जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन

पूर्व जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त 2025 को 79 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्होंने दोपहर लगभग 1 बजे दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां वे इलाज के लिए भर्ती थे। सत्यपाल मलिक एक अनुभवी राजनीतिज्ञ थे और जम्मू-कश्मीर के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक—2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने—के दौरान उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक यात्रा
सत्यपाल मलिक ने 1970 के दशक में एक समाजवादी नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। उन्होंने शुरुआत में चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में भारतीय क्रांति दल का प्रतिनिधित्व किया और 1974 में उत्तर प्रदेश की बागपत सीट से विधायक निर्वाचित हुए।

बाद में उन्होंने कई वरिष्ठ पदों पर कार्य किया, जिनमें लोकदल के महासचिव का पद भी शामिल है। मलिक ने दो बार राज्यसभा में सेवा दी—पहली बार 1980 में और दूसरी बार 1989 में, जब वे कांग्रेस पार्टी से सांसद थे।

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका
सत्यपाल मलिक को अगस्त 2018 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य का अंतिम राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया जब 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया। यह कदम भारत की राजनीतिक दिशा में सबसे निर्णायक निर्णयों में से एक माना जाता है, और यह मलिक के राज्यपाल रहते हुए ही हुआ।

बाद के राज्यपाल कार्यकाल – गोवा और मेघालय
जम्मू-कश्मीर के बाद मलिक को गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया और इसके पश्चात वे मेघालय के राज्यपाल रहे, जहाँ उन्होंने अक्टूबर 2022 तक सेवा दी। विभिन्न राज्यों में उनके राज्यपालीय कार्यकाल ने उनकी लंबी संवैधानिक सेवा को दर्शाया। इससे पहले, 2017 में, उन्होंने संक्षिप्त रूप से बिहार के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया था।

विरासत और योगदान
सत्यपाल मलिक की राजनीतिक यात्रा उनकी अनुकूलता और विभिन्न राजनीतिक दलों में व्यापक अनुभव को दर्शाती है—समाजवादी समूहों से लेकर 2004 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़ने तक। अनुच्छेद 370 को हटाने के समय उनके नेतृत्व को उनकी सबसे प्रमुख विरासत के रूप में देखा जाता है, जिसने उन्हें भारत के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन

भारत ने अपने सबसे प्रभावशाली आदिवासी नेताओं में से एक और झारखंड राज्य के निर्माण के प्रमुख शिल्पकार को खो दिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन का 4 अगस्त 2025 को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। “दिशोम गुरु” के नाम से लोकप्रिय सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति में एक युग के अंत को दर्शाता है।

उनके निधन की घोषणा

शिबू सोरेन को किडनी संबंधी समस्याओं के चलते जून के आखिरी हफ्ते में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता के निधन की जानकारी एक्स पर दी। उनके निधन की पुष्टि उनके पुत्र और वर्तमान झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की, जिन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावुक संदेश साझा किया: “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए… मैं आज ‘शून्य’ हो गया हूँ।” यह मार्मिक श्रद्धांजलि न केवल व्यक्तिगत शोक को दर्शाती है, बल्कि झारखंड की जनता के सामूहिक दुःख को भी अभिव्यक्त करती है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पिता के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “आज मैं खाली हाथ हूँ। गुरुजी ने न केवल झारखंड में, बल्कि पूरे देश में सामाजिक न्याय के लिए अनगिनत लड़ाइयाँ लड़ीं। उनकी कमी हमेशा खलेगी।”

अंतिम दिनों में स्वास्थ्य संबंधी संघर्ष

शिबू सोरेन को किडनी संबंधी समस्याओं के चलते जून के आखिरी हफ्ते में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोरेन को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लगभग छह सप्ताह पहले उन्हें स्ट्रोक आया था, जिससे उनकी स्थिति और गंभीर हो गई। पिछले एक महीने से वे जीवन रक्षक प्रणाली (लाइफ सपोर्ट) पर थे और वरिष्ठ नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. ए.के. भल्ला की देखरेख में इलाज चल रहा था। 4 अगस्त 2025 को सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

उनकी राजनीतिक यात्रा और विरासत

शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वे आदिवासी अस्मिता और गर्व का प्रतीक थे। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की स्थापना की और लगभग चार दशकों तक इसका नेतृत्व किया। वे झारखंड को बिहार से अलग एक स्वतंत्र राज्य बनाए जाने के आंदोलन के अग्रणी नेता थे, जो अंततः वर्ष 2000 में साकार हुआ।
सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा झारखंड के आदिवासी समाज की आकांक्षाओं से गहराई से जुड़ी रही, जिसके कारण उन्हें “दिशोम गुरु” (भूमि के नेता) की उपाधि मिली।

शिबू सोरेन का जन्म

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को हजारीबाग के नेमरा गांव में हुआ था। शिबू सोरेन ने 2 मार्च 2005 को पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह मौका JMM, कांग्रेस और राजद के गठबंधन के बाद आया था। 27 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार JMM और BJP के गठबंधन ने उन्हें सत्ता दिलाई। 30 दिसंबर 2009 को सोरेन तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, जब JMM और BJP ने फिर गठबंधन किया। लेकिन मई 2010 में गठबंधन टूट गया जब सोरेन ने लोकसभा में UPA सरकार के समर्थन में वोट दिया, जबकि BJP इसका हिस्सा थी।

फिच ने वित्त वर्ष 26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.3% किया

वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने 1 अगस्त 2025 को जारी अपनी नवीनतम “इंडिया कॉर्पोरेट क्रेडिट ट्रेंड्स रिपोर्ट” में वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.3% कर दिया है, जो पहले 6.4% अनुमानित था। एजेंसी ने बताया कि जहां उच्च स्तर का बुनियादी ढांचा निवेश प्रमुख क्षेत्रों में मांग को बढ़ावा देता रहेगा, वहीं वैश्विक व्यापार से जुड़ी चुनौतियाँ और शुल्क (टैरिफ) संबंधी जोखिम भारत की विकास गति पर दबाव डाल सकते हैं।

मांग को बढ़ावा देगा अवसंरचना पर खर्च

फिच रेटिंग्स के अनुसार, भारत का मजबूत अवसंरचना निवेश विकास का एक प्रमुख इंजन बना रहेगा। यह निवेश निम्नलिखित प्रमुख उद्योगों में मांग को समर्थन देगा:

  • सीमेंट

  • ऊर्जा (पावर)

  • पेट्रोलियम उत्पाद

  • निर्माण (कंस्ट्रक्शन)

  • भवन निर्माण सामग्री

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारी पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के बावजूद भारतीय कंपनियों की क्रेडिट प्रोफाइल में सुधार की संभावना है, क्योंकि EBITDA मार्जिन (आय पूर्व ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन) बेहतर बने हुए हैं।

भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

फिच ने अमेरिका द्वारा घोषित 25% शुल्क (टैरिफ) पर चिंता जताई, जो 7 अगस्त 2025 से लागू होंगे। इसके अतिरिक्त, भारत-रूस व्यापार से जुड़ी अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाइयों का भी उल्लेख किया गया है।

  • सीमित प्रत्यक्ष प्रभाव: अधिकांश रेटेड भारतीय कंपनियों की अमेरिका में निर्यात हिस्सेदारी कम से मध्यम स्तर की है, जिससे उन्हें तत्काल बड़ा नुकसान नहीं होगा।

  • द्वितीयक जोखिम: हालांकि, फिच ने चेताया कि वैश्विक आपूर्ति अधिशेष, विशेषकर इस्पात और रसायन क्षेत्रों में, भारत की ओर मोड़ दी जा सकती है, जिससे कीमतों में गिरावट और मेटल व माइनिंग कंपनियों के लिए अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।

क्षेत्रीय परिदृश्य

आईटी, ऑटो और फार्मा

  • आईटी सेवाएं, ऑटो कंपोनेंट्स और फार्मास्युटिकल जैसे निर्यात-आधारित क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। अमेरिका और यूरोप में टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता से मांग में गिरावट आ सकती है।
  • अमेरिकी नीतिगत बदलाव विशेष रूप से भारतीय दवा उद्योग को प्रभावित कर सकते हैं, जो विदेशी बाजारों पर काफी निर्भर है।

सापेक्ष रूप से सुरक्षित क्षेत्र

कुछ क्षेत्र अपेक्षाकृत स्थिर और सुरक्षित बने रहने की संभावना रखते हैं, जैसे:

  • दूरसंचार (टेलीकॉम)

  • तेल और गैस

  • यूटिलिटीज

  • निर्माण

ये क्षेत्र मुख्य रूप से घरेलू मांग-आधारित हैं और नियामकीय स्थिरता का लाभ उठाते हैं, जिससे बाहरी जोखिम कम हो जाते हैं।

व्यापार वार्ताओं में भारत का सख्त रुख

  • रिपोर्ट में बताया गया कि भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों में अमेरिकी शुल्क रियायतों की मांग का कड़ा विरोध किया है। ये क्षेत्र भारत के किसी भी मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में शामिल नहीं हैं।
  • वर्तमान व्यापार वार्ताओं का परिणाम भारतीय कंपनियों की निर्यात विविधता और नए व्यापारिक परिदृश्यों के अनुकूलन की रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
  • फिच ने ज़ोर दिया कि इन वार्ताओं का परिणाम भारत के बाह्य क्षेत्र की मजबूती तय करने में आने वाले समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Pariksha pe Charcha 2025: 3.53 करोड़ रजिस्ट्रेशन के साथ बना वर्ल्ड रिकॉर्ड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रमुख पहल “परीक्षा पे चर्चा (PPC)” ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह रिकॉर्ड “एक माह में नागरिक सहभागिता प्लेटफॉर्म पर सबसे अधिक लोगों के पंजीकरण” के लिए दर्ज किया गया है। इस वर्ष आयोजित कार्यक्रम के आठवें संस्करण में मायगव (MyGov) प्लेटफॉर्म पर कुल 3.53 करोड़ वैध पंजीकरण हुए, जो इस अनोखी शैक्षिक पहल की अपार लोकप्रियता और जनविश्वास को दर्शाता है।

एक ऐतिहासिक मान्यता

गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड का यह सम्मान नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में औपचारिक रूप से प्रदान किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, रेल, और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद, और शिक्षा एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। यह मान्यता गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक निर्णायक ऋषि नाथ द्वारा प्रमाणित की गई। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए वैश्विक पहचान लेकर आई है, बल्कि देश को नागरिक सहभागिता आधारित शैक्षिक पहल के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है।

परीक्षा के तनाव को बना दिया सीखने का उत्सव

साल 2018 में आरंभ हुई ‘परीक्षा पे चर्चा’ (PPC) आज एक वैश्विक मंच बन चुकी है, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी सीधे छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद करते हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य है — परीक्षा से जुड़े तनाव को कम करना और शिक्षा को आनंददायक, समग्र एवं जीवनमूल्य आधारित अनुभव बनाना। 2025 संस्करण में इस कार्यक्रम को 21 करोड़ से अधिक दर्शकों ने विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देखा, जिससे यह भारत की सबसे बड़ी शैक्षिक पहलों में से एक बन गई है।

यह कार्यक्रम परीक्षा को केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सीखने का उत्सव बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। प्रधानमंत्री ने इसे विशेष रूप से भारत के अमृतकाल में छात्रों के कल्याण और करियर जागरूकता को प्रोत्साहित करने वाला कदम बताया है, और कहा कि गिनीज़ मान्यता इस कार्यक्रम में जनता के विश्वास का प्रमाण है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 से समरसता

यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सोच से घनिष्ठ रूप से जुड़ी है, जो रटंत पढ़ाई के स्थान पर तनाव-मुक्त, अनुभवात्मक और आनंदमयी शिक्षा पर बल देती है। प्रधानमंत्री मोदी संवाद के दौरान निम्नलिखित महत्वपूर्ण विषयों पर छात्रों से चर्चा करते हैं:

  • समय प्रबंधन और प्रभावी परीक्षा तैयारी

  • डिजिटल व्याकुलताओं से निपटना

  • भावनात्मक दृढ़ता का विकास

  • एकाग्रता बनाए रखने के लिए माइंडफुलनेस का अभ्यास

ये विषय केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिससे शिक्षा का समग्र दृष्टिकोण सुदृढ़ होता है।

एक कार्यक्रम से आगे बढ़कर बना जनआंदोलन

पिछले कुछ वर्षों में, परीक्षा पे चर्चा एक वार्षिक आयोजन से एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में तब्दील हो गया है। यह एक सशक्त संदेश देता है कि परीक्षाएँ अंत नहीं, बल्कि सीखने और विकास की यात्रा में एक नई शुरुआत हैं।

शिक्षा मंत्रालय ने, अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ, पीपीसी की रिकॉर्ड तोड़ सफलता का श्रेय समावेशी और समग्र शिक्षा के माध्यम से एक विकसित भारत के निर्माण के प्रति राष्ट्र की सामूहिक प्रतिबद्धता को दिया।

NITI Aayog ने इलेक्ट्रिक वाहनों में 200 अरब डॉलर के अवसर को उजागर करने वाली रिपोर्ट जारी की

भारत के स्वच्छ गतिशीलता मिशन को तेज़ी देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, नीति आयोग ने एक ऐतिहासिक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक है — “एक 200 अरब डॉलर का अवसर: भारत में इलेक्ट्रिक वाहन”। यह रिपोर्ट 4 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में जारी की गई। यह व्यापक रिपोर्ट भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के संक्रमण को गति देने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत करती है। इसमें वर्तमान प्रगति का विश्लेषण किया गया है, प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गई है, और रणनीतिक सुझाव दिए गए हैं ताकि भारत को इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर किया जा सके।

रिपोर्ट का विमोचन और प्रमुख गणमान्य व्यक्ति

इस रिपोर्ट का औपचारिक विमोचन श्री राजीव गौबा, सदस्य, नीति आयोग द्वारा किया गया। इस अवसर पर कई प्रमुख नेता उपस्थित रहे:

  • श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम, सीईओ, नीति आयोग

  • श्री कमरान रिज़वी, सचिव, भारी उद्योग मंत्रालय

  • श्री ओ.पी. अग्रवाल, प्रतिष्ठित फेलो, नीति आयोग

  • श्री सुधेन्दु सिन्हा, कार्यक्रम निदेशक – ई-मोबिलिटी, नीति आयोग

इनकी उपस्थिति सरकार की इस प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि भारत के ईवी पारिस्थितिकी तंत्र को एक मजबूत और सतत क्षेत्र में विकसित किया जाए।

भारत के महत्वाकांक्षी ईवी लक्ष्य

भारत ने 2030 तक सभी वाहन श्रेणियों में 30% इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री का लक्ष्य निर्धारित किया है। अब तक की प्रगति इस प्रकार रही है:

  • भारत में ईवी बिक्री 2016 में 50,000 से बढ़कर 2024 में 2.08 मिलियन हो गई।

  • वैश्विक ईवी बिक्री 2016 में 9.18 लाख से बढ़कर 2024 में 1.878 करोड़ तक पहुंची।

  • 2020 में भारत की ईवी पैठ वैश्विक स्तर की केवल एक-पांचवीं थी, लेकिन 2024 में यह दो-पांचवीं से अधिक हो गई, जो तेज़ी से हो रही प्रगति को दर्शाता है।

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि भारत का संक्रमण अभी भी वैश्विक मानकों की तुलना में धीमा है। ईवी अपनाने को प्रोत्साहित करने, आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने और उपभोक्ता विश्वास बढ़ाने के लिए अधिक ठोस कदमों की आवश्यकता है।

रिपोर्ट का विकास

यह रिपोर्ट नीति आयोग द्वारा आयोजित सात विशेष परामर्श सत्रों के माध्यम से व्यापक हितधारक संवाद का परिणाम है। इन बैठकों में सरकार, उद्योग और शोध क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिन्होंने प्रमुख बाधाओं की पहचान की और समाधान सुझाए। यह रिपोर्ट भारत के ईवी भविष्य की एक रूपरेखा (ब्लूप्रिंट) के रूप में उभरती है, जो आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

रिपोर्ट के प्रमुख फोकस क्षेत्र

रिपोर्ट में उन प्रमुख अड़चनों, समाधानों और क्रियान्वयन योग्य सिफारिशों की पहचान की गई है, जो भारत के ईवी क्षेत्र को बदल सकती हैं। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

  • वर्तमान चुनौतियों को उजागर करना — जैसे उच्च लागत, सीमित चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएँ।

  • इन बाधाओं को दूर करने हेतु रणनीतिक समाधान देना — जैसे निर्माताओं और उपभोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन, चार्जिंग नेटवर्क में निवेश, और बैटरी उत्पादन के लिए समर्थन।

  • डेटा-आधारित नीति निर्माण को बढ़ावा देना ताकि नीतियाँ बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप हों।

  • सरकार, निजी उद्योग और तकनीकी भागीदारों के बीच समन्वित राष्ट्रीय प्रयास सुनिश्चित करने के लिए अंतर-क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना।

600 साल बाद फटा क्राशेनिनिकोव ज्वालामुखी

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में स्थित क्राशे‍निन्निकोव ज्वालामुखी ने आज लगभग 600 वर्षों के बाद विस्फोट किया, जो एक दुर्लभ और नाटकीय प्राकृतिक घटना है। यह विस्फोट स्थानीय समयानुसार सुबह 2:50 बजे शुरू हुआ, जिसमें राख के विशाल बादल लगभग 4 किलोमीटर की ऊंचाई तक आकाश में फैल गए। यह ज्वालामुखी 15वीं शताब्दी के बाद पहली बार फटा है।

विस्फोट का विवरण

क्राशे‍निन्निकोव ज्वालामुखी लगभग 1463 से शांत था, जिससे यह इसका आधुनिक इतिहास में दर्ज पहला विस्फोट बना। यह विस्फोट बिना किसी पूर्व चेतावनी के हुआ, जिसने स्थानीय निवासियों और वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया। राख के बादल तेजी से प्रशांत महासागर की ओर पूर्व दिशा में फैल गए, हालांकि अधिकारियों ने पुष्टि की है कि फिलहाल किसी आबादी वाले क्षेत्र को सीधा खतरा नहीं है। यह ज्वालामुखी पेट्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की से लगभग 200 किलोमीटर उत्तर में स्थित है, और इसकी निगरानी रूसी अधिकारियों व ज्वालामुखी विशेषज्ञों द्वारा लगातार की जा रही है।

विमानन चेतावनी जारी

विशाल राख के गुबार के कारण विमानन प्राधिकरणों ने ऑरेंज एविएशन अलर्ट जारी किया है, जो पायलटों को संभावित खतरों के प्रति सतर्क करता है। ज्वालामुखीय राख विमान इंजनों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे क्षेत्र में उड़ानों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। कामचटका और प्रशांत मार्गों पर उड़ानें संचालित करने वाली एयरलाइनों को सतर्क रहने और आवश्यकतानुसार मार्ग बदलने की सलाह दी गई है।

हालिया भूकंपीय गतिविधियों से संबंध

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह विस्फोट इस सप्ताह क्षेत्र में आए 8.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप से जुड़ा हो सकता है, जिसके बाद कई आफ्टरशॉक्स (आफ्टरशॉक) भी आए। इस भूकंप ने पहले ही सुनामी की चेतावनी जारी कर दी थी, जिससे क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका और बढ़ गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, पृथ्वी की परतों में हुए ये भूकंपीय परिवर्तन संभवतः ज्वालामुखी को सैकड़ों वर्षों की निष्क्रियता के बाद पुनः सक्रिय करने के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं।

सुरक्षा उपाय और चेतावनियाँ

हालांकि यह विस्फोट प्रत्यक्ष रूप से किसी मानव बस्ती को खतरे में नहीं डालता, लेकिन अधिकारियों ने निवासियों और पर्यटकों से केवल क्राशे‍निन्निकोव ही नहीं, बल्कि कामचटका क्षेत्र के अन्य सक्रिय ज्वालामुखियों से भी दूर रहने की अपील की है। कामचटका प्रायद्वीप, जो पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है, दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखीय क्षेत्रों में से एक है, जहां 300 से अधिक ज्वालामुखी हैं, जिनमें से 29 सक्रिय हैं। स्थानीय आपातकालीन सेवाएं किसी भी स्थिति के बिगड़ने की स्थिति में तैयार हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ

  • क्राशे‍निन्निकोव ज्वालामुखी का अंतिम ज्ञात विस्फोट लगभग 1463 में हुआ था, जो आधुनिक वैज्ञानिक अभिलेखों के बहुत पहले की बात है।
  • इससे आज का विस्फोट एक ऐतिहासिक भूवैज्ञानिक घटना बन गया है, जो वैज्ञानिकों को सदी के बाद सक्रिय हुए ज्वालामुखी के व्यवहार को समझने का दुर्लभ अवसर प्रदान करता है।
  • शोधकर्ता विशेष रूप से यह जानने में रुचि रखते हैं कि क्या यह विस्फोट कामचटका क्षेत्र में ज्वालामुखीय गतिविधियों के एक नए चक्र की शुरुआत का संकेत है।

भारत में उद्योग 4.0 को अपनाने के लिए BSNL और NRL ने समझौता किया

भारत के औद्योगिक परिदृश्य को परिवर्तित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (NRL) ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य इंडस्ट्री 4.0 तकनीकों को तेजी से अपनाना है। यह समझौता गुवाहाटी में वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आयोजित CPSEs के लिए इंडस्ट्री 4.0 कार्यशाला के दौरान अंतिम रूप दिया गया।

यह साझेदारी उद्योगों के संचालन के तरीके को पूरी तरह से बदलने वाली है, जिसमें 5G कैप्टिव नॉन-पब्लिक नेटवर्क (CNPN), डिजिटल ट्विन्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), बिग डेटा एनालिटिक्स, और एआर/वीआर आधारित अनुप्रयोग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया जाएगा।

डिजिटल इंडिया की ओर एक महत्वपूर्ण कदम
इस कार्यशाला में सार्वजनिक उद्यम विभाग (DPE) के सचिव, NRL के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD), BSNL के निदेशक (एंटरप्राइज बिजनेस) और विभिन्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (CPSEs) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। चर्चा का मुख्य विषय यह था कि कैसे CPSEs को इंडस्ट्री 4.0 नवाचारों से लैस किया जाए, जो आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के अनुरूप हो और पूर्वोत्तर क्षेत्र में तकनीकी स्वतंत्रता व आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सके।

रिफाइनरी क्षेत्र में भारत का पहला 5G CNPN लागू होगा
इस समझौते के तहत BSNL और NRL मिलकर भारत का पहला 5G कैप्टिव नॉन-पब्लिक नेटवर्क (CNPN) रिफाइनरी क्षेत्र में लागू करेंगे। यह पहल सुरक्षित, वास्तविक समय पर कार्य करने वाला और अत्यंत विश्वसनीय नेटवर्क प्रदान करेगी, जिससे उद्योगों को अगली पीढ़ी की तकनीकों को अपने संचालन में एकीकृत करने का अवसर मिलेगा। इससे प्रक्रियाएं अधिक कुशल, लचीली और आत्मनिर्भर बनेंगी

रिफाइनरी क्षेत्र के लिए तकनीकी क्रांति
NRL के CMD के अनुसार, 5G CNPN की शुरूआत से न केवल ऑपरेशनल एफिशिएंसी और साइबर सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि यह AR/VR आधारित प्रशिक्षण, डिजिटल ट्विन्स द्वारा सिमुलेशन, और रीयल-टाइम IoT अनुप्रयोगों जैसे बदलावकारी समाधानों का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। यह पहल भारत के रिफाइनरी सेक्टर के संचालन में एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगी।

डिजिटल अवसंरचना के प्रति BSNL की प्रतिबद्धता
यह साझेदारी BSNL की रणनीतिक उद्योगों के लिए अगली पीढ़ी के डिजिटल अवसंरचना प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह तैनाती देश को एक डिजिटली इंटेलिजेंट और आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर करेगी। यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन को गति देने में BSNL की भूमिका को भी रेखांकित करती है।

अन्य उद्योगों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल
यह सहयोग केवल रिफाइनरी क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। BSNL के एंटरप्राइज बिजनेस निदेशक के अनुसार, यह परियोजना भारत के औद्योगिक क्षेत्र में 5G और इंडस्ट्री 4.0 के एकीकरण का ऐतिहासिक पड़ाव है। इस मॉडल की सफलता अन्य प्रमुख उद्योगों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित करेगी और भारत को डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगी।

गुजरात में शुरू हुआ भारत का पहला मेक-इन-इंडिया ‘ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट’

स्वच्छ ऊर्जा और सतत विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, दीनदयाल पोर्ट प्राधिकरण (DPA) ने कांडला, गुजरात में देश का पहला ‘मेक इन इंडिया’ हरित हाइड्रोजन संयंत्र (Green Hydrogen Plant) चालू कर दिया है। इस 1 मेगावाट क्षमता वाले संयंत्र का उद्घाटन केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा किया गया। यह पहल भारत की समुद्री डीकार्बनाइजेशन और हरित ऊर्जा को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

भारतीय बंदरगाहों के लिए एक नई शुरुआत करते हुए, दीनदयाल पोर्ट प्राधिकरण (DPA) ने मात्र चार महीनों में देश का पहला हरित हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित किया है, जो प्रस्तावित 10 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना का पहला चरण है। यह किसी भी भारतीय बंदरगाह पर शुरू की गई अपनी तरह की पहली परियोजना है, जो भारत की नवीकरणीय और टिकाऊ ऊर्जा समाधानों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस परियोजना में प्रयुक्त इलेक्ट्रोलाइज़र पूर्णतः स्वदेशी रूप से निर्मित है, जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत एक गर्व की उपलब्धि है।

स्वच्छ गतिशीलता के लिए हरित हाइड्रोजन

शुरुआत में, यह संयंत्र बंदरगाह परिसर में 11 बसों और स्ट्रीट लाइटिंग को बिजली देने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन की आपूर्ति करेगा। आगे चलकर DPA की योजना बंदरगाह के सभी कार्यों—जैसे कि वाहन, टग बोट और जहाजों—के संचालन में इसका उपयोग करने की है। यह पहल बंदरगाह के कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम करेगी और अन्य भारतीय बंदरगाहों के लिए एक आदर्श मॉडल बनेगी।

विस्तार योजनाएं: 10 मेगावाट की दिशा में

इस परियोजना का तेजी से विस्तार किया जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक इसमें 5 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता जोड़ी जाएगी, और अगले वित्तीय वर्ष के मध्य तक पूर्ण 10 मेगावाट संयंत्र चालू हो जाएगा। इसके बाद यह संयंत्र प्रतिवर्ष लगभग 140 मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम होगा।

समुद्री डीकार्बनाइजेशन की दिशा में कदम

DPA ने अपने बयान में कहा कि यह परियोजना समुद्री डीकार्बनाइजेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह भारत को सतत बंदरगाह संचालन में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करती है। ग्रीन हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन माना जाता है, जिसका उपयोग बिजली संयंत्रों, वाहनों, जहाजों और औद्योगिक कार्यों में किया जा सकता है, जिससे यह जीवाश्म ईंधन का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प बनता है।

सरकार का समर्थन

इस परियोजना को सरकार द्वारा हरित ऊर्जा के क्रियान्वयन में एक नया मानदंड बताया गया है, और DPA की गति, विस्तार और दक्षता के लिए प्रशंसा की गई है। संयंत्र की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 मई 2025 को भुज यात्रा के दौरान रखी गई थी, जो नवीकरणीय ऊर्जा नवाचार को लेकर सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

PNB हाउसिंग फाइनेंस ने CEO के इस्तीफे के बाद नए नेतृत्व की नियुक्तियों की घोषणा की

पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस ने अपने प्रबंध निदेशक और सीईओ गिरीश कौसगी के इस्तीफे के बाद वरिष्ठ प्रबंधन टीम में महत्वपूर्ण नियुक्तियों की घोषणा की है। यह बदलाव ऐसे समय में किया गया है जब हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। सीईओ के इस्तीफे की घोषणा के बाद कंपनी के शेयर बीएसई पर 18% तक गिर गए, जिससे बाजार में चिंता की लहर दौड़ गई।

नेतृत्व नियुक्तियाँ
2 अगस्त से प्रभावी, कंपनी ने निम्नलिखित प्रमुख नियुक्तियाँ की हैं:

  • जतुल आनंद, जो पहले एक फंक्शन हेड के रूप में कार्यरत थे, को कार्यकारी निदेशक (Executive Director) नियुक्त किया गया है। वे प्राइम और इमर्जिंग बिजनेस की निगरानी करेंगे, जिसमें बिक्री, क्रेडिट, उत्पाद और कलेक्शन शामिल हैं।

  • वल्ली शेखर को चीफ बिजनेस ऑफिसर – अफोर्डेबल बिजनेस के रूप में नियुक्त किया गया है। वे किफायती आवास क्षेत्र का नेतृत्व करेंगी, जिसमें वही संचालन क्षेत्र (बिक्री, क्रेडिट, उत्पाद और कलेक्शन) शामिल होंगे।

इन नियुक्तियों का उद्देश्य संक्रमणकाल के दौरान कंपनी की रणनीतिक प्राथमिकताओं को बनाए रखना और नेतृत्व में निरंतरता सुनिश्चित करना है।

गिरीश कौसगी का इस्तीफा

गिरीश कौसगी, जिन्होंने कंपनी की नींव को मजबूत करने में एक अहम भूमिका निभाई थी, ने संगठन के बाहर नए अवसरों की तलाश के लिए इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा 28 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होगा—जो कि उनके कार्यकाल की निर्धारित समाप्ति से एक वर्ष पहले है। हालांकि वे कंपनी छोड़ रहे हैं, कौसगी बोर्ड और वरिष्ठ प्रबंधन के साथ मिलकर संक्रमण को सहज और व्यवस्थित बनाने में सहयोग करेंगे।

बाज़ार और निवेशकों पर प्रभाव

कौसगी के अचानक इस्तीफे की घोषणा ने बाजार में तत्काल प्रतिक्रिया उत्पन्न की, जिससे बीएसई पर पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस के शेयरों में 18% की गिरावट आई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, कंपनी ने एक बयान जारी कर निवेशकों को आश्वस्त किया कि वह मजबूत विकास, परिसंपत्ति गुणवत्ता और ठोस मार्जिन को लेकर प्रतिबद्ध है।

पिछली वरिष्ठ स्तर की विदाइयाँ

कौसगी के इस्तीफे से पहले भी कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने कंपनी छोड़ी है:

  • दिलिप वैतीश्वरन, मुख्य बिक्री अधिकारी (Chief Sales Officer), जुलाई 2025 में

  • अनुजै सक्सेना, किफायती व्यवसाय प्रमुख (Business Head for Affordable Business), जुलाई 2025 में

इन लगातार इस्तीफों ने कंपनी में नेतृत्व से जुड़ी चुनौतियों को उजागर किया है।

भविष्य की योजनाएँ

कंपनी का बोर्ड अब ऐसे पेशेवर की तलाश में है जो सिद्ध नेतृत्व क्षमता और उद्योग में व्यापक अनुभव रखता हो, ताकि एमडी और सीईओ की भूमिका को संभाल सके। इस बीच, नए नियुक्त नेता गिरीश कौसगी के कार्यकाल के दौरान बनी मजबूत नींव का लाभ उठाते हुए कंपनी की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।

लैंडो नॉरिस ने पियास्त्री को रोमांचक मुकाबले में हराकर हंगेरियन ग्रां प्री जीती

हंगेरियन ग्रां प्री 2025 के रोमांचक फिनाले में लैंडो नॉरिस ने अपने मैकलेरन टीम साथी ऑस्कर पियास्त्री की देर तक चली चुनौती को पीछे छोड़ते हुए शानदार जीत दर्ज की। बुडापेस्ट के हंगारोरिंग सर्किट पर आयोजित इस रेस में रणनीति का जबरदस्त खेल, जबरदस्त रोमांच और टायर से टायर की टक्कर देखने को मिली, जिसने प्रशंसकों को सीज़न की सबसे यादगार रेसों में से एक दी।

चार्ल्स लेक्लेर की शुरुआती बढ़त
पोले पोजिशन से शुरुआत करते हुए, फेरारी के ड्राइवर चार्ल्स लेक्लेर ने शानदार शुरुआत की और शुरुआती दौर में रेस की गति पर नियंत्रण बनाए रखा। पियास्त्री, जो दूसरे स्थान पर थे, ने पहले पिट स्टॉप में अंडरकट की कोशिश की, लेकिन मोनैगास्क ड्राइवर को पछाड़ नहीं सके।

हालांकि, जैसे-जैसे रेस रणनीति आगे बढ़ी, लेक्लेर और पियास्त्री दोनों दो पिट स्टॉप की रणनीति पर टिके रहे, जबकि नॉरिस ने एक पिट स्टॉप की जोखिमभरी योजना अपनाई, जो अंत में निर्णायक साबित हुई।

नॉरिस बनाम पियास्त्री: निर्णायक मुकाबला
कम पिट स्टॉप के चलते नॉरिस रेस के अंतिम चरणों में लीड में आ गए। लेकिन उनके साथी ड्राइवर पियास्त्री, जो ताजे टायर्स और तेज गति के साथ दौड़ रहे थे, तेजी से अंतर को कम करने लगे। अंतिम कुछ लैप्स में पियास्त्री नॉरिस के बिल्कुल पीछे थे और कई बार ओवरटेक की कोशिश की। लेकिन नॉरिस ने शानदार रक्षात्मक ड्राइविंग करते हुए महज़ 0.698 सेकंड के अंतर से रेखा पार की।

यह जीत नॉरिस के सीज़न की पाँचवीं जीत रही, जिससे उन्होंने ड्राइवर्स चैंपियनशिप में पियास्त्री की बढ़त को घटाकर केवल नौ अंकों तक ला दिया है, ठीक ग्रीष्मकालीन ब्रेक से पहले।

पोडियम फिनिशर्स और उल्लेखनीय प्रदर्शन

  • जॉर्ज रसेल ने मर्सिडीज के लिए तीसरा स्थान हासिल किया, उन्होंने संघर्ष कर रहे लेक्लेर को पछाड़ा, जो चौथे स्थान पर खिसक गए और उन्हें अस्थिर ड्राइविंग के लिए पाँच सेकंड की पेनल्टी भी मिली।
  • फर्नांडो अलोंसो ने एस्टन मार्टिन के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन जारी रखा और पाँचवें स्थान पर रहे, जबकि उनके टीम साथी लांस स्ट्रोल सातवें स्थान पर रहे, जिससे टीम को डबल पॉइंट्स मिले।
  • गैब्रियल बोरटोलेटो ने अपने रूकी सीज़न में एक बार फिर प्रभावित किया और किक ज़ाउबर के लिए छठे स्थान पर रहे।
  • मैक्स वर्स्टापेन की रेस निराशाजनक रही और वे केवल नौवें स्थान तक पहुँच सके, जबकि मर्सिडीज के लिए किमी एंटोनेली ने अंतिम अंक के साथ दसवाँ स्थान हासिल किया।

निराशाएँ और घटनाएँ
लुईस हैमिल्टन के लिए यह रेस भुला देने योग्य रही, वे बारहवें स्थान पर रहे और अंक से बाहर रहे, जिससे उनका कठिन दौर जारी रहा। अल्पाइन के पियरे गैस्ली को भी निराशा हाथ लगी, उन्हें कार्लोस सैंज़ से टकराने पर पेनल्टी मिली और वे उन्नीसवें स्थान पर रहे। वहीं, हास के लिए दौड़ रहे ओली बेयरमैन को क्षति के कारण रिटायर होना पड़ा।

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