बिहार के राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में 7 सितंबर 2025 को खेले गए रोमांचक फाइनल में भारत ने दक्षिण कोरिया को 4-1 से हराकर एशिया कप का खिताब अपने नाम किया। आठ साल बाद भारत ने यह खिताब जीता और साथ ही सीधे एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप 2026 (बेल्जियम और नीदरलैंड्स) में प्रवेश भी सुनिश्चित कर लिया।
फाइनल मैच की मुख्य झलकियाँ
मैच की शुरुआत में ही सुखजीत सिंह ने सिर्फ 30 सेकंड में गोल दागकर कोरिया को चौंका दिया।
पहले हाफ तक भारत ने दिलप्रीत सिंह के गोल से बढ़त 2-0 कर ली।
दूसरे हाफ में दिलप्रीत ने अपना दूसरा गोल किया।
अमित रोहिदास ने निर्णायक चौथा गोल कर जीत पक्की कर दी।
भारत के प्रमुख खिलाड़ी (फाइनल में):
सुखजीत सिंह – शुरुआती गोल
दिलप्रीत सिंह – दो गोल
अमित रोहिदास – अंतिम गोल
फाइनल तक का सफर
भारत ने सुपर-4 चरण में चीन को 7-0 से हराकर फाइनल में जगह बनाई।
कोरिया ने मलेशिया को 4-3 से हराया था और भारत के खिलाफ 2-2 से ड्रॉ खेला था।
भारत एकमात्र अजेय टीम के रूप में फाइनल में पहुँचा।
ऐतिहासिक संदर्भ
यह भारत का चौथा एशिया कप खिताब है।
पहले खिताब: 2003, 2007, 2017।
भारत ने 8 साल बाद यह खिताब जीता।
अब भारत के पास 4 खिताब हैं, जबकि कोरिया अभी भी रिकॉर्ड 5 खिताबों के साथ शीर्ष पर है।
विश्व कप क्वालिफिकेशन
इस जीत से भारत को सीधे एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप 2026 (बेल्जियम और नीदरलैंड्स) के लिए क्वालिफिकेशन मिल गया।
परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु
इवेंट: पुरुष हॉकी एशिया कप 2025
स्थान: राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, बिहार (भारत)
तारीख़: 29 अगस्त – 7 सितंबर 2025
फाइनल स्कोर: भारत 4–1 दक्षिण कोरिया
खिताब: भारत का चौथा (2003, 2007, 2017, 2025)
महत्व: विश्व कप 2026 के लिए सीधी योग्यता (बेल्जियम और नीदरलैंड्स)
सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में स्पेनिश टेनिस स्टार कार्लोस अल्कारेज़ (Carlos Alcaraz) लगातार इतिहास रचते जा रहे हैं। 7 सितंबर 2025 को उन्होंने न्यूयॉर्क के फ्लशिंग मीडोज़ में खेले गए यूएस ओपन 2025 पुरुष एकल फाइनल में अपने लंबे समय के प्रतिद्वंद्वी जानिक सिनर (Jannik Sinner) को 6-2, 3-6, 6-1, 6-4 से हराया। इस जीत के साथ अल्कारेज़ ने:
अपना छठा करियर ग्रैंड स्लैम खिताब जीता।
दूसरी बार यूएस ओपन अपने नाम किया।
साथ ही एटीपी विश्व नंबर 1 रैंकिंग भी दोबारा हासिल कर ली, जिससे सिनर का लगातार 65 सप्ताह का दबदबा समाप्त हुआ।
मैच की मुख्य झलकियाँ
यह दोनों खिलाड़ियों के बीच 15वां मुकाबला और लगातार तीसरा ग्रैंड स्लैम फाइनल था।
पहला सेट (6-2): अल्कारेज़ ने शुरू से ही आक्रामक खेल दिखाया और सिर्फ 37 मिनट में सेट जीता।
दूसरा सेट (3-6): सिनर ने वापसी करते हुए ब्रेक लिया और मैच बराबरी पर ला दिया।
तीसरा सेट (6-1): अल्कारेज़ ने शानदार टेनिस खेला, दो बार ब्रेक किया और एक शानदार ओवरहेड शॉट से दर्शकों को रोमांचित किया।
चौथा सेट (6-4): निर्णायक ब्रेक लेकर अल्कारेज़ ने 11वें ऐस के साथ मैच समाप्त किया।
कुल मैच समय: 2 घंटे 42 मिनट पूरे टूर्नामेंट में अल्कारेज़ को सिर्फ 3 बार ब्रेक किया गया।
अल्कारेज़ बनाम सिनर प्रतिद्वंद्विता
2024 से दोनों खिलाड़ियों ने पिछले आठ ग्रैंड स्लैम आपस में बाँटे हैं।
सिनर हार्ड कोर्ट पर सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं, लेकिन हाल के मुकाबलों में अल्कारेज़ हावी रहे हैं — पिछले 8 में से 7 मैच जीते, जिनमें 6 फाइनल में से 5 भी शामिल हैं।
यह प्रतिद्वंद्विता अब फेडरर–नडाल और जोकोविच–नडाल जैसी ऐतिहासिक जोड़ियों से तुलना की जा रही है।
ऐतिहासिक महत्व
अल्कारेज़, इतिहास में दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने जिन्होंने 6 ग्रैंड स्लैम जीते।
वे चौथे ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने तीनों सतहों (हार्ड, क्ले, ग्रास) पर कई–कई मेजर खिताब जीते:
हार्ड: 2 (यूएस ओपन ×2)
क्ले: 2 (फ़्रेंच ओपन ×2)
ग्रास: 2 (विंबलडन ×2)
इस उपलब्धि को पहले सिर्फ नोवाक जोकोविच, राफेल नडाल और मैट्स विलेंडर हासिल कर पाए थे।
इस जीत के साथ अल्कारेज़ ने 37वाँ सप्ताह विश्व नंबर 1 के रूप में शुरू किया।
परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु
विजेता: कार्लोस अल्कारेज़
टूर्नामेंट: यूएस ओपन 2025 (पुरुष एकल)
फाइनल प्रतिद्वंद्वी: जानिक सिनर
नतीजा: अल्कारेज़ ने चार सेटों में जीता (6-2, 3-6, 6-1, 6-4)
भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नेतृत्व बदलाव हुआ है। भूपेंद्र गुप्ता को एनएचपीसी लिमिटेड (NHPC Limited) का अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD) नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet – ACC) द्वारा अनुमोदित की गई। यह कदम स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा में एनएचपीसी के विस्तार को मज़बूती देने के लिए रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।
पृष्ठभूमि और नियुक्ति
गुप्ता वर्तमान में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (THDCIL) में निदेशक (तकनीकी) के पद पर कार्यरत हैं।
मई 2025 से वे एसजेवीएन लिमिटेड (SJVN) के अंतरिम सीएमडी का भी अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे थे।
अब वे राज कुमार चौधरी का स्थान लेंगे, जो 30 जून 2025 को सेवानिवृत्त हुए।
ऊर्जा क्षेत्र के अनुभवी विशेषज्ञ गुप्ता को परियोजना क्रियान्वयन, तकनीकी संचालन और रणनीतिक योजना में तीन दशक से अधिक का अनुभव है।
नियुक्ति का रणनीतिक महत्व
एनएचपीसी, जो एक नवरत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (Navratna CPSE) है, भारत की विद्युत संरचना में अहम भूमिका निभाता है।
पहले केवल जलविद्युत पर केंद्रित रहने वाला एनएचपीसी अब सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में विस्तार कर रहा है।
गुप्ता की नियुक्ति से अपेक्षा है कि वे:
लंबित जलविद्युत परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाएँगे।
सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं को स्केल-अप करेंगे।
हरित ऊर्जा कार्यान्वयन के लिए केंद्र व राज्य एजेंसियों के साथ सहयोग मज़बूत करेंगे।
एनएचपीसी लिमिटेड के बारे में
स्थापना: 1975
पहली परियोजना: बैरा सुइल विद्युत स्टेशन, हिमाचल प्रदेश
स्थिति: भारत की अग्रणी जलविद्युत उत्पादन कंपनी, नवरत्न उपक्रम, विद्युत मंत्रालय के अधीन
हाल के वर्षों में विस्तार:
विभिन्न राज्यों में सौर ऊर्जा पार्क
पवन और ज्वार-भाटा (tidal) परियोजनाएँ
भू-तापीय ऊर्जा (geothermal) अध्ययनों में सहयोग
यह विविधीकरण भारत के 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता के लक्ष्य से मेल खाता है।
परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु
नियुक्ति द्वारा: ACC, भारत सरकार
स्थान लिया: राज कुमार चौधरी (सेवानिवृत्त – जून 2025)
वर्तमान पद: निदेशक (तकनीकी), टीएचडीसी; अंतरिम सीएमडी, एसजेवीएन
महत्व: एनएचपीसी में नेतृत्व के ज़रिए भारत के हरित ऊर्जा मिशन को मज़बूती देना
हर वर्ष 8 सितंबर को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाती है। यह दिन साक्षरता की परिवर्तनकारी शक्ति और शिक्षा को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में सुनिश्चित करने की वैश्विक प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। वर्ष 2025 में यह दिवस “Promoting Literacy in the Digital Era” (डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना) थीम के तहत मनाया जा रहा है। साथ ही, कुछ क्षेत्रों में इसका सह-थीम है — “Promoting Multilingual Education: Literacy for Mutual Understanding and Peace” (बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना: परस्पर समझ और शांति हेतु साक्षरता)।
दोनों थीम इस बात को दर्शाते हैं कि 21वीं सदी में साक्षरता का स्वरूप बदल रहा है — जिसमें डिजिटल खाई को पाटना और समावेशी, सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक शिक्षा पर बल देना शामिल है।
8 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है साक्षरता दिवस?
इसकी जड़ें 1965 में तेहरान (Tehran) में आयोजित “विश्व शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन” से जुड़ी हैं, जिसने निरक्षरता उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयासों को गति दी।
अक्टूबर 1966 में यूनेस्को (UNESCO) की 14वीं सामान्य सभा में इसे आधिकारिक रूप से घोषित किया गया।
पहली बार यह दिवस 1967 में मनाया गया।
8 सितंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि यह कई देशों में शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और शिक्षा व विकास पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करता है।
2025 की थीम: डिजिटल युग और बहुभाषावाद में साक्षरता
1. डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना
पारंपरिक साक्षरता के साथ डिजिटल कौशल का एकीकरण आवश्यक है।
मुख्य चुनौतियाँ:
हाशिए पर रहने वाले समुदायों में डिजिटल निरक्षरता
ग्रामीण व निम्न-आय क्षेत्रों में तकनीक की पहुँच की कमी
सुरक्षित और सार्थक डिजिटल सहभागिता
आज अवसर और रोजगार डिजिटल दुनिया से जुड़े हैं, ऐसे में डिजिटल डिवाइड को पाटना साक्षरता समानता के लिए आवश्यक है।
2. बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना
यह परस्पर समझ, संज्ञानात्मक विकास और सांस्कृतिक विविधता के सम्मान को बढ़ाती है।
लाभ:
स्कूल छोड़ने की दर में कमी
शैक्षिक समावेशन में सुधार
हाशिए पर रहने वाले और आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाना
यह SDG 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) से सीधा जुड़ा है और दर्शाता है कि साक्षरता केवल पढ़ने-लिखने तक सीमित नहीं बल्कि अपनी भाषा और संस्कृति में सशक्तिकरण का माध्यम है।
आज भी साक्षरता क्यों ज़रूरी है?
वैश्विक प्रगति के बावजूद करोड़ों लोग अभी भी मूलभूत साक्षरता से वंचित हैं।
750 मिलियन वयस्क अभी भी निरक्षर हैं।
इनमें से दो-तिहाई महिलाएँ हैं।
निरक्षरता की खाई गरीबी, संघर्ष और डिजिटल बहिष्कार से गहराई से जुड़ी है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का उद्देश्य है:
शिक्षा में प्रगति का उत्सव
बनी हुई असमानताओं को उजागर करना
सरकारों, एनजीओ और नागरिक समाज का समर्थन जुटाना
भारत का संबंध: शिक्षक दिवस की कड़ी
भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में है। उनकी शिक्षा-दृष्टि यह बताती है कि शिक्षक और साक्षरता राष्ट्र-निर्माण की नींव हैं। यह दिवस और अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस, दोनों शिक्षा और ज्ञान की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करते हैं।
ब्राज़ील स्वतंत्रता दिवस, या दिया दा इंडेपनडेंसिया (Dia da Independência), हर साल 7 सितंबर को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में देश अपनी स्वतंत्रता की घोषणा (1822) के 203 वर्ष पूरे कर रहा है, जब उसने पुर्तगाल से आज़ादी हासिल की थी। इस दिन को सैन्य परेड, नागरिक समारोह, पारंपरिक व्यंजन और सार्वजनिक आयोजनों के माध्यम से मनाया जाता है, जो राष्ट्र के स्थायी गौरव और एकता का प्रतीक हैं। ब्राज़ीलवासियों के लिए यह सिर्फ़ एक अवकाश नहीं, बल्कि स्वतंत्रता, पहचान और संस्कृति का उत्सव है, जो उनकी उस ऐतिहासिक यात्रा को दर्शाता है जो कई अन्य लैटिन अमेरिकी देशों से अलग रही है।
ब्राज़ील की स्वतंत्रता का इतिहास
औपनिवेशिक शासन और स्वायत्तता का उदय
ब्राज़ील वर्ष 1500 से पुर्तगाल के अधीन रहा और यह साम्राज्य की दक्षिण अमेरिकी उपनिवेशों की रीढ़ था। वर्ष 1808 में नेपोलियन युद्धों के दौरान पुर्तगाली शाही परिवार रियो डी जनेरियो भाग आया और अस्थायी रूप से ब्राज़ील ही पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी बन गया। इस घटना ने ब्राज़ील की राजनीतिक स्थिति को मज़बूती प्रदान की।
इपीरंगा की पुकार
7 सितंबर 1822 को प्रिंस पेद्रो प्रथम (Prince Pedro I) ने पुर्तगाली संसद कोर्टेस के आदेश को मानने से इंकार कर दिया कि वह लिस्बन लौट जाएं। साओ पाउलो के इपीरंगा नदी के किनारे उन्होंने घोषणा की — “Independência ou Morte!” (स्वतंत्रता या मृत्यु!)। यह ऐतिहासिक घोषणा, जिसे आज इपीरंगा की पुकार कहा जाता है, ब्राज़ील के पुर्तगाली शासन से औपचारिक अलगाव और स्वतंत्र राजशाही की शुरुआत का प्रतीक बनी, जो 1889 में गणराज्य की घोषणा तक चली।
शांतिपूर्ण परिवर्तन
अन्य लैटिन अमेरिकी देशों की तरह लम्बे युद्धों से गुज़रे बिना ब्राज़ील की स्वतंत्रता अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रही। 1825 में पुर्तगाल ने वार्ता के बाद इसे आधिकारिक मान्यता दी। यही कारण है कि इसे उपनिवेशोत्तर इतिहास में एक अनोखा उदाहरण माना जाता है।
ब्राज़ील स्वतंत्रता दिवस 2025 कब है?
तारीख़: रविवार, 7 सितंबर 2025
महत्व: 1822 में पुर्तगाल से स्वतंत्रता की घोषणा की याद
सार्वजनिक प्रभाव: राष्ट्रीय अवकाश; बैंक, स्कूल, सरकारी कार्यालय और कई व्यवसाय बंद रहते हैं
ब्राज़ील स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाता है?
सैन्य परेड और नागरिक समारोह
राजधानी ब्राज़ीलिया में एस्प्लानाडा डॉस मिनिस्तेरियोस (Esplanada dos Ministérios) पर सबसे भव्य सैन्य परेड होती है, जिसमें राष्ट्रपति शामिल होते हैं और इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित किया जाता है।
शहरों और कस्बों में ध्वजारोहण, देशभक्ति भाषण और बैंड प्रस्तुतियां आयोजित होती हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और पारिवारिक उत्सव
संग्रहालय और ऐतिहासिक स्थल नि:शुल्क खोले जाते हैं।
परिवार पारंपरिक व्यंजनों जैसे फेज़ोआदा (feijoada), पाओ डी आसुकर (pão de açúcar) और ब्रिगादेरो (brigadeiros) के साथ जश्न मनाते हैं।
समुदायों में संगीत और नृत्य प्रस्तुतियां होती हैं, जो ब्राज़ील की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं।
राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक
ब्राज़ील का ध्वज:
हरा रंग – घने जंगल
पीला रंग – खनिज संपदा
नीला गोला और सितारे – ब्राज़ील के राज्य और राष्ट्रीय आदर्श वाक्य “Ordem e Progresso” (व्यवस्था और प्रगति)
राष्ट्रीय गान: हिनो नासियोनाल ब्राज़िलेइरो (Hino Nacional Brasileiro) सभी बड़े समारोहों में गाया जाता है और स्कूलों में सिखाया जाता है। नागरिक इसे गर्व से गाते हैं।
क्षेत्रीय उत्सव
साओ पाउलो: इपीरंगा संग्रहालय (Ipiranga Museum) पर केंद्रित उत्सव, जहाँ स्वतंत्रता घोषणा हुई थी। पुन:अभिनय और ऐतिहासिक प्रदर्शनी आयोजित होती हैं।
रियो डी जनेरियो: कोपाकबाना और इपानेमा समुद्र तटों पर अनौपचारिक समारोह और आतिशबाज़ी।
ब्राज़ीलिया: मुख्य राष्ट्रीय परेड आयोजित होती है। सड़कों को ध्वजों से सजाया जाता है और सुरक्षा कड़ी होती है।
छोटे कस्बे और ग्रामीण क्षेत्र: स्थानीय परेड, स्कूल कार्यक्रम और सामुदायिक प्रस्तुतियां लोगों को उत्सव से जोड़ती हैं और राष्ट्रीय गौरव को मज़बूत करती हैं।
भारत और सिंगापुर के बीच रणनीतिक सहयोग को नई दिशा मिली है। 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के दौरान सिंगापुर ने औपचारिक रूप से भारत की मलक्का जलडमरूमध्य में गश्त करने की योजना का समर्थन किया। यह कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गहरी साझेदारी और समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मलक्का जलडमरूमध्य का सामरिक महत्व
यह जलडमरूमध्य हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है।
विश्व के 60% से अधिक समुद्री व्यापार इसी मार्ग से होकर गुजरता है।
यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और व्यापारिक हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारत की गश्त योजना को सिंगापुर का समर्थन मिलने से,
क्षेत्रीय समुद्री निगरानी मजबूत होगी।
चीनी नौसैनिक गतिविधियों से जुड़ी चिंताओं का संतुलन होगा।
भारत की Act East नीति और Indo-Pacific रणनीति को मजबूती मिलेगी।
भारत-सिंगापुर रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में भविष्य की तकनीकों पर सहयोग बढ़ाने की घोषणा हुई, जिनमें शामिल हैं—
क्वांटम कंप्यूटिंग
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
स्वचालन प्रणालियाँ (Automation systems)
मानवरहित नौसैनिक वाहन (Unmanned Vessels/UAVs)
यह पारंपरिक सैन्य सहयोग से आगे बढ़कर भविष्य की रणनीतिक क्षमताओं पर केंद्रित नई दिशा का संकेत देता है।
परीक्षा हेतु मुख्य तथ्य
मलक्का जलडमरूमध्य (Strait of Malacca):
स्थान: इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप (पश्चिम) और मलेशिया व दक्षिणी थाईलैंड (पूर्व) के बीच।
जोड़ता है: अंडमान सागर (हिंद महासागर) को दक्षिण चीन सागर (प्रशांत महासागर) से।
महत्व:
मध्य पूर्व और पूर्वी एशिया के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग।
एशिया–मध्य पूर्व–यूरोप व्यापार के लिए लागत और समय की बचत।
चीन और जापान जैसे बड़े एशियाई उपभोक्ताओं के लिए मुख्य तेल आपूर्ति मार्ग।
स्वतंत्रता सेनानी वी. ओ. चिदंबरनार की जयंती के अवसर पर केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने तमिलनाडु के तुतिकोरिन स्थित वी. ओ. चिदंबरनार बंदरगाह में एक महत्वपूर्ण हरित हाइड्रोजन पायलट परियोजना का उद्घाटन किया और कई अधोसंरचना परियोजनाओं की नींव रखी। यह कदम भारत के हरित समुद्री भविष्य और बंदरगाह-आधारित आर्थिक विकास की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है।
हरित हाइड्रोजन पायलट परियोजना
यह बंदरगाह क्षेत्र में हाइड्रोजन ऊर्जा अपनाने वाला पहला पायलट प्रयास है।
हरित हाइड्रोजन का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से किया जाएगा।
यह पहल भारी उद्योगों और समुद्री परिवहन में कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए अहम है।
यह परियोजना भारत की स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।
अन्य परियोजनाएं
दसवां कंटेनर टर्मिनल – 7.4 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित, जिससे कार्गो हैंडलिंग क्षमता बढ़ेगी।
110 केवी सबस्टेशन – बंदरगाह संचालन की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
6 मेगावॉट पवन ऊर्जा परियोजना – ₹59 करोड़ की लागत से स्थापित, बंदरगाह की हरित ऊर्जा दिशा को बढ़ावा।
ग्रीन कैंपस ड्राइव – मंत्री ने बंदरगाह परिसर में वृक्षारोपण कर पर्यावरणीय सततता पर बल दिया।
वी. ओ. चिदंबरनार को श्रद्धांजलि
जिन्हें “कप्पल ओटिया तमिझन” कहा जाता है, उन्होंने स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी की स्थापना की थी।
उनका समुद्री स्वावलंबन का संदेश आज के आत्मनिर्भर बंदरगाहों और हरित नौवहन के प्रयासों से गहराई से जुड़ता है।
तुतिकोरिन बंदरगाह का महत्व
सागरमाला परियोजना के तहत तीव्र आधुनिकीकरण का केंद्र।
दक्षिण भारत का महत्वपूर्ण समुद्री द्वार।
हरित नौवहन तकनीकों का हब बनने की दिशा में अग्रसर।
कंटेनर और कार्गो हैंडलिंग क्षमता में वृद्धि।
तमिलनाडु और आसपास के क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को मजबूती।
परीक्षा हेतु मुख्य तथ्य
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM):
शुरुआत: जनवरी 2023, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत।
कार्यान्वयन मंत्रालय: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय।
बजट: ₹19,744 करोड़।
उद्देश्य:
भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना।
न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर ने औपचारिक रूप से बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण की। यह शपथ महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने 5 सितंबर 2025 को मुंबई स्थित राजभवन में दिलाई। यह नियुक्ति भारत के सबसे प्रमुख उच्च न्यायालयों में से एक की न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित प्रमुख हस्तियां
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर
मुंबई पुलिस आयुक्त देवन भारती
पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला
इन गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के महत्व और प्रभाव को और अधिक रेखांकित किया, जिसकी अधिकारिता महाराष्ट्र, गोवा और केंद्रशासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन और दीव पर है।
न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर की यात्रा
संवैधानिक और सिविल कानून की गहरी समझ के लिए प्रसिद्ध
पहले कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत रहे (न्यायमूर्ति अलोक अराधे के सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के बाद)
न्यायिक अनुभव और प्रशासनिक कौशल से न्यायालय की कार्यकुशलता को और मजबूत करने की उम्मीद
नियुक्ति का महत्व
बॉम्बे उच्च न्यायालय (स्थापना: 1862) भारत के सबसे पुराने और सबसे व्यस्त न्यायालयों में से एक
मुख्य न्यायाधीश की भूमिका:
मामलों के शीघ्र निपटारे और न्यायिक दक्षता सुनिश्चित करना
संवैधानिक मूल्यों की रक्षा
न्यायिक सुधार और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य
शपथ तिथि: 5 सितंबर 2025
पद: मुख्य न्यायाधीश, बॉम्बे उच्च न्यायालय
शपथ दिलाने वाले: राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन
पूर्ववर्ती: न्यायमूर्ति अलोक अराधे (सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत)
भारत की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को मज़बूती देने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपनी तीन उन्नत सामग्री (Advanced Materials) प्रौद्योगिकियाँ उद्योग भागीदारों को हस्तांतरित की हैं। ये तकनीकें हैदराबाद स्थित डिफेन्स मेटलर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (DMRL) द्वारा विकसित की गई हैं और इनका उपयोग मिसाइल सिस्टम, डिफेन्स-ग्रेड स्टील उत्पादन तथा नौसैनिक जहाज़ निर्माण में होगा।
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (LAToT) के लाइसेंस एग्रीमेंट 30 अगस्त 2025 को DRDO प्रमुख समीर वी. कामत की अध्यक्षता में सौंपे गए। यह कदम आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) अभियान में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
हस्तांतरित तकनीकें
1. हाई-स्ट्रेंथ रडोम निर्माण तकनीक – BHEL, जगदीशपुर को
मिसाइल और राडार के सेंसर व ऐन्टेना को ढकने वाले सुरक्षात्मक आवरण (Radome)
उच्च शक्ति एवं थर्मल रेजिस्टेंस
वायुगतिकीय प्रदर्शन और स्टेल्थ क्षमता में सुधार
विदेशी निर्भरता घटाकर स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रमों को मज़बूती
2. DMR-1700 स्टील शीट्स एवं प्लेट्स – JSPL, अंगुल को
विशेष प्रकार का अत्यधिक मजबूत स्टील
सामान्य तापमान पर उच्च फ्रैक्चर टफनेस
आर्मर प्लेटिंग और रक्षा हार्डवेयर में उपयोग
JSPL रणनीतिक प्रणालियों के लिए इस स्टील का उत्पादन व विस्तार करेगा
भारत को कृषि आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए नीति आयोग (NITI Aayog) ने दालों (Pulses) को लेकर एक व्यापक रणनीति जारी की है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य वर्ष 2030 तक दालों में आत्मनिर्भरता और वर्ष 2047 तक उत्पादन को दोगुना करना है। यह रोडमैप तकनीकी, पारिस्थितिकीय और सामाजिक-आर्थिक हस्तक्षेपों को एकीकृत करता है, जिससे दाल क्षेत्र को भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा का स्तंभ बनाया जा सके।
वर्तमान स्थिति और लक्ष्य
वर्तमान उत्पादन (2022): 26.06 मिलियन टन
लक्ष्य 2030 तक: 34.45 मिलियन टन (आत्मनिर्भरता)
लक्ष्य 2047 तक: 51.57 मिलियन टन (उत्पादन दोगुना) अनुमानित उत्पादन: 2030 तक 32.1 MT, 2047 तक 50.7 MT
रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें
1. क्लस्टर-आधारित खेती
“वन ब्लॉक, वन सीड विलेज” मॉडल 111 ज़िलों में
फसल-विशेष क्लस्टरिंग
स्थानीय कृषि पद्धतियाँ
सामुदायिक बीज बैंक और ट्रीटमेंट किट
2. प्रौद्योगिकी अपनाना
क्षेत्र विशेष की उच्च उपज किस्में
प्रिसिजन फार्मिंग उपकरण
सिंचाई और मृदा स्वास्थ्य की बेहतरीन तकनीकें
3. जलवायु-स्मार्ट कृषि
सूखा-रोधी दाल किस्में
एकीकृत कीट एवं रोग प्रबंधन
आकस्मिक फसल रणनीतियाँ
4. डेटा-आधारित निर्णय
उपज निगरानी के लिए वास्तविक समय डेटा, सैटेलाइट इमेजरी और AI
कमी का पूर्वानुमान
कृषि बाज़ार नीतियों के लिए निर्णय सहयोग
मांग-आपूर्ति विश्लेषण
आपूर्ति (बीज, चारे, अपव्यय के बाद):
2030 तक: 30.6 MT
2047 तक: 45.8 MT
मांग (ICMR-NIN पोषण मानक अनुसार):
2030 तक अधिशेष: 3.79 MT
2047 तक अधिशेष: 16.48 MT
इससे भारत आयात पर निर्भरता घटाकर वैश्विक दाल निर्यातक बन सकता है।
पोषण एवं उपभोग बढ़ावा
दालों के महत्व पर जन-जागरूकता अभियान
स्कूल भोजन और PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) में अधिक दालें
क्षेत्रीय उपभोक्ता पूर्वाग्रह दूर करने के प्रयास
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य
वर्तमान उत्पादन: 26.06 मिलियन टन (2022)
लक्ष्य 2030: 34.45 मिलियन टन (आत्मनिर्भरता)
लक्ष्य 2047: 51.57 मिलियन टन (दोगुना उत्पादन)
मुख्य योजना: “वन ब्लॉक, वन सीड विलेज”, उच्च गुणवत्ता बीज, जलवायु अनुकूलन