राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में प्लुमेरिया गार्डन, बनयान ग्रोव और बबलिंग ब्रुक का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक उद्यानों को नया आयाम देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्लूमेरिया गार्डन, वट वृक्ष उपवन और बैबलिंग ब्रुक—अमृत उद्यान के तीन नए विकसित हिस्सों का उद्घाटन किया। इन नवविकसित उद्यानों ने न केवल राष्ट्रपति भवन की दृश्य और पारिस्थितिक सुंदरता को समृद्ध किया है, बल्कि स्वास्थ्य, स्थिरता और जनसहभागिता के नए आयाम भी जोड़े हैं।

अमृत उद्यान के नए आकर्षण

प्लूमेरिया गार्डन
यह उद्यान हरी-भरी ढलानों और चयनित पौधों से सुसज्जित है। इसकी शांति और रंग-बिरंगे पुष्प वातावरण को आत्मिक शांति और चिंतन का स्थान बनाने में सहायक है।

वट वृक्ष उपवन
यह भाग प्राकृतिक चिकित्सा और वेलनेस का अनोखा मिश्रण है। इसमें,

  • नंगे पांव चलने के लिए रिफ्लेक्सोलॉजी पथ

  • पंचतत्व पथ, जो प्रकृति के पाँच तत्वों का प्रतीक हैं

  • वन-प्रेरित ध्वनियों से सजी ध्यानपूर्ण अनुभूति
    यहाँ स्वास्थ्य और मानसिक शांति को बढ़ावा देने का विशेष प्रावधान किया गया है।

बैबलिंग ब्रुक
इस हिस्से में प्राकृतिक झरने जैसे जलप्रपात, कलात्मक फव्वारे और पत्थरों पर बने पगडंडी मार्ग शामिल हैं। यह उद्यान में प्रवाह, ध्वनि और शांति का समन्वय लाता है।

जनता के लिए खुला प्रवेश

ये तीनों नए उद्यान अब जनता के लिए अमृत उद्यान का हिस्सा बन गए हैं और 14 सितंबर 2025 तक खुले रहेंगे।

महत्व

  • राष्ट्रपति भवन की सांस्कृतिक और पारिस्थितिक विरासत को नया स्वरूप

  • जनस्वास्थ्य और ध्यान पर केंद्रित रिफ्लेक्सोलॉजी एवं नेचर ट्रेल्स

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की सतत विकास और समावेशी विरासत पर विशेष दृष्टि

ये नवाचार राष्ट्रपति भवन को और अधिक जन-केंद्रित और पर्यावरण-संवेदनशील बनाने की दिशा में एक अहम कदम हैं।

सिएटल के स्पेस नीडल पर पहली बार फहराया गया भारत का तिरंगा

भारत और अमेरिका के गहराते रिश्तों का प्रतीक बनकर, भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर सिएटल के प्रसिद्ध स्पेस नीडल पर भारतीय तिरंगा लहराया गया। यह ऐतिहासिक अवसर इसलिए खास रहा क्योंकि अमेरिकी प्रतीकात्मक स्थल पर पहली बार किसी विदेशी राष्ट्र का ध्वज फहराया गया। यह पल वैश्विक भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक बन गया।

सिएटल के प्रतीक स्थल पर ऐतिहासिक आयोजन

605 फीट ऊँचा स्पेस नीडल, जो सिएटल की पहचान माना जाता है, 15 अगस्त 2025 को तिरंगे के केसरिया, सफेद और हरे रंग की रोशनी से जगमगा उठा।

इस आयोजन की मेजबानी भारतीय वाणिज्य दूतावास (सिएटल) ने की, जिसमें प्रमुख हस्तियों ने शिरकत की:

  • भारत के महावाणिज्य दूत प्रकाश गुप्ता

  • सिएटल के मेयर ब्रूस हैरेल

  • सिएटल नगर नेतृत्व के वरिष्ठ अधिकारी

  • भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य

यह समारोह भारत और अमेरिका के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट क्षेत्र के बीच जीवंत साझेदारी का प्रतीक बना।

स्पेस नीडल का महत्व

1962 की वर्ल्ड फेयर के लिए निर्मित स्पेस नीडल, सिएटल की नवाचार और वैश्विक दृष्टिकोण की पहचान है। इस पर तिरंगे का फहराया जाना दर्शाता है:

  • भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति

  • भारत-अमेरिका के रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती

  • टेक्नोलॉजी, शिक्षा और जनसेवा में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के योगदान की मान्यता

भारत की सॉफ्ट पावर और प्रवासी मान्यता

अमेरिका के इस प्रतिष्ठित स्थल पर भारतीय ध्वज फहराया जाना सार्वजनिक कूटनीति और प्रवासी जुड़ाव में मील का पत्थर है। यह परिलक्षित करता है:

  • भारत की सॉफ्ट पावर का विस्तार

  • अमेरिकी सार्वजनिक जीवन में भारतीय परंपराओं का समावेश

  • सिएटल द्वारा भारतीय-अमेरिकी समुदाय की विविधता और ऊर्जा की स्वीकृति

ऐसे आयोजन आपसी सम्मान, बहुसांस्कृतिकता और द्विपक्षीय सद्भाव को और गहरा करते हैं।

भारत पहली बार एशियाई ओपन शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग ट्रॉफी 2025 की मेजबानी करेगा

भारत पहली बार वैश्विक शीतकालीन खेल मानचित्र पर कदम रखने जा रहा है, क्योंकि देश एशियन ओपन शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग ट्रॉफी 2025 की मेजबानी करेगा। यह ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय आयोजन 20 से 23 अगस्त 2025 तक महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर (देहरादून), उत्तराखंड में होगा। शीतकालीन खेलों के क्षेत्र में अब भी विकसित हो रहे भारत के लिए यह दृश्यता और भागीदारी—दोनों के लिहाज से एक बड़ी छलांग है।

आयोजन की झलकियाँ

आइस स्केटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ISAI) के नेतृत्व में आयोजित इस इवेंट में बर्फ पर रोमांचक और तेज़ रफ्तार दौड़ें होंगी। इसे अब तक का भारत का सबसे बड़ा शीतकालीन खेल आयोजन माना जा रहा है।

मुख्य विवरण:

  • तिथियाँ: 20–23 अगस्त 2025

  • स्थान: महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर (देहरादून)

  • खेल विधा: शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग

  • प्रतियोगिताएँ: 9 दौड़ श्रेणियाँ (222 मीटर से 5000 मीटर रिले तक)

यह खेल न केवल गति बल्कि रणनीति, संतुलन और सहनशक्ति की भी मांग करता है।

एशिया से भागीदारी

इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में 11 से अधिक एशियाई देश हिस्सा लेंगे। आईएसएआई अध्यक्ष अमिताभ शर्मा के अनुसार प्रतिभागी देश होंगे:

  • चीन

  • जापान

  • हांगकांग

  • इंडोनेशिया

  • सिंगापुर

  • थाईलैंड

  • चीनी ताइपे

  • वियतनाम

  • मलेशिया

  • फ़िलीपींस

  • भारत

यह व्यापक भागीदारी एशिया में शीतकालीन खेलों के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाती है और भारत की अंतरराष्ट्रीय आयोजक के रूप में उभरती भूमिका को मजबूत करती है।

भारत के लिए महत्व

इस आयोजन से भारत को कई लाभ होंगे:

  • शीतकालीन खेल अवसंरचना में बढ़ावा – ठंडे मौसम के खेलों की मेजबानी और प्रोत्साहन में भारत की साख बढ़ेगी।

  • वैश्विक पहचान – देहरादून अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के नक्शे पर उभरेगा।

  • भारतीय खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा – युवा स्केटर्स को पेशेवर स्तर पर आगे बढ़ने का हौसला मिलेगा।

  • पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ – देशी और विदेशी पर्यटकों के आने से उत्तराखंड को बढ़ावा मिलेगा।

यह आयोजन भारत के उस व्यापक लक्ष्य से मेल खाता है जिसमें देश क्रिकेट से परे अपनी खेल पहचान को विविध बनाकर सभी ओलंपिक विधाओं में क्षमता विकसित करना चाहता है।

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान और कोच बॉब सिम्पसन का निधन

क्रिकेट जगत ने अपने सबसे सम्मानित दिग्गजों में से एक—रॉबर्ट बैडली “बॉब” सिम्पसन—को अलविदा कहा, जिनका सिडनी में 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान, ऑलराउंडर और कोच के रूप में सिम्पसन का प्रभाव कई दशकों तक फैला रहा और उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट इतिहास के कई प्रतिष्ठित क्षणों को आकार दिया।

शानदार खेल करियर

बॉब सिम्पसन एक बेहतरीन ओपनिंग बल्लेबाज़, स्लिप फील्डर और पार्ट-टाइम लेग स्पिनर रहे। उन्होंने 1957 से 1978 के बीच ऑस्ट्रेलिया के लिए 62 टेस्ट मैच खेले। उनके आँकड़े उनकी सर्वांगीण प्रतिभा को दर्शाते हैं:

  • रन: 4,869

  • बल्लेबाज़ी औसत: 46.81

  • शतक: 10

  • अर्धशतक: 27

  • सर्वोच्च स्कोर: 311

  • कैच: 110

  • विकेट: 71

  • सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी: 5/57

  • पाँच विकेट हॉल: 2

  • कप्तान के रूप में टेस्ट: 62 में से 39

उनकी 311 रनों की पारी टेस्ट इतिहास की सबसे लंबी और अनुशासित पारियों में से एक मानी जाती है।

बेहतरीन कोच और मार्गदर्शक

खेल करियर के बाद सिम्पसन ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के सबसे सफल कोचों में जगह बनाई। 1980 के दशक के मध्य में उन्होंने टीम की कमान संभाली और अनुशासन, फिटनेस और आक्रामक पेशेवर रवैया जगाया। उनके नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने,

  • 1989 में एशेज जीती

  • 1987 का क्रिकेट विश्व कप जीता

  • 1990 के दशक की शुरुआत में वेस्टइंडीज पर दबदबा बनाया

उनकी कोचिंग ने 1990 और 2000 के शुरुआती वर्षों में ऑस्ट्रेलिया की दीर्घकालिक क्रिकेटीय श्रेष्ठता की नींव रखी।

सम्मान और पहचान

बॉब सिम्पसन के योगदान को कई सम्मानों से मान्यता मिली:

  • 1978: मेम्बर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (AM)

  • 1985: स्पोर्ट ऑस्ट्रेलिया हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल

  • 2006: ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल

  • 2007: ऑफ़िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (AO)

ये सम्मान उनके मैदान पर और मैदान के बाहर, दोनों जगह के असाधारण योगदान को दर्शाते हैं।

क्रिकेट जगत में विरासत

सिम्पसन को एक दूरदर्शी अनुशासनप्रिय नेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और फील्डिंग—तीनों में अपना कौशल दिखाया। वे अपनी स्पष्ट सोच, कोचिंग नवाचारों और खेल की गहरी समझ के लिए भी जाने जाते थे।

उनकी विरासत उन खिलाड़ियों में ज़िंदा है जिन्हें उन्होंने प्रशिक्षित किया—जैसे एलेन बॉर्डर और स्टीव वॉ, जिन्होंने आगे चलकर ऑस्ट्रेलिया को विश्व क्रिकेट का शिखर दिलाया।

जुलाई में भारत का व्यापारिक निर्यात 7.3% बढ़ा; व्यापार घाटा बढ़ा

भारत के माल व्यापार ने जुलाई 2025 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, जहाँ निर्यात 7.3% बढ़कर 37.24 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस वृद्धि को इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन ने सहारा दिया। हालांकि, आयात में तेज़ बढ़ोतरी के कारण व्यापार घाटा बढ़कर 27.35 अरब डॉलर पर पहुँच गया, जो पिछले आठ महीनों में सबसे अधिक है। यह आँकड़े वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अस्थायी डेटा में सामने आए।

जुलाई 2025: क्षेत्रवार निर्यात प्रदर्शन

मजबूत क्षेत्र
जुलाई में भारत के निर्यात में मुख्य योगदान रहा –

  • इंजीनियरिंग वस्तुएँ

  • रत्न और आभूषण

  • इलेक्ट्रॉनिक्स

  • फार्मास्यूटिकल्स

  • कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन

इनमें से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ सबसे तेज़ रहीं, जिनका निर्यात जुलाई 2024 के 2.81 अरब डॉलर से 34% बढ़कर जुलाई 2025 में 3.77 अरब डॉलर हो गया। यह भारत की उच्च-प्रौद्योगिकी विनिर्माण और डिजिटल व्यापार में मज़बूत होती स्थिति को दर्शाता है, जिसे उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी सरकारी पहल का समर्थन प्राप्त है।

आयात वृद्धि और व्यापार घाटा

निर्यात बढ़ने के बावजूद, आयात 8.6% की दर से बढ़कर जुलाई में 64.59 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस वजह से व्यापार घाटा 27.35 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले आठ महीनों का उच्चतम स्तर है।

आयात बढ़ने के कारण:

  • कच्चे तेल और ऊर्जा संसाधनों की मांग जारी रहना

  • घरेलू उत्पादन के लिए मशीनरी और औद्योगिक इनपुट्स का आयात

  • वैश्विक वस्तु कीमतों में वृद्धि का असर

यह स्थिति दर्शाती है कि सकारात्मक निर्यात गति के बावजूद भारत का बाह्य क्षेत्र वैश्विक कीमतों और आपूर्ति श्रृंखला लागतों के उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील है।

अप्रैल–जुलाई 2025: संचयी व्यापार

वित्त वर्ष के पहले चार महीनों (अप्रैल–जुलाई) में –

  • माल निर्यात: 149.20 अरब डॉलर

  • माल आयात: 244.01 अरब डॉलर

यह आँकड़े स्थायी व्यापार घाटे को दिखाते हैं, हालाँकि अस्थिर वैश्विक माहौल के बावजूद निर्यात का कुल प्रदर्शन उत्साहजनक रहा है।

वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त निर्यात

अप्रैल–जुलाई 2025 के दौरान वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 277.63 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 5.23% की वृद्धि है। यह भारत के व्यापार क्षेत्र की लचीलापन (resilience) को दर्शाता है।

महत्व और नीति निहितार्थ

क्यों ज़रूरी है?

  • निर्यात वृद्धि भारत की जीडीपी, रोज़गार सृजन और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए अहम है।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में उछाल भारत की वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ती भूमिका का संकेत है।

  • परंतु बढ़ता व्यापार घाटा ऊर्जा और पूंजीगत वस्तुओं में आयात-निर्भरता पर चिंता बढ़ाता है।

नीतिगत दिशा-निर्देश:

  • निर्यात बाज़ारों में विविधता और निर्यात अवसंरचना को सुदृढ़ करना।

  • आयात-गहन वस्तुओं का घरेलू उत्पादन बढ़ाना।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और रसायन जैसे क्षेत्रों में मूल्यवर्धित विनिर्माण को प्रोत्साहित करना।

पुतिन-ट्रम्प अलास्का शिखर सम्मेलन यूक्रेन शांति समझौते के बिना संपन्न

बहुप्रतीक्षित शिखर वार्ता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच अलास्का के एंकोरेज स्थित एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन सैन्य अड्डे पर संपन्न हुई। लगभग तीन घंटे चली इस बैठक में रूस–यूक्रेन संघर्ष पर कोई ठोस समझौता तो नहीं हो सका, लेकिन दोनों नेताओं ने वार्ता को “रचनात्मक” करार देते हुए “महत्वपूर्ण प्रगति” का दावा किया और आगे की कूटनीतिक कोशिशों के लिए उम्मीद जताई।

वार्ता के केंद्र में यूक्रेन संकट

पुतिन की स्थिति
मीडिया से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने माना कि बैठक का मुख्य विषय यूक्रेन युद्ध रहा। उन्होंने इस संघर्ष को “त्रासदी” बताते हुए कहा कि वह शांति के पक्षधर हैं, लेकिन इसके लिए “मूल कारणों” का समाधान होना ज़रूरी है।
पुतिन ने ज़ोर दिया कि,

  • टकराव से संवाद की ओर बढ़ना आवश्यक है।

  • यूक्रेन और यूरोप को आगाह किया कि वे भविष्य की वार्ताओं को विफल न करें।

  • उनका मानना है कि यदि 2022 में ट्रंप सत्ता में होते, तो यह युद्ध टल सकता था।
    उन्होंने अगले शिखर सम्मेलन के लिए मास्को को संभावित स्थान के रूप में भी प्रस्तावित किया।

ट्रंप के बयान और भविष्य की दिशा
राष्ट्रपति ट्रंप ने बैठक को “बेहद उत्पादक” बताया और कहा कि भले ही कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ, लेकिन कई अहम मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई।
उनके मुख्य बयान थे,

  • “हम वहां तक नहीं पहुँचे, लेकिन वहाँ तक पहुँचने की अच्छी संभावना है।”

  • किसी भी समझौते से पहले नाटो सहयोगियों, यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और अन्य साझेदारों से परामर्श करने का वादा।

  • यह दोहराना कि “आख़िरी फैसला उन्हीं पर निर्भर है”—यानी यूक्रेन और अन्य पक्षों पर।

  • उन्होंने स्पष्ट किया, “कोई समझौता तब तक नहीं है, जब तक कि समझौता हो नहीं जाता,” यानी उन्होंने सतर्क आशावाद बनाए रखा।

अलास्का शिखर सम्मेलन के कूटनीतिक निहितार्थ

यह बैठक अहम रही क्योंकि,

  • यूक्रेन मुद्दे पर आमने-सामने चर्चा कर रहे दो महाशक्तियों के बीच प्रत्यक्ष संवाद हुआ।

  • भविष्य में तनाव कम करने या संघर्षविराम की रूपरेखा तैयार करने की संभावना खुली।

  • अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में ट्रंप की वापसी ने अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव का संकेत दिया।

हालाँकि, किसी संयुक्त बयान या औपचारिक प्रतिबद्धता का अभाव तुरंत प्रगति पर सवाल खड़े करता है। संक्षिप्त प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीडिया से सीमित बातचीत ने भी दोनों पक्षों की सतर्कता को दर्शाया।

रियल मैड्रिड को 2025 में दुनिया का सबसे मूल्यवान फुटबॉल क्लब घोषित किया गया

मैदान पर अपनी बेजोड़ सफलता के लिए पहले से ही मशहूर रियल मैड्रिड ने अपनी उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जोड़ ली है—ब्रांड फाइनेंस फुटबॉल 50-2025 रिपोर्ट में दुनिया के सबसे मूल्यवान फुटबॉल क्लब का खिताब हासिल किया है। 1.921 बिलियन यूरो के ब्रांड मूल्य और 94.9 के लगभग पूर्ण ब्रांड शक्ति स्कोर के साथ, स्पेनिश फुटबॉल की यह महाशक्ति खेल उत्कृष्टता और व्यावसायिक शक्ति, दोनों में अपना दबदबा बनाए हुए है।

ब्रांड फ़ाइनेंस रिपोर्ट की प्रमुख बातें

लगातार चौथे साल शीर्ष पर
ब्रांड वैल्यूएशन कंसल्टेंसी Brand Finance के अनुसार,

  • रियल मैड्रिड का ब्रांड मूल्य साल-दर-साल 14% बढ़ा।

  • क्लब को सबसे उच्च AAA+ रेटिंग मिली।

  • यह उपलब्धि लगातार चौथे साल हासिल की गई।

इस सफलता के पीछे क्लब की वैश्विक वाणिज्यिक पहुंच, रिकॉर्ड राजस्व और प्रतिस्पर्धी उपलब्धियाँ हैं। हाल ही में टीम ने बोरुसिया डॉर्टमंड को हराकर अपना 15वां यूईएफए चैंपियंस लीग ख़िताब जीता।

2025 के टॉप 5 सबसे मूल्यवान फ़ुटबॉल क्लब

  1. रियल मैड्रिड – €1.921 अरब

    • स्ट्रेंथ स्कोर: 94.9/100

    • वैश्विक फैनबेस, मर्चेंडाइजिंग और स्पॉन्सरशिप से मजबूती।

  2. एफ़सी बार्सिलोना – €1.7 अरब

    • 11% बढ़ोतरी के साथ 2021 के बाद पहली बार दूसरे स्थान पर।

  3. मैनचेस्टर सिटी – €1.4 अरब

    • 11% गिरावट, विवादों और स्पॉन्सरशिप बदलाव से असर।

  4. लिवरपूल – €1.4 अरब

    • 2% बढ़ोतरी, वैश्विक ब्रांड एंगेजमेंट से मजबूती।

  5. पेरिस सेंट-जर्मेन (PSG) – €1.4 अरब

    • 13% वृद्धि, आक्रामक मार्केटिंग और यूरोपीय सफलता से लाभ।

वैश्विक ब्रांड रैंकिंग (6–10)

  • बायर्न म्यूनिख – €1.3 अरब (↑ 1%)

  • मैनचेस्टर यूनाइटेड – €1.2 अरब

  • आर्सेनल – €1.2 अरब

  • चेल्सी – €961 मिलियन

  • टॉटनहैम हॉटस्पर – €798 मिलियन

क्यों रियल मैड्रिड सबसे आगे है?

राजस्व और पहुंच

  • वैश्विक मर्चेंडाइजिंग

  • दीर्घकालिक स्पॉन्सरशिप डील्स

  • मैचडे और चैंपियंस लीग से कमाई

अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति

  • लैटिन अमेरिका, एशिया और अफ्रीका में विशाल फैनबेस

  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और विदेशी मैचों से वैश्विक विस्तार

  • युवा अकादमियों और ग्रासरूट फ़ुटबॉल पर निवेश

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर बढ़कर 693 अरब डॉलर पहुंचा

भारत के बाहरी क्षेत्र की स्थिरता का मजबूत संकेत देते हुए, देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 4.74 अरब डॉलर बढ़कर 8 अगस्त 2025 को समाप्त सप्ताह में 693.62 अरब डॉलर पर पहुँच गया। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDRs) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत की रिज़र्व स्थिति में सकारात्मक बढ़ोतरी के कारण हुई।

साप्ताहिक फ़ॉरेक्स मूवमेंट विवरण

मुख्य घटक जिनमें वृद्धि हुई

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)

    • 2.37 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ कुल 583.98 अरब डॉलर

    • इसमें अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ यूरो, येन और पाउंड जैसी अन्य प्रमुख मुद्राओं का मूल्य परिवर्तन भी शामिल

  • स्वर्ण भंडार

    • 2.16 अरब डॉलर की वृद्धि, कुल 86.16 अरब डॉलर

    • वैश्विक सोने की कीमतों और डॉलर की चाल पर निर्भर

  • विशेष आहरण अधिकार (SDRs)

    • 169 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी, कुल 18.74 अरब डॉलर

  • IMF में रिज़र्व पोज़ीशन

    • 45 मिलियन डॉलर की वृद्धि, कुल 4.73 अरब डॉलर

हालिया रुझान और ऐतिहासिक संदर्भ

  • पिछला सप्ताह (1–7 अगस्त 2025)
    विदेशी मुद्रा भंडार 9.32 अरब डॉलर घटकर 688.87 अरब डॉलर पर आ गया था।

  • इस सप्ताह
    मजबूत उछाल ने वैश्विक बाज़ार की अस्थिरता और RBI के प्रभावी हस्तक्षेप को दर्शाया।

  • लगभग सर्वकालिक उच्च स्तर पर
    सितंबर 2024 के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुँचा था। वर्तमान स्तर 693.62 अरब डॉलर इसी के निकट है।

RBI की भूमिका

  • RBI विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप तो करता है, लेकिन किसी निश्चित विनिमय दर को लक्ष्य नहीं करता।

  • इसका उद्देश्य सिर्फ रुपये में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना है।

  • इसके लिए RBI डॉलर और अन्य मुद्राओं की ख़रीद-बिक्री करता है।

इसका महत्व

स्थिर विदेशी मुद्रा भंडार से,

  • निवेशकों का विश्वास बढ़ता है

  • रुपये को बाज़ार के दबाव में सहारा मिलता है

  • कच्चे तेल समेत आवश्यक आयात बिल चुकाने में मदद मिलती है

  • बाहरी ऋण दायित्व पूरे किए जा सकते हैं

अमेरिका को भारत का निर्यात जुलाई में 20% बढ़ा; द्विपक्षीय व्यापार ने बनाया नया रिकॉर्ड

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते जुलाई 2025 में नए शिखर पर पहुँच गए। भारत से अमेरिका को निर्यात 19.94% की बढ़त के साथ 8.01 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जबकि अमेरिका से आयात भी 13.78% बढ़कर 4.55 अरब डॉलर रहा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (2025–26) की अप्रैल–जुलाई अवधि में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है।

जुलाई 2025: मासिक व्यापार झलक

  • भारत से अमेरिका को निर्यात: 8.01 अरब डॉलर (↑ 19.94%)

  • भारत द्वारा अमेरिका से आयात: 4.55 अरब डॉलर (↑ 13.78%)

मुख्य योगदान देने वाले क्षेत्र:

  • इंजीनियरिंग उत्पाद

  • दवाएँ और फार्मा सेक्टर

  • वस्त्र और परिधान

  • आईटी उत्पाद

  • ऑटोमोबाइल कल-पुर्ज़े

अप्रैल–जुलाई 2025: संचयी वृद्धि

  • भारत का अमेरिका को निर्यात: 33.53 अरब डॉलर (↑ 21.64%)

  • भारत का अमेरिका से आयात: 17.41 अरब डॉलर (↑ 12.33%)

  • कुल द्विपक्षीय व्यापार: 50.94 अरब डॉलर

इस अवधि में अमेरिका ने चीन, यूएई और यूरोपीय संघ को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनने का दर्जा हासिल किया।

भारत–अमेरिका व्यापार समझौता: प्रगति पर

  • भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत जारी है।

  • छठे दौर की वार्ता 25 अगस्त 2025 से नई दिल्ली में शुरू होगी।

  • संभावित मुद्दे:

    • शुल्क (टैरिफ) में कटौती

    • भारतीय दवाओं और वस्त्रों को अमेरिकी बाजार तक आसान पहुँच

    • टेक्नोलॉजी ट्रांसफर

    • डिजिटल व्यापार मानक

यह समझौता भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और निर्यात-आधारित वृद्धि रणनीति को गति देगा और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।

अन्य देशों के साथ व्यापार रुझान

निर्यात में बढ़त

  • चीन: जुलाई 1.34 अरब डॉलर (↑ 27.39%)

    • अप्रैल–जुलाई कुल: 5.75 अरब डॉलर (↑ 19.97%)

  • अन्य देश:

    • यूएई, ब्रिटेन, जर्मनी, ब्राज़ील, बांग्लादेश, इटली

निर्यात में गिरावट

  • नीदरलैंड

  • सिंगापुर

  • सऊदी अरब

  • ऑस्ट्रेलिया

  • फ्रांस

  • दक्षिण अफ्रीका

आयात रुझान

  • आयात कम: यूएई, रूस, इंडोनेशिया, क़तर, ताइवान

  • आयात ज्यादा: सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान, हांगकांग, थाईलैंड

भारत ने अगस्त में अब तक रूस से प्रतिदिन 20 लाख बैरल तेल खरीदा

भारत की ऊर्जा सोर्सिंग रणनीति अगस्त 2025 में और अधिक रूसी कच्चे तेल की ओर झुकी रही। आयात बढ़कर 20 लाख बैरल प्रतिदिन (bpd) हो गया, जो जुलाई के 16 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक है। वैश्विक एनालिटिक्स फर्म Kpler के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त के पहले पखवाड़े में भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 38% हिस्सा रूस से आया। यह दर्शाता है कि कच्चे तेल की खरीद में भारत की प्राथमिकता आर्थिक हितों को दी जा रही है, भले ही भू-राजनीतिक दबाव मौजूद हो।

अगस्त 2025 में भारत का तेल आयात मिश्रण

  • कुल कच्चा तेल आयात (अगस्त का पहला पखवाड़ा): 52 लाख बैरल प्रतिदिन

  • रूस से आयात: 20 लाख बैरल प्रतिदिन (38%)

सप्लायर ट्रेंड्स में बदलाव

  • रूस: 20 लाख bpd (जुलाई में 16 लाख bpd से वृद्धि)

  • इराक: घटकर 7.3 लाख bpd (जुलाई में 9.07 लाख bpd)

  • सऊदी अरब: घटकर 5.26 लाख bpd (जुलाई में 7 लाख bpd)

यह दर्शाता है कि भारतीय रिफाइनर डिस्काउंटेड रूसी क्रूड का अधिक लाभ उठा रहे हैं और परंपरागत आपूर्तिकर्ताओं से आयात घटा रहे हैं।

भारत रूस से अधिक तेल क्यों खरीद रहा है?

आर्थिक कारण

  • रूसी तेल मध्य-पूर्वी आपूर्ति की तुलना में सस्ता मिलता है।

  • इससे घरेलू ईंधन कीमतों पर नियंत्रण रहता है, जो मुद्रास्फीति और आर्थिक स्थिरता के लिए अहम है।

रणनीतिक विविधीकरण

  • रूस से आयात बढ़ाकर भारत, इराक और सऊदी अरब जैसे पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम कर रहा है।

  • वैश्विक आपूर्ति बाधाओं के दौर में यह ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है।

भू-राजनीतिक संदर्भ

पूर्व और पश्चिम के बीच संतुलन

  • अमेरिका और यूरोपीय संघ भारत पर रूस से तेल आयात घटाने का दबाव डालते रहे हैं।

  • लेकिन भारत का स्पष्ट कहना है कि उसकी खरीद राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा पर आधारित है — “बिज़नेस ऐज़ यूज़ुअल”।

भारत की ऊर्जा टोकरी में रूस की भूमिका

  • 2022 से रूस, भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है।

  • लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स और प्रेफरेंशियल प्राइसिंग इसकी वजह हैं।

वैश्विक ऊर्जा बाज़ार पर असर

  • रूस के लिए: भारत, पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच एक बड़ा और स्थायी बाज़ार है।

  • ओपेक के लिए: भारत से कम होती खरीद प्रतिस्पर्धा को बढ़ा रही है।

  • भारत के लिए: ऊर्जा लागत घटने से मुद्रास्फीति पर नियंत्रण, लेकिन रूस पर अत्यधिक निर्भरता से कूटनीतिक जोखिम

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