भारतीय नौसेना को मिला नया युद्धपोत ‘हिमगिरी’

भारतीय नौसेना ने 31 जुलाई, 2025 को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता द्वारा वितरित प्रोजेक्ट 17ए के तहत नीलगिरि श्रेणी के तीसरे जहाज आईएनएस हिमगिरि को शामिल करने के साथ स्वदेशी रक्षा निर्माण में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। अत्याधुनिक स्टील्थ तकनीक और मारक क्षमता का प्रदर्शन करने वाला यह युद्धपोत, आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारत की समुद्री युद्ध क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है।

नौसेना की विरासत का पुनर्जीवन
नवीनतम आईएनएस हिमगिरी (यार्ड 3022) भारतीय नौसेना के प्रतिष्ठित लींडर-श्रेणी के मूल आईएनएस हिमगिरी की विरासत को पुनर्जीवित करता है, जिसने 30 वर्षों तक सेवा देने के बाद 6 मई 2005 को सेवामुक्ति प्राप्त की थी। यह पुनर्जन्म केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि स्वदेशी युद्धपोत डिजाइन और निर्माण में भारत की प्रगति का प्रतीक भी है।

उन्नत प्रणोदन और नियंत्रण प्रणाली
आईएनएस हिमगिरी को कॉम्बाइंड डीज़ल या गैस (CODOG) प्रणोदन प्रणाली से शक्ति मिलती है, जिसमें शामिल हैं:

  • डीज़ल इंजन और गैस टर्बाइन

  • प्रत्येक शाफ्ट पर कंट्रोल योग्य पिच प्रोपेलर (CPP)

  • एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) द्वारा समन्वित संचालन

IPMS को एकीकृत ब्रिज सिस्टम (IBS) और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) के साथ जोड़ा गया है, जिससे युद्धपोत के सभी परिचालन और युद्धक कार्यों पर संपूर्ण नियंत्रण संभव होता है।

घातक आयुध: हथियार और सेंसर
यह स्टेल्थ फ्रिगेट लंबी दूरी की मिसाइलों, पनडुब्बी रोधी हथियारों और निकट रक्षा प्रणालियों से लैस है:

  • LR SAM सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली

  • आठ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें (ऊर्ध्वाधर प्रक्षेपण प्रणाली सहित)

  • हल्के पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो

  • स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर (FCS IAC-MOD के साथ)

  • 127 मिमी की मध्यम दूरी की नौसैनिक तोप

  • दो AK-630 त्वरित-गति फायरिंग गन

उन्नत सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली

  • MF-STAR मल्टी-मिशन रडार

  • शक्ति इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट

  • हवाई प्रारंभिक चेतावनी रडार

  • सतह निगरानी रडार

  • हम्सा-एनजी सोनार (पनडुब्बी रोधी युद्ध के लिए)

ऑनबोर्ड तकनीकी प्रणालियाँ

  • एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS)

  • एकीकृत ब्रिज सिस्टम (IBS)

  • कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS)

  • उन्नत समेकित संचार प्रणाली (ACCS)

  • पोत के आंतरिक डाटाबस द्वारा सभी प्रणालियों में निर्बाध संपर्क

आईएनएस हिमगिरी के प्रमुख विनिर्देश

  • लंबाई – 142.5 मीटर

  • चौड़ाई – 16.9 मीटर

  • विस्थापन – 6,342 टन

  • अधिकतम गति – 30 नॉट्स

भारत की नौसैनिक शक्ति को मजबूती
आईएनएस हिमगिरी का शामिल होना प्रोजेक्ट 17A के तहत नौसेना की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, जिसके तहत 2035 तक 170–175 युद्धपोतों वाली एक सशक्त नौसेना बल बनाने का लक्ष्य है।
प्रोजेक्ट 17A फ्रिगेट्स भारत की स्वदेशी स्टेल्थ और युद्धक क्षमताओं में बड़ी छलांग का प्रतीक हैं। इस युद्धपोत की समयबद्ध डिलीवरी ‘इंटीग्रेटेड कंस्ट्रक्शन’ दृष्टिकोण की सफलता को दर्शाती है, जिससे आधुनिक युद्धपोत समय पर परिचालन योग्य हो सकें।

शशि प्रकाश गोयल ने उत्तर प्रदेश के नए मुख्य सचिव का कार्यभार संभाला

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1989 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शशि प्रकाश गोयल ने आधिकारिक तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण कर लिया है। उन्होंने मनोज कुमार सिंह का स्थान लिया है, जो उसी दिन सेवानिवृत्त हुए थे। यह नियुक्ति राज्य सरकार के प्रशासनिक निरंतरता और तीव्र विकास पर केंद्रित रुख को दर्शाती है।

अनुभवी नौकरशाह के रूप में नई जिम्मेदारी

इस नियुक्ति से पहले गोयल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत थे, जहाँ उन्होंने नागरिक उड्डयन, आवास एवं प्रोटोकॉल जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली। इसके अतिरिक्त, वे उत्तर प्रदेश के अपर निवासी आयुक्त भी रह चुके हैं, जिससे उन्हें प्रशासन और नीति कार्यान्वयन में व्यापक अनुभव प्राप्त हुआ है।

उनके पूर्ववर्ती मनोज कुमार सिंह, 1988 बैच के आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने 30 जून 2024 से मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया और राज्य की कई प्रमुख पहलों और कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संचालित किया।

उत्तर प्रदेश के लिए लक्ष्य: एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था

पदभार ग्रहण करते समय गोयल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार व्यक्त किया और राज्य के लिए अपनी दृष्टि स्पष्ट की। उन्होंने इन प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित किया:

  • भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस

  • औद्योगिक विकास और आर्थिक वृद्धि

  • उत्तर प्रदेश की आधारभूत संरचना को मजबूत करना

  • सभी विकास परियोजनाओं को समयबद्ध और उच्च गुणवत्ता के साथ पूर्ण करना

समारोह और प्रमुख अधिकारी

लखनऊ में हुए इस पदभार समारोह में कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:

  • संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव, गृह एवं सूचना

  • एम. देवराज, प्रमुख सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक

  • मुकेश कुमार मेश्राम, प्रमुख सचिव, पर्यटन

  • आलोक कुमार, प्रमुख सचिव, योजना

  • विशाख जी, जिलाधिकारी, लखनऊ

कार्यकाल समाप्त कर रहे मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्रशासन, मीडिया और स्टाफ को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सफलतापूर्वक संपन्न कई बड़े परियोजनाओं का उल्लेख किया।

National Doctor’s Day 2025: जानें क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे?

भारत में हर साल 1 जुलाई को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे, डॉक्टरों के अथक समर्पण और करुणा को श्रद्धांजलि है। यह दिन महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जयंती का प्रतीक है, जिनके योगदान ने भारत में आधुनिक स्वास्थ्य सेवा को आकार दिया। 1991 से मनाया जाने वाला यह दिन, समुदायों को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टरों द्वारा किए गए अपार त्याग को याद करता है।

राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे का इतिहास और महत्व

राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे की शुरुआत 1991 में महान चिकित्सक और प्रशासक डॉ. बिधान चंद्र रॉय को सम्मान देने के लिए की गई थी। यह दिन न केवल डॉक्टरों को श्रद्धांजलि देने का माध्यम है, बल्कि चिकित्सा पेशे की चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी अवसर है। यह हमारे जीवन और स्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त बनाने में डॉक्टरों की भूमिका को रेखांकित करता है, और समाज को उनके कठिन दायित्वों में समर्थन देने के लिए प्रेरित करता है।

हमारे जीवन में डॉक्टरों की अनेक भूमिकाएँ

डॉक्टर केवल इलाज करने वाले पेशेवर नहीं होते, वे उपचारकर्ता, सलाहकार और भावनात्मक सहारा भी होते हैं। उनका मुख्य कार्य बीमारी की पहचान करना और प्रभावी इलाज प्रदान करना होता है। इसके अलावा, वे निवारक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देते हैं—जैसे पोषण, व्यायाम, टीकाकरण और जीवनशैली संबंधी सलाह देना।

डॉक्टरों की एक और अहम भूमिका होती है—भावनात्मक आश्वासन देना। वे मरीजों और उनके परिजनों को चिंता और अनिश्चितता से निपटने में मदद करते हैं। वे शिक्षकों की तरह बीमारी और स्वस्थ जीवनशैली के बारे में जागरूकता फैलाते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों तक हर जगह स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में जुटे रहते हैं।

पर्दे के पीछे डॉक्टरों की चुनौतियाँ

जहाँ आम लोग डॉक्टरों को शांत और दक्ष पेशेवर के रूप में देखते हैं, वहीं उनके जीवन की असली तस्वीर काफी कठिन होती है। वे अनियमित और लंबे समय तक काम करते हैं, जिससे उन्हें अपने निजी जीवन और आराम का त्याग करना पड़ता है। जीवन-मृत्यु से जुड़े फैसलों की जिम्मेदारी उन्हें मानसिक रूप से बेहद थका देती है।

इसके साथ ही उन्हें मेडिकल विज्ञान में लगातार हो रहे बदलावों के साथ भी बने रहना होता है। मरीजों की देखरेख के अलावा, उन्हें भारी प्रशासनिक कार्य—जैसे मरीजों का रिकॉर्ड रखना और नियमों का पालन करना—भी निभाना होता है। इन तमाम कठिनाइयों के बावजूद, डॉक्टर अपने जीवन की रक्षा करने वाले मिशन में अडिग रहते हैं।

आभार जताने के सरल उपाय

कृतज्ञता प्रकट करने के लिए बड़े आयोजन की आवश्यकता नहीं होती। एक साधारण ‘धन्यवाद’, एक सराहनापूर्ण नोट या ऑनलाइन प्रशंसा डॉक्टरों के लिए बहुत मायने रखती है। उनके समय और सलाह का सम्मान करना भी आभार जताने का एक प्रभावशाली तरीका है। राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे जैसे अवसरों पर जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेना या सोशल मीडिया पर उनके योगदान को साझा करना, समाज में उनके महत्व को और प्रबल करता है।

IDBI बैंक के चेयरमैन TN मनोहरन का निधन, जानें कौन थे

आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) के चेयरमैन और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष टीएन मनोहरन का निधन हो गया है। वे केनरा बैंक के भी नॉन एक्जीक्यूटिव चेयरमैन भी रह चुके हैं। इससे पहले, उन्होंने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा और कारोबार को बंद करने के लिए आरबीआई के निर्देश पर सहारा इंडिया फाइनेंस कॉर्पोरेशन में निदेशक के रूप में भी कार्य किया था।

भारत सरकार की ओर से उन्हें सत्यम कंप्यूटर्स सर्विसेज लिमिटेड के बोर्ड में भी विशेष निदेशक नियुक्त किया गया था। सत्यम पुनरुद्धार टीम में उनकी भूमिका के लिए उन्हें वर्ष 2009 में बिजनेस लीडरशिप और इंडियन ऑफ द ईअर से सम्मानित किया गया था। उन्हें भारत के प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार ‘पद्मश्री’ से भी नवाजा गया था।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में विशिष्ट करियर

टीएन मनोहरन का शानदार करियर कई दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने भारत के वित्तीय क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने 2015 से 2020 तक केनरा बैंक के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और इसके बाद IDBI बैंक के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण सुधारों का नेतृत्व करते हुए गवर्नेंस को सुदृढ़ किया। उन्होंने महिंद्रा एंड महिंद्रा और टेक महिंद्रा में स्वतंत्र निदेशक के रूप में भी कार्य किया, जहाँ उनके अनुभव ने इन कंपनियों को प्रमुख निर्णयों में मार्गदर्शन प्रदान किया।

सत्यं पुनरुत्थान 

मनोहरन के करियर की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक 2009 में हुए कॉर्पोरेट घोटाले के बाद सत्यं कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड के पुनरुद्धार में उनकी भूमिका रही। भारत सरकार द्वारा विशेष निदेशक के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद, वे उस टीम का हिस्सा बने जिसने निवेशकों और आम जनता का विश्वास दोबारा कायम किया।

वित्तीय सुशासन में योगदान

अपने करियर के प्रारंभिक चरण में मनोहरन ने सहारा इंडिया फाइनेंस कॉरपोरेशन के निदेशक के रूप में भी कार्य किया, जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए नियुक्त किया था। उनका विशेषज्ञता क्षेत्र लेखांकन, अर्थशास्त्र, बैंकिंग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कानून, जोखिम प्रबंधन और कॉर्पोरेट गवर्नेंस तक विस्तृत था।

शैक्षणिक उपलब्धियां

मनोहरन केवल एक वित्तीय विशेषज्ञ नहीं, बल्कि एक विद्वान भी थे। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से बी.कॉम किया और आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से एम.कॉम की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान (ICAI) के फ़ेलो सदस्य बने। उनका जीवन भारतीय वित्तीय प्रणाली को स्थायित्व और नैतिकता देने की एक प्रेरणादायक मिसाल है।

शिक्षाविद् और पूर्व कुलपति वसंती देवी का निधन

भारत ने एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद और समाज सुधारक को खो दिया है। मनोनमनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. वी. वसंती देवी का 1 अगस्त, 2025 को वेलाचेरी स्थित उनके आवास पर हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह 86 वर्ष की थीं। उनके निधन को शिक्षा, लैंगिक समानता, मानवाधिकार और प्रगतिशील आंदोलनों के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।

प्रारंभिक जीवन और शैक्षणिक यात्रा

डॉ. वसंती देवी का जन्म 1938 में डिंडीगुल में हुआ था। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज से प्राप्त की और 1970 के दशक में पीएचडी पूरी करने के लिए फिलीपींस गईं। अपने संपूर्ण करियर के दौरान वे एक प्रगतिशील शिक्षाविद् के रूप में जानी गईं, जिन्होंने शिक्षा सुधारों और समान अवसरों की पुरज़ोर वकालत की।

शिक्षा में नेतृत्वकारी भूमिकाएं

डॉ. वसंती देवी 1992 से 1998 तक मनोनमणियम सुंदरणार विश्वविद्यालय की दूसरी कुलपति रहीं, जहाँ उन्होंने उच्च शिक्षा तक पहुँच का विस्तार करने पर ज़ोर दिया। इसके बाद वे 2002 से 2005 तक तमिलनाडु राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं, जहाँ उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा से जुड़े प्रमुख मुद्दों को उठाया। 1987 में उन्होंने तमिलनाडु में शिक्षकों के आंदोलन का नेतृत्व भी किया, जिससे शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा और शिक्षक समुदाय को मज़बूती देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

राजनीतिक प्रवेश और सक्रियता

76 वर्ष की आयु में डॉ. देवी ने राजनीति में कदम रखा और 2016 में आर.के. नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। वे पीपुल्स वेलफेयर एलायंस के अंतर्गत विदुथलाई चिरुथैगल काची (VCK) की उम्मीदवार थीं और तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता के खिलाफ सीधे चुनावी मुकाबले में उतरीं। भले ही उन्हें केवल 2.4% वोट मिले, लेकिन उनके साहसी प्रयास ने व्यापक ध्यान और सम्मान प्राप्त किया। वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) की मुखर आलोचक रहीं। उन्होंने शिक्षा के केंद्रीकरण का विरोध किया और इसे संविधान की राज्य सूची में पुनः शामिल किए जाने की पुरज़ोर मांग की। उनका जीवन शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के लिए एक सतत संघर्ष की प्रेरक कहानी रहा है।

मलयालम अभिनेता Kalabhavan Navas का 51 साल की उम्र में निधन

मलयालम फिल्म उद्योग लोकप्रिय अभिनेता और मिमिक्री कलाकार कलाभवन नवस के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करता है। उनका 1 अगस्त, 2025 को 51 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे चोट्टानिक्कारा स्थित अपने होटल के कमरे में बेहोश पाए गए, जहाँ वे आगामी फिल्म प्रकम्बनम की शूटिंग के लिए ठहरे हुए थे। उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहाँ पहुँचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

अचानक निधन और प्रारंभिक रिपोर्ट

प्रारंभिक पुलिस रिपोर्टों के अनुसार, नवास की मृत्यु संभवतः हृदयगति रुकने (कार्डियक अरेस्ट) के कारण हुई। मृत्यु के सटीक कारण की पुष्टि के लिए उनका पोस्टमार्टम कलमस्सेरी के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में किया जाएगा।

होटल स्टाफ ने बताया कि नवास ने नियत समय पर चेकआउट नहीं किया। जब कर्मचारी उनके कमरे में पहुँचे, तो वे बेहोशी की हालत में मिले। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मौके पर कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।

एक प्रिय मिमिक्री कलाकार

नवास ने मिमिक्री के जरिए प्रसिद्धि हासिल की — यह केरल में अत्यंत लोकप्रिय एक मंचीय कला है। उन्होंने कोचीन कलाभवन मंडली के साथ अपने हुनर को तराशा, जिससे उनके नाम के साथ ‘कलाभवन’ उपसर्ग जुड़ गया। यह उपसर्ग कई प्रसिद्ध कलाकारों के साथ जुड़ा रहा है। अपनी आवाज़ की नकल और मंच पर जीवंत प्रदर्शन से नवास पूरे राज्य में लोकप्रिय हो गए थे।

मलयालम सिनेमा में सफर

नवास ने 1995 में फिल्म चैतन्यम से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने कई सफल मलयालम फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें शामिल हैं:

  • मट्टुपेट्टी माचन

  • जूनियर मांड्रेक

  • चंदामामा

  • मिमिक्स एक्शन 500

  • वन मैन शो

वे मंचीय कार्यक्रमों और टेलीविज़न में भी सक्रिय रहे, और अपनी हास्य शैली और बहुमुखी प्रतिभा से दर्शकों का मनोरंजन करते रहे।

निजी जीवन और विरासत

नवास अपने पीछे पत्नी रेहना (जो एक फिल्म अभिनेत्री हैं) और तीन बच्चों — नहरिन, रिहान और रिज़वान — को छोड़ गए हैं। उनके भाई नियाज़ बक्कार भी एक जाने-माने अभिनेता हैं। नवास का परिवार प्रदर्शन कला से गहराई से जुड़ा रहा है। उन्होंने अपने पिता अबूबक्कर, जो एक सम्मानित रंगमंच कलाकार थे, के पदचिह्नों पर चलते हुए अपनी अलग पहचान बनाई।

क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर साल 3 अगस्त को, दुनिया क्लोव्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस मनाती है ताकि क्लोव्स सिंड्रोम, एक दुर्लभ और जटिल आनुवंशिक विकार, के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। यह दिवस इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से पीड़ित लोगों के लिए सामुदायिक समर्थन, शीघ्र पहचान और बेहतर उपचार की उपलब्धता के महत्व पर ज़ोर देता है।

CLOVES सिंड्रोम क्या है?

CLOVES सिंड्रोम एक जन्मजात विकार (Congenital Disorder) है, जो जन्म से ही मौजूद होता है। इसका नाम CLOVES एक acronym है, जो इस स्थिति की मुख्य विशेषताओं को दर्शाता है:

  • C: Congenital Lipomatous Overgrowth (जन्मजात वसायुक्त ऊतकों की अत्यधिक वृद्धि)

  • L: Vascular Malformations (रक्त वाहिकाओं में विकृति)

  • O: Overgrowth (ऊतकों की अत्यधिक वृद्धि — ‘C’ में शामिल है)

  • V: Epidermal Nevi (त्वचा पर असामान्य चकत्ते या वृद्धि)

  • E: Skeletal/Spinal Anomalies (हड्डियों या रीढ़ की हड्डी में विकृति)

इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में वसायुक्त ऊतकों की असामान्य वृद्धि, रक्त वाहिकाओं में खराबी, त्वचा पर असामान्य धब्बे, तथा हड्डियों और रीढ़ की संरचना में विकृति देखी जा सकती है। ये लक्षण व्यक्ति को दर्द, शरीर की विकृति, चलने-फिरने में कठिनाई और गंभीर चिकित्सकीय जटिलताओं का सामना करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

जागरूकता क्यों है ज़रूरी?

CLOVES सिंड्रोम अत्यंत दुर्लभ विकार है, जिस कारण इसका अक्सर गलत निदान हो जाता है या इसे नजरअंदाज़ कर दिया जाता है। इससे इलाज में देरी होती है और रोगी को सही देखभाल नहीं मिल पाती, जिससे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

CLOVES सिंड्रोम जागरूकता दिवस इन महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति करता है:

  • डॉक्टरों और देखभालकर्ताओं को इसके लक्षणों और संकेतों के बारे में शिक्षित करना

  • शीघ्र निदान को प्रोत्साहित करना ताकि समय रहते इलाज हो सके

  • उन्नत चिकित्सा पद्धतियों पर शोध को बढ़ावा देना

  • रोगियों और उनके परिवारों को समुदाय से जुड़ाव और सहयोग प्रदान करना

लक्षणों और संकेतों की पहचान

हालाँकि प्रत्येक रोगी में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • जन्मजात ऊतक वृद्धि: वसायुक्त ऊतकों की गांठें, जो अक्सर असंतुलित रूप में बढ़ती हैं

  • रक्त वाहिकाओं की विकृति: असामान्य रक्त नलिकाएं, जिससे सूजन, दर्द या त्वचा का रंग बदलना हो सकता है

  • त्वचा संबंधी विकार: मस्सों जैसे घाव, जिन्हें एपिडर्मल नेवी कहा जाता है

  • हड्डियों की विकृति: रीढ़ की समस्याएं जैसे स्कोलियोसिस या अन्य असामान्यताएं

  • तंत्रिका संबंधी समस्याएं: गंभीर मामलों में दौरे पड़ना या विकास में देरी हो सकती है

CLOVES सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है

इस दुर्लभ विकार का सही निदान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण अन्य ऊतक-वृद्धि संबंधी विकारों से मिलते-जुलते हैं। सटीक निदान के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं:

  • विशेषज्ञों द्वारा नैदानिक मूल्यांकन: त्वचा रोग, हड्डी, रक्त वाहिका और तंत्रिका तंत्र से संबंधित विशेषज्ञ रोगी की जांच करते हैं

  • इमेजिंग जांच: MRI या अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीकों से ऊतकों और रक्त वाहिकाओं की संरचना को समझा जाता है

  • जेनेटिक टेस्टिंग: ज़रूरत पड़ने पर आनुवंशिक परीक्षण से CLOVES सिंड्रोम की पुष्टि की जाती है

चूंकि यह विकार कई अन्य बीमारियों से मिलता-जुलता है, इसलिए विशेषीकृत चिकित्सा संस्थानों में विशेषज्ञ देखभाल आवश्यक होती है।

उपचार विकल्प और आधुनिक प्रगति

हालाँकि अभी तक CLOVES सिंड्रोम का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन आधुनिक चिकित्सा इसके लक्षणों को नियंत्रित करने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने में मदद करती है:

  • सर्जरी: असामान्य ऊतकों या वृहद विकृतियों को हटाने या कम करने के लिए

  • इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी: स्क्लेरोथेरपी जैसी तकनीकों से रक्त वाहिकाओं की विकृति का इलाज

  • दवाइयाँ: सायरोलीमस (Sirolimus) जैसे mTOR इनहिबिटर दवाओं से ऊतक वृद्धि को नियंत्रित किया जाता है

  • फिजिकल थेरेपी: रोगी की गतिशीलता और मांसपेशियों के कार्य को बनाए रखने में सहायक

  • मल्टीडिसिप्लिनरी देखभाल: त्वचा विशेषज्ञ, रक्त नलिका सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ और आनुवंशिकी सलाहकारों का सामूहिक योगदान रोगी को समग्र देखभाल प्रदान करता है

इस प्रकार, समन्वित चिकित्सा देखभाल और समय पर हस्तक्षेप से CLOVES सिंड्रोम के रोगियों को बेहतर जीवन संभव हो सकता है।

जुलाई में GST कलेक्शन 7.5% बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये हुआ

जुलाई 2025 में भारत का जीएसटी संग्रह ₹1.96 लाख करोड़ तक पहुँच गया, जो साल-दर-साल 7.5% की वृद्धि दर्शाता है। हालाँकि, शुद्ध वृद्धि दर घटकर केवल 1.7% रह गई, जिसका मुख्य कारण रिफंड में 117% की तीव्र वृद्धि है, जिससे घरेलू खपत की गति को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

घरेलू नेट जीएसटी में दुर्लभ गिरावट दर्ज

देश की सकल घरेलू जीएसटी संग्रहण ₹1.43 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.7% की वृद्धि दर्शाता है। हालांकि, रिफंड को समायोजित करने के बाद नेट घरेलू जीएसटी राजस्व में कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार गिरावट देखने को मिली।

इसके विपरीत, आयात पर जीएसटी संग्रहण में 9.7% की वृद्धि हुई, जबकि निर्यात रिफंड में 20% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे नेट आयात जीएसटी में 7.5% की वृद्धि हुई।

धीमी घरेलू संग्रहण की संभावित वजहें

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि घरेलू जीएसटी संग्रहण में कमी शहरी खपत में कमजोरी से जुड़ी हो सकती है।
एक प्रमुख कारण ऑटोमोबाइल बिक्री में कमी रहा, जो जीएसटी राजस्व का बड़ा हिस्सा है।
FADA के आंकड़ों के अनुसार, जून में खुदरा बिक्री में वर्ष-दर-वर्ष 4.84% की वृद्धि तो हुई, लेकिन महीने-दर-महीने आधार पर इसमें 9.44% की गिरावट दर्ज हुई, जो असमान मांग को दर्शाता है।

उल्टा शुल्क ढांचा का मुद्दा

रिफंड में तेज़ी का एक बड़ा कारण उल्टा शुल्क ढांचा है, जिसमें इनपुट पर जीएसटी दर तैयार माल की तुलना में अधिक होती है।
उदाहरण के लिए:

  • लिथियम-आयन बैटरी पर 18% जीएसटी लगता है,

  • जबकि इसके पुर्जों पर 28% कर लगाया जाता है,
    जिससे ज़्यादा रिफंड की आवश्यकता पड़ती है और पूरी प्रणाली की दक्षता प्रभावित होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों का पुनर्गठन (rate rationalisation) जरूरी है, ताकि इस तरह की असमानताओं को सुधारा जा सके और अत्यधिक रिफंड दावों को रोका जा सके।

दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा खंड पर कवच 4.0 का संचालन शुरू

रेलवे सुरक्षा के आधुनिकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारतीय रेलवे ने उच्च-घनत्व वाले दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर के मथुरा-कोटा खंड पर उन्नत कवच 4.0, एक स्वदेशी रेलवे सुरक्षा प्रणाली, को चालू कर दिया है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 30 जुलाई, 2025 को इसकी घोषणा की, जो भारत में सुरक्षित और स्मार्ट रेल यात्रा की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

कवच 4.0: विश्वस्तरीय रेल सुरक्षा में भारत की क्रांतिकारी पहल

कवच 4.0, सुरक्षा की सर्वोच्च श्रेणी (Safety Integrity Level 4 – SIL 4) पर डिज़ाइन किया गया है और यह भारत की अत्याधुनिक प्रणाली है जो रेल हादसों को रोकने के लिए तैयार की गई है।
यह प्रणाली अपने आप ट्रेन की गति की निगरानी और नियंत्रण करती है तथा कोहरे जैसे कम दृश्यता वाले हालात में भी प्रभावी रूप से ब्रेक लगाती है।
अब ट्रेन चालकों को केबिन के अंदर लगे डैशबोर्ड पर सिग्नल और गति से जुड़ी सभी जानकारियाँ दिखाई देती हैं, जिससे उन्हें बाहर देखकर संकेत खोजने की आवश्यकता नहीं रहती।

देशभर में लागू होने की तैयारी और प्रशिक्षण

रेल मंत्री ने घोषणा की है कि कवच 4.0 को अगले छह वर्षों में पूरे देश में लागू किया जाएगा। इस बड़े विस्तार के लिए —

  • 30,000 से अधिक कर्मियों को कवच प्रणाली पर पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है।

  • IRISET (भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान) ने AICTE से मान्यता प्राप्त 17 इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू किए हैं, ताकि बी.टेक पाठ्यक्रम में कवच तकनीक को शामिल किया जा सके और एक दक्ष कार्यबल तैयार किया जा सके।

कवच 4.0 की तकनीकी विशेषताएँ

कवच प्रणाली को उसकी जटिलता के कारण एक स्वतंत्र टेलीकॉम कंपनी की स्थापना के बराबर माना जाता है। इसमें शामिल हैं:

  • हर 1 किलोमीटर और प्रत्येक सिग्नल पर लगाए गए RFID टैग, जो ट्रेनों की सटीक लोकेशन ट्रैक करने में मदद करते हैं।

  • ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और विद्युत आपूर्ति से युक्त टेलीकॉम टावर, जो हर कुछ किलोमीटर पर स्थापित किए गए हैं।

  • लोकोमोटिव कवच, RFID टैग, और स्टेशन कवच कंट्रोलर के बीच सतत संचार सुनिश्चित करने वाली प्रणाली।

  • ब्रेकिंग सिस्टम का कवच से एकीकरण, जिससे आपात स्थिति में स्वत: ब्रेक लग जाते हैं।

कड़े परीक्षण और गति स्वीकृति

कवच प्रणाली का तीन वर्षों तक दक्षिण मध्य रेलवे में कठोर परीक्षण किया गया। अनुभवों के आधार पर मई 2025 में कवच 4.0 को 160 किमी प्रति घंटे की गति तक संचालन की अनुमति मिली, जो इसे रेल सुरक्षा तकनीक में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम बनाता है।

यात्री सुरक्षा को नया आयाम

भारतीय रेलवे हर वर्ष सुरक्षा संबंधी गतिविधियों पर ₹1 लाख करोड़ से अधिक निवेश करता है। कवच 4.0 इन पहलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत का तीव्र गति से बढ़ता रेलवे नेटवर्क विश्व के सबसे सुरक्षित नेटवर्कों में शामिल रहे।

स्पेसएक्स ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए NASA के क्रू-11 मिशन को लॉन्च किया

अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, स्पेसएक्स ने 1 अगस्त, 2025 को नासा के क्रू-11 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जिससे चार अंतरिक्ष यात्रियों का एक अंतरराष्ट्रीय दल अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुँचेगा। यह मिशन न केवल स्पेसएक्स-नासा साझेदारी में एक और सफल अध्याय का प्रतीक है, बल्कि मिशन की अवधि में संभावित बदलाव का भी प्रतीक है।

केनेडी स्पेस सेंटर से ऐतिहासिक प्रक्षेपण

  • यह प्रक्षेपण फ्लोरिडा स्थित नासा के केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से पूर्वाह्न 11:43 (ईटी) यानी 1543 जीएमटी पर किया गया।
  • अंतरिक्षयात्री स्पेसएक्स के विश्वसनीय फाल्कन 9 रॉकेट पर सवार ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से अंतरिक्ष की यात्रा पर निकले। लगभग 16 घंटे की यात्रा के बाद यह दल शनिवार तड़के 3 बजे (0700 GMT) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर डॉक करेगा।
  • मिशन ने मौसम संबंधी बाधाओं को पार किया, क्योंकि 31 जुलाई को खराब मौसम के कारण पिछला प्रयास रद्द कर दिया गया था।

क्रू-11 दल: वैश्विक सहयोग का प्रतीक

इस मिशन के चारों अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष में वैश्विक सहयोग की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं:

  • ज़ेना कार्डमैन – नासा की अंतरिक्षयात्री

  • माइकल फिंके – अनुभवी नासा अंतरिक्षयात्री

  • ओलेग प्लेटोनोव – रूसी कॉस्मोनॉट

  • किमिया यूई – जापानी अंतरिक्षयात्री

यह दल अनुसंधान प्रयोगों, स्टेशन की मरम्मत, और मानव अंतरिक्ष अन्वेषण को आगे बढ़ाने वाले वैज्ञानिक परियोजनाओं में भाग लेगा।

मिशन अवधि: एक नई मिसाल?

  • जहाँ आमतौर पर नासा के दल-परिवर्तन मिशनों की अवधि लगभग छह महीने होती है, वहीं क्रू-11 मिशन को आठ महीने तक बढ़ाए जाने की संभावना है। इस बदलाव का उद्देश्य अमेरिकी और रूसी मिशनों की समय-तालिका में बेहतर तालमेल बैठाना है।
  • नासा ड्रैगन कैप्सूल के स्वास्थ्य और प्रदर्शन की निगरानी करेगा, जो ISS से जुड़ा रहेगा, और तभी मिशन की बढ़ी हुई अवधि की पुष्टि की जाएगी।

भू-राजनीतिक तनावों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग

  • इस प्रक्षेपण की एक और महत्वपूर्ण बात यह रही कि इसमें रूसी प्रतिनिधिमंडल, जिसमें रोस्कोस्मोस प्रमुख दिमित्री बाकानोव भी शामिल थे, की उपस्थिति दर्ज हुई।
  • यह अमेरिका-रूस के 2022 के यूक्रेन संघर्ष के बाद भी दोनों देशों के बीच जारी अंतरिक्ष सहयोग को दर्शाता है।
  • बाकानोव और कार्यवाहक नासा प्रशासक सीन डफी के बीच यह 2018 के बाद दोनों एजेंसियों के प्रमुखों की पहली प्रत्यक्ष बैठक थी।
  • वार्ता का केंद्र ISS संचालन और भविष्य की चंद्र अन्वेषण योजनाएँ रहीं। भले ही कोई नई घोषणा नहीं हुई, फिर भी यह वार्ता अमेरिकी-रूसी संबंधों में आईएसएस को एक दुर्लभ सकारात्मक पहलू के रूप में दर्शाती है।

बड़ी तस्वीर: आर्टेमिस बनाम चीन-रूस चंद्र मिशन

  • जहाँ ISS दोनों अंतरिक्ष शक्तियों को एकजुट रखे हुए है, रूस ने नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम से बाहर होकर चीन के चंद्र अन्वेषण मिशन से हाथ मिला लिया है, जो एक नए अंतरिक्ष दौड़ का संकेत देता है।
  • नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम चंद्रमा पर वापसी और भविष्य के मानवयुक्त मंगल अभियानों की योजना बना रहा है।
  • रूस का यह निर्णय बदलते हुए वैश्विक अंतरिक्ष गठबंधनों की ओर संकेत करता है।

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