भारत के साथ स्वतंत्रता दिवस साझा करने वाले देशों की सूची

भारत हर साल 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है, जो 1947 में ब्रिटिश शासन से आज़ादी का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के कई अन्य देश भी इसी तारीख को अपना स्वतंत्रता दिवस या राष्ट्रीय दिवस मनाते हैं? इन देशों ने अलग-अलग शासकों से स्वतंत्रता प्राप्त की या इस दिन को खास कारणों से मनाते हैं। आइए, जानें किन देशों के लिए 15 अगस्त का दिन उतना ही खास है जितना भारत के लिए।

भारत का स्वतंत्रता दिवस

भारत ने 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से आज़ादी पाई। हर साल यह दिन देशभर में ध्वजारोहण, परेड और भाषणों के साथ मनाया जाता है। यह दिन भारतीयों को उनके लंबे और कठिन स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता है।

लेकिन भारत अकेला नहीं है—कई अन्य देश भी इसी तारीख को अपना स्वतंत्रता दिवस या राष्ट्रीय दिवस मनाते हैं।

भारत के साथ 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले देश

दुनिया में कई देश 15 अगस्त को किसी न किसी ऐतिहासिक कारण से राष्ट्रीय पर्व मनाते हैं। कुछ अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाते हैं, तो कुछ इस दिन को किसी खास राष्ट्रीय घटना के रूप में मनाते हैं। यहां उन देशों की सूची है, जो भारत के साथ इस दिन का उत्सव मनाते हैं—साथ ही यह भी कि वे किस कारण और किस वर्ष इसे मनाते हैं:

देश अवसर किससे स्वतंत्रता / स्रोत वर्ष
भारत स्वतंत्रता दिवस यूनाइटेड किंगडम 1947
दक्षिण कोरिया मुक्ति दिवस जापान 1945
उत्तर कोरिया मुक्ति दिवस जापान 1945
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य स्वतंत्रता दिवस फ्रांस 1960
बहरीन स्वतंत्रता दिवस यूनाइटेड किंगडम 1971
लिकटेंस्टीन राष्ट्रीय दिवस

दक्षिण कोरिया

दिवस का नाम: ग्वांगबोकजोल (प्रकाश की बहाली का दिन)
वर्ष: 1945
किससे स्वतंत्रता: जापान
दक्षिण कोरिया 35 वर्षों तक जापानी शासन के अधीन रहा। 15 अगस्त 1945 को, द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण के बाद उन्हें स्वतंत्रता मिली। दक्षिण कोरियाई लोग इस दिन को ध्वजारोहण समारोह, देशभक्ति गीतों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाते हैं।

उत्तर कोरिया

दिवस का नाम: चोगुकहेबांगुई नाल (मुक्ति दिवस)
वर्ष: 1945
किससे स्वतंत्रता: जापान
दक्षिण कोरिया की तरह ही, उत्तर कोरिया भी इस तिथि को जापान से अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाता है। दोनों देश इस ऐतिहासिक क्षण को साझा करते हैं, लेकिन इसे अपने-अपने तरीके से मनाते हैं।

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य

दिवस का नाम: स्वतंत्रता दिवस
वर्ष: 1960
किससे स्वतंत्रता: फ्रांस
कांगो-ब्राज़ाविल के नाम से भी जाना जाने वाला यह अफ्रीकी देश 15 अगस्त 1960 को फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्र हुआ। लोग इस दिन को परेड, सार्वजनिक सभाओं और ध्वजारोहण के साथ मनाते हैं।

बहरीन

दिवस का नाम: स्वतंत्रता दिवस (औपचारिक)
वर्ष: 1971
किससे स्वतंत्रता: यूनाइटेड किंगडम
बहरीन ने 15 अगस्त को आधिकारिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त की, लेकिन देश अपना राष्ट्रीय दिवस 16 दिसंबर को मनाता है, जो राजा के गद्दी पर बैठने का दिन है। फिर भी, 15 अगस्त को वास्तविक स्वतंत्रता तिथि के रूप में कानूनी महत्व प्राप्त है।

लिकटेंस्टीन

दिवस का नाम: राष्ट्रीय दिवस
प्रेक्षण का वर्ष (शुरुआत): 1940
यूरोप का यह छोटा देश 15 अगस्त को राष्ट्रीय दिवस मनाता है, जो दो अवसरों का संगम है —

  • एसंप्शन पर्व (एक धार्मिक उत्सव)

  • पूर्व प्रिंस फ्रांज जोसेफ द्वितीय का जन्मदिन
    यह स्वतंत्रता का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का उत्सव है। नागरिक भाषण, संगीत और आतिशबाज़ी के साथ इस दिन का आनंद लेते हैं।

Independence Day 2025: क्या इस बार भारत मनाएगा 78वां या 79वां स्वतंत्रता दिवस?

भारत हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है ताकि 1947 के उस ऐतिहासिक दिन को याद किया जा सके, जब हमारा देश ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ था। यह दिन सभी भारतीयों के लिए गर्व, एकता और सम्मान का प्रतीक है। वर्ष 2025 में, कई लोग यह सोच रहे हैं कि यह 78वां स्वतंत्रता दिवस होगा या 79वां। आइए इसे सरल तरीके से समझते हैं।

स्वतंत्रता दिवस 2025
शुक्रवार, 15 अगस्त 2025 को, भारत गर्व के साथ अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, उस दिन को याद करते हुए जब 1947 में देश ने ब्रिटिश शासन से आज़ादी पाई थी। यह दिन भारत की उस यात्रा का प्रतीक है, जिसमें एक उपनिवेशित देश से लेकर विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनने तक का सफर शामिल है। यह समय स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने, एकता का जश्न मनाने और देश के भविष्य की ओर देखने का है।

2025 में 78वां या 79वां स्वतंत्रता दिवस?
15 अगस्त 2025 को भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। भ्रम इसलिए होता है क्योंकि कई लोग 2025 में से 1947 घटाकर 78 निकालते हैं और इसे 78वां मान लेते हैं। लेकिन 1947 का पहला स्वतंत्रता दिवस 1वां माना जाता है, इसलिए 2025 भारत की आज़ादी का 79वां उत्सव है।

क्या यह सच में 79वां स्वतंत्रता दिवस है?
हाँ! 2025 में यह आधिकारिक तौर पर 79वां स्वतंत्रता दिवस होगा। भ्रम का कारण गिनती का तरीका है।

कई लोग 1947 से 2025 घटाते हैं और सोचते हैं कि यह 78वां है, लेकिन 1947 का पहला स्वतंत्रता दिवस 1वां गिना जाता है।

तो:

  • 1947 – 1वां स्वतंत्रता दिवस

  • 2024 – 78वां स्वतंत्रता दिवस

  • 2025 – 79वां स्वतंत्रता दिवस

गिनती क्यों मायने रखती है?
गिनती साल पूरे होने की नहीं है – बल्कि इस दिन के मनाए जाने की संख्या की है। इसलिए 15 अगस्त 2025 भारत की आज़ादी का 79वां उत्सव होगा।

स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है?
भारत में लंबे समय से चली आ रही परंपराओं के अनुसार उत्सव मनाए जाते हैं:

  • प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर ध्वजारोहण।

  • राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री देश की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं का उल्लेख करते हैं।

  • स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, देशभक्ति गीत और परेड।

  • राज्यों, ज़िलों और विदेशों में भारतीय दूतावासों में ध्वजारोहण समारोह।

  • बड़े शहरों में, खासकर दिल्ली के लाल किले के आसपास, कड़ी सुरक्षा।

स्वतंत्रता दिवस क्यों खास है?
स्वतंत्रता दिवस केवल इतिहास को याद करने का दिन नहीं है – यह है:

  • स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों का सम्मान।

  • विविध समुदायों में एकता का जश्न।

  • युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करना।

  • आज़ादी के बाद से हुई प्रगति पर विचार करना।

केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में 8,146 करोड़ रुपये की टाटो-II जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के शि योमी ज़िले में 700 मेगावाट की तातो-II जलविद्युत परियोजना (HEP) के निर्माण हेतु 8,146.21 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। इस परियोजना के 72 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। यह परियोजना क्षेत्र की बिजली आपूर्ति को मज़बूत करेगी, राष्ट्रीय ग्रिड को सुदृढ़ बनाएगी और देश के सबसे दूरस्थ ज़िलों में से एक में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।

परियोजना का अवलोकन

टाटो-द्वितीय जलविद्युत परियोजना की स्थापित क्षमता 700 मेगावॉट होगी, जिसे 175 मेगावॉट की 4 इकाइयों में विभाजित किया जाएगा, और इससे हर साल 2,738.06 मिलियन यूनिट (MU) स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन होगा। परियोजना का क्रियान्वयन नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NEEPCO) और अरुणाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उद्यम के रूप में किया जाएगा।

भारत सरकार ₹458.79 करोड़ की बजटीय सहायता से सड़कों, पुलों और ट्रांसमिशन लाइनों जैसी आधारभूत संरचनाओं का विकास करेगी। इसके अतिरिक्त, राज्य की इक्विटी हिस्सेदारी के लिए ₹436.13 करोड़ की केंद्रीय वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।

आर्थिक और सामाजिक लाभ

राजस्व और स्थानीय लाभ

अरुणाचल प्रदेश को 12% मुफ्त बिजली और स्थानीय क्षेत्र विकास कोष (LADF) के लिए 1% अतिरिक्त बिजली प्राप्त होगी, जिससे सीधे सामुदायिक कल्याण और स्थानीय विकास परियोजनाओं को वित्तपोषण मिलेगा।

रोज़गार और MSME को बढ़ावा

यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है और स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं, MSME और उद्यमों के लिए बड़े अवसर प्रदान करेगी। निर्माण और संचालन चरण के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।

आधारभूत संरचना का विकास

सड़कें और संपर्क

कुल 32.88 किलोमीटर लंबी सड़कें और पुल बनाए जाएंगे, जिनका अधिकांश हिस्सा स्थानीय जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा।

सामाजिक अवसंरचना

₹20 करोड़ के विशेष कोष से अस्पताल, स्कूल, बाज़ार और खेल मैदान जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी, जिससे परियोजना क्षेत्र में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

रणनीतिक महत्व

टाटो-द्वितीय जलविद्युत परियोजना ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है। यह राष्ट्रीय ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा के संतुलन के लिए महत्वपूर्ण होगी। परियोजना स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहित करेगी, पूर्वोत्तर क्षेत्र की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ बनाएगी और दूरस्थ ज़िलों को राष्ट्रीय आर्थिक ढांचे से जोड़ने में मदद करेगी।

भारत ने जांबिया के साथ सहकारी निर्यात बढ़ाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत ने जांबिया के साथ एक सहयोग ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के सहकारी समितियों (Cooperatives) के बीच व्यापारिक गठबंधनों को मज़बूत करना है। इस समझौते की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 12 अगस्त 2025 को लोकसभा में की। यह पहल भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय मिशनों के माध्यम से अपने सहकारी निर्यात नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है।

भारत–जांबिया समझौते का विवरण

यह MoU निम्न बिंदुओं पर केंद्रित है—

  • दोनों देशों के बीच सहकारी समितियों को बढ़ावा देना।

  • सहकारी संस्थाओं के बीच व्यापारिक गठबंधनों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना।

  • ज़ाम्बिया में भारतीय सहकारी उत्पादों के लिए बाज़ार तक पहुंच बढ़ाना।

सहकारिता मंत्रालय भारतीय दूतावासों और विदेशी मिशनों के माध्यम से निर्यातकों को बाज़ार संबंधी जानकारी प्रदान करेगा और नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) को संभावित आयातकों से जोड़ेगा।

नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) की भूमिका

NCEL एक समर्पित निर्यात संस्था है, जिसे सहकारी क्षेत्र के उत्पादों को वैश्विक बाज़ार तक पहुंचाने के लिए बनाया गया है। इस पहल के तहत—

  • NCEL ने निम्न कंपनियों के साथ भी MoU पर हस्ताक्षर किए हैं:

    • सिंटन वैंटेज ट्रेडिंग (सेनेगल)

    • पीटी सिंटन सुरिनी नुसंतारा (इंडोनेशिया)

इन समझौतों का उद्देश्य निर्यात गंतव्यों में विविधता लाना और परस्पर लाभकारी व्यापारिक साझेदारियों को बढ़ावा देना है।

रणनीतिक महत्व

भारत के लिए

  • सहकारी क्षेत्र के उत्पादों के निर्यात क्षेत्र को विस्तार देना।

  • दक्षिण–दक्षिण व्यापार संबंधों को मजबूत करना।

  • ग्रामीण और कृषि निर्यात आय को बढ़ाकर आत्मनिर्भर भारत का समर्थन।

जांबिया के लिए

  • कृषि, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन में भारतीय सहकारी विशेषज्ञता तक पहुंच।

  • सहकारी उद्योगों में संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures) के अवसर।

सोयाबीन तेल की भारत में भरमार, Palm Oil का आयात 5 साल के निचले स्तर पर

भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा वनस्पति तेल आयातक है, 2024–25 विपणन वर्ष में सोयाबीन तेल (सोयाऑयल) के आयात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखने जा रहा है। पाम ऑयल की तुलना में प्रतिस्पर्धी कीमतों के कारण यह बदलाव होगा। डीलरों के अनुमान के अनुसार, इससे पाम ऑयल आयात पिछले पांच वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच जाएगा और वैश्विक वनस्पति तेल बाजार पर असर पड़ेगा।

सोयाबीन तेल (सोयाऑयल) आयात – रिकॉर्ड स्तर

  • 2024–25 अनुमान: 55 लाख मीट्रिक टन

  • 2023–24 वास्तविक: 34.4 लाख टन

  • साल-दर-साल वृद्धि: +60%

  • कारण: पाम ऑयल की तुलना में कम कीमत, जिससे रिफाइनरों के लिए अधिक आकर्षक विकल्प।

  • अतिरिक्त स्रोत: नेपाल से आयात, कर लाभ (Tax Benefits) का फायदा।

पाम ऑयल आयात – पांच साल का निचला स्तर

  • 2024–25 अनुमान: 78 लाख टन

  • 2023–24 से बदलाव: –13.5%

  • न्यूनतम स्तर: 2019–20 के बाद से सबसे कम

  • असर: मलेशियाई पाम ऑयल वायदा (Futures) पर दबाव की संभावना।

अन्य खाद्य तेल (Edible Oils)

  • सूरजमुखी तेल आयात: 20% गिरावट होकर 28 लाख टन, तीन वर्षों में सबसे कम।

कुल वनस्पति तेल आयात रुझान

  • 2024–25 कुल आयात: 1.61 करोड़ टन

  • 2023–24 से बदलाव: +1% वृद्धि

बाजार पर प्रभाव

  • सोयाबीन तेल की अधिक मांग – वैश्विक कीमतों को सहारा, जो 2025 में पहले ही 31% बढ़ चुकी हैं।

  • पाम ऑयल की घटती मांग – वैश्विक पाम ऑयल बेंचमार्क पर दबाव।

भारत की फिजी को कृषि मदद, लोबिया के 5 टन बीज सौंपे

हिंद-प्रशांत साझेदारों के साथ एकजुटता के संकेत के रूप में भारत ने मानवीय सहायता के तहत फ़िजी को 5 मीट्रिक टन लोबिया (काली आंख वाली फलियां) के बीज भेजे हैं। यह पहल भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कृषि लचीलापन बढ़ाना, किसानों को सशक्त बनाना और प्रशांत द्वीप राष्ट्र में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है।

सहायता का विवरण

  • मात्रा: 5 मीट्रिक टन

  • बीज का प्रकार: लोबिया (काली आंख वाली फलियां) के बीज

  • उद्देश्य: फ़िजी में कृषि उत्पादन का समर्थन

  • हस्तांतरण स्थल: साबेटो, नादी, फ़िजी

  • क्रियान्वयन एजेंसी: भारत सरकार की ओर से सुवा स्थित भारतीय उच्चायोग

कूटनीतिक और रणनीतिक संदर्भ

यह सहायता वितरण भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य है:

  • हिंद-प्रशांत देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना।

  • साझेदार देशों को मानवीय और विकासात्मक सहायता प्रदान करना।

  • कृषि और खाद्य सुरक्षा में दक्षिण–दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना।

फ़िजी के लिए अपेक्षित लाभ

  • कृषि लचीलापन: लोबिया के बीज सूखा-सहिष्णु होते हैं और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उपयुक्त हैं, जिससे किसान जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढल सकते हैं।

  • खाद्य सुरक्षा: प्रोटीन-समृद्ध फसलों के घरेलू उत्पादन में वृद्धि।

  • किसान सशक्तिकरण: गुणवत्तापूर्ण बीजों की बेहतर उपलब्धता से स्थायी आजीविका को बढ़ावा।

भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025: भारत के समुद्री भविष्य का आधुनिकीकरण, लोकसभा द्वारा पारित

लोकसभा ने 12 अगस्त 2025 को भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 पारित किया। यह एक ऐतिहासिक सुधार है जिसका उद्देश्य बंदरगाह शासन को आधुनिक बनाना, व्यापार प्रक्रियाओं को सरल करना और भारत के समुद्री क्षेत्र को वैश्विक सर्वोत्तम मानकों के अनुरूप लाना है।

यह विधेयक केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा पेश किया गया और यह 1908 के औपनिवेशिक कालीन भारतीय बंदरगाह अधिनियम को प्रतिस्थापित करता है। नया कानून प्रधानमंत्री के “समृद्धि के लिए बंदरगाह” के विज़न को समर्थन देता है।

पृष्ठभूमि

  • भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908: औपनिवेशिक काल में लागू हुआ और एक सदी से अधिक समय तक बंदरगाह प्रशासन को नियंत्रित करता रहा, लेकिन आधुनिक लॉजिस्टिक्स और व्यापार की मांगों के सामने अप्रासंगिक हो चुका था।

  • परिवर्तन की आवश्यकता: वैश्विक व्यापार, कंटेनर कार्गो में तेज़ वृद्धि और पर्यावरणीय चुनौतियों ने एक डिजिटल, टिकाऊ और प्रतिस्पर्धी बंदरगाह तंत्र की मांग की।

  • सरकार की दृष्टि: सागरमाला कार्यक्रम और मेरीटाइम इंडिया विज़न 2030 जैसी पहलों से जुड़ी, जिसका लक्ष्य 2047 तक भारत को शीर्ष वैश्विक समुद्री राष्ट्र बनाना है।

भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 के प्रमुख उद्देश्य

  • पुराने और अप्रचलित कानून को आधुनिक, पारदर्शी और दक्षता-केंद्रित शासन प्रणाली से बदलना।

  • मैरीटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (MSDC) के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना।

  • बंदरगाह प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण से ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EODB) को बढ़ाना।

  • हरित बंदरगाह पहल और प्रदूषण नियंत्रण के जरिए पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना।

  • PPP और FDI निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए स्पष्ट प्रावधान।

  • सभी भारतीय बंदरगाहों में सुरक्षा और परिचालन मानकों का एकीकरण।

मुख्य प्रावधान

संस्थागत सुधार

  • मैरीटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (MSDC):

    • केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

    • राष्ट्रीय बंदरगाह विकास रणनीतियों का समन्वय।

    • अंतर-राज्य और बंदरगाह प्राधिकरण विवादों का समाधान।

  • राज्य समुद्री बोर्ड:

    • गैर-मुख्य बंदरगाहों के प्रभावी प्रबंधन के लिए सशक्त।

    • विस्तार और आधुनिकीकरण की परियोजनाओं को अंजाम देने के अधिकार।

  • विवाद समाधान समितियां:

    • बंदरगाहों, उपयोगकर्ताओं और सेवा प्रदाताओं के बीच विवादों का त्वरित समाधान।

परिचालन सुधार

  • शुल्क निर्धारण स्वायत्तता: पारदर्शी ढांचे के तहत बंदरगाह प्रतिस्पर्धी दरें तय कर सकेंगे।

  • एकीकृत योजना: कार्गो वृद्धि और कनेक्टिविटी के लिए दीर्घकालिक विकास रणनीति।

  • तटीय नौवहन को बढ़ावा: अंतर्देशीय जलमार्ग और मल्टीमॉडल परिवहन से सहज एकीकरण।

  • डिजिटलीकरण: पूरी तरह ऑनलाइन बंदरगाह संचालन, लालफीताशाही और टर्नअराउंड समय में कमी।

पर्यावरण और सुरक्षा उपाय

  • सभी बंदरगाहों पर कचरा प्राप्ति सुविधाएं।

  • MARPOL (समुद्री प्रदूषण) और बैलेस्ट वाटर मैनेजमेंट संधियों का अनुपालन।

  • आपदा और सुरक्षा खतरों के लिए आपातकालीन तैयारी योजनाएं।

  • उत्सर्जन घटाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा और शोर पावर सिस्टम को बढ़ावा।

भारतीय खेल प्रशासन में बदलाव को मिलेगी नई दिशा, खेल विधेयक लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास

भारतीय खेल प्रशासन में सुधार, खिलाड़ियों की सुरक्षा को मजबूत करने और वैश्विक एंटी-डोपिंग मानकों के अनुरूप बनने के उद्देश्य से संसद ने दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए हैं—राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक, 2025

केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इन विधेयकों को “नैतिक शासन और खिलाड़ी-केंद्रित खेल नीति की दिशा में निर्णायक कदम” बताते हुए कहा कि ये भारत के 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

ये सुधार क्यों ज़रूरी थे

लंबे समय से भारतीय खेल शासन को लेकर कई आलोचनाएँ हो रही थीं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • राष्ट्रीय खेल महासंघों में प्रशासनिक अक्षमता।

  • कानूनी विवादों में वर्षों की देरी, जिससे खिलाड़ियों का करियर प्रभावित होता है।

  • एंटी-डोपिंग नियमों के कमजोर प्रवर्तन।

  • खेल निकायों में महिलाओं की सीमित भागीदारी।

2025 के ये विधेयक खेल शासन को पेशेवर बनाने, विवादों का त्वरित समाधान करने और खिलाड़ियों को अनुचित प्रथाओं से बचाने के लिए बनाए गए हैं, जिससे भारत अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब पहुंच सके।

राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 – मुख्य प्रावधान

  • खिलाड़ियों की अधिक भागीदारी: खेल निकायों में निर्णय लेने की प्रक्रिया में खिलाड़ियों की आवाज़ को मज़बूती।

  • खेल विवाद न्यायाधिकरण: स्वतंत्र संस्था जो विवादों का त्वरित समाधान करेगी, जिससे अदालतों पर निर्भरता घटेगी।

  • महिला प्रतिनिधित्व अनिवार्य: सभी खेल प्रशासनिक निकायों में लैंगिक विविधता सुनिश्चित।

  • पारदर्शी चुनाव, कार्यकाल की सीमा और वित्तीय खुलासा।

प्रभाव:

  • खिलाड़ियों के चयन और नीतिगत फैसलों में देरी में कमी।

  • खेल महासंघों में सत्ता के केंद्रीकरण को रोका जाएगा।

  • अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के मानकों के अनुरूप शासन संरचना।

राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक, 2025 – मुख्य प्रावधान

  • भारत के कानूनों को विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) कोड 2021 के अनुरूप अपडेट करना।

  • डोपिंग में शामिल खिलाड़ियों, कोचों या अधिकारियों के लिए कड़ी सज़ा।

  • डोपिंग सुनवाई और अपील की प्रक्रिया को तेज़ और सरल बनाना।

  • प्रतियोगिता के बाहर भी अधिक टेस्टिंग और उन्नत प्रयोगशाला सुविधाएं।

प्रभाव:

  • वैश्विक खेल मंचों पर भारत की विश्वसनीयता में वृद्धि।

  • स्वच्छ (क्लीन) खिलाड़ियों की सुरक्षा और निष्पक्ष खेल सुनिश्चित।

  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाव।

बीबी फातिमा महिला स्वयं सहायता समूह ने जीता संयुक्त राष्ट्र का इक्वेटर पुरस्कार 2025

तीर्थ गांव, कुंदगोल तालुक, धारवाड़ ज़िले का बीबी फातिमा महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) ने देश का नाम रोशन किया है। इस समूह को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा दिए जाने वाले इक्वेटर पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है, जिसे जैव-विविधता संरक्षण के “नोबेल पुरस्कार” के रूप में भी जाना जाता है।

यह सम्मान उनके पर्यावरण-अनुकूल खेती, सामुदायिक बीज बैंक, बाजरा (मिलेट) को बढ़ावा देने और महिलाओं के नेतृत्व वाले ग्रामीण उद्यमिता कार्यों के लिए दिया गया है।

इक्वेटर पुरस्कार के बारे में

  • प्रदायक संस्था: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)

  • उद्देश्य: आदिवासी और स्थानीय समुदायों द्वारा प्रकृति-आधारित समाधानों को सम्मानित करना, जो सतत विकास और पारिस्थितिकीय लचीलापन (Ecological Resilience) को बढ़ावा देते हैं।

  • 2025 की थीम: प्रकृति-आधारित जलवायु कार्रवाई के लिए महिला और युवा नेतृत्व

  • विजेता: अर्जेंटीना, ब्राज़ील, इक्वाडोर, इंडोनेशिया, केन्या, पापुआ न्यू गिनी, पेरू, तंजानिया और भारत से कुल 10 विजेता

  • पुरस्कार राशि: 10,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹8.5 लाख)

  • प्रतिस्पर्धा पैमाना: 103 देशों से लगभग 700 नामांकन

  • घोषणा तिथि: 9 अगस्त (अंतर्राष्ट्रीय विश्व आदिवासी दिवस)

बीबी फातिमा SHG की यात्रा

  • स्थापना: 2018, 15 महिलाओं द्वारा

  • मार्गदर्शन संस्था: सहज समृद्धा

  • सहयोगी संगठन:

    • भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (IIMR), हैदराबाद

    • CROPS4HD (मानव पोषण के लिए फसल विविधता)

    • सेल्को फाउंडेशन – मिलेट प्रोसेसिंग के लिए सौर ऊर्जा उपलब्ध कराई

    • देवधान्य किसान उत्पादक कंपनी – ग्रामीण उद्यमिता प्रोत्साहन

मुख्य उपलब्धियां

  1. वर्षा आधारित भूमि में पर्यावरण-अनुकूल खेती

  2. सामुदायिक बीज बैंक की स्थापना

  3. बाजरा उत्पादन, प्रसंस्करण और प्रचार

  4. बाज़ार संपर्क और ग्रामीण उद्यम विकास

स्वतः संज्ञान: सुप्रीम कोर्ट के स्ट्रीट डॉग्स मामले की व्याख्या

भारत में अदालतें जनहित की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कई बार वे तब भी दखल देती हैं जब कोई औपचारिक याचिका दायर नहीं की गई होती—इसे स्वप्रेरणा से संज्ञान (Suo Moto Cognizance) कहते हैं। इसके तहत अदालतें स्वयं किसी मुद्दे पर कार्रवाई शुरू कर सकती हैं, खासकर तब जब मामला मौलिक अधिकारों या लोगों की सुरक्षा से जुड़ा हो।

हाल ही में इसका उदाहरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या पर उठाया गया कदम है। बच्चों पर बढ़ते हमलों की खबर पढ़ने के बाद अदालत ने स्वप्रेरणा से संज्ञान लिया। इस लेख में इस अवधारणा को इसी मामले के जरिए समझाया गया है, जो परीक्षार्थियों के लिए उपयोगी है।

स्वप्रेरणा से संज्ञान क्या है?

Suo Moto लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है—“अपने ही बल पर”। भारतीय न्याय व्यवस्था में इसका मतलब है कि अदालत बिना किसी व्यक्ति या संस्था के पास आए, खुद ही कानूनी कार्यवाही शुरू कर सकती है।

संविधान में यह शक्ति दी गई है—

  • अनुच्छेद 32 – सुप्रीम कोर्ट को मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए।

  • अनुच्छेद 226 – हाई कोर्ट को समान शक्तियां।

यह शक्ति प्रायः जनहित, मानवाधिकार, पर्यावरण संरक्षण या सरकारी विफलताओं से जुड़े मामलों में इस्तेमाल की जाती है।

अदालतें यह शक्ति कब और क्यों इस्तेमाल करती हैं?

आमतौर पर अदालतें तब स्वप्रेरणा से संज्ञान लेती हैं जब—

  • कोई गंभीर सार्वजनिक समस्या हो, जिसे तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता हो।

  • प्रभावित लोग इतने कमजोर, गरीब या अनजान हों कि अदालत तक न पहुंच पाएं।

  • सरकारी या सार्वजनिक संस्थाओं को जवाबदेह ठहराना जरूरी हो।

उदाहरण के तौर पर, कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए खुद मामला उठाया। पहले भी प्रदूषण, पुलिस हिरासत में मौत जैसे मामलों में यह शक्ति इस्तेमाल हुई है।

2025 का सड़क कुत्ता मामला: एक वास्तविक उदाहरण

28 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने “City hounded by strays, kids pay price” शीर्षक वाली खबर पढ़ी, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के हमलों के बढ़ते मामलों और बच्चों को हो रहे नुकसान का उल्लेख था।

मामले की गंभीरता देखते हुए, अदालत ने खुद संज्ञान लिया और स्वप्रेरणा से मामला दर्ज किया। 11 अगस्त 2025 को इस पर विस्तृत आदेश जारी किया गया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश

अदालत ने दिल्ली सरकार और नगर निकायों को निर्देश दिए—

  • 8 सप्ताह में दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर हटाएं।

  • सभी कुत्तों का टीकाकरण और नसबंदी कर उन्हें आश्रयों में रखें, सड़कों पर न छोड़ें।

  • 1 सप्ताह में कुत्ता काटने की शिकायतों के लिए हेल्पलाइन शुरू करें।

  • सभी आश्रयों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं ताकि उचित देखभाल सुनिश्चित हो।

  • कार्रवाई में बाधा डालने वालों के खिलाफ कानूनी कदम उठाएं।

अदालत ने स्पष्ट किया कि लोगों—विशेषकर बच्चों—की सुरक्षा अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के तहत आती है।

प्रतिक्रियाएं और विवाद

जहां कई नागरिकों ने इस आदेश का स्वागत किया, वहीं पशु कल्याण संगठनों ने इसे अवैज्ञानिक और अमानवीय बताया। उनका कहना था कि सड़कों से कुत्तों को पूरी तरह हटाना अन्य समस्याएं पैदा कर सकता है और यह पशु संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है।

दिल्ली में प्रदर्शन हुए, कुछ कार्यकर्ताओं को कुत्ता पकड़ने की कार्रवाई रोकने पर हिरासत में लिया गया। मुख्य न्यायाधीश ने संकेत दिया कि यदि जरूरत पड़ी तो आदेश की समीक्षा की जा सकती है।

यह मामला परीक्षार्थियों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है

  • स्वप्रेरणा से संज्ञान का वास्तविक उदाहरण।

  • संवैधानिक प्रावधानों (अनुच्छेद 32 और 21) को जननीति और कानून-व्यवस्था से जोड़ता है।

  • अदालत द्वारा मानव सुरक्षा और पशु अधिकारों के बीच संतुलन साधने का उदाहरण।

  • वर्तमान घटनाओं, विधिक जागरूकता और UPSC/न्यायिक परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न का स्रोत।

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