प्रधानमंत्री मोदी ने कर्तव्य भवन का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (सीसीएस) परियोजना के तहत पहली इमारत, कर्तव्य भवन का उद्घाटन किया, जो सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना का एक प्रमुख तत्व है। यह कई मंत्रालयों और विभागों को एक एकल, आधुनिक और कुशल परिसर में समेकित करके केंद्र सरकार के कामकाज के तरीके को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्रीकृत शासन की ओर एक दृष्टिकोण
हाल ही में उद्घाटित कर्तव्य भवन – 03 में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME), कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT), पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय स्थापित किया जाएगा।

वर्तमान में कई मंत्रालय शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन जैसी इमारतों से संचालित हो रहे हैं, जिन्हें 1950 से 1970 के दशक के बीच बनाया गया था। ये भवन अब संरचनात्मक रूप से पुराने और कार्यकुशलता की दृष्टि से अनुपयुक्त माने जा रहे हैं, जिससे आधुनिकीकरण की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है।

बड़ा लक्ष्य: 10 नए केंद्रीय सचिवालय भवन
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत, केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा 10 कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CCS) भवनों का निर्माण किया जा रहा है। इन भवनों में 50 से अधिक मंत्रालयों और विभागों को एक छत के नीचे लाया जाएगा, जिससे शासन व्यवस्था अधिक समन्वित और कुशल बनेगी।

CCS 2 और CCS 3 अगले माह तक पूर्ण होने की उम्मीद है, जबकि CCS 10 अप्रैल 2026 तक और CCS 6 एवं CCS 7 अक्टूबर 2026 तक तैयार होने की संभावना है।

निर्माण को सुगम बनाने के लिए अस्थायी स्थानांतरण
निर्माण कार्य में बाधा न आए, इसके लिए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि चार प्रमुख भवनों से कार्यरत कई मंत्रालयों को अस्थायी रूप से कस्तूरबा गांधी मार्ग, मिंटो रोड और नेताजी पैलेस स्थित परिसरों में दो वर्षों के लिए स्थानांतरित किया जाएगा।

हालांकि, कुछ इमारतों को संरक्षित रखा जाएगा, जैसे—राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रीय अभिलेखागार, जवाहरलाल नेहरू भवन (विदेश मंत्रालय), डॉ. आंबेडकर ऑडिटोरियम और वाणिज्य भवन, क्योंकि ये या तो हाल ही में निर्मित हैं या विरासत महत्व की हैं।

सिर्फ सचिवालय नहीं, सेंट्रल विस्टा की व्यापक योजना
सेंट्रल विस्टा परियोजना भारत के इतिहास की सबसे बड़ी अधोसंरचना परियोजनाओं में से एक है। इसमें कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट के अलावा शामिल हैं:

  • नया संसद भवन

  • उपराष्ट्रपति एन्क्लेव

  • विजय चौक से इंडिया गेट तक का पुनर्विकसित कर्तव्य पथ

  • एक कार्यकारी एन्क्लेव जिसमें नया प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय, इंडिया हाउस और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय शामिल होंगे

  • अगले चरण में नया प्रधानमंत्री आवास भी प्रस्तावित है

इस परियोजना का उद्देश्य आधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ प्रशासनिक दक्षता को जोड़ना है, जिससे 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप कार्यस्थल तैयार हो सके।

शासन का नया युग
एक ही परिसर में मंत्रालयों को एकत्रित कर, यह कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट प्रणाली अंतर्विभागीय समन्वय को सुदृढ़ करेगी, दोहराव को कम करेगी और नागरिकों को सेवाएं देने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भविष्योन्मुख और दक्ष शासन मॉडल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

SECI ने ग्रीन अमोनिया की खरीद के लिए पहली बार नीलामी आयोजित की

भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होते हुए, भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत हरित अमोनिया की खरीद के लिए देश की पहली नीलामी सफलतापूर्वक आयोजित की है। SIGHT योजना (मोड-2A) के तहत आयोजित इस नीलामी में ₹55.75 प्रति किलोग्राम की रिकॉर्ड-कम कीमत प्राप्त हुई – जो पिछले वर्ष की बेंचमार्क कीमत का लगभग आधा है।

हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम
यह नीलामी ओडिशा स्थित पराद्वीप फॉस्फेट्स लिमिटेड को प्रति वर्ष 75,000 मीट्रिक टन हरित अमोनिया की आपूर्ति के लिए आयोजित की गई है। यह नीलामी 13 नियोजित नीलामियों में से पहली है, जिनका कुल वार्षिक लक्ष्य 7.24 लाख मीट्रिक टन हरित अमोनिया की खरीद है।

इस नीलामी में ₹55.75 प्रति किलोग्राम (अमेरिकी डॉलर 641 प्रति मीट्रिक टन) की खोजी गई कीमत, 2024 की H2Global नीलामी में तय ₹100.28 प्रति किलोग्राम (USD 1,153/MT) के मुकाबले काफी कम है। मार्च 2025 में ग्रे अमोनिया की कीमत USD 515/MT थी। यह प्रतिस्पर्धी दर 10 वर्षों के लिए स्थिर मूल्य अनुबंध प्रदान करती है, जो उद्योगों को पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों से हरित विकल्पों की ओर आकर्षित करती है।

निवेशकों का मजबूत विश्वास
इस नीलामी में डेवलपर्स के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा देखी गई, जिससे भारत के नवीकरणीय ऊर्जा ढांचे पर निवेशकों के मजबूत विश्वास का संकेत मिलता है। इस प्रक्रिया में SECI (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) मध्यस्थ खरीदार की भूमिका में था, जो नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) और उर्वरक विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा था।

इस योजना में शामिल भुगतान सुरक्षा तंत्र डेवलपर्स का भरोसा और बढ़ाएगा, जिससे हरित ईंधनों में दीर्घकालिक निवेश का वातावरण मजबूत होगा।

भारत के हरित ऊर्जा लक्ष्यों की दिशा में बड़ा कदम
यह मूल्य खोज भारत की हरित हाइड्रोजन यात्रा में एक मील का पत्थर मानी जा रही है, जो यह दर्शाती है कि स्वच्छ ईंधन विकल्प पारंपरिक जीवाश्म-आधारित उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं। सरकार का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव्स जैसे हरित अमोनिया के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है, जो उर्वरक, शिपिंग और भारी उद्योगों जैसे क्षेत्रों के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

आगे की राह
SECI की यह नीलामी हरित अमोनिया के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और जीवाश्म-आधारित आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में पहला कदम है। जैसे-जैसे अगले 12 नीलामियां आयोजित होंगी, विश्लेषकों को मूल्य में और स्थिरता और वैश्विक खिलाड़ियों की बढ़ती भागीदारी की उम्मीद है।

बड़े पैमाने पर उत्पादन और दीर्घकालिक मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करके, भारत हरित ईंधनों को व्यापक रूप से अपनाने की राह खोल रहा है और 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के अपने संकल्प को मजबूत कर रहा है।

गति शक्ति विश्वविद्यालय और SAP ने भारत के लॉजिस्टिक्स एवं परिवहन क्षेत्र में पेशेवरों को डिजिटल रूप से कुशल बनाने हेतु समझौता

भारत के तेज़ी से बढ़ते लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र के लिए भविष्य के लिए तैयार कार्यबल तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, यूरोप की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी SAP ने गति शक्ति विश्वविद्यालय (GSV) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य पेशेवरों को डिजिटल रूप से कुशल बनाना और शिक्षा के ढांचे में अत्याधुनिक लॉजिस्टिक्स समाधानों को एकीकृत करना है।

रोज़गार सशक्तिकरण:
गतिशक्ति विश्वविद्याय (GSV) से प्रशिक्षित स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को उद्योग-प्रासंगिक डिजिटल लॉजिस्टिक्स कौशल प्रदान किए जाएंगे। इसका उद्देश्य शैक्षणिक प्रशिक्षण और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच की खाई को पाटना है।

पाठ्यक्रम संवर्धन एवं क्षमतावर्धन:
SAP के डिजिटल लॉजिस्टिक्स उपकरणों को GSV के शिक्षण मॉड्यूल में शामिल किया जाएगा। यह प्रशिक्षण छात्रों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों को भी दिया जाएगा, ताकि उन्हें वास्तविक जीवन की परिस्थितियों के लिए व्यावहारिक रूप से तैयार किया जा सके।

उद्योग से जुड़ाव: अनुसंधान, नवाचार और रोज़गार के अवसर
इस साझेदारी का उद्देश्य डिजिटल लॉजिस्टिक्स और परिवहन के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है। साथ ही, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को मज़बूत कर राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करना भी इसका प्रमुख उद्देश्य है।

भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर प्रभाव
यह सरकारी–औद्योगिक साझेदारी निम्नलिखित लाभ देने की संभावना रखती है:

  • ज्ञान हस्तांतरण और संयुक्त नवाचार को सक्षम बनाना।

  • छात्रों को प्रायोगिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करना।

  • ऐसे कार्यबल का निर्माण करना जो भारत के तेज़ी से विकसित हो रहे लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम की मांगों को पूरा कर सके।

SAP की वैश्विक विशेषज्ञता और GSV की परिवहन और लॉजिस्टिक्स पर विशेषीकृत समझ के समन्वय से यह पहल कौशल विकास में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने का लक्ष्य रखती है।

SAP लैब्स इंडिया का विस्तार
इस समझौते के साथ ही SAP लैब्स इंडिया ने बेंगलुरु में अपना दूसरा कैंपस शुरू किया है। यह कदम भारत को एक वैश्विक प्रौद्योगिकी और नवाचार केंद्र के रूप में विकसित करने की SAP की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत अब 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ते हुए तीसरे स्थान की ओर अग्रसर है। पिछले 11 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में आठ गुना वृद्धि हुई है, और जल्द ही देश में निर्मित पहला सेमीकंडक्टर चिप भी उत्पादन के लिए तैयार होगा।

भारत-फिलीपींस के बीच हुए ये 9 समझौते

पीएम मोदी और फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर मार्कोस जूनियर के बीच 5 अगस्त 2025 को हुई बातचीत के बाद भारत, फिलीपींस ने रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। दोनों देशों के बीच 9 समझौते हुए हैं। फिलीपींस के राष्ट्रपति आर. मार्कोस जूनियर पांच दिवसीय यात्रा पर भारत आए हुए हैं। ये समझौते सहयोग के एक नए चरण को चिह्नित करते हैं क्योंकि दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

दोनों देशों के बीच इन 9 समझौते पर हुए हस्ताक्षर

  1. भारत और फिलीपींस के बीच रणनीतिक साझेदारी की स्थापना पर घोषणा, भारत और फिलीपींस के बीच रणनीतिक साझेदारी के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना (एक्शन प्लान)।
  2. एयर स्टाफ वार्ता पर भारतीय वायु सेना और फिलीपीन वायु सेना के बीच संदर्भ की शर्तें (Terms of Reference), सेना-से-सेना स्टाफ वार्ता पर भारतीय सेना और फिलीपीन सेना के बीच संदर्भ की शर्तें, नौसेना-से-नौसेना स्टाफ वार्ता पर भारतीय नौसेना और फिलीपीन नौसेना के बीच संदर्भ की शर्तें।
  3. भारत सरकार और फिलीपींस सरकार के बीच आपराधिक मामले में पारस्परिक कानूनी सहायता पर संधि. भारत सरकार और फिलीपींस सरकार के बीच (एक साथ) सजायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण पर संधि।
  4. भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और फिलीपींस के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के बीच 2025-2028 की अवधि के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कार्यक्रम।
  5. फिलीपींस सरकार के पर्यटन विभाग और भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के बीच पर्यटन सहयोग पर कार्यान्वयन कार्यक्रम (2025-2028)।
  6. डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत सरकार और फिलीपींस सरकार के बीच समझौता ज्ञापन।
  7. बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर सहयोग पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भारत गणराज्य और फिलीपीन अंतरिक्ष एजेंसी, फिलीपींस के बीच आशय का वक्तव्य (Statement of Intent)।
  8. भारतीय तट रक्षक और फिलीपीन तट रक्षक के बीच उन्नत समुद्री सहयोग के लिए संदर्भ की शर्तें।
  9. भारत सरकार और फिलीपींस सरकार के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम।

ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला पहला देश है फिलीपींस

फिलीपींस भारत निर्मित ब्राह्मोस मिसाइल खरीदने वाला पहला देश है। भारत की तरफ से बताया गया है कि मंगलवार को हुई बैठक में फिलीपींस की तरफ से भारत के कई रक्षा प्लेटफार्मों (हथियारों व उपकरणों) में रूचि दिखाई गई है।

फिलीपींस के साथ अलग से ट्रेड करेगा भारत

राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर ने भारत की रक्षा क्षेत्र में उपलब्धियो की भूरी भूरी तारीफ की है। बाद में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि फिलीपींस भारत के कई रक्षा उपकरणों में रूचि दिखाया है। दोनों देशों के बीच वरीयतापूर्ण कारोबारी समझौता करने पर वार्ता शुरू करने की सहमति भी बनी है। भारत का आसियान के साथ एफटीए है, इसके बावजूद फिलीपींस के साथ वह अलग से ट्रेड डील करने जा रहा है।

भारतीय इकोनॉमी के लिए डेलॉयट इंडिया का अनुमान, FY26 में 6.4-6.7% रह सकती है ग्रोथ रेट

कंसल्टिंग फर्म डेलॉयट इंडिया ने कहा कि मजबूत घरेलू बुनियाद और बढ़ते वैश्विक अवसरों के साथ चालू वित्त वर्ष (2025-26) में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.4 से 6.7 प्रतिशत रह सकती है। हालांकि, इसने यह भी कहा कि भारत को अपने व्यापार जोखिम पर नजर रखनी चाहिए और वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं से उत्पन्न नतीजों के लिए तैयार रहना चाहिए। डेलॉयट इंडिया के अनुसार, रणनीतिक व्यापार बातचीत आय, रोजगार, मार्केट एक्सेस और घरेलू मांग को बढ़ाने वाले शक्तिशाली फैक्टर्स के रूप में काम करेंगी।

विकास के प्रमुख प्रेरक तत्व

डेलॉइट की रिपोर्ट में भारत की आर्थिक गति को आगे बढ़ाने वाले “सकारात्मक त्रिवेणी प्रभाव” (Virtuous Trifecta) की पहचान की गई है:

  • शेयर बाजारों की मजबूती – भारत के स्टॉक मार्केट्स में घरेलू और विदेशी निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी बनी हुई है।

  • बढ़ती क्रय शक्ति और उपभोग – मध्यम वर्ग की बढ़ती आय और खपत खुदरा व सेवा क्षेत्रों को मजबूती दे रही है।

  • कुशल प्रतिभा – तकनीक, निर्माण और सेवा क्षेत्रों में उपलब्ध प्रतिभा भारत को वैश्विक व्यापारों के लिए आकर्षक बनाती है।

रणनीतिक व्यापार वार्ताओं से बढ़त
भारत उच्च प्रभाव वाली व्यापार वार्ताओं में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है:

  • यूके – मई 2025 में हुए रणनीतिक व्यापार समझौते से द्विपक्षीय सहयोग को बल मिलेगा।

  • अमेरिका – प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, एआई सहयोग, और डिजिटल अर्थव्यवस्था साझेदारी को लेकर बातचीत जारी है।

  • यूरोपीय संघ – 2025 के अंत तक एक प्रमुख व्यापार समझौता संभव है, जो बाज़ार पहुंच, रोजगार और निवेश प्रवाह को बढ़ावा देगा।

इन व्यापार समझौतों से आय, रोजगार और भारत की वैश्विक बाजार उपस्थिति में वृद्धि की संभावना है। साथ ही, यह एआई, डिजिटल परिवर्तन और नवाचार आधारित स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर भी लाएंगे।

मुद्रास्फीति में राहत, मांग में मजबूती
मुद्रास्फीति के दबाव में कमी आने से घरेलू मांग आर्थिक वृद्धि का मुख्य इंजन बनी रहेगी:

  • मजबूत घरेलू खर्च

  • शहरी उपभोग में निरंतर वृद्धि

  • ग्रामीण मांग में स्थिरता

सरकार की बुनियादी ढांचे के विकास और निवेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों से निजी क्षेत्र का आत्मविश्वास भी और मजबूत हो रहा है।

जोखिम और चुनौतियाँ
हालांकि परिदृश्य सकारात्मक है, लेकिन डेलॉइट ने कुछ जोखिमों पर सतर्क रहने की सलाह दी है:

  • आंचलिक संघर्ष – वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर सकते हैं।

  • महत्वपूर्ण खनिजों और विशेषीकृत उर्वरकों पर प्रतिबंध – विनिर्माण और कृषि को प्रभावित कर सकते हैं।

  • वैश्विक अस्थिरता के कारण वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संतुलित दृष्टिकोण
डेलॉइट का पूर्वानुमान दर्शाता है कि भारत की वृद्धि घरेलू लचीलापन और वैश्विक अवसरों के संतुलन पर निर्भर करेगी।
हालांकि वैश्विक चुनौतियाँ बनी रहेंगी, लेकिन भारत की मजबूत बुनियादी स्थिति और सक्रिय व्यापार कूटनीति इसे सतत विकास के पथ पर बनाए रख सकती है।

चीन मुक्त होगा Paytm, 3803 करोड़ वाली डील की तैयारी

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और निवेशक भावना के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, जैक मा की एंटफिन, जो एंट ग्रुप की चीनी सहयोगी है, ने पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस से पूरी तरह से बाहर निकलने का फैसला किया है। इस कदम से इस प्रमुख वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी से सभी चीनी स्वामित्व समाप्त हो गए हैं, जो कंपनी के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा और संभावित रूप से इसके निवेशक आधार का विस्तार करेगा। एंटफिन ने अपनी पूरी 5.84% हिस्सेदारी—जो 3.73 करोड़ शेयरों के बराबर है—लगभग ₹3,803 करोड़ के बड़े सौदे में बेच दी।

डील का विवरण
शेयरों की बिक्री ₹1,020 प्रति शेयर के फ़्लोर प्राइस पर की गई, जो कि Paytm के पिछले एनएसई क्लोजिंग प्राइस ₹1,078.20 की तुलना में लगभग 5.4% की छूट दर्शाता है। इस घोषणा के बाद Paytm के शेयरों में थोड़ी गिरावट देखी गई—एनएसई पर 1.45% की गिरावट के साथ ₹1,062.60 और बीएसई पर 1.23% की गिरावट के साथ ₹1,065 पर बंद हुए।

यह एग्ज़िट क्यों महत्वपूर्ण है
चीनी स्वामित्व का पूर्ण निष्कासन भारतीय निवेशकों और संपूर्ण फिनटेक उद्योग के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे उन भू-राजनीतिक और नियामकीय चिंताओं का समाधान होता है जो भारत की संवेदनशील डिजिटल भुगतान क्षेत्र में चीनी निवेश को लेकर लंबे समय से बनी हुई थीं।

विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से उन घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशकों का मार्ग प्रशस्त होगा जो पहले चीनी हिस्सेदारी के कारण निवेश करने में हिचक रहे थे।

एंट ग्रुप का परिचय
एंट ग्रुप, जिसे पहले एंट फाइनेंशियल के नाम से जाना जाता था, अलीबाबा समूह से संबद्ध एक प्रमुख चीनी फिनटेक कंपनी है। इसके नीदरलैंड्स-आधारित एंटफिन (Netherlands) होल्डिंग बीवी के माध्यम से Paytm में निवेश किया गया था। इस नवीनतम निकासी के साथ ही दोनों कंपनियों के बीच वर्षों पुराना संबंध समाप्त हो गया है।

Paytm पर प्रभाव

  • निवेशक विश्वास में वृद्धि – नियामकीय चिंताओं के कम होने से संस्थागत और रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ सकती है।

  • रणनीतिक स्वायत्तता – चीनी स्वामित्व से मुक्त होकर Paytm अब अपनी रणनीतियों में अधिक स्वतंत्रता के साथ निर्णय ले सकता है।

  • भू-राजनीतिक लाभ – वैश्विक टेक और वित्तीय कंपनियों के साथ साझेदारियों में संभावित रुकावटें अब दूर हो गई हैं।

टाटा मोटर्स ने रचा इतिहास: इटली की इवेको को ₹34600 करोड़ में खरीदा

टाटा मोटर्स ने 30 जुलाई 2025 को ऐलान किया कि उसकी कार्यकारी समिति ने इटली की इवेको ग्रुप NV की 100% हिस्सेदारी खरीदने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। यह पूरी तरह नकद सौदा करीब 3.8 अरब यूरो (लगभग ₹34,600 करोड़) का है, जो सभी जरूरी मंजूरियों पर निर्भर करेगा। खास बात यह है कि यह डील इवेको के डिफेंस बिजनेस को शामिल नहीं करती, जिसे वह पहले ही अलग बेचने की तैयारी में है।

टाटा मोटर्स की भारत में मजबूत स्थिति

यह विलय टाटा मोटर्स की भारत में मजबूत स्थिति को इवेको की यूरोप और अमेरिका में स्थापित उपस्थिति के साथ जोड़ेगा। दोनों कंपनियों के संयुक्त रूप से वार्षिक राजस्व €22 अरब (₹2.2 लाख करोड़) होगा और ये सालाना 5.4 लाख से अधिक यूनिट्स की बिक्री करेंगी। इनकी बाज़ार हिस्सेदारी यूरोप में 50%, भारत में 35% और अमेरिका में 15% होगी। इसके साथ ही, एशिया और अफ्रीका जैसे उभरते बाजारों में भी आकर्षक विकास की संभावनाएं हैं। कंपनियों का कहना है कि यह साझेदारी उत्पाद पोर्टफोलियो और भौगोलिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे की पूरक है, और उनके मौजूदा परिचालनों में कोई खास ओवरलैप नहीं है।

इवेको ग्रुप कौन है?

इवेको ग्रुप, जिसकी स्थापना जून 2021 में हुई और मुख्यालय इटली के ट्यूरिन में है, ट्रक, बसें, पावरट्रेन और वित्तीय सेवाएं बनाने वाली वैश्विक कंपनी है। उसका वित्त वर्ष 2024 का कारोबार (रक्षा व्यवसाय सहित) 15.3 अरब यूरो था। गैर-रक्षा व्यवसाय यूरोप, भारत, अमेरिका और 30 से ज्यादा देशों में फैला है।

टाटा को क्या मिलेगा?

यह अधिग्रहण टाटा मोटर्स की वैश्विक वाणिज्यिक वाहन बाजार में नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को बल देगा। इससे उसे नई तकनीकों तक पहुंच, बाजार विस्तार और उत्पाद विविधीकरण में मदद मिलेगी। डील पूरी होने पर नई इकाई सालाना 5.4 लाख यूनिट बेचेगी और उसका राजस्व 22 अरब यूरो आंका गया है, जिसमें यूरोप (50%), भारत (35%) और अमेरिकी देशों (15%) का योगदान होगा।

बड़े शेयरधारक का समर्थन

इवेको के सबसे बड़े शेयरधारक एक्सोर एन.वी. (27.06% हिस्सेदारी) ने सौदे का समर्थन करने का ठोस वादा किया है। इवेको के बोर्ड ने भी टाटा के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार करने की सिफारिश की है। माना जा रहा है कि यह डील अप्रैल 2026 तक पूरी हो जाएगी, जिसके लिए यूरोपीय संघ और अन्य देशों की मर्जर मंजूरियां जरूरी हैं।

क्या है ISRO का HOPE मिशन?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 1 अगस्त, 2025 को लद्दाख में 10-दिवसीय उच्च-ऊंचाई वाले आइसोलेशन प्रयोग का शुभारंभ किया। 14,000 फीट की ऊँचाई पर आयोजित यह मिशन, चंद्रमा या मंगल ग्रह पर लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों में अंतरिक्ष यात्रियों के सामने आने वाली चरम स्थितियों का अनुकरण करता है। यह पहल भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम और भविष्य के अंतरग्रहीय अन्वेषण की तैयारियों का एक हिस्सा है।

होप: भारत की अंतरिक्ष समरूप अनुसंधान सुविधा

लद्दाख के त्सो कर के पास स्थित Himalayan Outpost for Planetary Exploration (HOPE) मिशन को इसरो ने गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन का अभ्यास करने हेतु शुरू किया है। इसे बेंगलुरु स्थित स्पेस टेक्नोलॉजी फर्म Protoplanet ने बनाया है और इसका उद्घाटन इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने मिशन शुरू होने से एक दिन पहले किया।

क्यों चुना गया HOPE?

इस स्थान की चंद्रमा-सदृश चट्टानी सतह, ठंडी मरुस्थलीय जलवायु और कम ऑक्सीजन स्तर, इसे अंतरिक्ष जैसे तनावपूर्ण वातावरण का आदर्श स्थल बनाते हैं। रात के समय तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है, जिससे चुनौती और बढ़ जाती है।

दो सदस्यीय क्रू

135 आवेदकों में से चुने गए:

  • राहुल मोगलापल्ली – पर्ड्यू यूनिवर्सिटी (PhD उम्मीदवार)

  • यमन अकोट – यूनिवर्सिटी ऑफ एबरडीन से ग्रह विज्ञान स्नातक

चयन मापदंड:

  • चिकित्सकीय फिटनेस

  • मानसिक सहनशक्ति

  • सीमित वातावरण में अनुभव

  • 15 दिनों का ऊंचाई पर अनुकूलन प्रशिक्षण भी लिया गया

मिशन के उद्देश्य

मिशन का लक्ष्य उच्च ऊंचाई, पृथकता और कठोर परिस्थितियों में मानव स्वास्थ्य और प्रदर्शन पर प्रभावों का अध्ययन करना है:

  • शारीरिक स्वास्थ्य निगरानी – रक्त, मूत्र, मल के नमूने लेकर तनाव पर जैविक प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण

  • मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन – मूड, नींद, स्मृति और सामाजिक व्यवहार का अवलोकन

  • ऑपरेशनल रेडीनेस – अंतरिक्ष यात्री जैसी दिनचर्या का अभ्यास: कार्य अनुसूचियां, व्यायाम, मिशन कंट्रोल संवाद

यह अभ्यास अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जैसी दिनचर्या को प्रतिबिंबित करता है और गगनयान के साथ-साथ चंद्र और मंगल अभियानों की योजना में मदद करेगा।

दुनिया के अन्य स्पेस एनालॉग मिशन

मिशन देश विशेषता
Mars Desert Research Station अमेरिका रेगिस्तानी वातावरण में अभ्यास
Flashline Mars Arctic Station कनाडा आर्कटिक क्षेत्र का अध्ययन
HI-SEAS हवाई मनोवैज्ञानिक अध्ययन
SIRIUS रूस 340 दिन तक पृथकता प्रयोग
ESA CAVES इटली भूमिगत प्रशिक्षण

HOPE की विशेषता यह है कि यह उच्च ऊंचाई + ठंडी मरुभूमि + चंद्र-जैसा भूभाग — तीनों तत्व एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है।

भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा में HOPE का योगदान

  • गगनयान और भविष्य के चंद्र/मंगल अभियानों के लिए आवश्यक मानव प्रदर्शन आंकड़े प्रदान करेगा।

  • भारत अब उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जो वास्तविक ग्रह-समरूप सतह पर मिशन सिमुलेशन करते हैं।

  • HOPE की स्थापना से ISRO को देश में ही क्रू, उपकरण और संचालन रणनीतियों का परीक्षण करने की क्षमता मिली है — विदेशी सहयोग पर निर्भरता कम होगी।

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के दूसरे चरण में महिला भागीदारी बढ़कर 41% हुई

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) में महिला आवेदकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। पायलट प्रोजेक्ट के पहले चरण में भागीदारी 31% से बढ़कर दूसरे चरण में 41% हो गई। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के अनुसार, यह वृद्धि लक्षित आउटरीच पहलों और योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया में किए गए रणनीतिक बदलावों का परिणाम है।

महिला भागीदारी बढ़ने के प्रमुख कारण
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) ने महिला भागीदारी में इस उछाल के लिए दो प्रमुख कारण बताए:

  1. जन-जागरूकता अभियान
    राज्य सरकारों और मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालयों के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाए गए जिससे महिलाओं को योजना की जानकारी अधिक प्रभावी ढंग से मिली।

  2. योजना की विशेषताओं में सुधार
    आवेदन प्रक्रिया और जानकारी साझा करने के तरीकों को और अधिक पारदर्शी और सुगम बनाया गया, जिससे महिलाओं को अवसरों तक पहुँचने में आसानी हुई।

इंटर्नशिप अवसर और आवेदन संख्या
जनवरी 2025 से शुरू हुए दूसरे चरण में:

  • 327 कंपनियों ने 1.18 लाख से अधिक इंटर्नशिप अवसर (नई और पहले की खाली पड़ी) पोस्ट किए।

  • ये अवसर 735 जिलों में फैले हुए थे।

  • 2.14 लाख उम्मीदवारों से 4.55 लाख आवेदन प्राप्त हुए।

  • यह पहले चरण की तुलना में एक बड़ा विस्तार दर्शाता है।

महत्वपूर्ण बदलाव जो असरदार साबित हुए

  • भू-स्थान टैगिंग (Geo-tagging) के साथ इंटर्नशिप की सटीक लोकेशन दर्शाना जिससे महिलाओं को घर के पास अवसर चुनने में सुविधा हुई।

  • कंपनियों के नाम व प्रोफाइल सार्वजनिक कर पारदर्शिता बढ़ाई गई।

  • सरकारी स्टाइपेंड के अतिरिक्त कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले अतिरिक्त लाभों की जानकारी भी साझा की गई।

  • ये विशेषताएँ उन महिलाओं के लिए खासतौर से सहायक रहीं जो यात्रा या स्थान संबंधी सीमाओं का सामना करती हैं।

सरकार और राज्यों का सहयोग

  • क्षेत्रीय कार्यालयों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए।

  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोडल विभाग/अधिकारी नामित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

  • IEC (सूचना, शिक्षा और संप्रेषण) अभियान के माध्यम से विद्यार्थियों और नौकरी चाहने वालों से सीधे संपर्क स्थापित किया गया।

महिला भर्ती पर प्रभाव

  • पहले चरण में महिला चयन की दर 28% थी, जो लगभग 31% महिला आवेदन दर से मेल खाती थी।

  • दूसरे चरण में महिला आवेदन दर 41% तक पहुँच गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस बार चयन प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी और भी मजबूत हो सकती है।

केंद्र सरकार ने हथियार खरीद के लिए ₹67000 करोड़ की दी मंजूरी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना की परिचालन क्षमताओं को मज़बूत करने के लिए ₹67,000 करोड़ मूल्य के कई उच्च-मूल्य प्रस्तावों को मंज़ूरी दे दी है। इन अधिग्रहणों का उद्देश्य तीनों सेनाओं की निगरानी, गतिशीलता, मारक क्षमता और वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना है।

भारतीय नौसेना के लिए कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सरफेस क्राफ्ट, ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और लॉन्चर की खरीद और बाराक-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अपग्रेडेशन को मंजूरी दी गई है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सरफेस क्राफ्ट की खरीद से नौसेना को पनडुब्बी रोधी अभियानों में खतरों की पहचान करने, वर्गीकरण करने और उन्हें निष्क्रिया करने की क्षमता मिलेगी।

हथियार प्रणाली के अपग्रेडेशन को मंजूरी

भारतीय वायु सेना के लिए माउंटेन रडार की खरीद और ‘सक्षम/स्पाइडर’ हथियार प्रणाली के अपग्रेडेशन को भी मंजूरी दी गई है। मंत्रालय ने कहा कि माउंटेन रडार की तैनाती से पहाड़ी इलाकों में सीमाओं के आसपास हवाई निगरानी की क्षमता बढ़ेगी। वहीं, सक्षम/स्पाइडर सिस्टम को ‘इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम’ से जोड़ने से वायु रक्षा की क्षमता में और इजाफा होगा।

युद्ध क्षमता में बढ़ोतरी

मंत्रालय ने यह भी बताया कि तीनों सेनाओं (थल, वायु और नौसेना) के लिए मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (मेल) रीमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (ड्रोन) की खरीद को भी शुरुआती मंजूरी दी गई है। इन मेल ड्रोनों में कई तरह के हथियार और उपकरण ले जाने की क्षमता होगी और ये लंबे समय तक, लंबी दूरी तक उड़ान भर सकेंगे। मंत्रालय ने कहा कि इससे सेनाओं की चौबीसों घंटे निगरानी और युद्ध क्षमता में काफी बढ़ोतरी होगी।

सी-130जे विमानों के रखरखाव

इसके अलावा, डीएसी ने सी-17 और सी-130जे विमानों के रखरखाव और एस-400 लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के लिए एक व्यापक सालाना रखरखाव अनुबंध को भी शुरुआती मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारतीय सेना के बख्तरबंद वाहनों में इस्तेमाल के लिए ऐसी थर्मल इमेज प्रणाली खरीदी जाएगी जिससे उन्हें रात में चलाना आसान हो जाएगा। यह तकनीक सेना के बख्तरबंद वाहनों को रात में चलाने की क्षमता बढ़ाएगी और मशीनीकृत टुकड़ियों को तेजी से आगे बढ़ने और संचालन में लाभ प्रदान करेगी।

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