सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्‍याज दर बढ़ाई

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सरकार ने छोटी जमा योजनाओं पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की है। इनमें पोस्ट ऑफिस सावधि जमा, एनएससी (नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट) और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना शामिल हैं। अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में मजबूती के तहत एक जनवरी से इन जमा योजनाओं की ब्याज दर 1.1 प्रतिशत तक बढ़ाने की घोषणा की गई है।

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हालांकि, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) और बालिका बचत योजना सुकन्या समृद्धि पर ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया गया है। राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) पर एक जनवरी से सात फीसदी ब्याज मिलेगा फिलहाल यह 6.8 फीसदी है। इसी तरह, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर वर्तमान के 7.6 प्रतिशत के मुकाबले 8 प्रतिशत ब्याज मिलेगा।

 

मुख्य बिंदु

 

  • एक से पांच साल की अवधि की पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट स्कीम्स पर ब्याज दरें एक जनवरी 2023 से 1.1 प्रतिशत तक बढ़ जाएंगी। मासिक आय योजना में भी ब्याज दर 6.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.1 प्रतिशत कर दी गई है।
  • सरकार ने पोस्ट ऑफिस की एक साल की सेविंग्स स्कीम पर ब्याज दर बढ़ाकर 6.6% कर दी है जो पहले 5.5 प्रतिशत थी। जबकि 2 साल की स्कीम पर 6.8% की दर से ब्याज मिलेगा, जो पहले 5.7 प्रतिशत था। 3 साल की स्कीम पर ब्याज दर बढ़कर 6.9% कर दी गई है, जो पहले 5.8 प्रतिशत थी। वहीं, पांच साल की स्कीम पर 7% की दर से ब्याज मिलेगा, यह पहले 6.7 प्रतिशत था।
  • केंद्र सरकार तिमाही आधार पर छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा करती है। छोटी बजत योजनाओं के लिए ब्याज दर निकालने का फॉर्मूला श्यामला गोपीनाथ कमेटी ने दिया था। समिति के सुझावों के अनुसार विभिन्न योजनाओं की ब्याज दरें समन मैच्यरोरिटी वाले केंद्र सरकार के बॉन्ड प्रतफिलों से 25 से 100 बीपीएस अधिक होनीं चाहिए।
  • कुछ खाद्य उत्पादों के दाम घटने से औद्योगिकी श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति घटकर नवंबर में 5.41 प्रतिशत पर आ गई। अक्तूबर में यह 6.08 फीसदी रही थी। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से संबद्ध श्रम ब्यूरो ने एक बयान में यह जानकारी दी।
  • इसके मुताबिक नवंबर 2021 में औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.84 फीसदी थी। पिछले महीने खाद्य मुद्रास्फीति 4.30 फीसदी रही, जबकि अक्तूबर में यह 6.52 और नवंबर 2021 में 3.40 फीसदी रही थी।

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आंध्र प्रदेश सरकार ने पाठ्य-पुस्तकों में फातिमा शेख के योगदान पर एक पाठ शामिल किया

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आंध्र प्रदेश सरकार ने आठवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तकों में फातिमा शेख के योगदान पर एक पाठ शुरू किया है। फातिमा शेख भारत की पहली महिला मुस्लिम शिक्षिका और भारत की सबसे महान समाज सुधारकों और शिक्षिकाओं में से एक थीं। उन्हें प्रसिद्ध समाज सुधारक दंपति ज्योति राव फुले और सावित्रीबाई को आश्रय देने के लिए जाना जाता था, जिन्होंने बालिकाओं की शिक्षा के लिए काम किया था।

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प्रमुख बिंदु

  • ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले ने जाति व्यवस्था और पुरुषवाद के खिलाफ पहल की।
  • फातिमा शेख को फुले दंपति को बॉम्बे प्रेसीडेंसी में पूना में पूर्व के घर में पहला लड़कियों का स्कूल शुरू करने की अनुमति देने का श्रेय दिया जाता है।
  • फातिमा शेख फुले दंपति द्वारा चलाए जा रहे सभी पांच स्कूलों में पढ़ाती थीं।
  • उन्होंने अपने दम पर 1851 में मुंबई में दो स्कूलों की स्थापना की।
  • फातिमा शेख ने सिंथिया फर्रार द्वारा संचालित एक संस्थान में सावित्रीबाई फुले के साथ शिक्षक प्रशिक्षण लिया।
  • हालाँकि, उसे वह मान्यता नहीं मिली है जिसकी वह हकदार थी।
  • वह देश के गुमनाम नायकों में से एक हैं।

 

फातिमा शेख के बारे में

 

  • फातिमा शेख को पहली मुस्लिम महिला शिक्षक माना जाता है, उन्होंने समाज सुधारक ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के साथ काम किया। फातिमा शेख ने 1948 में ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर एक पुस्तकालय की स्थापना की थी। यह भारत में लड़कियों के लिए पहले स्कूलों में से एक था।
  • स्वदेशी पुस्तकालय फातिमा और उस्मान के घर में खोला गया था। फातिमा शेख का जन्म 9 जनवरी, 1831 में पुणे में हुआ था। वह अपने भाई उस्मान के साथ रहती थीं। फातिमा शेख ने निचले तबके के लोगों को शिक्षित करने के लिए काम किया। सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख जिन्हें धर्म, लिंग के आधार पर शिक्षा से वंचित रखने की कोशिश की गई उन्होंने दलित और मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को पढ़ाया।
  • फातिमा शेख ने घर-घर जाकर मुस्लिम समुदाय और दलित समुदाय के लिए स्वदेशी पुस्तकालय में सीखने के लिए प्रोत्साहित किया। इस काम के लिए उन्हे कई बार भारी विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन शेख और उनके सहयोगी डटे रहे। फातिमा शेख ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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लक्ष्मी सिंह बनीं यूपी की पहली महिला पुलिस कमिश्नर

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उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर पद पर लक्ष्मी सिंह को तैनात कर दिया गया है। वे नोएडा की टॉप कॉप होंगी। यूपी में इस पद तक पहुंचने वाली वे पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। राज्य सरकार ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), लखनऊ रेंज, लक्ष्मी सिंह को नोएडा का प्रभार देते हुए राज्य की पहली महिला पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है।

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बता दें, वह आलोक सिंह का स्थान लेंगी, जिन्हें लखनऊ में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुख्यालय में तैनात किया गया है। लक्ष्मी सिंह की गिनती यूपी के तेज-तर्रार पुलिस अधिकारियों में होती है। अपराध नियंत्रण से लेकर डकैतों तक पर उनकी कार्रवाई सुर्खियां बनती रही हैं। उनके पति राज राजेश्वर सिंह हैं। राजेश्वर सिंह ईडी में अधिकारी थे। अभी भाजपा के सरोजनीनगर से विधायक हैं।

 

लक्ष्मी सिंह के बारे में

 

  • लक्ष्मी सिंह को बेहद तर्रार पुलिस अधिकारियों में शुमार किया जाता है। अपने शानदार प्रदर्शन और जिम्मेदारी का इमानदारी से निर्वहन करने के लिए IPS लक्ष्मी सिंह को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। इस कड़ी में लक्ष्मी सिंह को मुख्यमंत्री उत्कृष्ट सेवा पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया है।
  • इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय पीटीएस मेरठ को भारत में नंबर वन संस्थान घोषित करते हुए 2 लाख रुपये का इनाम भी दे चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पुरस्कार के तौर पर उन्हें 9 एमएम की पिस्टल भी दिया है।
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस अकेडमी हैदराबाद में ट्रेनिंग के दौरान लक्ष्मी सिंह बेस्ट प्रोबेशनर घोषित की गई थी। वर्ष 2000 बैच की आईपीएस अधिकारी लक्ष्मी सिंह को पीएम की ओर से सिल्वर बेटन भी मिल चुका है। लक्ष्मी सिंह को संगठित अपराध को काबू में करने के लिए अभियानों का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता रहा है।
  • लक्ष्मी सिंह ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद समाजशास्त्र से एमए की डिग्री हासिल की। वर्ष 2000 में उन्होंने टॉपर स्थान हासिल कर आईपीएस का चुनाव किया। वर्ष 2014 में उन्हें आगरा में डीआईजी पद पर प्रमोट कर भेजा गया। वहां अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की चर्चा आज भी होती है।

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Meghalaya Government launches 'Asia's first Drone delivery hub for easy access to healthcare'_90.1

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने अबतक पीएलआई योजना के तहत 4,900 करोड़ रुपये का निवेश किया

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सरकार ने कहा कि अब तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 4,900 करोड़ रुपये का निवेश किया है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली पीएलआई योजना को मार्च, 2021 में मंजूरी दी गई थी। इसे वित्त वर्ष 2026-27 तक सात साल की अवधि के लिए लागू किया जाना है।

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एक सरकारी बयान में कहा गया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए पीएलआई योजना के तहत विभिन्न श्रेणियों में कुल 182 आवेदनों को मंजूरी दी गई है। इसमें मोटा अनाज आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना के तहत 30 आवेदन (8 बड़ी संस्थाएं और 22 एसएमई) शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि पीएलआई योजना के लाभार्थियों द्वारा बताए जा रहे आंकड़ों के अनुसार, योजना के तहत लगभग 4,900 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

 

मुख्य बिंदु

 

  • चालू वित्त वर्ष में 800 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि वितरित किए जाने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि अबतक 107.3 करोड़ रुपये का बिक्री आधारित प्रोत्साहन वितरित किया जा चुका है।
  • पीएलआई योजना के कार्यान्वयन से लगभग 30,000 करोड़ रुपये की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता के विस्तार की सुविधा तथा वित्त वर्ष 2026-27 तक लगभग 2.5 लाख लोगों के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
  • मंत्रालय ने कहा कि कुल 112 खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाएं वर्ष 2022 के दौरान पूरी की गईं और 706.04 करोड़ रुपये के निजी निवेश का लाभ उठाया गया तथा 25,293 व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए। वर्ष के दौरान लगभग 190 खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

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तमिलनाडु ने नीलगिरि तहर के संरक्षण के लिए परियोजना शुरू की

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तमिलनाडु सरकार ने एक परियोजना के जरिये नीलगिरि तहर के संरक्षण के लिए आदेश जारी किये। इसे देश में अपनी तरह की पहली परियोजना बताया जा रहा है। सरकार ने कहा कि 25.14 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना 2022-2027 के दौरान लागू की जाएगी और उपकरणों की मदद से तहर की संख्या का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण किये जाएंगे।

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तहर विलुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में आती है और यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम,1972 की अनुसूची-1 के तहत संरक्षित है। यह जंतु पश्चिमी घाट में स्थानिक है। इस स्थान को इसकी जैव विविधिता के लिए अपार वैश्विक महत्व के क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहां जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि परियोजना-नीलगिरि तहर- का लक्ष्य इसके मूल आश्रय को बहाल करना और इन्हें उन इलाकों में फिर से बसाना है, जहां वे मूल रूप से रहा करते थे।

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आठ प्रमुख उद्योगों की उत्पादन वृद्धि नवंबर 2022 में 5.4 प्रतिशत

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कोयला, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश के आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन नवंबर में 5.4 प्रतिशत बढ़ गया जबकि एक साल पहले इसकी वृद्धि 3.2 प्रतिशत रही थी। हाल ही में जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नवंबर महीने में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादन में गिरावट आई। इसके पहले अक्टूबर महीने में आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 0.9 प्रतिशत रही थी।

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आठ बुनियादी उद्योगों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान आठ प्रतिशत रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 13.9 प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार, कोयला उत्पादन में सालाना आधार पर इस साल नवंबर में 12.3 प्रतिशत, उर्वरक में 6.4 प्रतिशत, इस्पात 10.8 प्रतिशत, सीमेंट 28.6 प्रतिशत और बिजली में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कुल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में बुनियादी उद्योगों का भारांश 40.27 प्रतिशत है। इससे इसका असर औद्योगिक उत्पादन पर भी दिखेगा।

 

सरकार नवंबर महीने का आईआईपी आंकड़ा जनवरी 2023 के दूसरे सप्ताह में जारी कर सकती है। इस बारे में रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि बुनियादी उद्योगों में वृद्धि का असर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पर दिखेगा और इसमें तीन से चार प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। हालांकि इंडिया रेंटिग्स ने कहा कि बुनियादी उद्योगों का पुनरुद्धार व्यापक नहीं है क्योंकि रिफाइनरी उत्पाद, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का प्रदर्शन अभी भी कमजोर बना हुआ है।

 

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भारत का फिस्कल डेफिसिट 2022-23 के अप्रैल-नवंबर में लक्ष्य का 58.9 फीसदी रहा

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वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल से नवंबर के बीच में भारत का राजकोषीय घाटा 9.78 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो कि चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्रीय बजट के 16.61 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 58.9 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़ों से ये जानकारी आई है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के 9.91 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का राजस्व घाटा 5.73 लाख करोड़ रुपये या 57.8 प्रतिशत रहा।

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आंकड़ों के मुताबिक, सरकार का कुल खर्च बजट के 39.45 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 24.43 लाख करोड़ रुपये या 61.9 प्रतिशत था। राजकोषीय घाटा राज्य के राजस्व और व्यय के बीच का अंतर है। यह राजस्व में कमी को दिखाता है। वित्त वर्ष 23 के अप्रैल-नवंबर के दौरान शुद्ध कर राजस्व 12.25 लाख करोड़ रुपये या पूरे साल के लक्ष्य का 63.3 प्रतिशत रहा है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह लक्ष्य का 73.5 प्रतिशत था। गैर कर राजस्व 73.5 प्रतिशत आया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 91.8 प्रतिशत आया था।

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ओडिशा के बरगढ़ में ‘धनु यात्रा’ शुरू हुई

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दुनिया का सबसे बड़ा ओपन-एयर थिएटर माना जाने वाला ‘धनु यात्रा’ उत्सव 27 दिसंबर को पश्चिमी ओडिशा के बरगढ़ शहर में शुरू हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 दिवसीय उत्सव की शुरुआत के साथ पूर्वी राज्य के लोगों को बधाई दी। दो साल के अंतराल के बाद यह महोत्सव शुरू हुआ। इस उत्सव में लाखों लोगों के दिलों को छूने वाली लोक कलाओं के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण से संबंधित प्रसंगों को प्रस्तुत किया जाएगा।

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‘धनु यात्रा’ के बारे में

 

  • ‘धनु यात्रा’, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, 1947-48 में देश की आजादी के जश्न के हिस्से के रूप में बरगढ़ में अस्तित्व में आई और इसे सालाना आयोजित किया जाता है।
  • ‘धनु यात्रा’ ओडिशा की संस्कृति से जुड़ी है।
  • यह एक ओपन-एयर थिएटर फेस्टिवल है जो 5 वर्ग किलोमीटर से अधिक तक फैला हुआ है और इसमें एक गांव और एक शहर शामिल है।
  • परंपरा के अनुसार पूरे ग्यारह दिनों के लिए, बरगढ़ के लोगराजा कंस के आदेश को मानते हैं और जिला प्रशासन को नहीं।

 

पृष्ठभूमि

 

धनु यात्रा वर्ष 1947-48 की कटाई के मौसम के बाद, भारत की स्वतंत्रता के ठीक बाद ब्रिटिश कुशासन के अंत के लिए समाज में खुशी के माहौल के प्रतिबिंब के रूप में शुरू की गई थी। तब से यह हर साल धान की कटाई के अंत में किया जाता है, जो इलाके की प्रमुख फसल है। यह पौषसुक्ला के 5वें दिन से शुरू होकर पौषपूर्णिमा पर समाप्त होता है।

 

11 दिनों के दौरान बरगढ़ शहर का पूरा क्षेत्र और बरगढ़ ब्लॉक के आस-पास के उप-शहरी हिस्से कंस के राज्य ‘मथुरा नगरी’ में बदल जाते हैं। त्योहार की शुरुआत एक नाटक से होती है जिसमें वासुदेव के साथ बहन देवकी के विवाह पर क्रोधित कंस द्वारा मथुरा के सम्राट उग्रसेन के पतन होता है। त्यौहार राक्षस राजा कंस की मृत्यु और उग्रसेन को सिंहासन की बहाली के साथ समाप्त होता है।

 

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छत्तीसगढ़ पुलिस के ‘निजात’ अभियान को आईएसीपी 2022 पुरस्कार मिला

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छत्तीसगढ की राजनांदगांव पुलिस के नशा-विरोधी, निजात अभियान को संस्थागत श्रेणी के ‘लीडरशिप इन क्राइम प्रिवेंशन’ कैटेगरी में अमेरिका के प्रतिष्ठित आईएसीपी 2022 अवार्ड के लिए चयन हुआ है। यह अभियान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह के कार्यकाल में शुरू किया गया था। आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चीफ्स ऑफ पुलिस (आईएसीपी) द्वारा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव संतोष सिंह के कार्यकाल के दौरान राजनांदगांव पुलिस द्वारा चलाए गए नशा-विरोधी, निजात अभियान को संस्थागत श्रेणी के ‘लीडरशिप इन क्राइम प्रिवेंशन’ कैटेगरी में अमेरिका के प्रतिष्ठित आईएसीपी अवार्ड हेतु चुना गया है।

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दरअसल, राज्य में पुलिस द्वारा मादक पदार्थों के विरुद्ध सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। निजात अभियान एक कार्रवाई व जागरुकता अभियान है, जिसमें अवैध नशे के सौदागरों पर सख्त कार्रवाई के साथ ही नशे के विरुद्ध जनजागरुकता और नशे के आदी लोगों का पुनर्वास शामिल है। बताया गया है कि इस चर्चित अभियान की शुरूआत पिछले वर्ष तत्कालीन एसपी कोरिया संतोष सिंह द्वारा की गई थी। इसके बाद राजनांदगांव और वर्तमान में कोरबा पुलिस सहित कई जिलों में यह अभियान चलाया जा रहा है। इसी वर्ष गृह मंत्रालय, भारत सरकार की संस्था पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) ने कोरिया पुलिस द्वारा शुरू किए गए निजात अभियान को देश के तीस सर्वोत्तम स्मार्ट-पुलिसिंग अभियानों में शामिल किया था।

 

राजनांदगांव पुलिस के साथ ही गढ़चिरोली पुलिस के तत्कालीन एसपी अंकित गोयल के माओवाद विरोधी कार्यक्रम ‘दादालोरा खिड़की’ को संस्थागत श्रेणी के सामुदायिक पुलिसिंग कैटेगरी में आईएसीपी अवार्ड हेतु चुना गया है। संस्था द्वारा पुलिसिंग में किए गए बेहतर कार्यों के आंकलन के आधार पर इस अवार्ड के लिए चयन किया गया है। वर्तमान में कोरबा जिले में निजात अभियान के तहत पुलिस नशीले पदार्थों और अवैध शराब की तस्करी को प्रभावी ढंग से रोकने में सफल रही है। जिले के थानों में नशे के आदी लोगों की काउंसलिंग के साथ ही नशा-मुक्ति कक्ष भी निमार्णाधीन है। वहीं जन जागरूकता कार्यक्रम से लोग नशे की लत छोड़कर सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

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भारतीय सेना ने अहमदाबाद में पहली 3-डी प्रिंटेड यूनिट का किया

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भारतीय सेना ने हाल ही में अहमदाबाद कैंट में सैनिकों के लिए अपनी पहली 3-डी प्रिंटेड हाउस ड्वेलिंग यूनिट का उद्घाटन किया। ये दो मंजिला इमारत है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि लेटेस्ट 3D रैपिड कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी को शामिल करते हुए आवास इकाई का निर्माण मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (MES) ने MiCoB Pvt Ltd के सहयोग से किया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 3डी प्रिंटेड नींव, दीवारों और स्लैब का उपयोग करके गैराज के साथ ही 71 वर्गमीटर की आवासीय यूनिट को बनाया गया है। ये काम सिर्फ 12 सप्ताह में पूरा किया गया है।

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ये आपदा-प्रतिरोधी संरचना है, जो जोन-3 में आन वाले भूकंप के झटकों को सह सकती है। इस इमारत के निर्माण में हरित भवन की शर्तों का पालन किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि 3-डी प्रिंटेड घर वर्तमान समय में तेजी से निर्माण प्रयासों को पूरा करने के प्रतीक हैं। ये सशस्त्र बलों के कर्मचारियों की बढ़ती आवास जरूरतों को कम समय में पूरा करेंगे।

 

मंत्रालय ने कहा कि इन संरचनाओं को वर्तमान में एक साल की अवधि के लिए मान्य किया जा रहा है। सभी तरह के इलाकों में इसे बनाया जा सकता है। हाल ही में लद्दाख में इसका निर्माण किया जा रहा है। ये ढांचा ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बढ़ावा देने में भारतीय सेना की प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है।

 

3डी प्रिंटेड घर बनाने की प्रक्रिया पारंपरिक निर्माण से काफी अलग है साथ ही ये तेज भी है। इसमें संरचना को एक विशेष कंक्रीट मिश्रण का उपयोग करके प्रिंट किया जाता है। जिसके माध्यम से बड़े पैमाने पर 3डी संरचनाएं बनाई जाती है। कंक्रीट मिश्रण साधारण सीमेंट का आधार होता है जिसमें पानी-सीमेंट का अनुपात कम होता है। जबकि कंक्रीट इस परियोजनाओं के लिए मुख्य सामाग्री है।

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