केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सीमा पार के अपराधों से प्रभावी तरीके से निपटना केंद्र और राज्य सरकारों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है, लेकिन हम सीमा पार के अपराधों या सीमा विहीन अपराधों से निपटने में तभी कामयाब हो सकते हैं जब इस पर विचार करने के लिए सभी राज्य एकसाथ बैठें और साझा रणनीति बनाकर उन पर अंकुश लगाने के लिए प्रयास करें।
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शाह दो दिवसीय चिंतन शिविर को संबोधित कर रहे थे जिसका उद्देश्य ‘विजन 2047′ और ‘पंच प्रण’ पर अमल के लिए एक कार्य योजना बनाना है, जिसका ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस चिंतन शिविर को 28 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करेंगे।
गृह मंत्री ने कहा कि यह राज्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे देश या राज्यों की सीमाओं के पार से संचालित अपराधों या क्षेत्रीय अपराधों से प्रभावकारी ढंग से निपटें ताकि समाज को भय मुक्त किया जा सके। शाह ने कहा कि संसाधनों को तार्किक बनाने पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर हो या पूर्वोत्तर या मादक पदार्थों की तस्करी, मोदी सरकार ने आंतरिक सुरक्षा के सभी मोर्चों पर सफलता हासिल की है।
गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद की रोकथाम रणनीति के तहत सभी राज्यों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी का कार्यालय होगा। शाह ने कहा, ‘‘ हमारी आंतरिक सुरक्षा मजबूत मानी जाती है। हमारे 35 हजार पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों ने देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है। ”
साइबर अपराध प्रबंधन के लिए एक परिवेश का विकास, पुलिस बल का अधुनिकीकरण, आपराधिक न्याय प्रणाली में सूचना तकनीकी का इस्तेमाल, स्थल सीमा प्रबंधन और तटवर्ती सुरक्षा एवं अन्य आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों पर इस कार्यक्रम में चर्चा की जाएगी।