प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम से अब तक 34.13 करोड़ रुपये की आय हुई

केंद्र सरकार ने 08 अगस्त 2025 को राज्यसभा को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ ने 2014 में अपनी शुरुआत के बाद से अब तक 34.13 करोड़ रुपये की कमाई की है। सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन ने बताया कि आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) द्वारा निर्मित यह कार्यक्रम बिना किसी अतिरिक्त खर्च के मौजूदा आंतरिक संसाधनों का उपयोग करता है।

उत्पत्ति और पहुंच

  • पहला प्रसारण: 3 अक्टूबर 2014

  • निर्माण: आकाशवाणी द्वारा अपने इन-हाउस संसाधनों से

  • शुरुआत से अब तक की आय: ₹34.13 करोड़

यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री को सीधे नागरिकों से जोड़ने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें प्रेरक कहानियाँ, सामाजिक पहल और राष्ट्रीय विकास से जुड़े विषय साझा किए जाते हैं।

मल्टी-प्लेटफॉर्म प्रसारण
मुरुगन ने बताया कि मन की बात भारत और दुनिया भर के दर्शकों और श्रोताओं तक निम्न माध्यमों से पहुँचता है—

  • आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो): राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कई भाषाओं में सीधा प्रसारण।

  • दूरदर्शन: राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनलों पर प्रसारण।

  • डीडी फ्री डिश: 48 आकाशवाणी रेडियो चैनल और 92 निजी टीवी चैनलों के माध्यम से ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों तक पहुंच।

  • ओटीटी और मोबाइल: प्रसार भारती के WAVES ओटीटी प्लेटफॉर्म और NewsOnAIR ऐप पर उपलब्ध, जिसमें 260 से अधिक आकाशवाणी चैनलों की पहुंच है।

डिजिटल और सोशल मीडिया उपस्थिति
कार्यक्रम का दृश्य प्रारूप दर्शकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे साझा देखने का अनुभव और सार्वजनिक चर्चा को प्रोत्साहन मिलता है।

यह कार्यक्रम लाइव-स्ट्रीम और संग्रहित रूप में उपलब्ध है—

  • यूट्यूब (पीएमओ इंडिया, ऑल इंडिया रेडियो चैनल)

  • फेसबुक, X (पूर्व में ट्विटर), और इंस्टाग्राम

  • प्रसार भारती का PB SHABD न्यूज़ फीड सेवा, व्यापक सिंडिकेशन के लिए

सरकार का दृष्टिकोण और प्रभाव
मंत्री ने कहा कि मन की बात अब केवल एक मासिक प्रसारण नहीं रह गया है, बल्कि यह एक समुदाय-आधारित संवाद मंच बन चुका है। रेडियो, टीवी और डिजिटल चैनलों के संयोजन से यह कार्यक्रम राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सामूहिक चिंतन को प्रोत्साहित करता है और सामाजिक अभियानों में जनभागीदारी को बढ़ावा देता है।

Aadhaar चेहरा प्रमाणीकरण से जुलाई में हुआ 19.36 करोड़ का लेनदेन

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक के लिए एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड की घोषणा की है, जिसके तहत जुलाई 2025 में 19.36 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए। यह पिछले वर्ष इसी महीने के दौरान 5.77 करोड़ लेनदेन से एक महत्वपूर्ण छलांग है, जो सेवाओं का लाभ उठाने और प्रदान करने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में तेजी से अपनाए जाने को दर्शाता है।

रिकॉर्ड का महीना

  • वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि: जुलाई 2024 के 5.77 करोड़ से बढ़कर जुलाई 2025 में 19.36 करोड़।
  • माह-दर-माह वृद्धि: जून 2025 की तुलना में 22% की बढ़ोतरी।
  • एक दिन का रिकॉर्ड: 1 जुलाई 2025 को 1.22 करोड़ से अधिक लेनदेन पूरे हुए, जो 1 मार्च 2025 के 1.07 करोड़ लेनदेन के पिछले रिकॉर्ड से अधिक है।

विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अपनापन

वर्तमान में 150 से अधिक संस्थाएँ—जिनमें सरकारी विभाग, बैंक, टेलीकॉम ऑपरेटर और तेल विपणन कंपनियाँ शामिल हैं—आधार के एआई-संचालित फेस ऑथेंटिकेशन का उपयोग सुरक्षित और संपर्क रहित सेवा वितरण के लिए कर रही हैं। यह तकनीक एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है, जिससे व्यापक पहुंच सुनिश्चित होती है।

सामाजिक कल्याण और सुशासन में उपयोग

इस तकनीक के अपनाने का एक बड़ा कारण इसका राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) में एकीकरण रहा है, जिससे लाभार्थियों को बिना किसी शारीरिक संपर्क के सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल पा रहे हैं।

जुलाई से अब तक 13.66 लाख NSAP लाभार्थियों ने आधार फेस रिकग्निशन का उपयोग करके प्रमाणीकरण किया है।

इसके अलावा,

  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के तहत 850 मेडिकल कॉलेज और संस्थान उपस्थिति दर्ज करने के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं।

  • कर्मचारी चयन आयोग (SSC) और रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) जैसी केंद्रीय भर्ती एजेंसियाँ भर्ती प्रक्रिया के दौरान अभ्यर्थियों के सत्यापन के लिए इसका इस्तेमाल कर रही हैं।

आधार प्रमाणीकरण – सभी माध्यमों में

जब सभी प्रमाणीकरण माध्यमों (बायोमेट्रिक्स, ओटीपी और फेस ऑथेंटिकेशन सहित) को शामिल किया जाता है, तो जुलाई 2025 में आधार ने 221 करोड़ लेनदेन दर्ज किए, जो वर्ष-दर-वर्ष 3.8% की वृद्धि दर्शाते हैं।

आधार e-KYC प्रणाली, जो बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में ग्राहक सत्यापन को सरल बनाती है, ने इसी महीने 39.56 करोड़ लेनदेन संसाधित किए, जिससे कागजी कार्यवाही कम हुई और दक्षता बढ़ी।

महत्त्व और प्रभाव

UIDAI के अनुसार, फेस ऑथेंटिकेशन लेनदेन में आई इस तेज़ वृद्धि से आधार की बढ़ती भूमिका स्पष्ट होती है, जैसे—

  • करोड़ों भारतीयों के लिए एक सुरक्षित डिजिटल पहचान मंच

  • कल्याणकारी योजनाओं का पारदर्शी वितरण, जिससे लाभ केवल वास्तविक पात्रों तक पहुँचे।

  • निजी क्षेत्र में स्वैच्छिक सेवा पहुँच और ग्राहक ऑनबोर्डिंग को सुगम बनाना।

  • जीवन को सरल बनाना, क्योंकि अब भौतिक दस्तावेज़ जाँच की आवश्यकता नहीं रहती।

भारत के टॉप 10 सबसे सुरक्षित शहर 2025: देखें क्या आपका शहर सूची में है

सुरक्षा किसी भी शहर की रहने योग्य होने की क्षमता तय करने वाले सबसे अहम कारकों में से एक है, और 2025 में भारत का शहरी सुरक्षा मानचित्र कुछ दिलचस्प पैटर्न दिखा रहा है। मिड-2025 नुम्बेओ सेफ्टी इंडेक्स के अनुसार, भारत वैश्विक स्तर पर 67वें स्थान पर है, जिसकी सुरक्षा स्कोर 55.8 है। हालांकि राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार की गुंजाइश अभी भी मौजूद है, लेकिन कुछ शहर सुरक्षा और शांति के प्रतीक बनकर उभरे हैं, जो अपने नागरिकों को सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल प्रदान करते हैं।

ताज़ा रिपोर्ट में मैंगलोर को भारत का सबसे सुरक्षित शहर बताया गया है, जिसके बाद वडोदरा, अहमदाबाद और सूरत का नाम आता है—जो सुरक्षा रैंकिंग में गुजरात की मज़बूत मौजूदगी को दर्शाता है। दूसरी ओर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के शहर जैसे दिल्ली, नोएडा और गाज़ियाबाद अब भी गंभीर सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

भारत के टॉप 10 सबसे सुरक्षित शहर 2025

नुम्बेओ सेफ्टी इंडेक्स शहरों का मूल्यांकन अपराध दर, कानून प्रवर्तन की दक्षता और सुरक्षा को लेकर जनता की धारणा जैसे कारकों के आधार पर करता है। अधिक सेफ्टी इंडेक्स का मतलब है कम अपराध और बेहतर सार्वजनिक सुरक्षा।

भारत में रैंक शहर, राज्य सेफ्टी इंडेक्स क्राइम इंडेक्स वैश्विक रैंक
1 मैंगलोर, कर्नाटक 74.2 25.8 49
2 वडोदरा, गुजरात 69.2 30.8 85
3 अहमदाबाद, गुजरात 68.2 31.8 93
4 सूरत, गुजरात 66.6 33.4 106
5 जयपुर, राजस्थान 65.2 34.8 118
6 नवी मुंबई, महाराष्ट्र 63.5 36.8 126
7 तिरुवनंतपुरम, केरल 61.1 38.9 149
8 चेन्नई, तमिलनाडु 60.3 37.9 158
9 पुणे, महाराष्ट्र 58.7 41.3 167
10 चंडीगढ़ 57.4 42.6 175

मुख्य बिंदु

मैंगलोर न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सुरक्षा के मामले में 49वें स्थान पर है। गुजरात ने तीन शहरों—वडोदरा, अहमदाबाद और सूरत—के साथ सूची में दबदबा बनाया है। दक्षिणी शहर जैसे तिरुवनंतपुरम, चेन्नई और मैंगलोर ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जो बेहतर शहरी शासन और सामुदायिक अनुशासन को दर्शाता है।

सिक्के का दूसरा पहलू – सबसे असुरक्षित शहर

जहाँ शीर्ष शहर सुरक्षा में चमक रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) अब भी पिछड़ रहा है। दिल्ली, नोएडा और गाज़ियाबाद भारत के सबसे असुरक्षित शहरों में शामिल हैं, जहाँ ऊँची अपराध दर और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ निवासियों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।

वैश्विक तुलना में भारत

वैश्विक स्तर पर अबू धाबी लगातार नौवें वर्ष दुनिया के सबसे सुरक्षित शहर का ताज अपने पास बनाए हुए है, जिसकी सुरक्षा रेटिंग 88.8 है। दुनिया के सबसे सुरक्षित शहरों की सूची में मध्य पूर्व का दबदबा है, जहाँ दोहा, दुबई और शारजाह भी शीर्ष पाँच में शामिल हैं।

दुनिया के टॉप 5 सबसे सुरक्षित शहर (2025)

  1. अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात – 88.8

  2. दोहा, क़तर – 84.3

  3. दुबई, संयुक्त अरब अमीरात – 83.9

  4. शारजाह, संयुक्त अरब अमीरात – 83.7

  5. ताइपेई, ताइवान – 83.6

सुरक्षा रैंकिंग कैसे तय की गई

नुम्बेओ सेफ्टी इंडेक्स दैनिक जीवन में, दिन और रात दोनों समय, सुरक्षा को लेकर जनता की धारणा पर आधारित है। प्रतिभागी अपने अनुभवों और चिंताओं के आधार पर अपने शहर को रेट करते हैं, जिनमें शामिल हैं—

  • व्यक्तिगत सुरक्षा: लूटपाट, चोरी, कार चोरी, अजनबियों द्वारा शारीरिक हमला, और सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न का जोखिम।

  • भेदभाव: त्वचा के रंग, जातीयता, लिंग या धर्म जैसे कारकों के आधार पर।

  • संपत्ति संबंधी अपराध: तोड़फोड़, सेंधमारी और चोरी जैसे अपराध।

  • हिंसक अपराध: हमले और हत्या जैसे गंभीर अपराध।

इन सभी इनपुट्स को बाद में सेफ्टी इंडेक्स (उच्च स्कोर का मतलब अधिक सुरक्षित) और क्राइम इंडेक्स (उच्च स्कोर का मतलब कम सुरक्षित) में परिवर्तित किया जाता है।

रक्षाबंधन 2025: इतिहास, महत्व और उत्सव

रक्षाबंधन 2025 का पर्व शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह त्योहार हिंदू पंचांग के श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को आता है, जो प्रायः अगस्त माह में पड़ती है। चंद्र पंचांग के आधार पर इसकी तिथि हर वर्ष बदलती रहती है।

रक्षाबंधन क्या है?

रक्षाबंधन, जिसे राखी भी कहा जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भाई-बहन के गहरे रिश्ते का उत्सव मनाता है।

अर्थ: “रक्षा” का मतलब है सुरक्षा और “बंधन” का मतलब है संबंध — मिलाकर इसका अर्थ है सुरक्षा का बंधन

परंपरा: इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर पवित्र धागा (राखी) बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई बहनों को उपहार देते हैं और जीवनभर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।

आधुनिक रूप: आज यह त्योहार केवल सगे भाई-बहन तक सीमित नहीं है, बल्कि चचेरे-फुफेरे भाई-बहन, मित्रों, और यहाँ तक कि समाज के रक्षक — जैसे सैनिक और पुलिस कर्मियों — को सम्मान देने के रूप में भी मनाया जाता है।

रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और पौराणिक प्रसंग

श्रीकृष्ण और द्रौपदी

महाभारत में, एक युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की उंगली घायल हो गई। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस स्नेहिल भाव से प्रभावित होकर कृष्ण ने द्रौपदी की सदैव रक्षा करने का वचन दिया।

रानी कर्णावती और बादशाह हुमायूं

मध्यकाल में, मेवाड़ की रानी कर्णावती ने गुजरात के बहादुर शाह से खतरे के समय मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी। राखी के सम्मान में हुमायूं ने राजनीतिक मतभेद भुलाकर उनकी सहायता के लिए सेना भेजी।

यम और यमुनाजी

प्राचीन कथा के अनुसार, यमुनाजी ने अपने भाई मृत्यु के देवता यम को राखी बांधी। बहन के स्नेह से प्रसन्न होकर यम ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया और घोषणा की कि जो भाई राखी बांधवाएगा, उसे लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा।

रक्षाबंधन के पारंपरिक रीति-रिवाज़

  • बहनें थाली (पूजा थाल) सजाती हैं, जिसमें राखी, दीपक, रोली, चावल और मिठाई रखी जाती है।

  • बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी कलाई पर राखी बांधती है और उसे मिठाई खिलाती है।

  • भाई बहन को उपहार या धन देता है और जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है।

  • परिवार एकत्र होकर भोजन और उत्सव का आनंद लेते हैं।

आधुनिक समय में रक्षाबंधन और सांस्कृतिक प्रभाव

  • यह पर्व अब परिवार की सीमाओं से आगे बढ़कर सार्वभौमिक भाईचारे का प्रतीक बन गया है।

  • मित्र और दूर के रिश्तेदार भी राखी का आदान-प्रदान करते हैं।

  • कई विद्यालय और सामाजिक संगठन राखी बनाने की प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं।

  • एनजीओ और नागरिक सैनिकों, पुलिसकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को राखी बांधकर उनके योगदान का सम्मान करते हैं।

  • बदलते समय में, दूर रहने वाले लोग कूरियर या ऑनलाइन माध्यम से राखी और उपहार भेजते हैं, या वर्चुअली पर्व मनाते हैं।

रक्षाबंधन और भारतीय संविधान

  • बंधुत्व (Fraternity): लोगों में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना।

  • विविधता में एकता (Unity in Diversity): यह पर्व विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और धर्मों में समान रूप से मनाया जाता है।

  • लैंगिक सम्मान और समानता (Gender Respect and Equality): भाई-बहन के बीच पारस्परिक सम्मान और देखभाल का प्रतीक।

टाटा ऑटोकॉम्प द्वारा स्लोवाकिया स्थित IAC ग्रुप का अधिग्रहण: वैश्विक उपस्थिति का विस्तार

अपनी वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित करते हुए, भारत की अग्रणी ऑटो कंपोनेंट निर्माता कंपनी टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स लिमिटेड ने स्लोवाकिया स्थित IAC ग्रुप के अधिग्रहण की योजना की घोषणा की है। यह अधिग्रहण इसकी ब्रिटिश सहायक कंपनी आर्टिफेक्स इंटीरियर सिस्टम्स लिमिटेड के माध्यम से किया जाएगा, जो यूरोप के ऑटोमोबाइल बाजार में टाटा ऑटोकॉम्प की उपस्थिति बढ़ाने की रणनीति का एक महत्वपूर्ण कदम है।

सौदे के बारे में

हालाँकि वित्तीय शर्तों का खुलासा नहीं किया गया है, टाटा ऑटोकॉम्प ने पुष्टि की है कि आर्टिफेक्स इंटीरियर सिस्टम्स ने IAC ग्रुप की 100% हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक सशर्त समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह अधिग्रहण खासकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, ऑटोमोटिव इंटीरियर्स सेगमेंट में अपनी स्थिति मजबूत करने के टाटा ऑटोकॉम्प के इरादे को दर्शाता है। यह सौदा पारंपरिक समापन शर्तों और नियामक मंजूरी पर निर्भर करेगा।

IAC ग्रुप कौन है?

IAC ग्रुप (स्लोवाकिया) बड़े इंटरनेशनल ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स (IAC) ग्लोबल नेटवर्क का हिस्सा है, जो ऑटोमोबाइल इंटीरियर सिस्टम्स के लिए जाना जाता है। यह कंपनी इंस्ट्रूमेंट पैनल, डोर ट्रिम्स और कंसोल जैसे विभिन्न ट्रिम कंपोनेंट बनाती है, जिन्हें वैश्विक ऑटोमोबाइल ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) को आपूर्ति किया जाता है।

स्लोवाकिया में संचालित, जो यूरोपीय ऑटोमोबाइल निर्माण का एक प्रमुख केंद्र है, IAC ग्रुप क्षेत्र के कुछ सबसे बड़े ऑटोमोबाइल ब्रांड्स को सेवाएँ प्रदान करता है।

टाटा ऑटोकॉम्प के लिए इसका क्या मतलब है?

IAC स्लोवाकिया का अधिग्रहण टाटा ऑटोकॉम्प को कई रणनीतिक फायदे देगा—

  • यूरोपीय ओईएम सप्लाई चेन में गहरी पैठ

  • प्रमुख ऑटोमोबाइल क्षेत्र में उन्नत विनिर्माण क्षमताएँ

  • इंटीरियर उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार, जो इसकी मौजूदा वैश्विक साझेदारियों को पूरक करेगा

  • मध्य और पूर्वी यूरोप में काम करने वाले वाहन निर्माताओं की बेहतर सेवा करने की क्षमता

यह अधिग्रहण टाटा ऑटोकॉम्प के वैश्विक ऑटो कंपोनेंट्स लीडर बनने के विज़न के अनुरूप है और मैग्ना, जीएस यूसा तथा TRAD जैसे वैश्विक खिलाड़ियों के साथ इसके पिछले संयुक्त उपक्रमों के बाद का एक और महत्वपूर्ण कदम है।

वैश्विक ऑटो बाजार में रणनीतिक समय

वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग बड़े परिवर्तन से गुजर रहा है—जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), हल्के मटेरियल्स और स्मार्ट इंटीरियर्स पर बढ़ता जोर शामिल है। यूरोपीय वाहन निर्माता इस बदलाव में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, और इस क्षेत्र में टाटा ऑटोकॉम्प की बढ़ी हुई मौजूदगी इसे इस परिवर्तन की लहर का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगी।

इसके अलावा, यह सौदा टाटा ऑटोकॉम्प को वैश्विक अनुसंधान एवं विकास (R&D) और डिज़ाइन नेटवर्क के करीब लाएगा, जो नवाचार-आधारित विकास के लिए अहम होगा।

LIC Q1 Results: सरकारी कंपनी को ₹10987 करोड़ का मुनाफा

देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही की शुरुआत स्थिर प्रदर्शन के साथ की। कंपनी ने अपने Q1 परिणामों में शुद्ध लाभ में साल-दर-साल 5% की वृद्धि दर्ज की, जो ₹10,461 करोड़ से बढ़कर ₹10,987 करोड़ हो गया। यह वृद्धि नई पॉलिसियों की बिक्री में सुस्ती के बावजूद हुई, जिसका श्रेय एलआईसी के मजबूत नवीनीकरण आधार और बेहतर वित्तीय अनुशासन को जाता है।

प्रीमियम आय और पॉलिसी मिश्रण

एलआईसी की शुद्ध प्रीमियम आय में भी 5% की वृद्धि हुई, जो Q1 FY25 में ₹1.14 लाख करोड़ से बढ़कर चालू तिमाही में ₹1.19 लाख करोड़ हो गई।
हालांकि नई पॉलिसियों की बिक्री अक्टूबर 2024 में लागू नियामकीय बदलावों के कारण धीमी रही—जिनके तहत शुरुआती पॉलिसी समाप्ति पर सरेंडर शुल्क कम कर दिए गए—मजबूत नवीनीकरण प्रीमियम ने आय की स्थिरता बनाए रखी।

इसके अलावा, एलआईसी के इंडिविजुअल बिज़नेस नॉन-पार APE (एनुअलाइज़्ड प्रीमियम इक्विवेलेंट) में 32.6% की बढ़त हुई, जो ₹2,142 करोड़ तक पहुंच गया। यह नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसियों की बढ़ती मांग को दर्शाता है, जिनमें मुनाफा पॉलिसीधारकों से साझा नहीं किया जाता, लेकिन गारंटीड लाभ दिए जाते हैं।

बेहतर वित्तीय स्थिति और परिसंपत्ति गुणवत्ता

एलआईसी की वित्तीय स्थिरता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है—

  • सॉल्वेंसी रेशियो 1.99% (पिछले वर्ष) और 2.11% (पिछली तिमाही) से बढ़कर 2.17% हो गया। यह कंपनी की दीर्घकालिक दायित्वों को पूरा करने की क्षमता में वृद्धि दर्शाता है।

  • सकल एनपीए (Gross NPAs) साल-दर-साल 21% घटकर ₹8,436.5 करोड़ रह गया।

  • शुद्ध एनपीए (Net NPAs) 36% की भारी गिरावट के साथ मात्र ₹4 करोड़ रह गया।

  • सकल एनपीए अनुपात (Gross NPA Ratio) 1.95% से घटकर 1.42% हो गया।

ये सुधार बेहतर जोखिम प्रबंधन और निवेश पोर्टफोलियो में मजबूत अंडरराइटिंग मानकों की ओर इशारा करते हैं।

मजबूत AUM और बाजार स्थिति

एलआईसी की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (AUM) 6.47% साल-दर-साल बढ़कर ₹57.05 लाख करोड़ हो गईं, जिससे यह देश के सबसे बड़े संस्थागत निवेशकों में से एक बना रहा।

कंपनी ने यह भी रिपोर्ट किया—

  • इंडिविजुअल बिज़नेस में 38.76% का बाजार हिस्सा

  • ग्रुप बिज़नेस में 76.54% का बाजार हिस्सा (30 जून 2025 को समाप्त तिमाही में)

यह दबदबा एलआईसी की खुदरा और कॉरपोरेट दोनों बीमा क्षेत्रों में गहरी पैठ को दर्शाता है।

रक्षाबंधन: 10 अनजाने तथ्य जो शायद आप नहीं जानते

रक्षाबंधन को व्यापक रूप से भाई-बहन के गहरे रिश्ते का उत्सव माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी (पवित्र धागा) बांधती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं तथा सुरक्षा का वचन निभाने का संकल्प लेते हैं।

लेकिन इस परिचित परंपरा के पीछे कई छुपी हुई कहानियां, क्षेत्रीय रीति-रिवाज, ऐतिहासिक क्षण और सामाजिक महत्व छिपा है। यहां रक्षाबंधन से जुड़े ऐसे दस रोचक तथ्य दिए गए हैं, जिनके बारे में अधिकतर लोग अनजान हैं।

1. नेपाल में भी मनाया जाता है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन को भले ही भारत से गहराई से जोड़ा जाता है, लेकिन यह नेपाल में भी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। वहां इसे “जनै पूर्णिमा” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ब्राह्मण और क्षेत्री समुदाय के पुरुष एक पवित्र धागा बदलने की रस्म निभाते हैं, जिसे जनै कहा जाता है, वहीं महिलाएं भारत की तरह ही अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। यह पर्व दोनों संस्कृतियों में पवित्रता, सुरक्षा और पारिवारिक संबंधों का प्रतीक है।

2. कभी राजनीतिक गठबंधन का प्रतीक रही राखी

रक्षाबंधन से जुड़ी एक ऐतिहासिक घटना 1535 में हुई, जब मेवाड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी। उनका राज्य संकट में था और यह राखी मदद और सुरक्षा का निवेदन थी। धार्मिक और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, हुमायूँ ने इस राखी को पवित्र बंधन माना और सहायता के लिए आगे बढ़े। यह दर्शाता है कि कभी रक्षाबंधन का उपयोग कूटनीतिक संबंध और विश्वास बनाने के लिए भी किया जाता था।

3. रक्षाबंधन जितना पुराना आप सोचते हैं, उससे भी पुराना है

रक्षाबंधन का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथ भविष्य पुराण में मिलता है, जिससे पता चलता है कि यह त्योहार 6,000 साल से भी अधिक पुराना है। प्रारंभ में यह सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं था, बल्कि युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के समय व्यापक सुरक्षा के अनुष्ठान के रूप में मनाया जाता था। राखी एक ताबीज की तरह होती थी, जिसका उपयोग आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों संदर्भों में किया जाता था।

4. पेड़ों और जानवरों को भी बांधी गई हैं राखियां

आधुनिक समय में पर्यावरण प्रेमी और पशु प्रेमी सुरक्षा की अवधारणा को और विस्तृत करते हुए पेड़ों, गायों और यहां तक कि पालतू जानवरों को भी राखी बांधते हैं। यह प्रकृति और अन्य जीवों की रक्षा का वचन दर्शाता है और इस बात को मजबूत करता है कि रक्षाबंधन केवल मानव संबंधों तक सीमित नहीं है। यह दिखाता है कि परंपराएं समय के साथ पर्यावरणीय और नैतिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कैसे रूपांतरित हो सकती हैं।

5. रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने रक्षाबंधन को हिन्दू–मुस्लिम एकता का माध्यम बनाया

1905 में बंगाल के विभाजन के समय, रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने रक्षाबंधन को हिन्दू–मुस्लिम एकता बढ़ाने के साधन के रूप में अपनाया। उन्होंने दोनों समुदायों के लोगों को एक-दूसरे को राखी बांधने के लिए प्रेरित किया, ताकि भाईचारे और सौहार्द का संदेश फैल सके। इस प्रकार, यह पर्व औपनिवेशिक काल में राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव का एक सशक्त प्रतीक बन गया।

6. प्रवासी भारतीय भी विश्वभर में मनाते हैं रक्षाबंधन

संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में बसे भारतीय परिवार भी रक्षाबंधन धूमधाम से मनाते हैं। यह उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखता है। कई अंतरराष्ट्रीय विद्यालयों में रक्षाबंधन को “राखी फ़ॉर फ़्रेंडशिप” के रूप में मनाया जाता है, जिससे विभिन्न संस्कृतियों के लोग भारतीय परंपराओं को समझ पाते हैं।

7. बहनें सैनिकों और पुलिसकर्मियों को भी बांधती हैं राखी

भारत के कई हिस्सों में, खासकर स्वतंत्रता दिवस के आसपास, महिलाएं और लड़कियां सेना के जवानों और पुलिस अधिकारियों को राखी बांधती हैं। यह उनके प्रति आभार और राष्ट्रीय गर्व व्यक्त करने का एक तरीका है। इस परंपरा का भाव यह है—“आप देश की रक्षा करते हैं; हम आपका धन्यवाद और सम्मान करते हैं।” इस रूप में रक्षाबंधन सुरक्षा की अवधारणा को पूरे राष्ट्र के रक्षकों तक विस्तारित करता है।

8. रक्षाबंधन संविधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है

रक्षाबंधन के आदर्श भारतीय संविधान में निहित कई मूल्यों से मेल खाते हैं—

  • बंधुत्व (Fraternity) – यह पर्व नागरिकों में एकता और भाईचारा बढ़ाता है।

  • समानता (Equality) – यह भाई–बहन के बीच आपसी सम्मान को दर्शाता है, चाहे लिंग कोई भी हो।

  • धर्मनिरपेक्षता (Secularism) – रक्षाबंधन धर्म, क्षेत्र और समुदाय से परे मनाया जाता है।

इस प्रकार, यह पर्व केवल सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों का भी प्रतिबिंब है।

9. राखी हमेशा महिलाएं ही नहीं बांधतीं

यद्यपि परंपरागत रूप से बहनें ही भाइयों को राखी बांधती हैं, कुछ समुदायों में पुरुष भी अपनी छोटी बहनों को राखी बांधते हैं, जो स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक है। यह प्रथा इस धारणा को चुनौती देती है कि केवल महिलाएं ही सुरक्षा चाहती हैं, और यह दर्शाती है कि ज़िम्मेदारी, स्नेह और सहयोग दोनों ओर से हो सकता है।

10. रक्षाबंधन के क्षेत्रीय रूप

भारत के सभी हिस्सों में रक्षाबंधन एक जैसे तरीके से नहीं मनाया जाता।

  • महाराष्ट्र – यह नारली पूर्णिमा के साथ आता है, जब मछुआरे समुद्र में नारियल चढ़ाकर मछली पकड़ने का नया मौसम शुरू करते हैं।

  • जम्मूसलूनो नामक त्योहार में बहनें भाइयों के बालों में चावल छिड़कती हैं और राखी के बजाय सुरक्षात्मक ताबीज बांधती हैं।

  • दक्षिण भारतआवणी अवित्तम् पर पुरुष धार्मिक अनुष्ठान में अपना जनेऊ बदलते हैं।

ये विविधताएं भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं और यह दिखाती हैं कि एक ही त्योहार देशभर में अलग-अलग अर्थ और रूप ले सकता है।

IFC और HDFC कैपिटल ने भारत में हरित सस्ते आवास के लिए 1 अरब डॉलर का कोष शुरू किया

भारत में आवास की कमी को दूर करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफ़सी) ने एचडीएफसी कैपिटल एडवाइजर्स के साथ साझेदारी कर 1 अरब डॉलर के हरित सस्ते आवास कोष की शुरुआत की है। एचडीएफसी कैपिटल डेवलपमेंट ऑफ रियल एस्टेट अफोर्डेबल एंड मिड-इनकम फ़ंड (एच-ड्रीम फ़ंड) नामक यह पहल देशभर में शहरी आवास विकास के क्षेत्र में एक बदलावकारी कदम साबित होने वाली है।

एच-ड्रीम फ़ंड: संरचना और दायरा

एच-ड्रीम फ़ंड को विश्व बैंक समूह के सदस्य अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफ़सी) के एक महत्वपूर्ण निवेश सहयोग से समर्थन मिला है, जिसमें आईएफ़सी 150 मिलियन डॉलर (लगभग ₹1,320 करोड़) का एंकर निवेश करेगा। इस प्रारंभिक निवेश से वैश्विक और घरेलू संस्थागत निवेशकों से अतिरिक्त 850 मिलियन डॉलर जुटाने की उम्मीद है।

इस फ़ंड का प्रबंधन एचडीएफसी ग्रुप की प्राइवेट इक्विटी शाखा, एचडीएफसी कैपिटल एडवाइजर्स द्वारा किया जाएगा, जिसका मुख्य फोकस होगा—

  • सस्ते और मिड-इनकम आवास परियोजनाएँ

  • हरित निर्माण पद्धतियाँ

  • सतत दृष्टिकोण के साथ शहरी विकास लक्ष्यों को समर्थन

इस फ़ंड की खासियत

इस पहल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह भारत की आवासीय कमी और पर्यावरणीय लक्ष्यों—दोनों को एक साथ संबोधित करती है।

  • ग्रीन हाउसिंग मानक: इस फ़ंड से वित्त पोषित सभी परियोजनाओं को हरित भवन मानकों का पालन करना होगा, जिससे कार्बन उत्सर्जन घटेगा, ऊर्जा दक्षता बढ़ेगी और जल संसाधनों का संरक्षण होगा।

  • सस्ती पहुँच: फ़ंड ऐसे डेवलपर्स को संसाधन उपलब्ध कराएगा जो सस्ते आवास पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो भारत की शहरी जनसंख्या वृद्धि और रियल एस्टेट की बढ़ती कीमतों को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है।

यह पहल संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को भी सहयोग देती है, विशेषकर सतत शहर, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई से जुड़े लक्ष्यों को।

भारत के लिए इसकी आवश्यकता क्यों

वर्तमान में भारत, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, लगभग 3 करोड़ आवास इकाइयों की कमी का सामना कर रहा है। साथ ही, यह दुनिया के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील देशों में से एक है, जहाँ रियल एस्टेट क्षेत्र कार्बन उत्सर्जन में बड़ा योगदान देता है।

जलवायु-लचीले निर्माण और सतत शहरीकरण को समर्थन देकर, एच-ड्रीम फ़ंड ऐसा आवास पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद कर सकता है जो आर्थिक रूप से समावेशी और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार हो।

आईएफ़सी-एचडीएफसी साझेदारी का रणनीतिक महत्व

यह साझेदारी वित्तीय, विकासात्मक और पर्यावरणीय उद्देश्यों के सामरिक एकीकरण का उदाहरण है—

  • आईएफ़सी अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता, अनुभव और विकास-केंद्रित दृष्टिकोण लेकर आता है।

  • एचडीएफसी कैपिटल, जो भारत के आवास वित्त क्षेत्र में गहरी पकड़ रखता है, स्थानीय विशेषज्ञता और उद्योग से जुड़ाव प्रदान करता है।
    साथ मिलकर, ये भारत के आवास क्षेत्र में अधिक संस्थागत पूंजी—विशेषकर ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक, शासन) केंद्रित पूंजी—आकर्षित करने का लक्ष्य रखते हैं।

पीएम मोदी ने खाद्य एवं शांति के लिए वैश्विक एम.एस. स्वामीनाथन पुरस्कार शुरू किया

भारत की हरित क्रांति के जनक प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की विरासत को ऐतिहासिक सम्मान देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उनके नाम पर एक वैश्विक पुरस्कार की शुरुआत की — एम.एस. स्वामीनाथन पुरस्कार (खाद्य और शांति के लिए)। इस पुरस्कार का उद्देश्य विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा और सतत कृषि के क्षेत्र में किए गए क्रांतिकारी योगदान को सम्मानित करना है।

यह घोषणा दिल्ली में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान की गई, जहां पीएम मोदी ने स्वामीनाथन के जीवन और योगदान को स्मरण करते हुए एक शताब्दी स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।

वैश्विक खाद्य सुरक्षा के पुरोधाओं को सम्मान

नवस्थापित पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता नाइजीरियाई वैज्ञानिक डॉ. अरेनारे हैं, जिन्हें नाइजीरिया में भूख कम करने के उनके रूपांतरणकारी कार्य के लिए सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार स्वामीनाथन के आजीवन मिशन — विज्ञान और नवाचार के माध्यम से भूख से लड़ने — का प्रतीक है, जो केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वैश्विक स्तर पर फैला।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को कृषि क्षेत्र में उनके दूरदर्शी कार्य के लिए पूरी दुनिया में सराहा जाता है। उन्होंने जैव विविधता से आगे बढ़कर ‘बायो-हैप्पीनेस’ का क्रांतिकारी विचार दिया, जो पारिस्थितिक संतुलन में निहित मानव कल्याण पर केंद्रित है।”

विज्ञान और शांति में अमिट विरासत

स्वामीनाथन का 23 सितंबर 2023 को 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। उन्हें मरणोपरांत 2024 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनके योगदानों ने 1960 और 1970 के दशक की हरित क्रांति के दौरान भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की नींव रखी।

जलवायु-सहिष्णु कृषि का आह्वान

प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे कृषि पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से निपटने के लिए जलवायु-सहिष्णु बीज, जल-कुशल तकनीक और सतत कृषि पद्धतियों का विकास करें, जिससे भविष्य के लिए खाद्य प्रणाली को सुरक्षित बनाया जा सके।

यह पुरस्कार भविष्य में एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान बनने की उम्मीद है, जो उन लोगों को मान्यता देगा जो “खाद्य और शांति” — यह वह शब्द है जिसे स्वयं स्वामीनाथन ने वैश्विक भूख उन्मूलन में कृषि की भूमिका को परिभाषित करने के लिए गढ़ा था — के उद्देश्य को आगे बढ़ाते हैं।

अटल इनोवेशन मिशन ने भारत भर में स्थानीय भाषा में नवाचार को बढ़ावा देने हेतु भाषिनी के साथ साझेदारी की

भारत के नवाचार परिदृश्य में भाषाई बाधाओं को दूर करने के एक ऐतिहासिक कदम के रूप में, नीति आयोग के अंतर्गत अटल नवाचार मिशन (एआईएम) और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के डिजिटल इंडिया भाषा प्रभाग, भाषानी ने आज दिल्ली में एक आशय पत्र (एसओआई) पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी का उद्देश्य भारत के विविध उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र में भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देना और स्थानीय भाषा में नवाचार को बढ़ावा देना है।

भाषा के माध्यम से नवाचार को सशक्त बनाना

यह सहयोग एआईएम (AIM) के व्यापक नवाचार ढांचे और भाषिणी की अत्याधुनिक भाषा तकनीकों को एक साथ लाता है। दोनों पक्षों के नेताओं — दीपक बागला, मिशन निदेशक, एआईएम, और अमिताभ नाग, सीईओ, भाषिणी — ने एक रणनीतिक बैठक के दौरान इस आशय पत्र (SoI) को औपचारिक रूप दिया। यह पहल एआईएम के जमीनी स्तर के कार्यक्रमों में बहुभाषी क्षमताओं को एकीकृत करने पर केंद्रित है, ताकि नवाचार को देशभर में गैर-अंग्रेज़ी भाषी लोगों के लिए सुलभ बनाया जा सके।

“यह सहयोग हमारे व्यापक लक्ष्य — समावेशी नवाचार को बढ़ावा देने — का समर्थन करता है,” बागला ने कहा। “भाषा को अवसरों तक पहुंच में बाधा नहीं बनना चाहिए। भाषिणी के टूल्स के माध्यम से, हम हर भारतीय को नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने में सक्षम बना रहे हैं।”

अनुवाद, तकनीक और प्रशिक्षण

तत्काल कदम के रूप में, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) अकादमी के शिक्षण संसाधनों का अनुवाद भाषिणी के प्लेटफॉर्म का उपयोग करके कई भारतीय भाषाओं में किया जाएगा। यह पहल एआईएम, डब्ल्यूआईपीओ और नीति आयोग के बीच चल रही साझेदारी का हिस्सा है।

इसके अलावा, भविष्य में बहुभाषी सामग्री को गेम आधारित बनाना और स्टार्टअप्स को सैंडबॉक्स वातावरण प्रदान करना शामिल होगा, ताकि वे भाषा-समावेशी उत्पादों का परीक्षण और विकास कर सकें।

जमीनी स्तर पर समावेशी नवाचार

योजना में भाषिणी के तकनीकी टूल्स को एआईएम की मौजूदा संरचनाओं — जैसे अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स (AICs) और अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर्स (ACICs) — तक विस्तारित करना और नए भाषा समावेशी कार्यक्रम नवाचार केंद्र (Language Inclusive Program for Innovation – LIPI) स्थापित करना शामिल है। ये केंद्र ग्रामीण और अर्ध-शहरी पृष्ठभूमि के नवाचारकर्ताओं के लिए कौशल और क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

“भाषा को कभी भी नवाचार में बाधा नहीं बनना चाहिए,” अमिताभ नाग ने कहा। “इस सहयोग के माध्यम से, हम हर नवाचारकर्ता को — चाहे उसकी भाषाई पृष्ठभूमि कुछ भी हो — भारत के डिजिटल और उद्यमशील भविष्य में सार्थक योगदान देने में सक्षम बनाना चाहते हैं।”

डिजिटल समानता की ओर एक कदम

यह साझेदारी नवाचार तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, खासकर भाषाई अल्पसंख्यकों और क्षेत्रीय नवाचारकर्ताओं के लिए। नवाचार कार्यक्रमों में भाषा तकनीकों को शामिल करके, एआईएम और भाषिणी एक अधिक समावेशी, सुलभ और डिजिटल रूप से सशक्त भारत की नींव रख रहे हैं।

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