांग में ठंडापन

निजी ऋणों में वृद्धि दर जून 2025 में घटकर 14.7% रह गई, जबकि जून 2024 में यह 16.6% थी। इस गिरावट की प्रमुख वजह वाहन ऋण, क्रेडिट कार्ड खर्च, और अन्य व्यक्तिगत ऋणों की मांग में कमी रही। इससे उपभोक्ताओं की सतर्क मानसिकता और महंगाई व उच्च ब्याज दरों के प्रभाव का पता चलता है।

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए क्या मायने हैं?

कुल मिलाकर ऋण वृद्धि में आई यह गिरावट खपत और निवेश में संभावित मंदी का संकेत देती है। हालांकि MSMEs, इंजीनियरिंग और आईटी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में लचीलापन बना हुआ है, पर कृषि और निजी ऋणों में गिरावट आने वाले तिमाहियों में आर्थिक गति पर असर डाल सकती है

विश्व स्तनपान सप्ताह 2025: इतिहास और महत्व

हर साल अगस्त के पहले सप्ताह को विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। यह एक वैश्विक अभियान है जिसका उद्देश्य स्तनपान के स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरूकता फैलाना और इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान माताओं को आवश्यक समर्थन प्रदान करने की आवश्यकता को उजागर करना है। हालाँकि स्तनपान शिशु को पोषण देने का सबसे प्राकृतिक तरीका है, फिर भी कई माताओं को इससे जुड़ी गलत जानकारी, सांस्कृतिक प्रतिबंधों, सामाजिक कलंक और कार्यस्थलों पर पर्याप्त सुविधाओं की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 को 1 से 7 अगस्त तक “स्तनपान को प्राथमिकता दें: टिकाऊ सहायता प्रणाली बनाएं” थीम के तहत मनाया जा रहा है। यह थीम यह दर्शाती है कि माताओं और शिशुओं को स्तनपान के संपूर्ण लाभ दिलाने के लिए मजबूत और दीर्घकालिक समर्थन तंत्र विकसित करना बेहद आवश्यक है।

विश्व स्तनपान सप्ताह का इतिहास 

विश्व स्तनपान सप्ताह की शुरुआत सबसे पहले 1992 में वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (WABA) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ (UNICEF) के सहयोग से की थी। इस सप्ताह को शुरू करने का उद्देश्य 1990 की इनोचेंटी घोषणा की स्मृति को चिह्नित करना था, जो स्तनपान को संरक्षण, प्रोत्साहन और समर्थन देने के लिए सरकारों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा किया गया एक ऐतिहासिक वैश्विक संकल्प था।

इसकी शुरुआत के बाद से, यह सप्ताह एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, जिसे 120 से अधिक देशों में मनाया जाता है। हर वर्ष एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है, जिसका उद्देश्य स्तनपान से जुड़ी मौजूदा चुनौतियों को उजागर करना और नीतिगत बदलावों, अस्पतालों में सुधार, कार्यस्थल की सुविधाओं और जन-जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देना होता है।

इस सप्ताह का मूल संदेश यह है कि स्तनपान केवल मां की व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक सामाजिक दायित्व है, जिसमें परिवार, कार्यस्थल, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और पूरे समुदाय की भूमिका अहम होती है।

स्तनपान का महत्व

स्तनपान का महत्व बच्चे और मां दोनों के लिए अद्वितीय है। शिशु के लिए, मां का दूध एक संपूर्ण आहार होता है। इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व, विटामिन और मिनरल सही मात्रा में मौजूद होते हैं। यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे वह संक्रमण, एलर्जी और अन्य बीमारियों से सुरक्षित रहता है। मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे को कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।

विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 थीम

‘विश्व स्तनपान सप्ताह 2025’ का थीम है “स्तनपान को प्राथमिकता दें: स्थायी सहायता प्रणालियों का निर्माण करें” (Prioritise Breastfeeding: Create Sustainable Support Systems)। यह थीम इस बात पर केंद्रित है कि स्तनपान को सफल बनाने के लिए केवल व्यक्तिगत प्रयासों से काम नहीं चलेगा, बल्कि मां को परिवार, स्वास्थ्य सेवाओं, कार्यस्थलों और समुदाय से एक स्थायी और लगातार सहायता प्रणाली मिलनी चाहिए।

‘प्राथमिकता’ देने का अर्थ है कि समाज के सभी स्तरों पर स्तनपान को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में देखा जाए। वहीं, ‘स्थायी सहायता प्रणालियों का निर्माण’ करना इस बात पर जोर देता है कि ऐसी प्रणालियां बनाई जाएं जो केवल कुछ समय के लिए नहीं, बल्कि हमेशा उपलब्ध रहें, ताकि हर मां को जरूरत पड़ने पर सही समय पर मदद मिल सके।

क्यों मनाया जाता है ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’?

‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। इसका मुख्य उद्देश्य स्तनपान के माध्यम से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाना है, स्तनपान से संबंधित लोगों के बीच की भ्रांतियों को दूर करना है। यह सप्ताह माताओं और परिवारों को स्तनपान के बारे में सही जानकारी प्रदान करता है, ताकि वे दूध के विकल्पों (जैसे फॉर्मूला मिल्क) के भ्रामक विज्ञापनों से प्रभावित न हों।

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